एक शोध के अनुसार, लिंग का औसत आकार 4.7 से 6.3 इंच के बीच होता है। इसलिए जब कोई लिंग इस लंबाई से कुछ कम होता है, तो उसे एक छोटे लिंग के रूप में जाना किया जाता है। यह एक सिंगल डिसऑर्डर के रूप में प्रकट हो सकता है या पतले लिंग से भी जुड़ा हो सकता है।
लिंग के लिए निर्धारित लंबाई से छोटे लिंग वाला व्यक्ति इलाज कराने के लिए पात्र होता है, बशर्ते वह दवा लेने या सर्जरी कराने के लिए पर्याप्त रूप से फिट हो। एक व्यक्ति हार्मोन थेरेपी के लिए तभी योग्य होता है जब डॉक्टर संतुष्ट हो कि अंग, उपचार के लिए रेस्पॉन्ड करेगा।
लिंग के छोटे आकार का इलाज कराने वाले व्यक्ति को 3 महीने की अवधि के लिए हार्मोन थेरेपी दी जाती है। उसके लिंग के आकार में वृद्धि की निगरानी की जाती है। ध्यान रखें की लिंग को लंबा करने वाली सर्जरी केवल तभी की जाती है जब अन्य दवाएं कोई परिणाम देने में विफल रही हों।
हाइपोगोनैडोट्रॉफ़िक हाइपोगोनाडिज़्म, हाइपरोगोनाट्रॉफ़िक हाइपोगोनाडिज़्म, आंशिक एण्ड्रोजन असंवेदनशीलता, वृद्धि हार्मोन व थायरॉयड हार्मोन की कमी, इडियोपैथिक स्मॉल फ़ैलस और कॉर्डी जैसी मेडिकल कंडीशन के कारण आदमी का लिंग छोटा हो सकता है। दवाओं के उपयोग से उचित परिणाम प्राप्त नहीं होने पर, पेनिस एंलार्जेमेंट सर्जरी की जाती है।
माइक्रोपेनिस का पहला लक्षण, शैशवावस्था यानी की बचपन में लिंग की अपेक्षित लंबाई से कम होना है। यदि किसी लड़के के लिंग का माप 1.9 सेमी या 0.75 इंच से कम है, तो यह प्राथमिक लक्षण है। नवजात शिशु के लिंग की औसत लंबाई 3.5 सेमी या 1.4 इंच होती है।
लिंग की लंबाई, औसत लंबाई के स्टैण्डर्ड डेविएशन से 2.5 कम होने पर माइक्रोपेनिस का टेस्ट किया जाता है। वयस्कों में माइक्रोपेनिस की जांच करने के लिए, इसे 3⅔ इंच या उससे कम के रूप में परिभाषित किया गया है।
माइक्रोपेनिस का सामान्य कारण भ्रूण में टेस्टोस्टेरोन की कमी है। इसके पीछे कई तरह के कारण हो सकते हैं। इसके पीछे सबसे आम कारण हाइपोगोनैडोट्रोपिक हाइपोगोनाडिज्म है।
हाइपोगोनैडोट्रोपिक हाइपोगोनाडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें हाइपोथैलेमस, टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को उत्तेजित करने वाले हार्मोन का उत्पादन करने में विफल रहता है। यह सामान्य परिपक्वता के लिए आवश्यक है।
लिंग के छोटे आकार के लिए निम्न प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं:
हार्मोन थेरेपी
जब हार्मोन को इंजेक्शन या त्वचा के पैच या ओरल टेबलेट्स के रूप में प्रशासित किया जाता है, तो खून में हार्मोन का कंसंट्रेशन स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है। हार्मोन, लिंग के एण्ड्रोजन रिसेप्टर्स के साथ बंधते हैं और लिंग के टिश्यूज़ में बदलाव का कारण बनते हैं।
यह पेनाइल टिश्यूज़ के मल्टिप्लिकेशन का कारण बनता है और इससे आगे की वृद्धि होती है। यदि पेनाइल टिश्यूज़ का लगातार मल्टिप्लिकेशन होता है तो लिंग आकार में बढ़ता है। यह प्रक्रिया आम तौर पर एक साल तक चलती है और लिंग के सामान्य आकार प्राप्त करने के बाद रुक जाती है।
लिंग के छोटे आकार को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न प्रकार की हार्मोन थेरेपी नीचे दी गई हैं:
हॉर्मोन थैरेपी देने के बाद अगर 3 महीने में लिंग करीब 1.25 सेंटीमीटर बढ़ जाए तो समझा जाता है कि लिंग में और बढ़ने की क्षमता है। उसके बाद ही यह उपचार जारी किया जाता है।
पेनिस एनलार्जेमेंट सर्जरी
पेनिस एनलार्जेमेंट सर्जरी तब की जाती है जब दवा ने कोई ठोस परिणाम न दिया हो। लिंग बढ़ाने वाली (पेनिस एंलार्जेमेंट) सर्जरी तीन प्रकार की होती हैं।
लिंग को लंबा (पेनिस लेंग्थेनिंग) करने की सर्जरी से लिंग की सीधी और खड़ी लंबाई को कुछ हद तक बढ़ाने में मदद मिलती है। इस सर्जरी से लोगों में होने वाले लाभ अलग-अलग होते हैं लेकिन आम तौर पर प्राप्त औसत लंबाई लगभग 4 सेमी ही होती है।
लिंग (पेनिस) के इंटरनल पार्ट को डिवाइड करने वाले लिगामेंट को डिवाइड किया जाता है और यह सुनिश्चित करने के लिए एक मांसपेशी तकनीक का भी उपयोग किया जाता है। यह सर्जरी लंबे समय तक काम करती है। यदि लिंग (पेनिस) के ऊपर की जगह बहुत भरी हुई है या पेनाइल शाफ्ट की पूरी लंबाई को मास्क करता है, तो आमतौर पर लिपोसक्शन की सिफारिश की जाती है।
एक व्यक्ति जिसने हार्मोनल थेरेपी के लिए अच्छी प्रतिक्रिया दी हैं और उसके लिंग का आकार काफी बढ़ गया है, तो उसे लिंग को लंबा करने की सर्जरी कराने की सलाह नहीं दी जाती है। इसके अलावा, एक व्यक्ति हार्मोनल उपचार के लिए तभी योग्य होता है जब डॉक्टर यह निर्णय लेता है कि उस व्यक्ति को हार्मोनल थेरेपी से लाभ होगा या नहीं।
DHT उपचार के निम्नलिखित दुष्प्रभाव हैं:
पेनाइल लेंथिंग सर्जरी के दुष्प्रभाव:
पेनिस लेंग्थेनिंग सर्जरी कराने के बाद, दर्द को नियंत्रित करने के लिए कुछ दिनों तक दवाएं लेने की आवश्यकता होगी। सर्जरी के दौरान प्राप्त अतिरिक्त लंबाई की देखभाल के लिए ध्यान देना होगा।
आमतौर पर वेइट्स पहनने होंगे और लिंग को 12 सप्ताह तक लपेटना होगा। को 3-4 सप्ताह के लिए यौन गतिविधियों से और 6 सप्ताह तक हाई एनर्जी वाले खेलों से दूर रहना होगा।
पेनिस लेंग्थेनिंग सर्जरी के बाद दर्द कम करने के लिए केवल एक हफ्ते के लिए दवाएं लेनी पड़ती हैं, लेकिन सर्जरी से पूरी तरह से ठीक होने में थोड़ा अधिक समय लगता है। इसके अलावा मरीज को विशिष्ट अवधि के लिए यौन गतिविधियों और इंटेंस फिजिकल एक्टिविटीज से बचना होगा। एक मरीज को सामान्य रूप से पूरी तरह ठीक होने में 12 सप्ताह का समय लग सकता है। हालांकि हार्मोन थेरेपी का कोई साइड-इफेक्ट नहीं होता है और रिकवरी का समय नगण्य होता है।
पेनिस लेंग्थेनिंग सर्जरी में भारत में 2.2 लाख रुपये से 6.2 लाख रुपये के बीच खर्च हो सकता है। भारत में गोनैडो ट्रॉफिक हार्मोन इंजेक्शन 175 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक में प्राप्त किए जा सकता है। जबकि ग्रोथ हार्मोन थेरेपी के लिए आमतौर में भारत में आपको लगभग 200000 रुपये खर्च करने होंगे।
पेनिस लेंग्थेनिंग सर्जरी, लिंग की लंबाई बढ़ाने में मदद करती है। एक व्यक्ति ने जो अतिरिक्त इंच प्राप्त किए हैं वह कमोबेश स्थायी होते हैं बशर्ते कि वह उपचार के बाद के दिशानिर्देशों का ठीक से पालन करता हो। हार्मोन थेरेपी लिंग की लंबाई और मोटाई दोनों को बढ़ाने में मदद करती है। ये परिणाम भी स्थायी होते हैं।
विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन डी, थायमिन, जिंक और मैग्नीशियम से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें। इससे शरीर को, स्वाभाविक रूप से लिंग बड़ा करने के लिए आवश्यक ऊर्जा मिलेगी।
गर्म कपड़े का वार्म अप और लिंग को बड़ा करने के लिए जेल्क विधि बेहद कारगर साबित हो सकती है। इसके अलावा अंगूठे का स्ट्रेचर, बैकवर्ड पुलर, अपोजिट स्ट्रेच, कीगल और रोटेटिंग स्ट्रेच जैसे व्यायम के जरिए पेनिस काइज को बढ़ाया जा सकता है।
एवरेज फ्लैसिड (लचीला) या पेंडुलस पेनिस लंबाई में 9.16 सेमी होता है और एक इरेक्टेड पेनिस का एवरेज साइज 13.12 सेमी या 5.16 इंच लंबा होता है। एक ढीले लिंग (स्लैक पेनिस) के लिए प्रोपोरशनल गर्थ मेजरमेन्ट्स 9.31 सेमी या 3.66 इंच और इरेक्टेड पेनिस के लिए 11.66 सेमी या 4.59 इंच है।