महिला से पुरुष सर्जरी को सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी कहते हैं। इस सर्जरी के दौरान स्तनों को हटाया जाता है और मास्टेक्टॉमी के जरिए इंटीमेट पार्ट को बदल दिया जाता है। मास्टेक्टॉमी को नीचे की सर्जरी भी कहते हैं। इस सर्जरी ने हजारों ट्रांसजेंडर्स को नई पहचान दी है। सर्जरी के दौरान छाती और जननांग को बदल दिया जाता है। इससे आपकी शारीरिक बनावट आपके लिंग से मिलती-जुलती दिखती है। यह सर्जरी निम्न चरणों में पूर्ण होती है।
नीचे की सर्जरी
महिला से पुरुष में बदलने के लिए डॉक्टर सर्जरी के माधम से पहले दोनों स्तनों को हटाते हैं। इसे मस्टेक्टॉमी कहा जाता है। इसके अलावा सर्जन निपल्स के आकार और उनकी स्थिति में भी बदलाव करता है।
यह सर्जरी का मुख्य भाग होता है। इसके जरिए महिला के नीचे वाले भाग से गर्भाशय, अंडाशय, या फैलोपियन ट्यूब को हटा दिया जाता है। इससे पीरियड और अन्य हार्मोनल एक्टिविटी को बंद कर दिया जाता है। आंशिक हिस्टेरेक्टॉमी के जरिए सर्जन नीचे वाले हिस्से से गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा और बाइलेटरल सैल्पिंगो ऊफोरेक्टॉमी के जरिए दाएं और बाएं फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय को हटाया जाता है।
मेटोइडियोप्लास्टी, एक नए लिंग या नियोपेनिस बनाने की मेथड है। इसमें क्लाइटोरिस (उत्तेजना पैदा करने वाला पार्ट जिसे फीमेल पेनिस भी कहते हैं) को लिंग में बदल दिया जाता है। इस बदलाव या सर्जरी से पहले जेंडर चेंज कराने वाली महिला को एक हार्मोन थेरेपी दी जाती है। इसके बाद वैजिनेक्टोमी के जरिए योनि को हटा दिया जाता है।
फैलोप्लास्टी के जरिए सर्जन नए लिंग या नियोपेनिस का निर्माण करते हैं। इसके लिए सर्जन ग्राफ्टेड स्किन यानी की शरीर के आगे वाले हिस्से जैसे की जांघ, हाथ, पीठ या पेट से स्किन का टुकड़ा लेते हैं। इसका उपयोग नियोपेनिस बनाने में किया जाता है। फैलोप्लास्टी के दौरान सर्जन वैजिनेक्टॉमी के जरिए लिंग के माध्यम से पेशाब निकालने लिए मूत्रमार्ग को लंबा कर देते हैं।
सर्जरी की इस प्रक्रिया के जरिए अंडकोश बनाने का काम होता है। इसके लिए सर्जन लेबिया (वैजाइना के बाहरी होंठ) को खोखला कर सिलिकॉन टेस्टिकुलर को प्लांट कर अंडकोश बनाता है।
यह सर्जरी मुख्य रूप से व्यक्ति की शारीरिक बनावट को बदलने के लिए की जाती है ताकि उनकी शारीरिक बनावट लिंग पहचान से मेल खा सके। जेंडर डिस्फोरिया से ग्रसित लोग सबसे ज्यादा इस सर्जरी को कराते हैं। जेंडर डिस्फोरिया एक ऐसी स्थिति है जिससे पीड़ित मरीज की शारीरिक बनावट उसके जेंडर से मेल नहीं खाती है। इसके कारण इससे ग्रसित लोग हमेशा तनाव में रहते हैं। उन्हें यह फीलिंग आती है कि उनके शरीर को किसी दूसरे इंसान में फिक्स किया गया है। उदाहरण के लिए लड़की होकर लड़कों जैसे काम करना।
सामान्य तौर पर जिन लोगों को जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर या जेंडर डिस्फोरिया होता है उनका लिंग परिवर्तन किया जाता है। जेंडर डिस्फोरिया की स्थिति में एक लड़की, लड़के की तरह व्यवहार करती है। वह खुद को अपोजिट सेक्स में ज्यादा सहज महसूस करती है। यह लक्षण 10-12 साल की उम्र से दिखना शुरू हो जाते हैं। जैसे कोई महिला, पुरुषों की तरह कपड़े पहनना पसंद करती है, पुरुषों की तरह चलने की कोशिश करती है, उन्हीं की तरह इशारे करती है। ऐसी स्थिति होने पर लोग सेक्स चेंज करवा सकते हैं।
फीमेल से मेल सर्जरी के लिए कई स्तर पर तैयारी की आवश्यकता होती है। यह सर्जरी के प्रकार और पेशेंट के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। सर्जरी से पहले आपको एक भरोसेमंद डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
सेक्स रिअसाइनमेंट से पहले डॉक्टर महिला के शरीर से मास्टेक्टॉमी के जरिए उसके स्तनों, ऊफोरेक्टॉमी के जरिए गर्भाशय और हिस्टेरेक्टॉमी के जरिए अंडाशय को हटा देते हैं।
सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी में फैलोप्लास्टी की जाती है। इसे रेडियल फोरआर्म फ्लैप मेथड का उपयोग करके किया जाता है। यह दो चरणों में होती है। पहले चरण में सर्जरी के जरिए पेशेंट के शरीर में फैलोप्लास्टी के जरिए एक लिंग और मूत्रमार्ग बनाया जाता है जिसका उपयोग पेशाब जाने के लिए किया जा सकता है। जबकि दूसरे चरण में स्क्रोटोप्लास्टी के जरिए टेस्टिकुलर इम्प्लांट का उपयोग करके अंडकोश बनाए जाते हैं।
सर्जरी के दौरान शरीर में कई सारे कट लगाए जाते हैं। हड्डियों या टिश्यू को काटा जा सकता है। शरीर में स्क्रू या प्लेट्स को इम्प्लांट किया जा सकता है।
सर्जरी के दौरान यह खर्च अन्य कारणों से बढ़ सकता है। हालांकि स्वास्थ्य बीमा योजना के आधार पर सर्जरी की पूरी लागत को कम किया जा सकता है।
सर्जरी से जुड़े दुष्प्रभावों में प्रतिकूल एनेस्थेटिक प्रतिक्रियाएं, ब्लड लॉस, रक्त के थक्के और संक्रमण शामिल हो सकते हैं। फीमेल से मेल सर्जरी के कुछ सामान्य दुष्प्रभाव नीचे दिए गए हैं।
जेंडर रिअसाइनमेंट सर्जरी के दौरान चेहरे, छाती या जननांग को बदला जाता है। इसे आप एक ही सर्जरी के जरिए या कई अलग-अलग ऑपरेशन्स के जरिए करा सकते हैं। सर्जरी से पहले और बाद में साइकेट्रिस्ट की मदद लेना जरूरी है। हाल ही में हुए शोध के अनुसार भरोसेमंद डॉक्टर की सलाह के आधार पर इस सर्जरी के बाद एक सकारात्मक रवैया बनाने में मदद मिलती है। सर्जरी कराने वाले हर व्यक्ति को इस सर्जरी से भरे जोखिम,उसके लाभ और अन्य विकल्पों पर अपने डॉक्टर और साइकेट्रिस्ट से चर्चा करनी चाहिए।