हमारे आसपास कई ऐसी सब्जियां, पौधे और खाद्य पदार्थ मौजूद हैं, जो पौष्टिक तत्वों से भरपूर हैं। ये खाद्य पदार्थ कई प्रकार से स्वास्थ्य लाभ पहुंचाते हैं। ऎसी ही एक सब्जी माका है, जिसकी जड़ें हमारे स्वस्थ जीवन में अहम भूमिका अदा कर सकती हैं। तो चलिए, आज आपको हम माका की जड़ों के विषय में विस्तार के जानकारी देते हैं। साथ ही उनके फायदे, दुष्प्रभाव और खेती करने के तरीके के के बारे में बताएंगे। हालांकि, इसके पहले हम आपको बताते हैं कि यह माका होती क्या है और इसमें कौन कौन से पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं।
दरअसल, माका एक पौधा है जो पेरू देश में स्थित एंडीज पर्वत के ऊंचे पठारों पर उगता है। इस पौधे को जिनसेंग एंडिन, पेरुवियन जिनसेंग, लेपिडियम मेयेनी, या लेपिडियम पेरुवियनम के नाम से भी जाना जाता है। इस पौधे का वैज्ञानिक नाम लेपिडियम मेइन्नी है। माका ब्रोकोली, फूलगोभी, गोभी और केल से संबंधित एक क्रुसिफेरस सब्जी है।इसमें बटरस्कॉच के समान गंध होती है। पिछले 3000 सालों से माका का प्रयोग और खेती एक मूल सब्जी के रूप में की जाती है। माका के जड़ों का इस्तेमाल दवा बनाने के लिए किया जाता है। वैसे तो यह जड़ें कई रंग की होती हैं। अधिकांश रूप से काली और लाल रंग की पाई जाती हैं।
माका की ये जड़ें मुख्य रूप से सूखी होती हैं और इसका इस्तेमाल पाउडर के रूप में किया जाता है। इस पाउडर का स्वाद कई लोगों को पसंद नहीं आता है इसलिए वे इसे स्मूदी, ओटमील या किसी मीठी चीज में मिलाकर खाते हैं। विश्वस्तर पर माका की जड़ों की बढ़ती मांग के कारण, अब चीन में पर्वतीय युन्नान प्रांत सहित दुनिया के कई हिस्सों में इस पौधे का बड़े पैमाने पर उत्पादन करना शुरू कर दिया गया है हालांकि, माका की जड़ों के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी है। इस पर अभी शोध जारी है।
माका की जड़ों से कई तरह से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हो सकते हैं। इसकी वजह इसमें मौजूद पौष्टिक तत्व हैं, जो हमारे स्वास्थ जीवन के लिए लाभकारी हैं। इसकी जड़ें विटामिन और खनिज का एक अच्छा स्रोत है ही। साथ ही इन जड़ों का पाउडर कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन के गुणों से भी भरपूर है। इसके अलावा इसमें संतुलित मात्रा में फाइबर और एमिनो एसिड भी मौजूद रहता है। साथ ही आवश्यक विटामिन, खनिज जैसे कॉपर, आयरन और विटामिन सी मौजूद होते हैं। इसमें अन्य बायोएक्टिव यौगिक भी शामिल हैं, जिनमें मैकामाइड्स, मैकेरिडाइन, एल्कलॉइड्स और ग्लूकोसाइनोलेट्स शामिल हैं, जिन्हें माका के औषधीय लाभों के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
माका की जड़ों का सेवन पुरुष बांझपन, रजोनिवृत्ति के बाद स्वास्थ्य समस्याओं, स्वस्थ लोगों में यौन इच्छा में वृद्धि और अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है, लेकिन इनमें से किसी भी उपयोग का समर्थन करने के लिए कोई अच्छा वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
माका की जड़ों का सेवन पुरुष बांझपन, रजोनिवृत्ति के बाद स्वास्थ्य समस्याओं, स्वस्थ लोगों में यौन इच्छा में वृद्धि और अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है, लेकिन इनमें से किसी भी उपयोग का समर्थन करने के लिए कोई अच्छा वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
भले ही कोई वैज्ञानिक प्रमाण माका की जड़ों के स्वास्थ्य लाभ का समर्थन न करता हो लेकिन लोग इसके फायदों का दावा जरूर करते हैं। इन दावों के अनुसार, माका की जड़ों के स्वास्थ्य लाभ निम्नलिखित हैं-
कुछ अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि माका की जड़ों के सेवन से कम कामेच्छा या कम यौन इच्छा वाले लोगों को फायदा हो सकता है। वर्ष 2015 के एक अध्ययन में पाया गया कि 12 सप्ताह के लिए प्रति दिन 3,000 मिलीग्राम माका की जड़ों का सेवन करने से एंटीडिप्रेसेंट-प्रेरित यौन रोग का अनुभव करने वाली 45 महिलाओं में यौन क्रिया और कामेच्छा में काफी सुधार हुआ। वहीं एक समीक्षा वर्ष 2010 में प्राप्त हुई जिसमें कुल 131 प्रतिभागियों के साथ चार उच्च गुणवत्ता वाले अध्ययन शामिल थे, इस अध्ययन में पाया गया कि माका की जड़ों का सेवन करने से कम से कम 6 सप्ताह के बाद यौन इच्छा में सुधार हुआ।
हालांकि, शोधकर्ताओं ने नोट किया कि समीक्षा में शामिल अध्ययन छोटे थे और ठोस निष्कर्ष निकालने के लिए सबूत बहुत सीमित थे। भले ही यह शोध आशाजनक है, यह वर्तमान में स्पष्ट नहीं है कि कम कामेच्छा या यौन अक्षमता के इलाज के लिए मैका का कोई वास्तविक लाभ है या नहीं।
माका की जड़ों का सेवन करने से शुक्राणु वाले लोगों में प्रजनन क्षमता के कुछ पहलुओं को सुधारने में मदद मिल सकती है। दरअसल, अध्ययनों से पता चला है कि माका की जड़ों का सेवन करने से शुक्राणु की एकाग्रता में सुधार हो सकता है, या वीर्य के प्रति मिलीलीटर शुक्राणु की संख्या में सुधार हो सकता है। शुक्राणु एकाग्रता पुरुष प्रजनन क्षमता से निकटता से जुड़ी हुई है।
2020 के एक अध्ययन में 69 पुरुषों में माका की जड़ों के प्रभावों का आकलन किया गया, जिनमें कम शुक्राणुओं की संख्या या कम शुक्राणु गतिशीलता का निदान किया गया था। शुक्राणु की गतिशीलता शुक्राणु की ठीक से तैरने की क्षमता है। इन पुरुषों को 12 सप्ताह तक प्रतिदिन 2 ग्राम माका की जड़ों का सेवन कराया गया। इससे उनके वीर्य की मात्रा में काफी सुधार हुआ। हालांकि, शुक्राणु की गतिशीलता में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं था। वीर्य की गुणवत्ता और पुरुष प्रजनन क्षमता के अन्य पहलुओं पर माका की जड़ों की खुराक के प्रभावों की जांच के लिए अच्छी तरह से डिज़ाइन किए गए अध्ययन की आवश्यकता है।
मासिक धर्म वाले लोगों में रजोनिवृत्ति स्वाभाविक रूप से होती है। यह जीवन का वह समय है जब मासिक धर्म स्थायी रूप से बंद हो जाता है। इस समय के दौरान होने वाली एस्ट्रोजेन में प्राकृतिक गिरावट कई प्रकार के लक्षण पैदा कर सकती है, जिनमें गर्म चमक, योनि का सूखापन, नींद की समस्या और चिड़चिड़ापन शामिल हैं।
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि माका की जड़ें उन लोगों को लाभान्वित कर सकता है जो रजोनिवृत्ति से गुजर रहे हैं और इसके कुछ लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं, जिसमें गर्म चमक और बाधित नींद शामिल है। 2011 की एक समीक्षा की गई। इस समीक्षा में चार उच्च गुणवत्ता वाले अध्ययन शामिल थे। इन अध्ययनों में पाया गया कि माका की जड़ों से किये गए उपचार का रजोनिवृत्ति के लक्षणों पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। हालांकि, शोधकर्ताओं ने नोट किया कि रजोनिवृत्ति के लक्षणों के इलाज के लिए माका की जड़ों की सुरक्षा या प्रभावशीलता निर्धारित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
कुछ सीमित प्रमाण बताते हैं कि माका की जड़ें ऊर्जा के स्तर को सुधारने और कुछ आबादी में मूड को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं। दरअसल, वर्ष 2016 में कम या अधिक ऊंचाई पर रहने वाले 175 लोगों में किये गए अध्ययन से पता चला कि 12 सप्ताह तक प्रति दिन 3 ग्राम लाल या काला माका की जड़ों का सेवन करने से उनके मूड और ऊर्जा स्कोर में सुधार हुआ है। इसके अलावा, 29 पोस्टमेनोपॉज़ल चीनी महिलाओं में वर्ष 2015 में किये गए अध्ययन में पाया गया कि 6 सप्ताह के लिए प्रतिदिन 3।3 ग्राम माका की जड़ों से किये गए उपचार ने उन महिलाओं के अवसाद के लक्षणों को कम किया ।
इसके अतिरिक्त, पुराने शोध निष्कर्ष बताते हैं कि माका की जड़ें पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं में चिंता और अवसाद के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकता है। भले ही इन शोधों से पता चला है कि माका की जड़ों का मूड और ऊर्जा के स्तर पर लाभकारी प्रभाव हो सकता है, लेकिन इसका ठोस निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
ज्यादातर बॉडी बिल्डर और एथलीट माका की जड़ों से बने पाउडर का इस्तेमाल करते है। दरअसल, इस पाउडर को मांसपेशियों के विकास और शारीरिक क्षमता को बढ़ाने के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसके साथ ही यह व्यायाम करने के लिए स्टेमिना को भी बढ़ाने में मदद करता है।
इसके अलावा यह सहनशक्ति बढ़ाने में भी मदद करता है। इसको लेकर 8 साइकिल चालकों पर एक अध्ययन किया गया। इस दौरान उन्हें 14 दिनो तक माका की जड़ों से बने पाउडर का सेवन कराया गया। 14 दिनों बाद इन साइकिल चालकों ने अपने शारिरिक ताकत में काफी सुधार महसूस की। हालांकि, वर्तमान में कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि यह मांसपेशियों के लिए और ताकत को बढ़ाने में लाभदायक है या नहीं।
माका की जड़ों का रस सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रावॉयलेट किरणों से हमारी रक्षा करने में सहायक है। दरअसल, सूर्य की ये किरणें हमारे लिए काफी हानिकारक होती हैं। इन्ही की वजह से शरीर में झुर्रियां भी आती है। केवल इतना ही नहीं इन किरणों की वजह से त्वचा कैंसर भी हो सकता है। लेकिन कुछ शोधों में खुलासा हुआ है कि माका की जड़ों का रस शरीर पर लगाने से त्वचा इन अल्ट्रावॉयलेट किरणों के दुष्प्रभाव से बच सकती हैं।
इसकी वजह माका की जड़ों में पाए जाने वाले तत्व हैं। इन जड़ों में पॉलीफेनॉल नामक एंटीऑक्सीडेंट और ग्लूकोसाइनोलेट्स नामक यौगिक पाए जाते हैं। इन एंटीऑक्सीडेंट और यौगिक में सुरक्षात्मक प्रभाव होते हैं। ध्यान रहे कि माका की जड़ों का रस सनस्क्रीन की जगह नहीं ले सकता है। यह तभी तक आपके त्वचा को सुरक्षित रखता है जब तक इसे आप अपनी त्वचा पर इस्तेमाल करते हैं। लेकिन जब आप माका रूट खाते हैं तब यह किसी भी तरह से आपके त्वचा के लिए लाभदायक नहीं होता है।
माका और उसकी जड़ों का कई तरह से उपयोग किया जा सकता है। चूंकि माका की गिनती एक पौष्टिक तत्व के रूप में की जाती है इसलिए इसका उपयोग तो भोजन और सलाद के रूप में किया जाता है। जबकि इसकी जड़ों का उपयोग दवाएं बनाने के लिए किया जाता है। बाजारों में माका की जड़ों का पाउडर और कैप्सूल भी उपलब्ध है। इसके अलावा इसकी जड़ों के रस को त्वचा की देखभाल के लिए प्रयोग में ला सकते हैं। इसके अलावा इन जड़ों को उबालकर खाया भी जा सकता है।
वैसे तो माका की जड़ों में कई तरह के गुणकारी तत्व पाए जाते हैं इसलिए यह हमारे सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। हालांकि, इसके साइड इफ़ेक्ट भी हैं। दरअसल, माका की जड़ों को ताजा नहीं खाना चाहिए, बल्कि इसके उबालकर उपयोग में लाना चाहिए। इसके अलावा जिन्हे थायराइड की समस्या है उन्हें भी इसके जड़ों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसकी वजह इसमें पाया जाने वाला यौगिक गोइत्रोगेंस है, को थायराइड ग्रंथि को प्रभावित करता है। केवल इतना ही नहीं, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही माका की जड़ों का सेवन करना चाहिए। स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर, डिम्बग्रंथि के कैंसर, एंडोमेट्रियोसिस, या गर्भाशय फाइब्रॉएड जैसी हार्मोन-संवेदनशील स्थितियां हो तो आपको माका के रस का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। दरअसल, यह रस एस्ट्रोजन की तरह काम कर सकता है। यदि आपकी कोई स्थिति है जो एस्ट्रोजेन द्वारा खराब हो सकती है, तो रस का उपयोग न करें।
माका का पौधा वार्षिक या द्विवार्षिक होता है। माका नम और पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी के साथ धूप से लेकर अर्ध-छायादार स्थानों में सबसे अच्छा बढ़ता है, हालांकि यह खराब मिट्टी में भी पनप सकता है। माका की हवा के संपर्क में आने वाले ठंडे स्थान सबसे अच्छे होते हैं। इसे बालकनी के डिब्बे, उठी हुई क्यारी या सब्जी के खेत में उगाया जा सकता है। इसके बीज आखिरी पाले के बाद मई में बोने चाहिए। अपने मीठे और तीखे स्वाद वाली छोटी माका की जड़ें शरद ऋतु में बढ़ती हैं। माका के बीजों की देखभाल करना और जल्दी से अंकुरित होना बहुत आसान है। क्यारी में सीधे बोए गए पौधे पूर्व-बोए गए और रोपे गए पौधे की तुलना में बहुत बेहतर विकसित होते हैं, इसलिए अपने चुने हुए स्थान पर सीधे बोना सबसे अच्छा होता है।