Menstrual Cycle in Hindi - मासिक धर्म क्या है ?
अक्सर हमेशा हंसने खेलने वाली चंचल लड़कियां भी महीने के कुछ दिन दबी दबी दुखी सी शर्माती खुदको छिपाती नजर आती हैं। और इसी वक़्त पर हम गौर करें तो पाएंगे कि घर परिवार के कुछ लोग भी उससे कटे कटे रहते हैं कई चीजों को छूने कई जगह जाने पर पर भी मनाही होती है। जी हां बिलकुल सही समझें आप हम बात कर रहे हैं पीरियड्स की। यह केवल महिलाओं ही नही पुरुषों या यूँ कहें मानव वृद्धि के लिए सबसे अहम घटना है। तो चलिए आज हम जानते हैं पीरियड्स क्या हक़ क्यों आता है इसका सही समय, महत्व आदि।
पीरियड्स या मासिक धर्म स्त्रियों को हर महीने योनि से होने वाला लाल रंग के स्राव को कहते है। पीरियड्स के विषय में लड़कियों को पूरी जानकारी नहीं होने पर उन्हें बहुत दुविधा का सामना करना पड़ता है। पहली बार पीरियड्स होने पर जानकारी के अभाव में लड़कियां बहुत डर जाती है। उन्हें बहुत शर्म महसूस होती है और अपराध बोध से ग्रस्त हो जाती है
पीरियड्स को रजोधर्म भी कहते है। ये शारीरिक प्रक्रिया सभी क्रियाओं से अधिक महवपूर्ण है, क्योकि इसी प्रक्रिया से ही मनुष्य का ये संसार चलता है। मानव की उत्पत्ति इसके बिना नहीं हो सकती। प्रकृति ने स्त्रियों को गर्भाशय ओवरी फेलोपियन ट्यूब, और वजाइना देकर उसे सन्तान उत्पन्न करने का अहम क्षमता दिया है। इसलिए पीरियड्स या मासिक धर्म गर्व की बात होनी चाहिए ना कि शर्म की या हीनता की। सिर्फ इसे समझना और संभालना आना जरुरी है। इस प्रक्रिया से घबराने या कुछ गलत या गन्दा होने की हीन भावना महसूस करने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है। पीरियड्स मासिक धर्म को एक सामान्य शारीरिक गतिविधि ही समझना चाहिए जैसे उबासी आती है या छींक आती है। भूख, प्यास लगती है या सू-सू पोटी आती है।
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मासिक चक्र - Menstrual Cycle in Hindi
- दो पीरियड्सके बीच का नियमित समय मासिक चक्र ( Menstruation Cycle ) कहलाता है। नियमित समय पर पीरियड्स( Menses ) होने का मतलब है कि शरीर के सभी प्रजनन अंग स्वस्थ है और अच्छा काम कर रहे है। मासिक चक्र की वजह से ऐसे हार्मोन बनते है जो शरीर को स्वस्थ रखते है। हर महीने ये हार्मोन शरीर को गर्भ धारण के लिए तैयार कर देते है।
- मासिक चक्र के दिन की गिनती पीरियड्सशुरू होने के पहले दिन से अगली पीरियड्सशुरू होने के पहले दिन तक की जाती है। लड़कियों में मासिक चक्र 21 दिन से 45 दिन तक का हो सकता है। महिलाओं को मासिक चक्र 21 दिन से 35 दिन तक का हो सकता है। सामान्य तौर पर मासिक चक्र 28 दिन का होता है।
मासिक चक्र के समय शरीर में परिवर्तन - Changes in Body During Periods in Hindi
- हार्मोन्स में परिवर्तन
मासिक चक्र के शुरू के दिनों में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन बढ़ना शरू होता है। ये हार्मोन शरीर को स्वस्थ रखता है विशेषकर ये हड्डियों को मजबूत बनाता है। साथ ही इस हार्मोन के कारण गर्भाशय की अंदरूनी दीवार पर रक्त और टिशूज़ की एक मखमली परत बनती है ताकि वहाँ भ्रूण पोषण पाकर तेजी से विकसित हो सके। ये परत रक्त और टिशू से बनी होती है। - ओव्यूलेशन
संतान उत्पन्न होने के क्रम में किसी एक ओवरी में से एक विकसित अंडा डिंब निकल कर फेलोपीयन ट्यूब में पहुँचता है। इसे ओव्यूलेशन कहते है। आमतौर पर ये मासिक चक्र के 14 वें दिन होता है । कुछ कारणों से थोड़ा आगे पीछे हो सकता है। ओव्यूलेशन के समय कुछ हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन आदि अधिकतम स्तर पर पहुँच जाते है। इसकी वजह से जननांगों के आस पास ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है। योनि के स्राव में परिवर्तन हो जाता है। जिसके कारण महिलाओं की सेक्सुअल डिजायर बढ़ जाती हैं। इसलिए इस ड्यूरेशन में सेक्स करने पर प्रेग्नेंट होने के चन्वेस बढ़ जाते हैं। - अंडा
फेलोपियन ट्यूब में अगर अंडा शुक्राणु द्वारा निषेचित हो जाता है तो भ्रूण का विकास क्रम शुरू हो जाता है। अदरवाइज 12 घंटे बाद अंडा खराब हो जाता है। अंडे के खराब होने पर एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल कम हो जाता है। गर्भाशय की ब्लड व टिशू की परत की जरुरत ख़त्म हो जाती है। और ऐसे में यही परत नष्ट होकर योनि मार्ग से बाहर निकल जाती है। इसे ही पीरियड्स, मेंस्ट्रुल साइकिल, महीना आना या रजोधर्म भी कहा जाता है। और इस दौर से गुजऱने वाली स्त्री को रजस्वला कहा जाता है। - ब्लीडिंग
पीरियड्स के समय अक्सर यह मन में यह मन में यह सवाल आता है की ब्लीडिंग कितने दिन तक होना चाहिए और कितनी मात्रा में होना चाहिए कि जिसे सामान्य मानें। पीरियड यानि MC के समय निकलने वाला स्राव सिर्फ रक्त नहीं होता है। इसमें नष्ट हो चुके टिशू भी होते है। अतः ये सोचकर की इतना सारा रक्त शरीर से निकल गया, फिक्र नहीं करनी चाहिए। इसमें ब्लड की क्वांटिटी करीब 50 ml ही होती है। नैचुरली पीरियड्स तीन से छः दिन तक होता है। तथा स्राव की मात्रा भी अलग अलग हो सकती है। यदि स्राव इससे ज्यादा दिन तक चले तो डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।
पीरियड्स से पहले के लक्षण - Symptoms Before Periods in Hindi
लड़कियों को शुरू में अनियमित पीरियड्स, ज्यादा या कम दिनों तक पीरियड, कम या ज्यादा मात्रा में स्राव, डिप्रेशन आदि हो सकते है। इसके अलावा पीएमएस यानि पीरियड्स होने से पहले के लक्षण नजर आने लगते है। अलग अलग स्त्रियों को पीएमएस के अलग लक्षण हो सकते है। इस समय पैर, पीठ और अँगुलियों में सूजन या दर्द हो सकता है। स्तनों में भारीपन, दर्द या गांठें महसूस हो सकती है। सिरदर्द, माइग्रेन, कम या ज्यादा भूख, मुँहासे, त्वचा पर दाग धब्बे, आदि हो सकते है। इस तरह के लक्षण पीरियड शुरू हो जाने के बाद अपने आप ठीक हो जाते है। इसलिए उन दिनों में अपने आपको सहारा डैम और मजबूत बनें।
पीरियड्स आने की उम्र - Periods Age in Hindi
आमतौर पर लड़कियों में पीरियड्स 11 से 14 साल की उम्र में शुरू हो जाती है। लेकिन अगर थोड़ा देर या जल्दी आजाए तो चिंता न करें। पीरियड्सशुरू होने का मतलब होता है की लड़की माँ बन सकती है। शुरुआत में पीरियड्स और ओव्यूलेशन के समय में अंतर हो सकता है। यानि हो सकता है की पीरियड्सशुरू नहीं हो लेकिन ओव्यूलेशन शुरू हो चुका हो। ऐसे में गर्भ धारण हो सकता है। और इसका उल्टा भी संभव है। यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि पीरियड्स शुरू नहीं होने पर भी प्रेगनेंट होना संभव है इसलिए सावधानी बरतें।
पहले ही किशोरियों को समझाएं - Discuss Periods Cycle With Young Girls
लड़कियों में शारीरिक परिवर्तन दिखने पर या लगभग 10 -11 साल की उम्र में मासिक धर्म के बारे में जानकारी देकर इसे कैसे मैनेज करना है समझा देना चाहिए। जिससे वे शरीर में होने वाली इस सामान्य प्रक्रिया के लिए मानसिक रूप से भी तैयार हो जाएँ। साथ ही आप लोगों को भी यह समझने की जरूरत है कि पीरियड्स मवं में अपवित्रता जैसा कुछ नहीं है। ये एक सामान्य शारीरिक क्रिया है जो एक जिम्मेदारी का अहसास कराती है। इसकी वजह से लड़कियों पर आने जाने या खेलने कूदने पर पाबन्दी नहीं लगानी चाहिए। पर ध्यान रहे बच्चियों को गर्भ धारण करने की सम्भावना के बारे में जरूर समझाना चाहिए जिससे वे सतर्क रहें।
पीरियड्स आने पर - During Periods Time
- सभी महिलाएं पीरियड्स की डेट जरूर याद रखें जिससे आप पहले ही तैयार रहें।
- इस दौरान खुदको किसी चीज़ से न रोकें नहीं। सामान्य जीवन शैली ही जिएं। बस अगर मौका मिले तो थोड़ा आराम करें।
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