हमारे शरीर की सभी तंत्रिकाएं पैर के साथ अभिसरण करते है. पैर को शरीर का सबसे अधिक संवेदनशील हिस्सा माना गया है. अगर आपके शरीर में कोई समस्या है, तो पैर अप्रत्यक्ष रूप से लक्षण दिखाते हैं. विज्ञान ने इस तथ्य को कई बार सिद्ध भी किया है. इसलिए आज से ही अपने पैर का अधिक देखभाल करना शुरू कर दें.
इस तथ्य को प्राचीन आयुर्वेद में बेहतर ढंग से समझाया गया है, जहां यह पैर मालिश के महत्व और नसों को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर देता है. आयुर्वेद में एक पारंपरिक मालिश चिकित्सा है, जिसे ''पद्ब्यांगा'' कहा जाता है. यह 5000 से अधिक वर्षो से किया जा रहा है. तेल के साथ पैर मालिश रक्त और लिम्फैटिक परिसंचरण में सुधार, त्वचा को पोषण और अस्वस्थ मन को शांत करती है.
पैर मालिश पैरों की मांसपेशियों को आराम देता है. यह तनाव और चिंता से मुक्त होने में भी मदद कर सकता है. जैसे पेड़ अपनी जड़ से अपनी पोषण कैसे प्राप्त करता है, एक उचित पैर मालिश पूरे दिमाग और शरीर को फिर से जीवंत करता है. आइए विस्तार से देखें.
पदब्यांगा क्या है?
पदब्यांगा शब्द दो संस्कृत शब्द ''पडा + अभ्यंगा'' से आता है, जिसका अर्थ है ''पड़ा'' का अर्थ पैर और ''अभ्यंगा'' का अर्थ मालिश है. यह सबसे शांत और सुखदायक मालिश चिकित्सा में से एक है और उचित तरीके से किए जाने पर आपके दिमाग और आत्मा को पुनर्जीवित करता है. इस मालिश को रोजाना करने से आप छिद्रित ऊर्जा को मुक्त करते हैं.
पदब्यांगा मालिश के 3 प्रकार:
नीचे वर्णित मालिश को तीन अलग-अलग प्रकारों में विभाजित किया जाता है.
To view more such exclusive content
Download Lybrate App Now
Get Add On ₹100 to consult India's best doctors