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Last Updated: Dec 06, 2022

हृदय (एनाटॉमी): डायग्राम, कार्य, रोग, उपचार

हृदय का चित्र | Heart Ki Image हृदय का कार्य | Dil Ke Kaam हृदय के रोग | Dil Ki Bimariya हृदय की जांच | Dil Ke Test हृदय का इलाज | Dil Ki Bimariyon Ke Ilaaj हृदय की बीमारियों के लिए दवाइयां | Dil ki Bimariyo ke liye Dawaiya

हृदय का चित्र | Heart Ki Image

हृदय का चित्र | Heart Ki Image

हृदय शरीर का एक महत्त्वपूर्ण अंग है जो इंसान में छाती के मध्य में, थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है। यह पूरे शरीर में रक्त को पंप करता है। यह हृदय प्रणाली का निर्माण करने वाली आर्टरीज़ और कोशिकाओं का बड़ा जाल होता है।

हृदय के अलग-अलग भाग

  • दायां एट्रियम: यह दो भागों में विभाजित होता है, हृदय के ऊपरी और निचले क्षेत्रों से दाहिने एट्रियम में ऑक्सीजन रहित ब्लड को पहुंचाता है।
  • दायां वेंट्रिकल: दायां वेंट्रिकल, पल्मोनरी आर्टरी में ऑक्सीजन रहित ब्लड पंप करता है, जो आगे फेफड़ों से पास करता है।
  • बायां एट्रियम: फेफड़ों द्वारा ऑक्सीजन युक्त ब्लड को पल्मोनरी वेन्स के माध्यम से बाईं ओर के आर्टरिया में ले जाया जाता है, जिसे बाद में बाएं वेंट्रिकल में पास किया जाता है।
  • बायां वेंट्रिकल: ऑक्सीजन युक्त रक्त को महाधमनी (एओर्टा) नामक बड़ी धमनी में पंप किया जाता है। बाएं वेंट्रिकल का आकार बड़ा होता है, इसमें हृदय के अन्य सभी क्षेत्रों की तुलना में अधिक आंशिक दबाव होता है।
  • हृदय का वाल्व: वाल्व वे मार्ग होते हैं जो हृदय के विभिन्न भागों में ब्लड को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। वे दो प्रकार के होते हैं, अर्थात, एट्रियोवेंट्रिकुलर वाल्व और सेमिलुनर वाल्व।
  • माइट्रल वाल्व: बायां एट्रियम और वेंट्रिकल के बीच में एक दो-फ्लैप वाल्व होता है जिसे माइट्रल वाल्व कहा जाता है।
  • एओर्टिक वाल्व: जब बाएं वेंट्रिकल द्वारा दबाव बढ़ाया जाता है यह तब खुलता है और ब्लड को वेंट्रिकल से एओर्टा तक पंप किया जाता है।
  • पल्मोनरी वाल्व: यह तब खुलता है जब दाएं वेंट्रिकल में दबाव बढ़ जाता है और पल्मोनरी आर्टरीज में ब्लड पंप किया जाता है।

हृदय का कार्य | Dil Ke Kaam

हमारे हृदय का प्रमुख काम है धमनियों के माध्यम से ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से भरपूर ब्लड को टिश्यू और शरीर के अन्य हिस्सों तक पंप करते हुए पहुंचाना। हृदय के ब्लड पंप के चक्र को हृदय चक्र कहा जाता है। हृदय एक पम्प की तरह कार्य करता है जो शरीर खून को अन्दर खींचता है तथा आर्ट्रीज के द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचता है। हृदय शरीर की विभिन्न कोशिकाओं के बीच पोषक तत्वों का संचार करता है। हृदय शरीर के सभी हिस्सों से महाशिरा के द्वारा अशुद्ध खून की दॉए एट्रियम में इकट्ठा करता है।

हृदय से शरीर के हर दूसरे क्षेत्र में ऑक्सीजन युक्त रक्त के संचार के लिए प्रणालीगत सर्कुलेशन आवश्यक है। इसके बाद दाएं वेन्ट्रिकल के संकुचित होने पर रक्त पल्मोनरी वाल्व से होकर पल्मोनरी आर्टरीज होते हुए आगे जाकर उपशाखाओं में बंट जाता है, जिसे दांयी एवं बांयी पल्मोनरी आर्टरीज कहा जाता है। इन धमनियों का कार्य है अशुद्ध रक्त को शुद्ध करने के लिए पल्मोनरी तक ले जाना है।

हृदय के रोग | Dil Ki Bimariya

  • कार्डियोमायोपैथी: यह एक ऐसी समस्या है जहां, धम्निया मांसपेशियां बड़ी और मोटी हो जाती है।
  • एथेरोस्क्लेरोसिस: यह एक समस्या है जाहां धम्निय सख्त हो जाती है।
  • स्थिर एनजाइना पेक्टोरिस: यह स्थानीयकृत सीने में दर्द है जो परिश्रम के साथ बढ़ता है, या तेज गतिविधियां करने से बढ़ता है।
  • अस्थिर एनजाइना पेक्टोरिस: सीने में दर्द होता है जो आराम करने के साथ और खराब होता है, यह दर्द, मायोकार्डियल इन्फार्क्शन और हार्ट ब्लॉक से पहले हो सकता है।
  • मायोकार्डियल इंफार्क्शन (हार्ट अटैक): यह एक ऐसी स्थिति है जो मायोकार्डियल टिश्यू के पूरी तरह से बंद हो जाने के कारण होती है।
  • कोरोनरी आर्टरी डिजीज: इसे कोरोनरी हृदय रोग कहा जाता है, यह हृदय रोगों में बेहद आम रोग है। यह बीमारी धमनियों में मैल जमा होने के कारण होती है, जो हृदय में रक्त के बहाव को रोक कर हार्ट फेलियोर और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा देता है।
  • कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर: इस बीमारी में, पूरे शरीर में ब्लड के अप्रभावी पंपिंग के कारण हृदय की इलेक्ट्रो मायोजेनिक प्रणाली कमजोर हो जाती है या कठोर हो जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ और पेडल एडिमा होती है।
  • मायोकार्डिटिस: इस स्थिति में, हृदय की मायोजेनिक कोशिकाओं को सूजन का सामना करना पड़ता है, यह ज़ोरदार काम या वायरल संक्रमण के कारण होता है।
  • एट्रियल फिब्रिलेशन: इस स्थिति में सिनोएट्रियल नोड में विसंगति के कारण, अचानक विद्युत आवेग का विकास अनियमित दिल की धड़कन का कारण बनता है।
  • माइट्रल स्टेनोसिस (एमएस): यह मुख्य रूप से रूमेटिक बुखार के कारण होता है, जो माइट्रल वाल्व के कठोरता का कारण बनता है।
  • वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (वीएसडी): यह जन्म के समय पाए जाने वाले जन्मजात विकार के सबसे सामान्य रूपों में से एक है, लेकिन बचपन के दौरान भी इसका निदान किया जाता है।

हृदय की जांच | Dil Ke Test

  • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी): इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम आपके हार्ट की लय तथा विद्युतीय क्रियाओं को जांचने का एक सामान्य टेस्ट होता है। यह हृदय की गतिविधि के मूल्यांकन के लिए किया जाने वाला एक प्राथमिक टेस्ट है।
  • इकोकार्डियोग्राम: इकोकार्डियोग्राम या इको एक प्रकार का स्कैन है जो हृदय और उसके पास की धमनियों को देखने के लिए इस्तेमाल होता है।
  • कार्डिएक स्ट्रेस टेस्ट: एक हृदय रोग विशेषज्ञ कोरोनरी धमनी रोग, अनियमित हृदय गति और अन्य हृदय रोगों या विकारों जैसी स्थितियों की जांच के लिए टेस्ट है। कार्डिएक स्ट्रेस टेस्ट एक ऐसा टेस्ट है जो शारीरिक गतिविधि जैसे कठिन समय के दौरान हृदय की कार्यप्रणाली की जांच करता है।
  • होल्टर मॉनिटर: होल्टर मॉनिटर एक इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी उपकरण है जिसका उपयोग लय को ट्रैक करने और दिल की धड़कन को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है। अतालता का संदेह होने पर पोर्टेबल कार्डियक मॉनिटर पहना जा सकता है। यह हृदय की गतिविधि पर लगातार नजर रखने के लिए एक विशिष्ट उपकरण होता है।
  • इवेंट मॉनिटर: जब असामान्य अर्थिमिया का संदेह होता है, तो डॉक्टर इवेंट मॉनिटर, रोगी द्वारा पहने जाने वाले पोर्टेबल कार्डियक मॉनिटर की सलाह देते हैं। फिर कार्डियक अर्थिमिया की स्थिति में उत्तेजना गतिविधि दर्ज की जाती है, और विकार का उचित निदान किया जा सकता है।

हृदय का इलाज | Dil Ki Bimariyon Ke Ilaaj

  • एंजियोप्लास्टी या पीटीसीए (पेरक्यूटेनियस ट्रांसल्यूमिनल कोरोनरी एंजियोप्लास्टी): यदि आपके हृदय की रक्त धमनियां संकरी हैं तो हृदय एंजियोप्लास्टी किया जा सकता है, इसे पीटीसीए (परकुटेनियस ट्रांसलुमिनल कोरोनरी एंजियोप्लास्टी) या बैलून एंजियोप्लास्टी भी कहते हैं।
  • थ्रोम्बोलिसिस: रोगी को अंतःशिरा इंजेक्शन के माध्यम से विशिष्ट थ्रोम्बोलाइटिक दवाएं दी जाती हैं, जो थक्के को ठीक करती है, जिससे हृदय संबंधी जटिलताएं पैदा होती हैं।
  • AED (ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर): कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति में, AED का उपयोग हृदय की लय का आकलन करने के लिए किया जाता है और यह आर्टिफीसियल इलेक्ट्रिकल इम्पल्स द्वारा हृदय को उत्तेजित कर सकता है।

हृदय की बीमारियों के लिए दवाइयां | Dil ki Bimariyo ke liye Dawaiya

  • लिपिड-लोअरिंग एजेंट्स: एटोरवास्टेटिन और रोसुवास्टेटिन जैसी दवाएं, स्टैटिन के वर्ग से संबंधित हैं, एथेरोस्क्लेरोसिस और आर्टेरिओस्क्लेरोसिस के उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होती हैं।
  • एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स: वे ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने वाले एंजेल टेंडन मेटाबोलिज्म के घटने का कारण बनते हैं और कार्डियक को बनाए रखते हैं विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा उपयोग किए जाने वाले कुछ दवा साल्ट्स हैं: वाल्सर्टन, कैंडेसर्टन, लोसार्टन।
  • एस्पिरिन: यह रक्त के थक्कों के गठन को रोकने के लिए सबसे पहले जो दवा दी जाती है: वो एस्पिरिन है। यह दवा दिल के दौरे के जोखिम को भी कम करती है।

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Written By
PhD (Pharmacology) Pursuing, M.Pharma (Pharmacology), B.Pharma - Certificate in Nutrition and Child Care
Pharmacology
English Version is Reviewed by
MD - Consultant Physician
General Physician
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