एंडोमेट्रियोसिस क्या होता है?
एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं में होने वाली एक आम स्वास्थ्य समस्या है। यह एक ऐसी चिकित्सा विकार है जिसमें यूटरस के अंदर पाए जाने वाले टिश्यू एंडोमेट्रियम टिश्यू की तरह ही बढ़ते हुए गर्भाशय के बाहर बढने लगते हैं। यह काफी पीड़ादायक और दर्दनाक स्थिति होती है।
एंडोमेट्रियोसिस की स्थिति में सामान्यतः ओवरी, फैलोपियन ट्यूब और पेल्विस की लाइनिंग करने वाले टिश्यू प्रभावित होते हैं। इस दौरान एंडोमेट्रियल, एंडोमेट्रियल टिश्यू की तरह काम करने लगता है।
यह हर पीरियड्स के साथ मोटा होने लगता है। टूट जाता है और ब्लीडिंग होने लगती है। इस टिश्यू के पास शरीर से बाहर निकलने का रास्ता ना होने के कारण यह शरीर के बाहर नहीं निकल पाता और फंस जाता है। इससे आसपास के टिश्यू पर दबाव पड़ता है और स्कार टिश्यू बनने लगते हैं। स्कार टिश्यू बनने से रेशेदार टिश्यू के बैंड बन जाते हैं। इससे पैल्विक टिश्यू और अंग एक दूसरे से चिपक भी सकते हैं।
अगर एंडोमेट्रियोसिस विकार में ओवरी प्रभावित हो तो कई सिस्ट भी बन जाते जिन्हें एंडोमेट्रियोमास कहा जाता है। एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिला को दर्द खासकर पीरियड्स के दौरान दर्द बेहद गंभीर हो जाता है। इससे प्रजनन समस्याएं भी विकसित हो सकती हैं। हालांकि इस समस्या का प्रभावी उपचार संभव है।
एंडोमेट्रियोसिस के प्रकार (Endometriosis Ke Prakaar)
एंडोमेट्रियोसिस कहां पर स्थित है इस आधार पर इसे वर्गीकृत किया गया है। ये मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं:
यह एंडोमेट्रियोसिस का सबसे आम प्रकार है। इससे पीड़ित महिलाओं के पेरिटोनियम पर लेश्यन (घाव) होते हैं। पेरिटोनिम एक पतली फिल्म होती जो पेल्विक कैविटी की लाइनिंग बनाती है।
एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं के ओवरी (अंडाशय) की गहराई में गहरे, तरल पदार्थ से भरे हुए सिस्ट बनते हैं। इन सिस्ट को चॉकलेट सिस्ट भी कहा जाता है। इन पर उपचार का भी कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है। सामान्य उपचार से इन्हें ठीक नहीं किया जा सकता है। ये आसपास के स्वस्थ टिश्यू को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
एंडोमेट्रियोसिस के इस प्रकार में टिश्यू पेरिटोनियम के नीचे विकसित होता है। इसमें गर्भाशय के पास के अंग जैसे आंत या मूत्राशय भी शामिल हो सकते हैं। इस रोग से पीड़ित लगभग 1% से 5% महिलाओं में इस तरह का एंडोमेट्रियोसिस पाया जाता है।
एंडोमेट्रियोसिस होने के लक्षण (Endometriosis Ke Lakshan)
एंडोमेट्रियोसिस का सबसे प्राथमिक लक्षण पैल्विक दर्द है। यह अक्सर मासिक धर्म से जुड़ा होता है। वैसे तो बहुत सी महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान ऐंठन का अनुभव करती हैं पर जिन्हें एंडोमेट्रियोसिस विकार होता है उन्हें मासिक धर्म के दौरान होने वाला दर्द सामान्य ऐंठन से कहीं ज्यादा अधिक पीड़ादायी होता है। इस तरह का दर्द समय के साथ बढ़ भी सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
- अति पीड़ादायक पीरियड्स: इस स्थिति में पैल्विक दर्द या ऐंठन पीरियड्स से पहले शुरू हो सकता है और कई दिनों तक रह सकता है। इससे पीड़ित महिला की पीठ के निचले हिस्से और पेट में दर्द हो सकता है।
- संभोग में दर्द: एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं को सेक्स के दौरान या सेक्स के बाद दर्द हो सकता है। यह एक आम लक्षण है।
- मल त्याग या पेशाब के साथ दर्द: पीरियड्स के दौरान इससे पीड़ित महिलाओं को मल त्यागने में और पेशाब करने में अधिक दर्द मेहसूस हो सकता है।
- बहुत ज्यादा ब्लीडिंग: पारियड्स में कभी-कभी हैवी ब्लीडिंग (अंतरमासिक रक्तस्राव) हो सकती है।
- बांझपन: यदि किसी दंपत्ति को संतान प्राप्ति नहीं हो रही है तो महिला में पाए जाने वाला सबसे आम कारणों एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है।
- अन्य लक्षण: थकान, दस्त, कब्ज, सूजन या मतली का अनुभव, विशेष रुप ये लक्षण पीरियड्स के दौरान पीड़ित महिलाओं में देखने को मिलते हैं।
दर्द की गंभीरता या तीव्रता इस बात का निर्धारण नहीं करती है की एंडोमेट्रियोसिस की स्थिति कितनी गंभीर है। कई बार गंभीर दर्द के साथ हल्का एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है और कम या बिना दर्द के एडवांस स्टेज की एंडोमेट्रियोसिस की समस्या हो सकती है।
एंडोमेट्रियोसिस होने के कारण (Endometriosis Hone Ke Kaaran)
एंडोमेट्रियोसिस का कोई सटीक कारण नहीं है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके संभावित कारण निम्न हो सकते हैं:
- रेट्रोग्रेड मेनस्यूरेशन: रेट्रोग्रेड मेंसुरेशन में मैनस्यूरल ब्लड जिसे शरीर के बाहर निकल जाना चाहिए वो फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से वापस पेल्विक कैविटी में चला जाता है। इस रक्त में एंडोमेट्रियल सेल भी मौजूद होते हैं। ये एंडोमेट्रियल कोशिकाएं पेल्विक कैविटी में पेल्विक की दीवारों और पेल्विक अंगों की सतहों से चिपक जाती हैं। यहां चिपके हुए भी वे बढ़ती हैं और प्रत्येक मासिक धर्म के दौरान मोटी होती जाती हैं। इस दौरान खून बहना जारी रखती हैं।
- पेरिटोनियल सेल में बदलाव: इसे 'इंडक्शन थ्योरी' के रूप में भी जाना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि हार्मोन या इम्यून फैक्टर पेरिटोनियल कोशिकाओं के परिवर्तन को बढ़ावा देता है। यही कोशिकाएं पेट के अंदरूनी हिस्से को एंडोमेट्रियल जैसी कोशिकाओं में बदल देती हैं जिससे एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है।
- भ्रूण कोशिकाओ में परिवर्तन: एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन भ्रूणीय कोशिकाओं को युवावस्था के दौरान एंडोमेट्रियल सेल में बदल सकते हैं। भ्रूणीय कोशिकाएं भ्रूण के विकास के शुरुआती चरणों के लिए उत्तरदायी होती हैं।
- सर्जिकल स्कार इंप्लाटेंशन: हिस्टरेक्टॉमी या सी सेक्शन जैसी सर्जरी के बाद एंडोमेट्रियल कोशिकाएं सर्जिकल स्कार से जुड़ सकती हैं।
- एंडोमेट्रियल सेल ट्रांसपोर्ट: ब्लड सेल्स या टिश्यू फ्लूइड (लिम्फैटिक) सिस्टम एंडोमेट्रियल कोशिकाओं को शरीर के अन्य भागों में ले जा सकती है।
- प्रतिरक्षा प्रणाली में विकार: प्रतिरक्षा प्रणाली में अगर किसी तरह की दिक्कत हो या फिर उसमें कोई विकार हो तो वो गर्भाशय के बाहर बढ़ने वाले एंडोमेट्रियल जैसे ऊतक को पहचानने की क्षमता खो देती है और इससे शरीर उन्हें नष्ट करने में असमर्थ हो जाता है।
एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी के दौरान आपका खान: पान (Aapki Diet Endometriosis Bimari ke Dooran)
एंडोमेट्रियोसिस और आहार के बीच एक सीधा संबंध है। ये बात एक शोध में भी सिद्ध हो चुकी है। शोध के मुताबिक जो महिलाएं फलों और सब्जियों का अधिक सेवन करती हैं उन्हें इस प्रकार की बीमारी होने की संभावना अपेक्षाकृत कम हो जाती है जबकि जो महिलाएं ऐसा आहार लेती हैं जिसमें रेड मीट की अधिकता हो उन्हें इसका खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
महिलाओं को भोजन में अधिक से अधिक ताजे फल और सब्जियों को शामिल करना चाहिए। सलाद और सब्जियां ज्यादा खाने से एंडोमेट्रियोसिस बीमारी का खतरा कम हो सकता है। फ्रूट चाट एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
एक अन्य शोध में ओमेगा- 3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे सैल्मन और अखरोट खाने से एंडोमेट्रियोसिस का खतरा कम होता है। अध्ययन से पता चला है कि जिन महिलाओं ने सबसे अधिक मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन किया है, उनमें एंडोमेट्रियोसिस विकसित होने की संभावना उन महिलाओं की तुलना में 22% कम होती है, जिन्होंने इसे कम मात्रा में लिया था।
एंडोमेट्रियोसिस होने पर इन चीजों से करें परहेज (Endometriosis hone par en cheezo se kare parhez)
- विशेषज्ञों की मानें तो बीफ में मौजूद वसा की उच्च मात्रा प्रोस्टाग्लैंडीन का उत्पादन करने के लिए प्रेरित करती है, जिससे अधिक एस्ट्रोजन प्रोड्यूस हो सकता है। यह अतिरिक्त एस्ट्रोजन अतिरिक्त एंडोमेट्रियल टिश्यू के बढ़ने का कारण बनता है जिससे एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है।
- ऐसी महिलाएं जो अधिक मात्रा में ट्रांस वसा का सेवन करती हैं, उनकी तुलना में कम ट्रांस फैट खाने वाली महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस होने का खतरा 48 प्रतिशत अधिक होता है।
- शराब और कैफीन युक्त खाद्य व पेय पदार्थ का सेवन करने से बचें। ऐसा करने से एंडोमेट्रियोसिस के जोखिम से बचा जा सकता है।
- सोडा पीने से एंडोमेट्रियोसिस विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में इस प्रकार के पेय पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए।
एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या करे (Endometriosis Hone par kya kare)
- अपनी तकलीफ पर बात करें: ऐसी महिलाएं जिन्हें एंडोमेट्रियोसिस होने की आंशका वे इसके लक्षण पर नज़र रखें। इनकी तीव्रता या दर्द बढ़ने पर डॉक्टर को बताएं। इसके लक्षणों के बारे में बात करने में किसी भी प्रकार की कोई झिझक अपने अंदर न रखें।
- व्यायाम: नियमित व्यायाम एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। एंडोमेट्रियोसिस के बेहतर प्रबंधन के लिए आपको नियमित व्यायाम, ध्यान और योग या किसी भी प्रकार की खेल गतिविधि में हिस्सा लेना चाहिए।
- आहार: सुनिश्चित करें कि आप ताजे फल और सब्जियां अच्छी तरह से धोकर खाएं ताकि आप किसी भी कीटनाशक या पर्यावरण विषाक्त पदार्थों का सेवन न करें।
- पीने का पानी: खुद को हाइड्रेट रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या ना करें (Endometriosis hone par kya Na Kare)
- सहना नहीं है: यदि सेक्स के दौरान या सामान्य पीरियड्स के दिनों में दर्द अधिक है तो इसे सहना नहीं है। सेक्स के दौरान अगर दर्द हो रहा है तो उससे शर्माने की जरुरत नहीं है। अपने पार्टनर से इस संबंध में सारी जानकारी साझा करें और डाक्टर के पास जाए।
- अपनी डाक्टर खुद ना बनें: खुद से अपना इलाज या डायगनोसिस करने की जरुरत नहीं है। यदि इससे संबंधित कोई लक्षण दिखता है तो इसका इलाज खुद से न करें। एंडोमिट्रियोसिस के मामले में विशेष तौर पर यह घातक हो सकता है।
- अज्ञानता: किसी भी प्रकार के पैल्विक दर्द या मल त्याग करते समय होने वाली परेशानी को नज़रअंदाज़ न करें।
- डिप्रेशन: समस्या के कारण होने वाली परेशानी के कारण उदास न हों। अपनी परेशानी साझा करें। डॉक्टर से सुझाव लें और सहायता प्राप्त करें।
एंडोमेट्रियोसिस को घर पर ठीक कैसे करे (Home Remedy for Endometriosis Treatment in Hindi)
- गर्म सिकाई: गर्म सेंक किसी भई प्रकार के दर्द में बेहद मददगार साबित हो सकती है। यह सबसे अच्छे घरेलू उपचारों में से एक है। गर्मी पैल्विक मांसपेशियों को आराम दे सकती है, जिससे ऐंठन और दर्द कम हो सकता है। ऐंठन का प्रभावी ढंग से इलाज करने के लिए आप गर्म स्नान, गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड का उपयोग कर सकते हैं।
- कैस्टर ऑयल: एंडोमेट्रियोसिस के इलाज के लिए कैस्टर आयल का उपयोग कई वर्षों से किया जा रहा है। इसका उपयोग शुरुआत में ही किया जा सकता है, जब पहली बार ऐंठन महसूस होती है, जिससे शरीर को अतिरिक्त ऊतकों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। यह महत्वपूर्ण है कि इस तकनीक का उपयोग पीरियड्स से पहले किया जाता है, न कि पीरियड्स के दौरान। कैस्टर तेल से सीधे पेट में मालिश करनी चाहिए। आप पैल्विक मांसपेशियों को आराम देने में मदद करने के लिए इसे लैवेंडर जैसे आराम देने वाले आवश्यक तेल की कुछ बूंदों के साथ भी इसे मिला सकते हैं।
- हल्दी: हल्दी में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों का अनुभव करने वाले लोगों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। इसका उपयोग लंबी अवधि में एंडोमेट्रियोसिस को प्रबंधित करने के लिए भी किया जा सकता है। कुछ शोध में यह भी पाया गया है कि इसमें एंडोमेट्रियल विकास को बाधित करने की क्षमता है। एक कप पानी उबालकर उसमें एक चम्मच हल्दी और अदरक पाउडर दोनों को मिलाकर हल्दी की चाय बना सकते हैं। आप इसमें शहद और नींबू भी मिला सकते हैं। लक्षणों के हिसाब से इसे रोजाना दो से तीन बार पीने से आराम मिल सकता है।
- पेल्विक मसाज: पैल्विक मांसपेशियों की मालिश करने से उन्हें आराम मिलता है और सूजन कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे ऐंठन कम हो जाती है। अच्छी क्वालिटी वाले लैवेंडर तेल की कुछ बूंदों का उपयोग करने से मांसपेशियों को और अधिक आराम मिल सकता है। एक बार में 10 से 15 मिनट तक प्रभावित जगह पर हल्के हाथों से मसाज करें। पैल्विक मालिश का उपयोग पीरियड्स से पहले करना चाहिए।
- अदरक की चाय: एंडोमेट्रियोसिस वाले कुछ लोग इस स्थिति के परिणामस्वरूप मतली का अनुभव करते हैं। अदरक की चाय मतली के इलाज के लिए सबसे अच्छे घरेलू उपचारों में से एक है, और वैज्ञानिक रूप से इसके सुरक्षित और प्रभावी होने के प्रमाण हैं।
एंडोमेट्रियोसिस के इलाज (Endometriosis Ke Ilaaj)
एंडोमेट्रियोसिस का इलाज निम्न प्रक्रियाओं के आधार पर किया जा सकता है:
दर्द निवारक दवा: एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं के लिए डॉक्टर दर्द निवारक दवा दे सकते हैं। नॉन स्टेरायडल एंटी इंफ्लेमेट्री ड्रग्स (एनएसएआईडी) भी दी जा सकती है। कुछ महिलाओं को नेप्रोक्सन से पीरिड्स के दर्द में राहत मिलती है।
हार्मोन थेरैपी: हार्मोन थेरेपी आपके शरीर द्वारा निर्मित एस्ट्रोजन की मात्रा को कम करती है और पीरियड्स को रोक सकती है। यह घावों से खून बहने को कम करने में मदद करती है ताकि ज्यादा सूजन, स्कार और पुटी का निर्माण न हो। इनमें जन्म नियंत्रण की गोलियां, पैच और वजाइनल रिंग्स,जीएन आरएच एगोनिस्ट और डानाज़ोल (डैनोक्राइन) आदि शामिल हैं।
सर्जरी: यदि आपको एंडोमेट्रियोसिस से गंभीर दर्द होता है, तो आपको सर्जरी की सलाह दी जा सकती है। हालांकि, सर्जरी के बाद भी एंडोमेट्रियोसिस और दर्द दोबारा हो सकता है।
कंजर्वेटिव सर्जरी: यदि एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिला गर्भवती होने की कोशिश कर रही हो तो गर्भाशय और और ओवरी को संरक्षित करते हुए एंडोमेट्रियोसिस प्रत्यारोपण को हटाने के लिए (कंज़र्वेटिव सर्जरी) की जा सकती है।
पारंपरिक सर्जरी: अधिक व्यापक मामलों में डॉक्टर पारंपरिक पेट की सर्जरी कर सकते हैं। इसे सामान्य विधि और लैप्रोस्कोपिक दोनों तरह से किया जा सकता है। एंडोमेट्रियोसिस के गंभीर मामलों में भी लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
लैप्रोस्कोपिक सर्जरी: इस दौरान सर्जन नाभि के पास एक छोटे चीरे के माध्यम से एक पतला लैप्रोस्कोप उपकरण डालता है और एक अन्य छोटे चीरे के माध्यम से एंडोमेट्रियल ऊतक को हटाने के उपकरण शामिल करता है। सर्जरी के बाद, डॉक्टर दर्द को कम करने के लिए हार्मोन थेरेपी की सलाह दे सकते हैं।
हिस्टरेक्टॉमी: यूटेरस (हिस्टेरेक्टॉमी) और ओवरी (ओओफोरेक्टॉमी) को हटाने के लिए सर्जरी को एंडोमेट्रियोसिस के लिए प्रभावी उपचारों में एक माना जाता है। अंडाशय को हटाने से तुरंत मीनोपॉज हो जाता है। अंडाशय द्वारा उत्पादित हार्मोन की कमी से कुछ महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस दर्द में सुधार हो सकता है, लेकिन अधिकांश मामलो में एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण बने रहते हैं। प्रारंभिक रजोनिवृत्ति में हृदय और रक्त वाहिका (हृदय) रोग, चयापचय स्थितियां और मृत्यु का जोखिम भी हो सकता है।
गर्भाशय को हटाने (हिस्टेरेक्टॉमी) का उपयोग कभी-कभी एंडोमेट्रियोसिस से जुड़े संकेतों और लक्षणों के इलाज के लिए किया जा सकता है, जैसे कि भारी मासिक धर्म रक्तस्राव और गर्भाशय में ऐंठन कारण दर्दनाक मासिक धर्म। यहां तक कि जब अंडाशय को जगह में छोड़ दिया जाता है, तब भी एक हिस्टेरेक्टॉमी का स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है, खासकर यदि सर्जरी 35 वर्ष की आयु से पहले हुई हो।
एंडोमेट्रियोसिस के इलाज की लागत (Endometriosis ke Ilaaj ka Kharcha)
एंडोमेट्रियोसिस के इलाज की लागत इस बात पर निर्भर करती है कि बीमारी कितनी पुरानी है। कितनी गंभीर है और किस प्रकार की एंटोमेट्रियोसिस से रोगी पीड़ित है। इसकी लागत 15 हजार से लेकर 80 हजार तक हो सकती है।
निष्कर्ष
निष्कर्ष: एंडोमेट्रियोसिस एक सामान्य, एस्ट्रोजन पर निर्भर, पुराना स्त्रीरोग संबंधी विकार है। यह यूट्रीन कैविटी के बाहर यूट्रीन एंडोमेट्रियल टिश्यू की उपस्थिति के कारण होने वाली स्थिति है। एंडोमेट्रियोसिस सतही और गहरी पेल्विक पेरिटोनियल इम्प्लांट, आसंजन, और डिम्बग्रंथि के सिस्ट (एंडोमेट्रियोमास) के रूप में उपस्थित हो सकता है। एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों में पैल्विक दर्द और बांझपन शामिल है। एंडोमेट्रियोसिस के लिए अतिसंवेदनशील महिलाओं में विकसित होने वाले संबंधित विकारों की निगरानी के लिए मल्टी डिसिप्लिनरी देखभाल और लॉन्ग टर्म फॉलोअप की आवश्यकता होती है।
इसकी गंभीरता इसके इलाज पर निर्भर करती है। कुछ मामलों में दवा और हार्मोन थेरैपी से काम चल जाता है पर इसे पूरी तरह ठीक करने में सर्जरी बेहतर विकल्प होती है।