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Last Updated: Apr 04, 2023
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आर्टरीज़- शरीर रचना (चित्र, कार्य, बीमारी, इलाज)

आर्टरीज़ का चित्र भाग कार्य रोग जांच इलाज दवाइयां

आर्टरीज़ का चित्र | Arteries Ki Image

आर्टरीज़ का चित्र | Arteries Ki Image

आर्टरीज़, ब्लड वेसल्स होती हैं। ये ब्लड वेसल्स, अधिकांश तौर पर ऑक्सीजन युक्त रक्त को हृदय से दूर ले जाती हैं और इसे विभिन्न ऑर्गन्स और टिश्यूज़ तक पहुँचाती हैं। आर्टरीज़, हृदय और अन्य ब्लड वेसल्स के साथ-साथ, सर्कुलेटरी सिस्टम का एक हिस्सा हैं।

आर्टरीज़, इलास्टिक मस्कुलर ट्यूब जैसी होती हैं। ये रक्त वाहिकाएं ऑक्सीजन युक्त रक्त के साथ-साथ, नुट्रिएंट्स और हार्मोन को भी पूरे शरीर में पहुंचाने में मदद करती हैं।

आर्टरीज़ बहुत सी ब्रांचेज में बंटती हैं जिससे माइक्रोस्कोपिक आर्टरीज़ बनती हैं। इन माइक्रोस्कोपिक आर्टरीज़ को आर्टेरिओल्स कहा जाता है। आर्टरीज़ की ब्रांचेज बनने से, रक्त कैपिलरी बेड तक पहुँचता है। कैपिलरीज, ब्लड वेसल्स होती हैं, जो रक्त को माइक्रोस्कोपिक लेवल पर शरीर के अंगों तक ले जाती हैं।

आर्टरीज़ के अलग-अलग भाग

आम तौर पर, एक आर्टरी में तीन लेयर्स होती हैं:

  1. ट्यूनिका इंटिमा: ये सबसे अंदर की लेयर होती है और इसमें इलास्टिक मेमब्रेन्स और टिश्यूज़ होते हैं जो रक्त को सही दिशा में ले जाने में मदद करते हैं।
  2. ट्युनिका मीडिया: यह बीच की लेयर होती है और सबसे मोटी होती है। इसमें इलास्टिन और चिकनी मांसपेशियां होती हैं।
  3. ट्यूनिका एडवेंटीटिया: यह सबसे बाहर वाली लेयर होती है और इसमें कोलेजन फाइबर और इलास्टिन होते हैं, जो अतिरिक्त ताकत प्रदान करते हैं। यह लेयर, आर्टरीज़ को फैलने और सिकुड़ने में भी सक्षम बनाती है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए एक महत्वपूर्ण विशेषता है।

शरीर में तीन मुख्य प्रकार की आर्टरीज़ होती हैं:

  1. इलास्टिक: इन आर्टरीज़ में मस्कुलर टिश्यू की तुलना में अधिक इलास्टिक होता है। ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी से उन्हें रक्त के प्रवाह को समायोजित करने में मदद मिलती है। पल्मोनरी आर्टरी और एओर्टा सहित इलास्टिक आर्टरीज़, हृदय से निकलती हैं।
  2. मस्कुलर: इन आर्टरीज़ में कम इलास्टिन और ज्यादा स्मूथ मसल फाइबर होता है। इलास्टिक आर्टरीज़, मस्कुलर आर्टरीज़ में फ़ीड करती हैं, और स्मूथ मसल फाइबर के कारण वे रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए एक्सपैंड और कॉन्ट्रैक्ट कर सकती हैं। इन आर्टरीज़ के उदाहरण हैं: कोरोनरी और फेमोरल आर्टरीज़।
  3. आर्टेरिओल्स: आर्टरीज़ जब बाहर निकलती हैं तो छोटी ब्लड वेसल बन जाती हैं जिन्हें आर्टेरिओल्स कहते हैं। ये आर्टेरिओल्स कैपिलरीज के नेटवर्क के माध्यम से रक्त वितरित करने में मदद करते हैं, जो माइक्रोस्कोपिक हैं।

    जब दिल धड़कता है, तो यह सर्कुलेटरी सिस्टम के माध्यम से रक्त को स्थानांतरित करता है - शरीर की कैपिलरीज, नसों और आर्टरीज़ में।

आर्टरीज़ की भूमि बहुत महत्वपूर्ण होती है। उदाहरण के लिए, एओर्टा सबसे बड़ी और मुख्य आर्टरी है। यह रक्त को हृदय के बाएं वेंट्रिकल से शरीर के अन्य भागों में ले जाती है। यह अंगों, टिश्यूज़ और कैपिलरीज को ऑक्सीजन और अन्य महत्वपूर्ण पदार्थों की आपूर्ति को सक्षम बनाती है।

शरीर के दूर स्थित टिश्यूज़ को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के बाद, जिस रक्त में अब ऑक्सीजन कम मात्रा में है, वो रक्त कैपिलरीज के माध्यम से यात्रा करता है और सिस्टमिक वेइन्स में इकट्ठा होता है। फिर यह दाहिने एट्रियम के माध्यम से हृदय में वापिस आता है, और पूरी प्रक्रिया फिर से दोहराई जाती है।

आर्टरीज़ के कार्य | Arteries Ke Kaam

आर्टरीज़ के कार्य | Arteries Ke Kaam

शरीर में आर्टरीज़ के नेटवर्क में निम्नलिखित शामिल हैं और उनके कार्य का वर्णन भी किया गया है:

  1. एओर्टा
    एओर्टा लगभग एक इंच चौड़ी होती है और यह शरीर की सबसे बड़ी आर्टरी होती है। एओर्टा वाल्व के माध्यम से रक्त, हृदय से होकर जाता है, फिर रक्त एओर्टा के माध्यम से हृदय से निकल जाता है। दूसरी आर्टरीज़ भी वहां से निकलती हैं।
  2. सिर और गर्दन की आर्टरीज़
    इन आर्टरीज़ के कुछ उदाहरण हैं: दाएं और बाएं कॉमन (आम) कैरोटिड आर्टरीज़। ये आर्टरीज़, गर्दन में स्थित होती हैं। एक्सटर्नल और इंटरनल कैरोटिड आर्टरीज़, कॉमन (आम) कैरोटिड से ही ब्रांच-ऑफ होती हैं। इंटरनल कैरोटिड मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति करती है। एक्सटर्नल कैरोटीड, रक्त को गर्दन और निचले चेहरे तक ले जाती है।
  3. टोरसो की आर्टरीज़
    एक ब्रोन्कियल आर्टरी है, जो फेफड़ों में रक्त की आपूर्ति करती है। एक और पेरिकार्डियल आर्टरी है, जो रक्त को हृदय के चारों ओर मेम्ब्रेन तक ले जाती है।
    पोस्टीरियर और सुपीरियर इंटरकोस्टल आर्टरीज़, शरीर के दोनों किनारों पर स्थित, आर्टरीज़ के पेअर(जोड़े) हैं जो टोरसो(धड़) के क्षेत्रों, जैसे कि त्वचा, पीठ और रीढ़ की हड्डी में रक्त ले जाती हैं।
  4. पेट की धमनियां(एब्डोमेन आर्टरीज़)इन आर्टरीज़ का एक उदाहरण है: सीलिएक ट्रंक। ये ट्रंक, लीवर, स्प्लीन और पेट को रक्त की आपूर्ति करता है। सुपेरिओए और इन्फीरियर मेसेंट्रिक आर्टरीज़, इंटेस्टाइन्स और पैंक्रियास तक रक्त की आपूर्ति करती हैं। इन्फीरियर फ्रेनिक आर्टरी, रक्त को डायाफ्राम तक ले जाती है। और किडनी की आर्टरीज़, रक्त को किडनी तक ले जाती हैं। लम्बर आर्टरीज़, रीढ़ की हड्डी और वेर्टेब्रे तक रक्त पहुंचाती हैं।
  5. 5. आर्म(बांह) की आर्टरीज़
    आर्म (बांह) की आर्टरीज़ में एक्सिलरी शामिल होती है, जो टोरसो से लेकर आर्म्स तक जाती है। ब्रान्चियल आर्टरी, आर्म के ऊपरी भाग में रक्त की आपूर्ति करती है। रेडियल और उलनार आर्टरीज़, रक्त को हाथ और कलाई तक ले जाती हैं।
  6. पैर की आर्टरीज़
    पैर की आर्टरीज़ में फेमोरल आर्टरीज़ होती हैं, जो जांघ तक रक्त ले जाती हैं। पोपलीटल आर्टरी, घुटने के नीचे की जगह में रक्त को पहुंचाती है। टिबियल आर्टरीज़, दांतों और टखनों में रक्त को पहुंचाती हैं।

आर्टरीज़ के रोग | Arteries Ki Bimariya

आर्टरीज़ के रोग | Arteries Ki Bimariya

  • कोरोनरी आर्टरी रोग: एथेरोस्क्लेरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली आर्टरीज़ में संकुचन हो जाता है। कोरोनरी आर्टरी की बीमारी से दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक हो जाती है।
  • कैरोटिड आर्टरी रोग: गर्दन में एक या दोनों कैरोटिड आर्टरीज़ के संकुचन के कारण भी एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या हो जाती है। कैरोटिड आर्टरीज़ की बीमारी के कारण, स्ट्रोक की अधिक संभावना बन जाती है।
  • मायोकार्डियल इन्फार्क्शन (दिल का दौरा): यदि हृदय को रक्त की आपूर्ति करने वाली आर्टरीज़ में से किसी एक में भी ब्लड क्लॉट हो जाता है, तो मायोकार्डियल इन्फार्क्शन की समस्या होती है।
  • सेरेब्रोवास्कुलर दुर्घटना (स्ट्रोक): यदि मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली आर्टरीज़ में से किसी एक में भी अचानक से ब्लड क्लॉट हो जाता है, तो सेरेब्रोवास्कुलर दुर्घटना हो सकती है। स्ट्रोक तब भी हो सकता है जब मस्तिष्क की आर्टरीज़ में से एक फट जाती है, जिससे ब्लीडिंग भी होती है।
  • टेम्पोरल आर्टेराइटिस: स्कैल्प की टेम्पोरल आर्टरी में सूजन हो जाती है। जब भी हम कुछ चबाते हैं तो जबड़े में दर्द और स्कैल्प के ऊपर दर्द होना, इसके सामान्य लक्षण हैं।
  • पेरीफेरल आर्टरी डिजीज: एथेरोस्क्लेरोसिस, जिसके कारण पैरों या कमर में मौजूद आर्टरीज़ में संकुचन होता है तब पेरीफेरल आर्टरी डिजीज की समस्या हो सकती है। पैरों में रक्त के प्रवाह में कमी के कारण दर्द या घाव, ठीक नहीं हो सकता है।
  • आर्टेरियल थ्रोम्बोसिस: आर्टरीज़ में से एक में, अचानक ब्लड क्लॉट हो जाने से रक्त का प्रवाह रुक जाता है। आर्टरी में रक्त के प्रवाह को फिर से ठीक करने के लिए तत्काल उपचार आवश्यक है।
  • आर्टरीज़ का स्टेनोसिस: एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण, आमतौर पर, आर्टरीज़ संकुचित हो जाती हैं। जब दिल, गर्दन या पैरों में आर्टरीज़ में स्टेनोसिस होता है, तो ब्लड फ्लो में कमी से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
  • वास्कुलिटिस (आर्टेरिटिस): आर्टरीज़ की सूजन जब होती है, तो उसमें एक से ज्यादा आर्टरीज़ शामिल हो सकती हैं। ज्यादातर समय, वास्कुलिटिस एक अति सक्रिय इम्यून सिस्टम के कारण होता है।
  • एथेरोस्क्लेरोसिस: कोलेस्ट्रॉल का संचय होने से, आर्टरीज़ की दीवारों में प्लाक बन जाता है। दिल, मस्तिष्क या गर्दन की आर्टरीज़ में एथेरोस्क्लेरोसिस, दिल के दौरे और स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
  • एमोरोसिस फुगैक्स: रेटिना, जो कि लाइट-सेंसिटिव टिश्यू होता है और आँखों के पीछे वाले हिस्से को लाइन करता है, में यदि अस्थायी तौर पर ब्लड फ्लो में कमी हो जाती है तो एक आंख में दृष्टि की हानि हो सकती है। यह आमतौर पर तब होता है जब कैरोटीड धमनियों में से एक में कोलेस्ट्रॉल प्लाक का एक हिस्सा (गर्दन के दोनों ओर की आर्टरीज़ जो मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करती हैं) टूट जाता है और रेटिना आर्टरी तक चला जाता है।

आर्टरीज़ की जांच | Arteries Ke Test

  • स्ट्रेस टेस्ट: इस टेस्ट में या तो व्यायाम या दवाओं के साथ, हृदय को तेजी से धड़कने के लिए प्रेरित किया जाता है। जब ये स्ट्रेस बढ़ता है तो हृदय के माध्यम से ब्लड फ्लो को भी बढ़ाता है, तब विभिन्न पटेस्टिंग टेक्निक्स के माध्यम से कोरोनरी आर्टरीज़ में संकुचन की समस्या का पता लगाया जा सकता है।
  • मैग्नेटिक रेजोनेंस एंजियोग्राफी (एमआरए स्कैन): एक एमआरआई स्कैनर, शरीर के अंदर के स्ट्रक्चर्स की अत्यधिक डिटेलएड इमेजेज बनाने के लिए, एक हाई पावर वाली मैगनेट और एक कंप्यूटर का उपयोग करता है। एमआरए के माध्यम से एक एमआरआई स्कैनर, आर्टरीज़ की इमेजेज को सर्वोत्तम रूप से प्रदर्शित कर सकता है।
  • कार्डिएक कैथीटेराइजेशन: एक कैथेटर (एक पतली, लचीली ट्यूब) को कमर, गर्दन या बांह में मौजूद आर्टरीज़ में से किसी एक में डाला जाता है और फिर उसको हृदय तक पहुँचाया जाता है। एक डाई जो इमेज कंट्रास्ट में सुधार करती है, उसे कैथेटर के माध्यम से इंजेक्ट किया जाता है ताकि कोरोनरी आर्टरीज़ के माध्यम से ब्लड फ्लो को एक्स-रे स्क्रीन पर देखा जा सके। तब आर्टरीज़ में रुकावटों का पता लगाया जा सकता है और उनका इलाज किया जा सकता है।
  • आर्टरी बायोप्सी: आमतौर पर वास्कुलाइटिस का निदान करने के लिए, आर्टरी का एक छोटा सा हिस्सा निकाल लिया जाता है और माइक्रोस्कोप के नीचे उसकी जांच की जाती है। सबसे ज्यादा जिस आर्टरी की बायोप्सी की जाती है वो है: स्कैल्प में मौजूद टेम्पोरल आर्टरी।
  • एंजियोग्राम (एंजियोग्राफी): आर्टरीज़ में एक पतली, लचीली ट्यूब डाली जाती है, और उनके माध्यम से विशेष डाई अंदर डाली जाती है, और एक्स-रे आर्टरीज़ के माध्यम से रक्त प्रवाह को दिखाता है। आर्टरीज़ में संकुचन या ब्लीडिंग वाली जगहों को, अक्सर एंजियोग्राफी के माध्यम से पहचाना जा सकता है।
  • कंप्यूटेड टोमोग्राफिक एंजियोग्राफी (सीटी-ए स्कैन): एक सीटी स्कैनर, बहुत सारे एक्स-रे लेता है, और एक कंप्यूटर उन सभी को आर्टरीज़ की डिटेल्ड इमेजेज में कम्पाइल करता है। रेगुलर एंजियोग्राफी की तुलना में सीटी-ए स्कैन, अक्सर आर्टरीज़ में संकुचन या अन्य समस्याओं का पता लगा लेता है।

आर्टरीज़ का इलाज | Arteries Ki Bimariyon Ke Ilaaj

आर्टरीज़ का इलाज | Arteries Ki Bimariyon Ke Ilaaj

  • एस्पिरिन: दर्द कम करने और बुखार कम करने के गुणों के अलावा, एस्पिरिन ब्लड क्लॉट्स में हस्तक्षेप करती है। यदि, एस्पिरिन का उपयोग रोज़ाना किया जाता है तो दिल के दौरे और स्ट्रोक को रोकने में मदद मिल सकती है।
  • प्लैविक्स (क्लोपिडोग्रेल): एक दवा, एस्पिरिन के समान होती है और इसका कार्य होता है: ब्लड क्लॉटिंग में हस्तक्षेप करना। प्लैविक्स को दिल के दौरे या स्ट्रोक के बाद निर्धारित किया जाता है जिससे भविष्य में ऐसी स्थिति न आये।
  • थ्रोम्बोलिटिक्स: दिल का दौरा या स्ट्रोक पैदा करने वाले, ब्लड क्लॉट्स को तोड़ने के लिए शक्तिशाली 'क्लॉट-बस्टिंग' दवाओं को शरीर में इंजेक्ट किया जा सकता है।सिलोस्ताजोल (प्लेटल) और पेंटॉक्सीफिललाइन (ट्रेंटल): ये दवाएं, पैरों की आर्टरीज़ में ब्लड फ्लो को बढ़ाने में मदद करती हैं। पेरीफेरल आर्टरी डिजीज वाले लोगों में, ये दवाएं चलने के दर्द को कम कर सकती हैं।
  • स्टैटिन: ये कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवाएं हैं जो मौखिक रूप से ली जाती हैं। इनमें एटोरवास्टेटिन (लिपिटर), फ्लुवास्टेटिन (लेसकोल), लोवास्टैटिन (अल्टोप्रेव, मेवाकोर), पिटावास्टेटिन (लिवालो), प्रवास्टैटिन (प्रवाचोल), रोसुवास्टेटिन (क्रेस्टर) और सिमवास्टेटिन (ज़ोकोर) शामिल हैं। यदि प्रतिदिन, इनका उपयोग किया जाता है तो स्टैटिन, दिल के दौरे या स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकता है।
  • आर्टेरियल स्टेंटिंग: स्टेंट - एक छोटी मेष ट्यूब होती है। इसे खुला रखने के लिए, आर्टरी के अंदर रखा जाता है। स्टेंटिंग, अक्सर कोरोनरी आर्टरीज़ पर किया जाता है।
  • एंजियोप्लास्टी: आर्टरीज़ में से किसी एक भी के कैथीटेराइजेशन के दौरान, इसे खोलने में मदद करने के लिए, आर्टरी के अंदर एक गुब्बारा फुलाया जाता है।
  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स: आर्टरीज़ को प्रभावित करने वाले वास्कुलिटिस के इलाज के लिए, प्रेडनिसोन या मिथाइलप्रेडनिसोलोन जैसी सूजन-रोधी दवाओं का उपयोग किया जाता है।
  • बायोलॉजिक्स: टोसिलिज़ुमैब (एक्टेमरा) नाम की एक बायोलॉजिक दवा का उपयोग किया जा सकता है। इस दवा को, त्वचा के नीचे एक इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है। इस दवा का उपयोग स्टेरॉयड के साथ किया जा सकता है।

आर्टरीज़ की बीमारियों के लिए दवाइयां | Arteries ki Bimariyo ke liye Dawaiyan

  • क्लॉट बस्टिंग के लिए, प्लाविक्स (क्लोपिडोग्रेल): यह उस प्रक्रिया को बाधित करता है जिसके माध्यम से ब्लड क्लॉट बनते हैं। यह नियमित रूप से उन रोगियों को दिया जाता है जिन्हें हाल ही में दिल का दौरा या स्ट्रोक हुआ है ताकि भविष्य में इसी तरह की घटना होने के जोखिम को कम किया जा सके।
  • सीए चैनल ब्लॉकर एक उच्च रक्तचाप ब्लॉकर के रूप में कार्य करता है: (डायहाइड्रोपाइरिडिन) एनजाइना एम्लोडिपिन रेनॉड के निकार्डिपिन निफेडिपिन निमोडिपिन
  • उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए हाइड्रालाज़ीन: हाइड्रालाज़ीन, आर्टेरिओलर वासोडिलेशन के रूप में कार्य करता है, जिसके परिणामस्वरूप हाइपरटेंशन में कमी आती है।
  • आर्टरीज़ के कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए स्टैटिन: ये कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं हैं और इनका सेवन मौखिक रूप से किया जाता है। स्टैटिन के कुछ उदाहरण हैं: एटोरवास्टेटिन, फ्लुवास्टेटिन, लोवास्टैटिन, पिटावास्टेटिन, प्रवास्टैटिन, रोसुवास्टेटिन, सिमवास्टेटिन। विशेषज्ञ द्वारा निर्देशित होने पर, जब इनका उपयोग लगातार किया जाता है तो स्टैटिन में हृदय संबंधी घटनाओं जैसे दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने की क्षमता होती है।
  • एस्पिरिन द्वारा आर्टरीज़ में दर्द से राहत: इसमें, एनाल्जेसिक और दर्द निवारक गुणों के साथ-साथ एंटीपायरेटिक (बुखार कम करने वाले) गुण होते हैं। इस दवा में, ब्लड क्लॉटिंग प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने वाले गुण भी होते हैं। यदि नियमित रूप से लिया जाए, तो यह दिल के दौरे और स्ट्रोक दोनों के जोखिम को कम कर सकता है।
  • आर्टरीज़ के थ्रोम्बोइम्बोलिज्म के लिए थ्रोम्बोलाइटिक्स: ब्लड क्लॉट को तोड़ने और उसके कारण होने वाले दिल के दौरे या स्ट्रोक को रोकने के लिए, थ्रोम्बोलाइटिक्स को शरीर में एक शक्तिशाली 'क्लॉट-बस्टिंग' दवा के रूप में इंजेक्ट किया जाता है।
  • स्ट्रोक वॉल्यूम को कम करने के लिए सिलोस्टाज़ोल और पेंटोक्सिफायलाइन: वे निचले हिस्सों में मौजूद आर्टरीज़ को रक्त प्रवाह के लिए अधिक परमियेबिल बनाते हैं। पेरीफेरल वैस्कुलर डिजीज(परिधीय संवहनी रोग) से पीड़ित रोगियों को लग सकता है कि इन दावों का उपयोग करने पर, उनको चलते समय जो भी असुविधा होती है वो कम हो जाती है।
  • आर्टरीज़ के विज़ुअल डायलेशन के लिए नाइट्रोवासोडाइलेटर: नाइट्रोग्लिसरीन आइसोसॉरबाइड, मोनो/डाय-नाइट्रेट वासोडिलेटर के रूप में कार्य करता है जो हाइपरटेंशन को कम करता है।
  • आर्टेरिअल कॉन्ट्रेक्टिलिटी के लिए ग्लाइकोसाइड्स: Na'/K' ATPase के डिगॉक्सिन इन्हीबिटर के परिणामस्वरूप कार्डियक कैल्शियम और सिकुड़न में वृद्धि होती है, और वैगल टोन में वृद्धि होती है।
  • धमनी रक्तस्राव(आर्टेरिअल हेमरेज) के लिए रानोलाज़ीन: सीने में दर्द के लिए दिया जाने वाला रानोलाज़ीन, लेट Na करंट को रोकता है, डायस्टोलिक वॉल टेंशन और दिल द्वारा की जाने वाली ऑक्सीजन कंसम्पशन को कम करता है।
  • आर्टरीज़ के वास्कुलिटिस के इलाज के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स: आर्टरीज़ को प्रभावित करने वाले वास्कुलिटिस का इलाज करते समय, प्रेडनिसोन या मिथाइलप्रेडिसिसोलोन जैसी एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं अक्सर उपयोग की जाती हैं।

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Written By
PhD (Pharmacology) Pursuing, M.Pharma (Pharmacology), B.Pharma - Certificate in Nutrition and Child Care
Pharmacology
English Version is Reviewed by
MD - Consultant Physician
General Physician
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