व्यक्ति निराश, दुखी, हताश महसूस करते हैं और दूर-दूर तक उम्मीद की कोई किरण दिखाई नहीं देती है. हालांकि यह ज्यादा वक्त तक नहीं रहता है और समय के साथ इन्सान इससे उबर जाता है. लेकिन डिप्रेशन से परेशान लोग के साथ ऐसा नहीं होता है.
स्थाई अवसाद पुरुषों की तुलना में महिलाओं में प्रचलित है. यह विभिन्न कारणों से उत्पन्न हो सकती है. जीवन में बड़े बदलाव जैसे वैवाहिक मुद्दों, रिश्ते में समस्या, वित्तीय समस्या, पुरानी चिकित्सा समस्या, प्रियजनों की मौत, जीवन तनाव, मौसम परिवर्तन इत्यादि अवसाद का कारण बन सकती हैं.
इससे दुःख की लंबी अवधि, खालीपन की भावना, गतिविधियों में रुचि की कमी होती है, जो आम तौर पर सुखद, चिड़चिड़ाहट, नींद, भूख की कमी, वजन बढ़ना, बेकार और निराशाजनक भावना, और विनाश की भावना होती है. इससे निराशा, सामाजिक घृणता, कार्यालय / विद्यालय में खराब प्रदर्शन और जीवन में गुणवात्त की गिरावट हो सकती है.
ज्यादातर मामलों में अतीत या अप्रिय अनुभव होता है, जो डिप्रेशन के कारण बनते है. यह उनकी सहिष्णुता के आधार पर विभिन्न लोगों के लिए अलग हो सकता है. जबकि कुछ मामूली रिश्ते के मुद्दों पर भी व्यक्ति डिप्रेशन में चले जाते हैं. कई मामले में यह अतीत में हुए यौन शोषण के कारण भी डिप्रेशन के शिकार होता है.
आयुर्वेद अग्नि के रूप में ''साधक अग्नि'' को पहचानता है, जो किसी व्यक्ति को आघात से बचाने में मदद करता है. जिस व्यक्ति के अंदर प्रबल साधक अग्नि है, उनमे उच्च सहनशीलता होती है और वे डिप्रेशन के खतरे से दूर होते है.
निम्नलिखित कुछ सरल परिवर्तन हैं जो अवसाद पर काबू पाने में बहुत उपयोगी हो सकते हैं.
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