अवलोकन

Last Updated: Jul 07, 2023

गर्भावस्था क्या होती है? लक्षण, कारण, परहेज और इलाज

गर्भावस्था के बारे मे गर्भावस्था के प्रकार गर्भावस्था के प्रकार गर्भावस्था होने के कारण गर्भावस्था के दौरान आपका खान-पान इन चीजों से करें परहेज गर्भावस्था होने पर क्या करे गर्भावस्था होने पर क्या ना करे गर्भावस्था के इलाज- प्रसव के तरीके इलाज की लागत निष्कर्ष

गर्भावस्था

गर्भावस्था

जब एक महिला के गर्भ या गर्भाशय के अंदर भ्रूण विकसित होता है तो उसे गर्भावस्था कहते हैं। इस भ्रूण को पूरी तरह विकसित होकर जन्म लेने तक लगभग 40 सप्ताह या 9 महीने का समय लगता है। पर कई बार कुछ जटिलताओं के कारण शिशु गर्भावस्था का समय पूरा होने से पहले भी जन्म ले सकता है। हालांकि इस स्थिति में वो पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता है और उसे कास देखभाल की ज़रूरत पड़ती है।गर्भावस्था को तीन खंडों यानी ट्राइमेस्टर में विभाजित किया गया है। ये गर्भावस्था के उन तीन चरणों की तरह हैं जिनमें शिशु का विकास चरणबद्ध तरीके से होता है।

गर्भावस्था के प्रकार (Pregnancy ke Prakaar)

गर्भावस्था के प्रकार (Pregnancy ke Prakaar)

गर्भावस्था 9 प्रकार की हो सकती हैं। विभिन्न प्रकार के गर्भधारण के कई कारण हैं, जिनमें माँ की प्रजनन प्रणाली में शारीरिक अंतर, एक साथ कई अंडों का रिलीज़ होना, एक ही अंडा कई शुक्राणुओं द्वारा फर्टिलाइज़ होना या माँ का खराब स्वास्थ्य।

गर्भावस्था के नौ प्रकारों में शामिल हैं

इंट्रायुटरीन गर्भावस्था

यह एक सामान्य गर्भावस्था है जिसमें भ्रूण गर्भाशय के अंदर प्रत्यारोपित होता है, और प्लेसेंटा गर्भाशय के अंदर गर्भाशय की मांसपेशियों से जुड़ जाता है

एक्टोपिक गर्भावस्था

इस प्रकार की गर्भावस्था तब होती है जब एक फर्टिलाइज़्ड अंडा फैलोपियन ट्यूब या गर्भाशय के अलावा किसी अन्य स्थान पर प्रत्यारोपित होता है।इस प्रकार की गर्भावस्था असामान्य होती है और आमतौर पर शरीर स्वतः ही गर्भपात कर देता है।कई बार इसे सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

ट्यूबल गर्भावस्था

इस प्रकार की गर्भावस्था तब होती है जब एक फर्टिलाइज़्ड अंडा गर्भाशय के बजाय फैलोपियन ट्यूब में प्रत्यारोपित हो जाता है। इस प्रकार की गर्भावस्था व्यवहार्य नहीं है ।

पेट के अंदर गर्भावस्था

इस प्रकार के गर्भधारण पहले हो चुके सी-सेक्शन के कारण हो सकता है। सी-सेक्शन का निशान कमजोर होकर फट सकता है, और भ्रूण पेट के अंदर फिसल सकता है।

सिंगलेट गर्भावस्था

यह एक सामान्य गर्भावस्था है जिसमें एक अंडा एक शुक्राणु से मिलता है और एक भ्रूण विकसित होता है

मल्टिपल गर्भावस्था

यह गर्भावस्था तब होती है जब एक ही समय में कई अंडे फर्टिलाइज़ होते हैं या दो शुक्राणु एक अंडे में प्रवेश करते हैं।

ल्यूपस गर्भावस्था

यह एक ऑटोइम्यून बीमारी ल्यूपस से पीड़ित महिला की गर्भावस्था है, जिसमें रक्त का थक्का जमना मुश्किल होता है।

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी

इसमें गर्भधारण से लेकर पूरे 9 महीने तक जोखिम बना रहता है।ये 35 की उम्र से अधिक वाली महिलाओं, मधुमेह की पीड़ित महिलाओं या अन्य स्वास्थ्य स्थितियों से पीड़ित महिलाओं को होती है।

मोलर गर्भावस्था

एक पूर्ण मोलर गर्भावस्था गर्भाशय में प्लेसेंटा के निर्माण के परिणामस्वरूप होती है जिसमें भ्रूण को सहारा नहीं मिलता है।आंशिक मोलर गर्भावस्था तब होती है जब दो शुक्राणु एक अंडे को निषेचित करते हैं, लेकिन दो भ्रूण विकसित नहीं होते हैं। इसमें भ्रूण सुरक्षित रूप से विकसित नहीं हो सकता है

गर्भावस्था होने के लक्षण (garbhavastha Ke LakshaN)

गर्भावस्था के सबसे आम शुरुआती लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:

मिस्ड पीरियड
यदि आप गर्भ धारण करने की कोशिश कर रही हैं।और आपके मासिक धर्म में विलम्ब हो चुका है तो आप गर्भवती हो सकती हैं।

संवेदनशील, सूजे हुए स्तन
गर्भावस्था की शुरुआत में हार्मोनल परिवर्तन के कारण स्तन संवेदनशील और पीड़ादायक हो सकते हैं।

उल्टी या जी मिचलाना
आपको मॉर्निंग सिकनेस महसूस हो सकती है जो दिन या रात के किसी भी समय हो सकती है।यह अक्सर आपके गर्भवती होने के एक से दो महीने बाद शुरू होती है। हालांकि, कुछ महिलाओं में ये पहले भी हो सकती है। कुछ महिलाओं को इन लक्षणों का अनुभव नहीं होता है।

पेशाब में वृद्धि
गर्भवती महिलाओं को सामान्य से अधिक बार पेशाब लग सकता है । गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे आपके गुर्दे आपके मूत्राशय में जाने वाले अतिरिक्त तरल पदार्थ को संसाधित करने लगते हैं।

थकान
गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में थकान भी शामिल है। गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के दौरान नींद आने का कारण स्पष्ट नहीं है हालांकि, प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान हार्मोन प्रोजेस्टेरोन के स्तर में तेजी से वृद्धि थकान में योगदान कर सकती है।

मूड स्विंग
प्रारंभिक गर्भावस्था में आपके शरीर में हार्मोन परिवर्तन के कारण आप असामान्य रूप से भावुक हो सकती हैं। मूड स्विंग होना भी आम लक्षण हैं।

ब्लोटिंग
प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन के कारण आपको ब्लोटिंग भी हो सकती है ।

लाइट स्पॉटिंग
कई महिलाओं में लाइट स्पॉटिंग गर्भावस्था के पहले लक्षणों में से एक हो सकती है। यह रक्तस्राव उस समय के आसपास होता है जब आप मासिक धर्म की अपेक्षा करती हैं।

ऐंठन
कुछ महिलाओं को गर्भावस्था की शुरुआत में गर्भाशय में हल्की ऐंठन का अनुभव होता है।

कब्ज
हार्मोनल परिवर्तन के कारण आपका पाचन तंत्र धीमा हो जाता है, जिससे कब्ज हो सकता है।

गंध के प्रति संवेदनशील
जब आप गर्भवती होती हैं, तो आप कुछ गंधों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकती हैं

गर्भावस्था होने के कारण (garbhavastha Hone Ke Kaaran)

  • यदि आप गर्भ धारण का प्रयास कर रही हैं तो आपके गर्भवती होने की संभावना बढ़ जाती है।इस दौरान कपल अन प्रोटेक्टेड सेक्स करते हैं जिसके कारण गर्भ धारऩ हो सकता है।
  • कई बार महिलाएं गर्भ निरोधक के तौर पर आईयूडी या पिल्स का उपयोग करती हैं।पर किसी कारणवश ये अपना काम पूरी तरह कर पाने में असफल रहती हैं औऱ गर्भ धारण हो जाता है।
  • कंडोम का इस्तेमाल कर सेक्स करने वाले कपल्स में भी कई बार प्रेग्नेंसी हो सकती क्योंकि कुछ मामलों में कंडोम क्षतिग्रस्त हो सकता है और पूरी तरह प्रोटेक्शन देने में नाकाम रहता है।

गर्भावस्था के दौरान आपका खान-पान (Aapki Diet garbhavastha ke Dooran)

गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ भोजन करने से आपके बच्चे का विकास अच्छी तरह होगा। हालांकि गर्भावस्था में आपको किसी विशेष आहार पर जाने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन पोषक तत्वों के साथ सही संतुलन वाला आहार लेना आवश्यक है। आपके खाने में विटामिन और खनिज होना आवश्यक है।साथ ही फोलिक एसिड पूरक भी लेने की आवश्यकता होती है।हालांकि जानकार मानते हैं कि गर्भावस्था में दो के लिए खाने की ज़रूरत नहीं होती है। आप अपने आहार में स्वस्थ चीज़ें ही खाएं।

  • फल और सब्जियां
  • गर्भावस्था में खूब फल और सब्जियां खानी चाहिए क्योंकि ये विटामिन और खनिज के साथ ही फाइबर प्रदान करते हैं, जो पाचन में मदद करता है और कब्ज को रोकने में मदद कर सकता है।दिन में कम से कम तीन बार मौसमी फल खाने चाहिए।
  • कार्बोहाइड्रेट
  • खाने में कार्बोहाइड्रेट लें क्योंकि ये ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत हैं।इनमें से कुछ विटामिन और फाइबर से भरपूर होते हैं।इनमें ब्रेड, आलू, अनाज, चावल, पास्ता, नूडल्स, कॉर्न, बाजरा,ओट्स, और कॉर्नमील शामिल हैं।
  • प्रोटीन
  • गर्भावस्था में प्रोटीन लेना कापी महत्वपूर्ण है।हर दिन प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ लेना सुनिश्चित करें। प्रोटीन के स्रोतों में शामिल हैं:
  • फलियां
  • दाल
  • मछली
  • अंडे
  • मांस
  • डेयरी उत्पाद
  • नट्स
  • इस बात पर ध्यान दें कि खाने में अतिरिक्त वसा या तेल न डालें। इसके अलावा मछली भी आपके लिए बहुत फायदेमंद हैं।
  • गर्भावस्था में डेयरी
  • गर्भावस्था में दूध, पनीर, और दही जैसे डेयरी खाद्य पदार्थ महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनमें कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व होते हैं जिनकी आपको और आपके बच्चे को आवश्यकता होती है।
  • प्रेग्नेंसी में हेल्दी स्नैक्स
  • यदि आपको दिन में छोटी भूख लगती है, तो कोशिश करें कि ऐसे स्नैक्स न खाएं जिनमें वसा और चीनी अधिक हो, जैसे कि मिठाई, बिस्कुट, या चॉकलेट। इसके बजाय, कुछ स्वस्थ चुनें, जैसे:
  • सलाद , पनीर
  • लो-फैट, लो-शुगर फ्रूट योगर्ट, सादा दही
  • ताज़े फल
  • सब्जी और बीन सूप
  • दलिया
  • मिल्कशेक या स्मूदी

गर्भावस्था में इन चीजों से करें परहेज (En cheezo se kare parhez)

  • समुद्री भोजन प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत हो सकता है, और कई मछलियों में ओमेगा -3 फैटी एसिड आपके बच्चे के मस्तिष्क और आंखों के विकास को बढ़ावा दे सकता है। हालांकि, कुछ मछलियों में मरकरी की मात्रा अधिक होती है।ये आपके बच्चे को नुक्सान भी पहुंचा सकता है।अधपके मांस, और अंडे से बचें
  • गर्भावस्था के दौरान, आपको बैक्टीरियल फ़ूड पॉइज़निंग का खतरा बढ़ जाता है। खाने से पहले सभी मीट और पोल्ट्री उत्पाद को पूरी तरह से पका लें।
  • बिना धुले फलों और सब्जियों से बचें
  • खाने से पहले सभी फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धो लें। स्प्राउट्स को अच्छी तरह से पकाना सुनिश्चित करें।
  • अधिक कैफीन से बचें
  • अधिक कैफीन आपके बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है।इसलिए अधिक कॉफी या कार्बोनेटेड कोल्ड ड्रिंक्स से बचें।
  • हर्बल चाय से बचें
  • विकासशील शिशुओं पर विशिष्ट जड़ी-बूटियों के दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं इसलिए हर्बल चाय पीने से बचें।
  • शराब से बचें
  • गर्भावस्था के दौरान शराब से पूरी तरह बचना ही सबसे सुरक्षित उपाय है। गर्भावस्था के दौरान शराब पीने से गर्भपात और स्टिल बर्थ का खतरा अधिक होता है। शराब पीने से भ्रूण को चेहरे की विकृति और बौद्धिक अक्षमता भी हो सकती है।
  • अधिक वसा और चीनी से बचें
  • अधिक चीनी या वसा युक्त खाद्य पदार्थ और पेय अक्सर कैलोरी में उच्च होते हैं, जो वजन बढ़ाने में योगदान कर सकते हैं। बहुत अधिक सैचुरेटेड फैट खाने से आपके रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी बढ़ सकती है, जिससे आपको हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।इसलिए अपने और अपने शिशु के स्वास्थ्य को बेहतर स्थिति में रखने के लिए इनसे परहेज़ करें।

गर्भावस्था होने पर क्या करे (garbhavastha Hone par kya kare)

मल्टीविटामिन लें
मल्टीविटामिन लेने से आपको सम्पूर्ण पोषण मिल सकता है जो आपके बच्चे के विकास में मदद कर सकता है। इसलिए अपने डॉक्टर की सलाह से मल्टीविटामिन लेना अच्छा रहता है।

भरपूर नींद लें
गर्भावस्था के 9 महीनों के दौरान हार्मोन के स्तर में बदलाव के कारण अकसर नींद पूरी तरह नहीं आती। यदि आपको थकावट महसूस होती है तो झपकी ज़रूर लें। हर रात 7-9 घंटे सोने का लक्ष्य रखें।

वर्कआउट करें
व्यायाम माँ और बच्चे के लिए अच्छा है। नियमित व्यायाम गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न होने वाली कई समस्याओं से निपटने में आपकी मदद कर सकता है। इससे अनिद्रा,मांसपेशियों में दर्द, अत्यधिक वजन बढ़ने और मूड स्विंग्स की समस्याएं दूर होती हैं। अपने डॉक्टर की सलाह से एक फिटनेस रूटीन बनाकर रखें।

सेक्स करें
गर्भावस्था के दौरान सेक्स करना मना नहीं होता है। अपने डॉक्टर की सलाह से अपनी सेक्स लाइफ को जारी रखा जा सकता है।

योग का अभ्यास करें
प्रसवपूर्व ऐसे योग अभ्यास करें जो गर्भवती महिलाओं के लिए डिज़ाइन की गई हों।

गर्भावस्था होने पर क्या ना करे (kya Na Kare)

धूम्रपान न करें
गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने वाली महिलाओं से पैदा होने वाले शिशुओं में जन्म के समय कम वजन होने की संभावना अधिक होती है।इसके अलावा उनके विकास संबंधित और भी कई जोखिम हो सकते हैं।

शराब न पिएं
शराब आपके बच्चे के विकास को बहुत प्रभावित कर सकती है। जो लोग गर्भवती होने पर शराब पीते हैं, वे फीटल अल्कोहल सिंड्रोम (एफएएस) वाले बच्चे को जन्म दे सकते हैं। इससे बच्चे का जन्म के समय कम वजन, विकलांगता जैसी और समस्याएं भी हो सकती हैं।

हॉट टब या सॉना में न बैठें
गर्म टब, जकूज़ी और सॉना का उच्च गर्मी वाला वातावरण गर्भवती माताओं के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है। गर्म पानी में भिगोने से शरीर का तापमान बढ़ सकता है और इससे बच्चे को जन्म दोषों का खतरा बढ़ जाता है।

बहुत अधिक कैफीन न पिएं
अधिक कैफीन लेने से आपके बच्चे की हृदय गति बढ़ सकती है।इसलिए इसका सेवन कम करें।

गर्भावस्था को घर पर ठीक कैसे करे (Home Remedy for garbhavastha)

गर्भावस्था में जी मिचलाना एक आम बात है। ऐसे में अदरक आपके लिए मुफीद हो सकती है। गर्म पानी में भीगी हुई ताजी अदरक की चाय पीने से जी मिचलाने से राहत मिलती है।

अधिक खट्टा और मसालेदार ना खाएं
गर्भावस्था में आप खट्टे खाद्य पदार्थों के लिए ललचा सकते हैं। इसके अलावा आइसक्रीम से लेकर मसालेदार भोजन कई चीज़ों को खाने की लालसा हो सकती है। लेकिन सुनिश्चित करें कि आप एक संतुलित आहार लें ताकि आपका शरीर किसी विशेष खाद्य पदार्थों के लिए लालायित न हो।

ढीले कपड़े पहनें
गर्भावस्था में पेट का फूलना एक सामान्य लक्षण है, क्योंकि इस अवधि के दौरान पेट अधिक धीरे-धीरे खाली होता है। ऐसे में तंग कपड़ों से बचना चाहिए यदि आपको सूजन की समस्या है तो कोशिश करें और उन खाद्य पदार्थों को ना लें जो गैस पैदा कर सकते हैं ।

लंबे समय तक खड़े रहने से बचें
गर्भावस्था के पहले 20 हफ्तों में बेहोशी काफी आम है क्योंकि इस समय रक्तचाप कम हो जाता है और रक्त वाहिकाएं शिथिल हो जाती हैं। लंबे समय तक खड़े रहने से बचें। बैठने या लेटने पर उठना हो तो धीरे-धीरे उठें। इससे आपको चक्कर आने से बचने में मदद मिलेगी।

गर्भावस्था के इलाज- प्रसव के तरीके (garbhavastha Ke Ilaaj)

जब आपकी गर्भावस्था का समय पूरा हो जाता है तो चिकित्सक आपसे पूछते हैं कि आप किस प्रकार की डिलिवरी का चुनाव करना चाहती हैं। अगर आप नार्मल डिलिवरी चाहती हैं तो लेबर पेन शुरु होने का इंतज़ार किया जाता है। पर अगर आप किसी कारणवश सी सेक्शन करवाना चाहती हैं तो आपकी गर्भावस्था का समय पूरा होने पर चिकित्सक आपको एक तारीख का चानव कर अस्पताल में भर्ती होने की सलाह देते हैं। इसके अलावा अगर इस बीच आपका वाटर ब्रेक हो जाता है यानी गर्भाशय से पानी बहने लगता है तो आपको तुरंत अस्पताल पहुंचने की ज़रूरत पड़ सकती है। इस बात का भी ध्यान रखें कि पेट में अचानक तेज़ दर्द या ब्लीडिंग होने लगे तो भी आपको चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए. प्रसव के तरीके

  • योनि प्रसव- नॉर्मल डिलिवरी
    जब एक मां शिशु को योनि के ज़रिए जन्म देती है तो उसे नार्मल डिलिवरी कहा जाता है। डॉक्टर इसमें महिला को एपिड्यूरल एनेस्थीसिया या अन्य दर्द निवारक दवाएं देकर मदद कर सकते हैं। हालांकि प्राकृतिक जन्म का सही समय अप्रत्याशित है।पर गर्भावस्था के 40 सप्ताह पूरे होने पर ये कभी भी हो सकती है। डॉक्टर आमतौर पर सिजेरियन डिलीवरी के बजाय योनि जन्म की सलाह देते हैं। इस प्रकार की डिलिवरी में शिशु अपने मस्तिष्क और फेफड़ों के विकास के लिए कुछ विशिष्ट हार्मोन स्रावित करता है। जब बच्चा बर्थ कैनाल से होकर गुजरता है, तो सभी एमनियोटिक द्रव को खत्म करने के लिए बच्चे की छाती को निचोड़ा जाता है और उसके फेफड़ों का विस्तार होता है।योनि प्रसव माताओं को बच्चे के जन्म के आघात से अधिक तेज़ी से ठीक होने और अपने नवजात शिशुओं के साथ जल्द से जल्द घर लौटने की अनुमति देता है। ऐसे में संक्रमण की संभावना भी कम होती है। यदि शिशु योनि नहर के माध्यम से पैदा होता है, तो उसे सांस संबंधी समस्याएं होने की संभावना कम होती है।
  • सीजेरियन सेक्शन
    कई बार स्वास्थ्य संबंधी कारणों से योनि प्रसव के बजाय सीज़ेरियन डिलीवरी का विकल्प चुनना पड़ता है।इस प्रक्रिया में बच्चे को जन्म देने के लिए, पेट के नीचे की तरफ चीरा लगाया और फिर गर्भाशय पर चीरा लगाकर बच्चे को बाहर निकाला जाता है। इस प्रकार की डिलीवरी को सी-सेक्शन भी कहा जाता है। सी-सेक्शन का चयन कई बार जुड़वाँ बच्चों के होने ,बच्चे के ब्रीच पोज़ीशन में होने , बच्चे का वज़न अधिक होने या अन्य परिस्थितियों के आधार पर किया जाता है। इसके लिए मां के कमर के निचले हिस्से से सुन्न कर दिया जाता है। पर कुछ मामलों में जनरल एनेस्थीसिया भी दी जा सकती है।
  • फोरसेप्स डिलिवरी
    यह आमतौर पर योनि प्रसव में सहायता प्रदान करता है। जब बच्चा बर्थ कैनाल से पूरी तरह बाहर आने में विफल रहता है तो उसे सहायता की आवश्यकता पड़ती है। यह समस्या मुख्य रूप से कुछ अवरोधों के कारण होता है या जब माँ बहुत थक जाती है और बच्चे को बाहर धकेलने में असमर्थ महसूस करती है। इन परिस्थितियों में, डॉक्टर विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए फोरसेप्स का उपयोग करते हैं और धीरे-धीरे बच्चे को बाहर निकालते हैं। फिर बच्चे के सिर को धीरे से पकड़ा जाता है और फोरसेप्स का उपयोग करके बाहर की ओर निकाला जाता है।
  • वैक्यूम एक्सट्रैक्शन
    नार्मल डिलिवरी विफल हो जाती है तो फोरसेप्स की तरह ही वैक्यूम एक्ट्रैक्शन का भी उपयोग किया जाता है। ये तब होता है जब बच्चा मां के बर्थ कैनाल में आगे बढ़ना बंद कर देता है। ऐसे में वैक्यूम एक्सट्रैक्शन विधि का उपयोग किया जाता है। इस तकनीक में बच्चे के सिर तक पहुंचने तक कैनाल के अंदर एक वैक्यूम पंप डालने की आवश्यकता होती है। वैक्यूम के सिरे पर एक नरम कप लगा होता है जो बच्चे के सिर पर चिपक जाता है। फिर इस वैक्यूम को धीरे धीरे बाहर खींचा जाता है और साथ में बच्चा बाहर जाता है।

इलाज की लागत (Ilaaj ka Kharcha)

एक शिशु के जन्म का खर्च इस बात पर निर्भर करता है कि डिलिवरी के लिए किस तरीके का इस्तेमाल किया जा रहा है। नार्मल डिलिवरी 10,000 रुपए से शुरू होती है वहीं अगर आप सिज़ेरियन सेक्शन का चुनाव करती है तो आपका खर्च 2,00000 रुपए तक जा सकता है।आप डिलिवरी के लिए कौन सा अस्पताल चुन रही हैं या आपकी स्थिति कैसी है इससे बी लागत में बदलाव आ सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

एक सामान्य गर्भावस्था नौ महीने या 40 हफ्तों की होती है। इस दौरान महिला को पौष्टिक आहार लेने की ज़रूरत होती । साथ ही अच्छी जीवनशैली भी अच्छी गर्भावस्था में मददगार होती है। गर्भावस्था के दौरान शराब और सिगरेट जैसी चीज़ों से दूर रहें। सक्रिय लाइफस्टाइल बनाकर रखें।डिलिवरी के लिए आप सामान्य डिलिवरी का विकल्प चुन सकती हैं या फिर सी सेक्शन के लिए भी जा सकती हैं।

Frequently Asked Questions (FAQs)

  • आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान केला खाना सुरक्षित माना जाता है, लेकिन जिन महिलाओं को एलर्जी या मधुमेह है, उन्हें केले से बचना चाहिए।
  • गर्भावस्था का आठवां महीना अधिकांश गर्भवती महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे सांस की तकलीफ, पेशाब की बढ़ती आवृत्ति, पेल्विक प्रेशर, त्वचा में खिंचाव, ब्रेक्सटन-हिक्स कॉन्ट्रैक्शन, वैरिकाज़ नसों, बवासीर, चक्कर आना और थकान जैसे लक्षणों का अनुभव करती हैं।
  • ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) इंजेक्शन उन गर्भवती महिलाओं को दिए जाते हैं जिनके शरीर में एचसीजी का स्तर कम होता है ताकि गर्भावस्था में मदद मिल सके। यह हार्मोन उन महिलाओं में गर्भपात को रोकने में मदद करता है, जिनका बार-बार गर्भपात का इतिहास रहा है, जहां भ्रूण गर्भाशय की दीवार से नहीं जुड़ता है।
  • गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में सामान्य से अधिक पानी होता है जिससे पैरों में सूजन आ जाती है। अतिरिक्त पानी शरीर के निचले हिस्से में जमा हो जाता है, खासकर गर्म मौसम के दौरान और अगर महिला बहुत ज्यादा खड़ी रही हो।
  • गर्भवती महिलाओं को पपीते से बचना चाहिए क्योंकि यह संभावित रूप से चिह्नित गर्भाशय संकुचन(कॉन्ट्रैक्शन) को ट्रिगर कर सकता है जिससे जल्दी लेबर शुरू हो सकता है। इसमें पपैन शामिल होता है जिसे कभी-कभी, गर्भवती महिला का शरीर गलत समझ लेता है कि ये प्रोस्टाग्लैंडीन है जिसका उपयोग लेबर को प्रेरित करने के लिए किया जाता है।
  • शोध के अनुसार, महिलाओं को ह्यूमन मानव कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) हार्मोन के कारण मतली और उल्टी का अनुभव होता है, जो शरीर में प्लेसेंटा द्वारा निर्मित होता है। निषेचित अंडे के गर्भाशय की दीवार से जुड़ने के तुरंत बाद महिलाएं एचसीजी का उत्पादन शुरू कर देती हैं।
  • डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को प्रीक्लेम्पसिया की शुरुआत को रोकने या स्थगित करने के लिए एस्पिरिन की कम डोज़ लेने की सलाह देते हैं। इसका उपयोग भ्रूण के विकास प्रतिबंध, प्रारंभिक गर्भावस्था हानि, स्टिलबर्थ और समय से पहले जन्म को रोकने के लिए भी किया जाता है।
  • आमतौर पर, महिलाओं का अपनी दूसरी तिमाही में वजन कम होना बच्चे के खराब विकास, गर्भावस्था से प्रेरित उच्च रक्तचाप, कम एमनियोटिक फ्लूइड या गर्भावस्था से प्रेरित प्रीक्लेम्पसिया के कारण होता है। इसलिए, जो महिलाएं जिनका पहली तिमाही के बाद वजन कम होता है, उन्हें तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
  • जब महिलाएं गर्भवती नहीं होती हैं, तो उनके शरीर को गर्भाशय में मोटी गर्भाशय की परत की आवश्यकता नहीं होती है। लाइनिंग टूट जाती है और योनि के माध्यम से रक्त, टिश्यू और पोषक तत्व शरीर से बाहर निकल जाते हैं, जिसे मासिक धर्म के रूप में जाना जाता है। जब महिला गर्भवती होती है, तो उसके शरीर को एक मोटी परत की आवश्यकता होती है, यही वजह है कि गर्भावस्था के दौरान मासिक धर्म बंद हो जाता है।
लोकप्रिय प्रश्न और उत्तर

I am 20 year old female I took unwanted 72 pill after I received withdrawal bleeding after 8 days now when I will get my periods, am I pregnant?

MD - Obstetrtics & Gynaecology, FCPS, DGO, Diploma of the Faculty of Family Planning (DFFP)
Gynaecologist, Mumbai
After taking the high hormonal emergency pill one gets withdrawal bleeding 5 to 10 days later, and then a new cycle starts.-new counting. Presence of withdrawal bleeding means no pregnancy by sex prior to it.
13 people found this helpful

Im trying to get pregnant and the march report came with 31.4 and I was not alarmed back then that it's high. However my latest report came with lh of 14.6 and I was told by my gynecologist that my lh is at peak and I need to get it under 10. I'm confused and want to know what's the normal count for lh to get pregnant. Please clarify.

MD - Obstetrtics & Gynaecology, FCPS, DGO, Diploma of the Faculty of Family Planning (DFFP)
Gynaecologist, Mumbai
Any couple desirous of pregnancy and not getting the same naturally must meet a gynecologist or infertility specialist accepting the fact that it needs many reports and different trials of treatment. This means the couple must have patience and go...
2 people found this helpful

I am 5 week pregnant and I had excessive loose motion yesterday, my doctor prescribed me metronidazole and ciprofloxacin iv. Does metronidazole and ciprofloxacin affect my baby. I am really worried about my child health in pregnancy.

M.B.B.S, Post Graduate Diploma In Maternal & Child Health
Gynaecologist, Bokaro
Better to avoid both the medicines. Cefixime is safe at 5 weeks. You can take 200 mg twice daily for 5 days. Take who ors and eat only rice based food for the next few days. For more information you can get in touch with me.
1 person found this helpful

I had intercourse with my partner (condom torn) on 20th of july and she took i-pill 6 hours later. Today on 26th of july she had little bleeding or spotting. Is she pregnant.

MD - Obstetrtics & Gynaecology, FCPS, DGO, Diploma of the Faculty of Family Planning (DFFP)
Gynaecologist, Mumbai
After taking the high hormonal emergency pill one gets withdrawal bleeding 5 to 10 days later, and then a new cycle starts.-new counting. Presence of withdrawal bleeding means no pregnancy. If this does not happen as well as the period is missed t...
1 person found this helpful
लोकप्रिय स्वास्थ्य टिप्स

Gestational Diabetes - Know The Risk Factors!

MBBS, MD
Gynaecologist, Delhi
Gestational Diabetes - Know The Risk Factors!
Gestational diabetes, as the name suggests, occurs during gestation or pregnancy when the blood sugar levels exceed the normal level. Gestational diabetes, like other form of diabetes, affects how your body cells use glucose or sugar during pregna...
2116 people found this helpful

Pregnancy - 5 Tips To Control Obesity During It!

MBBS
IVF Specialist, Raipur
Pregnancy - 5 Tips To Control Obesity During It!
Are you gaining excessive amount of weight during your pregnancy, well you are not alone. Most of the pregnant women tend to be overweight or obese. You are viewed as overweight, if your pre-pregnancy body mass index (BMI) is approximately between...
6176 people found this helpful

IVF - Can Acupuncture Support Its Success Rates?

MBBS
IVF Specialist, Raipur
IVF - Can Acupuncture Support Its Success Rates?
A very frequently used treatment both before and during In-Vitro Fertlization is Acupuncture. There is hope among women that it will help increase their chances of conceiving a baby and also provide the necessary support related to reduction of st...
6108 people found this helpful

How Natural IVF Differs From Mini IVF?

MBBS
IVF Specialist, Raipur
How Natural IVF Differs From Mini IVF?
Suffering from the problem of infertility can be a heartbreaking as well as a very frustrating process but still with different kinds of IVF treatments available today, a lot of women can realize their dreams of having their own family. In Vitro F...
6525 people found this helpful

Embryo Freezing And Cryo Preservation - Know More About It!

MBBS
IVF Specialist, Raipur
Embryo Freezing And Cryo Preservation - Know More About It!
Cryopreservation is usually performed as a component of in vitro fertilization, which also tends to include ovarian hyperstimulation, retrieval of egg and embryo transfer. With the frozen embryos available, a woman need not undergo stimulation thr...
6452 people found this helpful
Content Details
Written By
MBBS,MS Obstetrics & Gynaecology
Gynaecology
English Version is Reviewed by
MD - Consultant Physician
General Physician
Play video
Ways To Take Care Of Pregnancy Diet & Pregnancy
Now that you're pregnant, taking care of yourself has never been more important. Here's how to keep you and your baby as healthy as possible.
Play video
Infertility
Infertility isn t just a woman s problem. Men can be infertile too. In fact, men and women are equally likely to have fertility problems. Infertility treatment is based on the cause of your infertility. It can range from medicines to implanting an...
Play video
How To Choose A Right Fertility Centre?
Fertility clinics are medical clinics that assist couples, and sometimes individuals, who want to become parents but for medical reasons have been unable to achieve this goal via the natural course. Clinics apply a number of diagnosis tests and so...
Play video
What Is Ectopic Pregnancy?
An ectopic pregnancy occurs when a fertilized egg implants and grows outside the main cavity of the uterus. Pregnancy begins with a fertilized egg. Normally, the fertilized egg attaches to the lining of the uterus.
Play video
Things You Should Know About IVF
Hi, I am Dr. Prerna Gupta, IVF Specialist, Dr Prerna Gupta MD AIIMS clinic, Delhi. Today I will talk about IVF consult ke baare mein. Aaj hum janenge ki jab hum IVF Dr ke pass jaate hain toh humein kya kya chizen le jaani chaiye. Kya kya reports h...
Having issues? Consult a doctor for medical advice