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Last Updated: Mar 09, 2023
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सोयाबीन की फली के फायदे और साइड इफेक्ट्स | Edamame ke fayde aur iske side effects in hindi

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सोयाबीन की फली के फायदे और साइड इफेक्ट्स | Edamame ke fayde aur iske side effects in hindi

ऐसी कई सब्जियों की खेती की जाती है जो पौष्टिक तत्वों से भरपूर होते हैं। ऐसी ही एक सब्जी सोयाबीन की भी है। जी हां, सोयाबीन की गिनती विश्व की प्रसिद्ध सब्जियों में की जाती है। इस सब्जी को कई प्रकार के खाद्य उत्पादों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें सोया प्रोटीन, टोफू, सोयाबीन तेल, सोया सॉस, मिसो, नाटो और टेम्पेह भी शामिल है। इसके अलावा सोयाबीन को साबुत भी खाया जाता है और इसकी फलियां भी खाई जाती हैं। आज अपने इस लेख के माध्यम से हम आपको सोयाबीन की फलियों के फायदों के विषय में विस्तार से बताएंगे। साथ ही आपको इसके दुष्परिणाम की जानकारी भी देंगे। सबसे पहले जान लेते हैं कि ये सोयाबीन की फलियां होती क्या है।

क्या है सोयाबीन की फलियां

दरअसल, सोयाबीन का अपरिपक्व रूप सोयाबीन की फलियां होती हैं। लोग इन फलियों को सुबह के समय नाश्ते में खाना ज्यादा पसंद करते हैं। सोयाबीन की फली को अंग्रेजी में एडामेम कहते हैं। ये फलियां वे हरे रंग की होती हैं। वैसे तो सोयाबीन चीन की मूल निवासी है लेकिन अब इसकी पैदावार पूरे विश्व में की जाती है। एशिया की यह ऐसी फसल है जिसे पश्चिमी देशों में लोकप्रियता मिली है। वहां भी इसे आम तौर पर नाश्ते के रूप में खाया जाता है।

सोयाबीन की फलियों के पौषणिक मूल्य

सोयाबीन की फलियां कई प्रकार के पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती है और यह सेहत के लिए काफी गुणकारी होती हैं। इसे हम यूं भी समझ सकते हैं कि हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए डेली डायट में जितने प्रोटीन की आवश्यकता होती है,उसका लगभग 37% हमें अपने रोजमर्रा के भोजन में सोयाबीन की 100 ग्राम फलियां शामिल करने से प्राप्त हो जाती हैं। इसके अलावा यह पोटेशियम, मैग्नीशियम, विटामिन बी, विटामिन के, आयरन, फोलेट और आहार फाइबर जैसे गुणकारी तत्वों से भी विशेष रूप से समृद्ध हैं। यह इन पौष्टिक तत्वों की ही देन है जो सोयाबीन की फलियां कई प्रकार से हमारे स्वास्थ्य लाभ के लिए हितकारी है। यह फलियां हृदय रोग जैसी बीमारियों से तो हमारी रक्षा करने में अहम भूमिका निभाती ही है। साथ ही कोलेस्ट्रॉल को घटाने में भी कारगर है।

पोषण तथ्य प्रति 100 ग्राम

113 पानी
224 कैलोरी
0.37 प्रोटीन
13.8 कार्बोहाइड्रेट
8 फाइबर
20 % आयरन
10 % कैल्शियम
25 % मैग्नीशियम
26 % फॉस्फोरस
19 % पोटैशियम
115 % फोलेट
14 % राइबोफ्लेविन
27 % कॉपर

सोयाबीन की फली के स्वास्थ्य लाभ

सोयाबीन की फली के स्वास्थ्य लाभ

कई प्रकार के पौष्टिक तत्वों से भरपूर सोयाबीन की फली के सेवन के निम्नलिखित स्वास्थ्य लाभ हैं-

हृदय रोग से बचाने में कारगर

ज्यादातर हार्ट अटैक या हृदय रोग के मामलों की वजह शरीर में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना होता है। सोयाबीन की फली का सेवन शरीर में बढ़ते कोलेस्ट्रॉल को कम करने का एक सफल उपाय है। जो लोग प्रति दिन औसतन 25 ग्राम सोया प्रोटीन खाते हैं, उनमें कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल में लगभग 3-4% की कमी होती है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल के स्तर में होने वाला यह परिवर्तन हार्ट अटैक के जोखिम को कम करता भी है या नहीं। फिर भी, खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) हृदय रोग की रोकथाम के लिए सोया प्रोटीन के सेवन को मंजूरी देता है। सोयाबीन की फली सोया प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत तो है ही, इसके अलावा यह स्वस्थ फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट्स और विटामिन के में भी समृद्ध है। इस वजह से यह यौगिक हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकते हैं और रक्त लिपिड प्रोफाइल में सुधार कर सकते हैं। इसके साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स सहित वसा को कम करने का भी एक अच्छा उपाय है

ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखता है

सोयाबीन की फली ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ने से रोकने के लिए एक सफल उपाय है।दरअसल, जो लोग नियमित रूप से आसानी से पचने वाले कार्ब्स, जैसे कि चीनी का सेवन करते हैं, उनमें टाइप-2 ब्लड शुगर की समस्या का खतरा बढ़ सकता है।अन्य फलियों की तरह, सोयाबीन की फली ब्लड शुगर के स्तर को अत्यधिक नहीं बढ़ाता है। प्रोटीन और वसा के सापेक्ष कार्ब्स में यह कम है। यही वजह है कि सोयाबीन की फली को ब्लड शुगर की बीमारी झेल रहे लोगों के लिए उपयुक्त माना जाता है।

प्रोटीन का उच्च घटक है

स्वस्थ जीवन व्यतीत करने के लिए पर्याप्त प्रोटीन प्राप्त करना आवश्यक होता है। इसलिए लोगों को यह जानना बेहद जरूरी होता है कि दैनिक आधार पर जरुरी प्रोटीन की मात्रा की भरपाई के लिए वे क्या खा रहे हैं। वैसे तो मांसाहार की तुलना में पौधों से सम्बंधित खाद्य पदार्थों में प्रोटीन की मात्रा कम होती है लेकिन सोयाबीन की फली एक अपवाद है। दरअसल, सोयाबीन की फली एक अच्छे पौधे-आधारित प्रोटीन स्रोतों में से हैं। वास्तव में वे कई शाकाहारी आहारों की आधारशिला हैं। एक कप (160 ग्राम) पके हुए सोयाबीन की फली लगभग 18।4 ग्राम प्रोटीन प्रदान करता है। इसके साथ ही ये फली शरीर को आवश्यक सभी आवश्यक अमीनो एसिड प्रदान करते हैं।

ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम कम करता है

सोयाबीन की फली से भरपूर आहार खाने से स्तन कैंसर का खतरा कम होता है। इसकी वजह इसमें उच्च मात्रा में पाए जाने वाले पादप यौगिक हैं जिन्हे आइसोफ्लेवोन्स कहा जाता है। ये आइसोफ्लेवोन्स सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन जैसा दिखता है और शरीर की कोशिकाओं में स्थित रिसेप्टर्स को बांधने में सफल रहता है। आइसोफ्लेवोन्स महिलाओं को होने वाले ब्रेस्ट कैंसर की संभावनाओं को कम करने का एक सफल उपाय है। इसके अलावा यह संभावित रूप से पेरिमेनोपॉज के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं, जिसमें गर्म चमक और रात का पसीना शामिल है। इसी वजह से सोयाबीन की फली को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम करने के लिए सहायक माना जाता है।

मेनोपॉज की समस्या कम करता है

50 से 55 साल की उम्र के बीच ज्यादातर महिलाओं में पीरियड्स बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसी को मेनोपॉज के नाम से जाना जाता है। इस वजह से महिलाओं को गर्म चमक, मिजाज और पसीना जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है। हालांकि सोयाबीन की फलियों का सेवन करने से महिलाओं को होने वाली इन समस्याओं का स्तर कम हो सकता है। दरअसल, सोयाबीन की फली में मौजूद आइसोफ्लेवोन्स इन लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि यह जरूरी नहीं कि सभी महिलाओं को इससे लाभ हो। शोधों से पता चला है कि इन लाभों का अनुभव करने के लिए महिलाओं को सही प्रकार के गट बैक्टीरिया की आवश्यकता होती है।

ये बैक्टीरिया आइसोफ्लेवोन्स को इक्वोल में बदलने में सक्षम होते हैं। ये इक्वोल कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इन विशिष्ट प्रकार के गट बैक्टीरिया वाले लोगों को इक्वोल प्रोड्यूसर कहा जाता है। पश्चिमी देशों की तुलना में एशियाई आबादी में इक्वोल उत्पादक काफी महिलायें ज्यादा मौजूद हैं।

यही वजह है कि पश्चिमी देशों की महिलाओं की तुलना में एशियाई महिलाओं में मेनोपॉज से संबंधित लक्षणों का अनुभव होने की संभावना कम है। एशियाई आहार में सोयाबीन की फली की अधिक खपत एक भूमिका निभा सकती है।

प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम कर सकता है

सोयाबीन की फली केवल महिलाओं को ही लाभ नहीं पहुंचाती हैं बल्कि, पुरुषों में कैंसर से भी बचा सकती हैं। दरअसल, सोयाबीन की फली प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों को होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है। संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रत्येक 100 में से लगभग 13 पुरुष अपने जीवन में किसी न किसी समय प्रोस्टेट कैंसर से ग्रसित होते हैं। चूंकि सोयाबीन की फली में प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को कम करने का गुण होता है, इसलिए यह पुरुषों के लिए भी काफी फायदेमंद आहार साबित हो सकता है।

ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या को कम करता है

हड्डियों से जुडी समस्याओं को ऑस्टियोपोरोसिस नाम से जाना जाता है। इसमें हड्डी का नुकसान, भंगुर और भंगुर हड्डियों द्वारा चिह्नित स्थिति शामिल है जिससे हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है। विशेष रूप से यह स्थिति वृद्ध लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है। चूंकि सोयाबीन की फली आइसोफ्लेवोन्स से भरपूर होती हैं। इसलिए नियमित रूप से इसके सेवन से ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम कम हो सकता है।

सोयाबीन की फली के उपयोग

सोयाबीन की फली को कई तरह से जा सकता है। इसे हम सब्जी बनाकर या पकाकर खा सकते हैं। जबकि इसे कच्चा भी खाया जा सकता है। इसके अलावा इसे सूप के रूप में इस्तेमाल में लाया जा सकता है। सोयाबीन की फली को पानी में उबालकर भी खाया जा सकता है और इसके बीजों को अंकुरित करके भी उपयोग में लाया जा सकता है।

सोयाबीन की फली के साइड इफेक्ट्स

वैसे तो सोयाबीन की फली कई गुणकारी तत्वों का स्रोत है, लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं। हालांकि अगर सही मात्रा में इसका सेवन किया जाए तो नुक्सान से डरने की आवश्यकता है। ये साइड इफेक्ट्स निम्नलिखित हैं-

  • अधिक मात्रा में सोयाबीन की फली खाने से एलर्जी की समस्या ह सकती है।
  • इसका सेवन ज्यादा मात्रा में करने से यौन क्षमता भी प्रभावित हो सकती है
  • इससे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी बढ़ सकती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
  • इसमें फाइटोएस्ट्रोजेन गुण भी मौजूद हैं। इसलिए इसका सेवन अधिक मात्रा में करने से पुरुषों के स्पर्म की गुणवत्ता में कमी आ सकती है।

सोयाबीन की खेती

सोयाबीन की बुवाई मुख्य रूप से खरीफ सीजन में की जाती है। जून के प्रथम सप्ताह से इसकी बुवाई शुरू हो जाती है। हालांकि इसकी बुवाई के लिए सर्वोत्तम समय जून के तीसरे महीने से लेकर जुलाई के मध्य तक है। खेती के लिए गर्म और नम जलवायु में अच्छी रहती है। जबकि अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि इसकी खेती के लिए सबसे उपयोगी है। सोयाबीन की बुवाई पंक्तियों में करनी चाहिए जिससे फसलों का निराई करने में आसानी हो।

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Written By
PhD (Pharmacology) Pursuing, M.Pharma (Pharmacology), B.Pharma - Certificate in Nutrition and Child Care
Pharmacology
English Version is Reviewed by
MD - Consultant Physician
General Physician
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