जब एक महिला के गर्भ या गर्भाशय के अंदर भ्रूण विकसित होता है तो उसे गर्भावस्था कहते हैं। इस भ्रूण को पूरी तरह विकसित होकर जन्म लेने तक लगभग 40 सप्ताह या 9 महीने का समय लगता है। पर कई बार कुछ जटिलताओं के कारण शिशु गर्भावस्था का समय पूरा होने से पहले भी जन्म ले सकता है। हालांकि इस स्थिति में वो पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता है और उसे कास देखभाल की ज़रूरत पड़ती है।गर्भावस्था को तीन खंडों यानी ट्राइमेस्टर में विभाजित किया गया है। ये गर्भावस्था के उन तीन चरणों की तरह हैं जिनमें शिशु का विकास चरणबद्ध तरीके से होता है।
गर्भावस्था 9 प्रकार की हो सकती हैं। विभिन्न प्रकार के गर्भधारण के कई कारण हैं, जिनमें माँ की प्रजनन प्रणाली में शारीरिक अंतर, एक साथ कई अंडों का रिलीज़ होना, एक ही अंडा कई शुक्राणुओं द्वारा फर्टिलाइज़ होना या माँ का खराब स्वास्थ्य।
गर्भावस्था के नौ प्रकारों में शामिल हैं
यह एक सामान्य गर्भावस्था है जिसमें भ्रूण गर्भाशय के अंदर प्रत्यारोपित होता है, और प्लेसेंटा गर्भाशय के अंदर गर्भाशय की मांसपेशियों से जुड़ जाता है
इस प्रकार की गर्भावस्था तब होती है जब एक फर्टिलाइज़्ड अंडा फैलोपियन ट्यूब या गर्भाशय के अलावा किसी अन्य स्थान पर प्रत्यारोपित होता है।इस प्रकार की गर्भावस्था असामान्य होती है और आमतौर पर शरीर स्वतः ही गर्भपात कर देता है।कई बार इसे सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
इस प्रकार की गर्भावस्था तब होती है जब एक फर्टिलाइज़्ड अंडा गर्भाशय के बजाय फैलोपियन ट्यूब में प्रत्यारोपित हो जाता है। इस प्रकार की गर्भावस्था व्यवहार्य नहीं है ।
इस प्रकार के गर्भधारण पहले हो चुके सी-सेक्शन के कारण हो सकता है। सी-सेक्शन का निशान कमजोर होकर फट सकता है, और भ्रूण पेट के अंदर फिसल सकता है।
यह एक सामान्य गर्भावस्था है जिसमें एक अंडा एक शुक्राणु से मिलता है और एक भ्रूण विकसित होता है
यह गर्भावस्था तब होती है जब एक ही समय में कई अंडे फर्टिलाइज़ होते हैं या दो शुक्राणु एक अंडे में प्रवेश करते हैं।
यह एक ऑटोइम्यून बीमारी ल्यूपस से पीड़ित महिला की गर्भावस्था है, जिसमें रक्त का थक्का जमना मुश्किल होता है।
इसमें गर्भधारण से लेकर पूरे 9 महीने तक जोखिम बना रहता है।ये 35 की उम्र से अधिक वाली महिलाओं, मधुमेह की पीड़ित महिलाओं या अन्य स्वास्थ्य स्थितियों से पीड़ित महिलाओं को होती है।
एक पूर्ण मोलर गर्भावस्था गर्भाशय में प्लेसेंटा के निर्माण के परिणामस्वरूप होती है जिसमें भ्रूण को सहारा नहीं मिलता है।आंशिक मोलर गर्भावस्था तब होती है जब दो शुक्राणु एक अंडे को निषेचित करते हैं, लेकिन दो भ्रूण विकसित नहीं होते हैं। इसमें भ्रूण सुरक्षित रूप से विकसित नहीं हो सकता है
गर्भावस्था के सबसे आम शुरुआती लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
मिस्ड पीरियड
यदि आप गर्भ धारण करने की कोशिश कर रही हैं।और आपके मासिक धर्म में विलम्ब हो चुका है तो आप गर्भवती हो सकती हैं।
संवेदनशील, सूजे हुए स्तन
गर्भावस्था की शुरुआत में हार्मोनल परिवर्तन के कारण स्तन संवेदनशील और पीड़ादायक हो सकते हैं।
उल्टी या जी मिचलाना
आपको मॉर्निंग सिकनेस महसूस हो सकती है जो दिन या रात के किसी भी समय हो सकती है।यह अक्सर आपके गर्भवती होने के एक से दो महीने बाद शुरू होती है। हालांकि, कुछ महिलाओं में ये पहले भी हो सकती है। कुछ महिलाओं को इन लक्षणों का अनुभव नहीं होता है।
पेशाब में वृद्धि
गर्भवती महिलाओं को सामान्य से अधिक बार पेशाब लग सकता है । गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे आपके गुर्दे आपके मूत्राशय में जाने वाले अतिरिक्त तरल पदार्थ को संसाधित करने लगते हैं।
थकान
गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में थकान भी शामिल है। गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के दौरान नींद आने का कारण स्पष्ट नहीं है हालांकि, प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान हार्मोन प्रोजेस्टेरोन के स्तर में तेजी से वृद्धि थकान में योगदान कर सकती है।
मूड स्विंग
प्रारंभिक गर्भावस्था में आपके शरीर में हार्मोन परिवर्तन के कारण आप असामान्य रूप से भावुक हो सकती हैं। मूड स्विंग होना भी आम लक्षण हैं।
ब्लोटिंग
प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन के कारण आपको ब्लोटिंग भी हो सकती है ।
लाइट स्पॉटिंग
कई महिलाओं में लाइट स्पॉटिंग गर्भावस्था के पहले लक्षणों में से एक हो सकती है। यह रक्तस्राव उस समय के आसपास होता है जब आप मासिक धर्म की अपेक्षा करती हैं।
ऐंठन
कुछ महिलाओं को गर्भावस्था की शुरुआत में गर्भाशय में हल्की ऐंठन का अनुभव होता है।
कब्ज
हार्मोनल परिवर्तन के कारण आपका पाचन तंत्र धीमा हो जाता है, जिससे कब्ज हो सकता है।
गंध के प्रति संवेदनशील
जब आप गर्भवती होती हैं, तो आप कुछ गंधों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकती हैं
गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ भोजन करने से आपके बच्चे का विकास अच्छी तरह होगा। हालांकि गर्भावस्था में आपको किसी विशेष आहार पर जाने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन पोषक तत्वों के साथ सही संतुलन वाला आहार लेना आवश्यक है। आपके खाने में विटामिन और खनिज होना आवश्यक है।साथ ही फोलिक एसिड पूरक भी लेने की आवश्यकता होती है।हालांकि जानकार मानते हैं कि गर्भावस्था में दो के लिए खाने की ज़रूरत नहीं होती है। आप अपने आहार में स्वस्थ चीज़ें ही खाएं।
मल्टीविटामिन लें
मल्टीविटामिन लेने से आपको सम्पूर्ण पोषण मिल सकता है जो आपके बच्चे के विकास में मदद कर सकता है। इसलिए अपने डॉक्टर की सलाह से मल्टीविटामिन लेना अच्छा रहता है।
भरपूर नींद लें
गर्भावस्था के 9 महीनों के दौरान हार्मोन के स्तर में बदलाव के कारण अकसर नींद पूरी तरह नहीं आती। यदि आपको थकावट महसूस होती है तो झपकी ज़रूर लें। हर रात 7-9 घंटे सोने का लक्ष्य रखें।
वर्कआउट करें
व्यायाम माँ और बच्चे के लिए अच्छा है। नियमित व्यायाम गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न होने वाली कई समस्याओं से निपटने में आपकी मदद कर सकता है। इससे अनिद्रा,मांसपेशियों में दर्द, अत्यधिक वजन बढ़ने और मूड स्विंग्स की समस्याएं दूर होती हैं। अपने डॉक्टर की सलाह से एक फिटनेस रूटीन बनाकर रखें।
सेक्स करें
गर्भावस्था के दौरान सेक्स करना मना नहीं होता है। अपने डॉक्टर की सलाह से अपनी सेक्स लाइफ को जारी रखा जा सकता है।
योग का अभ्यास करें
प्रसवपूर्व ऐसे योग अभ्यास करें जो गर्भवती महिलाओं के लिए डिज़ाइन की गई हों।
धूम्रपान न करें
गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने वाली महिलाओं से पैदा होने वाले शिशुओं में जन्म के समय कम वजन होने की संभावना अधिक होती है।इसके अलावा उनके विकास संबंधित और भी कई जोखिम हो सकते हैं।
शराब न पिएं
शराब आपके बच्चे के विकास को बहुत प्रभावित कर सकती है। जो लोग गर्भवती होने पर शराब पीते हैं, वे फीटल अल्कोहल सिंड्रोम (एफएएस) वाले बच्चे को जन्म दे सकते हैं। इससे बच्चे का जन्म के समय कम वजन, विकलांगता जैसी और समस्याएं भी हो सकती हैं।
हॉट टब या सॉना में न बैठें
गर्म टब, जकूज़ी और सॉना का उच्च गर्मी वाला वातावरण गर्भवती माताओं के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है। गर्म पानी में भिगोने से शरीर का तापमान बढ़ सकता है और इससे बच्चे को जन्म दोषों का खतरा बढ़ जाता है।
बहुत अधिक कैफीन न पिएं
अधिक कैफीन लेने से आपके बच्चे की हृदय गति बढ़ सकती है।इसलिए इसका सेवन कम करें।
गर्भावस्था में जी मिचलाना एक आम बात है। ऐसे में अदरक आपके लिए मुफीद हो सकती है। गर्म पानी में भीगी हुई ताजी अदरक की चाय पीने से जी मिचलाने से राहत मिलती है।
अधिक खट्टा और मसालेदार ना खाएं
गर्भावस्था में आप खट्टे खाद्य पदार्थों के लिए ललचा सकते हैं। इसके अलावा आइसक्रीम से लेकर मसालेदार भोजन कई चीज़ों को खाने की लालसा हो सकती है। लेकिन सुनिश्चित करें कि आप एक संतुलित आहार लें ताकि आपका शरीर किसी विशेष खाद्य पदार्थों के लिए लालायित न हो।
ढीले कपड़े पहनें
गर्भावस्था में पेट का फूलना एक सामान्य लक्षण है, क्योंकि इस अवधि के दौरान पेट अधिक धीरे-धीरे खाली होता है। ऐसे में तंग कपड़ों से बचना चाहिए यदि आपको सूजन की समस्या है तो कोशिश करें और उन खाद्य पदार्थों को ना लें जो गैस पैदा कर सकते हैं ।
लंबे समय तक खड़े रहने से बचें
गर्भावस्था के पहले 20 हफ्तों में बेहोशी काफी आम है क्योंकि इस समय रक्तचाप कम हो जाता है और रक्त वाहिकाएं शिथिल हो जाती हैं। लंबे समय तक खड़े रहने से बचें। बैठने या लेटने पर उठना हो तो धीरे-धीरे उठें। इससे आपको चक्कर आने से बचने में मदद मिलेगी।
जब आपकी गर्भावस्था का समय पूरा हो जाता है तो चिकित्सक आपसे पूछते हैं कि आप किस प्रकार की डिलिवरी का चुनाव करना चाहती हैं। अगर आप नार्मल डिलिवरी चाहती हैं तो लेबर पेन शुरु होने का इंतज़ार किया जाता है। पर अगर आप किसी कारणवश सी सेक्शन करवाना चाहती हैं तो आपकी गर्भावस्था का समय पूरा होने पर चिकित्सक आपको एक तारीख का चानव कर अस्पताल में भर्ती होने की सलाह देते हैं। इसके अलावा अगर इस बीच आपका वाटर ब्रेक हो जाता है यानी गर्भाशय से पानी बहने लगता है तो आपको तुरंत अस्पताल पहुंचने की ज़रूरत पड़ सकती है। इस बात का भी ध्यान रखें कि पेट में अचानक तेज़ दर्द या ब्लीडिंग होने लगे तो भी आपको चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए. प्रसव के तरीके
एक शिशु के जन्म का खर्च इस बात पर निर्भर करता है कि डिलिवरी के लिए किस तरीके का इस्तेमाल किया जा रहा है। नार्मल डिलिवरी 10,000 रुपए से शुरू होती है वहीं अगर आप सिज़ेरियन सेक्शन का चुनाव करती है तो आपका खर्च 2,00000 रुपए तक जा सकता है।आप डिलिवरी के लिए कौन सा अस्पताल चुन रही हैं या आपकी स्थिति कैसी है इससे बी लागत में बदलाव आ सकता है।
एक सामान्य गर्भावस्था नौ महीने या 40 हफ्तों की होती है। इस दौरान महिला को पौष्टिक आहार लेने की ज़रूरत होती । साथ ही अच्छी जीवनशैली भी अच्छी गर्भावस्था में मददगार होती है। गर्भावस्था के दौरान शराब और सिगरेट जैसी चीज़ों से दूर रहें। सक्रिय लाइफस्टाइल बनाकर रखें।डिलिवरी के लिए आप सामान्य डिलिवरी का विकल्प चुन सकती हैं या फिर सी सेक्शन के लिए भी जा सकती हैं।