हमारे आसपास कई ऐसे आहार हैं, जो हमारे स्वास्थय के लिए बहुत फायदेमंद हैं और विभिन्न प्रकार से हमारी रक्षा करते हैं। ऐसी ही एक खाद्य सामग्री है चेस्टरनट्स यानी कि शाहबलूत। शाहबलूत की गिनती एक प्रकार के मेवे के रूप में होती है, जिसमें कई पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। अपनी रोजमर्रा के आहार में मात्र एक मुट्ठी शाहबलूत शामिल करने से आप अपने स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं। हालांकि इसके कुछ दुष्प्रभाव भी होते हैं। तो चलिए हम आपको शाहबलूत के फायदों और नुकसान के बारे में बताते हैं।
शाहबलूत की गिनती सूखे मेवे के रूप में की जाती है। गहरे भूरे रंग के छिलके वाले इस सूखे मेवे का स्वाद हल्का मीठा होता है। इसका छिलका हटाकर उसके अंदर मौजूद गिरी को खाया जाता है। शाहबलूत ओक के पेड़ में एक अखरोट के रूप में पाया जाता है। यह डाइजेशन सही करने से लेकर ब्लड शुगर लेवल कम करने तक में मदद करता है। इसके अलावा यह मधुमेह को रोकने, इम्युनिटी पॉवर बढ़ाने, पुरानी बीमारियों को रोकने में भी लाभकारी हैं। शाहबलूत में उच्च मात्रा में आहार फाइबर, विटामिन, खनिज, अच्छे वसा और एंटीऑक्सीडेंट यौगिक होते हैं और इसका उपयोग संतुलित, स्वस्थ आहार बनाने के लिए किया जा सकता है।
शाहबलूत में कई प्रकार के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होते हैं। इसमें कैलोरी, वसा, कार्बोहाइड्रेट, सोडियम पोटैशियम जैसे कई पौष्टिक तत्व मौजूद हैं। इसके अलावा यह आयरन, मैग्नीशियम और कई प्रकार के विटामिन्स का भी अच्छा स्रोत है। ये सभी तत्व हमारे स्वास्थ्य की देखभाल करने में सहायक होते हैं। शाहबलूत में मौजूद तत्वों की मदद से ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में, ह्रदय को स्वस्थ रखने में, पाचन क्रिया मजबूत रखने में सहायक हैं। इसके अलावा ये कई अन्य रोगों से भी हमारे स्वास्थ्य की सुरक्षा करते हैं।
नीचे उल्लेखित शाहबलूत के सबसे अच्छे स्वास्थ्य लाभ हैं
शाहबलूत में डाइटरी फाइबर के गुण पाए जाते हैं जिसकी मदद से मधुमेह की बीमारी को आसानी से रोका या नियंत्रित किया जा सकता है। जिन खाद्य उत्पादों में डाइटरी फाइबर बहुत अधिक होता है उन्हें कम ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थ माना जाता है क्योंकि वे खून में शुगर लेवल को धीरे-धीरे बढ़ाते हैं। इस वजह से शाहबलूत मधुमेह रोगियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, वे शुगर लेवल में अचानक गिरावट को भी रोकते हैं।
शाहबलूत में उच्च मात्रा में विटामिन सी, साथ ही उच्च मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जिसकी वजह से ये इम्युनिटी पॉवर बढ़ाने के लिए एक बेहतरीन खाद्य उत्पाद बनाता है। विटामिन सी शरीर में यह श्वेत रक्त कोशिकाओं (डब्ल्यूबीसी) के उत्पादन को प्रोत्साहित करने में मदद करता है। ये श्वेत रक्त कोशिकाएं बाहरी रोग पैदा करने वाले एजेंडों को रोकने में सहायक होते हैं। यह इम्युनिटी पॉवर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके अलावा इसमें एंटीऑक्सिडेंट के गुण भी होते हैं जो शरीर के रोगजनिक कणों को मारते हैं। ये भी इम्युनिटी पॉवर को बढ़ावा देने का उदाहरण हैं।
उम्र बढ़ने साथ शरीर में कई तरह की समस्याएं बढ़ती हैं। इन्ही समस्याओं में से एक है ऑस्टियोपोरोसिस, जो हड्डियों के द्रव्यमान के नुकसान के कारण होती है। इसकी वजह से कमजोर हड्डियों और जोड़ों में दर्द के रूप में कई विकार पैदा होते हैं। इससे बचाव का एक तरीका है अपने आहार में शाहबलूत को शामिल करना। दरअसल, शाहबलूत में मैग्नीशियम होता है जो हड्डियों के खनिज घनत्व को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाता है, जिससे हड्डियां स्वस्थ रहती हैं। इसके साथ ही शाहबलूत में बड़ी मात्रा में कॉपर भी होता है, जो शरीर में आयरन को अवशोषित करने में एक बड़ी भूमिका निभाता है। इस तरह शाहबलूत हड्डियों के स्वास्थ्य और उन्हें मजबूती देने में अहम योगदान निभाता है।
यदि आप पाचन संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं तो आपके लिए शाहबलूत का सेवन करना काफी लाभकारी हो सकता है। चूंकि शाहबलूत में फाइबर अच्छी मात्रा में पाया जाता है। फाइबर कब्ज और दस्त दोनों तरह की समस्याओं को ख़त्म करने में लाभकारी होता है। फाइबर प्री बायोटिक की तरह काम करता है और पेट के अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करता है। इससे आपको पाचन से जुड़ी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है।
शरीर में आ चुकी पुरानी बीमारियां कब उभर जाए, इसका अंदाजा पहले से नहीं लगाया जा सकता है। इसकी वजह वे मुक्त कण होते हैं जो कोशकीय श्वसन क्रिया की वजह से शरीर में पैदा होते हैं। इन मुक्त कणों को खतरनाक माना जाता है क्योंकि ये कैंसर का कारण भी होते हैं। ये मुक्त कण कई पुरानी बीमारियों और ऑक्सीडेटिव तनाव का कारण भी बन सकते हैं। शाहबलूत में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट इन मुक्त कणों को खत्म करने में मदद करते हैं, जिससे आप कई समस्याओं से बच जाते हैं।
शाहबलूत में मौजूद पोटैशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने का एक सफल साधन है। पोटैशियम एक वासोडिलेटर के रूप में कार्य करता है, जो सामान्य खून के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है। इसके साथ ही पोटैशियम शरीर में पानी की गति को भी नियंत्रित करता है। इस वजह से शाहबलूत ब्लड प्रेशर को कम करने का एक सफल साधन है।
दिल के रोगों को ठीक करने में भी शाहबलूत एक अहम भूमिका निभाता है। दरअसल, वसा से शरीर में कोलेस्ट्रॉल संतुलित रहता है और शाहबलूत में वसा भरपूर मात्रा में होता हैं। ये शरीर में किसी भी सूजन को कम करते हैं जो स्ट्रोक, दिल के दौरे, रक्त के थक्के, आर्थ्रोस्क्लेरोसिस और कोरोनरी रोग का कारण बन सकता है। जिन लोगों के परिवार में हृदय रोग का इतिहास रहा है, वे हर दिन एक मुट्ठी इन स्वादिष्ट मेवों को खाकर लाभ उठा सकते हैं।
लाल रक्त कोशिकाएं, जिन्हें आरबीसी के रूप में भी जाना जाता है, रक्त में एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रकार की कोशिका हैं क्योंकि वे फेफड़ों से ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागों में ले जाती हैं। शाहबलूत में कॉपर होता है जो रक्तप्रवाह में आयरन के चयापचय और लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण की सुविधा प्रदान करता है। आरबीसी की सर्वोत्तम संख्या के बिना, ताजा ऑक्सीजन की कमी के कारण अंग खराब होने लगते हैं। इसके अलावा, कॉपर शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है क्योंकि इसके बिना व्यक्ति को एनीमिया, ऑस्टियोपोरोसिस और अनियमित दिल की धड़कन का खतरा हो सकता है।
शरीर में विटामिन-सी की कमी से स्कर्वी नामक बीमारी हो सकती है। थकान, हाथ और पैर में दर्द और मसूड़ों में बीमारियां इसके मुख्य लक्षण हैं। इसके अलावा स्कर्वी की वजह से कई और गंभीर बीमारियां भी हो सकती है जिनका समय पर इलाज न होने पर मृत्यु भी हो सकती है। स्कर्वी को रोकने का सबसे अच्छा तरीका यह सुनिश्चित करना है कि आपके आहार में पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी हो। इसके लिए शाहबलूत एक अच्छा माध्यम है, जो विटामिन सी से भरपूर होते हैं और इसलिए ये स्कर्वी को विकसित होने से रोकने में मदद कर सकते हैं।
शाहबलूत को आग पर भूनकर खाना सबसे आम तरीकों में से एक है। ऐसा करने से इसकी बाहरी परत आसानी से खुल जाती है और अंदर का सफ़ेद भाग जल जाता है। इसके अलावा इसे कई अन्य तरीकों से भी खाया जा सकता है।
इसको भोजन में मिलाने से यह स्वादिष्ट स्वाद देता है। इसके अलावा इसे पीसकर आटा भी बनाया जा सकता है और रोटी बनाकर खाया जा सकता है। इसे ऐसे भी खाया जा सकता है, बस ऊपर के कठोर छिलके को हटाने की जरुरत होती है। शाहबलूत को स्टीम्ड, ग्रिल्ड या डीप फ्राई भी किया जा सकता है। कई बार शाहबलूत को पीसकर इसे खाने में मिलाकर या मांस/सलाद पर छिड़काव करके भी इसे खाया जा सकता है।
शाहबलूत एक ज्ञात एलर्जेन हैं। जो लोग एलर्जी के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं, उन्हें इसे अपने दैनिक आहार में शामिल करने से पहले निश्चित रूप से डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। इससे होने वाली एलर्जी गंभीर भी हो सकती है जिसकी वजह से एक्जिमा, चकत्ते, खुजली और यहां तक कि सांस लेने में कठिनाई भी हो सकती है। कुछ लोगों को कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस भी हो सकता है, जिसमें इसको छूने के ठीक बाद त्वचा पर खुजली और रैशेज हो जाते हैं। इसलिए भले ही इस मेवे में उच्च पोषण मूल्य हो, लेकिन किसी को भी अपने आहार में शामिल करने से पहले काफी सावधानी बरतनी चाहिए।
शाहबलूत की उत्पत्ति एशिया माइनर में हुई थी, हालांकि अब वे हर जगह उगाए जाते हैं और लगभग पूरी दुनिया में पाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि 3,000 साल पहले भूमध्यसागरीय क्षेत्र में शाहबलूत लाने के लिए प्राचीन यूनानी जिम्मेदार थे। शाहबलूत सिंगल सीड्ड हैं और शेल द्वारा संरक्षित हैं। शाहबलूत का उत्पादन तब अधिक होता है जब वह दूसरे बलूत के पौधे के पास नहीं होते और और उन्हें सूरज की रोशनी, पानी और मिट्टी के पोषक तत्वों के लिए प्रतियोगिता नहीं करना पड़ता है।