6 से 7 महीने के बच्चों के लिए घरेलू उपचार

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Dr. Amarjit Singh Jassi 88% (256 ratings)
Bachelor of Ayurveda, Medicine and Surgery (BAMS)
Ayurvedic Doctor, Delhi  •  9 years experience
6 से 7 महीने के बच्चों के लिए घरेलू उपचार

6 महीने तक के शिशुओं में सर्दी व जुकाम को ठीक करने के लिए घरेलू उपचार

नवजात शिशुओं में सर्दी व जुकाम एक आम बीमारी होती है। कई बार यह बीमारी मां से बच्चे में पहुंचती है तो कई बार यह मौसमी बदलाव के कारण होता है। जुकाम ऊपरी श्वसन तंत्र का आसानी से फैलने वाला संक्रामक रोग है जो अधिकांशत नासिका को प्रभावित करता है। सर्दी व जुकाम को ठीक करने के लिए कुछ जरुरी सुझाव नीचे दिए जा रहे हैं:

स्तनपान: शिशुओं में हर बीमारी का इलाज करने के लिए मां का दूध सबसे अच्छा उपचार माना गया है। ठंड और खांसी से परेशान रहने वाले बच्चों को मां का दूध पिलाने से सर्दी और खांसी से राहत मिलती है। मां का दूध हर समस्या का समाधान कर सकता है।

ब्रेस्ट मिल्क: शिशु की नाक में कुछ बूंदे ब्रेस्ट मिल्क की डालने से बच्चों को लगने वाली ठंड तेजी से कम करने में मदद मिलती है।

खारा पानी: खारा पानी या नमकीन पानी बच्चों में होने वाली सर्दी के इलाज के रामबाण उपाय है। इसे घर पर भी बना सकते हैं, लेकिन इसे बाजार से खरीदने की सलाह दी जाती है। इसमें नमक और पानी का उचित अनुपात होता है। ऐसे में इस पानी की दो बूंदे बच्चे की नाक में डालने से बंद नाक खुल जाती है और बच्चे की नाक की सफाई करने में भी मदद मिलती है।

पंप के साथ नाक सक्शन: सकशन पंप शिशुओं के नाक की साफई के लिए उपयोग की जाती है। दरअसल तौलिया की मदद से बच्चे की नाक साफ करने से  नवजात शिशु की नरम नाक पर रैश बन सकते हैं। जबकि सक्शन पंप का उपयोग बेहद सुरक्षित होता है।

लहसुन और अजवाइन फ्यूम्स: लहसुन में मौजूद एंटी बैक्टीरिया गुण इसे बेहद शक्तिशाली दवा बनाते हैं। जबकि अजवाइन (कैरम बीजों), वायरस और बैक्टीरिया को खत्म करने का काम करती है। सर्दी के मौसम अजवाइन, लौंग और 2-3 कली लहसुन को तबे पर भुनकर इसके हल्के धुएं को शिशु के पास रखें। इससे शिशु को होने वाला सर्दी-जुकाम ठीक हो जाता है। इस मिश्रण को एक पाउच में बाधकर भी बच्चे के बास रख सकते हैं।

हल्की भाप इनहेलिंग: स्टीमिंग बंद नाक, छाती की जकड़न और ठंड से राहत पाने का एक बेहतर तरीका है। हालांकि शिशुओं में स्टीमर का उपयोग करने से बेहतर, बच्चे के बिस्तर के पास एक स्टीमर या उबलते हुए पानी के पतीले को रखना होता है। इससे कमरे में गर्मी बनी रहती है और ठंड से राहत मिलती है। इसके अलावा बच्चे को भाप देने के लिए आप कुछ समय के लिए गर्म पानी का नल चलाकर बाथरूम में स्टीम कर सकते हैं। इस दौरान आपको गोद में अपने शिशु को लेकर 10-15 मिनट के लिए बाथरूम में बैठना होगा।

बच्चे को अच्छी तरह से कवर करें: बच्चे को सर्दी-जुकाम से बचाने के लिए उसकी छाती, सिर और पैरों को अच्छे से कवर करें। सभी बच्चे समान नहीं होते हैं, इसलिए बच्चे का समय-समय पर निरीक्षण करते रहें। सर्दियों में उनकी छाती को अच्छे से कवर करने के लिए अत्यंत सावधानी बरतते हैं। टोपी या मोज़े का का भी विशेष ध्यान रखें।

स्वच्छता का ध्यान रखें: यदि घर में किसी को फ्लू हो गया तो बगैर हाथ धोए बच्चे को न छुएं। यह सुनिश्चित करें कि हर कोई अपने हाथों को स्वच्छ रखे। इससे संक्रमण फैल सकता है। सर्दी और खांसी से अपने परिवार की रक्षा के लिए यह आसान घरेलू उपाय है।

शिशुओं के सिर को ऊंचाई पर रखें: बंद नाक और ठंड से पीड़ित होने पर शिशुओं को नींद आने में कठिनाई होती है। बंद नाक की असुविधा को कम करने के लिए शिशु के सोते समय तकिया या कुशन की मदद से बच्चे के सिर को ऊंचा कर दें। इससे नाक से संबंधित बाधाएं ठीक होने लगती हैं।

तेल मालिश: सरसों के तेल या नारियल के तेल की हल्की मालिश करने से बच्चे को खांसी से राहत मिलती है। बच्चे के छाती और पीठ पर मालिश करने से भी लाभ मिलता है।

ड्रमस्टिक पत्तियों और नारियल तेल: नारियल तेल को गर्म करें और उसमें कुछ ड्रमस्टिक पत्ते (मुनगा की पत्ती) डाल दें। इस तेल से बच्चे की मालिश करने से सर्दी से आराम मिलती है।

हर्बल नारियल तेल मालिश: नारियल का तेल गर्म करें और तुलसी के पत्ते और एक चुटकी कपूर डालें। तुलसी-नारियल के तेल का मिश्रण चिकित्सकीय गुणों से भरपूर होता है। सोने से पहले बच्चे की छाती पर इस तेल से मालिश करें। यह ठंड और खांसी से राहत देगा।

कमरे में आवश्यक तेलों की गंध को फैलाएं: बच्चे के कमरे में आवश्यक तेलों की गंध को फैलाने से सर्दी-जुकाम से राहत मिलती है। इसके अलावा कमरे का तापमान भी मेंटेन रहता है। सेडरवुड, लव, नीलगिरी, अदरक, नींबू, मेललेका (एरीसिफ़ोलिया), पेपरमिंट, रोजमेरी, चंदन और अजवाइन आदि के तेल को कमरे में छिड़कने से फ्लू के बैक्टीरिया कमरे में ज्यादा देर तक रह नहीं पाते हैं। तेल छिड़कने से पहले आवश्यक तेलों को पानी के साथ पतला जरूर करें।

सूखी हल्दी: हल्दी सर्दी और खांसी के लिए बेहद लोकप्रिय घरेलू उपचार में से एक है। हल्दी के जीवाणुरोधी गुण खांसी और ठंड का इलाज करने के लिए सक्षम होते हैं। इसे इस्तेमाल करने के लिए हल्दी की गांठ को जला लें और इसे बारीक पाउडर बना लें। इसे बंद नाक को खोलने के लिए इस्तेमाल करें।

हल्दी पेस्ट: एक चम्मच हल्दी पाउडर में एक बड़ा चम्मच पानी मिलाकर हल्दी पेस्ट तैयार कर लें। इसके बाद इसे धीमा आंच पर गर्म करें और बच्चे की छाती, गर्दन व पैरों पर लगाएं। इससे सर्दी-जुकाम में काफी राहत मिलती है।

नीलगिरि तेल: नीलगिरी के तेल को खांसी और ठंड के लिए एक अच्छा माना गया है। नीलगिरि का तेल शरीर में वृद्धि को बढ़ावा देता है, कफ को निकालने में मदद करता है और अवरुद्ध वायुमार्ग को खोलता है। निलगिरी तेल नाक को नम बनाए रखने में मदद करता है। शिशु के कपड़े पर नीलगिरि तेल की कुछ बूंदों को छिड़कें या कुछ रूमाल पर इसे बच्चे के चारों ओर रखें।

वेपोरब: वेपोरब का उपयोग करें। रात में अपने बच्चे के पैरों और छाती के नीचे विक्स लगाएं। सूती मोजे के साथ उसके पैरों को कवर करें। 

तुलसी जल: तुलसी का रस खांसी, ठंड और बुखार से छुटकारा पाने में मदद करता है। तुलसी की कुछ पत्तियों को पानी में उबालें और बच्चे को दूध या पानी में यह तुलसी का पानी मिलाकर पिलाएं।

पैनिकोर्का रस: पानिकोर्का एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, जो दक्षिण भारतीय राज्यों में आमतौर पर बच्चों में खांसी, ठंड, गले में खराश, नाक और छाती की जकड़न का इलाज करने के लिए उपयोग की जाती है। पानिकोर्का की पत्तियों को 1 कप पानी में 4-5 मिनट के लिए उबालें। इसे ठंडा होने के बाद, बच्चों को 2 चम्मच पिलाएं। कफ का इलाज करने के लिए यह बहुत प्रभावी उपाय है।

अजवाइन का काढ़ा: अजवाइन और ज्वैल को साथ में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े या पानी को खांसी के लिए बेहतर उपाय माना गया है। बच्चे को हाइड्रेटेड रखने के लिए नियमित अंतराल पर पानी देते रहें।

6 महीने तक के शिशुओं में बुखार के लिए घरेलू उपचार

शिशुओं में बुखार एक समस्या होती है। बुखार के दौरान उनके शरीर का तापमान सामान्य से कुछ बढ़ जाता है। इस स्थिति से निपटने के लिए कुछ घरेलू उपाय नीचे दिए जा रहे हैं:

मां का दूध: मां का दूध बुखार से लड़ने में मदद करता है। बुखार के दौरान भी बच्चें को दूध देना बंद नही करें।

त्वचा से त्वचा के साथ संपर्क: मां का स्पर्श शिशु को बेहद राहत देता है। मां के साथ त्वचा संपर्क करने बच्चे को बुखार में बहुत राहत मिलती है। इसके लिए बच्चे को बुखार में बिना किसी कपड़ों के गले से लगाना चाहिए।

गुनगुने पानी से स्नान: गुनगुने पानी से स्नान, बुखार में बढ़े हुए तापमान को सामान्य स्तर पर लाने में मदद करता है। ऐसे में बुखार में बच्चे को टब में या स्पंज द्वारा गुनगुने पानी से स्नान कराएं।

विनेगर स्पंज स्नान: गुनगुने पानी में कुछ सिरका मिलाए और बच्चें को स्नान कराए। इससे जल्द ही आपके बच्चे का बुखार कम हो जाएगा।

लैवेंडर तेल मालिश: तेल मालिश बुखार में भी मदद करता है। सरसों या नारियल के तेल में लैवेंडर तेल को मिलकर पतला करके बच्चे के सिर से पैर की अंगुली तक एक हल्की मालिश करें। इससे बुखार आसानी से ठीक हो जाएगा। 

प्याज का इस्तेमाल: परंपरागत रूप से प्याज का उपयोग भारत में बुखार का इलाज करने के लिए किया जाता है। प्याज को 2-3 टुकड़ों में काट लें और सोते समय बच्चे के मोजे के अंदर डाल दें। इससे बुखार में आराम मिलता है।

6 माह तक के शिशु के पेट में गैस के लिए घरेलू उपचार

 वयस्कों की तुलना में नवजात शिशु में गैस की समस्या सबसे अधिक होती है। ऐसे में 6 माह तक के शिशु के पेट में गैस बनने वाली को कम करने के नीचे कुछ घरेलू उपाय दिए जा रहे हैं:

डकार का रखें ध्यान: प्रत्येक फीड के बाद शिशु को डकार दिलाएं। शिशुओं में बड़े लोगों की तुलना में गैस बड़ी समस्याएं ज्यादा होती हैं। जब शिशु दूध पीते हैं तो वायु उनके गले और पेट में फंसती है। पेट की हवा जब पेट से निकल जाती है, तब डकार आती है। ऐसे में हमेशा अपने बच्चे को हर फ़ीड के बाद और बीच में बच्चे को डकार जरूर दिलाएं।

पैरों का व्यायाम करें: अगर बच्चा गैस की समस्या से असहज महसूस कर रहा है, तो उसे दो मिनट तक पैरों की साइकिल से व्यायाम करने में मदद करें। भोजन के तुरंत बाद इस अभ्यास को न करें। कम से कम 30 मिनट के बाद इस अभ्यास को कर सकते हैं। पेट की ओर दोनों तरफ तह और दबाने से गैस जारी करने में भी मदद मिलती है।

पेट की मालिश: पेट पर लाइट मालिश बच्चे को सुखदायक अनुभव कराने में मदद करती है। बच्चे के लिए इस्तेमाल होने वाले किसी भी तेल का उपयोग कर पांच से सात मिनट के लिए बच्चे के पेट की मालिश करें।

हींग (असाफोएटिडा): बच्चों में गैस संबंधित मुद्दों के लिए हींग बेहद कारगर घरेलू उपाय है। गर्म पानी की एक चम्मच लें और उसमें एक चुटकी हींग डाल दें।शिशुओं को सीधे मुंह से हींग नहीं दे सकते हैं, इसलिए बच्चे के पेट पर हींग के पानी से एंटी क्लोक दिशा में बच्चे के नाभि के आसपास मालिश करें।

गर्म तौलिया से सिकाई: उबले पानी में  एक साफ तौलिया भिगोएं और अतिरिक्त पानी निचोड़ दें। तापमान की जांच करें और सुनिश्चित करें कि बच्चे के लिए तौलिया बहुत गर्म न हो। इसके बाद बच्चे के पेट पर गर्म तौलिया रखें। इससे बच्चे की पेट संबंधी समस्या ठीक हो जाएगी।

6 माह तक के शिशु में उल्टी और दस्त के इलाज के लिए घरेलू उपचार

शिशु में उल्टी और दस्त के इलाज के लिए घरेलू उपचार नीचे दिए जा रहे हैं:

नियमित स्तनपान: स्तनपान शिशुओं के लिए दवा साबित होता है। अपने बच्चे को स्तनपान के जरिए हाइड्रेट रखें। किसी अन्य प्रकार के बाहरी दूध न दें, गाय का दूध भी न दें। इसके अलावा यदि उल्टी-दस्त ठीक नहीं हो रहे हैं तो इनके कारणों को भी देखना चाहिए। यह कुछ प्रकार के संक्रमण, मौसमी बदलाव और जलवायु परिवर्तन की वजह से हो सकते हैं। इसके अलावा बच्चे द्वारा किए जा रहे भोजन के बारे में अलर्ट रहें।

सोया आधारित दूध पाउडर का इस्तेमाल: यदि आपका बच्चा फॉर्मूला पाउडर ले रहा है तो उसे तुरंत बदलें। सोया आधारित दूध पाउडर का इस्तेमाल करने से बच्चे को कम चकत्ते होंगे और यह दस्त को तेज़ी से ठीक करने में मदद करेगा।

ग्राइप पानी: बच्चों में दस्त के लिए ग्राइप पानी एक प्रभावी उपाचार है। इससे पेट को राहत मिलती है और दस्त का इलाज करने में मदद मिलती है।

दही और छाछ: चार माह से कम उम्र के बच्चों के लिए यह अनुशंसित नहीं है। लेकिन अगर आपका बच्चा बैठने में असमर्थ है और अर्ध-ठोस पदार्थों का सेवन करना शुरू करता है तो कुछ मात्रा में दही और छाछ दे सकते हैं। दही एक प्राकृतिक प्रोबायोटिक है जो पेट से संबंधित विकारों को ठीक करने में मदद करता है। 

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