शरीर के ऊपरी हिस्से पर एक कॉम्प्लेक्स स्ट्रक्चर मौजूद होता है, जिसको कंधा कहते हैं। कंधे, भुजाओं को धड़ से जोड़ते हैं । इसमें कई कंपोनेंट्स होते हैं जो स्थिरता और गति की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करने के लिए मिलकर काम करते हैं।
कंधा एक बड़ा और काम्प्लेक्स बॉल-एंड-सॉकेट या गोलाकार जॉइंट है जिसमें कई हड्डियां, मांसपेशियां, टेंडन और लिगामेंट्स होते हैं। ये स्ट्रक्चर्स, इस अत्यधिक लचीले जॉइंट को बनाने और उसको स्थिर रखने के लिए जुड़ते हैं, जिससे भुजाओं को हर दिशा में गति प्रदान होती है। हालांकि, इस गतिशीलता के कारण कंधे के अति प्रयोग से, अस्थिरता या चोट से नुकसान हो सकता है।
कंधे का मुख्य कार्य हैं: भुजाओं को गति प्रदान करना। बाजुओं को ऊपर उठाने, नीचे करने और घुमाने में सक्षम होने से लोग कई तरह के काम कर पाते हैं, जैसे फेंकना और किसी वस्तु तक पहुंचना, साथ ही तैराकी जैसी खेल गतिविधियां।
कंधे में तीन मुख्य हड्डियाँ होती हैं। ये हैं:
कंधे में तीन जॉइंट्स मौजूद होते हैं। इसमें शामिल हैं:
कंधे में एक्सट्रिन्सिक(बाहरी) और इन्ट्रिंसिक(आंतरिक) मांसपेशियां होती हैं। एक्सट्रिन्सिक (बाहरी) मांसपेशियां, टोरसो (धड़) से निकलती हैं और कंधे की हड्डियों से जुड़ती हैं, जबकि इन्ट्रिंसिक (आंतरिक) मांसपेशियां स्कैपुला या हंसली से निकलती हैं और ह्यूमरस से जुड़ती हैं।
कंधे की इन्ट्रिंसिक(आंतरिक) मांसपेशियों में शामिल हैं:
सुप्रास्पिनैटस, इन्फ्रास्पिनैटस, टेरस माइनर और सबस्कैपुलैरिस मांसपेशियों को रोटेटर कफ मांसपेशियों के रूप में जाना जाता है। वे सभी स्कैपुला से उत्पन्न होते हैं और ह्यूमरस से जुड़ते हैं। ये सभी मांसपेशियां मिलकर हाथ को ऊपर उठाने और घुमाने में मदद करती हैं।
कंधे की एक्सट्रिन्सिक(बाहरी) मांसपेशियों में शामिल हैं: