पाइलोनाइडल साइनस आपके दोनों नितंबों के बीच में टेलबोन के पास होता है। पायलोनाइडल सिस्ट तब होती है जब इस साइनस की त्वचा में एक असामान्य पॉकेट बन जाती है।इस पॉकेट में बाल औऱ त्वचा या धूल के कण इकट्ठा हो जाते हैं ।इस पॉकेट में बाल त्वचा में छेद करके अंदर ही गड़ जाते हैं जो सिस्ट का रूप ले लेती है। कई लोगों में इस सिस्ट में संक्रमण हो जाता है और उसमें पस बनने लगता है।यह काफी दर्दनाक स्थिति होती है। समस्या गंभीर होने पर इस सिस्ट में चीरा लगाकर इसका पस निकाला जाता है।ज़रूरत पड़ने पर सर्जरी का माध्यम से इसे निकाल दिया जाता है। पायलोनाइडल सिस्ट अकसर युवकों में देखने मिलती है वो भी खास तौर से उन लोगों में जो अधिक देर तक बैठकर काम करते हैं।
पायलोनाइडल साइनस में सिस्ट के संक्रमित होने पर यह एक सूजन से भरा फोड़ा सा बन जाता है। किसी को पाइलोनाइडल सिस्ट का संक्रमण है अगर उसको निम्नलिखित लक्षण दिखते हैं:
पायलोनाइडल साइनस असल में क्यों होता है इसका कारण अब तक ज्ञात नहीं किया जा सका है। अब तक किए शोधों से ये पता चलता है कि कि नितंबों की दरार की शुरुआत में मौजूद इनग्रोन बालों के कारण इस साइनस में पायलोनाइडल सिस्ट बनता है।
सिस्ट में अनचाहे कण जमा हो जाने पर संक्रमण हो जाता है और पस बनने लगता है। ये अनचाहे कण हवा, बाल त्वचा के कण भी हो सकते हैं। धीरे धीरे ये एक फोड़ा बन जाता है और स्थिति काफी दर्दनाक होती है।
पायलोनाइड साइनस के दौरान सही खानपान रखने से आपको कुछ आराम मिल सकता है। हालांकि पायलोनाइड साइनस के सिस्ट का सबसे सटीक इलाज सर्जरी ही है। पर सही आहार लेने से आपके साइनस का संक्रमण बदतर हो सकता है जो आपकी समस्या बढ़ा सकता है। पायलोनाइडल सिस्ट के रोगी इन चीज़ों का सेवन कर स्थिति को नियंत्रित रख सकते हैं।
पायलोनाइडल सिस्ट होने पर कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
सबसे पहले तो स्वच्छता का ध्यान रखना ज़रूरी है।साइनस में संक्रमण से बचने के लिए अपने नितंब के साथ आसपास के क्षेत्र को भी साफ और सूखा रखें। रोजाना हल्के हाथों से सौम्य साबुन का इस्तेमाल कर प्रभावित क्षेत्र की सफाई करें। ज्यादा केमिकल्स वाले साबुन का प्रयोग न करें क्योंकि वे पाइलोनाइडल साइनस में जलन का कारण बन सकते हैं।
ठीले ठाले आरामदायक औऱ सूती कपड़े पहनें। कसे कपड़ों और अंडरगार्मेंट्स से सिस्ट में रगड़ लग सकती है और जलन हो सकती है। इसलिए ऐसे कपड़े पहनें जिनसे हवा का आवागमन बना रहे। सूती कपड़े आपको आराम पहुंचाएंगे।
सिट्ज़ बाथ से आपको काफी राहत का एहसास हो सकता है।नहाने के गुनगुने पानी में थोड़ा एप्सम सॉल्ट मिलाने से संक्रमित पाइलोनिडल साइनस में आराम मिलेगा औऱ मवाद भी निकल जाएगा। इससे दर्द, खुजली और जलन में भी राहत मिल सकती है ।
सिस्ट से प्रभावित क्षेत्र पर गर्म गीले कपड़े से सिंकाई करने से काफी आराम मिल सकता है।इससे दर्द और खुजली से भी राहत मिलती है। आप दिन में तीन से चार बार हॉट कंप्रेस लगाएं।
पाइलोनाइडल साइनस की शुरुआत में डॉक्टर इसे संक्रमित होने से बचाने के लिए एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारक लेने की सलाह दे सकते हैं। इन दवाओं को समय से लेना सुनिश्चित करें।
पायलोनाइडल सिस्ट होने पर कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए जैसे-
अगर आप पायलोनाइडल सिस्ट से पीड़ित हैं तो लगातार बैठे रहना आपके लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसा करने से पसीना और अन्य अवांछित कण आपके सिस्ट में जमा हो सकते हैं। इनसे सिस्ट में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
अपने नितंब और आसपास के क्षेत्र को दबाव से मुक्त रखें। अगर सिस्ट के क्षेत्र पर दबाव पड़ेगा तो सिस्ट के अंदर अनचाहे कणों के जाने का खतरा बढ़ जाएगा। साथ ही रगड़ लगने से भी रोग बढ़ सकता है।
इस रोग में रोगी को अत्यधिक व्यायाम और भारी वज़न उठाने से बचना चाहिए। ऐसा कने से आपके सिस्ट से प्रभावित क्षेत्र पर दबाव पड़ेगा और समस्या बढ़ सकती है।
सिस्ट को छूने या न फोड़ा समझकर फोड़ने की कोशिश बिलकुल ना करें। अगर आपको मवाद निकालने की ज़रूरत महसूस होती है तो चिकित्सक की मदद लें ।
टी ट्री ऑयल
टी ट्री ऑयल त्वचा के लिए जादुई गुणों से भरपूर है।इसके एंटीऑक्सिडेंट,एंटी फंगल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण इसे त्वचा संबंधित रोगों के लिए बेहद कारगर बनाते हैं। पायलोनाइडल सिस्ट में इसका उपयोग करने के लिए इस तेल को रूई पर लगाकर प्रबावित क्षेत्र पर हल्के हाथों से लगाएं।
प्याज़
प्याज़ में मौजूद एंटीमाइक्रोबियल गुण किसी भी प्रकार के संक्रमण को नियंत्रित कर सकते हैं।पायलोनाइडल सिस्ट में इसका उपयोग करने लिए आप प्याज़ का टुकड़े लेकर उसे सिस्ट वाली जगह पर किसी चीज़ की मदद से चिपका सकते हैं।या फिर इसके रस का प्रयोग भी कर सकते हैं।
शहद
शहद में कई रोगों के उपचार की क्षमता होती है।इसके एंटीसेप्टिक और एंठी इंफ्लेमेटरी गुण इसे सिस्ट के इलाज में प्रभावशाली बनाते हैं। शहद को दालचीनी के पाउडर में मिलाकर लगाने से घाव आसानी से भर सकता है।
बेकिंग सोडा
बेकिंग सोडा का पायलोनाइडल सिस्ट में उपयोग करसे से सूजन और जलन में राहत मिल सकती है।इसे इस्तेमाल करने के लिए आधा चम्मच बेकिंग सोडा को आधा चम्मच सिरके में मिलाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।कुछ देर बाद पानी से धो लें।
नारियल तेल
नारियल का तेल भी अपने एंटी बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों के कारण त्वाच संबंधी रोगों में काफी लाभदायक होता है। पायलोनाइडल सिस्ट के रोग में इसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाने से जलन में राहत मिलती है और घाव तेज़ी से भर सकता है।
लहसुन
लहसुन एटीसेप्टिक गुणों से भरपूर होता है जो संक्रमण को कम कर सकता है।अगर आपको सिस्ट बनने के शुरुआती लक्षण नज़र आते हैं तो लहसुन का प्सेट लगाना शुरु कर दीजिए जिससे रोग आगे बढ़ने से पहले ही ठीक हो जाए।
संक्रमण रहित पायलोनाइडल साइनस सिस्ट
पाइलोनाइडल साइनस सिस्ट संक्रमण के आधार पर दो प्रकार के हो सकते हैं।पहला वो जो संक्रमित नहीं है और दूसरा वो जो अधिक संक्रमित है। अगर बात पहले सिस्ट की करें तो इनमें कम ही लक्षण होते हैं जिन्हें दवाओं के माध्यम से प्बंधित किया जा सकता है।कई बार बिना किसी दवा के भी समय के साथ ये अपने आप ठीक हो जाते हैं। इसमें केवल साफ सफाई का ध्यान रखने और हल्की दवाओं के सेवन की सलाह दी जा सकती है।
संक्रमित पायलोनाइडल साइनस सिस्ट
एक संक्रमित पाइलोनाइडल साइनस सिस्ट का उपचार उसके लक्षणों के आधार पर किया जाता है। साथ ही सिस्ट का आकार कितना बड़ा है,इसकी आवृत्ति कितनी है इन सब बातों पर भी ध्यान दिया जाता है।संक्रमण को दूर करने के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं का सहारा ले सकते हैं।इसके अलावा अगर सिस्ट में मवाद है तो उसे ड्रेन करने की आवश्यकता भी हो सकती है।
पाइलोनिडल साइनस के उपचार की बात करें तो रोगी के पास कई विकल्प हैं । लक्षणों की गंभीरता के आधार पर अगर सिस्ट में अधिक दर्द या रक्त स्राव हो रहा है तो दर्द और सूजन को कम करने की दवाओं के साथ साइनस से मवाद निकालने के लिए छोटा सा ऑपरेशन भी किया जा सकता है।
सर्जरी-
सिस्ट से पस निकालने की प्रक्रिया-
किसी फोड़े की तरह ही चिकित्सक इस सिस्ट पर एक छोटा सा चीरा लगाते हैं। इससे फोड़े में एक छोटा सा छेद बन जाता है जिससे मवाद बाहर निकाला जाता है ।इस प्रक्रिया के लिए फोड़े के आकार के अनुसार रोगी को एनेस्थीसिया दिया जाता है। आकार बड़ा होने पर जनरल एनेस्थीसिया और छोटा होने पर लोकल एनेस्थीसिया दी जाती है।
इस प्रक्रिया के बाद रोगी उसी दिन घर जा सकते हैं। इस चीरे की रोज़ाना ड्रेसिंग करने का निर्देश दिया जाता है।इस प्रक्रिया के बाद रोगी को पूरी तरह ठीक होने में 4 से 6 सप्ताह का समय लगता है।
साइनस सिस्ट को हटाने के लिए सर्जरी (ओपेन सर्जरी)
इस प्रकार की सर्जरी बड़े आकार वाले या बार-बार संक्रमित होने वाले साइनस के लिए की जाती है।इस प्रक्रिया में साइनस को काट कर निकाल दिया जाता है।इसके अलावा प्रभावित क्षेत्र के आसपास की कुछ त्वचा को भी हटा दिया जाता है। सर्जरी के बाद घाव को प्राकृतिक रूप से ठीक होने के लिए खुला छोड़ दिया जाता है।इस प्रक्रिया में रोगी को जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है।
सर्जरी के कुछ घंटों तक आब्ज़र्वेशन में रखने के बाद उसी दिन रोगी को घर जाने की अनुमति दे दी जाती है। इस प्रक्रिया के बाद हर दिन घाव की ड्रेसिंग की सलाह दी जाती है।इसे ठीक होने में करीब 6 से 12 सप्ताह का समय लगता है।
पायलोनाइडल साइनस सिस्ट को हटाने के लिए सर्जरी (क्लोज़्ड)
इस प्रक्रिया में भी बड़े आकार के या बार-बार संक्रमित होने वाले साइनस सर्जरी की जाती है। इस सर्जरी के दौरान साइनस को पूरी तरह हटा दिया जाता है और प्रभावित क्षेत्र के दोनों ओर त्वचा का एक अंडाकार हिस्सा काटकर अलग कर दिया जाता है ।
फिर इन दोनों हिस्सों को एक साथ जोड़कर सिला जाता है।इस प्रक्रिया में भी रोगी को जनरल एनेस्थीसिया दी जाती है। सर्जरी के कुछ घंटों बाद रोगी को घर भेजा जा सकता है। अगर काटने वाले टांके लगाए गए हैं तो उन्हें ऑपरेशन के लगभग 10 दिन हटा दिया जाता है।
हालांकि इस प्रक्रिया में संक्रमण का ज्यादा खतरा होता है और संक्रमण होने पर घाव को दोबारा खोलने की आवश्यकता हो सकती है। इस सर्जरी के बाद भी ड्रेसिंग को नियमित रूप से बदलने का निर्देश दिया जाता है।
पाइलोनाइडल साइनस के लिए एंडोस्कोपिक एब्लेशन
इस प्रक्रिया में संक्रमित सिस्ट वाले प्रभावित क्षेत्र को स्पष्ट रूप से देखने के लिए एक एंडोस्कोप का उपयोग किया जाता है।यह एक पतली, लचीली सी ट्यूब है जिसके एक सिरे पर कैमरा लगा होता है। प्रक्रिया के दौरान सिस्ट से बाल और संक्रमित ऊतक हटा दिए जाते हैं, और साइनस को अच्छी तरह से साफ किया जाता है।
प्रक्रिया के बाद साइनस को सील करने के लिए हीट का उपयोग किया जाता है।इस प्रक्रिया के दौरान रोगी की रीढ़ की हड्डी में या लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है।प्रक्रिया के बाद कुठ घंटों के आब्ज़र्वेशन के पश्चात रोगी को उसी दिन घर जाने दिया जाता है।
यह आमतौर पर की जाने वाली सर्जरी की तुलना में कम इंवेसिव है क्योंकि इस प्रक्रिया में किसी तरह के कट की ज़रूरत नहीं होती। इस प्रक्रिया में ज़ोखिम कम होता है और सफलता की दर अधिक है।इस प्रक्रिया के बाद रोगी को पूरी तरह ठीक होने में लगभग एक महीने का समय लग सकता है ।
अगर सिस्ट का आकार बड़ा है तो प्लास्टिक सर्जरी का विकल्प भी मौंजूद है।इसमें साइनस को पूरी तरह हटा दिया जाता है और प्रभावित क्षेत्र के आसपास की त्वचा का पुनर्निर्माण किया जाता है।
भारत में पायलोनाइडल सर्जरी की लागत 30,000 रुपए से लेकर 1,25,000 तक हो सकती है।हालांकि आपके रोग की स्थिति क्या है या आप किस अस्पताल में पाइलोनिडल साइनस का इलाज करा रहे हैं इस पर भी निर्भर करता है कि आपके इलाज में कितनी लागत आएगी।
पायलोनाइडल साइनस नितंब की दरार के परी सिरे पर मौजूद होता है। कई बार अंदर की तरफ मौदूद बाल के गड़ जाने से त्वचा में एक पॉकेट बन जाती है जिसमें सिस्ट बन सकती है।यह सिस्ट संक्रमित हो जाए तो काफी दर्द और परेशानी हो सकती है। संक्रमण बढ़ने पर इसमें मवाद भी बन सकता है। इसका सबसे उपयुक्त इलाज सर्जरी है। सही आहार लेकर आप संक्रमण और दर्द को कुछ नियंत्रण में रख सकते हैं।सर्जरी के बाद रोगी तीन से चार हफ्तों में पूरी तरह ठीक हो जाता है।
पायलोनाइडल साइनस को जड़ से खत्म करने के लिए एकमात्र इलाज सर्जरी ही है।
पायलोनाइडल साइनस में तुरंत आराम के लिए सिंकाई और दर्द निवारक दवा लेने जौसे विकल्प मौजूद हैं।
इसका सबसे सटीक इलाज सर्जरी है। सर्जरी से पायलोनाइडल सिस्ट पूरी तरह से ठीक हो जाती है औऱ दोबारा नहीं होती।
कम लक्षणों वाली सिस्ट दवाओं से इलाज करने पर कुछ हफ्तों में ठीक हो सकती है।वहीं सर्जरी करने पर रोगी 4 हफ्तों में पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है।
अधिक समय तक बैठे रहने,या मोटापे के कारण ये रोग होता है। इसमें टेलबोन के पास एक सिस्ट बन जाती है जो त्वचा के अंदर की तरफ मौंजूद बाल से त्वचा में छेड हो जाने पर बनती है।
अधिक मवाद बन जाने पर पायलोनाइडल सिस्ट खतरनाक भी हो सकती है।
जब सिस्ट में दर्द ,जलन हो या फिर मवाद बनने की आशंका तो डॉक्टर को दिखाना आवश्यक है।
कभी कभी बहुत कम लक्षणों वाला पायलोनाइडल साइनस कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो सकता है।