जीभ आपके मुंह में मौजूद एक मस्कुलर ऑर्गन है जो चबाने, बोलने और सांस लेने में सहायता करती है। यह एक डाइजेस्टिव अंग है। आपकी जीभ भोजन को आपके मुंह के अंदर चारों ओर घुमाती है ताकि आपको चबाने और निगलने में मदद मिल सके। जीभ की सहायता से आप अलग-अलग ध्वनियाँ बना सकते हैं ताकि आप स्पष्ट रूप से बोल सकें और शब्द बना सकें। आपकी जीभ आपके वायुमार्ग को खुला रखने में मदद करती है ताकि आप ठीक से सांस ले सकें।
जीभ, हाइपोइड हड्डी (आपकी गर्दन के बीच में स्थित) से आपके मुंह के तल (फ्लोर) तक जाती है।
जीभ के कार्य और संरचना
जीभ की संरचना बहुत अच्छी है, क्योंकि यह मांसपेशियों से बनी होती है जो एक म्यूकस मेम्ब्रेन से ढकी होती है। ओरोफैरिंक्स और ओरल कैविटी को जीभ कवर करती है। इस डिवीज़न के दो भाग हैं-
जीभ और उसके भाग
आमतौर पर जीभ की लम्बाई 10 सेमी होती है और ये दो डेफिनिट पार्ट्स में डिवाइड होती है:
एंटीरियर का दो-तिहाई भाग
जीभ के एंटीरियर भाग में अपैक्स और बॉडी शामिल होती है और यह सल्कस टर्मिनलिस पर समाप्त होता है; यह भाग फोरामेन सीकुम से पैलेटोग्लोसल आर्च की ओर एक ऑब्लिक(तिरछी) दिशा में लेटरल तरह से फैला हुआ होता है। डोर्सल सरफेस की म्यूकोसा लेयर निम्नलिखित से बनी होती है
पोस्टीरियर- तीसरा भाग
जीभ का पिछला तीसरा भाग, अंग के आधार से बना होता है। यह पैलेटोग्लोसल फोल्ड्स के पीछे स्थित होता है और ओरोफैरिंक्स की एंटीरियर वॉल की दीवार के रूप में कार्य करता है। इस भाग में कोई लिंगुअल पैपिला नहीं होता है और म्यूकोसा पर बहुत सारे लिम्फेटिक टिश्यू होते हैं जिसे लिंगुअल टॉन्सिल के रूप में जाना जाता है।
टेस्ट बड्स का स्ट्रक्चर
टेस्ट बड्स जीभ, गले और तालू पर स्थित सेंसरी रिसेप्टर्स होते हैं। वे स्वाद के बारे में धारणा बनाने में मदद करते हैं। टेस्ट बड्स या टेस्ट रिसेप्टर सेल्स, भोजन और अन्य वस्तुओं से लार में घुले रसायनों का पता लगाती हैं और फिर न्यूरॉन्स के माध्यम से अपनी सेंसरी इनफार्मेशन को मस्तिष्क के गुस्टेटोरी सेंटर में भेजते हैं।
टेस्ट रिसेप्टर सेल्स, 50-150 के ग्रुप में जीभ पर भोजन और अन्य वस्तुओं से आने वाले रसायनों के साथ इंटरैक्ट करते हैं। प्रत्येक ग्रुप से एक टेस्ट बड बनती है, जो अन्य टेस्ट बड्स के साथ मिलकर एक ग्रुप बनाता है।
टेस्ट बड्स, जीभ के एपिथेलियम में एम्बेडेड होती हैं और स्वाद के टेस्ट पोर के माध्यम से बाहरी वातावरण से संपर्क बनाती हैं। माइक्रोविली जैसी संरचनाएं, टेस्ट पोर के माध्यम से टेस्ट बड्स के बाहरी सिरों तक फैलती हैं, जहां ये सारी प्रक्रियाएं म्यूकस द्वारा कवर होती हैं जो ओरल कैविटी को लाइन करती हैं।
आंतरिक मांसपेशियां (इन्ट्रिंसिक मसल्स)
आंतरिक मांसपेशियां (इन्ट्रिंसिक मसल्स) के चार पेयर होते हैं जो जीभ को आकार बदलने की अनुमति देते हैं।
सुपीरियर लोंगीट्यूडिनल मांसपेशियां जो ऊपरी सतह के म्यूकोसा के ठीक नीचे के अंग के साथ चलती हैं। यह जीभ को छोटा करती हैं और इसके सिरे को पीछे की ओर मोड़ती हैं।
इन्फीरियर लोंगीट्यूडिनल मांसपेशियां जो जीभ को छोटा करती हैं और वेंट्रोफ्लेक्सियन प्रदान करती हैं।
ट्रांस्वर्स मांसपेशियां जीभ के अक्रॉस लेटरल रूप से चलती हैं और मीडियल सेप्टम को अंग के लेटरल एस्पेक्ट से जोड़ती हैं। वे जीभ को संकुचित करने में मदद करती हैं।
वर्टीकल मांसपेशी जीभ की निचली और ऊपरी और निचली सतहों को जोड़ती है। वे जीभ को चपटा करने में मदद करते हैं।
बाहरी मांसपेशियां(एक्सट्रिन्सिक मसल्स):
जीभ की कई बाहरी मांसपेशियां होती है जो अंग के बाहर उत्पन्न होती हैं और विभिन्न बिंदुओं पर उसमें प्रवेश करती हैं। ये मांसपेशियां हैं
ग्रंथियां(ग्लांड्स):
जीभ में तीन प्रकार की ग्रंथियां बिखरी होती हैं:
जीभ के टेस्ट के प्रकार
टेस्ट बड्स या टेस्ट रिसेप्टर सेल्स द्वारा पाँच तरह के टेस्ट का पता लगाया जा सकता है। य़े हैं
सभी टेस्ट बड्स, सभी स्वादों को समझ सकते हैं परन्तु विशिष्ट टेस्ट बड्स में कुछ स्वादों के लिए थोड़ी अधिक संवेदनशीलता होती है।
जीभ के कार्यों में शामिल हैं: