Last Updated: Jan 10, 2023
त्वचा शरीर के सबसे नाजुक अंगो में से एक है. इसके बाद भी यह शरीर का सबसे अनदेखा करने वाले हिस्सा है. मानव त्वचा में तीन परतें होती हैं, अर्थात् एपिडर्मिस, डर्मिस और हाइपोडर्मिस:
एपिडर्मिस शरीर की बाहरी परत है और त्वचा को सुरक्षा प्रदान करती है. एपिडर्मिस में मेलेनिन की मात्रा त्वचा के रंग की विविधता के लिए ज़िम्मेदार होती है.
त्वचा की दूसरी परत डर्मिस होती है, जो शरीर को तनाव और उपभेदों से बचाती है और एपिडर्मिस को भी पोषण देती है.
यह सबसे गहरी परत होती है. हाइपोडर्मिस को उपकुशल ऊतक के रूप में भी जाना जाता है और ऊर्जा को संरक्षित करता है. यह शरीर द्वारा उपयोग किए जाने के लिए फैट भंडारण के उद्देश्य से कोशिकाओं से बना है.
व्यक्ति की त्वचा जीवनभर बदलती रहती है. यह बदलते हार्मोनल उत्पादन की वजह से उम्र के साथ पतला हो जाता है. उम्र बढ़ने के साथ आपकी त्वचा की उम्र भी बढ़ जाती है. जिससे त्वचा की चमक खो जाती है और यह सुख जाती है. इस कारण त्वचा में बड़े छिद्र, ब्रेकआउट, झुर्री, काले घेरे, पैच इत्यादि होते हैं.
विभिन्न आयु समूहों में त्वचा में निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं:
- शिशु: नवजात शिशु की त्वचा बहुत नाजुक होती है. यह लाल / गुलाबी या बैंगनी रंग में होती है. बच्चों की त्वचा प्रत्येक गुजरने वाले दिन के साथ विकास करती है. उनकी त्वचा पतली और संवेदनशील होती है. इसके अलावा, नवजात त्वचा संक्रमण और एलर्जी से अधिक प्रवण होती है. यही कारण है कि बच्चे को छूने से पहले हैंड-सेनिटाइजर्स का उपयोग करने की सलाह दी जाती है. क्योंकि छोटे से संक्रमण से नवजात बच्चों के लिए एक बड़ी समस्या हो सकती है. समयपूर्व शिशुओं में आम तौर पर पारदर्शी त्वचा होती है. जो पूर्णकालिक शिशुओं की त्वचा के साथ होती है, जो पूरी तरह से विकसित मोटे त्वचा से पैदा होते हैं.
- बच्चा: शिशुओं की तुलना में बच्चे की त्वचा अधिक विकसित और उज्ज्वल होती है और यह बच्चा के बढ़ते उम्र के साथ बदलता रहता है.
- किशोरावस्था: किशोरावस्था की त्वचा सख्त होती है. मानव शरीर के इस चरण के दौरान होने वाले विभिन्न हार्मोनल परिवर्तनों के कारण बड़ा परिवर्तन होता है. किशोरों को सेबम उत्पादन, बांह में पसीना, जाँघो में बालों का विकास, पिम्पल्स, मुँहासे आदि में वृद्धि का अनुभव होता है.
- वयस्कता: तेल उत्पादन, ब्रेकआउट, बड़ी त्वचा के छिद्र त्वचा परिवर्तनों में से कुछ हैं जो व्यक्ति की बढती उम्र के साथ शुरू होते हैं. इस चरण में त्वचा मुँहासे और सूखापन का अनुभव करती है.
- परिपक्वात: सूर्य का एक्सपोजर, पानी का कम सेवन, एपिडर्मिस का पतला होना और उचित त्वचा देखभाल की कमी से विभिन्न त्वचा संबंधी परिवर्तन होते हैं. इनमें त्वचा पिगमेंटेशन, झुर्री, लोच की कमी, पैलर त्वचा, सूखापन, रेखाएं, पतली और सूखी त्वचा शामिल हैं.
- वृद्धावस्था: उम्र के इस चरण के दौरान, त्वचा सूख जाती है, लोच खो देती हैं,चकती जैसे समस्या का सालमना करना पड़ता है.
किसी भी त्वचा से संबंधित मुद्दे का उपचार करना चाहिए और समस्या का सबसे अच्छा इलाज खोजने के लिए त्वचा विशेषज्ञ के साथ चर्चा करना चाहिए.