बार्थोलिन सिस्ट सर्जरी एक सर्जरी प्रक्रिया है, जिसमें महिलाओं में बार्थोलिन सिस्ट की सर्जरी की जाती है। बार्थोलिन सिस्ट दो छोटी-छोटी ग्रंथियां होती हैं जिनसे लिक्विड का स्राव होता है, जो योनि में चिकनाई के लिए ज़िम्मेदार होती है। जब दोनों ग्रंथि में से एक बाधित हो जाती है या उनमें सूजन आ जाती है, तो लिक्विड यहाँ ग्रंथि में इकट्ठा हो जाता है। अगर सिस्ट के अंदर के द्रव में इन्फेक्शन हो जाता है, तो सूजन वाली जगह पर फोड़ा या गांठ बन जाता है, जिसे बार्थोलिन सिस्ट भी कहा जाता है।
बार्थोलिन सिस्ट के इलाज के लिए, सर्जन एक प्रक्रिया करता है जिसे मार्सुपियलाइज़ेशन भी कहा जाता है, जिसमें द्रव को बाहर निकालने के लिए एक छोटा कट लगाकर द्रव को बाहर निकाला जाता है। जब बार्थोलिन सिस्ट का उपचार पहली बार होता है तो उसे सर्जरी द्वारा बाहर निकाला जाता है। जब अगर कोई भी उपचार काम नहीं करता है तो दुर्लभ मामलों में बार्थोलिन सिस्ट को सर्जरी से हटाया जा सकता है। प्रक्रिया के दौरान लोकल और जनरल एनेस्थीसिया का उपयोग किया जा सकता है, जिसे करने में लगभग 15 मिनट लगते हैं।
बार्थोलिन सिस्ट के लक्षणों और स्थिति के आधार पर इलाज करने के कई सर्जिकल तरीके हैं। डॉक्टर शुरु में लक्षणों के इलाज के लिए सर्जिकल मेथड का सुझाव दे सकते है। आप किसी भी उचित मार्गदर्शन और अनुभव के साथ सर्जरी से जुड़े जोखिम को कम कर सकते हैं। सर्जिकल तरीकों में शामिल हैं:
ये एक विकल्प है, जिसमें महिलाओं में एक छोटी सी सर्जरी की जाती है। किसी रोगी को यदि बार्थोलिन सिस्ट बार-बार हो रही है या सिस्ट से दर्द और परेशानी हो रही हैं, तो आपका सर्जन ये प्रक्रिया अपना सकता है। ऐसे मामलों में जब अन्य उपचार काम नहीं करते हैं, तो यह एक उपचार विकल्प होता है।
इसमें सबसे पहले रोगी को जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है, ताकि रोगी आराम करें और उसे कोई दर्द महसूस न हो।। उसके बाद, द्रव को पूरी तरह बाहर निकालने के लिए सर्जन सिस्ट में एक चीरा बनाता है। सर्जन फिर बनाये हुए चीरे के टिश्यू को और आपके वुलवा पर उसके बगल की त्वचा के साथ बॉर्डर पर टांके लगाता है। जिसके कारण एक छोटा खुला पाउच बन जाता है जो अपने चारों ओर की त्वचा से साथ मिश्रित हो जाता है और सिस्ट से जमे द्रव या तरल पदार्थ को लगातार बाहर निकलने देता है।
इसमें फोड़े की जगह एक छोटा चीरा बना कर द्रव को निकालना शामिल है। इस प्रक्रिया को लोकल एनेस्थीसिया का उपयोग करके किया जा सकता है।
प्रक्रिया करते समय, लगातार ड्रेनेज होने की संभव होती है।
बार्थोलिन सिस्ट को हटा देना
अगर बार्थोलिन सिस्ट बार-बार हो रही है तो ग्रंथियों को पूरी तरह से हटाने की आवश्यकता हो सकती है। यह प्रक्रिया तब की जाती है जब मार्सुपियलाइज़ेशन या अन्य प्रक्रिया विफल हो जाती है। सर्जरी को जनरल एनेस्थीसिया देकर करा जाता है। इसमें सर्जरी का उपयोग करके पूरे सिस्ट को हटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया में कम समय लगता है और रोगी उसी दिन घर जा सकता है।
बार्थोलिन सिस्ट सर्जरी के फायदे:
जब दवाएं और अन्य विकल्प स्थिति को ठीक करने में विफल हो जाते है तब सर्जरी की आवश्यकता होती है। बार्थोलिन सिस्ट का इलाज कैसे किया जाता है, यह पूरी तरह से लक्षणों की गंभीरता पर आधारित होते हैं। जब महिलाओं में बार्थोलिन सिस्ट या फोड़े के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, तब उन लक्षणों को कम करने के लिए ऑपरेशन किया जाता है। सर्जरी की सलाह तभी दी जाती है जब महिलाओं में बार्थोलिन सिस्ट के लक्षण दिखाई देते है जैसे चलने में, बैठने में या सेक्स करने जैसे गतिविधियों में दर्द होना, सिस्ट में संक्रमण होना, चुने पर दर्द होना, आदि। भविष्य में इसी तरह की समस्याओं और स्थिति से बचने के लिए सर्जरी का विकल्प चुना जा सकता है।
बार्थोलिन सिस्ट की शुरूआत में, आपको किसी भी तरह के संकेत या लक्षण नहीं दिखाई या महसूस हो सकते है या आपको कोई भी तकलीफ नहीं होती है लेकिन कई बार आपको लगातार दर्द और परेशानी हो सकती है, किसी भी दर्द और परेशानी की स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करें-
यदि इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देते है या आपको अत्यधिक बेचैनी, और संक्रमित जगह के पास दर्द की अनुभूति होती है तो तुरंत अपने चिकित्सक को दिखाएं।
बार्थोलिन सिस्ट का इलाज विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, सर्जिकल प्रक्रियाएं व्यापक रूप से अलग-अलग हो सकती हैं। डॉक्टर सबसे पहले रोगी की हर संभावित जटिलतओं की जाँच करता है। फिर आपका डॉक्टर आपको प्रक्रिया समझाता है और आगे बढ़ने से पहले आपकी सहमति लेता है।
फिर आपको ऑपरेशन रूम में लें जाया जाता है और ऑपरेशन टेबल पर लेटा दिया जाता है। उसके बाद आपके विटाल्स(नब्ज़) को मॉनिटर से कनेक्ट किया जाता है। फिर आपको सर्जरी के आधार पर जनरल या लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है जिससे आप आराम करते है और आपको प्रक्रिया के समय किसी भी तरह का दर्द महसूस नहीं होता है। आपकी प्रभावित जगह को साफ़ करके सर्जरी की जाती है।
सर्जरी के विभिन्न तरीके हैं:
बार्थोलिन सिस्ट सर्जरी की बहुत कम जटिलताएं हो सकती है। लेकिन बार्थोलिन सिस्ट की सबसे आम जटिलताओं में से एक है उसका दोबारा होना। हालांकि, निन्म लिखित जटिलताएं भी हो सकती है:-
मार्सुपियलाइज़ेशन प्रक्रिया की भी जटिलताएँ दुर्लभ होती हैं, लेकिन इनमें शामिल हो सकते हैं:
बार्थोलिन सिस्ट उपचार के विकल्पों में दवा, सर्जिकल ड्रेनेज और मार्सुपियलाइजेशन शामिल होती हैं। नतीजतन, कुल लागत सर्जरी के प्रकार, डॉक्टर की फीस, क्लिनिक या अस्पताल के साथ-साथ कई अन्य चिकित्सा और गैर-चिकित्सीय विचारों पर निर्भर करती है।
बार्थोलिन सिस्ट के लिए दोनों सर्जिकल प्रक्रियाएं; सर्जिकल ड्रेनेज और/या मार्सुपियलाइजेशन में सिस्ट का चीरा लगाना और फोड़े को निकालने के लिए ड्रेनेज चैनल बनाना शामिल है। भारत में बार्थोलिन सिस्ट सर्जरी की कीमत नियोजित तकनीक के आधार पर 15,000 रुपये से 30,000 रुपये तक हो सकती है।
सर्जरी ड्रेनेज
भारत में, सर्जिकल ड्रेनेज की लागत आम तौर पर 5,000 रुपये से 8,000 रुपये तक होती है, अंतिम कीमत चुने गए क्लिनिक, डॉक्टर की फीस, दवाओं और अन्य चिकित्सा और गैर-चिकित्सा शुल्क के आधार पर भिन्न हो सकती है।
मार्सुपियलाइज़ेशन
भारत में मार्सुपियलाइजेशन की लागत 20,000 रुपये से 30,000 रुपये के बीच हो सकती है। अंतिम कीमत चुने गए क्लिनिक, डॉक्टर की फीस, दवाओं और अन्य चिकित्सा और गैर-चिकित्सा शुल्क के आधार पर भिन्न हो सकती है।
बार्थोलिन सिस्ट उपचार बहुत सुरक्षित होते है, और इसके बहुत कम नुक्सान होते हैं। यदि एंटीबायोटिक दवाओं का अनुचित तरीके से उपयोग किया जाता है, तो कुछ साइड इफेक्ट्स का अनुभव करना संभव है। सर्जिकल प्रक्रियाओं के नुक्सान भी बहुत सीमित होते हैं। बार्थोलिन ग्रंथि को सर्जिकल रूप से हटाना, दुष्प्रभावों और जटिलताओं का सबसे संभावित कारण होता है। मार्सुपियलाइज़ेशन से इन्फेक्शन, ब्लीडिंग हो सकती है।
बार्थोलिन सिस्ट का आसानी से दवा के साथ इलाज किया जाता है, और यदि वे बहुत छोटे हैं तो उनका इलाज घर पर भी किया जा सकता है। हालांकि, ऐसी स्थिति में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है ,जहां दवा सिस्ट को ठीक करने में असमर्थ होती है, वे बड़े और दर्दनाक होते हैं, या यदि वे लगातार होते रहते हैं।
यदि आप 40 वर्ष की आयु से अधिक या रजोनिवृत्ति के बाद सिस्ट का अनुभव करते हैं, तो चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए। यह स्थापित करने के लिए कि क्या कोशिकाएं घातक हैं या नहीं, इसके लिए बायोप्सी की जा सकती है।