अवलोकन
सौंफ के बारे तो लगभग सभी ने सुना होगा। लेकिन सौंफ में कई ऐसी खासियत भी होती है जिससे कई लोग अभी भी अनजान है। दरअसल, जैसे सौंफ अपनी खुशबू के लिए प्रसिद्द है। वैसे ही इसमें कई पौष्टिक तत्व भी होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य लाभ के लिए काफी हितकारी हैं। हालांकि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। ऐसे ही सौंफ अपने पौष्टिक तत्वों के लिए लाभकारी तो है लेकिन इसके सेवन के दुष्परिणाम भी हैं। तो चलिए अपने इस लेख के माध्यम से आपको सौंफ के गुण और इसके दुष्प्रभाव के बारे में बताते हैं। हालांकि, इसके पहले यह जान लेते हैं कि सौंफ क्या है।
दरअसल, सौंफ एक प्रमुख मसाला है, जिसका प्रयोग लगभग हर किचन में किया जाता है। इसके अलावा सौंफ को माउथ फ्रेशनर के तौर पर भी प्रयोग में लाया जाता है। यह रबी की प्रमुख फसल है, जिसकी खेती मुख्य रूप से अक्टूबर में की जाती है। इसका प्रयोग विभिन्न पकवानों में किया जाता है। इसके अलावा इसे अचार बनाने में भी प्रयोग में लाया जाता है। इसकी सौंधी खुशबू और इसके गुणों के लिए सौंफ लगभग सभी को अच्छी लगती है। इसमें कई औषधीय और पोषक तत्व भी होते हैं जो हमें कई तरह की बीमारियों से बचाने के साथ ही शरीर में कई प्रकार के विटामिन, मिनरल्स और पोषक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं।
सौंफ हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी है। इसमें कई तरह के स्वास्थ्यवर्धक तत्व पाए जाते हैं, जो विभिन्न रोगों से हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करने का सामर्थ्य रखते हैं। सौंफ विटामिन सी और डाइटरी फाइबर का अच्छा स्रोत है। इसमें पोटैशियम मोलिब्डेनम, मैंगनीज, तांबा, फास्फोरस और फोलेट भी होता है। इसके अलावा यह कैल्शियम, पैंटोथेनिक एसिड, मैग्नीशियम, आयरन और नियासिन जैसे लाभकारी तत्वों से भी परिपूर्ण है। यह वजन कम करने से लेकर पाचनतंत्र को दुरुस्त करने तक की काबिलियत रखता है। इसके अलावा त्वचा की चमक बढ़ाने तक सौंफ काफी लाभदायक होता है। केवल इतना ही नहीं, चूंकि सौंफ की तासीर ठंडी होती है इसलिए सौंफ की चाय पीने से शरीर की गर्मी दूर होती है और इसमें मौजूद एंजाइम्स से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है।
नीचे उल्लेखित सौंफ के सबसे अच्छे स्वास्थ्य लाभ हैं
सौंफ आयरन और हिस्टिडाइन नामक अमीनो एसिड का अच्छा स्रोत है। ये हीमोग्लोबिन के निर्माण में मदद करती है। हीमोग्लोबिन का मुख्य घटक आयरन है। दूसरी ओर हिस्टिडाइन का कार्य हीमोग्लोबिन और रक्त के अन्य घटकों के निर्माण को उत्तेजित करना है।
सौंफ में मौजूद आवश्यक तेलों के घटक पाचक रस और एंजाइम के स्राव को ट्रिगर करते हैं जिसकी वजह से पाचन की प्रक्रिया तेज होती हैं। साथ ही यह पेट फूलने (अत्यधिक गैस बनने) के कारण पेट में होने वाली की सूजन को कम करती है। इसके अलावा यह आंतों की सूजन को भी कम करती है और पचे हुए भोजन से पोषक तत्वों को ज्यादा से ज्यादा मात्रा में अवशोषित करने में सहायक होती है।
सौंफ क्षारीय प्रकृति की होती है। यह पेट की एसिडिटी को बेअसर करने में मदद करती है जो कभी-कभी अनुचित आहार की आदतों, अनियमित जीवन शैली, शरीर के वजन आदि के कारण बढ़ सकती है। एसिडिटी के कारण दिल में जलन होती है और भोजन के बाद सौंफ खाने से ऐसा होने की संभावना कम हो सकती है। सौंफ के इस गुण की वजह से एसिडिटी रोधी दवाओं में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
सौंफ में मौजूद एसपारटिक एसिड का कार्मिनेटिव गुण इसे एक अच्छा एंटीफ्लैटुलेंट बनाता है। अत्यधिक गैस बनने से पेट में दर्द हो सकता है। सौंफ का रस अतिरिक्त गैस से छुटकारा पाने का एक अच्छा तरीका है। सौंफ के बीज सभी उम्र के लिए उपयुक्त हैं और शिशुओं और वृद्ध लोगों दोनों को दिए जा सकते हैं।
सौंफ के बीज का चूर्ण एक अच्छे रेचक के रूप में कार्य करता है। यह कब्ज, पेट दर्द, चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (IBS) और आंत से संबंधित अन्य बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है। सौंफ में मौजूद रूक्षांश मल त्याग को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह पित्त और आमाशय रस के स्राव को क्रियाशील करके पेरिस्टाल्टिक गतियों को बनाए रखते हुए आंतों की ऐक्टिविटी को प्रेरित करता है।
सौंफ में मौजूद फाइबर रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम रखने के लिए सहायक है। कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा शरीर के लिए हानिकारक है क्योंकि यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं जैसे दिल के दौरे, स्ट्रोक और आर्थेरोस्क्लेरोसिस का कारण बनता है। कोलेस्ट्रॉल के उपयुक्त स्तर को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है और सौंफ इस समस्या का एक अच्छा समाधान है।
सौंफ पोटैशियम का एक आवश्यक स्रोत है जो शरीर के लिए बेहद जरूरी है। पोटैशियम हमारे शरीर में पानी के संतुलन के साथ-साथ अम्ल-क्षार संतुलन को नियंत्रित करता है। सौंफ तंत्रिका आवेगों को शरीर के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचाने में भी अहम भूमिका निभाती है। यह रक्त वाहिकाओं को फैलाकर उन पर तनाव कम करता है। इसके परिणामस्वरूप ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है। ज्यादा ब्लड प्रेशर होना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि इससे दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। पोटैशियम मस्तिष्क के कार्यों में भी सुधार करता है। इसलिए सौंफ के बीज आपके मानसिक कामकाज और क्षमताओं को बेहतर बनाने में आपकी मदद करते हैं।
सौंफ के बीज स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए भी काफी लाभकारी है। स्तनपान कराने वाली माताएं अपने दूध पीने वाले शिशु को दूध का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए सौंफ के बीजों का सेवन कर सकती हैं। सौंफ स्तनपान के दौरान दूध के प्रवाह को उत्तेजित करती है। शुरुआती दिनों में बच्चों को मां के दूध का सेवन करना जरूरी होता है और सौंफ मां और बच्चे दोनों के लिए इसे आसान बनाने में मदद करती है।
मासिक धर्म को प्रेरित करने के लिए सौंफ अच्छा काम करती है। नियमित और उचित मासिक धर्म प्रवाह के लिए सौंफ लाभदायक है। अनियमित मासिक धर्म कई महिलाओं के लिए एक समस्या हो सकती है। भागदौड़ भरी जिंदगी, नींद की कमी, खान-पान की गलत आदतें, तनाव की वजह से महिलाओं के शरीर में इस तरह की अनियमितताओं को देखा जाता है।
सौंफ का उपयोग सदियों से स्वाद बढ़ाने वाली जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता रहा है। इसे विभिन्न खाद्य पदार्थों जैसे मछली, सब्जियां, पेस्ट्री, मीठे अचार, कैंडी, शराब, दवा आदि में जोड़ा जाता है। यह एक ऐसा भोजन था जो समाज के सभी वर्गों में आम रहा है, केवल इसका उपयोग करने का उद्देश्य अलग-अलग रहता है। जहाँ अमीर लोग अपने महँगे स्वाद के लिए खाने की चीजों को स्वादिष्ट बनाने के लिए सौंफ का इस्तेमाल करते हैं, वहीं ग़रीब इसका इस्तेमाल भूख को दबाने के लिए करते हैं और खासकर उन दिनों में जब वे उपवास करते हैं।
सौंफ के पौधे के सभी भागों का सेवन किया जा सकता है और स्वाद प्राप्त किया जा सकता है। डंठल को सब्जी के रूप में खाया जा सकता है। एकत्र किये गए फलों और सब्जियों पर सौंफ का तेल लगाने से उनपर जहरीले फंगस का विकास नहीं होता है। एपीकल्चर (शहद की खेती) में इसका उपयोग एक पौधे के रूप में किया जाता है जहाँ से मधुमक्खियाँ रस प्राप्त करती हैं। सौंफ़ पाउडर भी पिस्सुओं को केनेल और अस्तबल से दूर भगाता है।
सौंफ में जिस तरह से कई तरह के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। वैसे ही सौंफ के सेवन के दुष्परिणाम भी हैं। चलिए इसके बारे में भी जान लेते हैं। कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हे गाजर, अजवाइन और मगवॉर्ट से एलर्जी होती है, ऐसे लोगों को सौंफ से भी दूर रहना चाहिए, क्योंकि उन्हें सौंफ से भी एलर्जी हो सकती है। यह देखा गया है कि सौंफ का सेवन करने से त्वचा अधिक संवेदनशील हो जाती है और आपकी त्वचा को टैनिंग और सनबर्न से बचाने के लिए सन प्रोटेक्टिव क्रीम लगाने की सलाह दी जाती है। हालांकि ठोस सबूत उपलब्ध नहीं है, हर्बल पेड़ युक्त सौंफ का सेवन करने वाली माताओं से स्तनपान कराने वाले दो बच्चों में तंत्रिका तंत्र की क्षति के दो मामले देखे गए। गर्भवती महिलाओं को भी सौंफ खाने से बचना चाहिए।
सौंफ की उत्पत्ति दक्षिणी यूरोप और एशिया माइनर में हुई थी। यह यूरेशिया के समशीतोष्ण क्षेत्रों में और फैल गया। रेतीली भूमि को छोड़कर इसकी खेती किसी भी प्रकार के जमीन पर की जा सकती है। मिट्टी का पीएच मान 6.6 और 8.0 इसकी खेती के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त है। इसके अच्छे पैदावार के लिए 20 से 30 डिग्री का तापमान होना बेहद जरूरी माना जाता है।