अपेंडिसाइटिस क्या होता है? लक्षण, कारण, परहेज और इलाज
अपेंडिसाइटिस क्या होता है?
अपेंडिक्स में सूजन आ जाने या संक्रमण हो जाने को अपेंडिसाइटिस कहा जाता है। अपेंडिक्स हमारे शरीर में मौजूद एक करीब 3 इंच लम्बी नली के समान होता है। यह बड़ी आंत से निकलकर शरीर के निचले दाहिने हिस्से में स्थित होता है। वैसे तो शारीरिक क्रिया कलाप में इसकी कोई भूमिका नहीं होती है पर जानकार मानते हैं कि अपेंडिक्स में मौजूद ऊतक एंटीबॉडी बनाने का काम करते हैं।
अपेंडिसाइटिस के रोग में कुछ अनचाहे तत्व इस अपेंडिक्स ट्यूब में चले जाते हैं जो संक्रमण का कारण बन जाते हैं। कई बार यह संक्रमण इतना बढ़ जाता है कि अपेंडिक्स फट जाता है। ये स्थिति खतरनाक होती है और इसमें तुरंत सर्जरी की आवश्यकता होती। वैसे तो एपेंडिसाइटिस किसी विशेष उम्र के लोगों में नहीं होता पर इसके अधिकतर रोगी 10 से 30 साल की उम्र के होते हैं।
अपेंडिसाइटिस के प्रकार (Prakaar)
अपेंडिसाइटिस दो प्रकार का होता है-
एक्यूट अपेंडिसाइटिस की स्थिति तब होती है जब अपेंडिक्स में मौजूद संक्रमण तेज़ी से बढ़ता है। यह कुछ घंटों के अंदर ही गंभीर रूप ले सकता है। इसमें रोगी को तुरंत चिकित्सा की ज़रूरत होती है। इसमें दवाओं के अलावा अपेंडिक्स सर्जरी की नौबत भी आ सकती है।
क्रॉनिक अपेंडिसाइटिस बहुत कम ही लोगों में होता है। इसमें अपेंडिक्स का संक्रमण लम्बे समय तक बना रहता है।
अगर अपेंडिसाइटिस में होने वाली जटिलताओं की बात करें तो इसे दो श्रेणियों में रखा जाता है
- सिम्पल (साधारण) अपेंडिसाइटिस - इसमें रोगी की स्थिति में कोई जटिल समस्या नहीं होती है।
- कॉम्प्लेक्स अपेंडिसाइटिस – ऐसे मामले जिनमें अपेंडिक्स फट जाता है या फिर उसमें मवाद बन जाता है उसे काम्प्लेक्स अपेंडिसाइटिस कहते हैं। यह स्थिति काफी गंभीर होती है जिसमें तुरंत सर्जरी करनी पड़ सकती है।
अपेंडिसाइटिस के लक्षण
अपेंडिसाइटिस के लक्षणों की शुरुआत नाभि का आसपास दर्द और हल्के बुखार से होती है। जैसे जैसे रोग बढ़ता है लक्षणों में भी बढ़ोत्तरी होती जाती है। आमतौर पर दिखने वाले लक्षणों में शामिल हैं-
- दर्द का बढ़ना और पेट निचले हिस्से में बायीं तरफ महसूस होना।
- खांसने ,चलने फिरने और अचानक हिलने डुलने से दर्द में बढ़ोत्तरी।
- जी मिचलाना
- उल्टी आना
- बुखार का बढ़ना
- कब्ज़ होना या दस्त लगना
- पेट में भारीपन महसूस होना
- गैस पास ना कर पाना
- पेशाब करते वक्त दर्द होना
- भूख ना लगना
अपेंडिसाइटिस के कारण
जब अपेंडिक्स की लाइनिंग किसी कारण से अवरुद्ध हो जाती है तो उसमें संक्रमण हो जाता है। इस स्थिति को अपेंडिसाइटिस कहते हैं।अपेंडिक्स को अवरुद्ध करने वाले कारकों की बात करें तो-
- ये कठोर मल के कारण हो सकता है
- आंतों के लिम्फ नोड्स में सूजन के कारण हो सकता है
- किसी परजीवी के संक्रमण के कारण भी संभव है
- पेट में किसी दुर्घटना के कारण लगी चोट से भी ये हो सकता है
- आंतो और अपेंडिक्स को जोड़ने वाले स्थान के अवरुद्ध होने से हो सकता है
- पाचन मार्ग में संक्रमण के कारण भी यह समस्या हो सकती है
- इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज के कारण भी अपेंडिसाइटिस होना सम्भव है
- अपेंडिक्स के अंदर किसी असामान्य विकास के कारण भी अपेडिसाइटिस होने की आशंका होती है।
बीमारी के दौरान आपका खान-पान (Bimari ke Dooran Aapki Diet)
अपेंडिसाइटिस के रोगियों को खाने पीने में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। इस रोग में आप क्या खा रहे हैं या क्या पी रहे हैं इस पर निर्भर करता है कि आपके रोग के लक्षण नियंत्रण में रहेंगे या नहीं। कई बार सही आहार लेने से आपको अपेंडिक्स के दर्द में राहत मिल सकती है। वहीं गलत आहार लेने से आपकी तकलीफ बढ़ भी सकती है। जानकारों का मानना है कि अपेंडिसाइटिस के रोगियों को फाइबर से भरपूर आहार लेना चाहिए।साथ ही भरपूर पानी पीना भी ज़रूरी है। अपेंडिसाइटिस में लिए जाने वाले कुछ विशेष खाद्य पदार्थों की बात करें तो इनमें शामिल हैं-
- मेथी दाना - मेथी दाने का सेवन करने से आपके अपेंडिक्स में पस बनने की संभावना कम होती है और दर्द से राहत मिलती है। इसके लिए मेथी को पानी में उबालकर उस पानी का सेवन करें।
- छाछ- छाछ पीने से अपेंडिक्स के लक्षणों में कमी आती है।इसे रोज़ाना पीने का प्रयास करना चाहिए और हो सके तो छाछ को घर में ही तयार करें।
- ब्राउन राइस - ब्राउन राइस आपके पाचन के लिए अच्छा होता है।ये अपेंडिसाइटिस के लिए फायदेमंद है।
- सब्ज़ियों का जूस - गाजर, चुकंदर, खीरे, आदि का जूस पीने से अपेंडिसाइटिस के दर्द में कमी आती है।
- अदरक- अदरक में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो संक्रमण को कम करते हैं। इसके अलावा इसे हल्दी और शहद में मिलाकर लेने से उल्टी और जी मिचलाना भी कम होता है।
- पुदीना - इसका सेवन करने से जी मिचलाना, उल्टी और अपच जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है जो अपेंडिसाइटिस के प्रमुख लक्षण होते हैं।
इन चीजों से करें परहेज (En cheezo se kare parhez)
- अधिक तेल मसाले वाला भोजन - अधिक तेल वाला भोजन आपके पाचन तंत्र के लिए हानिकारक होता है और अपेंडिसाइटिस के लक्षणों के बढ़ा सकता है।
- शराब- शराब के सेवन से अपेंडिसाइटिस और गंभीर स्थिति में आ सकता है।
- फैटी फूड - कोई भी ऐसी खाद्य सामग्री जिसे पचने में अधिक समय लगता है उनका सेवन ना करें।
- चीनी - अधिक चीनी के सेवन से आपको डायरिया की समस्या हो सकती है जो अपेंडिसाइटिस को और खराब कर सकती है।
अपेंडिसाइटिस जैसा दर्द महसूस हो तो तुरंत अपने चिकित्सक से सम्पर्क करें। ऐसा करने से आपके लक्षणों के आधार पर आपकी ज़रूरत के हिसाब से दवाएं दी जा सकेंगी। अगर दवा करने के बाद दोबारा आपको वही लक्षण महसूस हों तो डॉक्टर को अवश्य बताएं। इसके अलावा विशेषज्ञ द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन करते हुए खाने पीने, व्यायाम और परहेज़ का ध्यान रखें। अगर आपके अपेंडिसाइटिस की सर्जरी हुई है और आपको कब्ज़, बुखार पेट में नीचे की तरफ तेज़ दर्द या टांकों में पस नज़र आए तो भी चिकित्सक को अवश्य सूचित करें क्योंकि यह एक आपात स्थिति हो सकती है। इसके अलावा कुछ और बातों का ध्यान रखें-
- ज्यादा भारी और थका देने वाले काम ना करें।
- खांसते समय पेट को सहारा देकर ही खांसें
- दर्द निवारक दवाएं काम ना कर रही हो तो डॉक्टर को तुरंत बताएं
- भरपूर आराम करें
- काम पर तभी जाएं जब चिकित्सक अनुमति दे।
अपेंडिसाइटिस होने पर लैक्सेटिव ना लें। ये आपकी तकलीफ को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा बिना चिकित्सक से पूछे कोई एंटीबायोटिक या पेन किलर भी ना लें। ये स्थिति बिगाड़ सकते हैं।
घर पर अपेंडिसाइटिस ठीक कैसे करे
अपेंडिसाइटिस होने पर घर बैठे कुछ सावधानियां बरतने से आपको आराम मिल सकता है।
- पौष्टिक आहार लें - ध्यान रखें कि आपको खाने में पौष्टिक आहार ही लेना है। थोडा थोड़ा खाएं ।एक बार में ज्यादा खाने के बजाय कई बार भी खा सकते हैं। कैफीन के सेवन से बचें। ज़िंक और ब्रोमेलिन युक्त चीज़ें खाएं। आसानी से पचने वाला भोजन ही चुनें।.
- विटामिन सी से भरपूर भोजन लें - विटामिन सी किसी प्रकार के घाव को तेज़ी से भरने का काम करता है। ऐसे में आप भी ऐसी चीज़ों का सेवन करें जिनमें विटामिन सी हो जैसे खट्टे फल जिनमें नींबू,कीवी,आंवला,संतरा अमरूद इत्यादि शामिल हैं।
- हरी मूंग दाल का सेवन करें - हरी मूंग में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं जो सर्जरी के बाद आपको जल्दी स्वस्थ करने में मदद कर सकते हैं।ये पाचन के लिए भी अच्छी मानी जाती है।
- अपने क्रिया कलाप धीरे धीरे बढ़ाएं - अपेंडिक्स की सर्जरी हुई हो तो अपनी सक्रियता धीरे धीरे बढ़ाएं। घर में ही थोड़ी चहलकदमी कर लें। इससे आपका पाचन भी सुधरेगा।भरपूर पानी पिएं और डॉक्टर से पूछकर ही कोई व्यायाम शुरु करें।
- सर्जरी के बाद के व्यायाम - चिकित्सक की सलाह पर सर्जरी के बाद हल्की फुल्की एक्सरसाइज़ शुरु कर सकते हैं जिससे आपके शरीर में रक्त का संचार ठीक से होता रहे। ये व्यायम आप बेड में लेटे लेटे बी कर सकते हैं।
- सर्जरी के बाद मालिश - अपेंडिसाइटिस की सर्जरी के बाद विशेष प्रकार की मालिश भी की जाती है जिससे शरीर के सारे अंगों में रक्त संचार होता रहे और क्लॉट की आशँका को कम किया जा सके। इसके लिए अपने डॉक्टर की सलाह लें।
- भरपूर आराम करें - सर्जरी के बाद आराम करने में कोताही ना करें। जितना हो सके उतनी अधिक नींद लें। आराम करने से आपका शरीर तेज़ी से रिकवर होगा।
अपेंडिसाइटिस का इलाज (Ilaaj)
अगर आपको अपेंडिसाइटिस के लक्षण हैं तो सबसे पहले चिकित्सक आपका फिज़िकल चेकअप करके बीमारी का पता लगाने की कोशिश करेंगे। वो पेट के निचले हिस्से में किसी तरह की कठोरता,सूजन या ढीलेपन की जांच करेंगे। आपको अपेंडिसाइटिस के बजाय और किसी बीमारी की आशँका तो नहीं इसे सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टर कई टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं जैसे।
- कम्प्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) – सीबीसी जांच के ज़रिए संक्रमण का पता लगाया जाता है। पेट में किसी अन्य तरह का संक्रमण में भी मिलते जुलते ही लक्षण होते हैं।
- युरीन(मूत्र) टेस्ट – इस जांच के ज़रिए युरिनरी ट्रैक्ट का संक्रमण या पथरी का पता लगाया जाता है।
- प्रेग्नेंसी टेस्ट – इसके ज़रिए पता लगाया जाता है कि कहीं रोगी को एक्टोपिक प्रेग्नेंसी तो नहीं है।
- पेल्विक एग्ज़ाम – ये महिलाओं में किया जाता है जिससे उनके प्रजनन अंगों में किसी तरह के संक्रमण का पता लगाया जा सके।
- इमेंजिंग टेस्ट - पेट में किसी तरह के पस और अन्य समस्य़ाओं का पता लगाने के लिए किया जाता है।इसमें अल्ट्रासाउंड, एक्स रे, सीटी स्कैन या एमआरआ कराए जाते हैं।
- चेस्ट इमेजिंग – इसे छाती में निमोनिया का पता लगाने के लिए किया जाता है।
इलाज की बात करें तो अधिकतर मामलों में अपेंडिक्स को सर्जरी के द्वारा हटा दिया जाता है।इसे अपेंडेक्टोमी कहते हैं। किसी तरह के संक्रमण को दूर रखने के लिए सर्जरी से पहले रोगी को एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं।
अपेंडिसाइटिस के लिए सर्जरी
अपेंडिसाइटिस की सर्जरी दो तरीकों से की जा सकती है।इस र्जरी को अपेंडाइसेक्टॉमी कहा जाता है।लैपराटॉमी- ये एक ओपेन सर्जरी है जिसमें शरीर पर करीब 2 से 4 इंच तक का कट लगाया जाता है।यह कट आपकी नाभि के नीचे दायीं तरफ लगाया जाता है। इस कट के ज़रिए अपेंडिक्स को हटा दिया जाता है।इसे ओपेन सर्जरी भी कहा जाता है।
- लैपरोस्कोपिक सर्जरी – यह सर्जरी कम्पयूटर और मशीनों की मदद से की जाती है। इस प्रक्रिया के लिए रोगी को जनरल एनेस्थीसिया दी जाती है। इस सर्जरी में नाभि के नीचे की तरफ पोर्ट नाम के उपकरण को पेट के अंदर डालते हैं।इस पोर्ट के ज़रिए सर्जन आपके पेट में गैस भर देते हैं।इससे उन्हें सर्जरी करने के लिए अधिक जगह मिल जाती है। इसके बाद इस पोर्ट के ज़रिए एक कैमरा अंदर भेजा जाता है। की मदद से कई छोटे छोटे कट लगाए जाते हैं और फिर एक कैमरे की मदद से सर्जरी की जाती है।कैमरे के ज़रिए अंदर की जा रही सर्जरी को बाहर स्क्रीन पर देखा जा सकता है। एक बार अंदर की तस्वीर मिलने लगती है तो कुछ और पोर्ट बनाकर इसे माध्यम से दूसरे पतले और लम्बे उपकरणों को पेट में डाला जाता है।सर्जरी के बाद कट को टांके लगाकर बंद कर दिया जाता है।फिर सर्जन हल्के हाथों से आपके अपेंडिक्स को काटकर अलग कर देते हैं। अधिकतर सर्जरी में तीन कट लगाए जाते हैं।पर आपकी स्थिति को देखते हुए इनकी संख्या कम या अधिक हो सकती है।
- रोबोटिक सर्जरी -अगर आप अत्याधुनिक अस्पताल में सर्जरी करा रहे हैं तो सर्जरी के लिए सर्जिकल रोबोट का इस्तेमाल किया जाता है। सर्जरी की प्रक्रिया वैसी ही होती है पर ड़ॉक्टर रोबोट को गाइड कर के आपरेशन करते हैं।आपकी सर्जरी के दौरान कट में एक पतली ड्रेन ट्यूब डाली जा सकती है जिससे सर्जरी वाले क्षेत्र से तरल पदार्थ बाहर निकाला जा सके जो आपके घाव को जल्दी ठीक होने में मदद करेंगा।इस ट्यूब को बाद में निकाल दिया जाता है।
- रिकवरी की अवधि - किसी भी रोगी की रिकवरी इस पर निर्भर करती है कि उसकी बीमारी कितनी गंभीर अवस्था में थी।लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में आमतौर पर एक से तीन हफ्तो में रोगी ठीक हो जाता है। वहीं ओपेन सर्जरी में दो से चार हफ्तों का समय लगता है।अगर एपेंडिक्स फट गया है तो आपको पहले पस निकालने और संक्रमण दूर होने तक इंतज़ार करना पड़ेगा।सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक आपको सावधानी बरतने की ज़रूरत होती है।किसी भी तरह की थकाने वाली गतिविधि से दूर रहें। हंसते ,खांसते वक्त दर्द को कम करने के लिए पेट को तकिया या किसी चीज़ से दबा कर रखें।अगर दर्द निवारक लेने के बाद भी दर्द बना रहे तो तुरंत अपने चिकित्सक से सम्पर्क करें।
इलाज की लागत (Ilaaj ka Kharcha)
अपेंडिसाइटिस के इलाज की लागत की बात करें तो इसमें करीब 30 हजार रुपए से लेकर 90 हजार रुपए तक का खर्च आता है। हालांकि इसके इलाज का खर्च बीमारी की गंभीरता और उसके प्रकार पर निर्भर करता है। आपके द्वारा चुने गए डॉक्टर्स और हॉस्पिटल के चयन के कारण भी इलाज की लागत कम या ज्यादा हो सकती है।
निष्कर्ष
बड़ी आंत के नीचे मौजूद एक छोटी और पतली सी ट्यूब को अपेंडिक्स कहते हैं।कई बार इस ट्यूब में कुछ अनचाहे तत्व चले जाते हैं जो इसे ब्लाक कर देते हैं।इससे संक्रमण हो जाता है और ट्यूब फट भी सकती है। इसके इलाज के सर्जरी के द्वारा अपेंडिक्स को हटा दिया जाता है। सर्जरी ओपेन र लैप्रोस्कोपिक दोनों प्रकार से होती है।सर्जरी के बाद तीन से चार हफ्तों में रोगी स्वस्थ हो जाता है।