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Last Updated: Feb 23, 2023
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लार ग्रंथि- शरीर रचना (चित्र, कार्य, बीमारी, इलाज)

लार ग्रंथि का चित्र | Salivary Gland Ki Image लार ग्रंथि के अलग-अलग भाग लार ग्रंथि के कार्य | Salivary Gland Ke Kaam लार ग्रंथि के रोग | Salivary Gland Ki Bimariya लार ग्रंथि की जांच | Salivary Gland Ke Test लार ग्रंथि का इलाज | Salivary Gland Ki Bimariyon Ke Ilaaj लार ग्रंथि की बीमारियों के लिए दवाइयां | Salivary Gland ki Bimariyo ke liye Dawaiyan

लार ग्रंथि का चित्र | Salivary Gland Ki Image

लार ग्रंथि का चित्र | Salivary Gland Ki Image

लार ग्रंथियां, लार (थूक) का उत्पादन करती हैं और इसे नलिकाओं(डक्ट्स) या छोटे छिद्रों के माध्यम से, आपके मुंह में खाली कर देती हैं। वे आपके मुंह और गले को चिकनाई देते हैं, निगलने और पाचन में सहायता करते हैं, और आपके दांतों को कैविटी पैदा करने वाले बैक्टीरिया से बचाने में मदद करते हैं।

लार ग्रंथि के अलग-अलग भाग

लार ग्रंथियां, प्रमुख लार ग्रंथियों और छोटी लार ग्रंथियों में विभाजित होती हैं।

  • सबलिन्गुअल ग्लांड्स: ये जीभ के दोनों ओर नीचे, आपके मुंह के तल के नीचे होती हैं।
  • सबमैंडिब्यूलर ग्रंथियां: जबड़े के नीचे स्थित, इन सबमैंडिब्यूलर लार ग्रंथियों में दो भाग होते हैं: सुपरफिशियल (सतही) लोब और डीप (गहरी) लोब। मांसल ग्रंथियों (सबलिन्गुअल ग्लांड्स) की तरह, सबमैंडिब्यूलर ग्रंथियां में उत्पन्न लार जीभ के नीचे से मुंह में प्रवेश करती है।
  • पैरोटिड ग्रंथियां: पैरोटिड ग्रंथियां, कानों के ठीक सामने होती हैं। सबमैंडिब्यूलर ग्रंथियों के समान, पैरोटिड ग्रंथियों के दो भाग होते हैं: सुपरफिशियल और डीप। पैरोटिड ग्रंथियों द्वारा निर्मित लार, ऊपरी दाढ़ के पास छोटी नलिकाओं(डक्ट्स) से मुंह में प्रवेश करती है।

पैरोटिड ग्रंथि 25 प्रतिशत लार बनाती है और ऊपरी दांतों के पास मुंह में जाती है। सबमैंडिब्यूलर ग्रंथि 70 प्रतिशत लार बनाती है और जीभ के नीचे से मुंह में जाती है। सब्लिंगुअल ग्रंथि लार का 5 प्रतिशत बनाती है और मुंह के तल में निकल जाती है।

छोटी लार ग्रंथियां

750 से 1000 छोटी लार ग्रंथियां होती हैं। वे बहुत छोटी होती हैं। उनमें से अधिकतर, नग्न आंखों से नहीं देखी जा सकती हैं।

लगभग सभी छोटी लार ग्रंथियां, मुंह में ऊपर की तरफ, हार्ड पैलेट(कठोर तालु) पर होती हैं। छोटी लार ग्रंथियां होंठ, गाल, नाक, नाक के आसपास के साइनस (जिसे परानासल साइनस कहा जाता है), नासोफरीनक्स, लैरिंक्स(स्वरयंत्र) और ट्रेकिआ(श्वासनली) में भी पाई जाती हैं।

लार ग्रंथि के कार्य | Salivary Gland Ke Kaam

लार ग्रंथियां, पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं क्योंकि वे लार बनाती हैं। लार भोजन को नम करने में मदद करती है जिससे हम इसे अधिक आसानी से निगल सकते हैं। इसमें एमाइलेज नामक एक एंजाइम भी होता है जो पेट के लिए भोजन में मौजूद स्टार्च को तोड़ना आसान बनाता है।

हमारे मौखिक स्वास्थ्य में भी लार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह मुंह और गले में संक्रमण को रोकता है। यह स्वस्थ दांतों को बनाए रखने और सांसों की बदबू को रोकने में भी मदद करता है। लार ओरल कैविटी को भी नम करती है, जो निगलने और बोलने में मदद करती है।

लार ग्रंथि के रोग | Salivary Gland Ki Bimariya

  1. डक्ट्स के साथ समस्या
    • सियालोलिथियासिस, एक ऐसी स्थिति है जिसमें ग्रंथियों में छोटे लार के पत्थर बनते हैं। सियालोलिथ नामक पत्थर कैल्शियम से बने होते हैं। कुछ स्टोन्स कोई लक्षण पैदा नहीं करते हैं, लेकिन कुछ के कारण डक्ट्स अवरुद्ध हो जाते हैं। लार का प्रवाह आंशिक या पूर्ण रूप से रुक जाता है। ग्रंथि बढ़ सकती है, और एक संक्रमण विकसित हो सकता है।
    • सियालाडेनाइटिस, लार ग्रंथि में होने वाला एक दर्दनाक संक्रमण है। स्टैफिलोकोकस, स्ट्रेप्टोकोकस, हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा या एनारोबिक बैक्टीरिया आमतौर पर इसका कारण होते हैं। बुजुर्ग लोगों में अक्सर, लार ग्रंथि में स्टोन्स बन जाते हैं, लेकिन शिशु, जीवन के पहले कुछ हफ्तों के दौरान सियालाडेनाइटिस विकसित कर सकते हैं। अगर ठीक से इलाज न किया जाए तो सियालाडेनाइटिस एक गंभीर संक्रमण बन सकता है।
    • वायरल संक्रमण जैसे मम्प्स, फ्लू, कॉक्ससेकी वायरस, इकोवायरस और साइटोमेगालोवायरस होने पर, लार ग्रंथियों का आकार बढ़ जाता है।
    • लार ग्रंथियों में सिस्ट चोट, संक्रमण, पथरी या ट्यूमर के बाद विकसित हो सकते हैं। कान के शुरुआती विकास में समस्या के कारण, कभी-कभी बच्चे पैरोटिड ग्रंथि में अल्सर के साथ पैदा होते हैं।

  2. ट्यूमर

    अधिकांश लार के ट्यूमर सौम्य (गैर-कैंसर) होते हैं, लेकिन वे कैंसर वाले भी हो सकते हैं। अधिकांश लार संबंधी ट्यूमर पैरोटिड ग्रंथि में विकसित होते हैं।

    • प्लेमॉर्फिक एडेनोमा, सबसे आम पैरोटिड ट्यूमर हैं। यह धीरे-धीरे बढ़ता है और सौम्य होता है। एक पलोमोर्फिक एडेनोमा जबड़े के पीछे दर्द रहित गांठ के रूप में शुरू होता है, कान के ठीक नीचे। ये महिलाओं में अधिक आम हैं।
    • सौम्य प्लेमॉर्फिक एडेनोमा, सबमैंडिब्यूलर ग्रंथि और छोटी लार ग्रंथियों में भी बढ़ सकता है, लेकिन पैरोटिड की तुलना में कम बार।
    • वारथिन ट्यूमर, पैरोटिड ग्रंथि का दूसरा सबसे आम सौम्य ट्यूमर है। वृद्ध पुरुषों में यह अधिक आम है।
    • लार ग्रंथियों में कैंसर (घातक) ट्यूमर दुर्लभ हैं और आमतौर पर 50 से 60 वर्ष की आयु के बीच होते हैं। कुछ प्रकार तेजी से बढ़ते हैं, और कुछ धीमी गति से बढ़ते हैं।

  3. सजोग्रेन सिंड्रोम, पुरानी बीमारी है। वाइट ब्लड सेल्स, नमी पैदा करने वाली ग्रंथियों जैसे लार ग्रंथियों, आंसू पैदा करने वाली ग्रंथियों और कभी-कभी पसीने और तेल ग्रंथियों पर अटैक करते हैं। मध्यम आयु वर्ग की महिलाएं सबसे ज्यादा इस समस्या से प्रभावित होती हैं।
  4. सियालाडेनोसिस में, बिना किसी ज्ञात कारण के लार ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है पर वो दर्द रहित होता है। इस समाया से आमतौर पर, पैरोटिड ग्रंथि प्रभावित होती है।

लार ग्रंथि की जांच | Salivary Gland Ke Test

  • अल्ट्रासाउंड: लार ग्रंथियों(सलाईवरी ग्लांड्स) को प्रभावित करने वाले डिओसॉडर्स के निदान के लिए, अल्ट्रासोनोग्राफी (यूएस) की जाती है। लार ग्रंथियों में कई छोटे, अंडाकार, हाइपोचोइक क्षेत्र हो सकते हैं और जब इनमें सूजन होती है तो इनका आकार भी बढ़ जाता है और ये हाइपोचोइक होते हैं।
  • एक्स-रे: डेंटल एक्स-रे आपके मुंह, दांतों, मसूड़ों और जबड़े की समस्याओं की जल्द पहचान करने में सहायता करते हैं। गंभीर समस्याएँ होने पर इलाज लम्बा चलता है, दर्द होता है, और कभी-कभी ये जीवन के लिए भी खतरा होता है।
  • FNAC: आउट पेशेंट क्लीनिक में, फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी (FNAC) का उपयोग करके, अक्सर गर्दन में पाए जाने वाले सुपरफिशियल मास्सेस का सैंपल लिया जाता है। यह शायद ही कभी जटिलताओं का कारण बनता है और रोगी को केवल हल्का आघात पहुंचाता है।
  • सीटी: हड्डियों, मांसपेशियों, फैट और अंगों सहित शरीर के स्ट्रक्चर्स की डिटेल्ड इमेजेज, पारंपरिक एक्स-रे की तुलना में सीटी स्कैन से ज्यादा साफ़ मिलती हैं। आंतरिक अंगों, हड्डियों, सॉफ्ट टिश्यूज़ और ब्लड वेसल्स को, सभी को सीटी स्कैनर के साथ स्कैन किया जा सकता है। सीटी स्कैन कराते समय, रेडिएशन कम से कम होता है। एक डाई को नस में इंजेक्ट किया जा सकता है या अंगों या टिश्यूज़ की अधिक डिटेल्ड इमेजेज पाने में मदद करती है।
  • लार ग्रंथि(सलाईवरी ग्लैंड) की नीडल बायोप्सी: सिलेक्टेड लार ग्रंथि(सलाईवरी ग्लैंड) के आसपास की त्वचा को पहले रबिंग अल्कोहल से साफ किया जाता है। उसके बाद, दर्द का इलाज करने के लिए एक लोकल एनेस्थेस्टिक को प्रशासित किया जाता है। इससे लार ग्रंथि सुन्न ही जाती है, और टिश्यू में सावधानी से एक छोटी सुई डालकर उसका एक छोटा सा टुकड़ा सैंपल के तौर पर निकाला जाता है। माइक्रोस्कोप स्लाइड पर रखे जाने के बाद, टिश्यू को जांच के लिए लैब में भेजा जाता है।
  • एमआरआई: एक मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग स्कैन को कभी-कभी एमआरआई के रूप में जाना जाता है। यह एक नॉन-इनवेसिव, रेडिएशन-फ्री चिकित्सा डायग्नोस्टिक प्रोसीजर है। एमआरआई मशीन, एक स्ट्रांग मैगनेट और एक कंप्यूटर का उपयोग करके शरीर के अंदर की इमेजेज लेती है। प्रत्येक इमेज केवल बायोलॉजिकल टिश्यू की कुछ लेयर्स को एक साथ दिखाता है। फिर तस्वीरों को कंप्यूटर स्क्रीन पर जांचा जा सकता है।

लार ग्रंथि का इलाज | Salivary Gland Ki Bimariyon Ke Ilaaj

  • रेडिएशन थेरेपी: आयोनाइजिंग रेडिएशन, एक ऐसी थेरेपी है जिसे अक्सर रेडिएशन थेरेपी या रेडियोथेरेपी के रूप में जाना जाता है। इसका उपयोग, शरीर में कैंसर सेल्स को नियंत्रित करने या मारने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह आमतौर पर एक लीनियर एक्सीलीरेटर का उपयोग करके प्रशासित किया जाता है और इसे अक्सर आरटी, आरटीएक्स या एक्सआरटी के रूप में संक्षिप्त तरह से भी जाना जाता है।
  • सब्बलिंगुअल ग्लैंड सर्जरी: कैंसर के मामलों में सब्बलिंगुअल ग्लैंड को पूरी तरह से हटाने के लिए, एक्सिसनल सर्जरी की आवश्यकता होती है। मांसल ग्रंथियां(सब्बलिंगुअल ग्लैंड) मुंह के तल के दोनों ओर, जीभ के नीचे होती हैं। सर्जन, आंतरिक मुंह में एक कट (एक चीरा) लगता है और फिर उसके माध्यम से ग्लैंड और आसपास के टिश्यू के हिस्से को हटा देता है।
  • रेडिकल पैरोटिडेक्टॉमी: रेडिकल पैरोटिडेक्टॉमी में फेशियल नर्व (एफएन) को हटा दिया जाता है और सभी पैरोटिड टिश्यू हटा दिया जाता है। यह तब किया जाता है जब एक ट्यूमर फेशियल नर्व(FN) में फ़ैल जाता है या फिर किसी यदि घातक बीमारी के कारण प्रीऑपरेटिव FN फ़ंक्शन से समझौता किया गया हो।
  • कीमोथेरेपी: शरीर के अनियंत्रित बढ़ते सेल्स को खत्म करने के लिए, कीमोथेरेपी, एक फार्माकोलॉजिकल थेरेपी है। कीमोथेरेपी का उपयोग अक्सर कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है क्योंकि शरीर के अधिकांश अन्य प्रकार के सेल्स की तुलना में, कैंसर सेल्स बहुत तेजी से बढ़ती हैं और प्रजनन करते हैं। कीमोथेरेपी दवाएं विभिन्न रूपों में आती हैं।
  • डीप लोब पैरोटिडेक्टॉमी: जब एक डीप लोब सौम्य या घातक ट्यूमर मौजूद होता है, तो चेहरे की नर्व के करीब सलाईवरी टिश्यू(लार के टिश्यू) को हटा दिया जाता है।
  • सुपरफिशियल या लेटरल या क्लासिकल पैरोटिडेक्टोमी: यह सुपरफिशियल सौम्य और घातक ट्यूमर के लिए किया जाता है। सलाईवरी टिश्यू जो चेहरे की नर्व के बगल में होता है, इसमें हटा दिया जाता है।
  • टोटल कंजरवेटिव पैरोटिडेक्टॉमी: यह सतही और गहरे लोब दोनों को प्रभावित करने वाले सौम्य और घातक ट्यूमर के लिए किया जाता है। यह सभी सलाईवरी टिश्यू(लार के टिश्यू) को हटाते हुए, चेहरे की नर्व को सुरक्षित रखता है।

लार ग्रंथि की बीमारियों के लिए दवाइयां | Salivary Gland ki Bimariyo ke liye Dawaiyan

  • दर्द को कम करने के लिए नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं: NSAIDS जैसे मेटफॉर्मिन, नेप्रोक्सन, इंडोमेथेसिन और इबुप्रोफेन, अन्य समान दवाओं के साथ, दर्द और सूजन को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • ओरल कैविटी में सूखेपन के लिए लार उत्तेजक: ये दवाएं हैं जो लार ग्रंथियों द्वारा स्रावित लार की मात्रा को बढ़ाने के लिए दी जाती हैं। इन दवाओं के उदाहरणों में सेविमलाइन, इवोक्सैक, पिलोकार्पिन और सालजेन शामिल हैं।
  • लार ग्रंथि की स्रावी समस्याओं के इलाज के लिए एंटीकोलिनर्जिक्स: प्रोपेन्थेलाइन, ग्लाइकोप्राइरोलेट, बेन्स्ट्रोप्रिन और स्कोपोलामाइन एंटीकोलिनर्जिक दवाओं के उदाहरण हैं, जो अक्सर लार ग्रंथियों की समस्याओं के इलाज के लिए उपयोग की जाती हैं। अधिकांश एंटीकोलिनर्जिक दवाएं मस्कैरेनिक ग्रंथि रिसेप्टर्स पर कार्य करती हैं, जिससे लार की मात्रा में कमी आती है।
  • लार के संक्रमण के उपचार के लिए एंटीबायोटिक्स: लार ग्रंथियों में बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने पर, उसके इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपा योग किया जाता है। जैसे कि सेफलोस्पोरिन (सेफलोथिन या सेफैलेक्सिन), डाइक्लोक्सासिलिन, क्लिंडामाइसिन, एमोक्सिसिलिन-क्लेवुलनेट या एम्पीसिलीन।

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Written By
PhD (Pharmacology) Pursuing, M.Pharma (Pharmacology), B.Pharma - Certificate in Nutrition and Child Care
Pharmacology
English Version is Reviewed by
MD - Consultant Physician
General Physician
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