अवलोकन

Last Updated: Feb 18, 2023
Change Language

पुरुष प्रजनन प्रणाली- शरीर रचना (चित्र, कार्य, बीमारी, इलाज)

पुरुष प्रजनन प्रणाली का चित्र | Male Reproductive System Ki Image पुरुष प्रजनन प्रणाली के अलग-अलग भाग पुरुष प्रजनन प्रणाली के कार्य | Male Reproductive System Ke Kaam पुरुष प्रजनन प्रणाली के रोग | Male Reproductive System Ki Bimariya पुरुष प्रजनन प्रणाली की जांच | Male Reproductive System Ke Test पुरुष प्रजनन प्रणाली का इलाज | Male Reproductive System Ki Bimariyon Ke Ilaaj पुरुष प्रजनन प्रणाली की बीमारियों के लिए दवाइयां | Male Reproductive System ki Bimariyo ke liye Dawaiyan

पुरुष प्रजनन प्रणाली का चित्र | Male Reproductive System Ki Image

पुरुष प्रजनन प्रणाली का चित्र | Male Reproductive System Ki Image

पुरुष प्रजनन प्रणाली (मेल रिप्रोडक्टिव सिस्टम) में अंगों का एक समूह शामिल होता है जिनसे मिलकर पुरुष की प्रजनन और मूत्र प्रणाली बनती है। ये अंग आपके शरीर के भीतर निम्नलिखित कार्य करते हैं:

  • वे स्पर्म (मेल रिप्रोडक्टिव सेल्स) और सीमेन (स्पर्म के चारों ओर प्रोटेक्टिव फ्लूइड) को बनाते, रखरखाव और ट्रांसपोर्ट करते हैं।
  • वे फीमेल रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट में, स्पर्म को डिस्चार्ज करते हैं।
  • वे पुरुष सेक्स हार्मोन का उत्पादन और स्राव करते हैं।

पुरुष प्रजनन प्रणाली (मेल रिप्रोडक्टिव सिस्टम), इंटरनल (शरीर के अंदर) और एक्सटर्नल (शरीर के बाहर) भागों से बनी होती है। साथ में, ये अंग आपको पेशाब करने में, संभोग करने में और बच्चे पैदा करने में मदद करता है।

पुरुष प्रजनन प्रणाली के अलग-अलग भाग

अधिकांश पुरुष प्रजनन प्रणाली शरीर के बाहर स्थित होती है। इन बाहरी स्ट्रक्चर्स में लिंग (पेनिस), स्क्रोटम और टेस्टिकल्स शामिल हैं।पेनिस: पेनिस, संभोग के लिए पुरुष अंग है। इसके तीन भाग हैं:

  • रुट: यह लिंग का वह भाग है जो आपके पेट की दीवार से जुड़ा होता है।
  • बॉडी या शाफ्ट: एक ट्यूब या सिलेंडर के आकार का, लिंग का शरीर तीन आंतरिक कक्षों से बना होता है।
  • ग्लान्स: यह लिंग का ट्यूब या सिलिंडर के आकार का सिरा होता है। मुंड, जिसे लिंग का सिर भी कहा जाता है, त्वचा की एक ढीली परत से ढका होता है जिसे फोर-स्किन कहा जाता है।
  • यूरेथ्रा की ओपनिंग: एक ट्यूब जो वीर्य और मूत्र दोनों को शरीर से बाहर ले जाती है - ग्लान्स लिंग की नोक पर स्थित होती है। लिंग में कई संवेदनशील नर्व एंडिंग्स भी होती हैं।
  • स्क्रोटम: स्क्रोटम, त्वचा की ढीली थैली जैसी होती है जो कि लिंग के पीछे लटकी हुई होती है। यह टेस्टिकल (जिसे टेस्टिस भी कहा जाता है), साथ ही साथ कई नसों और रक्त वाहिकाओं को धारण करती है। स्क्रोटम, टेस्टिस को सुरक्षा प्रदान करती है, साथ ही एक प्रकार का नियंत्रण भी प्रदान करती है।
  • टेस्टिकल्स (टेस्टिस): टेस्टिस, ओवल आकार के अंग होते हैं जो स्क्रोटम में रहते हैं, दोनों छोर पर स्पेर्माटिक कॉर्ड नामक स्ट्रक्चर द्वारा सुरक्षित होते हैं। अधिकांश पुरुषों के दो टेस्टिस होते हैं। टेस्टिस का कार्य है: प्राथमिक पुरुष सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन करना और शुक्राणु पैदा करना ।
  • एपिडीडिमिस: एपिडीडिमिस एक लंबी, कोआईलड ट्यूब होती है जो प्रत्येक टेस्टिकल के पीछे की तरफ होती है। यह टेस्टिस में बनने वाले स्पर्म सेल्स को कैरी करता है और ट्रांसपोर्ट करता है। इसका एक अन्य कार्य भी है: स्पर्म को मैच्योर करना।

कई इंटरनल ऑर्गन्स - जिन्हें सहायक अंग भी कहा जाता है - वे मेल रिप्रोडक्टिव सिस्टम में अहम् भूमिका निभाते हैं। इन अंगों में शामिल हैं:

  • वास डेफेरेंस: वास डेफेरेंस एक लंबी, मस्कुलर ट्यूब होती है जो एपिडीडिमिस से पेल्विस कैविटी में ब्लैडर के ठीक पीछे जाती है। स्खलन के समय वास डेफेरेंस, मैच्योर स्पर्म को मूत्रमार्ग तक पहुँचाती है।
  • इजैकुलेटरी डक्ट्स: ये नलिकाएं वास डेफेरेंस और सेमिनल वेसिकल्स के फ्यूज़न से बनती हैं। इजैकुलेटरी डक्ट्स, यूरेथ्रा में खाली हो जाती हैं।
  • यूरेथ्रा: यूरेथ्रा वह ट्यूब है, जो ब्लैडर से मूत्र को शरीर के बाहर ले जाती है।
  • सेमिनल वेसिकल्स: सेमिनल वेसिकल्स, थैलियों के जैसे होती हैं जो ब्लैडर के आधार के पास वास डेफेरेंस से जुड़ी होती हैं। सेमिनल वेसिकल्स एक चीनी युक्त तरल पदार्थ (फ्रुक्टोज) बनाते हैं जो स्पर्म को ऊर्जा प्रदान करता है और स्पर्म को मूव होने की क्षमता में मदद करता है।
  • प्रोस्टेट ग्रंथि: प्रोस्टेट ग्रंथि, एक अखरोट के आकार का स्ट्रक्चर है जो मलाशय(रेक्टम) के सामने ब्लैडर के नीचे स्थित होती है। प्रोस्टेट ग्रंथि के कारन ही, स्खलन के समय अतिरिक्त तरल पदार्थ निकलता है।
  • बल्बौरेथ्रल ग्रंथियां: बल्बौरेथ्रल ग्रंथियां, या काउपर ग्रंथियां, प्रोस्टेट ग्रंथि के ठीक नीचे, यूरेथ्रा के किनारों पर स्थित, मटर के आकार के स्ट्रक्चर्स हैं। इन ग्लांड्स से क्लियर, फिसलनयुक्त फ्लूइड उत्पन्न होता है जो सीधे यूरेथ्रा में खाली हो जाता है।

पुरुष प्रजनन प्रणाली के कार्य | Male Reproductive System Ke Kaam

पूरा मेल रिप्रोडक्टिव सिस्टम, हार्मोन पर निर्भर है। ये ऐसे रसायन हैं जो सेल्स और ऑर्गन्स की गतिविधि को उत्तेजित या नियंत्रित करते हैं। मेल रिप्रोडक्टिव सिस्टम के कामकाज में शामिल प्राथमिक हार्मोन हैं: फॉलिकल-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH), ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) और टेस्टोस्टेरोन।

पिट्यूटरी ग्रंथि, एफएसएच(FSH) और एलएच(LH) का निर्माण करती है। यह मस्तिष्क के बेस पर स्थित होती है और शरीर में कई कार्यों के लिए जिम्मेदार है। एफएसएच(FSH) शुक्राणु उत्पादन के लिए आवश्यक है। एलएच(LH) टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन को उत्तेजित करता है, जो स्पेर्माटोगेनेसिस की प्रक्रिया को जारी रखने के लिए आवश्यक है। टेस्टोस्टेरोन पुरुष विशेषताओं के विकास में भी महत्वपूर्ण है, जिनमे शामिल हैं: मसल मॉस और ताकत, फैट डिस्ट्रीब्यूशन, बोन मॉस और सेक्स ड्राइव।

पुरुष प्रजनन प्रणाली के रोग | Male Reproductive System Ki Bimariya

  • हाइपोस्पेडिया: यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बाहरी मूत्र मार्ग (छिद्र), पेनिस के सिरे के बजाय, पेनिस के सिरे के नीचे कहीं भी खुल जाता है।हाइड्रोसेल: एक फ्लूइड से भरी हुआ सैक आंशिक रूप से टेस्टिस के आसपास दिखने लगता है और इसमें सूजन भी होती है (स्क्रोटम की तरफ), जिससे बेचैनी पैदा हो सकती है। इसका उपचार सर्जरी द्वारा किया जा सकता है।
  • इरेक्टाइल डिस्फंक्शन: इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (ईडी) एक यौन अक्षमता है जिसके कारण यौन रूप से परिपक्व व्यक्ति में इरेक्शन प्राप्त करने या बनाए रखने में मुश्किल होती है। यह एक सामान्य विकार है जो लगभग 40 प्रतिशत पुरुषों को प्रभावित करता है।
  • एपिडीडिमाइटिस: एपिडीडिमाइटिस, एपिडीडिमिस में होने वाली सूजन है। एपिडीडिमिस, स्क्रोटम के भीतर जुड़े हुए अंगों में से एक है जहां पर स्पर्म्स मैच्योर होते हैं और स्टोर होते हैं। एपिडीडिमाइटिस, एक्यूट और क्रोनिक हो सकता है। एक्यूट रोग आम तौर पर अल्पकालिक होते हैं, जबकि क्रोनिक बीमारियाँ वर्षों तक - या जीवन भर भी रह सकती हैं।
  • प्रोस्टेट कैंसर: प्रोस्टेट ग्रंथि, पुरुष पेल्विस में स्थित एक अंग है। मूत्राशय (ब्लैडर) से निकलने के बाद और पेनिस तक पहुंचने से पहले, यूरेथ्रा प्रोस्टेट ग्रंथि से होकर गुजरता है। प्रोस्टेट का कार्य है: स्खलन के दौरान वीर्य में जिंक और अन्य पदार्थों का स्राव करना। प्रोस्टेट कैंसर, कैंसर का सबसे आम प्रकार है और प्रोस्टेट ग्रंथि वाले लोगों में कैंसर की मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। प्रोस्टेट वाले लगभग 80 प्रतिशत पुरुषों में, 80 वर्ष की आयु तक प्रोस्टेट ग्रंथि में कैंसर कोशिकाएं होती हैं।
  • टेस्टिकुलर कैंसर: रिप्रोडक्टिव कैंसर अत्यंत दुर्लभ होता है और आमतौर पर युवा व्यक्तियों को प्रभावित करता है। इसका आम रूप है: टेस्टिकुलर कैंसर। टेस्टिकुलर कैंसर के लक्षण हैं: दो टेस्टिस में से एक में गांठ या सूजन होना। गांठ में दर्द भी हो सकता और नहीं भी हो सकता है। यदि दर्द मौजूद है, तो यह पेट के निचले हिस्से या स्क्रोटम में तेज दर्द या धीरे-धीरे दर्द के रूप में हो सकता है।
  • सौम्य प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया: सौम्य प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया, जिसे प्रोस्टेट ग्रंथि वृद्धि भी कहा जाता है, एक पुरुष प्रजनन विकार है जिसमें प्रोस्टेट और आसपास के टिश्यूज़ में सेल्स की संख्या बढ़ जाती है, जिससे यूरेथ्रा का आकार बढ़ जाता है और स्क्वीज़ भी होता है। यह ट्यूब, मूत्र को शरीर से बाहर निकलने की अनुमति देती है।

पुरुष प्रजनन प्रणाली की जांच | Male Reproductive System Ke Test

  • स्क्रोटल अल्ट्रासाउंड: इस टेस्ट में, शरीर के अंदर की इमेजेज को बनाने के लिए हाई-फ्रीक्वेंसी साउंड वेव्स का उपयोग किया जाता है। स्क्रोटल अल्ट्रासाउंड से डॉक्टर को यह देखने में मदद मिलती है कि क्या टेस्टिकल्स और सहायक स्ट्रक्चर्स में वैरिकोसेले या अन्य समस्याएं हैं।
  • ट्रांसरेक्टल अल्ट्रासाउंड: मलाशय में एक छोटी, चिकनाई वाली छड़ी डाली जाती है। इससे डॉक्टर को, प्रोस्टेट की जांच करने और वीर्य ले जाने वाली ट्यूब्स की रुकावटों को देखने की अनुमति मिलती है।
  • इजैकुलेशन के बाद यूरिनालिसिस: मूत्र में शुक्राणु का होना यह बताता है कि शुक्राणु स्खलन (रेट्रोग्रेड इजैकुलेशन) के दौरान, लिंग से बाहर निकलने के बजाय, मूत्राशय में पीछे की ओर जा रहा है।
  • जेनेटिक टेस्ट्स: जब शुक्राणु की मात्रा बेहद कम होती है, तो इसका एक आनुवंशिक कारण हो सकता है। एक ब्लड टेस्ट से पता चल सकता है कि वाई क्रोमोजोम में सूक्ष्म परिवर्तन हैं या नहीं - एक आनुवंशिक असामान्यता के संकेत। विभिन्न जन्मजात या इनहेरिटेड सिंड्रोम के निदान के लिए, जेनेटिक टेस्ट्स का आदेश दिया जा सकता है।
  • टेस्टिकुलर बायोप्सी: इस टेस्ट में सुई से टेस्टिकल से सैंपल निकाला जाता है। यदि टेस्टिकुलर बायोप्सी के परिणाम से यह पता चलता है कि शुक्राणु उत्पादन सामान्य है तो इसका मतलब है कि समस्या का कारण संभवतः कोई ब्लॉकेज है या फिर स्पर्म ट्रांसपोर्ट के साथ कोई अन्य समस्या।
  • स्पेशलाइज्ड स्पर्म फंक्शन टेस्ट्स: स्खलन के बाद शुक्राणु कितनी देर तक जीवित रहते हैं, वे अंडे में कितनी अच्छी तरह प्रवेश कर सकते हैं, और क्या अंडे से जुड़ी कोई समस्या है, यह सब जांचने के लिए कई परीक्षणों का उपयोग किया जा सकता है। इन टेस्ट्स का उपयोग आमतौर पर नहीं किया जाता है।
  • सामान्य शारीरिक परीक्षा और चिकित्सा इतिहास: इसमें एग्जामिनेशन के दौरान, जननांगों की जांच की जाती है और इनहेरिटेड कोई भी स्थितियां, पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं, बीमारियों, चोटों या सर्जरी के बारे में प्रश्न पूछे जाते हैं जो प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। आपका डॉक्टर आपकी यौन आदतों और युवावस्था के दौरान आपके यौन विकास के बारे में भी पूछ सकता है।
  • वीर्य विश्लेषण(सीमेन एनालिसिस): सीमेन सैम्पल्स , दो अलग-अलग तरीकों से प्राप्त किए जा सकते हैं। इसके लिए, डॉक्टर के क्लिनिक में एक विशेष कंटेनर में हस्तमैथुन और स्खलन करके सैंपल कलेक्ट किया जाता है। कुछ मामलों में, संभोग के दौरान एक विशेष कंडोम का उपयोग करके सीमेन को एकत्र किया जा सकता है।

पुरुष प्रजनन प्रणाली का इलाज | Male Reproductive System Ki Bimariyon Ke Ilaaj

  • हार्मोन उपचार: मानव कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन, या एचसीजी, एक पेप्टाइड हार्मोन है। हार्मोनल उपचार (एचसीजी) के दौरान, इसे त्वचा के नीचे या इंट्रामस्क्युलर रूप से इंजेक्ट किया जाता है। चूंकि सर्जिकल तकनीकों की तुलना में हार्मोन उपचार की सफलता दर इतनी कम है, इसलिए इसे केवल अंतिम विकल्प के रूप में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • कीमोथेरेपी: कीमोथेरेपी, कैंसर के उपचार के लिए उपयोग की जाती है जिसमें एक या अधिक एंटी-कैंसर दवाओं का नियमित प्रशासन शामिल होता है। कीमोथेरेपी का उपयोग बीमारी के इलाज, जीवन विस्तार और लक्षणों से राहत पाने के लिए किया जा सकता है।
  • ऑर्चियोपेक्सी: ऑर्चियोपेक्सी, सिंगल डिसेंडिंग टेस्टिकल के लिए सबसे ज्यादा उपयोग होने वाली प्रक्रिया है, जिसकी सक्सेस रेट 100% है। इस सर्जरी से टेस्टिकल कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है, लेकिन इससे इस समस्या का इलाज नहीं होता है।

पुरुष प्रजनन प्रणाली की बीमारियों के लिए दवाइयां | Male Reproductive System ki Bimariyo ke liye Dawaiyan

  • पुरुष प्रजनन प्रणाली में संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक्स: जब किसी व्यक्ति में यूरेथ्रिटिस का निदान किया जाता है तो उसका इलाज करने के लिए, एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारक दवाएं उपयोग की जाती हैं। एज़ीथ्रोमाइसिन (जिथ्रोमैक्स), डॉक्सीसाइक्लिन के साथ-साथ, सेफट्रीएक्सोंन (रोसेफीन) और सेफिक्सिम, इस स्थिति का इलाज करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सामान्य एंटीबायोटिक्स हैं।
  • पुरुष प्रजनन प्रणाली में दर्द के लिए एनाल्जेसिक: पेनाइल फ्रैक्चर होने पर, इबुप्रोफेन का उपयोग करके, इस स्थिति से जुड़ी सूजन और दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके विपरीत, इस स्थिति का इलाज करने के लिए सर्जरी और घरेलू देखभाल सबसे सहायक दृष्टिकोण हैं।
  • पुरुष प्रजनन प्रणाली की सूजन को कम करने के लिए स्टेरॉयड: बच्चों के लिए, कन्सेर्वटिवे थेरेपी उपयोग में लाई जाती है, जिसके तहत चार से छह सप्ताह के लिए स्टेरायडल क्रीम को लगाया जाता है।
  • फॉस्फोडिएस्टरेज़ इनहिबिटर: इरेक्टाइल डिसफंक्शन से पीड़ित लोगों के लिए सबसे अधिक अनुशंसित दवाओं में सिल्डेनाफिल, वॉर्डनफिल, टैडालफिल और अवानाफिल (ईडी) शामिल हैं।पुरुष प्रजनन प्रणाली के संक्रमण के इलाज के लिए एंटिफंगल: बालानोपोस्थाइटिस के लिए उपचार अक्सर एंटीफंगल दवाओं जैसे कि क्लोट्रीमेज़ोल, मेट्रोनिडाज़ोल, या माइकोनाज़ोल का उपयोग किया जाता है। कुछ मामलों में, माइकोनाज़ोल का उपयोग किया जाता है।

Content Details
Written By
PhD (Pharmacology) Pursuing, M.Pharma (Pharmacology), B.Pharma - Certificate in Nutrition and Child Care
Pharmacology
English Version is Reviewed by
MD - Consultant Physician
General Physician
Having issues? Consult a doctor for medical advice