अवलोकन

Last Updated: May 10, 2023
Change Language

फीटल पोल - शरीर रचना (चित्र, कार्य, बीमारी, इलाज)

फीटल पोल का चित्र | Fetal Pole Ki Image फीटल पोल के अलग-अलग भाग फीटल पोल के कार्य | Fetal Pole Ke Kaam फीटल पोल के रोग | Fetal Pole Ki Bimariya फीटल पोल की जांच | Fetal Pole Ke Test फीटल पोल का इलाज | Fetal Pole Ki Bimariyon Ke Ilaaj फीटल पोल की बीमारियों के लिए दवाइयां | Fetal Pole ke liye Dawaiyan

फीटल पोल का चित्र | Fetal Pole Ki Image

फीटल पोल का चित्र | Fetal Pole Ki Image

फीटल पोल, जिसे एम्ब्र्यो भी कहते हैं, गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में से एक है। एक अल्ट्रासाउंड के दौरान, इसे भ्रूण के विकास के पहले स्टेप में देखा जा सकता है। प्रारंभिक गर्भावस्था के अल्ट्रासाउंड में, यदि एम्ब्र्यो पहचानने योग्य भ्रूण में विकसित नहीं होता है, तो अल्ट्रासाउंड तकनीक के द्वारा फीटल पोल की पहचान की जाती है।

प्रारंभिक प्रसवपूर्व (प्रीनेटल) अल्ट्रासाउंड से फीटल पोल को देखा जा सकता है और मापा भी जा सकता है। इस अल्ट्रासाउंड को करके एम्ब्र्यो के स्थान, गेस्टेशनल ऐज (गर्भकालीन आयु), संभावित जटिलताओं और क्या एक से अधिक भ्रूण हैं, इस सबके बारे में जानकारी मिल सकती है। गेस्टशन के लगभग 10वें सप्ताह तक एम्ब्र्यो, फीटल पोल नहीं होता है। उसके बाद, यह एक फ़ीटस(भ्रूण) बन जाता है और जन्म तक भ्रूण के विकास से गुजरता है।

योल्क सैक नामक एक छोटी थैली के बगल में ही, एक फीटल पोल स्थित होता है। यहीं से उसे पोषक तत्व भी मिलते हैं। फीटल पोल और योल्क सैक, गेस्टेशनल सैक के अंदर समाहित होते हैं। एक सामान्य गर्भावस्था में, गेस्टेशनल सैक (गर्भकालीन थैली) गर्भाशय में होता है।

फीटल पोल की आकृति, घुमावदार होती है। एक छोर पर भ्रूण का सिर होता है, जिसे क्राउन कहा जाता है। दूसरे छोर पर पूंछ जैसी संरचना होती है, जिसे रम्प (दुम) कहा जाता है।

इन दो बिंदुओं के बीच की दूरी को क्राउन-टू-रंप लेंथ (CRL) कहा जाता है, और इस माप का उपयोग गर्भावस्था के 6 से 13 सप्ताह के बीच की गर्भकालीन आयु का अनुमान लगाने के लिए किया जा सकता है।

6 से 9.5 सप्ताह तक, फीटल पोल की वृद्धि प्रति दिन लगभग 1 मिमी बढ़ती है। भ्रूण की आयु का अनुमान लगाने के लिए, फीटल पोल की लंबाई को मिमी में मापा जाता है और फिर उसमें 42 दिन के सप्ताह जोड़ दिए जाते हैं।

तो एक 6 मिमी फीटल पोल, 6 सप्ताह और 6 दिन का गर्भ होगा।

जब भ्रूण का पहली बार पता चलता है, तो यह केवल 1 या 2 मिलीमीटर का हो सकता है। गर्भावस्था के 10वें सप्ताह तक लगभग 30 मिलीमीटर तक इसका आकार बढ़ जाता है।

लगभग साढ़े पांच सप्ताह की गर्भावस्था में, जब वैजाइनल अल्ट्रासाउंड किया जाता है तो उसमें फीटल पोल दिखाई देता है। लेकिन कभी-कभी यह अल्ट्रासाउंड के प्रकार और गर्भाशय के एंगल के आधार पर, कई हफ्तों तक नहीं देखा जाता है।

फीटल पोल के अलग-अलग भाग

समय के आधार पर, गर्भावस्था के पहली तिमाही में किये गए प्रारंभिक अल्ट्रासाउंड से सामान्य रूप से तीन संरचनाएं दिख सकती हैं। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • फीटल पोल: यह एक विकासशील भ्रूण है।
  • योल्क सैक(अण्डे की जर्दी की थैली): यह संरचना, विकासशील भ्रूण को पोषक तत्व प्रदान करती है।
  • गेस्टेशनल सैक: चारों ओर से एक घेरा बनाता है और इसके अंदर फीटल पोल और योल्क सैक समाहित होते हैं।

  1. 5 सप्ताह में फीटल पोल की स्थिति
    • आमतौर पर जब फीटल पोल को देख सकते हैं, उस समय गेस्टेशनल ऐज लगभग 5.5 सप्ताह होती है।
    • आमतौर पर लगभग 6 सप्ताह तक, भ्रूण का दिल कोई भी गतिविधि नहीं करता है, लेकिन जैसे ही इसकी गेस्टेशनल ऐज 5 सप्ताह 2 दिन की होती है तब दिल की धड़कन को सुना जा सकता है।
    • योल्क सैक, 5 सप्ताह की शुरुआत में दिखाई दे सकता है लेकिन इसके दिखने की संभावना लगभग 5.5 सप्ताह के आसपास होने की अधिक होती है।
    • इस अवस्था में केवल एक गर्भकालीन थैली के दिखने की सबसे अधिक संभावना होती है।

  2. 6 सप्ताह में फीटल पोल की स्थिति
    • औसतन, 6 सप्ताह के आसपास ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड किया जाता है जिसमें फीटल पोल को देखा जा सकता है। भ्रूण की हृदय गतिविधि का भी पता लगाया जा सकता है। भ्रूण की सामान्य हृदय गति है: 100-120 बीट प्रति मिनट (बीपीएम)।
    • यदि सीआरएल 5 मिमी से कम है और फीटल पोल का पता नहीं चला है तो कोई समस्या हो, यह जरूरी नहीं है।

  3. 7 सप्ताह में फीटल पोल की स्थिति
    • यदि फीटल पोल की लम्बाई, 7 मिमी या उससे अधिक है तो उसमें कार्डियक गतिविधि होनी चाहिए। यह 7 सप्ताह के आसपास होने का अनुमान लगाया जा सकता है।
    • फीटल पोल की हृदय गति लगभग 120-159 बीपीएम के बीच, सप्ताह 7 के अंत से 8 सप्ताह के शुरुआती दिनों में होती है।

  4. 8 सप्ताह में फीटल पोल की स्थिति

    फीटल पोल को और अधिक स्पष्टा से देखा जा सकता है जब गेस्टेशनल सैक का औसत डायमीटर (MSD) कम से कम 25 मिमी हो, जो आमतौर पर 7 सप्ताह के अंत या 8 सप्ताह की शुरुआत में होता है।

फीटल पोल के कार्य | Fetal Pole Ke Kaam

योल्क सैक के साथ-साथ फीटल पोल, एक मोटे स्थान के रूप में दिखाई दे सका है। यह गर्भावस्था की शुरुआत में, पोषण का एक स्रोत होता है। फीटल पोल, गर्भावस्था की एक प्रारंभिक संरचना है जो बाद में भ्रूण में विकसित होती है।

  • गेस्टेशनल ऐज (गर्भकालीन आयु) का अनुमान लगाने के लिए फीटल पोल के आकार (लम्बाई) का उपयोग किया जाता है। ऐसा अक्सर तब किया जाता है जब महिला को यह याद नहीं हो कि उसको पिछली बार पीरियड्स (मासिक धर्म) कब हुए थे या फिर तब जब पिछले मासिक धर्म को हुए कुछ समय बीत गया है।
  • यदि कोई महिला एक से अधिक बच्चों के साथ गर्भवती हैं, तो एक से अधिक फीटल पोल होंगे।
  • शरीर में गर्भावस्था कहां है: उदाहरण के लिए, एक स्वस्थ गर्भावस्था महिला के गर्भाशय में होती है, न कि फैलोपियन ट्यूब में।
  • गर्भधारण में समस्या है या नहीं: यदि फीटल पोल का आकार छोटा है या फिर उसे देखा नहीं जा सकता है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि गेस्टेशनल ऐज का पता करने के लिए तारीखें गलत थीं या फिर बच्चे की मृत्यु हो गई है।

यदि इमेजिंग के दौरान कोई भी फीटल पोल दिखाई नहीं देता है, तो डॉक्टर 3-7 दिनों में एक और स्कैन करवाने की सलाह दे सकता है। यह संभव है कि:

  • गर्भकालीन आयु गलत है। गर्भावस्था इतनी विकसित नहीं हुई है कि उसे देखा जा सके।
  • एम्ब्रायोनिक गर्भावस्था (अभिशप्त डिंब-बलाइटेड ओवम)। यह तब होता है जब एक फर्टिलाइज़्ड एग इम्प्लांट होता है और शरीर गर्भावस्था के हार्मोन और एक गेस्टेशनल सैक का उत्पादन करता है, लेकिन एम्ब्र्यो बढ़ता नहीं है और यह प्रारंभिक गर्भपात का एक रूप है। यदि कोई फीटल पोल दिखाई नहीं देता है, लेकिन गेस्टेशनल सैक 25 मिमी या उससे अधिक मापा जाता है (औसत थैली व्यास के साथ), तो यह एक एंएम्ब्रायोनिक गर्भावस्था है जो व्यवहार्य नहीं है।
  • एक्टोपिक गर्भावस्था: जब एक्टोपिक गर्भावस्था होती है तो वो गर्भाशय में स्थित नहीं होती है। यह एक मेडिकल इमरजेंसी है।
  • अज्ञात स्थान की गर्भावस्था (पीयूएल): इसे एक सकारात्मक गर्भावस्था परीक्षण के रूप में परिभाषित किया गया है लेकिन अंतर्गर्भाशयी या अतिरिक्त गर्भाशय गर्भावस्था का कोई संकेत नहीं है। यह आमतौर पर अंतिम निदान नहीं है।

फीटल पोल के रोग | Fetal Pole Ki Bimariya

  • भ्रूण वृद्धि प्रतिबंध (FGR): एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक अजन्मा बच्चा (भ्रूण) गर्भावस्था के हफ्तों की संख्या (गर्भकालीन आयु) की तुलना में काफी छोटा होता है।
  • अज्ञात स्थान की गर्भावस्था (पीयूएल): यह एक ऐसी स्थिति के बारे में बताती है जिसमें प्रेगनेंसी टेस्ट तो पॉजिटिव(सकारात्मक) होता है, लेकिन जब ट्रांसवैजाइनल अल्ट्रासाउंड (टीवीयूएस) किया जाता है तो इंट्रायूट्रीन(अंतर्गर्भाशयी) या एक्टोपिक गर्भधारण नहीं दिखता है।
  • योक सैक ट्यूमर: यह एक असामान्य प्रकार का कैंसर है जिसे जर्म सेल ट्यूमर के रूप में भी जाना जाता है। जन्म के बाद, कैंसर उन सेल्स में शुरू होता है जो योल्क सैक को लाइन करती हैं और ट्यूमर बन जाती हैं।
  • यदि गर्भावस्था को बहुत ज्यादा समय नहीं हुआ है तो भ्रूण को देखा नहीं जा सकता है। गेस्टेशनल ऐज के बारे में अनुमान बहुत बार गलत होता है, खासकर तब जब पीरियड्स अनियमित हों।
  • बलाइटेड ओवम: जब एक फर्टिलाइज़्ड एग(निषेचित अंडा), गर्भाशय में इम्प्लांट तो हो जाता है परन्तु यह भ्रूण में विकसित नहीं होता है तो एक एम्ब्रियोनिक प्रेगनेंसी या बलाइटेड ओवम होता है। इससे गर्भावस्था के शुरुआत में ही गर्भपात होने की संभावना होती है।
  • मिसकैरेज: अगर अल्ट्रासाउंड में फीटल पोल या जेस्टेशनल सैक दिखाई नहीं देता है तो गर्भपात का अनुभव हो सकता है। एक एक्टोपिक गर्भावस्था तब होती है जब गर्भाशय के अलावा किसी और स्थान पर फीटल पोल विकसित होता है। यह एक मेडिकल इमरजेंसी है।

फीटल पोल की जांच | Fetal Pole Ke Test

  • फीटल एमआरआई: फीटल एमआरआई, एक नॉन-इनवेसिव इमेजिंग टेस्ट है जिसकी मदद से भ्रूण की शारीरिक संरचनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है। ये सारी इमेजेज स्पष्ट और उच्च-रिज़ॉल्यूशन की होती है।
  • भ्रूण(फीटल) का अल्ट्रासाउंड: भ्रूण का अल्ट्रासाउंड गर्भावस्था के दौरान किया जाने वाला एक टेस्ट है। यह मां के गर्भ (गर्भाशय) में मौजूद बच्चे की इमेज बनाता है। इस टेस्ट से, अजन्मे बच्चे के स्वास्थ्य की जांच की जा सकती है। यह एक सुरक्षित तरीका है। भ्रूण के अल्ट्रासाउंड के दौरान, बच्चे के अन्य भागों के साथ-साथ बच्चे के दिल, सिर और रीढ़ का मूल्यांकन किया जाता है।
  • मैटरनल ब्लड स्क्रीन: यह एक ब्लड टेस्ट है। इस टेस्ट से दो प्रोटीन, ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) और गर्भावस्था से जुड़े प्लाज्मा प्रोटीन ए (पीएपीपी-ए) के स्तर को मापा जाता है। यदि प्रोटीन का स्तर सामान्य रूप से बहुत ज्यादा या फिर बहुत कम है, तो बच्चे में क्रोमोसोमल विकार हो सकता है।
  • फीटल इकोकार्डियोग्राम: फीटल इकोकार्डियोग्राम (जिसे फीटल इको भी कहा जाता है) का उपयोग, एक अजन्मे बच्चे के दिल की तस्वीरें बनाने के लिए किया जाता है। ऐसा करने के लिए इस टेस्ट में साउंड वेव्स का उपयोग किया जाता है। यह दर्द रहित अल्ट्रासाउंड टेस्ट है और इसकी मदद से हृदय की संरचना और यह कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है, पता चलता है।
  • डॉपलर अल्ट्रासाउंड: गर्भनाल के माध्यम से नाल और शिशु को पहुँचने वाले रक्त की मात्रा को, इस टेस्ट से मापा जाता है। यदि रक्त का प्रवाह कम है तो इससे यह संकेत मिल सकता है कि बच्चे को एफजीआर है।
  • मैटरनल सीरम स्क्रीनिंग: मैटरनल सीरम स्क्रीनिंग डाउन सिंड्रोम, ट्राइसोमी 18, ट्राइसोमी 13 और ओपन न्यूरल ट्यूब दोष की जांच के लिए 15-21 सप्ताह के गर्भ के बीच लिया जाने वाला,सिंगल ब्लड टेस्ट है।

फीटल पोल का इलाज | Fetal Pole Ki Bimariyon Ke Ilaaj

  • कीमोथेरेपी: मरीजों को अक्सर कीमोथेरेपी के कम से कम तीन दौर की आवश्यकता होगी। कीमोथेरेपी कितनी अच्छी तरह काम कर रही है इसका एक सबसे अच्छा उपाय यह है कि ट्यूमर मार्कर निम्नलिखित उपचार को कम करते हैं या नहीं।
  • सल्पिंगोस्टॉमी: एक सल्पिंगोस्टॉमी के दौरान, एक एक्टोपिक गर्भावस्था को सर्जरी द्वारा हटा दिया जाता है और इसके बाद समय के साथ- साथ फैलोपियन ट्यूब अपने आप ही ठीक होने लगती है। यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें ट्यूब और एक्टोपिक गर्भावस्था दोनों को हटा दिया जाता है।

कई सारे उपायों को करके, माँ और उसके होने वाले बच्चे को यथासंभव स्वस्थ रहने में मदद मिल सकती है:

  • ऐसे खाद्य पदार्थों से बचें जिनमें मरकरी है। कच्चे अंडे या मांस, या अपाश्चुरीकृत डेयरी उत्पाद से भी बचें।
  • यदि कोई भी प्रिस्क्रिप्शन वाली दवा या ओवर-द-काउंटर दवाओं या सप्लीमेंट्स ले रहे है तो डॉक्टर से परामर्श करें।
  • धूम्रपान या तम्बाकू उत्पादों का उपयोग न करें।
  • शराब न पिएं और न ही ड्रग्स का सेवन करें।
  • खूब सारा पानी पियें।
  • फल, सब्जियां, साबुत अनाज, प्रोटीन और स्वस्थ वसा सहित अच्छी तरह से खाएं।
  • व्यायाम।
  • कैफीन का सेवन सीमित करें।
  • हर दिन एक प्रीनेटल विटामिन लें।

फीटल पोल की बीमारियों के लिए दवाइयां | Fetal Pole ke liye Dawaiyan

  • एचसीजी थेरेपी: जब गर्भावस्था का स्थान स्पष्ट नहीं हो पता है तो अनियोजित गर्भधारण के प्रबंधन के लिए, यह सबसे प्रचलित प्रकार का हार्मोन उपचार है। पीयूएल के परिणामों के लिए, सिंगल सीरम एचसीजी टेस्ट या सीरम एचसीजी उपायों का उपयोग किया जा सकता है।
  • सर्जरी के साथ ओरल (मौखिक) दवाएं: एमब्रायोनिक गर्भावस्था के उपचार में, सर्जिकल थेरेपी के साथ मिसोप्रोस्टोल का उपयोग अधिक फायदेमंद माना जाता है।

Content Details
Written By
PhD (Pharmacology) Pursuing, M.Pharma (Pharmacology), B.Pharma - Certificate in Nutrition and Child Care
Pharmacology
English Version is Reviewed by
MD - Consultant Physician
General Physician
Having issues? Consult a doctor for medical advice