वायरल बुखार के बढ़ते प्रभाव के कारण डेंगू और चिकनगुनिया के खिलाफ खुद को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी हो जाता है. डेंगू प्रायः मच्छर से होने वाले संक्रमण के कारण होता है. यह एक गंभीर बीमारी है, जिसकी शुरुआत अचानक होती है. इसके लक्षण सिरदर्द, बुखार, थकावट, मांसपेशियों और जोड़ों में गंभीर दर्द, लिम्फ और नोड्स में सूजन और चकत्ते होते हैं. बुखार, रेश्स् और सिरदर्द जैसे विकार, विशेष रूप से डेंगू की विशेषताएं है.
डेंगू के सबसे आम लक्षण हैं:
लक्षण, जो आमतौर पर संक्रमण के चार से छह दिन बाद होता है. इस संक्रमण के लक्षण 10 दिन तक रह सकते है. इसमें शामिल है:
डेंगू के खिलाफ रोकथाम और उपचार कैसे करें?
डेंगू बुखार का उपचार : ब्लड वायरस या एंटीबॉडी के जांच करने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाना चाहिए. डेंगू बुखार के लिए आईजीजी और आईजीएम की विधि अपनायी जाती है.
डेंगू बुखार की रोकथाम:
डेंगू के इलाज में आयुर्वेद की भूमिका:
आयुर्वेद व्यक्ति का सम्पूर्ण उपचार में विश्वास रखता है. इसका मतलब यह रोगी को एक व्यक्ति के रूप में और साथ ही उसकी रोगजनक स्थिति पर केंद्रित करता है. आयुर्वेदिक उपचार व्यक्ति की सम्पूर्ण परिक्षण और केस विश्लेषण के बाद चुने जाते हैं. इसमें रोगी के शारीरिक और मानसिक अवस्था, पारिवारिक इतिहास, वर्त्तमान लक्षण, अंतर्निहित रोगविज्ञान आदि का चिकित्सा इतिहास शामिल है. आयुर्वेदिक चिकित्सक वर्त्तमान लक्षणों के अलावा भी व्यक्ति के अन्य विकारो का भी उपचार करता है. आयुर्वेद केवल बीमारी के निदान पर केंद्रित नहीं करता है, बल्कि बिमारी को जड़ से मिटाता है. यदि रोग का निदान ज्यादा गंभीर स्थिति में नहीं है तो होमियोपैथी उपचार इसमें कारगर होते है.
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