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Last Updated: Dec 06, 2022
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पिलोनाइडल साइनस का ऑपरेशन - Pilonidal Sinus Surgery in Hindi

पिलोनाइडल साइनस सर्जरी क्या है? Pilonidal Surgery kya hai? पिलोनाइडल साइनस सर्जरी के प्रकार ]- Pilonidal Sinus surgery ke prakar पिलोनाइडल साइनस सर्जरी कराने के फायदे - Pilonidal Sinus surgery karne ke fayde पिलोनाइडल साइनस का ऑपरेशन क्यों कराया जाता है? - Pilonidal Sinus ki surgery kyun karayi jaati hai? पिलोनाइडल साइनस के ऑपरेशन के लिए डॉक्टर के पास कब जाएं - Pilonidal Sinus ke operation ke liye doctor ke pas kab jaein पिलोनाइडल साइनस की सर्जरी से पहले की तैयारी - Pilonidal Sinus ki surgery se pehle ki tayari पिलोनाइडल साइनस का ऑपरेशन कैसे किया जाता है? - Pilonidal Sinus ka operation kaise kiya jata hai पिलोनाइडल साइनस के ऑपरेशन की जटिलताएं - Pilonidal Sinus ke operation ki jatiltayein पिलोनाइडल साइनस सर्जरी की लागत - Pilonidal Sinus surgery ki laagat पिलोनाइडल साइनस सर्जरी के नुकसान - Pilonidal Sinus surgery ke nuksaan निष्कर्ष - Conclusion

पिलोनाइडल साइनस सर्जरी क्या है? Pilonidal Surgery kya hai?

पिलोनाइडल साइनस सर्जरी क्या है? Pilonidal Surgery kya hai?

पिलोनाइडल साइनस स्किन में छोटा सा एक छेद होता है जिसमें पस यानी मवाद भर जाता है। कभी-कभार इसमें खून की थोड़ी मात्रा भी हो सकती है। पिलोनाइडल साइनस अक्सर पीठ के निचले भाग में या कूल्हे के ऊपर होता है। यह एक तरह से सिस्ट का रूप होता है जिसमें पस और बल्ड के अलावा बाल और गंदगी भी भर जाते हैं। जिसकी वजह से रोगी को बहुत तेज दर्द का सामना करना पड़ सकता है। आमतौर पर यह समस्या एक जगह बैठ कर काम करने वाले लोगों को होती है, जैसे- शॉप कीपर्स, कैब ड्राइवर्स या कॉर्पोरेट फिल्ड में काम करने वाले लोग शामिल हैं। इसमें दर्द, सूजन और लालिमा पिलोनाइडल साइनस के संभावित लक्षण हैं। तरल पदार्थ का रिसाव भी हो सकता है।

जब आपका पिलोनाइडल साइनस संक्रमित हो जाता है तो सर्जरी करने की जरूरत पड़ती है। पहले आपके डॉक्टर एंटीबायोटिक से इसका इलाज करने की कोशिश करते हैं, यदि तब भी ठीक नहीं होता है तो सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।

पिलोनाइडल साइनस इलाज के लिए दो मुख्य तरीके हैं:-

घाव को खुला छोड़ना- बड़े या आवर्तक साइनस संक्रमण का इलाज करने के लिए साइनस के आस पास की त्वचा को हटा दिया जाता है। और खुले घाव को प्राकृतिक रूप से ठीक होने दिया जाता है। प्रक्रिया जनरल एनेस्थीसिया के तहत की जाती है और पूरी तरह से ठीक होने में 6 से 12 सप्ताह लगते हैं। इस प्रक्रिया में साइनस के वापस होने का खतरा सबसे कम होता है और घाव के रोजाना ड्रेसिंग बदलने की जरूरत होती है।

घाव को बंद रखना- बड़े या आवर्तक साइनस संक्रमण का इलाज करने के लिए घाव भरना, और नितंबों की नाली की सर्जरी को बार-बार चपटा करना होता है। साइनस के दोनों ओर त्वचा का ओवल शेप के आकार का फ्लैप हटा दिया जाता है। सामान्य एनेस्थिसिया के तहत, दोनों साइड को एक साथ सिला जाता है। सर्जरी के बाद मरीज उसी दिन अस्पताल से जा सकते हैं।

पिलोनाइडल साइनस सर्जरी के प्रकार ]- Pilonidal Sinus surgery ke prakar

पिलोनाइडल साइनस सर्जरी के लिए साइनस और पिलोनाइडल साइनस ट्रैक्ट को सर्जरी द्वारा पूरी तरह से हटाने की आवश्यकता होती है। भले ही सर्जरी इन्सिश़न और ड्रेनेज की तुलना में अधिक कठिन है, लेकिन इसकी सफलता दर भी अधिक होती है। इसकी सर्जरी में पिलोनाइडल साइनस प्रक्रियाओं के लिए जनरल एनेस्थीसिया का उपयोग किया जाता है। वास्तविक सर्जरी लगभग 30-45 मिनट तक चलती है। पिलोनाइडल साइनस को हटाने के लिए विभिन्न प्रक्रियाएं हैं, उनमें से कुछ हैं:

व्यापक रूप से स्थानीय भाग को हटाना: एक्ससाइज टिश्यू (मांसपेशियों के उप्पर वाला टिश्यू) को हटाकर सेक्रल फ़ैशिया तक पहुंच जाता है। घाव को मेडिकल पैकेजिंग से ढक दिया जाता है ताकि यह अंदर से बाहर तक प्राकृतिक रूप से ठीक हो सके।

मार्सुपियलाइजेशन

सर्जरी वाले स्थान पर कट लगाने के बाद, साइनस की उपरी परत(रूफ) को हटा दिया जाता है। उसके बाद पस को बाहर निकाल कर रेशेदार ऊतक को सुखाया जाता है।

प्राइमरी क्लोजर के साथ ऑपरेशन

इस सर्जरी के दौरान फोड़े और साइनस को सर्जरी से हटा दिया जाता है, और फिर घाव को सिल दिया जाता है या बंद कर दिया जाता है। सिलाई लाइन को मध्य रेखा से दूर रखा जाता है, ताकी तनाव कम हो और उपचार की बेहतर संभावना हो।

इंट्रिकेट क्लोजर के साथ सर्जरी

इसमें साइनस और साइनस ट्रैक्ट को हटा दिया जाता है, और फ्लैप तकनीक का उपयोग करके घाव को सर्जरी द्वारा बंद कर दिया जाता है।

लेजरपिलोनियोडोप्लास्टी (एलपीपी)

इस न्यूनतम इनवेसिव तकनीक में लियोनार्डो लेजर का उपयोग किया जाता है। एलपीपी में, त्वचा पर छोटा सा कट बनाया जाता है, और सभी मवाद को निकाल दिया जाता है। बाद में साइनस ट्रैक्ट को पूरी तरह से बंद करने के लिए लेजर फाइबर का उपयोग किया जाता है।

जेड-प्लास्टी

इस प्रक्रिया में, फोड़ा और साइनस को हटा दिया जाता है, और सर्जन खाली स्थान को भरने के लिए सिर या पैर की दिशा में पॉइंट करते हुए, मध्य रेखा के दोनों ओर ट्रायंगल फ्लैप खोलता है। यह एन-शेप कट जेड-शेप क्लोजर हो जाता है।

क्लेफ्ट लिफ्ट या क्लोजर

इस सर्जरी के दौरान, सर्जन यह सुनिश्चित करता है कि घाव कितना सही है और प्रभावित क्षेत्र से रोगग्रस्त टिश्यू को हटा देता है। इसके परिणामी दोष, फुटबॉल के आकार में कैविटी, मध्य रेखा के समानांतर लेकिन एक तरफ होता है। इसमें किनारों के आसपास की त्वचा की थोड़ी मात्रा छोड़ने के बाद, घाव को कई परतों का उपयोग करके सिल दिया जाता है। क्लेफ्ट लिफ्ट के दौरान छेग का वास्तविक आकार बदल दिया जाता है ताकि इसे बराबर हो सके और तेजी से इलाज किया जा सके।

लिम्बर्ग फ्लैप / ग्लूटियल फ्लैप सर्जरी

जिन रोगियों को गंभीर पिलोनाइडल रोग या दोनों नितंबों को प्रभावित करने वाली बीमारी है, उन्हें लिम्बर्ग फ्लैप / ग्लूटियल फ्लैप ऑपरेशन कराना पड़ता हैं। कैविटी बनाने के लिए, सर्जन ऑब्लॉन्ग-शेप प्लग को हटा देता है जिसमें फोड़ा, त्वचा और फैट होता है। कैविटी को भरने के लिए नितंब के नीचे और बगल से त्वचा का फ्लैप और डेन्स फैट संगठित की जाती है। फ्लैप के किनारों को बीच में लाने के बाद सिल दिया जाता है।

पिलोनाइडल साइनस सर्जरी कराने के फायदे - Pilonidal Sinus surgery karne ke fayde

पिलोनाइडल साइनस के इलाज के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक तरीका सर्जरी है। पिलोनाइडल साइनस सर्जरी के लाभों में शामिल हैं;

  • असहजता दूर होता है।
  • दर्द से राहत मिलता है।
  • कोई भी मवाद या फोड़ा सब ठीक हो जाता है।
  • फैलने से इसे बचाया चजा सकता है।
  • इसे फोड़ा या साइनस कैविटी बनने से रोकता है
  • संक्रमण का खतरा कम होता है।
  • सर्जरी से यह जल्द ठीक हो जाता है।

पिलोनाइडल साइनस का ऑपरेशन क्यों कराया जाता है? - Pilonidal Sinus ki surgery kyun karayi jaati hai?

कोई भी सर्जन या डॉक्टर पिलोनाइडल साइनस सर्जरी की सलाह तब देते हैं जब पिलोनाइडल साइनस को हटाना होता है, या जो ठीक नहीं होता है और दर्द या संक्रमण पैदा करता है। पिलोनाइडल साइनस का इलाज करने की तब तक कोई आवश्यकता नहीं होती है जब तक यह कोई लक्षण पैदा नहीं करता है। पिलोनाइडल साइनस को यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाता है तो यह फोड़ा या साइनस कैविटी में बढ़ता है। ये दोनों संकेत देते हैं कि त्वचा का संक्रमण खराब हो रहा है, इसलिए स्थिति का इलाज करने के लिए सर्जरी की जरूरत होती है।

पिलोनाइडल साइनस के ऑपरेशन के लिए डॉक्टर के पास कब जाएं - Pilonidal Sinus ke operation ke liye doctor ke pas kab jaein

पिलोनाइडल साइनस से जुड़े किसी भी लक्षण या संकेत का यदि आप अनुभव करते हैं तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए। या टेलबोन के आसपास या सिस्ट के पास की त्वचा में कोमलता, गर्मी, लालिमा और सूजन जैसे महसूस होने पर आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। साथ ही नितंबों के बीच पाइलोनिडल सिस्ट के पास की त्वचा में एक छोटी गांठ या छेद से मवाद का निकलने पर आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

पिलोनाइडल साइनस की सर्जरी से पहले की तैयारी - Pilonidal Sinus ki surgery se pehle ki tayari

पिलोनाइडल साइनस सर्जरी अक्सर अस्पताल के सर्जिकल सुविधा के अंतर्गत की जाती है। यह कभी-कभी ज्यादा तेज दर्द होने के बाद आपातकालीन प्रक्रिया के रूप में किया जाता है। पिलोनाइडल साइनस के लिए सर्जिकल विकल्प ज्यादातर मामूली होते हैं, इन सब के बावजूद, कुछ तैयारियां हैं जो सर्जरी से पहले की जानी चाहिए;

इसमें सर्जरी के उसी दिन डिस्चार्ज होने की अधिक संभावना होती है, इसलिए कुछ भी पैक करने की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे में आप एनेस्थीसिया के अंडर हो सकते हैं इसलिए ड्राइव करने से बचें व्यवस्था पहले से कर लें। प्रक्रिया के दिन, अपनी पहचान, बीमा जानकारी, और कोई अन्य कागजात जरूर लेकर अस्पताल पहुंचे, जिसकी सर्जन को आवश्यकता हो सकती है।

सर्जरी से पहले ऐसे आरामदायक कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है। कोई भी आभूषण न पहनें, और कोई भी कीमती सामान अस्पताल ले कर न जाएं।

आपको उपचार से पहले खाना-पीना बंद करने की आवश्यकता है या नहीं, इस संबंध में आपको अपने हेल्थ केयर डॉक्टर से निर्देश प्राप्त हो सकते है। सामान्य तौर पर यह सलाह दी जाती है कि यदि आप जनरल एनेस्थीसिया प्राप्त कर रहे हैं तो उपचार से आठ घंटे पहले खाने-पीने से परहेज करें।

यदि आपकी वर्तमान दवाओं में कोई परिवर्तन किया जाना चाहिए, तो आपका डॉक्टर आपको इसकी सूचना देता है। किसी भी सर्जरी से पहले, कुछ दवाएं नहीं लेनी चाहिए क्योंकि वे ऑपरेशन में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं। सर्जरी के बाद ब्लड थिनर द्वारा विशेष रूप से रक्त के थक्के जमने की समस्या बढ़ सकती है। अपने चिकित्सक को किसी भी दवा के उपयोग के बारे में भी बताएं, जिसमें मारिजुआना, शराब और निकोटीन शामिल हो सकता हैं, क्योंकि ये पदार्थ प्रभावित कर सकते हैं कि आप एनेस्थीसिया पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं।

पिलोनाइडल साइनस का ऑपरेशन कैसे किया जाता है? - Pilonidal Sinus ka operation kaise kiya jata hai

एक बार जब आपको जनरल एनेस्थीसिया लग जाते हैं और आप सो जाते हैं, तो सर्जन सिस्ट और साइनस के साथ-साथ आसपास की त्वचा, छिद्रों, अंतर्निहित टिश्यू और बालों के रोम को काटने और निकालने के लिए स्केलपेल का उपयोग करते हैं।

उस क्षेत्र को खारे घोल से साफ किया जाता है और मवाद को बाहर निकाला जाता है। इस क्षेत्र को एक बार फिर से तब तक साफ किया जाता है जब तक कि संक्रमण के कोई भी लक्षण दिखाई न दें, जिसके बाद सभी सूजन वाले ऊतक को हटा दिया जाता है।

हटाए गए ऊतक की मात्रा यह निर्धारित करती है कि संक्रमण को रोकने के लिए घाव को खुला छोड़ दिया जाता है या त्वरित उपचार की सुविधा के लिए इसे बंद किया जा सकता है। यदि ऊतक की एक महत्वपूर्ण मात्रा को हटा दिया गया है, तो घाव को ढंकने के लिए गौज का उपयोग किया जा सकता है। मवाद को बाहर निकालने में सहायता करने और पुन: संक्रमण से बचने के लिए, ड्रेनेज ट्यूब भी अंदर छोड़ी जा सकती है।

आपके डॉक्टर को बड़े घाव को बंद करने के लिए टांके लगाने की आवश्यकता हो सकती है। कुछ परिस्थितियों में, कट को सीलने की आवश्यकता हो सकती है। यदि सर्जरी के बाद घाव को बंद कर दिया जाता है, तो बार-बार होने वाले संक्रमण का खतरा अधिक होता है। प्रक्रिया की विधि के आधार पर पिलोनाइडल साइनस का इलाज या तो टांके के साथ किया जा सकता है, या बिना टांके के या फोड़े को निकालने के लिए एक ट्यूब छोड़कर इलाज किया जाता है ।

पिलोनाइडल साइनस के ऑपरेशन की जटिलताएं - Pilonidal Sinus ke operation ki jatiltayein

पिलोनाइडल साइनस सर्जरी की सर्जिकल जटिलताओं का कारण हो सकता है;

  • घाव को अलग करना: घाव के अपर्याप्त उपचार के परिणामस्वरूप घाव अलग हो सकता है, जो पहले से अनुमानित घाव के किनारों का आंशिक या पूर्ण सेपरेशन है।
  • घाव का संक्रमण: देखभाल में कमी के कारण रोगी दर्द, कोमलता और एरीथेमा के साथ संक्रमण विकसित कर सकते हैं।
  • रक्तस्राव: अक्सर सर्जरी की साइट से थोड़ा खून बहना देखा जा सकता है
  • लंबे समय तक ठीक होना: हीलिंग का समय आपके द्वारा की जाने वाली सर्जरी प्रक्रिया के प्रकार पर निर्भर करता है।
  • पुनरावृत्ति: पुनरावृत्ति आमतौर पर प्रारंभिक सर्जरी के दौरान ट्रैक्ट को अनुपचारित छोड़ देने के कारण, घाव के संक्रमण से, या फोड़े के विकास के कारण होता है।

ध्यान दें कि, ये सभी जोखिम कारक बहुत दुर्लभ हैं और आपके सर्जन के साथ विस्तृत चर्चा के माध्यम से और सर्जरी के बाद अच्छी देखभाल करके भी इससे बचाया जा सकता है।

पिलोनाइडल साइनस सर्जरी की लागत - Pilonidal Sinus surgery ki laagat

पिलोनाइडल साइनस सर्जरी की लागत भारत के विभिन्न शहरों में 18,000 से 90,000 तक हो सकती है। लागत भी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग-अलग हो सकती है और कई कारकों से प्रभावित हो सकती है, जैसे कि चिकित्सक या सर्जन द्वारा ली जाने वाली फीस, अस्पताल में प्रवेश शुल्क, सुविधा की लागत, की जाने वाली सर्जरी का प्रकार, रोगियों की अन्य स्वास्थ्य स्थितियां, और विशिष्ट परीक्षणों से लेकर पोस्ट-ऑपरेटिव प्रक्रियाओं तक हर चीज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं की कीमत।

पिलोनाइडल साइनस सर्जरी के नुकसान - Pilonidal Sinus surgery ke nuksaan

पिलोनाइडल साइनस सर्जरी के बाद कोई खास नुकसान नहीं देखा गया है। साथ ही इसके जो नुकसान है वह सर्जरी वाली जगह से ब्लीडिंग होना, उस क्षेत्र पर संक्रमण होना और घाव का बनना आदि शामिल है। यदि आपको सर्जरी के बाद किसी भी तरह की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।जिससे कि वो समय रहते रोकथाम या समस्या का समाधान कर सके।

निष्कर्ष - Conclusion

पिलोनाइडल साइनस के संक्रमण का इलाज करने के कई तरीके हैं। सबसे अधिक सलाह दी जाने वाली प्रक्रियाएं सर्जरी और साइनस ड्रेनेज हैं। इलाज के अलावा आपको खुद देखभाल तकनीक जैसे व्यायाम, अच्छी व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना और वजन नियंत्रण करना आपको ठीक होने में मदद कर सकता है। जब आप पिलोनाइडल साइनस की समस्याओं का अनुभव करते हैं, तो तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श करें, और फिर जैसा वे कहते हैं वैसा ही करें।

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Written By
PhD (Pharmacology) Pursuing, M.Pharma (Pharmacology), B.Pharma - Certificate in Nutrition and Child Care
Pharmacology
English Version is Reviewed by
MD - Consultant Physician
General Physician
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