टॉन्सिलिटिस आपके गले के पीछे मौजूद टॉन्सिल का संक्रमण है। यह एक सामान्य बीमारी है जो बच्चों से लेकर किशोरों और वयस्कों में हो सकती है। आपके टॉन्सिल फिल्टर के रूप में कार्य करते हैं और कीटाणुओं को आपके वायुमार्ग में प्रवेश करने से रोकते हैं। ये कीटाणु अगर वायुमार्ग में पहुंच जाएं तो संक्रमण का कारण बन सकते हैं। टॉन्सिल संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडी भी बनाते हैं। लेकिन कभी-कभी, वे बैक्टीरिया या वायरस की चपेट में आ जाते हैं और उनमें सूजन हो सकती है।
टॉन्सिलाइटिस तीन प्रकार के होते हैं:
इसके लक्षण आमतौर पर 3 या 4 दिनों तक चलते हैं लेकिन 2 सप्ताह तक भी बने रह सकते हैं।
यह तब होता है जब आपको साल में कई बार टॉन्सिलाइटिस होता रहता है ।
यह तब होता है जब आपको लंबे समय तक टॉन्सिल का संक्रमण होता है।
टॉन्सिलिटिस के मुख्य लक्षण टॉन्सिल में सूजन होती है।हालांकि कभी-कभी यह इतना गंभीर होता है कि आपके मुंह से सांस लेना मुश्किल हो जाता है। अन्य लक्षणों में शामिल हैं:
टॉन्सिलिटिस के कारण और जोखिम कारक
बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण टॉन्सिलिटिस का कारण बनते हैं। एक सामान्य कारण स्ट्रेप्टोकोकस (स्ट्रेप) बैक्टीरिया है, जो स्ट्रेप थ्रोट का कारण भी बन सकता है। अन्य सामान्य कारणों में शामिल हैं:
शामिल किए जाने वाले खाद्य पदार्थ
गर्म तरल पदार्थ लें
गर्म पानी, चाय, हर्बल चाय, सूप आदि जैसे गर्म तरल पदार्थ गले को राहत देते हैं। नियमित रूप से गर्म पेय पदार्थ पीने से सूजन को कम करने और रिकवरी में तेजी लाने में मदद मिलती है।
मसाले / जड़ी बूटी
हमारे आसपास मौजूद बहुत से जड़ी-बूटियां और मसाले रोगों के उपचार और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होते हैं।इनके उपयोग से सूजन में कमी सकती है और रिकवरी में तेजी आ सकती है। टॉन्सिलिटिस से राहत पाने के लिए अदरक, हल्दी, सेज, लहसुन, पुदीना और मुलेठी जैसे मसालों का उपयोग काढ़े में करें।
ओटमील
फाइबर, मैग्नीशियम, जिंक और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर ओटमील एक बेहतरीन भोजन है जो सिस्टम से विषाक्त पदार्थों को खत्म करने और सूजन को कम करने में मदद करती है। इसके अलावा, ओट्स को पकाए जाने पर ये नरम होते हैं जिन्हें निगलने में समस्या नहीं होती है।
दही
दही प्रोबायोटिक्स, प्रोटीन, स्वस्थ वसा और कार्बोहाइड्रेट का एक प्रभावशाली स्रोत है जो पाचन तंत्र की रक्षा के लिए जाना जाता है और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाता है। यह नरम और खाने में आसान है, जबकि पोषक तत्वों से भरपूर यह भोजन सिस्टम को पोषण देता है और टॉन्सिलिटिस को प्राकृतिक रूप से ठीक करता है।
शहद
यह प्राकृतिक स्वीटनर शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-वायरल गुणों के साथ आता है जो सिस्टम को रोगजनक पैदा करने वाले संक्रमण से बचाने में मदद करता है। शहद, अदरक की चाय या शहद और हल्दी के अर्क का सेवन करने से टॉन्सिलिटिस से राहत मिलती है।
अंडे
अंडे प्रोटीन, आयरन, जिंक, सेलेनियम, विटामिन बी12 और डी से भरपूर होते हैं जो शरीर को सूजन से लड़ने के लिए पोषण प्रदान करते हैं। ये नरम और खाने में आसान होते हैं और उपचार प्रक्रिया को तेज करते हैं।
पकी सब्जियां
पकी हुई सब्जियाँ जैसे आलू, कद्दू, गाजर और शकरकंद खाने में आसान और मुलायम होते हैं । इसके अलावा, ये खाद्य पदार्थ आवश्यक पोषक तत्वों से भरे होते हैं, जो टॉन्सिलिटिस से राहत प्रदान करते हैं।
गर्म तरल पदार्थ का भरपूर सेवन
गर्म तरल पदार्थ, जैसे सूप, गले की खराश को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
सूप, शोरबा और चाय सहित गर्म तरल पदार्थ पीने से गले में खराश को शांत करने में मदद मिल सकती है। शहद, पेक्टिन या ग्लिसरीन जैसी सामग्री वाली हर्बल चाय मदद कर सकती है, क्योंकि ये तत्व मुंह और गले में श्लेष्मा झिल्ली पर एक सुरक्षात्मक परत बनाते हैं, जो जलन को शांत कर सकती है।
ठंडा खाना खाना
जमे हुए दही या आइसक्रीम जैसे ठंडे, नरम खाद्य पदार्थ खाने से गला सुन्न हो सकता है, जिससे अस्थायी रूप से दर्द से राहत मिलती है।इसके अलावा आप पॉप्सिकल्स , ठंडी स्मूदी , ठंडा पानी भी पी सकते हैं।
कठोर भोजन से परहेज
टॉन्सिलिटिस वाले लोगों के लिए, कठोर या तीखा भोजन करना असहज और दर्दनाक भी हो सकता है। आपका गला संवेदनशील स्थिति में है ऐसे में कठोर खाद्य पदार्थ गले को खरोंच सकते हैं जिससे जलन और सूजन हो सकती है। ऐसे में चिप्स, सूखा अनाज, कच्ची गाजर, कच्चे सेब इत्यादि से परहेज़ करें।
नमक के पानी से गरारे करना
नमक के पानी से गरारे करने से गले के पिछले हिस्से में दर्द या खराश कुछ समय के लिए शांत हो सकती है। इसके लिए एक गिलास गर्म पानी में एक चौथाई चम्मच नमक मिलाकर मिश्रण बना लें । फिर कुछ सेकंड के लिए इस पानी को गले में रककर गरारे कर सकते हैं। जितनी बार आवश्यक हो प्रक्रिया को दोहराना सुरक्षित है ।
कमरे में ह्यूमिडिटी बढ़ाएं
शुष्क हवा गले में खराश को और बढ़ा सकती है। टॉन्सिलाइटिस वाले लोगों को कूल मिस्ट ह्यूमिडिफायर का उपयोग करने से लाभ हो सकता है। ये उपकरण नमी को वापस हवा में छोड़ते हैं, जिससे गले की परेशानी को कम करने में मदद मिलती है। हानिकारक मोल्ड और बैक्टीरिया के विकास को रोकने के लिए रोजाना ह्यूमिडिफायर साफ करना चाहिए।जिनके पास ह्यूमिडिफायर नहीं है, वे गर्म स्नान या भाप लेने की कोशिश कर सकते हैं।
चिल्लाकर या तेज़ आवाज में बात ना करें
गले में सूजन के कारण आवाज दब सकती है। तेज़ आवाज में बात करने से गले में जलन का खतरा और बढ़ जाता है। यदि बोलना कष्टदायक हो तो व्यक्ति को जितना हो सके वाणी को आराम देने का प्रयास करना चाहिए।
भरपूर आराम करना
टॉन्सिलाइटिस से पीड़ित लोगों को जितना हो सके आराम करना चाहिए। आराम करने से शरीर को वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण से लड़ने में मदद मिलेगी। म या स्कूल जाना जारी रखने से न केवल किसी व्यक्ति के लंबे समय तक बीमार रहने की संभावना बढ़ जाती है, बल्कि इससे दूसरों को भी संक्रमण होने का खतरा हो सकता है।
दवाओं के माध्यम से
यदि आपके परीक्षणों में बैक्टीरिया का पता चलता है, तो आपको एंटीबायोटिक दवाएं दी जाएंगी। आपके डॉक्टर आपको ये दवाएं इंजेक्शन या गोलियों के रूप में में दे सकते हैं जिसे आपको नियमित रूप से लेना है । ऐसा करने से आप 2 या 3 दिनों के भीतर बेहतर महसूस करना शुरू कर देंगे।
टॉन्सिल्लेक्टोमी सर्जरीटॉन्सिल आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, इसलिए आपके डॉक्टर उन्हें ठीक करने की पूरी कोशिश करेंगे। लेकिन अगर आपका टॉन्सिलाइटिस वापस आता रहता है या दूर नहीं होता है, या फिर सूजे हुए टॉन्सिल आपके लिए सांस लेना या खाना मुश्किल कर देते हैं, तो आपको अपने टॉन्सिल को बाहर निकालने की आवश्यकता हो सकती है। इस सर्जरी को टॉन्सिल्लेक्टोमी कहा जाता है।
पुराने समय में टॉन्सिल्लेक्टोमी एक बहुत ही सामान्य उपचार हुआ करता था। लेकिन अब डॉक्टर इसकी सलाह तभी देते हैं जब टॉन्सिलाइटिस बार-बार हो रहा हो। आमतौर पर, आपके डॉक्टर आपके टॉन्सिल को बाहर निकालने के लिए एक नुकीले उपकरण का उपयोग करता है जिसे स्केलपेल कहा जाता है। लेकिन इसके लिए अन्य विकल्प भी उपलब्ध हैं, जिनमें बढ़े हुए टॉन्सिल को हटाने के लिए लेजर, रेडियो तरंगें, अल्ट्रासोनिक ऊर्जा या इलेक्ट्रोकॉटरी शामिल हैं।
इस सर्जरी के दौरान रोगी को जनरल एनेस्थीसिया दी जाती है।इसके बाद सर्जन रोगी के टॉन्सिल को हटा देंगे। टॉन्सिल्लेक्टोमी करने के लिए सर्जन कई तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें शामिल हैं:
अन्य तरीकों में रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन तकनीक, कार्बन डाइऑक्साइड लेजर, माइक्रोडेब्राइडर का उपयोग शामिल है।
ज्यादातर मामलों में, टॉन्सिल्लेक्टोमी को पूरा होने में लगभग 20 से 30 मिनट लगते हैं। कुछ मामलों में इसमें अधिक समय लग सकता है।टॉन्सिल्लेक्टोमी एक आउट पेशेंट प्रक्रिया है, जिसका अर्थ है कि आपको अस्पताल में रहने की आवश्यकता नहीं होगी। आप सर्जरी के कुछ घंटे बाद घर जा सकते हैं। रिकवरी में आमतौर पर 7 से 10 दिन लगते हैं। सर्जरी के बाद एक से दो सप्ताह तक गले में मध्यम से गंभीर दर्द हो सकता है। कान, गर्दन या जबड़े में दर्द होने की संभावना रहती है। कुछ दिनों तक जी मिचलाना और उल्टी होने की समस्या भी हो सकती है।कुछ लोगों को कई दिनों तक हल्का बुखार रहता है।इसके अलावा लगभग दो सप्ताह तक सांसों में दुर्गंध, जीभ या गले में सूजन और गले में कुछ फंसा हुआ महसूस होता है।
भारत में टान्सिलाइटिस की सर्जरी में करीब 40,000 रुपए से 150,000 रुपए तक का खर्च आ सकता है।
टॉन्सिल आपके गले के पिछले भाग में होते हैं जो कीटाणुओं को आपके वायुमार्ग में प्रवेश से रोकते हैं। पर कई बार ये खुद ही संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। इस स्थिति में इनमें सूजन और लाली आ सकती है।
रोगी को गले में तेज़ दर्द,निगलने में कठिनाए,बुखार,दस्त और कई अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। कई बार लक्षण इतने हम्भीर होते ही कि रोगी को सांस लेने में परेशानी होने लगती है। इसका इलाज दवाओं से किय़ा जाता है।पर अगर ये एक साल में कई बार होते रहें तो सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।