अबॉर्शन एक ऐसी प्रक्रिया है जो गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए की जाती है। इसमें दवा का उपयोग करके या सर्जरी के माध्यम से गर्भ को समाप्त किया जाता है। अबॉर्शन अगर गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के दौरान कराया जाए तो सबसे सुरक्षित और सबसे प्रभावी होता है। हालांकि अबॉर्शन कराने से पहले इसके दुष्प्रभाव, संभावित जोखिम, इसकी जटिलताएं जानना बेहद आवश्यक है।
अबॉर्शन के लिए दो तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है।
गर्भावस्था की शुरुआत में भ्रूण को गिराने के लिए दवा ली जा सकती है। हालांकि इसके लिए चिकित्सक की देखरेख और परामर्श की ज़रूरत होती है। अगर आप चिकित्सक के मार्गदर्शन में अबॉर्शन कराते हैं तो भविष्य में सामान्य रूप से गर्भ धारण में समस्या नहीं आनी चाहिए। 6 से 11 हफ्तों तक की गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए अबॉर्शन की दवा ली जा सकती है।
सर्जिकल अबॉर्शन में सर्जरी द्वारा योनि के माध्यम से भ्रूण को गर्भाशय से बाहर निकाला जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर सक्शन या क्यूरेट नामक उपकरण का उपयोग करके की जाती है। सर्जिकल अबॉर्शन का भविष्य के गर्भधारण पर सीमित प्रभाव पड़ता है। जिन महिलाओं के अबॉर्शन क्यूरेट का उपयोग करके किए जाते हैं उनमें गर्भाशय की अंदरूनी परत (एशरमैन सिंड्रोम) के झुलसने का खतरा होता है। इससे भविष्य में गर्भवती होने में कठिनाई हो सकती है।
दुनिया भर में महिलाएं अबॉर्शन का विकल्प चुनती हैं। हालांकि इस फैसले के पीछे कारण अलग अलग हो सकते हैं जैसे-
भ्रूण में विकार होना
कई बार गर्भ में पल रहे बच्चे में कोई ऐसा विकार होता है जो आगे चलकर उसके लिए जानलेवा साबित हो सकता है या फिर उसके जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। ऐसे में चिकित्सक माता पिता को समय रहते अबॉर्शन कराने का विकल्प भी देते हैं। कई मामलों में कपल अबॉर्शन का रास्ता चुनते हैं।
आर्थिक स्थिति
अबॉर्शन के काफी मामलों में माता पिता की आर्थिक स्थिति एक बच्चे को पालने के लिए कमज़ोर होती है। ऐसे में वो बच्चे को दुनिया में लाकर उसकी सही देखभाल नहीं कर सकते हैं और अबॉर्शन का रास्ता चुन लेते हैं।
जेंडर आइडेंटिफिकेशन
भारत में अबॉर्शन के अधिकतर मामलों में देखा जाता रहा है कि माता पिता एक लड़के की चाह रखते हैं। वे गर्भ की शुरुआत में ही पता लगा लेते हैं कि गर्भ में पलने वाला बच्चा लड़का है या लड़की। ऐसे में गर्भ में लड़की होने पर अकसर अबॉर्शन करा दिया जाता है। हालांकि भारत में भ्रूण का जेंडर पता लगाना कानूनी रूप से प्रतिबंधित है, पर इस पर पूरी तरह रोक अब तक नहीं लग पाई है।
बर्थ कंट्रोल का असफल हो जाना
अबॉर्शन के कुछ मामलों में माता पिता की पहले भी संतानें होती हैं। ऐसे में वे और बच्चे नहीं चाहते और अबॉर्शन का विकल्प चुनते हैं।
सामाजिक बंधन
कई देशों, धर्मों और संस्कृतियों में शादी के बिना बच्चे को जन्म देना टैबू है। ऐसे में विवाह से पहले अगर कोई लड़की गर्भवती हो जाती है तो उसे अबॉर्शन का रास्ता चुनना पड़ता है।
मां का खराब स्वास्थ्य
कुछ मामलों में गर्भवती महिला कुछ ऐसी स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं से जूझ रही होती है जिसमें बच्चे को जन्म देने से उसकी जान को खतरा हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह पर उसे अबॉर्शन कराना पड़ सकता है।
कैल्शियम
अबॉर्शन के बाद शरीर में कैल्शियम की मात्रा में तेजी से गिरावट आती है। इसलिए कैल्शियम से भरपूर चीजों का सेवन करना बहुत जरूरी है। इसके लिए आपको टोफू, सूखे मेवे, समुद्री भोजन, दूध, डेयरी उत्पाद और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इससे आपकी हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत रहती हैं।
आयरन और विटामिन सी
आयरन और विटामिन सी शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं। गर्भपात के बाद महिलाओं के शरीर में आयरन और विटामिन सी की कमी हो जाती है। आयरन लाल रक्त कोशिकाओं को बनाकर शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है। वहीं विटामिन सी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। इसके साथ ही सर्जरी के घाव को भरने के लिए भी विटामिन सी काफी फायदेमंद होता है। इसके लिए आप पालक, खजूर, कद्दू और चुकंदर भी खा सकते हैं।
फोलिक एसिड
फोलिक एसिड मानसिक तनाव और लाल कोशिकाओं के विकास में मदद करता है। साथ ही इससे एनीमिया जैसी बीमारी भी नहीं होती है। अबॉर्शन के बाद आपको फोलिक एसिड से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए। इसके लिए आप अपनी डाइट में एवोकाडो, बादाम और अखरोट जैसी चीजों को शामिल कर सकते हैं।
साबुत अनाज
साबुत अनाज पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। साबुत अनाज फाइबर से भरपूर होते हैं, जो अपच और गैस की स्थिति में भी राहत प्रदान करते हैं। बेहतर पाचन के लिए आप फाइबर युक्त साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस, क्विनोआ, ओट्स और ओटमील को शामिल कर सकते हैं।
वसायुक्त दूध और मांस
अबॉर्शन के बाद वसायुक्त भोजन जैसे डेयरी उत्पाद और मांस का सेवन करना चाहिए। साथ ही आप डाइट में मक्खन, पनीर, कच्चा दूध और बीफ आदि को भी शामिल कर सकते हैं।
मूड सुधारने के लिए खाएं
अबॉर्शन के बाद आपको अपना मनपसंद खाना खाना चाहिए। इससे आपका मूड बेहतर होगा और तनाव दूर होगा।इसके लिए आप चॉकलेट या डार्क चॉकलेट खा सकते हैं।
अबॉर्शन के बाद आपको अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जंक फूड और स्ट्रीट फूड नहीं खाना चाहिए। साथ ही किसी भी तरह के ऑयली फूड के सेवन से बचें। अधिक चावल, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, शराब और सिगरेट के सेवन से दूर रहें। खूब पानी पिएं ताकि आपका शरीर हाइड्रेटेड रहे। ज्यादा देर तक भूखे न रहें। इसके अलावा, उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले यानी शर्करा वाले खाद्य पदार्थ रक्त शर्करा के स्तर में उतार-चढ़ाव का कारण बन सकते हैं। कैंडी और कार्बोनेटेड पेय न पिएं। योग और ध्यान करने का भी प्रयास करें। साथ ही किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
कठोर जिम वर्कआउट
जानकार मानते हैं कि गर्भवती अगर शुरुआती महीनों में अधिक श्रम करें तो अबॉर्शन हो सकता है। ऐसे में यदि आपको संदेह है कि आप गर्भवती हैं और स्वाभाविक रूप से अबॉर्शन चाहती हैं, तो कठोर श्रम करें। लंबी दूरी तक दौड़ना, दिन में कई बार सीढ़ियां चढ़ना आपको अनचाहे गर्भ से निजात दिलाने में मदद कर सकता है। जिम में अधिक वर्कआउट करने से भी गर्भपात हो सकता है।
अनानास का रस
विशेषज्ञ मानते हैं कि अनानास का रस अबॉर्शन में मदद कर सकता है क्योंकि इसमें ब्रोमेलैन नामक विटामिन सी और प्रोटीज एंजाइम होता है। दोनों का संयोजन प्रारंभिक अवस्था में गर्भपात की संभावना को बढ़ाने में मदद करेगा। ब्रोमेलैन गर्भाशय ग्रीवा को नरम करने में सक्षम है और अंततः गर्भपात का कारण बन सकता है।
शहद के साथ तिल के बीज
अबॉर्शन के लिए सबसे अच्छे और सुरक्षित घरेलू उपचारों में से एक तिल है। आप या तो बीजों को रात भर भिगोकर रख सकते हैं और सुबह इसका अर्क ले सकते हैं या एक चम्मच तले हुए बीजों को एक चम्मच शहद के साथ ले सकते हैं।
नींबू के साथ अजमोद का पानी
पहले चरण में गर्भपात करने के लिए अजमोद भी बहुत अच्छा है क्योंकि यह संकुचन को प्रेरित करने के लिए जाना जाता है। यह जड़ी बूटी आपके मासिक धर्म चक्र के मुख्य नियामकों में से एक है। अगर आपको पीरियड्स मिस हो रहे हैं तो दिन में कई बार अजमोद के पानी में नींबू का रस मिलाकर पिएं।
एस्पिरिन की गोलियां
एस्पायरिंग पिल्स आमतौर पर एनाल्जेसिक के रूप में उपयोग की जाती हैं, लेकिन इनका उपयोग मासिक धर्म शुरू करने के लिए भी किया जा सकता है। यदि आपका मासिक धर्म नहीं आ रहा है और आपको लगता है कि आप गर्भवती हो सकती हैं, एस्पिरिन की गोलियां पानी के साथ लें।
विटामिन सी की उच्च खुराक लें
विटामिन सी एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के उत्पादन को बढ़ा सकता है। एस्ट्रोजेन एक हार्मोन है जो मासिक धर्म में सहायता करता है, इसलिए विटामिन सी की एक उच्च खुराक आपके शरीर में एक हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकती है, जिससे जल्दी गर्भपात हो सकता है।
हालांकि ये सारी विधियां अपनाने से पहले किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से बात करें क्योंकि इन विधियों का आपके स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है।अगर आपको लग रहा है कि आपका गर्भपात हो गया है तो उसके बाद एक बार डॉक्टर से चेकअप ज़रूर कराएं।
यदि आपका गर्भ 10 सप्ताह से कम का है तो आप अस्पताल या क्लिनिक में जाए बिना, घर पर चिकित्सीय गर्भपात कराने में सक्षम हो सकती हैं। यदि गर्भ अधिक समय का है तो चिकित्सक आपको दूसरे विकल्प भी सुझा सकते हैं। मेडिकल और सर्जिकल गर्भपात आमतौर पर गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक ही किए जा सकते हैं।
मेडिकल गर्भपात
मेडिकल गर्भपात में गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए 2 अलग-अलग दवाएं दी जाती हैं। ये दवाएं आपको डॉक्टर के लिखने पर ही मिलेंगी। डॉक्टर इन्हें आपको एक साथ खाने की सलाह दे सकते हैं या दो दिनों में खाने के निर्देश दे सकते हैं। इन्हें खाने के बाद अबॉर्शन की प्रक्रिया शुरु होती है और योनि के माध्यम से रक्तस्राव होता है। यह आमतौर पर दूसरी दवा लेने के कई घंटे बाद होता है।इसमें किसी तरह की सर्जरी या एनेस्थेटिक की जरूरत नहीं है।
इसमें निम्नलिखित चरण शामिल हैं
आप सबसे पहले अबॉर्शन करने वाली दवा लेंगे । यह गर्भावस्था के मुख्य हार्मोन को अवरुद्ध कर देती है। आप इस टैबलेट को अस्पताल या क्लिनिक में लेते हैं, और आप बाद में घर जा सकेंगे और अपनी सामान्य गतिविधियों को जारी रख सकेंगे। ये दवा खाई भी जा सकती है और कई बार डॉक्टर इन्हें य़ोनि में डालते हैं। यदि आप 10 सप्ताह से कम गर्भवती हैं तो आप आमतौर पर घर पर दवा ले सकते हैं यदि आप 10 सप्ताह से अधिक गर्भवती हैं तो आपको क्लिनिक या अस्पताल में इन गोलियों को लेने की आवश्यकता है।दूसरी दवा लेने के 4 से 6 घंटे के भीतर, गर्भ की परत टूट जाती है, जिससे दर्द, रक्तस्राव होने लगता है। हालांकि कभी-कभी गर्भाशय पूरी तरह गर्भ को बाहर नहीं निकाल पाता और इसे हटाने के लिए एक ऑपरेशन की आवश्यकता होती है।
सर्जिकल अबॉर्शन
सर्जिकल अबॉर्शन में गर्भ को हटाने के लिए एक ऑपरेशन शामिल है। इसमें आपको लोकल या जनरल एनेस्थीसिया दी जा सकती है। सर्जिकल गर्भपात से पहले, आपके गर्भाशय के सर्विकिस को खोलने के लिए दवा दी जाती है। यह दवा ऑपरेशन से कुछ घंटे या 1 से 2 दिन पहले दी जाएगी। सर्जिकल गर्भपात के दो तरीके हैं।
वैक्यूम या सक्शन एस्पिरेशन
इसका उपयोग गर्भावस्था के 14 सप्ताह तक किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में सर्विक्स ग्रीवा के माध्यम से गर्भ में एक ट्यूब डाली जाती है, और सक्शन का उपयोग करके गर्भावस्था को हटा दिया जाता है। आप कितने सप्ताह की गर्भवती हैं इसके अनुसार डॉक्टर को अबॉर्शन के लिए विशेष उपकरणों का उपयोग करने की आवश्यकता हो सकती है। वैक्यूम एस्पिरेशन में लगभग 5 से 10 मिनट लगते हैं और ज्यादातर महिलाएं कुछ घंटों बाद घर जा सकती हैं।
डाइलेशन एंड इवैक्युएश (डी एंड ई)
इसका उपयोग गर्भावस्था के 14 सप्ताह के बाद किया जाता है। इसमें गर्भावस्था को दूर करने के लिए सर्विक्स और गर्भ में फोरसेप्स डाले जाते हैं। डी एंड ई आमतौर पर जनरल एनेस्थीसिया के तहत किया जाता है। आमतौर पर इसमें लगभग 10 से 20 मिनट लगते हैं और आप उसी दिन घर जा सकते हैं।
भारत में अबॉर्शन की लागत 10,000 रुपए से लेकर 40,000 रुपए तक हो सकती है। ये खर्च इस बात पर निर्भर करता है कि आक किस विधि द्वारा अबॉर्शन करा रहे हैं।
गर्भ को चिकित्सीय मार्गदर्शन में समाप्त करने को अबॉर्शन कहते हैं। इस विकल्प को चुनने के कई कारण हो सकते हैं। कम अवधि की गर्भावस्था में अबॉर्शन दवाओं के माध्यम से किया जा सकता है। वहीं अधिक समय की गर्भावस्था में अबॉर्शन के लिए सर्जरी की मदद ली जाती है।