मासिक धर्म या पीरियड्स लड़कियों के गर्भाशय से होने वाला रक्त स्राव है जो उनकी योनि के माध्यम से बाहर आता है। यह एक संकेत है कि लड़की युवावस्था में प्रवेश कर चुकी है। ये शरीर में हार्मोनल परिवर्तन के कारण होता है। दरअसल हार्मोन रासायनिक संदेशवाहक हैं। अंडाशय या ओवरीज़ फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन जारी करते हैं। ये हार्मोन गर्भाशय की परत के निर्माण का कारण बनते हैं। गर्भाशय की ये परत एक फर्टिलाइज़्ड अंडे से जुड़ने और विकसित होने के लिए तैयार होती है। यदि कोई फर्टिलाइज़्ड अंडा नहीं मिलता है, तो यह परत टूट जाती है और खून बहता है। यही प्रक्रिया हर महीने दोहराई जाती है ।
इस परत को बनने और फिर टूटने में आमतौर पर लगभग एक महीने का समय लगता है। इसलिए ज्यादातर लड़कियों और महिलाओं को महीने में लगभग एक बार पीरियड्स आते हैं।
पीरियड्स के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
इसके अलावा कुछ सामान्य लक्षणों की बात करें तो उनमें शामिल हैं-
लड़कियों को मासिक धर्म आमतौर पर 12 वर्ष की आयु के आसपास शुरु होते हैं। हालाँकि कभी-कभी इनका 10 और 15 या 16 वर्ष की आयु में शुरु होना भी सामान्य माना जाता है। माता-पिता आमतौर पर स्तन विकास के लगभग दो या तीन साल बाद अपनी बच्ची के पहले पीरियड्स की उम्मीद कर सकते हैं।
लड़कियों के पीरियड्स जिसे मासिक धर्म भी कहा जाता है एक सामान्य प्रक्रिया है जो एक स्वस्थ रिप्रोडक्टिव सिस्टम का संकेत है। पीरियड्स में लड़कियों के गर्भाशय की परत टूटकर कर बहती है जो रक्तस्राव के रूप में योनि से बाहर आती है। यदि आप गर्भवती नहीं हैं तो यह आमतौर पर हर महीने होता है। हर महीने आपकी ओवरीज़ अंडा रिलीज़ करती हैं । अगर ये अंडा एक स्परम से मिलकर फर्टिलाइज़ होता है तो यह गर्भाशय की परत से चिपककर शिशु में विकसित होता है। पर यदि ये अंडा स्पर्म से फर्टिलाइज़ नहीं होता तो गर्भाशय की परत टूटकर गिर जाती है। ये प्रक्रिय़ा हर महीने दोहराई जाती है जो आपके हार्मोन में परिवर्तन के कारण आपके चक्र के दौरान आपके द्वारा विकसित गर्भाशय की परत को छोड़ने का संकेत देती है।
किसी भी लड़की के मासिक धर्म शुरू होने के बाद पहले कुछ वर्षों तक, यह नियमित रूप से नहीं आते हैं। यह बहुत सामान्य बात है। शुरुआत में हल्की स्पॉटिंग हो सकती है। धीरे धीरे पीरियड्स सामान्य रक्तस्राव में बदलते हैं। इस दौरान पहले कुछ वर्षों तक ये दो से तीन महीने के अंतराल पर भी आ सकते हैं। अपनी पहली माहवारी के लगभग 2-3 साल बाद, एक लड़की के मासिक धर्म सामान्य हो जाते हैं और हर 4-5 सप्ताह में एक बार आने लगते हैं।
जी हां, माहवारी शुरू होते ही एक लड़की गर्भवती हो सकती है। बल्कि वैज्ञानिक रूप से एक लड़की अपनी पहली माहवारी से ठीक पहले गर्भवती भी हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि लड़कियों में पीरियड्स के हार्मोन कुछ समय पहले से ही सक्रिय हो सकते हैं। इन हार्मोन्स के कारण ओव्यूलेशन और गर्भाशय की परत का निर्माण हो सकता है। यदि कोई लड़की यौन संबंध बनाती है, तो वह गर्भवती हो सकती है, भले ही उसे कभी माहवारी न हुई हो।
मासिक धर्म आमतौर पर लगभग 5 दिनों तक रहता है। लेकिन कुछ लड़कियों में ये दो दिनों में ही खत्म हो जाते हैं वहीं कुछ लड़कियों को ये सात दिनों तक भी रह सकते हैं।
मासिक धर्म आमतौर पर पिछले चक्र खत्म होने के 28वें दिन शुरु होते हैं। या फिर ये हर 4-5 सप्ताह में एक बार हो सकते हैं। हालांकि कुछ लड़कियों के पीरियड्स किसी बीमारी या हार्मोनल गड़बड़ी के कारण समय से पहले या बाद में आ सकते हैं।
मासिक धर्म में कई दिनों तक होने वाला रक्त स्राव बहुत अधिक लग सकता है। हालांकि आमतौर पर पूरी अवधि के दौरान केवल 4 - 5 बड़े चम्मच रक्त ही बहता है । अधिकांश लड़कियों को अपने पैड, टैम्पोन या मेंस्ट्रुअल कप को दिन में लगभग 3‒6 बार बदलने की आवश्यकता होती है।
हर्बल चाय पियें
पीरियड्स के दर्द से राहत पाने के लिए हर्बल चाय एक बेहतपीन उपाय है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण और एंटीस्पास्मोडिक तत्व होते हैं जो गर्भाशय में मांसपेशियों की ऐंठन को कम कर सकते हैं । मासिक धर्म की ऐंठन से राहत पाने के लिए कैमोमाइल, सौंफ या अदरक की चाय पीना एक आसान तरीका है। हर्बल चाय के सेवन से तनाव और अनिद्रा में राहत मिल सकती है ।
सूजन-रोधी खाद्य पदार्थों का सेवन करें
कुछ खाद्य पदार्थ ऐंठन के लिए प्राकृतिक राहत प्रदान कर सकते हैं। एंटी इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थ रक्त प्रवाह को बढ़ावा देने और आपके गर्भाशय को आराम देने में मदद कर सकते हैं। जामुन, टमाटर, अनानास और हल्दी, अदरक या लहसुन खाने की कोशिश करें। पत्तेदार हरी सब्जियां, बादाम, अखरोट और वसायुक्त मछली, जैसे सैल्मन भी सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
प्रोसेस्ड फूड और अधिक चीनी से बचें
पीरियड्स में मूड स्विंग्स भी काफी होते हैं ऐसे में जंक फूज खाने के मन ललचा सकता है। पर चीनी, ट्रांस फैट्स और नमक में उच्च खाद्य पदार्थ सूजन पैदा कर सकते हैं, जिससे मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन बढ़ सकती है।
डिकैफ़िनेटेड कॉफ़ी पिएं
कैफीन आपके रक्त वाहिकाओं को संकीर्ण करने का कारण बनता है। यह आपके गर्भाशय को संकुचित कर सकता है, जिससे ऐंठन अधिक दर्दनाक हो सकती है। इसलिए पीरियड्स के दौरान डिकैफ़िनेटेड कॉफ़ी पिएं ।
हीटिंग पैड का उपयोग करें
पेट की सिंकाई आपकी मांसपेशियों को आराम देने, रक्त प्रवाह में सुधार करने और तनाव दूर करने में मदद कर सकती है। एक हीटिंग पैड लगाकर सिंकाई करें ।इसके अलावा गर्म पानी से स्नान करें ।
व्यायाम करें
व्यायाम आपके शरीर में एंडोर्फिन छोड़ता है जो आपका मूड बेहतर बना सकते हैं और दर्द कम कर सकते हैं । पीरियड्स में आराम पाने के लिए पंद्रह मिनट का योग, हल्की स्ट्रेचिंग या पैदल सैर करें ।
मसाज थेरेपी आजमाएं
मसाज थेरेपी गर्भाशय को आराम देकर ऐंठन को कम कर सकती है। पीरियड क्रैम्प को सबसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए, मसाज थेरेपी को पेट पर करना चाहिए। हालांकि आप पूरे शरीर की मालिश भी कर सकती हैं जो आपके समग्र तनाव को कम करती है,साथ ही मासिक धर्म की ऐंठन को दूर करने में भी मदद कर सकती है।
दर्द निवारक दवाएं लें
इबुप्रोफेन जैसी एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएं आपको दर्द से राहत दिला सकती हैं।
मासिक धर्म शुरू होने पर रक्त को सोखने के लिए कुछ सैनिटरी उत्पाद का उपयोग करने की आवश्यकता होती है। बाज़ार में बहुत सारे अलग-अलग उत्पाद मौजूद हैं। आपके लिए क्या सही है, यह जानने के लिए कुछ प्रयोग करना पड़ सकता है। मुख्य रूप से पीरियड्स में सैनिटरी पैड, टैम्पोन या मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग किया जाता है। आइए हम आपको हर उत्पाद के बारे में विस्तार से बताते हैंं
अधिकांश पैड के नीचे एक चिपचिपी पट्टी होती है। आप चिपकने वाली कागज़ की पट्टी को छीलते हैं और पैड को अपने अंडरवियर में चिपकाते हैं।
ये पैड हर बार इस्तेमाल के बाद धोए जाते हैं। इस तरह के पैड लड़कियों के अंडरवियर पर स्नैप या क्लिप हो जाते हैं। लड़कियां इन पैड्स का इस्तेमाल कर हर महीने नए पैड पर पैसे खर्च करने से बच सकती हैं ।ये पर्यावरण के लिए बेहतर माने जाते हैं ।
टैम्पोन की तरह, मेंस्ट्रुअल कप को योनि में डाला जाता है। ये रक्त को सोखने के बजाय उसे कप में जमा करता है।मेंस्ट्रुअल कप रबर या सिलिकॉन जैसी लचीली सामग्री से बने होते हैं। इसे दिन में कई बार खाली किया जाता है।