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Last Updated: Jul 08, 2023
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टाइफाइड बुखार - लक्षण, कारण, निदान, उपचार, डाइट और घरेलू उपचार - Typhoid Fever In Hindi

टाइफाइड बुखार के बारे मे टाइफाइड के लक्षण टाइफाइड के कारण टाइफाइड कैसे फैलता है टाइफाइड का बैक्टीरिया शरीर में कितने समय तक रहता है टाइफाइड शरीर के कौन से अंग को प्रभावित करता है टाइफाइड की जांच टाइफाइड का इलाज टाइफाइड से बचने के उपाय टाइफाइड से बचने के उपाय टाइफाइड में क्या नहीं खाना चाहिए टाइफाइड वैक्सीन के दुष्प्रभाव टाइफाइड का घरेलू उपाय क्या हैं

टाइफाइड बुखार क्या है? - Typhoid Fever

टाइफाइड बुखार क्या है? - Typhoid Fever

टाइफाइड बुखार (Typhoid Fever), बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारी है। इसे आंतों का बुखार भी कहते हैं। यह साल्मोनेला एन्टेरिका सेरोटाइप टाइफी बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया खाने और पीने की चीजों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करता है और हमें बीमार बना देता है। कुछ देशों में यह महामारी बनकर टूटा है। WHO के अनुसार, टाइफाइड का सबसे हालिया प्रकोप 2015 में युगांडा में हुआ था।

टाइफाइड के लक्षण क्या हैं? । Typhoid ke lakshan

टाइफाइड बुखार के लक्षण नीचे दिए जा रहे हैं:

  • तेज बुखार होना।
  • सिरदर्द होना।
  • ठंड लगना।
  • कब्ज होना।
  • मांसपेशियों में दर्द होना।
  • उल्टी दस्त होना।
  • जी मचलना।
  • पेट दर्द होना।
  • भूख न लगना।
  • बेचैनी होना।

टाइफाइड के कारण क्या हैं? - Typhoid ke karan in hindi

  • टाइफाइड बुखार (Typhoid Fever) से संक्रमित मरीज के मल के संपर्क में आना।
  • दूषित पानी व भोजन का सेवन करना।
  • गंदगी के बीच रहना।
  • गंदे टॉयलेट का इस्तेमाल करना।
  • बिना हाथ साफ किए भोजन करना।
  • लोगों के मल से फर्टिलाइज़्ड कच्ची सब्जियों का सेवन करना।
  • दूषित दूग्ध उत्पादों का सेवन करना।
  • साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया से संक्रमित व्यक्ति के साथ ओरल या एनल सेक्स करना।

टाइफाइड कैसे फैलता है? । Typhoid kaise failta hai

टाइफाइड बुखार (Typhoid Fever) पेट से संबंधित बीमारी है। यह मुख्य रूप से साल्मोनेला टाइफिम्यूरियम बैक्टीरिया से संक्रमित व्यक्ति के मल के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। इसके अलावा यह दूषित जल या भोजन के सेवन से भी होता है। टाइफाइड का बैक्टीरिया आसानी से एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकता है। इसका सही इलाज न होने पर मरीज की मौत भी हो सकती है।

टाइफाइड का बैक्टीरिया शरीर में कितने समय तक रहता है? । Typhoid ka bacteria body me kab tak rehta hai

टाइफाइड बुखार (Typhoid fever) का बैक्टीरिया जब एक बार शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो यह आंत में लगभग 1-3 सप्ताह तक रहता है। इसके बाद यह धीरे-धीरे खून में रास्ता बनाते हुए अन्य टिश्यू और अंगों तक फैल जाता है। टाइफाइड रैश में छोटे गुलाबी स्पॉट्स होते हैं जिन्हें 'रोज स्पॉट्स' कहा जाता है। टाइफाइड (Typhoid) के बैक्टीरिया का शरीर में रहना इस बात पर भी निर्भर करता है कि यह आपके शरीर में कैसे पहुंचा है। यह आमतौर पर 6 से 14 दिनों तक शरीर में रहता है जबकि इसके रहने की अधिकतम अवधि 30 दिन होती है।

टाइफाइड शरीर के कौन से अंग को प्रभावित करता है? । Typhoid se effected hone wale organ

  • लीवर
  • गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट
  • स्प्लीन
  • मांसपेशियों
  • गाल ब्लैडर
  • किडनी
  • फेफड़ों

टाइफाइड की जांच कैसे होती है? । Typhoid ke test

टाइफाइड बुखार की जांच के निम्न तरीके नीचे दिए जा रहे हैं:

  • ब्लड और यूरिन टेस्ट: टाइफाइड (Typhoid Fever) के इलाज के लिए डॉक्टर खून, मल या मूत्र के सैंपल की जांच करता है। इसके जरिए शरीर में मौजूद बैक्टीरिया का पता लगाया जाता है।
  • बोन मैरो की जांच: जब बैक्टीरिया पहले टेस्ट में पकड़ में नहीं आते तो बोन मैरो का सैंपल लिया जाता है। यह बैक्टीरिया का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका है। हालांकि इसकी जांच के दौरान मरीज को काफी दर्द होता है। इस टेस्ट में अधिक समय लगता है।
  • विडाल टेस्ट: टाइफाइड के बेहतर इलाज के लिए ट्यूब मेथड द्वारा विडाल टेस्ट किया जाता है। इसके जरिए शरीर की एंटीबॉडी और साल्मोनेला टाइफी के आउटर मेम्ब्रेन प्रोटीन की जांच की जाती है।

टाइफाइड का इलाज कैसे किया जाता है? । Typhoid ka ilaj

  • टाइफाइड बुखार (Typhoid fever) के इलाज के दौरान बैक्यटीरियल संक्रमण को दूर किया जाता है। इसके लिए एम्पीसिलीन, क्लोरैम्फेनिकॉल, ट्राइमेथोप्रिम, सल्फामेथोक्साजोल, एमोक्सिसिलिन और सिप्रोफ्लोक्सासिन जैसी एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं।
  • यदि रोगी डाइटरी सप्लीमेंट्स यानी की पूरक आहार लेने में सक्षम है, तो ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी दी जाती है। इससे दस्त के कारण होने वाले फ्लूइड लॉस को बनाए रखने में मदद मिलती है।
  • टाइफाइड से ग्रसित गंभीर मरीज को हाइड्रेटेड रखने के लिए IV किट के जरिए फ्लूइड्स और दवाएं दी जाती हैं।
  • लंबे समय से बीमार मरीजों के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं जबकि अधिक गंभीर स्थिति में सर्जरी के जरिए गॉल ब्लैडर को हटा दिया जाता है।

टाइफाइड से बचने के उपाय क्या हैं? । Typhoid se bachne ke Upay in Hindi

  • टाइफाइड संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखें और अच्छे ड्रेनेज सिस्टम की व्यवस्था करें।
  • पीने और भोजन पकाने के लिए साफ पानी का इस्तेमाल करें। लंबे समय तक खुले में रखे पानी का इस्तेमाल करने से बचें।
  • शौचालय का उपयोग करने के बाद अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह साफ करें।
  • खाने से पहले करीब 20 सेकंड तक साबुन से हाथ जरूर धोएं।
  • भोजन को साफ-सफाई से और ढंक कर रखें।
  • मक्खियों और कॉक्रोच को घर में न पनपने दें। इसके लिए घर को नियमित रूप से डिसइंफेक्शन करते रहें।

टाइफाइड में क्या खाना चाहिए? । typhoid diet

  • हाई कैलोरी का आहार लें। यह बीमारी के दौरान कम हुए वजन को बढ़ाने में मदद करता है।
  • लिक्विड युक्त आहार लेते रहें। टाइफाइड के कारण मरीज को दस्त और उल्टी होती है। इससे शरीर में तरल पदार्थों की कमी हो जाती है जो डीहाइड्रेशन का कारण बनता है।
  • टाइफाइड से संक्रमित व्यक्ति के लिए हाई कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ जैसे चावल, उबले हुए आलू और अंडे खाना चाहिए।
  • टाइफाइड से पीड़ित मरीज को डेयरी उत्पादों के सेवन से फायदा होता है |
  • दही और अंडे खाने से पाचन क्रिया आसान होती है और शरीर में प्रोटीन की कमी दूर होती है।
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ शरीर में सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
  • टाइफाइड के कारण शरीर में हुई इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा करने के लिए सूप, शोरबा, फलों के रस और दूध का सेवन किया जा सकता है।

टाइफाइड में क्या नहीं खाना चाहिए? । Typhoid hone par kya nahi khana chahiye in Hindi

  • टाइफाइड के मरीजों को हाई फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। यह आपके पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है।
  • पत्ता गोभी और शिमला मिर्च जैसी सब्जियों को खाने से टाइफाइड के मरीज को गैस व सूजन की समस्या हो सकती है।
  • टाइफाइड के मरीजों को तीखे स्वाद और अधिक मसालेदार भोजन से बचना चाहिए।
  • टाइफाइड के मरीजों को एसिटिक एसिड वाले खाद्य पदार्थ जैसे मिर्च, गर्म सॉस और सिरका के सेवन से बचना चाहिए।
  • टाइफाइड के मरीजों को घी, मक्खन और तली हुई चीजों से परहेज करना चाहिए।

टाइफाइड वैक्सीन क्या है? Typhoid vaccine in Hindi

टाइफाइड बुखार से बचाव के बच्चों व वयस्कों के लिए टाइफाइड टीका लगाया जाता है। यह टीका भारतीय उपमहाद्वीप और एशिया, अफ्रीका, मध्य और दक्षिण अमेरिका के कुछ टाइफाइड प्रकोप से प्रभावित इलाकों के लोगों को लगाया जाता है। हालांकि टाइफाइड वैक्सीनेशन 100% प्रभावी नहीं है। यह दो वर्ष से अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति को लगाई जा सकती है।

टाइफाइड वैक्सीन किसे नहीं लगवानी चाहिए? Typhoid vaccine kise nahi lagani chahiye

  • 2 साल से कम उम्र के बच्चों को टाइफाइड की वैक्सीन नहीं लगानी चाहिए।
  • ऐसे लोगों को जिन्हें टाइफाइड वैक्सीन की पिछली डोज के कारण साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ा हो, उन्हें टाइफाइड वैक्सीन नहीं लगवाना चाहिए।
  • ऐसे लोग जिन्हें वैक्सीन के कंपोनेंट्स से एलर्जी है उन्हें यह टाइफाइड का टीका नहीं लगवाना चाहिए।

टाइफाइड वैक्सीन के दुष्प्रभाव क्या हैं? Typhoid vaccination ke side effect in Hindi

जैब साइट (इंजेक्शन लगने वाली जगह) पर सूजन के साथ दर्द और लालिमा

  • बुखार
  • बेचैनी
  • सिरदर्द
  • मतली और उल्टी
  • पेट दर्द
  • दस्त
  • सिर चकराना

टाइफाइड वैक्सीन के कितने डोज की जरूरत है? । Typhoid vaccine ke kitane dose ki jarurat hoti hai

टाइफाइड वैक्सीन की डोज उसके लेने वाले प्रकार पर निर्भर करती है। इसे निम्न तरीकों से लिया जा सकता है।

  • ओरल वैक्सीन: इस तरीके से मरीज को कुल 4 कैप्सूल दिए जाते हैं। इन्हें रोजाना दिन में एक बार लेना होता है। इन्हें लेने के बाद एक सप्ताह तक किसी भी प्रकार की यात्रा नहीं करनी चाहिए। ऐसे लोग जो बैक्टीरियल संक्रमण की चपेट में जल्दी आ जाते हैं ऐसे लोगों के लिए हर पांच साल में यह वैक्सीन लेना चाहिए।
  • इंजेक्शन: इंजेक्शन के माध्यम से दी जाने वाली एंटी टाइफाइड वैक्सीन की रेपेटेड डोज हर दो साल में लेने की आवश्यकता होती है। कहीं यात्रा करने से कम से कम 2 सप्ताह पहले इस डोज को लेने की आवश्यकता होती।

टाइफाइड का घरेलू उपाय क्या हैं? । Typhoid ke gharelu upay in Hindi

  • कोल्ड कंप्रेस: कोल्ड कंप्रेस या आइस पैक के इस्तेमाल से टाइफाड के कारण होने वाले तेज बुखार को तेजी से कम किया जा सकता है।
  • फ्लूइड्स का सेवन: अपने आहार में तरल पदार्थों को शामिल करने से टाइफाइड के दौरान पैदा हुई डीहाइड्रेशन की समस्या को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा यह टॉक्सिन्स और वेस्ट मटेरियल से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है।
  • ओआरएस: इसका उपयोग, फ्लूइड बैलेंस बनाए रखकर डीहाइड्रेशन को रोकने के लिए किया जाता है। इससे शरीर में तरल पदार्थों की कमी नहीं हो पाती।
  • एप्पल साइडर विनेगर: इसका एसिडिक गुण, त्वचा से गर्मी बाहर निकालने में मदद करता है। इससे बॉडी टेंपरेचर कम होता है।
  • लहसुन: इसके एंटी-माइक्रोबियल गुण बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं। यह इम्मयून सिस्टम को बढ़ाता है और रिकवरी में तेजी लाने के लिए शरीर से टॉक्सिन्स को समाप्त करता है।
  • तुलसी: इसमें एंटीबायोटिक और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो टाइफाइड पैदा करने वाले बैक्टीरिया से छुटकारा पाने में मदद करते हैं। यह बुखार को कम करने, पेट को शांत करने और इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में मदद करता है।
  • लौंग: इसके एसेंशियल ऑयल्स में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। लौंग दस्त और उल्टी को कम करने में मदद करती है।
  • केला: केला बुखार को कम करने और टाइफाइड से ग्रसित लोगों में दस्त को कम करता है। केले में मौजूद पेक्टिन एक घुलनशील फाइबर है, जो आंत में फ्लूइड्स को अवशोषित करने में मदद करता है। केले में मौजूद पोटेशियम इलेक्ट्रोलाइट्स लॉस को ठीक करने में मदद करता है।
  • छाछ: यह पेट को ठीक करता है और डीहाइड्रेशन से निपटने में भी मदद करता है।

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MBBS, MD Tuberculosis And Chest Diseases, Diploma in Tuberculosis & Chest Diseases, Diploma in Tropical Medicine and Hygiene
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