अगर हम शल्लकी नाम ले तो आप सोंच में पड़ जाएंगे लेकिन यह शल्लकी ही है जिसकी मदद से आपको लोबान प्राप्त होता हैं। तो आज हम अपने इस लेख के माध्यम से आपको शल्लकी के सभी गुणों से परिचित कराएंगे, जिसकी वजह से इसका प्रयोग कई औषधीय प्रणालियों में किया जाता है। दरअसल, शल्लकी कई पौष्टिक तत्वों से परिपूर्ण है, जिसकी वजह से यह हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है। इसके साथ ही हम आपको शल्लकी के दुष्प्रभावों से भी परिचित कराएंगे, ताकि आप किसी बड़ी मुसीबत से पहले से ही सचेत रहें। तो चलिए जानते हैं कि यह शल्लकी क्या होता है।
दरअसल, बोसवेलिया मध्यम आकार के फूल वाले पौधे हैं। हालांकि यह पेड़ और झाड़ियाँ दोनों रूपों में पाए जाते हैं। यह पौधा सुगंधित राल पैदा करता है, जिसका उपयोग लोबान बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। बोसवेलिया का व्यापक रूप से पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग किया जाता है, और यह आयुर्वेदिक चिकित्सा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस पौधे की कई प्रजातियां होती है, जिसमें से बोसवेलिया सेराटा भी एक प्रजाति है। इसी बोसवेलिया सेराटा को शल्लकी के नाम से जाना जाता है। शल्लकी में एक खास सुगंध होती है, इस कारण धूप और अगरबत्ती बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। इसके अलावा शल्लकी में कई औषधीय गुण भी मौजूद हैं, जिसके कारण यह कई समस्याओं में राहत पाने के लिए भी उपयोगी है।
शल्लकी कई प्रकार के औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। इन औषधीय गुणों की वजह से ही यह कई प्रकार के रोगों के इलाज के लिए रामबाण इलाज है। शल्लकी सूजन को कम करने में मदद करती है और अस्थमा और गठिया के प्रबंधन के लिए उपयोगी है। शोध से पता चलता है कि यह जड़ी बूटी शरीर में ल्यूकोट्रियन (सूजन पैदा करने वाले अणु) के निर्माण को रोकती है और स्तन कैंसर और ल्यूकेमिया को रोकने में सहायक हो सकती है। इस लेख में आगे हम शल्लकी के स्वास्थ्य लाभ पर चर्चा करते हैं।
इसके अलावा शल्लकी फाइटोकेमिकल्स और अल्कलॉइड से भरपूर होता है। बीटा बोसवेलिक एसिड मुख्य संघटक है। इसमें अन्य पेंटासाइक्लिक ट्राइटरपीन एसिड भी होते हैं। ये फाइटोकेमिकल्स शल्लकी को इसके स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। यह ज्यादातर विकारों के उपचार में मदद करते हैं।
शल्लकी का आयुर्वेदिक चिकित्सा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। शोध अध्ययनों के अनुसार, बोसवेलिया सेराटा (शल्लकी) एक अच्छा सूजनरोधी है और दर्द निवारक के रूप में काम करता है। इसका उपयोग पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस, सूजन आंत्र रोग और यहां तक कि अस्थमा की समस्या में भी किया जाता है। इसके स्वास्थ्य लाभ निम्नलिखित है।
शल्लकी में शक्तिशाली सूजनरोधी गुण होते हैं। यह जोड़ों में सूजन को रोकता है, और उपास्थि के टूटने से बचाता है। यह हाथों और पैरों की उंगली व कलाईयों में सूजन व दर्द की शिकायत को दूर करने में मदद करता है। दरअसल, एक शोध में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शल्लकी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। यह दोनों ही गुण संयुक्त रूप से एंटीआर्थराइटिक (अर्थराइटिस में आराम दिलाने वाला) प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। इस प्रकार यह ऑस्टियोआर्थराइटिस के खिलाफ एक प्रभावी उपाय है।
चूंकि शल्लकी एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण का अच्छा स्रोत है, इसलिए इसका उपयोग गठिया रोग के खिलाफ भी किया जा सकता है। इसके सूजनरोधी और दर्द निवारक गुण काफी हितकारी साबित होते हैं। यही वजह है कि इसे गठिया रोग के लिए काफी प्रभावी उपचार माना जाता है।
शल्लकी के सूजनरोधी गुण इसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के विभिन्न सूजन संबंधी विकारों जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन रोग के खिलाफ प्रभावी बनाते हैं। इसलिए ऐसे रोगों के खिलाफ भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। शल्लकी में मौजूद बोसवेलिक एसिड शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर सूजन संबंधी इन समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
शल्लकी बाहरी घावों और चोटों के साथ-साथ रक्तस्राव जैसे आंतरिक घावों को स्वाभाविक रूप से ठीक करने की क्षमता को बढ़ाता है। इसलिए ऐसी स्थिति में भी शल्लकी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
अस्थमा की समस्या में भी शल्लकी प्रभावी साबित हो सकता है। दरअसल, शल्लकी ल्यूकोट्रिएन्स को कम करता है जो ब्रोन्कियल मांसपेशियों के संकुचन का कारण बनता है। इस प्रकार शल्लकी में अस्थमा और अन्य ब्रोन्कियल सूजन संबंधी बीमारियों की गंभीरता और शुरुआत को कम करने का प्रभाव भी होता है और रोगियों में फेफड़ों की कार्य क्षमता में सुधार और सांस लेने में राहत की वजह बन सकता है। इसके साथ ही यह अस्थमा अटैक की आशंकाओं को भी कम करता है।
महिला प्रजनन स्वास्थ्य में लाभ के लिए भी शल्लकी का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह सामान्य और आरामदायक मासिक धर्म को बढ़ावा देता है, गर्भाशय में जमाव को साफ करता है और प्रजनन अंगों में परिसंचरण को बढ़ाता है।
शल्लकी संयोजी ऊतकों की क्षति और विनाश को कम करता है। यह स्वस्थ त्वचा को बनाए रखने और झुर्रियों की शुरुआत को रोकने में सहायता करता है। इसलिए कई लोग स्वस्थ त्वचा पाने के लिए शल्लकी के अर्क का उपयोग करते हैं। यह त्वचा की बनावट को फिर से जीवंत करने में मदद करता है।
यौन गतिविधियों के दौरान कामुक आनंद बढ़ाने के लिए शल्लकी को एक शक्तिशाली उपचार माना जा सकता है। इसलिए कई लोग इसका उपयोग कामेच्छा को विनियमित करने के लिए भी करते हैं क्योंकि इसमें कामोत्तेजक होता है।
शल्लकी बोसवेलिक एसिड गुण का भी अच्छा स्रोत है, जो कैंसर के विकास को रोकने के लिए कई तरीकों से कार्य करने के लिए माना जाता है। यह कुछ एंजाइमों को अनुवांशिक सामग्री पर कार्य करने से रोकता है। इस बात का जिक्र कई शोधों में भी किया जा सकता है कि शल्लकी उन्नत स्तन कैंसर कोशिकाओं का मुकाबला करने में सक्षम हो सकता है, और घातक ल्यूकेमिया के प्रसार को सीमित कर सकता है। इसे पैंक्रियाटिक कैंसर सेल्स के खिलाफ भी प्रभावी माना जाता है। हालांकि, किसी भी तरह का घरेलू उपाय कैंसर का इलाज नहीं हो सकता है। इसलिए कैंसर के इलाज के लिए डॉक्टर से इलाज कराना जरूरी है।
अपने चिकित्सीय गुणों की वजह से शल्लकी में आँतों की सूजन को कम करने का भी गुण विद्यमान है। इसके अलावा यह शिथिल हुई आंतों की प्रक्रिया को दोबारा सक्रिय करने में भी सहायक हो सकता है। इस वजह से डायरिया की समस्या से निपटने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
शल्लकी का उपयोग कई तरह से किया जा सकता है। यह तरीके निम्नलिखित भी हो सकते हैं-
शल्लकी भारतीय उपमहाद्वीप और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों का मूल निवासी है। कुछ प्रजातियाँ अफ्रीका की मूल निवासी भी हैं। यह मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय पौधा है। हालांकि इसकी सबसे बड़ी विविधता भारत और अफ्रीका में पाई जाती है, यह दुनिया भर के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में फैल गई है।