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डेंगू और चिकेनगुनिया के लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार

Written and reviewed by
BAMS, MD (Panchkarma)
Ayurvedic Doctor,  •  21 years experience
डेंगू और चिकेनगुनिया के लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार

वायरल बुखार के बढ़ते प्रभाव के कारण डेंगू और चिकनगुनिया के खिलाफ खुद को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी हो जाता है. डेंगू प्रायः मच्छर से होने वाले संक्रमण के कारण होता है. यह एक गंभीर बीमारी है, जिसकी शुरुआत अचानक होती है. इसके लक्षण सिरदर्द, बुखार, थकावट, मांसपेशियों और जोड़ों में गंभीर दर्द, लिम्फ और नोड्स में सूजन और चकत्ते होते हैं. बुखार, रेश्स् और सिरदर्द जैसे विकार, विशेष रूप से डेंगू की विशेषताएं है.

डेंगू के सबसे आम लक्षण हैं:

लक्षण, जो आमतौर पर संक्रमण के चार से छह दिन बाद होता है. इस संक्रमण के लक्षण 10 दिन तक रह सकते है. इसमें शामिल है:

  1. अचानक तेज बुखार
  2. गंभीर सिरदर्द
  3. आंखों के पीछे दर्द
  4. जोड़ो और मांसपेशियों में गंभीर में दर्द
  5. थकान
  6. मतली
  7. उल्टी
  8. त्वचा पर चकते, जो बुखार होने के दो से पांच दिन बाद दिखाई देती है
  9. हल्का ब्लीडिंग होना (जैसे नाक से ब्लीडिंग, मसूड़ों में ब्लीडिंग या गुमचोट)

डेंगू के खिलाफ रोकथाम और उपचार कैसे करें?

डेंगू बुखार का उपचार : ब्लड वायरस या एंटीबॉडी के जांच करने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाना चाहिए. डेंगू बुखार के लिए आईजीजी और आईजीएम की विधि अपनायी जाती है.

डेंगू बुखार की रोकथाम:

  1. यदि संभव है तो घनी आबादी से दूर रहे .
  2. मच्छरों से बचने के लिए दवा का इस्तेमाल करे, इसका प्रयोग घर के अंदर भी करना चाहिए.
  3. घर से बाहर निकलने के समय पूरी आस्तीन के कपड़ो का इस्तेमाल करे.
  4. घर के अंदर एयर कंडीशनिंग का उपयोग कर सकते है.
  5. यह सुनिश्चित करे की आपके घर के खिड़की और दरवाजा में कोई भी छेद नहीं है. यदि आपके बैडरूम में एयर कंडीशनिंग या सीलबंद नहीं है, तो मच्छर जाली का इस्तेमाल करना चाहिए.

डेंगू के इलाज में आयुर्वेद की भूमिका:

आयुर्वेद व्यक्ति का सम्पूर्ण उपचार में विश्वास रखता है. इसका मतलब यह रोगी को एक व्यक्ति के रूप में और साथ ही उसकी रोगजनक स्थिति पर केंद्रित करता है. आयुर्वेदिक उपचार व्यक्ति की सम्पूर्ण परिक्षण और केस विश्लेषण के बाद चुने जाते हैं. इसमें रोगी के शारीरिक और मानसिक अवस्था, पारिवारिक इतिहास, वर्त्तमान लक्षण, अंतर्निहित रोगविज्ञान आदि का चिकित्सा इतिहास शामिल है. आयुर्वेदिक चिकित्सक वर्त्तमान लक्षणों के अलावा भी व्यक्ति के अन्य विकारो का भी उपचार करता है. आयुर्वेद केवल बीमारी के निदान पर केंद्रित नहीं करता है, बल्कि बिमारी को जड़ से मिटाता है. यदि रोग का निदान ज्यादा गंभीर स्थिति में नहीं है तो होमियोपैथी उपचार इसमें कारगर होते है.

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