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Last Updated: Mar 16, 2023
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पेरीफेरल नर्वस सिस्टम- शरीर रचना (चित्र, कार्य, बीमारी, इलाज)

पेरीफेरल नर्वस सिस्टम का चित्र | Peripheral Nervous System Ki Image पेरीफेरल नर्वस सिस्टम के अलग-अलग भाग पेरीफेरल नर्वस सिस्टम के कार्य | Peripheral Nervous System Ke Kaam पेरीफेरल नर्वस सिस्टम के रोग | Peripheral Nervous System Ki Bimariya पेरीफेरल नर्वस सिस्टम की जांच | Peripheral Nervous System Ke Test पेरीफेरल नर्वस सिस्टम का इलाज | Peripheral Nervous System Ki Bimariyon Ke Ilaaj पेरीफेरल नर्वस सिस्टम की बीमारियों के लिए दवाइयां | Peripheral Nervous System ki Bimariyo ke liye Dawaiyan

पेरीफेरल नर्वस सिस्टम का चित्र | Peripheral Nervous System Ki Image

पेरीफेरल नर्वस सिस्टम का चित्र | Peripheral Nervous System Ki Image

शरीर का नर्वस सिस्टम दो भागों में विभाजित होता है: सेंट्रल नर्वस सिस्टम (CNS) और पेरीफेरल नर्वस सिस्टम (PNS)। मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के कंपोनेंट्स से मिलकर ही, सीएनएस बना है।

PNS वे सभी नर्व्ज़ होती हैं जो CNS कंपोनेंट्स से बाहर निकलती हैं और शरीर के अन्य भागों - सेंस ऑर्गन्स, मांसपेशियों और ग्लांड्स तक फैलती हैं। PNS, CNS को शरीर के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।

पीएनएस, सेंसेस से जानकारी लेकर उसको मस्तिष्क तक भजता है। इसमें सिग्नल होते हैं जो मांसपेशियों को मूव होने की अनुमति देते हैं। पीएनएस, सिग्नल्स भी भेजता है जिसका उपयोग मस्तिष्क द्वारा दिल की धड़कन और सांस लेने जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

पीएनएस(पेरीफेरल नर्वस सिस्टम) को दो भागों में विभाजित किया गया है: सोमेटिक नर्वस सिस्टम और ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम। सोमेटिक नर्वस सिस्टम में वो नर्व्ज़ होती हैं जो त्वचा और मांसपेशियों में जाती हैं और सचेत गतिविधियों में शामिल होती हैं। ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम में वो नर्व्ज़ होती हैं जो सीएनएस को हृदय, पेट और आंतों जैसे आंतों के अंगों से जोड़ती हैं। यह अचेतन गतिविधियों की मध्यस्थता करता है।

पेरीफेरल नर्वस सिस्टम के अलग-अलग भाग

पेरीफेरल नर्व्ज़, ह्यूमन नर्वस सिस्टम का एक अभिन्न अंग हैं। नर्वस सिस्टम के निम्न भाग होते हैं:

  • सेंट्रल नर्वस सिस्टम (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी)
  • पेरीफेरल नर्वस सिस्टम

पेरीफेरल नर्व्ज़, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के बाहर स्थित होती हैं। वे, मस्तिष्क और शरीर के बाकी हिस्सों के बीच सूचना को प्रसारित करती हैं।

पेरीफेरल नर्वस सिस्टम, दो मुख्य भागों में बंटा हुआ है:

  • ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम (एएनएस): ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम, उन कार्यों को नियंत्रित करता है जो शरीर खुद ही करता है और उनपर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता। ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम, ग्रंथियों को भी नियंत्रित करता है।
  • सोमेटिक नर्वस सिस्टम (एसएनएस): सोमेटिक नर्वस सिस्टम, मांसपेशियों की गति को नियंत्रित करता है। साथ ही कान, आंख और त्वचा से सेंट्रल नर्वस सिस्टम तक जानकारी पहुंचाता है।

पेरीफेरल नर्वस सिस्टम के दो मुख्य भागों में तीन प्रकार की पेरीफेरल नर्व्ज़ पाई जाती हैं:

  • सेंसरी नर्व्ज़: ये नसें, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को त्वचा से जोड़ती हैं और इनके कारण ही दर्द और अन्य संवेदनाओं को महसूस कर पाते हैं।
  • ऑटोनोमिक नर्व्ज़: अनैच्छिक कार्य (जैसे, ब्लड प्रेशर, डाइजेशन, हृदय गति), ऑटोनोमिक नर्व्ज़ द्वारा नियंत्रित होते हैं।
  • मोटर नर्व्ज़: शरीर में मूवमेंट के सही तरीके से होने के लिए, ये नर्व्ज़ मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को मांसपेशियों से जोड़ती हैं।
  • पेरीफेरल नर्वस सिस्टम में मौजूद नसें:
  • ब्रैकियल प्लेक्सस (रेडियल नर्व, मीडियन नर्व, उलनार नर्व)
  • पेरोनियल नर्व (फुट ड्रॉप)
  • फेमोरल नर्व
  • लेटरल फेमोरल क़्यूटेनियस नर्व
  • साइटिक नर्व
  • स्पाइनल एक्सेसरी नर्व
  • टिबियल नर्व

न्यूरॉन्स, वे सेल्स होते हैं जो इलेक्ट्रिकल और केमिकल दोनों संकेतों का उपयोग करके, नर्वस सिस्टम के माध्यम से सिग्नल भेजते और रिले करते हैं।

प्रत्येक न्यूरॉन में निम्न शामिल हैं:

  • सेल बॉडी: यह सेल का मुख्य भाग है।
  • एक्सोन: यह एक लंबा, हाथ जैसा हिस्सा है जो सेल के शरीर से बाहर की ओर फैला होता है। एक्सोन के अंत में, अंगुलियों जैसे एक्सटेंशन्स होते हैं जहां पर न्यूरॉन में मौजूद इलेक्ट्रिकल सिग्नल एक केमिकल सिग्नल बन जाता है। सिनैप्स के रूप में जाने जाने वाले ये एक्सटेंशन, पास में मौजूद नर्व सेल्स तक जाते हैं।
  • डेन्ड्राइट्स: ये छोटी-छोटी ब्रांचेज जैसे होते हैं, सेल बॉडी पर। पास के अन्य न्यूरॉन्स के सिनैप्स से, रासायनिक संकेतों को प्राप्त करने के लिए डेन्ड्राइट रिसीविंग पॉइंट हैं।
  • माइलिन: यह फैटी केमिकल कपूणडस से बनी एक पतली लेयर होती है। मायेलिन कई न्यूरॉन्स के एक्सोन को घेरता है और एक सुरक्षात्मक आवरण के रूप में कार्य करता है।

ग्लियल सेल्स

ग्लियल सेल्स के कई अलग-अलग कार्य होते हैं। जब व्यक्ति युवावस्था में होता है तो न्यूरॉन्स उसको विकसित करने और बनाए रखने में मदद करते हैं। साथ ही ग्लियल सेल्स ये प्रबंधन करते हैं कि न्यूरॉन्स पूरे जीवन में कैसे काम करते हैं। ग्लियल सेल्स , नर्वस सिस्टम को संक्रमण से भी बचाते हैं, नर्वस सिस्टम में केमिकल संतुलन को नियंत्रित करते हैं और न्यूरॉन्स के एक्सोन पर माइलिन कोटिंग बनाते हैं। नर्वस सिस्टम में न्यूरॉन्स की तुलना में 10 गुना अधिक ग्लियल सेल्स होते हैं।

पेरीफेरल नर्वस सिस्टम के कार्य | Peripheral Nervous System Ke Kaam

  1. इंद्रियां(सेंसेस): दिमाग अपने आसपास की दुनिया के बारे में जानकारी कैसे प्राप्त करता है इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है: पेरीफेरल नर्वस सिस्टम(पीएनएस)। यह कार्य सोमेटिक नर्वस सिस्टम के अंतर्गत आता है।

    दिमाग, एक शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर की तरह होता है। हालाँकि, इसे शरीर के अलावा बाहर की दुनिया के बारे में कुछ नहीं पता होता। इसलिए, पेरीफेरल नर्वस सिस्टम की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण है। जैसे कि कंप्यूटर को बाहरी जानकारी देने के लिए कैमरा, माइक्रोफोन या कीबोर्ड जैसे पेरीफेरल उपकरणों की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मस्तिष्क के लिए ऐसे ही आवश्यकता होती है।

    पेरीफेरल नर्वस सिस्टम के माध्यम से ही, मस्तिष्क बाहरी दुनिया के बारे में जानकारी प्राप्त करता है। पेरीफेरल नर्वस सिस्टम का अधिकांश भाग, रीढ़ की हड्डी से बाहर निकलकर या फिर उसमें प्रवेश करके, शरीर के बाकी हिस्सों में जाता है। क्रेनियल नर्व्ज़, अन्य पेरीफेरल नर्व्ज़ से अलग होती हैं और ये विशेष नसें सीधे मस्तिष्क से जाकर जुड़ती हैं। ये नसें नाक, कान और मुंह के साथ-साथ कई अन्य अंगों से संकेत लेती हैं। क्रेनियल नर्व्ज़ के माध्यम से चेहरे, सिर और गर्दन की त्वचा में स्पर्श की भावना भी होती है।

    अन्य पेरीफेरल नर्व्ज़, शरीर के हर हिस्से में आपस में जुड़ी हुई होती हैं। वे हर जगह फैली हुई होती हैं, जिसमें हाथों की उंगलियां और पैर की उंगलियां भी शामिल हैं। हाथों और पैरों में मौजूद सेंसरी नर्व्ज़, बाहरी दुनिया से जानकारी प्राप्त करके, उन्हें मस्तिष्क में भेजती हैं। मोटर नर्व्ज़ की मदद से शरीर के विभिन्न हिस्से मूव कर पाते हैं।

  2. मूवमेंट: पेरीफेरल नर्व्ज़ जो कि पूरे शरीर में बाहर की ओर जाती हैं, मस्तिष्क से मांसपेशियों तक कमांड सिग्नल पहुंचाती हैं। इनकी मदद से व्यक्ति इधर-उधर जा सकता है, मूव कर सकता है और सभी प्रकार के कार्य कर सकता है।
  3. अचेतन प्रक्रियाएं: ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम, हमारे सोचे बिना ही अपना काम करता है। दिमाग का एक हिस्सा हमेशा काम कर रहा होता है, प्रक्रियाओं का प्रबंधन कर रहा होता है जिसके कारण व्यक्ति जीवित रह पाता है। उन कार्यों को नियंत्रित करने के लिए, मस्तिष्क को पेरीफेरल नर्वस सिस्टम की आवश्यकता होती है। इन प्रक्रियाओं के उदाहरणों में हृदय गति, श्वास, रक्तचाप और पेट के भोजन का पाचन आदि शामिल है।

पेरीफेरल नर्व सिस्टम, अन्य अंगों के साथ कैसे मदद करता है?

पेरीफेरल नर्वस सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है: ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम। इसकी मदद से मस्तिष्क, शरीर के सभी महत्वपूर्ण अंगों को नियंत्रित कर पाता है। इसकी मदद से दिमाग खुद की देखभाल करने में भी समर्थ है। इसका एक उदाहरण है: मस्तिष्क द्वारा दिल की धड़कन नियंत्रित की जाती है, जो यह सुनिश्चित करता है कि हृदय, शरीर और मस्तिष्क को रक्त पंप करता रहे। उस रक्त प्रवाह के बिना, दिमाग मिनटों में मर जाएगा।

पेरीफेरल नर्वस सिस्टम, उन अंगों से भी नर्व सिग्नल्स को मस्तिष्क तक पहुंचाता है। उदाहरणों में शामिल हैं: जब भी व्यक्ति कुछ भी गर्म पेय पीता है तो पेट के अंदर गर्मी महसूस होती है या भोजन के बाद उसे पेट भरा हुआ महसूस होता है ।

पेरीफेरल नर्वस सिस्टम के रोग | Peripheral Nervous System Ki Bimariya

  • हैनसेन रोग (जिसे कुष्ठ रोग के रूप में जाना जाता है): इस बीमारी के प्रभाव त्वचा पर सबसे अधिक दिखाई देते हैं और यह पेरीफेरल नसों को भी नुकसान पहुंचाती है।
  • जन्मजात और अनुवांशिक स्थितियां: जब कोई व्यक्ति पैदा होता है तो ये समस्याएं होती हैं। आनुवंशिक स्थितियां वे हैं जिन्हें आप माता या पिता या फिर दोनों से प्राप्त करते हैं।
  • संक्रमण: एचआईवी जैसे वायरस या बैक्टीरिया जैसे बोरेलिया बर्गडोरफेरी(जो लाइम रोग का कारण बनता है) के कारण होने वाले संक्रमण से नर्व डैमेज हो सकती हैं। एक अन्य सामान्य उदाहरण है: दाद, जो लंबे समय तक नर्व पेन का कारण बन सकता है।
  • दवाएं और चिकित्सा प्रक्रियाएं: कैंसर के इलाज के लिए प्रयोग होनी वाली कुछ प्रकार की एंटीबायोटिक्स और कीमोथेरेपी दवाओं के कारण, पेरीफेरल नर्व्ज़ को नुकसान पहुंच सकता है। इस तरह के नर्व डैमेज, सर्जरी के साइड इफेक्ट के रूप में भी हो सकते हैं।
  • टॉक्सिन्स: मरकरी या लेड जैसे जहरीले हैवी मेटल्स के कारण पेरीफेरल नर्व्ज़ को नुकसान पहुँच सकता है।
  • ट्यूमर: घातक ट्यूमर, जिसे कैंसर के रूप में जाना जाता है, और सौम्य (हानिरहित) ट्यूमर दोनों के कारण ही, परिहपड़ल नर्वस सिस्टम बाधित हो सकता है।
  • टाइप 2 मधुमेह: यदि किसी को टाइप 2 मधुमेह है, तो शरीर के सेल्स, व्यक्ति द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों से चीनी (ग्लूकोज) ठीक से नहीं ले पाएंगे। यदि इलाज नहीं किया जाता है, तो टाइप 2 मधुमेह हृदय रोग, किडनी की बीमारी और स्ट्रोक जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।
  • ल्यूपस: ल्यूपस एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो जोड़ों में दर्द, बुखार, त्वचा पर चकत्ते और अंग क्षति का कारण बन सकती है। ल्यूपस का वर्तमान में कोई इलाज नहीं है और इसके लिए जीवन भर प्रबंधन की आवश्यकता होती है। ल्यूपस आमतौर पर महिलाओं में देखा जाता है - आमतौर पर 15 से 45 वर्ष की उम्र के बीच।
  • गुइलेन-बर्रे सिंड्रोम: गुइलेन-बर्रे सिंड्रोम में, इम्यून सिस्टम शरीर की नसों पर ही हमला करने लगता है। लक्षणों में मांसपेशियों में कमजोरी, दर्द, झुनझुनी और सजगता का नुकसान शामिल हैं।

पेरीफेरल नर्वस सिस्टम की जांच | Peripheral Nervous System Ke Test

  • ईएमजी: इलेक्ट्रोमोग्राफी (ईएमजी), एक डायग्नोस्टिक टेस्ट (मोटर न्यूरॉन्स) का उपयोग करके मांसपेशियों और नर्व्ज़ के कार्यों की जांच की जा सकती है। इलेक्ट्रोमोग्राफी (ईएमजी) टेस्ट के परिणाम से नसों, मांसपेशियों, या नसों-से-मांसपेशी सिग्नल ट्रांसमिशन डिसफंक्शन कि समस्या का निदान हो सकता है।
  • नर्व कंडक्शन वेलोसिटी(NCV): नर्व कंडक्शन वेलोसिटी(NCV) टेस्ट से नर्व इम्पलसेस को निर्धारित किया जा सकता है, जिससे नसों में चोट या शिथिलता का निदान करने में मदद मिल सकती है।
  • लम्बर पंचर (स्पाइनल टैप): पीठ के निचले हिस्से से थोड़ी मात्रा में स्पाइनल कैनाल फ्लूइड को निकाला जाएगा। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का निदान करने के लिए, फ्लूइड में किसी भी प्रकार के संशोधन के लिए जांच की जाती है।
  • नर्व बायोप्सी: आमतौर पर सेंसरी नर्व से नर्व सैंपल लिया जाता है, और इसमें मौजूद विसंगतियों की जांच की जाती है।
  • त्वचा की बायोप्सी: नर्व एंडिंग्स की कमी की जांच करने के लिए, डॉक्टर त्वचा का एक छोटा सा पैच निकाल सकता है।
  • इलेक्ट्रोमायोग्राम: इलेक्ट्रोमोग्राफी (ईएमजी) एक डायग्नोस्टिक टेस्ट है जिससे यह पता चलता है कि मांसपेशियां और नर्व्ज़ कैसे काम करती हैं। डॉक्टर, त्वचा के माध्यम से और मांसपेशियों में पतली सुई डालते हैं। जब व्यक्ति अपनी मांसपेशियों को हिलाते हैं, तो सुइयों के अंत में लगे इलेक्ट्रोड मांसपेशियों में गतिविधि को मापते हैं। डॉक्टर चोटों, मांसपेशियों की बीमारी और न्यूरोमस्कुलर विकारों के निदान के लिए ईएमजी का उपयोग करते हैं।
  • कैरियोटाइप टेस्ट: कैरियोटाइप टेस्ट की मदद से असामान्य क्रोमोसोम्ज़ का पता लगाने के लिए, रक्त या शरीर के फ्लूइड की जांच की जाती है। यह अक्सर विकासशील भ्रूण में अनुवांशिक बीमारियों का पता लगाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • एमआरआई: एक एमआरआई स्कैन ऐसा टेस्ट है जो कि बड़े से मैगनेट, रेडियो वेव्स और कंप्यूटर का उपयोग करके, शरीर के अंदर की संरचनाओं की डिटेल्ड इमेजेज बनाता है। हेल्थकेयर प्रदाता कई अलग-अलग चिकित्सीय स्थितियों का मूल्यांकन, निदान और निगरानी करने के लिए एमआरआई का उपयोग करते हैं।

पेरीफेरल नर्वस सिस्टम का इलाज | Peripheral Nervous System Ki Bimariyon Ke Ilaaj

  • दवाएं: कई दवाएं, पेरीफेरल नर्वस सिस्टम की समस्याओं का इलाज कर सकती हैं। ये कई रूपों में आ सकती हैं जैसे कि इंजेक्शन, मौखिक दवाएं या धीरे-धीरे जारी होने वाले पैच।
  • ऑपरेशन: सर्जरी द्वारा कटी हुई नसों को फिर से जोड़ने में मदद मिल सकती है और फंसी हुई नसों के कारण होने वाले दर्द से राहत दिला सकती है।
  • फिजिकल थेरेपी: फिजिकल थेरेपी से चोटों या चिकित्सा प्रक्रियाओं से उबरने या दर्द के लक्षणों में सुधार में मदद मिल सकती है।
  • उपकरण और पहनने योग्य उपकरण: इनमें चिकित्सा उपकरण जैसे ब्रेसिज़, कैन और वॉकर, निर्धारित जूते और बहुत कुछ शामिल हैं।
  • ट्रांसक्यूटेनियस इलेक्ट्रिकल नर्व स्टिमुलेशन (TENS): ट्रांसक्यूटेनियस इलेक्ट्रिकल नर्व स्टिमुलेशन (TENS) थेरेपी में दर्द का इलाज करने के लिए लो-वोल्टेज इलेक्ट्रिक करंट का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में, एक छोटे से उपकरण द्वारा नसों पर या उसके पास करंट पहुँचाया जाता है।
  • दर्द प्रबंधन के लिए रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन: रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन (RFA) प्रक्रिया में, टिश्यू को नष्ट करने के लिए गर्मी का उपयोग किया जाता है। दर्द प्रबंधन के लिए, नर्व की एक जगह को गर्म करने के लिए रेडियो वेव्स को सुई के माध्यम से भेजा जाता है। यह दर्द के संकेतों को आपके मस्तिष्क में वापस भेजे जाने से रोकता है। RFA को लंबे समय तक दर्द की स्थिति के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से गर्दन, पीठ के निचले हिस्से या गठिया के जोड़ों में जिनका अन्य तरीकों से सफलतापूर्वक इलाज नहीं किया गया है।
  • एक्यूपंक्चर: एक्यूपंक्चर का उपयोग कुछ स्वास्थ्य स्थितियों और लक्षणों, जैसे दर्द से राहत पाने के लिए किया जाता है। एक एक्यूपंक्चरिस्ट, रोगी की त्वचा में कई जगह पर 'बहुत पतली सुई डालता है। सुइयाँ शरीर की ऊर्जा, या क्यूई को पुनर्संतुलित करती हैं, और शरीर को बीमारी या लक्षण से लड़ने के लिए प्राकृतिक रसायनों को छोड़ने के लिए प्रेरित करती हैं।

पेरीफेरल नर्वस सिस्टम की बीमारियों के लिए दवाइयां | Peripheral Nervous System ki Bimariyo ke liye Dawaiyan

  • पेरीफेरल नर्वस सिस्टम में दर्द के लिए एनाल्जेसिक: कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स को अक्सर सूजन को कम करने के लिए केवल थोड़े समय के लिए प्रशासित किया जाता है जिससे कि मांसपेशियों की कमजोरी, ऑस्टियोपोरोसिस, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, और संक्रमण के प्रति संवेदनशील होने जैसे गंभीर दुष्प्रभावों से बचा जा सके।
  • पेरिफेरल नर्वस सिस्टम में जकड़न के लिए मसल रिलैक्सेंट: मेटाक्सलोन, मेथोकार्बामोल, ऑर्फेनाड्राइन या कैरिसोप्रोडोल जैसे मसल रिलैक्सेंट डॉक्टर द्वारा मरीज को दिए जा सकते हैं।
  • पेरीफेरल नर्वस सिस्टम के संक्रमण के इलाज के लिए एंटीवायरल: बैक्टीरिया और फंगल फेफड़ों के संक्रमण से लड़ने के लिए, एंटीवायरल दवाओं जैसे ओसेल्टामिविर या इनहेल्ड ज़नामिविर का उपयोग किया जाता है।
  • पेरीफेरल नर्वस सिस्टम की सूजन को कम करने के लिए स्टेरॉयड: बेसल सेल कार्सिनोमा जैसे प्रतिरक्षा से संबंधित डिसऑर्डर्स के कारण होने वाली सूजन का इलाज करने के लिए ग्लूकोकार्टोइकोड्स का उपयोग किया जाता है। प्रेडनिसोन, बीटामेथासोन और डेक्सामेथासोन इसके उदाहरण हैं।
  • पेरिफेरल नर्वस सिस्टम में संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक्स: एंटीबायोटिक्स दवा का एक वर्ग है जिसका उपयोग बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमण का इलाज करने के लिए किया जाता है जो पीनियल ग्रंथि और मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। दवाओं में सेफलोस्पोरिन और वैनकोमाइसिन हैं।
  • पेरिफेरल नर्वस सिस्टम में दर्द को कम करने के लिए न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स: उनका उपयोग पेरिफेरल नर्वस सिस्टम के उपचार और न्यूरॉन्स और मांसपेशियों के विकास और विकास को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।

Content Details
Written By
PhD (Pharmacology) Pursuing, M.Pharma (Pharmacology), B.Pharma - Certificate in Nutrition and Child Care
Pharmacology
English Version is Reviewed by
MD - Consultant Physician
General Physician
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