पैरों का दर्द एक आम समस्या है। सामान्य तौर पर यह बढ़ती उम्र के साथ होता है। हालांकि अब यह यंगस्टर्स में भी देखने को मिल रहा है। लेग पेन का सीधा आशय टांग, पैर, टखनों, घुटनों, पैर की उंगलियों और पीठ के निचले हिस्से में होने वाले दर्द से है। जब पैरों में दर्द अधिक गंभीर या तेज होता है तो पैरों में झनझनाहट महसूस होती है। पैरों में दर्द के कई कारण हो सकते हैं जैसे मस्कुलोस्केलेटल, वैस्कुलर, न्यूरोलॉजिकल, शरीर में पोषण और पानी की कमी आदि।
पैरों का दर्द तेज या धीमा हो सकता है। यह कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो सकता है या फिर लंबे समय तक के लिए भी रह सकता है। दर्द की यह प्रवृत्ति सॉफ्ट टिश्यू की इंजरी पर निर्भर करती है। जैसे एड़ी में लगी चोट लंबे समय तक नहीं रहती और इंजर्ड टिश्यू के ठीक होते ही दर्द ठीक हो जाता है।
यह टेंडन में दर्द के कारण होता है। टेंडन रेशेदार टिश्यू का समूह होता है जो मांशपेसियों को हड्डियों से जोड़ता है। टेंडन की
पैर में ऐंठन आमतौर पर डिहाइड्रेशन, नर्व के डैमेज होने या मांसपेशियों की थकान के कारण होती है। इसके कारण पैरों में जोर से दर्द होता है।
इस स्थिति में ज्वाइंट के लिगामेंट अपनी क्षमता से अधिक खिंच जाते हैं और दर्द का कारण बनते हैं। मोच हमारे पैर के किसी भी ज्वाइंट में हो सकती है।
इसे पिंडली का दर्द कहते हैं। इससे एथलीट और रनर्स अधिक पीड़ित होते हैं। लंबी वॉक या दौड़ने के बाद पैरों में दर्द होना शिन स्प्लिंट्स के लक्षण हैं।
इस स्थिति में पैर की नशों में रक्त का थक्का बनने लगता है। डीप वेन थ्राम्बोसिस अधिकतर पैर के निचले हिस्से पर होता है। कोशिकाओं में रक्त का थक्का बनने के कारण शरीर के किसी भी अंग में दर्द हो सकता है।
पैर दर्द के इलाज में उपयोग होने वाली दवाओं का हमारे शरीर पर विपरीत असर पड़ता है। इससे कई तरह की गंभीर स्थितियां पैदा होती हैं। पैर के दर्द का इलाज, दर्द की गंभीरता और तीव्रता पर निर्भर करता है।
एक्यूपंक्चर से पैरों के दर्द में बहुत आराम मिलता है। भारत में एक्यूपंक्चर सेशन की लागत आम तौर पर 800 से 1000 रुपए तक होती है। कुछ सरकारी अस्पतालों में गरीब वर्ग के लिए 20 रुपए प्रति सेशन के हिसाब से एक्यूपंक्चर के माध्यम से इस दर्द को ठीक किया जा सकता है। जबकि पैरों के दर्द से संबंधित NSAID दवाओं की कीमत 600-700 रुपए और एनाल्जेसिक दवाओं की कीमत 75 रुपए से लेकर 1000 रुपए प्रति 10 टैबलेट होती है।