डायबिटिक फुट अल्सर मधुमेह से पीड़ित लोगों में होता है।इसमें रोगी के पैर में एक खुला घाव हो जाता है जो आमतौर पर तलवे की सतह पर आसपास स्थित होता है। ये अल्सर टाइप 1 और टाइप 2 दोनों प्रकार के मधुमेह वाले लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। यह तब होते हैं जब किसी कारण से पैर में चोट लग जाती है या कट लग जाता है।इससे नीचे की त्वचा की परतें खुल जाती हैं। ये धीमी गति से ठीक होने वाले घाव एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन सकते हैं क्योंकि इनमें संक्रमण का जोखिम होता है, जो हड्डी तक फैल सकता है। कई मामलों में संक्रमण या अन्य अल्सर से संबंधित जटिलताएं हो सकती हैं। पैरों के अल्सर को ठीक होने में हफ्तों या कई महीने भी लग सकते हैं। मधुमेह के अल्सर अक्सर दर्द रहित होते हैं क्योंकि इन रोगियों के पैरों में संवेदनशीलता कम होती है। अधिक उम्र और मधुमेह की अवधि जैसे कारकों के कारण पैर के अल्सर और अंग हटाने का खतरा बढ़ जाता है।
डायबिटिक फुट अल्सर कई प्रकार के होते हैं
न्यूरोपैथी मधुमेह की दीर्घकालिक जटिलताओं में से एक है। यह उन नसों को प्रभावित करता है जो स्पर्श, तापमान और दर्द संदेश ले जाती हैं।इनमें विशेष रूप से पैरों की नसें शामिल होती हैं। पैर पर न्यूरोपैथिक अल्सर की आघात के कारण होता है क्योंकि मधुमेह के कारण रोगी को इसका ज्यादा एहसास नहीं होता है। इन जगहों की त्वचा घाव भरने पर इतनी मोटी हो जाती है कि वो नीचे के क्षेत्र को आघात पहुँचाती है, जिससे अल्सर हो जाता है। ये पैर की उंगलियों की उपरी तरफ ,अंगूठे के नीचे और एड़ी के किनारे हो सकते हैं।
इस्केमिक का अर्थ है शरीर के एक हिस्से में रक्त का प्रवाह कम होना और पैरों में खराब रक्त प्रवाह होना जिससे ऊतक को नुकसान पहुंचता है और कोशिकाओं को मरने का कारण बनता है। इस्केमिक अल्सर तब होता है जब पेरिफेरल आर्टरी डिज़ीज़ के कारण अपर्याप्त रक्त प्रवाह होता है। ये डायबिटिक अल्सर देर से ठीक होते हैं और इनके तेजी से बिगड़ने का खतरा होता है।ये अकसर पैर की उंगलियों, एड़ी और किनारों पर होते हैं।
ये अल्सर उन लोगों में होते हैं जिनके पास फेरिफेरल आर्टरी डिज़ीज़ से उत्पन्न पेरिफेरल न्यूरोपैथी और इस्किमिया दोनों होते हैं। न्यूरोइस्केमिक अल्सर यदि संक्रमित हो, तो अंग काटने का जोखिम अधिक होता है।ये पैर की उंगलियों, मार्जिन और पैर के पीछे की तरफ होते हैं।
डाबेटिक फुट अल्सर के लक्षणों में शामिल हैं-
अल्सर होने के कई कारण हो सकते हैं।सबसे मुख्य कारण है मधुमेह को रोगियों को पैर में कुछ महसूस न होना, खराब रक्त संचार, पैर की विकृति, पैर पर दबाव या घर्षण और चोट लगना।ये उन लोगों को अधिक होता है जो बहुत पुराने मधुमेह के रोगी हैं। जिन रोगियों को कई वर्षों से मधुमेह है, वे न्यूरोपैथी विकसित कर सकते हैं, समय के साथ उच्च रक्त शर्करा के स्तर के कारण नर्व्स को नुक्सान पहुंचता है जिसके कारण पैरों में दर्द महसूस करने की क्षमता कम या पूरी तरह से खत्म हो जाती है।
वैस्कुलर डिज़ीज़ पैर के अल्सर को जटिल कर सकता है, शरीर के स्वस्थ रहने की क्षमता को कम कर सकता है और संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकता है। ब्लड शुगर में वृद्धि एक संभावित संक्रमण से लड़ने की शरीर की क्षमता को कम कर सकती है और उपचार को भी धीमा कर सकती है।
पालक
यदि आपके आहार में मैग्नीशियम की कमी है और आप मधुमेह से पीड़ित हैं, तो आपको मधुमेह के कारण पैर का संक्रमण हो सकता है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि इस खनिज की कमी से शरीर का रक्षा तंत्र कमजोर हो सकता है और संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। पालक, केला और एवोकाडो जैसे मैग्नीशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं।
एलोवेरा-जेल
एलोवेरा में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। एलोवेरा जेल को प्रभावित जगह पर लगाने से आपको दर्द कम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही एलोवेरा जूस पीने से आपको एक मजबूत इम्यून सिस्टम मिल सकता है।
कैफीन
कैफीन आपके रक्त प्रवाह को बढ़ाता है जो आपके पैरों में संचार संबंधी समस्याओं में मदद कर सकता है और आपकी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ा सकता है।
घाव को ढक कर रखें और नम रखें
घाव पर पट्टी बांधकर रखें और उसे नम बनाकर रखें तो वे जल्दी ठीक हो जाते हैं। हालांकि अगर एक घाव के अंदर से पस निकल रहा होता है तो उसके लिए विशेष ड्रेसिंग की आवश्यकता होती है। घाव की उचित देखभाल के लिए, घाव को साफ करें, जेल या एंटीबायोटिक मरहम लगाएं। इसके बाद घाव को एक साफ पट्टी से लपेटें।
ब्लड शुगर के स्तर की निगरानी करें
मधुमेह के रोगियों के लिए उनके ब्लड शुगर के स्तर पर नज़र बनाए रखना महत्वपूर्ण है। जब रक्त में ग्लूकोज का स्तर ऊंचा होता है, तो यह हमारे सफेद कोशिकाओं को ऊतकों को ठीक करने से रोकता है।
अपने पैर पर दबाव कम करें
घाव भरने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू पैर पर दबाव कम करना है ।अधिक चलने या देर तक खड़े रहने से घाव भरने में देर लग सकती है।इसके लिए विशेष मेडिकेटेड जूते भी पहने जा सकते हैं।
मधुमेह के घावों को रोकना
आप अपने या परिवार के किसी सदस्य को घावों से बचाने के लिए पैरों की चोट, घावों, खरोंच, कटने, त्वचा का रंग बदलने और फफोले जैसे संकेतों की दैनिक जांच करें । आपके लिए अपने पैर की जांच करना मुश्किल हो सकता है, इसलिए किसी की सहायता ले सकते हैं।
यदि आपकै पैर का घाव दवा ओर प्रबंधन से ठीन नहीं होता है तो आपका डॉक्टर पैर के अल्सर के लिए सर्जरी की सिफारिश कर सकता है।विशेष रूप से यदि घाव के आसपास मृत या संक्रमित ऊतक की अधिक मात्रा हो। घाव की देखभाल करने वाले विशेषज्ञ अल्सर को ठीक करने के लिए उसे साफ कर सकते हैं और संक्रमण को विकसित होने या बिगड़ने से रोक सकते हैं।
मधुमेह वाले कुछ लोगों को लोवर एक्सट्रीमिटी आर्टरी डिज़ीज़ भी होती है।यह एक ऐसी स्थिति जिसमें पैरों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। यह पैर की चोट को आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त करने से रोक सकता है औऱ उपचार में देरी कर सकता है। ऐसे में सर्जन रक्त प्रवाह में सुधार के लिए न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रियाएं कर सकते हैं।
यदि आप खराब अलाइनमेंट के कारण पैर को ठीक तरह से रख नहीं पाते या बार बार होने वाले और पुराने अल्सर के रोगी हैं सर्जन पैर में हड्डियों की स्थिति में सुधार के लिए सर्जरी का सुझाव दे सकते हैं। खराब अलाइनमेंट तब होता है जब पैर की हड्डियाँ सामान्य ढांचे में नहीं होती हैं। इसके परिणामस्वरूप पूरे पैर में शरीर के वजन का असमान वितरण होता है।
डिब्रीमेंट
डिब्रीमेंट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग पैर के अल्सर से मृत या संक्रमित त्वचा और ऊतक को साफ करने के लिए किया जाता है। यह आपके डॉक्टर को ऊतक की क्षति की सीमा का आकलन करने और उपचार को सही दिशा में करने की अनुमति देता है।इस प्रक्रिया को करने के लिए, डॉक्टर घाव के भीतर और आसपास से ऊतक को हटाने के लिए एक तेज उपकरण, जैसे स्केलपेल का उपयोग करते हैं। फिर वह घाव को कीटाणुनाशक घोल से धोते हैं।उपचार को बढ़ावा देने के लिए हफ्तों या महीनों के दौरान एक से अधिक बार डिब्रीमेंट किया जा सकता है। डॉक्टर आपको घाव पर लगाने के लिए एक मरहम भी दे सकते हैं जो मृत ऊतक को नष्ट कर देता है। घाव के ठीक होने तक इसे घर पर
दिन में एक बार लगाया जाता है।
डिब्रीमेंट के बाद, डॉक्टर घाव को एक पट्टी से ढक देते हैं। रोगी को इस घाव को साफ रखना होता हैं और रोज बैंडेज बदलनी होती है।यदि प्रक्रिया के बाद असुविधा होती है तो आपको दर्द निवारक दवा जैसे कि इबुप्रोफेन दी जा सकती है।
वैसकुलर सर्जरी
यदि परीक्षणों बताते हैं कि लोवर एक्सट्रीमिटी आर्टीरियल डिज़ीज़ के कारण खराब रक्त प्रवाह पैर के अल्सर को पूरी तरह से ठीक होने से रोकता है।ऐसे में एक सर्जन रक्त प्रवाह को बढ़ाने के लिए एक या अधिक प्रक्रियाएं कर सकता है।एथेरेक्टॉमी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक सर्जन रक्त में वसा, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और अन्य सामग्रियों से आई रुकावट को शेविंग, कटिंग या वेपोराइज़िंग द्वारा एक बंद धमनी को साफ करता है।
इस प्रक्रिया के तुरंत बाद एक बैलून एंजियोप्लास्टी कर के एक स्टेंट यानी एक धातु की जाली वाली ट्यूब डाली जाती है, जिससे रक्त वाहिका को खुला रखा जा सके। बैलून एंजियोप्लास्टी एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है जो एक लोकल एनेस्थीसिया का उपयोग करके की जाती है।
एडवांस आर्टीरियल बलॉकेज, गैंग्रीन, या डेड टिशु; या पैर पर खुले घाव वाले लोगों के लिए बैलून एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग सबसे उपयुक्त उपचार नहीं हो सकता है। इसके बजाय, डॉक्टर लेग बाइपास की सिफारिश कर सकते हैं। यह प्रक्रिया सर्जन को रक्त के लिए एक अवरुद्ध धमनी के चारों ओर यात्रा करने के लिए एक नया मार्ग बनाने की अनुमति देती है, जिससे पैर में रक्त का प्रवाह बहाल हो जाता है।वैसकुलर प्रक्रियाओं को जनरल या लोकल एनेस्थीसिया का उपयोग करके किया जा सकता है।
भारत में डायबेटिक फुट अल्सर के इलाज की लागत 40,000 रुपए से लेकर 2 लाख रुपए तक हो सकती है।
डायबिटिक फुट अल्सर मधुमेह से पीड़ित लोगों में होता है।इसमें रोगी के पैर में एक खुला घाव हो जाता है जो आमतौर पर तलवे की सतह पर आसपास स्थित होता है। इसके लक्षणों में त्वचा का काला पड़ना, गर्म या ठंडा महसूस करने की क्षमता कम होना, प्रभावित क्षेत्र का सुन्न होना, पैरों में झुनझुनी इत्यादि शामिल है।
ये पुराने डायबिटीज़ के रोगियों में पैर में कुछ महसूस न होने, खराब रक्त संचार, पैर की विकृति, पैर पर दबाव या घर्षण और चोट लगने के कारण हो सकता है।इसे उचित देखभाल औऱ दवाओं के माध्यम से प्रबंधित करने की कोशिश की जाती है पर अगर इससे राहत ना मिले तो सर्जरी करने की आवश्यकता पड़ सकती है।