एडेनोमायोसिस एक ऐसी स्थिति है जहां गर्भाशय की परत की कोशिकाएं गर्भाशय की दीवार में मिलकर विकसित हो जाती हैं। एडेनोमायोसिस एक अपेक्षाकृत व्यापक स्थिति है। एक महिला मासिक धर्म के दौरान, ये फंसी हुई कोशिकाएं मासिक धर्म चक्र के हार्मोन द्वारा गर्भाशय की परत के समान ही उत्तेजना से गुजरती हैं। यह स्थिति मासिक धर्म में ऐंठन और रक्तस्राव को सामान्य से अधिक गंभीर बना सकती है। एडेनोमायोसिस के लक्षण पूरे मासिक धर्म चक्र में भिन्न होते हैं क्योंकि एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ता और गिरता है, जो गर्भाशय की परत के रिलीज़ को प्रभावित करता है।मेनोपॉज़ के बाद इसके लक्षण आमतौर पर ठीक हो जाते हैं क्योंकि इस अवस्था में शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर स्वाभाविक रूप से कम हो जाता है।
एडेनोमायोसिस दे प्रकार को हो सकते हैं।
डिफ्यूज़ एडेनोमायोसिस में एंडोमेट्रियल ऊतक मायोमेट्रियम के भीतर अलग-अलग स्थानों पर फैले होते हैं ।
फोकल एडिनोमायोसिस तब होता है जब एंडोमेट्रियल ऊतक केवल मायोमेट्रियम के किसी एक क्षेत्र में पाये जाते हैं।
एडेनोमायोसिस के लक्षण हर किसी में भिन्न हो सकते हैं। लगभग एक तिहाई महिलाओं को किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं होता है।एडेनोमायोसिस के संभावित लक्षणों में शामिल हैं:
एडेनोमायोसिस एंडोमेट्रियल परत के मायोमेट्रियम में आक्रमण के कारण होता है। एंडोमेट्रियल ऊतक की दो परतें होती हैं:पहली बेसल लेयर और दूसरी फंक्शनललेयर। बेसल लेयर या ऊतक का सबसे गहरा हिस्सा जो मायोमेट्रियम से जुड़ता है वही मासिक धर्म के बाद दोबारा परत बनाने का काम करता है । मासिक धर्म के दौरान यह परत नहीं गिरती है। वहीं फंक्शनल लेयर ऊतक की परत होती है जो गर्भाशय पर उपरी परत बनाती है । यही परत पूरे मासिक धर्म चक्र में गर्भाशय में बढ़ती है और फिर मासिक धर्म के दौरान गिरती है। ऐसा माना जाता है कि एस्ट्रोजेन, प्रोजेस्टेरोन और पूर्व में गर्भाशय की सर्जरी एडेनोमायोसिस का कारण हो सकती है । इसे ऊंचे एरोमाटेज स्तरों से भी जोड़ा गया है, जो एक एंजाइम है। एक महिला की उम्र भी महत्वपूर्ण कारक है। मेनोपॉज़ के बाद एडेनोमायोसिस का जोखिम कम हो जाता है।
इसके अलावा
एडेनोमायोसिस के रोगियों को पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी जाती है का पालन करना चाहिए। ऐसे रोगियों का भरपूर पानी पीना चाहिए। ताजे खाद्य पदार्थों का सेवन करें क्योंकि ये अधिक पोषक होते हैं।साथ ही इनमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंप्लेमेटरी गुण भी होते हैं।आप निम्नलिखित चीज़ों का सेवन कर सकते हैं-
जंक फूड से एस्ट्रोजन असंतुलन होता है जो आपके लिए सही नहीं है। अधिक मसालेदार और तला हुआ भोजन सूजन को बढ़ा देगा इसलिए ट्रांस फैट, रेड मीट और प्रोसेस्ड फूड से बचना चाहिए। अधिक नमक और चीनी के सेवन से बचें। हार्मोनल असंतुलन पैदा करने वाले सभी कीटनाशकों को हटाने के लिए ताजे फल और सब्जियां अच्छी तरह धोएं। इसके अलावा निम्नलिखित खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
हीटिंग पैड
हीट कंप्रेस पेल्विक क्षेत्र में रक्त के प्रवाह को बढ़ा सकता है और गर्भाशय में दबाव और दर्द को दूर करने में मदद कर सकता है । अपने पेट के निचले हिस्से पर हीटिंग पैड रखकर सिंकाई करें। ऐसा दर्द होने पर या दिन में 2-3 बार करें ।
अरोमाथेरेपी मसाज
पेट पर अरोमाथेरेपी मसाज से रक्त प्रवाह बढ़ सकता है और मासिक धर्म के दर्द से राहत मिल सकती है । इसके लिए किसी भी एसेंशियल ऑयल की कुछ बूँदें लेकर उसमें 1 चम्मच नारियल का तेल मिला लें। इस मिश्रण से अपने पेट पर लगभग 2 मिनट तक मसाज करें। इसे धोने से पहले रात भर या कम से कम 30 से 40 मिनट के लिए छोड़ दें।
अरंडी का तेल
अरंडी के तेल में रिसिनोलेइक एसिड होता है, जो एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट है। पेट पर अरंडी के तेल के पैक का उपयोग करने से गर्भाशय में सूजन और दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है।इसके लिए अपने पेट के निचले हिस्से पर थोड़ा सा अरंडी का तेल लगाएं। फिर अपने पेट पर एक गर्म पानी की बोतल रखें और इसे लगभग 15 से 20 मिनट के लिए छोड़ दें। ऐसा दिन में 1-2 बार करने से आराम मिल सकता है।
अदरक
अदरक में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं इसलिए यह एडेनोमायोसिस से जुड़ी सूजन और दर्द से राहत प्रदान कर सकता है। इसे इस्तेमाल करने के लिए 1 चम्मच बारीक कटा हुआ अदरक लेकर इसे एक कप पानी में मिलाकर उबाल लें।फिर इसमें थोड़ा सा शहद मिलाएं और पी लें। इसे दिन में 3-4 बार पीने से आराम मिल सकता है।
हल्दी
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन में एंटी-इंफ्लेमेटरी और हीलिंग गुण होते हैं । इस प्रकार, हल्दी एडेनोमायोसिस के कारण होने वाले दर्द और सूजन को कम कर सकती है। एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी पाउडर डालकर अच्छी तरह मिला लें। इस मिश्रण का रोजाना सेवन करने से लाभ होगा।
कैल्शियम और मैग्नीशियम
कैल्शियम और मैग्नीशियम दोनों मासिक धर्म चक्र को नियमित करके एडेनोमायोसिस के लक्षणों से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं।इसके लिए दूध, पनीर, दही, सामन, सार्डिन, बादाम, पालक, क्विनोआ और काजू जैसे कैल्शियम और मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
एडिनोमायोसिस का निदान डॉक्टर के परामर्श से शुरू होता है। डॉक्टर आपका पैल्विक परीक्षण करेंगे। यदि डॉक्टर को लगता है कि गर्भाशय थोड़ा बढ़ा हुआ है और उन्हें एडिनोमायोसिस का संदेह है, तो वे अन्य परीक्षणों पर विचार कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
हालांकि जिन्हें उपचार की आवश्यकता है उनके लिए कई अलग-अलग विकल्प उपलब्ध हैं:
हिस्टेरेक्टॉमी के कई फायदे हैं:
हिस्टेरेक्टॉमी की प्रक्रिया
एडेनोमायोसिस में हिस्टेरेक्टॉमी कई प्रकार से की जाती है । सर्जिकल दृष्टिकोण काफी हद तक रोगी की स्थिति पर निर्भर है।टोटल हिस्टेरेक्टॉमी यानी गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा को हटाने की प्रक्रिया है और सबटोटल हिस्टेरेक्टॉमी में केवल गर्भाशय के ऊपरी हिस्से को हटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया को जनरल एनेस्थीसिया देकर किया जाता है । इसमें ऐसे ऊतकों से गर्भाशय को अलग करना शामिल होता है जो इसे जगह में रखता है। एक बार जब गर्भाशय को हटा दिया जाता है, तो चीरे के घाव को स्टेपल या टांके के साथ बंद कर दिया जाता है।
भारत में एडेनोमायोसिस के इलाज का खर्च 60,000 रुपए से लेकर 1,00,000 रूपए तक हो सकता है। आपके रोग की अवस्था कैसी है इस हिसाब से भी इलाज के खर्च में परिवर्तन हो सकता है।अगर आप हिस्टेरेक्टोमी कराने का विकल्प चुनते हैं तो लागत अधिक हो सकती है।
एडेनोमायोसिस गर्भाशय के अंदर की परत का उसकी दीवार में जुड़ जाने के कारण होता है।इसमें रोगी को अत्यधिक दर्द और रक्त स्राव होता है।इसमें सही आहार लेना आवश्यक होता है। रोगी घर पर ही दर्द को कम करने के उपचार आज़मा सकता है।हालांकि बिना इलाज के कम ही लोग इससे उबर पाते हैं। इसका सबसे उपयुक्त इलाज सर्जरी है।