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Last Updated: Mar 30, 2023
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अंतःस्रावी तंत्र(एंडोक्राइन सिस्टम)- शरीर रचना (चित्र, कार्य, बीमारी, इलाज)

अंतःस्रावी तंत्र(एंडोक्राइन सिस्टम) का चित्र | Endocrine System Ki Image अंतःस्रावी तंत्र(एंडोक्राइन सिस्टम) के अलग-अलग भाग अंतःस्रावी तंत्र(एंडोक्राइन सिस्टम) के कार्य | Endocrine System Ke Kaam अंतःस्रावी तंत्र(एंडोक्राइन सिस्टम) के रोग | Endocrine System Ki Bimariya अंतःस्रावी तंत्र(एंडोक्राइन सिस्टम) की जांच | Endocrine System Ke Test अंतःस्रावी तंत्र(एंडोक्राइन सिस्टम) का इलाज | Endocrine System Ki Bimariyon Ke Ilaaj अंतःस्रावी तंत्र(एंडोक्राइन सिस्टम) की बीमारियों के लिए दवाइयां | Endocrine System ki Bimariyo ke liye Dawaiyan

अंतःस्रावी तंत्र(एंडोक्राइन सिस्टम) का चित्र | Endocrine System Ki Image

अंतःस्रावी तंत्र(एंडोक्राइन सिस्टम) का चित्र | Endocrine System Ki Image

ग्लैंड्स और ऑर्गन्स, हार्मोन बनाते हैं और फिर उन्हें सीधे रक्त में छोड़ देते हैं ताकि वे पूरे शरीर में टिश्यूज़ और सेल्स में पहुँच सकें। एंडोक्राइन ग्लैंड द्वारा रिलीज़ हुए हार्मोन शरीर में डेवलपमेंट और ग्रोथ (विकास और वृद्धि), मेटाबोलिज्म और रिप्रोडक्शन सहित कई महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करते हैं। एंडोक्राइन सिस्टम में हाइपोथैलेमस, पीनियल ग्रंथि, पिट्यूटरी ग्रंथि, थायरॉयड ग्रंथि, पैराथायरायड ग्रंथियां, थाइमस, एड्रिनल ग्रंथियां और अग्न्याशय(पैंक्रियास) शामिल हैं। इसमें पुरुषों में टेस्टिस और महिलाओं में अंडाशय और प्लेसेंटा (गर्भावस्था के दौरान) भी शामिल हैं।

अंतःस्रावी तंत्र(एंडोक्राइन सिस्टम) के अलग-अलग भाग

एंडोक्राइन सिस्टम, ग्लैंड्स और ऑर्गन्स से मिलकर बना हुआ होता है और यह एक जटिल नेटवर्क है। यह व्यक्ति के शरीर के मेटाबोलिज्म, ऊर्जा स्तर, रिप्रोडक्शन, वृद्धि और विकास, और चोट, तनाव और मनोदशा की प्रतिक्रिया को नियंत्रित और को-ऑर्डिनेट करने के लिए हार्मोन का उपयोग करता है। एंडोक्राइन सिस्टम के निम्नलिखित अभिन्न अंग हैं:-

  • हाइपोथैलेमस: हाइपोथैलेमस मस्तिष्क के बेस(आधार) पर, ऑप्टिक चियास्म के पास स्थित होता है, जहां पर प्रत्येक आंख के पीछे ऑप्टिक नर्व्ज़ क्रॉस करती हैं और मिलती हैं। हाइपोथैलेमस ऐसे हार्मोन को स्रावित करता है जिसके द्वारा पानी के संतुलन, नींद, तापमान, भूख और रक्तचाप नियंत्रित होता है। साथ ही, पिट्यूटरी ग्लैंड में हार्मोन के रिलीज़ को या तो उत्तेजित करता है या फिर दबा देता है।
  • पीनियल बॉडी: कॉर्पस कॉलोसम के नीचे, मस्तिष्क के बीच में, पीनियल बॉडी स्थित होती है। यह हार्मोन मेलाटोनिन का उत्पादन करता है, जिससे शरीर को यह जानने में मदद मिलती है कि सोने का समय कब है।
  • पिट्यूटरी: पिट्यूटरी ग्रंथि, मस्तिष्क के नीचे स्थित होती है। आम तौर पर इसका आकार मटर से जैसा होता है और यह अन्य एंडोक्राइन ग्लैंड्स के कई कार्यों को नियंत्रित करती है।
  • थायराइड और पैराथायराइड : थायराइड ग्रंथि और पैराथायराइड ग्लैंड्स गर्दन के सामने, लैरिंक्स(स्वरयंत्र-वौइस् बॉक्स) के नीचे स्थित होती हैं। थायराइड शरीर के मेटाबॉलिज्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर के कैल्शियम संतुलन के रेगुलेशन में पैराथायराइड ग्रंथियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • थाइमस: छाती के ऊपरी भाग में, थाइमस स्थित होता है और वाइट ब्लड सेल्स का निर्माण करता है। ये वाइट ब्लड सेल्स संक्रमण से लड़ते हैं और असामान्य सेल्स को नष्ट करते हैं।
  • एड्रिनल ग्लैंड: प्रत्येक किडनी के शीर्ष पर एक एड्रिनल ग्रंथि स्थित होती है। अन्य कई ग्रंथियों की तरह, एड्रिनल ग्रंथियां हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्रंथि के साथ-साथ काम करती हैं। कॉर्टिकोस्टेरॉइड हार्मोन और एपिनेफ्रीन हार्मोन एड्रिनल ग्लैंड द्वारा बनाये जाते हैं और रिलीज़ किये जाते हैं, जो रक्तचाप को बनाए रखते हैं और मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करते हैं।
  • अग्न्याशय(पैंक्रियास): एब्डोमेन में पीछे की तरफ, पेट के पीछे पैंक्रियास स्थित होता है। पैंक्रियास डाइजेशन, साथ ही हार्मोन उत्पादन में अहम् भूमिका निभाता है। अग्न्याशय द्वारा उत्पादित हार्मोन में इंसुलिन और ग्लूकागन शामिल हैं, जो कि ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करते हैं।
  • अंडाशय(ओवरी): एक महिला के अंडाशय फैलोपियन ट्यूब (ट्यूब जो गर्भाशय से अंडाशय तक फैली होती है) की ओपनिंग के नीचे, गर्भाशय के दोनों किनारों पर स्थित होते हैं। प्रजनन के लिए जरूरी एग सेल्स को शामिल करने के अलावा, ओवरीज़ एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन भी उत्पन्न करती हैं।
  • टेस्टिस(वृषण): पुरुष के टेस्टिस, एक पाउच में स्थित होते हैं जो पुरुष शरीर के बाहर लटकी होती है। टेस्टिस(वृषण), टेस्टोस्टेरोन और स्पर्म का उत्पादन करते हैं।

अंतःस्रावी तंत्र(एंडोक्राइन सिस्टम) के कार्य | Endocrine System Ke Kaam

एंडोक्राइन सिस्टम, रक्त में हार्मोन की मात्रा की लगातार निगरानी करता है। हार्मोन अपने संदेशों को उन सेल्स में लॉक कर देते हैं जिन्हें वे लक्षित करते हैं ताकि वे संदेश को रिले कर सकें।

जब हार्मोन्स का स्तर बढ़ जाता है, तो पिट्यूटरी ग्रंथि को पता चल जाता है, और अन्य वह अन्य ग्रंथियों को हार्मोन का उत्पादन और रिलीज करना बंद करने के लिए संकेत देती है। जब हार्मोन का स्तर एक निश्चित स्तर से कम हो जाता है, तो पिट्यूटरी ग्रंथि अन्य ग्रंथियों को संकेत देती है कि वो हार्मोन्स का अधिक उत्पादन करें और उन्हें रिलीज करें। इस प्रक्रिया को होमियोस्टेसिस कहा जाता है। शरीर में लगभग हर प्रक्रिया, हार्मोन्स द्वारा प्रभावित होती है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • मेटाबोलिज्म(भोजन को तोड़ना और उससे पोषक तत्वों को अब्सॉर्ब करके ऊर्जा प्राप्त करना)
  • ग्रोथ और डेवलपमेंट
  • भावनाएँ और मनोदशा
  • प्रजनन क्षमता और यौन क्रिया
  • नींद
  • रक्त चाप

कभी-कभी ग्लैंड्स द्वारा या तो बहुत अधिक मात्रा में हार्मोन्स बनाये जाते हैं या फिर कभी पर्याप्त मात्रा में हार्मोन का उत्पादन नहीं किया जाता है। यह असंतुलन स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे वजन बढ़ना, उच्च रक्तचाप और नींद, मूड और व्यवहार में बदलाव। कई चीज़ें हार्मोन्स बनाने और उनके होने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं। बीमारी, तनाव और कुछ दवाएं हार्मोन असंतुलन का कारण बन सकती हैं।

अंतःस्रावी तंत्र(एंडोक्राइन सिस्टम) के रोग | Endocrine System Ki Bimariya

  • हाइपोगोनैडिज्म (कम टेस्टोस्टेरोन): पुरुषों में, हाइपोगोनैडिज्म की समस्या के स्तंभन दोष(इरेक्टाइल डिसफंक्शन) हो सकता है। अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं जैसे: स्मृति और कंसंट्रेशन के साथ समस्या, माँसपेशियों में कमज़ोरी और कम सेक्स ड्राइव। यह तब होता है जब टेस्टिस द्वारा पर्याप्त सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन नहीं होता है।
  • डायबिटीज(मधुमेह): यह एंडोक्राइन डिसऑर्डर, व्यक्ति द्वारा खाए जाने वाले भोजन से ऊर्जा का उपयोग करने के तरीके को प्रभावित करता है। डायबिटीज की समस्या तब होती है जब पैंक्रियास पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नामक हार्मोन का उत्पादन नहीं करता है, या फिर इंसुलिन हार्मोन ठीक से काम नहीं करता है जैसा इसे करना चाहिए।
  • हाइपोथायराइडिज्म: हाइपोथायराइडिज्म एक सामान्य स्थिति है जहां थायराइड ग्लैंड द्वारा पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन नहीं बनाया जाता है और न ही उसे सही से रक्तप्रवाह में छोड़ा जाता है। इससे मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इसे अंडरएक्टिव थायराइड भी कहा जाता है, हाइपोथायराइडिज्म के कारण व्यक्ति अपने आपको थका हुआ महसूस कर सकता है, उसका वजन बढ़ सकता है और वो ठंडे तापमान को सहन करने में असमर्थ हो सकता है। हाइपोथायरायडिज्म का मुख्य उपचार हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी है।
  • हाइपरथायराइडिज्म: हाइपरथायराइडिज्म, जिसे ओवरएक्टिव थायराइड भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जब थायराइड ग्लैंड बहुत अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन को बनाता है और रिलीज करता है। इस स्थिति के कारण, मेटाबोलिज्म बहुत तेज हो जाता है। हाइपरथायराइडिज्म के लक्षणों में शामिल हैं: तेजी से दिल की धड़कन, वजन घटना, भूख में वृद्धि और चिंता। हाइपरथायराइडिज्म का इलाज एंटीथायराइड दवाओं, रेडियोधर्मी आयोडीन, बीटा ब्लॉकर्स और सर्जरी से किया जा सकता है।
  • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस): इस समस्या के होने पर, हार्मोनल असंतुलन हो जाता है और उसके परिणामस्वरूप पीसीओएस वाली महिलाओं में अनियमित पीरियड्स, बालों का असामान्य विकास, अतिरिक्त मुंहासे और वजन बढ़ सकता है। इससे डायबिटीज, मेटाबोलिज्म सिंड्रोम और बांझपन का खतरा बढ़ सकता है।
  • ऑस्टियोपोरोसिस: जब एक महिला के अंडाशय द्वारा पर्याप्त मात्रा में एस्ट्रोजन का उत्पादन नहीं होता है, तो हड्डियाँ भंगुर और कमजोर हो जाती हैं। हालांकि यह समस्या महिलाओं में अधिक आम है, पुरुषों में कभी-कभी ऑस्टियोपोरोसिस होता है जब टेस्टोस्टेरोन का स्तर बहुत कम हो जाता है। अति सक्रिय पैराथायराइड ग्रंथि (हाइपरपैराथायरायडिज्म) वाले लोगों में भी कमजोर हड्डियां हो सकती हैं।
  • मल्टीपल एंडोक्राइन नियोप्लासिया: यह बहुत सारे डिसऑर्डर्स का एक समूह है जो की व्यक्ति के एंडोक्राइन सिस्टम को प्रभावित करता है। यह कम से कम दो अंतःस्रावी ग्रंथियों या अन्य अंगों और टिश्यूज़ में ट्यूमर का कारण बनता है।
  • अपरिपक्व यौवन: जब प्रजनन को नियंत्रित करने वाली ग्रंथियां ठीक से काम नहीं करती हैं, तो कुछ बच्चों में असामान्य रूप से युवावस्था शुरू हो जाती है-लड़कियों में लगभग 8 और लड़कों में 9।

अंतःस्रावी तंत्र(एंडोक्राइन सिस्टम) की जांच | Endocrine System Ke Test

  • थायराइड स्कैन: बहुत कम मात्रा में रेडियोएक्टिव आयोडीन का सेवन किया जाता(मुँह दवाई इंजेस्ट किया जाता) है ताकि थायराइड ग्रंथि की इमेजेज प्राप्त की जा सकें। थायराइड ग्रंथि में एक महत्वपूर्ण मात्रा में रेडियोएक्टिव आयोडीन होता है, जो हाई कंसंट्रेशन में पाया जाता है।
  • थायराइड बायोप्सी: थायराइड कैंसर स्क्रीनिंग में रोगी से थायराइड टिश्यू की थोड़ी मात्रा को निकालना शामिल होता है। थायराइड को अक्सर सुई का उपयोग करके बायोप्सी किया जाता है।
  • T3 और T4 (थायरोक्सिन): थायराइड हार्मोन के प्राथमिक रूप जो कि ब्लड टेस्ट के साथ निर्धारित किए जा सकते हैं। इस टेस्ट को करने के लिए, ग्लैंड में एक महीन सुई डाली जाती है। यह माना जाता है कि वो ग्लैंड किसी प्रकार के पैरासिटिक या नॉन-पैरासिटिक संक्रमण से संक्रमित है। लिक्विड या पदार्थ जो ग्लैंड के अंदर स्थित होता है, उसको निकाला जाता है, और माइक्रोस्कोप के तहत जांच के बाद इसे कई अलग-अलग डायग्नोस्टिक प्रोसीजर्स के अधीन किया जाता है।
  • एंटी-थायराइड पेरोक्सीडेज एंटीबॉडीज: थायराइड पेरोक्साइडस के रूप में जाना जाने वाला एंजाइम, थायराइड हार्मोन के उत्पादन के लिए आवश्यक है। हालाँकि, प्रोटीन इसपर गलत तरीके से अटैक करते हैं जिसके कारण ऑटोइम्यून थायराइड हो जाता है।
  • थायराइड-उत्तेजक हार्मोन (टीएसएच): हाइपोथैलेमस एक हार्मोन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार है जिसे थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) के रूप में जाना जाता है, जो थायराइड हार्मोन के संश्लेषण को नियंत्रित करता है। रक्त परीक्षण में, टीएसएच के असामान्य रूप से निम्न स्तर, साथ ही टीएसएच के असामान्य रूप से उच्च स्तर से दो थायराइड रोगों का पता चलता है: हाइपोथायराइडिज्म और हाइपरथायराइडिज्म।

अंतःस्रावी तंत्र(एंडोक्राइन सिस्टम) का इलाज | Endocrine System Ki Bimariyon Ke Ilaaj

  • स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी: स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी (एसआरएस) का उपयोग, मामूली ब्रेन ट्यूमर और फंक्शनल कठिनाइयों के इलाज के लिए किया जाता है। शरीर में जिस जगह पर समस्या है, वहां पर लक्षित करने के लिए नॉन-इनवेसिव रेडिएशन बीम का उपयोग किया जाता है। इंसुलिन सूक्ष्म रूप से ग्लूकोज के अब्सॉर्प्शन को बढ़ाता है और ब्लड शुगर को कम करता है।
  • स्यूडोसिस्ट ड्रेनेज: त्वचा के माध्यम से और स्यूडोसिस्ट में एक ट्यूब या सुई डालकर एक स्यूडोसिस्ट को निकालना संभव है। फ्लूइड को निकालने के लिए स्यूडोसिस्ट और पेट या छोटी आंत के बीच एक पतली ट्यूब या स्टेंट डाला जा सकता है।
  • पैंक्रियास ट्रांसप्लांटेशन: जब डायबिटीज या सिस्टिक फाइब्रोसिस वाले किसी व्यक्ति में पैंक्रियास ट्रांसप्लांटेशन किया जाता है, तो स्वस्थ अंग को उसके शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाता है। कुछ लोगों में, इस प्रक्रिया को करके मधुमेह को ठीक किया जा सकता है।
  • आइलेट सेल ट्रांसप्लांटेशन: डोनर के पैंक्रियास से इंसुलिन बनाने वाले सेल्स को टाइप 1 डायबिटीज वाले व्यक्ति में ट्रांसप्लांट किया जाता है। यह संभव है कि दवा से टाइप 1 मधुमेह ठीक हो सकता है।
  • स्यूडोसिस्ट सर्जरी: ऐसी बहुत सी स्थितियां हैं जब केवल सर्जरी से ही स्यूडोसिस्ट से छुटकारा पाया जा सकता है। लैप्रोस्कोपी (जिसमें कई छोटे चीरों की आवश्यकता होती है) या लैपरोटॉमी (जिसमें एक बड़ा चीरा शामिल है) का उपयोग सर्जन द्वारा किया जा सकता है, परन्तु यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
  • ट्यूमर का सर्जिकल रिसेक्शन: ब्रेन ट्यूमर वाले रोगियों के लिए सर्जरी ही अक्सर उपचार का पहला विकल्प होता है। ब्रेन ट्यूमर के लिए सर्जरी का उद्देश्य होता है: रोगी के स्वास्थ्य पर कोई असर न हो और जितना संभव हो उतना घातक विकास को दूर किया जा सके।
  • पैंक्रिएटिक कैंसर रिसेक्शन (व्हिपल प्रक्रिया): पैंक्रियास में कैंसर होने पर, सर्जरी द्वारा पैंक्रियास को हटा दिया जाता है और यह प्रक्रिया कैंसर के इलाज का स्टैण्डर्ड प्रोसीजर है। इस प्रक्रिया में डुओडेनम, छोटी आंत का पहला सेक्शन, गॉलब्लेडर और पैंक्रियास का शीर्ष, सभी को हटा दिया जाता है। अत्यंत असामान्य परिस्थितियों में पेट का एक छोटा सा हिस्सा भी निकाला जा सकता है।

अंतःस्रावी तंत्र(एंडोक्राइन सिस्टम) की बीमारियों के लिए दवाइयां | Endocrine System ki Bimariyo ke liye Dawaiyan

  • हाइपोथायरायडिज्म के लिए थायराइड हार्मोन की गोलियां: इस उपचार को नियमित रूप से करना चाहिए जिससे कि शरीर में उस थायराइड हार्मोन की जगह ली जा सके जो अब शरीर द्वारा नहीं बनाया जाता है। थायराइड हार्मोन की जगह अब उत्पन्न नहीं हो सकता है। थायराइड हार्मोन युक्त टैबलेट का उपयोग हाइपोथायरायडिज्म के इलाज के लिए और सर्जरी के बाद थायराइड कैंसर की पुनरावृत्ति के जोखिम को कम करने के लिए भी किया जाता है।
  • थायराइड कार्सिनोमा के लिए रिकॉम्बिनेंट ह्यूमन TSH(टीएसएच): यह एक थायरॉयड उत्तेजक दवा है, जिसे इंजेक्ट करके थायरॉयड कैंसर की नैदानिक सटीकता को बढ़ाया जा सकता है।
  • थायराइडिटिस के लिए बीटा ब्लॉकर्स: थायरॉयडिटिस, थायरॉयड कैंसर, और अन्य पुरानी और तीव्र थायरॉयड बीमारियों को थायरॉयड ग्रंथि में रक्त प्रवाह बनाए रखने के लिए बीटा ब्लॉकर्स के उपयोग की आवश्यकता होती है। एटेनोलोल, प्रोप्रानोलोल और मेटोप्रोलोल टर्मिनल उपचार में उपयोग किए जाने वाले कुछ प्रकार के बीटा ब्लॉकर्स हैं।
  • हाइपरथायरायडिज्म के लिए एंटी-थायराइड दवाएं: हाइपरथायरायडिज्म की समस्या से पीड़ित लोगों में, इस दवा से थायराइड हार्मोन के अधिक उत्पादन को कम किया जा सकता है। दो आम एंटी-थायराइड दवाएं मेथिमाज़ोल और प्रोपाइलथियोरासिल हैं।

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Written By
PhD (Pharmacology) Pursuing, M.Pharma (Pharmacology), B.Pharma - Certificate in Nutrition and Child Care
Pharmacology
English Version is Reviewed by
MD - Consultant Physician
General Physician
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