गले का कैंसर एक ऐसी स्थिति है जिसमें गले (ग्रसनी-फैरिंक्स), वॉयस बॉक्स (स्वरयंत्र-लैरिंक्स) या टॉन्सिल में कैंसर के ट्यूमर विकसित हो सकते हैं। लगातार खांसी, गले या कान में दर्द और निगलने में कठिनाई गले के कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। यदि इनमें से कोई भी स्थिति लगातार बनी रहती है, तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
यदि प्रारंभिक अवस्था में पता चल जाए तो रेडिएशन थेरेपी द्वारा गले के कैंसर को ठीक किया जा सकता है। वहीं, गंभीर स्थिति में सर्जरी के जरिए कैंसर की गांठ (ट्यूमर) को हटाया जा सकता है। कुछ स्थितियों में, वॉयस बॉक्स या गले के हिस्से के सभी हिस्से को भी सर्जरी द्वारा निकालना पड़ सकता है। हालांकि कुछ दवाओं का उपयोग करके भी कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए कीमोथेरेपी की जाती है।
गले का कैंसर के निम्न लिखित कारण हो सकते हैं:
गले के कैंसर के संकेत और लक्षण में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
गले का कैंसर, कैंसर का एक दुर्लभ रूप है। यह गले, स्वरयंत्र या टॉन्सिल में विकसित होता है। इसके सामान्य लक्षणों में लगातार गले में खराश खांसी, निगलने में कठिनाई, आवाज बैठना, कान में दर्द और नैक मास शामिल हैं। यह जल्दी से विकसित हो सकता है।
गले का कैंसर के निम्नलिखित प्रकार नीचे दिए गए हैं:
रेडिएशन थेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए हाई एनर्जी बीम्स का उपयोग किया जाता है। एक्स रे और प्रोटॉन जैसे स्रोतों का उपयोग इन उच्च बीम्स को वितरित करने के लिए किया जाता है जो कि पहले चरण में ही आपके गले के कैंसर का पता लगने पर प्रभावी होते हैं।
सर्जरी का उपयोग थोड़ी अधिक गंभीर स्थिति में किया जाता है। यदि कैंसर गले की सतह तक सीमित है, तो एंडोस्कोपी के जरिए कैंसर का इलाज किया जा सकता है। इसके लिए गले या मुंह में एक खोखला एंडोस्कोप डाला जाएगा जिसके माध्यम से सर्जिकल उपकरण या लेजर का इस्तेमाल किया जाएगा।
सतही कैंसर को उपकरण के जरिए काट सकते हैं और लेजर वाष्पीकृत कर सकता है। कुछ स्थितियों में, वॉयस बॉक्स का एक हिस्सा जहां कैंसर मौजूद है, उसे हटाना पड़ सकता है। गंभीरता के आधार पर गले के कुछ हिस्सों को भी निकालना पड़ सकता है।
गर्दन के पास एक विच्छेदन किया जाएगा और फिर, कैंसरयुक्त लिम्फ नोड्स को शल्य चिकित्सा द्वारा हटा दिया जाएगा।
गले के प्रारंभिक चरण के कैंसर छोटे, स्थानीयकृत और अत्यधिक इलाज योग्य होते हैं। इनका सर्जरी और रेडिएशन थेरेपी के साथ इलाज किया जाता है। गले के कैंसर की प्रारंभिक चरण की बीमारी के चरण I, II और कुछ हद तक चरण III कैंसर का इलाज शामिल है।
ऐसे लोग जिन्हें गले में लगातार दर्द या निगलने में कठिनाई होती है तो उन्हें डॉक्टरी इलाज की जरुरत हो सकती है। इसके अलावा, अगर गले में कोई गांठ या खराश है जो लंबे समय से ठीक नहीं हुई है, तो इस पर ध्यान देने की जरुरत है।
ऐसे लोग जिन्हें गले में सामान्य दर्द होता है। उन्हें कैंसर से डरने की जरुरत नहीं है। यह टॉन्सिल का दर्द हो सकता है। एहतियात के तौर पूरी जांच करा सकते हैं।
गले के कैंसर के इलाज में उपयोग होने वाली रेडिएशन थेरेपी में हाई एनर्जी बीम्स का इस्तेमाल किया जाता है। इन बीम्स के कारण मरीज को कुछ समय के लिए त्वचा में जलन हो सकती हैं। इससे गंध और स्वाद की भावना बदल सकती है। इसके अलावा आवाज में अस्थायी या स्थायी रूप से बदलाव हो सकता है और मुंह सूखना व निगलने में कठिनाई जैसी शिकायतें भी हो सकती हैं।
गले के कैंसर के संकेत और लक्षण रोग के शुरुआती चरणों में पहचानना मुश्किल हो सकता है। गले के कैंसर की सबसे आम और प्रारंभिक चेतावनी संकेत लगातार गले में खराश बने रहना है। यदि आपके गले में खराश है जो दो सप्ताह से अधिक समय तक रहती है, तो तुरंत डॉक्टर को देखने की सलाह दी जाती है।
गले के कैंसर की कई स्थितियां होती हैं। इनमें से कुछ दर्दनाक और कुछ बेहद सामान्य हो सकती हैं। गले का कैंसर भोजन को चबाते और निगलते समय दर्द या जलन पैदा कर सकता है। इस दौरान मरीज को ऐसा महसूस हो सकता है कि भोजन उसके गले में चिपक रहा है।
बढ़े हुए लिम्फ नोड के कारण गर्दन (गले में) में गांठ हो सकती है। गर्दन में एक या एक से अधिक लिम्फ नोड्स में सूजन गले के कैंसर के साथ-साथ सिर और गर्दन के अन्य कैंसर का एक सामान्य लक्षण हो सकता है।
गले में होने वाली गांठें आमतौर पर कैंसर के कारण नहीं होती हैं। कैंसर की गांठ धीरे-धीरे बड़ी होती जाती है।
गले के कैंसर के इलाज के अधिक से अधिक फल और सब्जियों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।धूम्रपान छोड़ें और शराब पीने से बचें। इलाज के बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए नियमित डॉक्टर से अपना चेकअप कराते रहें।
कैंसर के इलाज के बाद लगभग एक सप्ताह में मरीज चलने और अपनी नियमित गतिविधियों को करने में सक्षम हो सकता है। हालांकि एकदम पहले की तरह और सामान्य तरह से गतिविधियों को करने के लिए 3-4 सप्ताह तक आराम करना चाहिए।
स्टेज T4a स्वरयंत्र (लैरिंक्स कैंसर) कैंसर वाले रोगियों का जीवित रहना, जिनका इलाज नहीं किया जाता है, आमतौर पर एक वर्ष से कम होता है। अनुपचारित बीमारी से जुड़े लक्षणों में गंभीर दर्द और खाने, पीने और निगलने में परेशानी हो सकती है। अनुपचारित ट्यूमर से वायुमार्ग के श्वासावरोध (एस्फिक्सिएशन) के कारण मरीज की मौत तक हो सकती है।
गले के कैंसर के इलाज के लिए आपको ₹100000 से ₹150000 के बीच खर्च करना पड़ सकता है।
आनुवंशिकी (जेनेटिक्स) और पर्यावरण के कारण होने वाले कैंसर आपके नियंत्रण से बाहर होते हैं, लेकिन शोध से पता चलता है कि फलों के इस्तेमाल से और आहार में बदलाव कर कैंसर के जोखिम को लगभग 70% दूर किया जा सकता है।
कैंसर का कोई भी इलाज स्थायी नहीं होता है। एक बार इसका इलाज हो जाने के बाद शरीर की बहुत अच्छी तरह से देखभाल करनी चाहिए। सुनिश्चित करें कि आप एक स्वस्थ आहार का सेवन कर रहे हैं और धूम्रपान व शराब पीना बंद कर दें।
गले के कैंसर के लिए कोई वैकल्पिक उपचार नहीं है, लेकिन आप एक्यूपंक्चर, मसाज थेरेपी और मेडिटेशन के जरिए इसे ठीक कर सकते हैं।