मनुष्य एक सामाजिक जानवर हैं, जो पारस्पिरिक सम्बन्ध बढ़ाने से बनते है. यह इंसान के मूल प्रकृति में है कि वह समाज में विनम्र स्वभाव रखे और ऐसे में “नहीं” शब्द तनाव की तरह लगते है. आप हर दिन आपके साथियों, परिवार, या कार्यस्थल पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दिए गए हर अनुरोध का अनुपालन करते हैं. आप अपने क्षमता और समय से आगे जाकर सभी काम करते है. जिससे अनावश्यक तनाव पड़ता हैं. क्या आपको हमेशा ऐसे काम करना चाहिए?
'नहीं' कहना इतना मुश्किल क्यों लगता है?
यह लोगों के साथ आम धारणा है कि 'नहीं' बोलना एक मुश्किल काम है. जब आप किसी के अनुरोध को मना करता है, तो अनुरोध करने वाले इंसान के मन में गलत भावना आती है. लेकिन यह लोगों के साथ आपके रिश्तों के मुकाबले आपके आत्मविश्वास को दिखाता है.
जिन लोगों में कम आत्मविश्वास होता है, वह दूसरों की जरूरतों के मुकाबले अपनी जरूरतों को महत्व देते हैं. किसी को नहीं बोलना असभ्य लग सकता है और कोई नहीं चाहता है कि वह असभ्य कहलाएं.
हालाँकि 'नहीं' बोलना से आप असभ्य या अशिक्षित नहीं कहलाते है.
आखिर में यह बात मायने रखता है, कि आप किसी व्यक्ति को सीधा “नहीं” बोलते है या इसके बजाए किसी मकसद के लिए “नहीं” बोलते है. अगर आप 'नहीं' बोलते है तो आप अपने समय और प्राथमिकताओं का सम्मान करते है.
आखिर “नहीं”कहना शुरू कैसे करे?
यदि आप समय और जरूरतों के लिए 'नहीं' कहना शुरू करना चाहता है, तो आप बताए गए सुझावों का पालन करे.
इन परिवर्तनों से आप अधिक आत्मविश्वास महसूस कर सकते हैं. इसके साथ ही आप सहज महसूस करेंगे, जब आप अगली बार किसी को नहीं बोलते है.
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