अवलोकन

Last Updated: Feb 17, 2023
Change Language

नाक- शरीर रचना (चित्र, कार्य, बीमारी, इलाज)

नाक का चित्र नाक के अलग-अलग भाग नाक के कार्य | Nose Ke Kaam नाक के रोग | Nose Ki Bimariya नाक की जांच | Nose Ke Test नाक का इलाज | Nose Ki Bimariyon Ke Ilaaj नाक की बीमारियों के लिए दवाइयां | Nose ki Bimariyo ke liye Dawaiyan

नाक का चित्र

नाक का चित्र

नाक, आँखों के बीच मौजूद प्रमुख संरचना है जो रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट (श्वसन पथ) के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करती है और इसमें ओलफैक्टरी ऑर्गन होता है। यह श्वसन के लिए हवा प्रदान करती है, गंध की भावना का काम करती है, हवा को छानकर, गर्म करके और नम करके स्थिति अनुकूल बनाती है, और साँस लेने पर अंदर आये अनचाहे वेस्ट को खुद ही साफ करती है।

नाक, गंध के लिए प्राइमरी ऑर्गन है और शरीर में एक महत्वपूर्ण रेस्पिरेटरी ऑर्गन के रूप में कार्य करता है।
हम जिस हवा में सांस लेते हैं, वह नाक के बालों से फिल्टर होती है। फेफड़ों में प्रवेश करने से पहले साँस की हवा को गर्म और नम किया जाता है।

नाक के अलग-अलग भाग

हड्डियाँ और कार्टिलेज, नाक के आकार को बनाते हैं। नाक की शारीरिक रचना में नाक की बाहरी और आंतरिक दोनों संरचनाएं शामिल हैं।

बाहरी नाक के तीन सेक्शंस फ्रंटल, लेटरल और और बेसल व्यूज होते हैं। ऊपरी फ्रंटल रीजन में, दो नेसल बोन्स द्वारा नाक को सपोर्ट मिलता है जो नाक के पुल का निर्माण करती हैं।

  • हड्डी: नाक की हड्डी एक छोटी, चपटी स्कल की हड्डी होती है। यह चेहरे के स्केलेटन का हिस्सा है और नाक के पुल के लिए सपोर्ट प्रदान करती है।
  • म्यूकस मेम्ब्रेन: नाक, साइनस और गले सभी म्यूकस मेम्ब्रेन के द्वारा लाइन होते हैं। यह मेम्ब्रेन, हम जिस हवा में सांस लेते हैं उसे नम और गर्म करती है। यह एक चिपचिपा बलगम भी पैदा करती है जो धूल और अन्य छोटे कणों को नाक में प्रवेश करने से रोकता है। सिलिया, बालों जैसी संरचनाएं हैं जो बलगम के साथ काम करती हैं ताकि सांस लेते समय नाक में प्रवेश करने वाले विदेशी कणों को अंदर जाने से रोका जा सके।
  • नेसल कैविटीज़: नेसल कैविटी खाली, खोखली जगह होती है जिसके माध्यम से हवा बहती है। यह दो भागों में बंटा होता है जिसे नेसल पैसेज कहते हैं। सांस लेते समय हवा इन मार्गों से होकर गुजरती है।
  • नर्व सेल्स: ओलफैक्टरी, क्रेनियल नर्व्ज़ की एक जोड़ी है। वे नाक में गंध रिसेप्टर्स से मस्तिष्क तक जानकारी पहुंचाते हैं।
  • नथुने (नॉस्ट्रिल्स): नेसल कैविटी में मौजूद दो बाहरी ओपनिंग्स।
  • सेप्टम: सेप्टम नाक के दो चैम्बर्स को अलग करता है। यह एक पतली हड्डी और कार्टिलेज की दीवार होती है।
  • साइनस: साइनस नाक के आसपास की हड्डी में खोखले, हवा से भरे कक्ष होते हैं। साइनस, बलगम को नेसल कैविटी में भेजते हैं।
  • टर्बाइनेट: टर्बाइनेट, नाक के अंदर छोटी संरचनाएं होती हैं जो नाक के माध्यम से फेफड़ों में प्रवेश करने वाली हवा को साफ और नम करती हैं।
  • बाहरी नाक: बाहरी नाक चेहरे की एक प्रमुख विशेषता है जो बाहर से दिखती है। इसमें नेसल कैविटी का प्रवेश द्वार होता है। बाहरी नाक के आकार की तुलना, पिरामिड से की जाती है।

बाहरी नाक का स्केलेटन, बोनी और कार्टिलेजिनियस, दोनों कंपोनेंट्स से बना होता है।

नेसल रुट, ऊपर स्थित होती है और भौंह से जुड़ती है। नाक का एपेक्स (शीर्ष), एक राउंड टिप में इन्फीरियर रूप से समाप्त हो जाता है। नाक का डोरसम, जड़ और शीर्ष के बीच फैला हुआ है।

नेयर्स या नथुने, नेसल कैविटी में खुलते हैं जो एपेक्स के ठीक नीचे स्थित होते हैं। नाक के सेप्टम और आला नासी, नाक के छिद्रों को मेडियली और लेटरली रूप से जोड़ते हैं।

नाक के कार्य | Nose Ke Kaam

ऑक्सीजन को अंदर लेना और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालना, नाक के प्राथमिक कार्य हैं। दिलचस्प बात यह है कि वे चखने और सुनने में भी योगदान देते हैं।

  1. इनहेलेशन में मदद करती है:
    श्वसन की प्रक्रिया नाक से शुरू होती है। साँस लेने के दौरान, नाक के माध्यम से ही ऑक्सीजन प्रवेश करती है। नेसल कैविटीज़ चोआना से जुड़ी होती हैं, जो नासॉफरीनक्स से जुड़ता है। लैरिंक्स, ट्रेकिआ और ब्रांकाई के माध्यम से फेफड़ों की यात्रा करने से पहले, हवा ओरोफैरिंक्स में प्रवेश करती है।
  2. किसी व्यक्ति के रूप और ध्वनि में योगदान देती है:
    चेहरे की समग्र सिममेट्री पर नाक का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। बहुत छोटी नाक से चेहरा सपाट और चौड़ा दिखाई देता है। एक बड़ी नाक ठोड़ी को और अन्य फीचर्स को कम आकर्षक बनाती है।

    मनुष्य की साउंड(ध्वनि), नेसल कैविटी रेजोनेंस पर बहुत अधिक निर्भर करती है। साउंड, बोलने या गाने के दौरान, फैरिंक्स के बजाय नाक के माध्यम से यात्रा करता है, और नेसल कैविटीज़ ध्वनि के साथ प्रतिध्वनित होते हैं, आवाज को बढ़ाते हैं।

  3. साँस की हवा को फ़िल्टर और साफ़ करती है:
    नेसल कैविटी की दीवारें, बालों या सिलिया से ढकी होती हैं। ये बाल जैसी संरचनाएँ, बलगम के साथ धूल और हानिकारक कणों को फँसाती हैं और साँस की हवा को शुद्ध करती हैं।

    सिलिया, जब आगे और पीछे की ओर मूव करते हैं तो उनकी गति धूल के कणों को गले तक ले जाने में सहायता करती है, जहां वे नेसल कैविटी के माध्यम से निगले जाते हैं या एक्सक्रेटेड होते हैं।

  4. हवा को गर्म और नम करती है:
    गैस एक्सचेंज के लिए फेफड़ों में जाने से पहले, नाक के बाल अंदर की हवा को नम और गर्म करते हैं।

    कार्बन डाइऑक्साइड में मौजूद गर्मी और नमी को नाक के बालों द्वारा अवशोषित किया जाता है और साँस छोड़ने के दौरान वातावरण में छोड़ दिया जाता है।

    स्पाइरल के आकार का नेजल कोंच, अधिक लम्बी अवधि के लिए नेसल कैविटी के भीतर हवा को घुमाता रहता है, यह सुनिश्चित करता है कि यह ठीक से ह्यूमिडिफाय और शुद्ध हो।

  5. गंध की भावना प्रदान करता है:
    ओलफैक्टरी सेंसरी न्यूरॉन्स के कारण, नाक एक गंध का अंग है। ये नाक के अंदर गहरे टिश्यूज़ के एक छोटे से पैच में पाए जाते हैं, जो गंध की भावना के लिए जिम्मेदार होते हैं।

  6. स्वाद का अनुभव:
    भोजन उन रसायनों को छोड़ता है जो नाक तक जाते हैं और चबाते समय नाक के अंदर ओलफैक्टरी रिसेप्टर्स को सक्रिय करते हैं। वे भोजन के वास्तविक स्वाद को निर्धारित करने के लिए, स्वाद कलियों के साथ सहयोग करते हैं।

नाक के रोग | Nose Ki Bimariya

  1. एलर्जिक राइनाइटिस
    राइनाइटिस को आमतौर पर एलर्जिक राइनाइटिस के रूप में जाना जाता है। यह नेसल मेम्ब्रेन की सूजन है जिसके लक्षण हैं: छींकना, नाक की खुजली, नाक का कंजेस्शन और रहिनोरिया।

    हालांकि एलर्जिक राइनाइटिस के ज्यादा जोखिम नहीं है (जब तक कि गंभीर अस्थमा या एनाफिलेक्सिस की स्थिति न हो), यह स्थिति महत्वपूर्ण रुग्णता(मोर्बिडिटी) पैदा कर सकती है।

    एलर्जिक राइनाइटिस तब होता है, जब पराग जैसे एलर्जेन से नाक में जलन होती है। इसका इलाज, अधिकांश तौर पर ओवर-द-काउंटर दवाओं के साथ किया जा सकता है।

  2. डेविएटेड सेप्टम
    डेविएटेड सेप्टम एक पतली दीवार है, जो कि बाएं और दाएं नासिका मार्ग को अलग करती है। जब नेसल सेप्टम को एक तरफ डिस्प्लेस किया जाता है, तो इसका परिणामस्वरुप डेविएटेड सेप्टम में होता है।

    नाक की चोट से अक्सर डेविएटेड सेप्टम की समस्या हो सकती है। जन्म के समय मौजूद समस्या भी एक डेविएटेड सेप्टम का कारण बन सकती है।

    जब भ्रूण गर्भ में विकसित होता है तो डेविएटेड सेप्टम की स्थिति शायद ही कभी होती है और जन्म के समय दिखाई भी नहीं देती।

  3. बढ़े हुए टरबाइन
    टर्बाइनेट हाइपरट्रॉफी, नाक के अंदर टर्बाइनेट्स और बोनी स्ट्रक्चर्स की असामान्य वृद्धि है।

    एलर्जी या सर्दी के कारण वो इर्रिटेट हो जाते हैं, जिससे उनमें सूजन आ जाती है ओर उनका आकार बढ़ जाता है। सूजन के कारण, सांस लेने में मुश्किल हो सकती है। डीकन्जेस्टन्ट नेज़ल स्प्रे का अत्यधिक उपयोग भी सूजन का एक अन्य कारण है।

    यदि टर्बाइनेट में सूजन है, तो डॉक्टर सूजन को कम करने के लिए दवा लिख ​​सकते हैं, जिसमें नेसल कॉर्टिकोस्टेरॉइड और नेसल एंटीहिस्टामाइन स्प्रे शामिल हैं। यदि बढ़े हुए टर्बिनेट्स के कारण नाक में रुकावट होती है तो सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

  4. नेसल ट्रॉमा
    नेसल ट्रॉमा, एक प्रकार की चोट है जो त्वचा, हड्डी या कार्टिलेज जैसे नाक के किसी भी स्ट्रक्चरल कॉम्पोनेन्ट को नुकसान पहुंचा सकती है।

    नेसल ट्रॉमा में शामिल हैं: नाक में फ्रैक्चर, नकसीर का फूटना, केमिकल इर्रिटेशन या नाक के अंदर की चोटें।

  5. साइनस का इन्फेक्शन
    साइनसाइटिस, साइनस की सूजन होती है। साइनस नाक के आस-पास की हड्डियों के भीतर स्थित होते हैं, जो नाक के माध्यम से निकलने वाले बलगम को स्रावित करते हैं।

    एक संक्रमण या अन्य समस्या, इस रोग का कारण हो सकता है। जब नाक में सूजन हो जाती है, तो इसके कारण साइनस ब्लॉक हो जाते हैं और दर्द का कारण बन सकते हैं। सामान्य सर्दी, एलर्जिक राइनाइटिस, नेसल पॉलीप्स और डेविएटेड सेप्टम के कारण होने वाली नेसल कैविटी शिफ्ट ऐसी स्थितियां हैं जो साइनस ब्लॉकेज का कारण बन सकती हैं।

नाक की जांच | Nose Ke Test

  • ब्लड टेस्ट: इसका उपयोग विशिष्ट एंटीबॉडी देखने के लिए किया जाता है जिसके कारण एलर्जी हो सकती है।
  • नॉन-इनवेसिव स्वेट टेस्ट: सिस्टिक फाइब्रोसिस की जांच के लिए यह एक नॉनइनवेसिव स्वेट टेस्ट है, जिससे यह पता चलता है कि रोगी का पसीना, अन्य लोगों के पसीने की तुलना में नमकीन है या नहीं।
  • नाक की एंडोस्कोपी: एंडोस्कोप एक पतली ट्यूब होती है जिसे नेसल पैसेज में डाला जा सकता है। ट्यूब में एक लाइट और मैग्नीफाइंग लेंस लगा होता है, जिससे चिकित्सक नाक के अंदर देख सकता है।
  • सीटी स्कैन: कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन, जिसे सीटी स्कैन के रूप में जाना जाता है, का उपयोग नाक के साइनस और इंटरनल स्ट्रक्चर्स को देखने के लिए किया जाता है।
  • स्किन-प्रिक टेस्टिंग: इसका उपयोग अक्सर तब किया जाता है जब संदेह होता है कि नाक में एलर्जी है। त्वचा के नीचे बहुत कम मात्रा में संभावित एलर्जेन इंजेक्ट किए जाते हैं। यदि उस जगह की त्वचा लाल हो जाती है और उसमें सूजन आ जाती है, तो उस एलर्जेन से एलर्जी की उपस्थिति हो सकती है।
  • एमआरआई स्कैन: मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग स्कैन, जिसे एमआरआई भी कहते हैं, का उपयोग मस्तिष्क की डीप स्ट्रक्चर्स और नाक की बीमारी के मस्तिष्क से कनेक्शन को जानने के लिए किया जा सकता है।

नाक का इलाज | Nose Ki Bimariyon Ke Ilaaj

  • टर्बिनेक्टॉमी: नाक के कोंच या नाक के पॉलीप्स को सर्जरी द्वारा हटाया जाता है जो कि संक्रमण में फंसा होता है और अत्यधिक बलगम स्राव के कारण हाइपरप्लासिया के लक्षणों को उत्पन्न्न करता है, जिसे टर्बाइनक्टोमी कहा जाता है।
  • विडियन न्यूरोक्टोमी: इस सर्जरी में, न्यूरोनल इम्पलसेस जो कि मीडियन नर्व से ट्रांसमिट होते हैं, उनको ब्लॉक किया जाता है जिससे कि वासोमोटर रायनाइटिस का इलाज किया जा सके।
  • नाक के फ्रैक्चर के लिए रिडक्शन सर्जरी: रोगी को लोकल इस टोपिकल एनेस्थेसिया दिया जाता है ओर नाक के फ्रैक्चर को ठीक किया जाता है। यदि दुर्घटना के परिणामस्वरूप नाक टेढ़ी हो गयी है, तो हड्डियों को फिर से सही एलाइनमेंट में लाने के लिए और फिर सीधा करने के लिए, हड्डियों में रिडक्शन की आवश्यकता हो सकती है।
  • सेप्टोप्लास्टी: यह एक सर्जिकल उपचार है जिसमें एक डेविएटेड नेसल सेप्टम को कनेक्ट किया जाता है, जिससे नाक के वायु प्रवाह में सुधार होता है और एक बंद नेसल पैसेज की स्थिति में भी सुधार होता है।
  • एंडोस्कोपिक एंडोनेसल एक्ससीज़न: यह एक सर्जिकल उपचार है जिसमें नेसल ट्यूब के माध्यम से ब्रेन ट्यूमर और घावों को हटाया जाता है। यह एक नॉन-इनवेसिव सर्जिकल विधि है जिसमें क्रैनियोटॉमी की आवश्यकता नहीं होती है।

नाक की बीमारियों के लिए दवाइयां | Nose ki Bimariyo ke liye Dawaiyan

  • नाक के कंजेस्शन के लिए म्यूकोप्यूरुलेंट दवाएं: खांसी के साथ-साथ बहती या भरी हुई नाक वाले संक्रमणों को इस दवा की मदद से ठीक किया जा सकता है। म्यूकोलिटिक दवाएं, जैसे कि गाइफेनेसीन के उपयोग से बलगम की चिपचिपाहट में कमी हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप बलगम को निकालने में आसानी होती है।
  • नाक के कंजेस्शन के लिए एंटीबायोटिक्स: अधिकांश साइनस संक्रमणों के इलाज के लिए, एंटीबायोटिक थेरेपी की आवश्यकता नहीं होती है और यदि उनका इलाज नहीं किया जाता है तो भी सुधार हो सकता है। एंटीबायोटिक्स आमतौर पर केवल मेडिकल प्रोफेशनल्स द्वारा साइनस संक्रमण के लिए निर्धारित किए जाते हैं जो अपने आप ठीक नहीं होते हैं। कुछ उदाहरण हैं: ऑगमेंटिन (एमोक्सिसिलिन / क्लैवुलनेट), ज़िथ्रोमैक्स (एज़िथ्रोमाइसिन), और लेवाक्विन(लेवोफ़्लॉक्सासिन)
  • खांसी और जुकाम के लिए एंटीपायरेटिक्स और एनाल्जेसिक: जब एंटीपीयरेटिक्स और एनाल्जेसिक की आवश्यकता होती है या जब दर्द होता है तो डॉक्टरों द्वारा एसिटामिनोफेन, इबुप्रोफेन और नेप्रोक्सेन निर्धारित की जाती हैं। ये ऐसी दवाएं हैं जो आमतौर पर निर्धारित की जाती हैं। सामान्य सर्दी के साथ होने वाली सामान्यीकृत बेचैनी, सिरदर्द और बुखार को कम करने के लिए इनका उपयोग किया जाता है।
  • एलर्जिक राइनाइटिस के लिए एंटीहिस्टामाइन: एलर्जिक राइनाइटिस के उपचार में, पहली पीढ़ी के एंटीहिस्टामाइन, जिसमें डिफेनहाइड्रामाइन, फेक्सोफेनाडाइन, एक्रिवास्टाइन, एज़ाटाडाइन, ब्रोम्फेनिरामाइन, कार्बिनोक्सामाइन, क्लोरफेनिरामाइन और क्लेमास्टिन शामिल हैं, नाक की रुकावट और बलगम के उत्पादन के लक्षणों को कम करने में फायदेमंद होते हैं।
  • नाक के कंजेस्शन के लिए स्टेरॉयड: एंटी-इंफ्लेमेटरी स्टेरॉयड नेसल स्प्रे, जिसे कॉर्टिकोस्टेरॉइड नेसल स्प्रे के रूप में भी जाना जाता है, ऐसी दवाएं हैं जो नाक में छिड़की जाती हैं और स्टेरॉयड हार्मोन के रिलीज़ को रोककर काम करती हैं। एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट हैं: बेक्लोमेथासोन, बुडेसोनाइड, और फ्लूटिकासोन
  • नाक के कंजेस्शन के लिए नेसल ड्रॉप्स: सर्दी, एलर्जी, या हे फीवर नाक के मार्ग में जलन पैदा कर सकता है, जिसे ऑक्सीमेटाज़ोलिन नाक स्प्रे से कम किया जा सकता है।

Content Details
Written By
PhD (Pharmacology) Pursuing, M.Pharma (Pharmacology), B.Pharma - Certificate in Nutrition and Child Care
Pharmacology
English Version is Reviewed by
MD - Consultant Physician
General Physician
Having issues? Consult a doctor for medical advice