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Last Updated: May 10, 2023
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प्लाज़्मा - शरीर रचना (चित्र, कार्य, बीमारी, इलाज)

प्लाज़्मा का चित्र | Plasma Ki Image प्लाज़्मा के अलग-अलग भाग प्लाज़्मा के कार्य | Plasma Ke Kaam प्लाज़्मा के रोग | Plasma Ki Bimariya प्लाज़्मा की जांच | Plasma Ke Test प्लाज़्मा का इलाज | Plasma Ki Bimariyon Ke Ilaaj

प्लाज़्मा का चित्र | Plasma Ki Image

प्लाज़्मा का चित्र | Plasma Ki Image

प्लाज़्मा, रक्त का तरल कॉम्पोनेन्ट है जिससे रक्त का 55% भाग बना होता है। शरीर को चोट से उबरने, पोषक तत्वों को वितरित करने, कचरे को हटाने और संक्रमण को रोकने में मदद करने के लिए प्लाज़्मा आवश्यक है।

प्लाज़्मा, रक्त का तरल भाग होता है। रक्त का लगभग 55% हिस्सा प्लाज़्मा से बना होता है, और शेष 45% भाग में रेड ब्लड सेल्स, वाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स होते हैं। प्लाज़्मा, लगभग 92% पानी है।

प्लाज़्मा, शरीर को क्रियाशील रखने के लिए बहुत ही आवश्यक है। यदि सर्जरी, दुर्घटना या रक्तस्राव विकार, थक्के या इम्यून डेफिशियेंसी के कारण कोई भी व्यक्ति अधिक मात्रा में रक्त खो देता है, तो दान में मिले प्लाज़्मा से शरीर के खोए हुए रक्त और प्लाज़्मा की भरपाई की जा सकती है।

भ्रूण में, गर्भनाल में पाई जाने वाले सेल्स, प्लाज़्मा सेल्स का निर्माण करते हैं। विकास के बाद, प्लाज़्मा प्रोटीन हड्डियों के सॉफ्ट टिश्यूज़ (बोन मैरो), लीवर सेल्स, ब्लड सेल्स और स्प्लीन में बनते हैं।

प्लाज़्मा का रंग हल्का पीला होता है और भूसे के रंग यह दिखता है। हालाँकि प्लाज़्मा, रक्त की कुल मात्रा का आधे से अधिक हिस्सा बनाता है, रेड ब्लड सेल्स का रंग ही पूरे रक्त का रंग बनता है।

प्लाज़्मा के अलग-अलग भाग

ब्लड प्लाज़्मा, निम्नलिखित के संयोजन से बना होता है:

  • पानी
  • प्रोटीन (एल्ब्यूमिन, फाइब्रिनोजेन, ग्लोब्युलिन)
  • तरल साल्ट्स और मिनरल्स जो इलेक्ट्रिक चार्ज(इलेक्ट्रोलाइट्स) ले जाते हैं
  • इम्युनोग्लोब्युलिन (वो कंपोनेंट्स जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं)

प्लाज़्मा में कई प्रोटीन होते हैं जिनमें निम्न शामिल हैं:

  • एल्ब्यूमिन: ब्लड वेसल्स में तरल पदार्थ को बनाये रखता है ताकि वे टिश्यूज़ में लीक न हो और पूरे शरीर में हार्मोन, विटामिन और एंजाइम ले जा सके।
  • एंटीबॉडीज (इम्युनोग्लोब्युलिन): शरीर को बैक्टीरिया, फंगस, वायरस और कैंसर सेल्स सहित संक्रमण से बचाता है।
  • क्लॉटिंग फैक्टर्स (फाइब्रिनोजेन और वॉन विलेब्रांड कारक): रक्तस्राव को नियंत्रित करता है।

प्लाज़्मा के कार्य | Plasma Ke Kaam

शेष रक्त से अलग होने पर, प्लाज़्मा एक हल्का पीला लिक्विड होता है। प्लाज़्मा में पानी, साल्ट्स और एंजाइम होते हैं।

शरीर के जिन हिस्सों में पोषक तत्वों, हार्मोन और प्रोटीन की जरूरत होती है, वहां इन सबको ले जाने में प्लाज़्मा की मुख्य भूमिका होती है। सेल्स, अपने वेस्ट प्रोडक्ट्स को प्लाज़्मा में डालते हैं। प्लाज़्मा तब इस कचरे को शरीर से निकालने में मदद करता है। ब्लड प्लाज़्मा, सर्कुलेटरी सिस्टम के माध्यम से रक्त के सभी हिस्सों को भी वहन करता है।

शरीर को कार्य करने में मदद करने के लिए, प्लाज़्मा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। निम्नलिखित कार्यों के लिए प्लाज़्मा जिम्मेदार है:

  • शरीर को जहाँ भी पानी के वितरण की आवश्यकता है, वहां पर प्लाज़्मा ये कार्य करता है।
  • ब्लड वेसल्स को क्षतिग्रस्त होने और बंद होने से रोकना।
  • ब्लड प्रेशर और सर्कुलेशन को बनाए रखना।
  • शरीर के हिस्सों में हार्मोन, पोषक तत्व और प्रोटीन पहुंचाना और ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान करने में मदद करना।
  • खून का थक्का जमने में मदद करना।
  • बैक्टीरिया, वायरल, फंगल और पैरासिटिक इन्फेक्शन से बचाव।
  • गर्मी को अवशोषित और मुक्त करके, शरीर के तापमान को नियंत्रित करना।
  • सेल्स से अपशिष्ट को निकालना और उनको शरीर से बाहर निकालने के लिए लीवर, लंग्स और किडनी तक पहुँचाना।

प्लाज़्मा के रोग | Plasma Ki Bimariya

  • एएल एमिलॉयडोसिस: यह एक दुर्लभ डिसऑर्डर है। एमिलॉयडोसिस तब होता है, जब शरीर में एब्नार्मल लाइट चेन प्रोटीन्स हृदय, किडनी और अन्य अंगों पर इकट्ठा हो जाते हैं। इस रोग का इलाज करने के लिए डॉक्टर कीमोथेरेपी या फिर बोन मैरो या स्टेम सेल प्रत्यारोपण का उपयोग कर सकते हैं।
  • हीमोफिलिया: हीमोफिलिया एक दुर्लभ और जेनेटिक(आनुवंशिक) रक्त विकार है। यह स्थिति तब होती है जब शरीर में ब्लड क्लॉट नहीं बनता है और रक्तस्राव न ही धीमा होता है न बंद हो पता है। हीमोफिलिया तब होता है जब क्लॉटिंग फैक्टर्स की मात्रा सामान्य नहीं होती है। क्लॉटिंग फैक्टर्स, रक्त को क्लॉट होने में मदद करते हैं। डॉक्टर हीमोफिलिया का इलाज, अनुपस्थित क्लॉटिंग फैक्टर्स को बदलकर करते हैं।
  • वॉन विलेब्रांड रोग: यह एक सामान्य ब्लड डिसऑर्डर है जो कि शरीर में ब्लड क्लॉट को बनने से रोकता है। यह एक वंशानुगत विकार है। डॉक्टर्स, रक्त के थक्के को जमने में मदद करने के लिए, दवा के साथ इस विकार का इलाज करते हैं।
  • प्राइमरी इम्यूनोडिफ़िशियेंसी: जेनेटिक म्यूटेशंस में परिवर्तन के कारण, ये रोग होता है। यह रोग आमतौर पर विरासत में मिलता है। इसका उपचार है: संक्रमण और जटिलताओं का प्रबंधन और रोकथाम।
  • मल्टीपल मायलोमा: जब स्वस्थ प्लाज़्मा सेल्स की जगह असामान्य प्लाज़्मा सेल्स बन जाती हैं तब ये स्थिति उत्पन्न होती है। असामान्य प्लाज़्मा सेल्स, असामान्य एंटीबॉडी को गुणा और उत्पन्न करती हैं। इस रोग के कारण हड्डियों, किडनी और शरीर की स्वस्थ लाल और सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स बनाने की क्षमता प्रभावित होती है। डॉक्टर्स इस रोग का इलाज नहीं कर सकते हैं परन्तु इससे संबंधित स्थितियों और लक्षणों का इलाज अवश्य कर सकते हैं और इस रोग की प्रगति को धीमा कर सकते हैं।
  • थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा (टीटीपी): यह एक दुर्लभ रक्त विकार है, जिसमें पूरे शरीर में छोटी ब्लड वेसल्स में थ्रोम्बी (रक्त के थक्के) बनते हैं। ये रक्त के थक्के, अंगों में ऑक्सीजन युक्त रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकते हैं, जिससे कई जटिलताएं हो सकती हैं। इसका उपचार है: प्लाज़्मा थेरेपी, दवा और सर्जरी।

प्लाज़्मा से सम्बंधित रोग या स्थितियों के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • हड्डी में दर्द
  • खरोंच और / या आसानी से रक्तस्त्राव होना
  • दिल की तेज़ धड़कन (अतालता)
  • हाथों और कलाई में दर्द (कार्पल टनल सिंड्रोम)
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली

प्लाज़्मा की जांच | Plasma Ke Test

  • प्लाज़्मा प्रोटीन टेस्ट: इस टेस्ट के माध्यम से, रक्त में सभी प्लाज़्मा प्रोटीन की मात्रा की पहचान की जाती है।
  • ब्लड वॉल्यूम टेस्टिंग: इस टेस्ट से शरीर में रक्त की मात्रा को मापा जाता है और फिर तुलना की जाती है(शरीर में रक्त का सामान्य स्तर क्या होना चाहिए)। यह परीक्षण अक्सर उन लोगों में किया जाता है जिनको किडनी या लीवर रोग या फिर हार्ट फेलियर जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ा है। रक्त की मात्रा का परीक्षण, डॉक्टर्स को इन स्थितियों की गंभीरता का आकलन करने और उपचार के उचित निर्णय लेने में मदद करता है।
  • बोन मैरो बायोप्सी: ये एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बोन मैरो का एक सैंपल निकाला जाता है और रोग के लक्षणों के लिए इसका परीक्षण किया जाता है। रक्त के विकारों, कैंसर और कई अन्य स्थितियों जो बोन मैरो को प्रभावित कर सकती हैं, उनका निदान करने के लिए ही बायोप्सी की जाती है। यह प्रक्रिया लगभग 30 मिनट तक चलती है और इसमें आमतौर पर अस्पताल में रहने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • कंप्लीट ब्लड काउंट: कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी), एक ब्लड टेस्ट है। इस टेस्ट से डॉक्टर को व्यक्ति के रक्त और समग्र स्वास्थ्य के बारे में पता चलता है। सीबीसी से बीमारियों, स्थितियों, विकारों और संक्रमणों का निदान किया जाता है। इसके लिए डॉक्टर, रक्त का एक सैंपल लेंगे और फिर टेस्ट के लिए लैब में भेज देंगे।

प्लाज़्मा का इलाज | Plasma Ki Bimariyon Ke Ilaaj

  • कीमोथेरपी: कैंसर के इलाज के लिए, कीमोथेरेपी एक आम उपचार है। यह कैंसर सेल्स को नष्ट करता है और ट्यूमर के विकास को रोकने के लिए दवाओं का उपयोग करता है। इस थेरेपी के साथ-साथ, रेडिएशन थेरेपी या सर्जरी जैसे अन्य कैंसर उपचार भी किये जा सकते हैं। कीमोथेरेपी आमतौर पर अंतःशिरा (एक नस के माध्यम से) दी जाती है। यह एक प्रभावी उपचार है लेकिन इसके दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
  • स्टेम सेल ट्रांसप्लांट: स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से कुछ प्रकार के जानलेवा कैंसर या असामान्य रक्त सेल्स के कारण होने वाले, रक्त रोगों का इलाज किया जाता है। ये टांसपलांट, ब्लड सेल्स को बनाने वाली स्टेम सेल्स को बदलकर, बीमारी को ठीक या सीमित कर सकता है। ब्लड सेल्स, बोन मैरो में स्टेम सेल से आती हैं। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट में बोन मैरो या रक्त से लिए गए स्टेम सेल्स शामिल हो सकते हैं।
  • कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स: आमतौर पर इन्हें स्टेरॉयड के रूप में जाना जाता है। यह एक प्रकार की सूजन-रोधी दवा है। इनका उपयोग आम तौर पर रूमेटोइड गठिया, लुपस या वास्कुलाइटिस जैसे रूमेटोइड रोगों का इलाज करने के लिए किया जाता है। विशिष्ट कॉर्टिकोस्टेरॉइड में दवाएं कोर्टिसोन और प्रेडनिसोन शामिल हैं।
  • एंटीबायोटिक दवाओं: एंटीबायोटिक्स, शक्तिशाली दवाएं होती हैं जो आम तौर पर सभी के लिए सुरक्षित होती हैं। ये दवाएं, बीमारी से लड़ने में बहुत मदद करती हैं, लेकिन कभी-कभी एंटीबायोटिक्स, हानिकारक भी हो सकती हैं।
  • ब्लड ट्रांस्फ्यूज़न: यदि किसी चोट के कारण या सर्जरी के दौरान या कुछ अन्य चिकित्सीय स्थितियों के कारण, ज्यादा ही रक्तस्त्राव हुआ है तो ब्लड ट्रांस्फ्यूज़न, ब्लड या फिर उसके कंपोनेंट्स को प्रदान करता है। ब्लड बैंक और डॉक्टर्स सुनिश्चित करते हैं कि ब्लड ट्रांस्फ्यूज़न एक सुरक्षित और कम जोखिम वाला उपचार हो।

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Written By
PhD (Pharmacology) Pursuing, M.Pharma (Pharmacology), B.Pharma - Certificate in Nutrition and Child Care
Pharmacology
English Version is Reviewed by
MD - Consultant Physician
General Physician
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