अवलोकन

Last Updated: Feb 29, 2024

एंडोमेट्रियोसिस क्या होता है? लक्षण, कारण, परहेज और इलाज

एंडोमेट्रियोसिस के बारे में एंडोमेट्रियोसिस के प्रकार एंडोमेट्रियोसिस होने के लक्षण एंडोमेट्रियोसिस होने के कारण एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी के दौरान आपका खान: पान एंडोमेट्रियोसिस होने पर इन चीजों से करें परहेज एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या करे एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या ना करें घर पर ठीक कैसे करे एंडोमेट्रियोसिस के इलाज एंडोमेट्रियोसिस के इलाज की लागत निष्कर्ष

एंडोमेट्रियोसिस क्या होता है?

एंडोमेट्रियोसिस क्या होता है?

एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं में होने वाली एक आम स्वास्थ्य समस्या है। यह एक ऐसी चिकित्सा विकार है जिसमें यूटरस के अंदर पाए जाने वाले टिश्यू एंडोमेट्रियम टिश्यू की तरह ही बढ़ते हुए गर्भाशय के बाहर बढने लगते हैं। यह काफी पीड़ादायक और दर्दनाक स्थिति होती है।

एंडोमेट्रियोसिस की स्थिति में सामान्यतः ओवरी, फैलोपियन ट्यूब और पेल्विस की लाइनिंग करने वाले टिश्यू प्रभावित होते हैं। इस दौरान एंडोमेट्रियल, एंडोमेट्रियल टिश्यू की तरह काम करने लगता है।

यह हर पीरियड्स के साथ मोटा होने लगता है। टूट जाता है और ब्लीडिंग होने लगती है। इस टिश्यू के पास शरीर से बाहर निकलने का रास्ता ना होने के कारण यह शरीर के बाहर नहीं निकल पाता और फंस जाता है। इससे आसपास के टिश्यू पर दबाव पड़ता है और स्कार टिश्यू बनने लगते हैं। स्कार टिश्यू बनने से रेशेदार टिश्यू के बैंड बन जाते हैं। इससे पैल्विक टिश्यू और अंग एक दूसरे से चिपक भी सकते हैं।

अगर एंडोमेट्रियोसिस विकार में ओवरी प्रभावित हो तो कई सिस्ट भी बन जाते जिन्हें एंडोमेट्रियोमास कहा जाता है। एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिला को दर्द खासकर पीरियड्स के दौरान दर्द बेहद गंभीर हो जाता है। इससे प्रजनन समस्याएं भी विकसित हो सकती हैं। हालांकि इस समस्या का प्रभावी उपचार संभव है।

एंडोमेट्रियोसिस के प्रकार (Endometriosis Ke Prakaar)

एंडोमेट्रियोसिस के प्रकार (Endometriosis Ke Prakaar)

एंडोमेट्रियोसिस कहां पर स्थित है इस आधार पर इसे वर्गीकृत किया गया है। ये मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं:

सुपरफीशियल पेरीटोनियल लेश्यन

यह एंडोमेट्रियोसिस का सबसे आम प्रकार है। इससे पीड़ित महिलाओं के पेरिटोनियम पर लेश्यन (घाव) होते हैं। पेरिटोनिम एक पतली फिल्म होती जो पेल्विक कैविटी की लाइनिंग बनाती है।

एंडोमेट्रियोमा (ओवेरियन लेश्यन)

एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं के ओवरी (अंडाशय) की गहराई में गहरे, तरल पदार्थ से भरे हुए सिस्ट बनते हैं। इन सिस्ट को चॉकलेट सिस्ट भी कहा जाता है। इन पर उपचार का भी कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है। सामान्य उपचार से इन्हें ठीक नहीं किया जा सकता है। ये आसपास के स्वस्थ टिश्यू को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

डीपली इंफिल्ट्रेटिंग एंडोमेट्रियोसिस

एंडोमेट्रियोसिस के इस प्रकार में टिश्यू पेरिटोनियम के नीचे विकसित होता है। इसमें गर्भाशय के पास के अंग जैसे आंत या मूत्राशय भी शामिल हो सकते हैं। इस रोग से पीड़ित लगभग 1% से 5% महिलाओं में इस तरह का एंडोमेट्रियोसिस पाया जाता है।

एंडोमेट्रियोसिस होने के लक्षण (Endometriosis Ke Lakshan)

एंडोमेट्रियोसिस का सबसे प्राथमिक लक्षण पैल्विक दर्द है। यह अक्सर मासिक धर्म से जुड़ा होता है। वैसे तो बहुत सी महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान ऐंठन का अनुभव करती हैं पर जिन्हें एंडोमेट्रियोसिस विकार होता है उन्हें मासिक धर्म के दौरान होने वाला दर्द सामान्य ऐंठन से कहीं ज्यादा अधिक पीड़ादायी होता है। इस तरह का दर्द समय के साथ बढ़ भी सकता है।

एंडोमेट्रियोसिस के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • अति पीड़ादायक पीरियड्स: इस स्थिति में पैल्विक दर्द या ऐंठन पीरियड्स से पहले शुरू हो सकता है और कई दिनों तक रह सकता है। इससे पीड़ित महिला की पीठ के निचले हिस्से और पेट में दर्द हो सकता है।
  • संभोग में दर्द: एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं को सेक्स के दौरान या सेक्स के बाद दर्द हो सकता है। यह एक आम लक्षण है।
  • मल त्याग या पेशाब के साथ दर्द: पीरियड्स के दौरान इससे पीड़ित महिलाओं को मल त्यागने में और पेशाब करने में अधिक दर्द मेहसूस हो सकता है।
  • बहुत ज्यादा ब्लीडिंग: पारियड्स में कभी-कभी हैवी ब्लीडिंग (अंतरमासिक रक्तस्राव) हो सकती है।
  • बांझपन: यदि किसी दंपत्ति को संतान प्राप्ति नहीं हो रही है तो महिला में पाए जाने वाला सबसे आम कारणों एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है।
  • अन्य लक्षण: थकान, दस्त, कब्ज, सूजन या मतली का अनुभव, विशेष रुप ये लक्षण पीरियड्स के दौरान पीड़ित महिलाओं में देखने को मिलते हैं।

दर्द की गंभीरता या तीव्रता इस बात का निर्धारण नहीं करती है की एंडोमेट्रियोसिस की स्थिति कितनी गंभीर है। कई बार गंभीर दर्द के साथ हल्का एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है और कम या बिना दर्द के एडवांस स्टेज की एंडोमेट्रियोसिस की समस्या हो सकती है।

एंडोमेट्रियोसिस होने के कारण (Endometriosis Hone Ke Kaaran)

एंडोमेट्रियोसिस का कोई सटीक कारण नहीं है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके संभावित कारण निम्न हो सकते हैं:

  • रेट्रोग्रेड मेनस्यूरेशन: रेट्रोग्रेड मेंसुरेशन में मैनस्यूरल ब्लड जिसे शरीर के बाहर निकल जाना चाहिए वो फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से वापस पेल्विक कैविटी में चला जाता है। इस रक्त में एंडोमेट्रियल सेल भी मौजूद होते हैं। ये एंडोमेट्रियल कोशिकाएं पेल्विक कैविटी में पेल्विक की दीवारों और पेल्विक अंगों की सतहों से चिपक जाती हैं। यहां चिपके हुए भी वे बढ़ती हैं और प्रत्येक मासिक धर्म के दौरान मोटी होती जाती हैं। इस दौरान खून बहना जारी रखती हैं।
  • पेरिटोनियल सेल में बदलाव: इसे 'इंडक्शन थ्योरी' के रूप में भी जाना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि हार्मोन या इम्यून फैक्टर पेरिटोनियल कोशिकाओं के परिवर्तन को बढ़ावा देता है। यही कोशिकाएं पेट के अंदरूनी हिस्से को एंडोमेट्रियल जैसी कोशिकाओं में बदल देती हैं जिससे एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है।
  • भ्रूण कोशिकाओ में परिवर्तन: एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन भ्रूणीय कोशिकाओं को युवावस्था के दौरान एंडोमेट्रियल सेल में बदल सकते हैं। भ्रूणीय कोशिकाएं भ्रूण के विकास के शुरुआती चरणों के लिए उत्तरदायी होती हैं।
  • सर्जिकल स्कार इंप्लाटेंशन: हिस्टरेक्टॉमी या सी सेक्शन जैसी सर्जरी के बाद एंडोमेट्रियल कोशिकाएं सर्जिकल स्कार से जुड़ सकती हैं।
  • एंडोमेट्रियल सेल ट्रांसपोर्ट: ब्लड सेल्स या टिश्यू फ्लूइड (लिम्फैटिक) सिस्टम एंडोमेट्रियल कोशिकाओं को शरीर के अन्य भागों में ले जा सकती है।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली में विकार: प्रतिरक्षा प्रणाली में अगर किसी तरह की दिक्कत हो या फिर उसमें कोई विकार हो तो वो गर्भाशय के बाहर बढ़ने वाले एंडोमेट्रियल जैसे ऊतक को पहचानने की क्षमता खो देती है और इससे शरीर उन्हें नष्ट करने में असमर्थ हो जाता है।

एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी के दौरान आपका खान: पान (Aapki Diet Endometriosis Bimari ke Dooran)

एंडोमेट्रियोसिस और आहार के बीच एक सीधा संबंध है। ये बात एक शोध में भी सिद्ध हो चुकी है। शोध के मुताबिक जो महिलाएं फलों और सब्जियों का अधिक सेवन करती हैं उन्हें इस प्रकार की बीमारी होने की संभावना अपेक्षाकृत कम हो जाती है जबकि जो महिलाएं ऐसा आहार लेती हैं जिसमें रेड मीट की अधिकता हो उन्हें इसका खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

महिलाओं को भोजन में अधिक से अधिक ताजे फल और सब्जियों को शामिल करना चाहिए। सलाद और सब्जियां ज्यादा खाने से एंडोमेट्रियोसिस बीमारी का खतरा कम हो सकता है। फ्रूट चाट एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

एक अन्य शोध में ओमेगा- 3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे सैल्मन और अखरोट खाने से एंडोमेट्रियोसिस का खतरा कम होता है। अध्ययन से पता चला है कि जिन महिलाओं ने सबसे अधिक मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन किया है, उनमें एंडोमेट्रियोसिस विकसित होने की संभावना उन महिलाओं की तुलना में 22% कम होती है, जिन्होंने इसे कम मात्रा में लिया था।

एंडोमेट्रियोसिस होने पर इन चीजों से करें परहेज (Endometriosis hone par en cheezo se kare parhez)

  • विशेषज्ञों की मानें तो बीफ में मौजूद वसा की उच्च मात्रा प्रोस्टाग्लैंडीन का उत्पादन करने के लिए प्रेरित करती है, जिससे अधिक एस्ट्रोजन प्रोड्यूस हो सकता है। यह अतिरिक्त एस्ट्रोजन अतिरिक्त एंडोमेट्रियल टिश्यू के बढ़ने का कारण बनता है जिससे एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है।
  • ऐसी महिलाएं जो अधिक मात्रा में ट्रांस वसा का सेवन करती हैं, उनकी तुलना में कम ट्रांस फैट खाने वाली महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस होने का खतरा 48 प्रतिशत अधिक होता है।
  • शराब और कैफीन युक्त खाद्य व पेय पदार्थ का सेवन करने से बचें। ऐसा करने से एंडोमेट्रियोसिस के जोखिम से बचा जा सकता है।
  • सोडा पीने से एंडोमेट्रियोसिस विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में इस प्रकार के पेय पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए।

एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या करे (Endometriosis Hone par kya kare)

  • अपनी तकलीफ पर बात करें: ऐसी महिलाएं जिन्हें एंडोमेट्रियोसिस होने की आंशका वे इसके लक्षण पर नज़र रखें। इनकी तीव्रता या दर्द बढ़ने पर डॉक्टर को बताएं। इसके लक्षणों के बारे में बात करने में किसी भी प्रकार की कोई झिझक अपने अंदर न रखें।
  • व्यायाम: नियमित व्यायाम एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। एंडोमेट्रियोसिस के बेहतर प्रबंधन के लिए आपको नियमित व्यायाम, ध्यान और योग या किसी भी प्रकार की खेल गतिविधि में हिस्सा लेना चाहिए।
  • आहार: सुनिश्चित करें कि आप ताजे फल और सब्जियां अच्छी तरह से धोकर खाएं ताकि आप किसी भी कीटनाशक या पर्यावरण विषाक्त पदार्थों का सेवन न करें।
  • पीने का पानी: खुद को हाइड्रेट रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।

एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या ना करें (Endometriosis hone par kya Na Kare)

  • सहना नहीं है: यदि सेक्स के दौरान या सामान्य पीरियड्स के दिनों में दर्द अधिक है तो इसे सहना नहीं है। सेक्स के दौरान अगर दर्द हो रहा है तो उससे शर्माने की जरुरत नहीं है। अपने पार्टनर से इस संबंध में सारी जानकारी साझा करें और डाक्टर के पास जाए।
  • अपनी डाक्टर खुद ना बनें: खुद से अपना इलाज या डायगनोसिस करने की जरुरत नहीं है। यदि इससे संबंधित कोई लक्षण दिखता है तो इसका इलाज खुद से न करें। एंडोमिट्रियोसिस के मामले में विशेष तौर पर यह घातक हो सकता है।
  • अज्ञानता: किसी भी प्रकार के पैल्विक दर्द या मल त्याग करते समय होने वाली परेशानी को नज़रअंदाज़ न करें।
  • डिप्रेशन: समस्या के कारण होने वाली परेशानी के कारण उदास न हों। अपनी परेशानी साझा करें। डॉक्टर से सुझाव लें और सहायता प्राप्त करें।

एंडोमेट्रियोसिस को घर पर ठीक कैसे करे (Home Remedy for Endometriosis Treatment in Hindi)

  • गर्म सिकाई: गर्म सेंक किसी भई प्रकार के दर्द में बेहद मददगार साबित हो सकती है। यह सबसे अच्छे घरेलू उपचारों में से एक है। गर्मी पैल्विक मांसपेशियों को आराम दे सकती है, जिससे ऐंठन और दर्द कम हो सकता है। ऐंठन का प्रभावी ढंग से इलाज करने के लिए आप गर्म स्नान, गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड का उपयोग कर सकते हैं।
  • कैस्टर ऑयल: एंडोमेट्रियोसिस के इलाज के लिए कैस्टर आयल का उपयोग कई वर्षों से किया जा रहा है। इसका उपयोग शुरुआत में ही किया जा सकता है, जब पहली बार ऐंठन महसूस होती है, जिससे शरीर को अतिरिक्त ऊतकों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। यह महत्वपूर्ण है कि इस तकनीक का उपयोग पीरियड्स से पहले किया जाता है, न कि पीरियड्स के दौरान। कैस्टर तेल से सीधे पेट में मालिश करनी चाहिए। आप पैल्विक मांसपेशियों को आराम देने में मदद करने के लिए इसे लैवेंडर जैसे आराम देने वाले आवश्यक तेल की कुछ बूंदों के साथ भी इसे मिला सकते हैं।
  • हल्दी: हल्दी में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों का अनुभव करने वाले लोगों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। इसका उपयोग लंबी अवधि में एंडोमेट्रियोसिस को प्रबंधित करने के लिए भी किया जा सकता है। कुछ शोध में यह भी पाया गया है कि इसमें एंडोमेट्रियल विकास को बाधित करने की क्षमता है। एक कप पानी उबालकर उसमें एक चम्मच हल्दी और अदरक पाउडर दोनों को मिलाकर हल्दी की चाय बना सकते हैं। आप इसमें शहद और नींबू भी मिला सकते हैं। लक्षणों के हिसाब से इसे रोजाना दो से तीन बार पीने से आराम मिल सकता है।
  • पेल्विक मसाज: पैल्विक मांसपेशियों की मालिश करने से उन्हें आराम मिलता है और सूजन कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे ऐंठन कम हो जाती है। अच्छी क्वालिटी वाले लैवेंडर तेल की कुछ बूंदों का उपयोग करने से मांसपेशियों को और अधिक आराम मिल सकता है। एक बार में 10 से 15 मिनट तक प्रभावित जगह पर हल्के हाथों से मसाज करें। पैल्विक मालिश का उपयोग पीरियड्स से पहले करना चाहिए।
  • अदरक की चाय: एंडोमेट्रियोसिस वाले कुछ लोग इस स्थिति के परिणामस्वरूप मतली का अनुभव करते हैं। अदरक की चाय मतली के इलाज के लिए सबसे अच्छे घरेलू उपचारों में से एक है, और वैज्ञानिक रूप से इसके सुरक्षित और प्रभावी होने के प्रमाण हैं।

एंडोमेट्रियोसिस के इलाज (Endometriosis Ke Ilaaj)

एंडोमेट्रियोसिस का इलाज निम्न प्रक्रियाओं के आधार पर किया जा सकता है:

दर्द निवारक दवा: एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं के लिए डॉक्टर दर्द निवारक दवा दे सकते हैं। नॉन स्टेरायडल एंटी इंफ्लेमेट्री ड्रग्स (एनएसएआईडी) भी दी जा सकती है। कुछ महिलाओं को नेप्रोक्सन से पीरिड्स के दर्द में राहत मिलती है।

हार्मोन थेरैपी: हार्मोन थेरेपी आपके शरीर द्वारा निर्मित एस्ट्रोजन की मात्रा को कम करती है और पीरियड्स को रोक सकती है। यह घावों से खून बहने को कम करने में मदद करती है ताकि ज्यादा सूजन, स्कार और पुटी का निर्माण न हो। इनमें जन्म नियंत्रण की गोलियां, पैच और वजाइनल रिंग्स,जीएन आरएच एगोनिस्ट और डानाज़ोल (डैनोक्राइन) आदि शामिल हैं।

सर्जरी: यदि आपको एंडोमेट्रियोसिस से गंभीर दर्द होता है, तो आपको सर्जरी की सलाह दी जा सकती है। हालांकि, सर्जरी के बाद भी एंडोमेट्रियोसिस और दर्द दोबारा हो सकता है।

कंजर्वेटिव सर्जरी: यदि एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिला गर्भवती होने की कोशिश कर रही हो तो गर्भाशय और और ओवरी को संरक्षित करते हुए एंडोमेट्रियोसिस प्रत्यारोपण को हटाने के लिए (कंज़र्वेटिव सर्जरी) की जा सकती है।

पारंपरिक सर्जरी: अधिक व्यापक मामलों में डॉक्टर पारंपरिक पेट की सर्जरी कर सकते हैं। इसे सामान्य विधि और लैप्रोस्कोपिक दोनों तरह से किया जा सकता है। एंडोमेट्रियोसिस के गंभीर मामलों में भी लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का इस्तेमाल किया जा सकता है।

लैप्रोस्कोपिक सर्जरी: इस दौरान सर्जन नाभि के पास एक छोटे चीरे के माध्यम से एक पतला लैप्रोस्कोप उपकरण डालता है और एक अन्य छोटे चीरे के माध्यम से एंडोमेट्रियल ऊतक को हटाने के उपकरण शामिल करता है। सर्जरी के बाद, डॉक्टर दर्द को कम करने के लिए हार्मोन थेरेपी की सलाह दे सकते हैं।

हिस्टरेक्टॉमी: यूटेरस (हिस्टेरेक्टॉमी) और ओवरी (ओओफोरेक्टॉमी) को हटाने के लिए सर्जरी को एंडोमेट्रियोसिस के लिए प्रभावी उपचारों में एक माना जाता है। अंडाशय को हटाने से तुरंत मीनोपॉज हो जाता है। अंडाशय द्वारा उत्पादित हार्मोन की कमी से कुछ महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस दर्द में सुधार हो सकता है, लेकिन अधिकांश मामलो में एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण बने रहते हैं। प्रारंभिक रजोनिवृत्ति में हृदय और रक्त वाहिका (हृदय) रोग, चयापचय स्थितियां और मृत्यु का जोखिम भी हो सकता है।

गर्भाशय को हटाने (हिस्टेरेक्टॉमी) का उपयोग कभी-कभी एंडोमेट्रियोसिस से जुड़े संकेतों और लक्षणों के इलाज के लिए किया जा सकता है, जैसे कि भारी मासिक धर्म रक्तस्राव और गर्भाशय में ऐंठन कारण दर्दनाक मासिक धर्म। यहां तक ​​​​कि जब अंडाशय को जगह में छोड़ दिया जाता है, तब भी एक हिस्टेरेक्टॉमी का स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है, खासकर यदि सर्जरी 35 वर्ष की आयु से पहले हुई हो।

एंडोमेट्रियोसिस के इलाज की लागत (Endometriosis ke Ilaaj ka Kharcha)

एंडोमेट्रियोसिस के इलाज की लागत इस बात पर निर्भर करती है कि बीमारी कितनी पुरानी है। कितनी गंभीर है और किस प्रकार की एंटोमेट्रियोसिस से रोगी पीड़ित है। इसकी लागत 15 हजार से लेकर 80 हजार तक हो सकती है।

निष्कर्ष

निष्कर्ष: एंडोमेट्रियोसिस एक सामान्य, एस्ट्रोजन पर निर्भर, पुराना स्त्रीरोग संबंधी विकार है। यह यूट्रीन कैविटी के बाहर यूट्रीन एंडोमेट्रियल टिश्यू की उपस्थिति के कारण होने वाली स्थिति है। एंडोमेट्रियोसिस सतही और गहरी पेल्विक पेरिटोनियल इम्प्लांट, आसंजन, और डिम्बग्रंथि के सिस्ट (एंडोमेट्रियोमास) के रूप में उपस्थित हो सकता है। एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों में पैल्विक दर्द और बांझपन शामिल है। एंडोमेट्रियोसिस के लिए अतिसंवेदनशील महिलाओं में विकसित होने वाले संबंधित विकारों की निगरानी के लिए मल्टी डिसिप्लिनरी देखभाल और लॉन्ग टर्म फॉलोअप की आवश्यकता होती है।

इसकी गंभीरता इसके इलाज पर निर्भर करती है। कुछ मामलों में दवा और हार्मोन थेरैपी से काम चल जाता है पर इसे पूरी तरह ठीक करने में सर्जरी बेहतर विकल्प होती है।

Frequently Asked Questions (FAQs)

  • रक्त के ऑक्सीकरण से भूरे रंग का स्राव होता है। एंडोमेट्रियोसिस जैसी स्थितियों में, एंडोमेट्रियल टिश्यू योनि से बाहर नहीं निकल सकता है और फंस जाता है, जो ऑक्सीकरण का कारण बनता है और इसलिए, भूरे रंग का डिस्चार्ज होता है।
  • एंडोमेट्रियोसिस लेज़्नस गर्भाशय की लाइनिंग के सामान होते हैं, जिसका अर्थ है कि उनमें सूजन आ सकती है और ब्लीडिंग हो सकती है। हालांकि, ये शरीर में फंस जाते हैं जिससे सूजन, दर्द और परेशानी होती है। इसके अलावा, यदि ये लेज़्नस जीआई ट्रैक्ट के करीब हैं, तो आप मतली या उल्टी में वृद्धि देख सकते हैं।
  • एंडोमेट्रियोसिस अक्सर एक हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है जिससे नींद में व्यवधान हो सकता है। हॉट फ्लैशेस, चिंता और अनिद्रा जैसे लक्षण इन समस्याओं में और योगदान करते हैं। उचित नींद की कमी के बिना, एक महिला एंडोमेट्रियोसिस दर्द के बढ़े हुए प्रभावों को महसूस करने के लिए बाध्य है।
  • एंडोमेट्रियोसिस के मामले में, किसी महिला में एस्ट्रोजन और स्ट्रेस हार्मोन का उच्च स्तर और प्रोजेस्टेरोन का निम्न स्तर होता है। इस हार्मोनल असंतुलन के कारण एंडो फ्लेयर-अप होते हैं। इसके अलावा, तनाव, नींद की कमी और इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थ इन एंडोमेट्रियोसिस फ्लेयर-अप को बढ़ावा दे सकते हैं।
  • एडेनोमायोसिस में, एंडोमेट्रियल टिश्यू गर्भाशय की मांसपेशियों में बढ़ता है, जबकि एंडोमेट्रियोसिस में, टिश्यू गर्भाशय की बाहरी दीवार पर बढ़ता है। एंडोमेट्रियोसिस में, आपकी पेल्विक की साइड वॉल्स, फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय भी प्रभावित हो सकते हैं।
  • एंडोमेट्रियोसिस का औपचारिक रूप से पता लगाने और निदान करने के लिए आपके डॉक्टर को कोलोनोस्कोपी करने की आवश्यकता होती है। उपकरण डॉक्टर को घावों के लिए आपके गर्भाशय ग्रीवा को बारीकी से विज़ुअलाइज़ करने और जांच करने की अनुमति देता है, जो एंडोमेट्रियोसिस का एक स्पष्ट इन्डिएक्टर होता है।
  • एंडोमेट्रियोसिस वाली महिलाएं बांझपन का अनुभव कर सकती हैं, लेकिन हल्के स्तर के मामलों में, उनके लिए गर्भवती होना संभव है। हालांकि, गंभीर मामलों में, यह बांझपन का कारण बन सकता है और महिला की प्रजनन करने की क्षमता को खराब कर सकता है।
लोकप्रिय प्रश्न और उत्तर

I have pcos. I have taken ovral g from the last day of my menstruation i.e 2 june to 22 june. Missed one pill on 4th june. Had unprotected sex on 13th and 14th june. Is there a chance to pregnancy? When will I have my withdrawal bleeding?

MBBS, MS - Obstetrics & Gynaecology
Gynaecologist, Jaipur
Hello welcome to. Lybrate ,you will be not pregnant as you have missed one pill on 4 th june which was your safe period. If any more issue you can connect with me online also.

I am 23 now. I am going to getting married within few months. have tiny ovarian cysts. My uterus is normal. Now I am taking ovral l tablet. Is it affect my pregnancy.

MBBS, MS - Obstetrics & Gynaecology
Gynaecologist, Jaipur
Dear user, I have read your issue and come to know that you want to start ovral l ocp, start from 5 th day of periods at fixed time daily for 21 days stop and restart again from 5 th day,

Hello doctor, I have pcod, doctor given me met innovfol. It's been 6 days having this tablet. My last period was 7th april & now on 2nd may I found brown spotted. It's very light. Is this periods or any side effects of the tablet. Please suggest.

MD - Obstetrtics & Gynaecology, FCPS, DGO, Diploma of the Faculty of Family Planning (DFFP)
Gynaecologist, Mumbai
Pcos is a disease where there is a hormonal imbalance. Depending on your complaints, examination, reports, and stage of life treatment differs, and it also needs more time to get yourself treated with patience. Meet gynecologist in whom you have t...
लोकप्रिय स्वास्थ्य टिप्स

Oral Pills As Contraception - Myths & Facts!

MBBS, DGO - Gynaecology & Obstetrics
Gynaecologist, Indore
Oral Pills As Contraception - Myths & Facts!
Oral contraceptives (the pill) are hormonal pills which are usually taken by women on a daily basis for contraception. They contain either two hormones combined (progestogen and estrogen) or a single hormone (progestogen). When to start? - Usually...
1934 people found this helpful

Know More About PCOS & Endometriosis!

MD - Obstetrtics & Gynaecology, MBBS, Masters in Aesthetic Gynaecology
Gynaecologist, Bangalore
Know More About PCOS & Endometriosis!
Polycystic Ovarian Syndrome and Endometriosis are common gynecological disorders. According to recent estimates, 5-10% of women are affected by these disorders. Teenage girls and childbearing women are more prone to these problems. Recently, vario...
1923 people found this helpful

Role Of Lasers In Gynaecology - Know The New Trend!

MD - Obstetrtics & Gynaecology, MBBS, Masters in Aesthetic Gynaecology
Gynaecologist, Gurgaon
Role Of Lasers In Gynaecology - Know The New Trend!
The CO2 Laser Treatment was first used for the treatment of gynecological disorders in 1973. It was used for treating gynecological disorders including cervical intraepithelial neoplasia and microsurgery of the fallopian tube. Gynecological disord...
1871 people found this helpful

Uterine Fibroids - Types & Diagnosis Of It!

MBBS, MD - Obstetrics & Gynaecology, Diploma in Reproductive Medicine & Embryology, Fellowship in Gynaecology Endoscopy, certificate of achievement in aesthetic and functional gynecology 2018
Gynaecologist, Raipur
Uterine Fibroids - Types & Diagnosis Of It!
Uterine fibroids are benign tumours that develop within the uterus during a woman s reproductive years when the levels of oestrogen hormone are high. These are usually seen developing between 16-50 years of age and affect nearly 30% of all women b...
3989 people found this helpful

Ovarian Hyper-Stimulation Syndrome (OHSS) - How Does IVF Cause It?

MBBS Bachelor of Medicine and Bachelor of Surgery, DNB - Obstetrics & Gynecology, DGO
IVF Specialist, Delhi
Ovarian Hyper-Stimulation Syndrome (OHSS) - How Does IVF Cause It?
Ovarian Hyper Stimulation Syndrome is noticed in women who are administered hormone medicines through injections. These medicines trigger the development of eggs in the woman s ovaries. This condition can be a side effect of IVF. It causes the ova...
4930 people found this helpful
Content Details
Written By
Bachelor of Ayurveda, Medicine and Surgery (BAMS)
Gynaecology
Play video
Things You Should Know About IVF
Hi, I am Dr. Prerna Gupta, IVF Specialist, Dr Prerna Gupta MD AIIMS clinic, Delhi. Today I will talk about IVF consult ke baare mein. Aaj hum janenge ki jab hum IVF Dr ke pass jaate hain toh humein kya kya chizen le jaani chaiye. Kya kya reports h...
Play video
Polycystic Ovary Syndrome (PCOS)
Hi, I am Dr. Rupali, IVF Specialist, Chikitsa Hospital, Indraprastha Apollo Hospital, & Apollo Cradle Royale, Delhi. Today I will talk about PCOS. Aaj kal ke time mein ye bahut hi common diagnosis ban gaya hai. Ye middle class and upper-middle cla...
Play video
PCOS - How To Manage It?
Hi, I am Dr. Rupali, IVF Specialist, Chikitsa Hospital, Indraprastha Apollo Hospital & Apollo Cradle Royale, Delhi. Today I will talk about the management of PCOS. This management depends on the patient. The first line of management for every pati...
Play video
Minimally Invasive Surgery In Gynaecology
Hi, I am doctor Uddhavraj Dudhedia. I am a gynecologic, endoscopic, robotic oncosurgeon. Gynaecology has specialised into a lot of superb specialities and right from the beginning my area of interest was minimally invasive surgery, so many women w...
Play video
Know More About Infertility
Hello, Today we are going to discuss what exactly is infertility and what are the causes behind it? and basically in today's topic we are going to discuss the causes in women which are responsible for her being infertile or we call it subfertile. ...
Having issues? Consult a doctor for medical advice