ट्रेकोमा एक जीवाणु संक्रमण है जो आपकी आंखों को प्रभावित करता है। यह जीवाणु क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस के कारण होता है। ट्रेकोमा संक्रामक है, जो संक्रमित लोगों की आंखों, पलकों और नाक या गले के स्राव के संपर्क में आने से फैलता है। रुमाल जैसी संक्रमित वस्तुओं को छूने से भी यह फैल सकता है।
सबसे पहले, ट्रेकोमा से आपकी आंखों और पलकों में हल्की खुजली और जलन हो सकती है। इसके बाद पलकों में सूजन और आँखों से मवाद बहता हुआ दिखाई दे सकता है। अनुपचारित ट्रेकोमा से अंधापन भी हो सकता है। उन क्षेत्रों में जहां ट्रेकोमा प्रचलित है, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में संक्रमण की दर 60% या अधिक हो सकती है।
ट्रेकोमा के लक्षण आमतौर पर दोनों आँखों को प्रभावित करते हैं और इसमें शामिल हो सकते हैं:
छोटे बच्चे विशेष रूप से संक्रमण के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं। लेकिन यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है, और अधिक दर्दनाक लक्षण वयस्क होने पर ही दिखाई देते हैं।
ट्रेकोमा क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस के कुछ उपप्रकारों के कारण होता है। यह एक जीवाणु है जो यौन संचारित संक्रमण क्लैमाइडिया का कारण भी बन सकता है।
ट्रेकोमा संक्रमित व्यक्ति की आंखों या नाक से स्राव के संपर्क में आने से फैलता है। हाथ, कपड़े, तौलिये और कीड़े सभी संक्रमण के मार्ग हो सकते हैं। विकासशील देशों में, मक्खियाँ भी इसके फैलने का एक साधन हैं।
ट्रेकोमा दुनिया भर में हो सकता है लेकिन अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका औऱ मध्य पूर्व में ये अधिक आम है। अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करने, अतिरिक्त सावधानी बरतने से इस संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकती है।अच्छी स्वच्छता की आदतों में शामिल हैं:
चेहरा और हाथ धोना
चेहरे और हाथों को साफ रखने से पुन: संक्रमण के चक्र को तोड़ने में मदद मिल सकती है।
फ्लाई कंट्रोल
मक्खियों की आबादी को कम करने से संचरण के स्रोत को खत्म करने में मदद मिल सकती है।
उचित अपशिष्ट प्रबंधन
जानवरों और मानव अपशिष्ट के उचित निपटान से मक्खियों के प्रजनन के आधार को कम किया जा सकता है।
पानी तक बेहतर पहुंच
आस-पास ताजे पानी का स्रोत होने से स्वच्छता की स्थिति में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
ट्रेकोमा का पता लगाने के लिए आपके डॉक्टर एक शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं। वो आपकी आंखों का विशेष उपकरणों द्वारा परीक्षण कर लक्षणों की गहनता से जांच करेंगे । इसके लिए आपकी आंखों से बैक्टीरिया का एक नमूना लैब में भेजकर ट्रेकोमा का पता लगाया जा सकता है।
ट्रेकोमा का पता लगाने के लिए चिकित्सक रोगी की आंख से एक स्वैब लेकर लैब में जांच के लिए भेजते हैं। जांच में ये पता लगाया जाता है कि भेजे गए नमूने में ट्रेकोमा का संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया हैं या नहीं।
ट्रेकोमा की जांच घर पर नहीं की जा सकती है। आपको अगर ट्रेकोमा जैसे लक्षण नज़र आते हैं तो अपने डॉक्टर से तुरंत परामर्श लें।
कैमोमाइल चाय
यह एक प्रभावी ट्रेकोमा उपचार है। कैमोमाइल में एंटीऑक्सीडेंट और जीवाणुरोधी गुण होते हैं। एक कप पानी में एक चम्मच कैमोमाइल चाय की पत्तियों को 10 मिनट तक उबालें। चाय को ठंडा होने दें और इसे गर्म ही पिएं।
अलसी का गर्म सेक
अलसी में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। वे संक्रमण को कम करने में मदद करते हैं। एक कप पानी उबालें और उसमें एक चम्मच अलसी मिलाएं। लगभग 5-8 मिनट के लिए चाय को ढंककर छोड़ दें। फिर इसे छानें और थोड़ा ठंडा होने दें। अब एक साफ तौलिये के कपड़े को गर्म मिश्रण में भिगोयें और अतिरिक्त पानी निकाल दें। गर्म सेक के रूप में कपड़े को आंखों पर रखें। रोजाना दो बार दोहराएं।
जैसमीन फ्लावर आई ड्रॉप्स का प्रयोग करें
ट्रेकोमा रोग से आंखों का संक्रमण प्राकृतिक आई ड्राप्स से ठीक हो जाता है। जैस्मीन जलनरोधी होती है, जो आंखों की जलन को कम करती है। डिस्टिल्ड वॉटर से एक जार भरें। कुछ चमेली के फूल डालकर रात भर के लिए छोड़ दें। अगले दिन आंखों को डिटॉक्स वॉटर से धोएं। इसकी कुछ बूँदें आंखों में दिन में दो बार डालें।
आलू आंखों को ठंडक पहुंचाए
आलू आंखों पर कूलिंग इफेक्ट छोड़ता है। आंखों के संक्रमण से आंखों में सूजन महसूस होती है। इसलिए, अच्छी तरह से धोए हुए आलू से कुछ स्लाइस काट लें। इन स्लाइस को अपनी बंद पलकों पर रखें। एक बार स्लाइस को और अधिक ठंडा न लगे, तो उन्हें हटा दें और अपनी आँखें धो लें।
गुलाब जल का प्रयोग करें
गुलाब जल एक प्रभावी ट्रेकोमा उपचार है। यह आंखों से गंदगी के साथ-साथ धूल के कणों को भी दूर करने में मदद करता है। गुलाब जल आंखों के टोनर के रूप में भी काम करता है। आंखों के संक्रमण को ठीक करने के लिए रोजाना गुलाब जल की कुछ बूंदों को अपनी आंखों में डालें।
संक्रमण अपने आप या एंटीबायोटिक दवाओं के साथ ठीक हो सकता है लेकिन ये आसानी से वापस आ सकता है और आंख को और खराब कर सकता है।
ट्रेकोमा एक संक्रमण है जो आंखों में सूजन और खुजली पैदा करता है। हालांकि इसमें किसी विशेष आहार की संस्तुति नहीं की जाती है पर पौष्टिक भोजन लेना उचित होता है।
एक संतुलित आहार के लिए खाने में ताज़े पल ,हरी सब्ज़ियां, नट्स और दालें शामिल करें। खासकर उन चीज़ों का सेवन करें जिनमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हों।
किसी भी संक्रमण में प्रोसेस्ड खाना और डिब्बाबंद खाना ना खाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा अधिक नमक,अधिक चीनी वाले पदार्थों से बचें। साछ ही जंक फूड से भी परहेज़ करें क्योंकि ये सूजन जैसे लक्षणों का बढ़ा सकते हैं।इसके अलावा शराब और सिगरेट के सेवन से भी बचना आपके लिए अच्छा रहेगा।
ट्रेकोमा के शुरुआती चरणों में संक्रमण को खत्म करने के लिए सिर्फ एंटीबायोटिक दवाओं के साथ उपचार पर्याप्त हो सकता है। आपके डॉक्टर टेट्रासाइक्लिन आई ऑइंटमेंट या ओरल एज़िथ्रोमाइसिन लिख सकते हैं। टेट्रासाइक्लिन की तुलना में एज़िथ्रोमाइसिन अधिक प्रभावी प्रतीत होता है।
ट्रेकोमा का संक्रमण धीरे धीरे बढ़ता है। ये रातोंरात इतना गंभीर नहीं हो जाता है कि आपात चिकित्सा की ज़रूरत पड़े। इसलिए लक्षणों की शुरुआत में ही चिकित्सक से परामर्श लें।
ट्रेकोमा के शुरुआती लक्षणों के लिए आप किसी भी जनरल फिज़ीशियन से परामर्श ले सकते हैं। पर अगर समस्या अधिक गम्भीर है तो नेत्र रोग विशेषज्ञ यानी ऑप्थैल्मोलॉजिस्ट से सम्पर्क करना उचित है।
अगर आपका ट्रेकोमा संक्रमण शुरुआती चरण में है तो ये दवाओं से भी ठीक हो सकता है।
ट्रेकोमा के एडवांस चरणों के उपचार में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। ये अधिकतर उन मामलों में की जाती है जब रोगी को दर्दनाक पलक विकृति जैसी समस्या हो।इसके लिए लिड रोटेशन सर्जरी की जाती है। यदि आपका कॉर्निया आपकी दृष्टि को गंभीर रूप से खराब करने के लिए पर्याप्त रूप से धुंधला हो गया है, तो कॉर्नियल प्रत्यारोपण एक विकल्प हो सकता है जो दृष्टि में सुधार कर सकता है। इसके अलावा कुछ मामलों में पलकें (एपिलेशन) हटाने की प्रक्रिया हो सकती है। इस प्रक्रिया को बार-बार करने की आवश्यकता हो सकती है।
इस प्रक्रिया में आपके डॉक्टर आपके जख्मी आईलिड में एक चीरा लगाते हैं और आपकी पलकों को आपके कॉर्निया से दूर हटा देते हैं । ये प्रक्रिया कॉर्नियल स्कारिंग की प्रगति को सीमित करती है और दृष्टि को आगे होने वाले नुकसान को रोकने में मदद कर सकती है।
यदि आपका कॉर्निया आपकी दृष्टि को गंभीर रूप से खराब करने के लिए पर्याप्त रूप से धुंधला हो गया है, तो कॉर्नियल प्रत्यारोपण एक विकल्प हो सकता है जो दृष्टि में सुधार कर सकता है।इसमें आपका खराब कार्निया निकालकर डोनर का कार्निया आंख में लगाया जाता है।
ट्रेकोमा के कुछ मामलों में पलकें हटाने की ज़रूरत हो सकती है । इस प्रक्रिया को एपिलेशन कहा जाता है । हालांकि इस प्रक्रिया को बार-बार करने की आवश्यकता हो सकती है।
भारत में अगर ट्रेकोमा के इलाज की बात करें तो दवाओं से इलाज में इसमें पांच हज़ार के अंदर का खर्च आता है। वहीं इसकी सर्जरी में 10,000 रुपए से 15,000 रुपए तक का खर्च आ सकता है।
ट्रेकोमा की सर्जरी के बाद एक ही दिन में रोगी को डिस्चार्ज कर दिया जाता है।हालांकि छह महीने तक रोगी को फॉलोअप की ज़रूरत होती है। ऐसे में सर्जरी के बाद 2 से चार हफ्तों में रोगी सामान्य दिनचर्या में लौट सकता है।
दवाओं के माध्यम से इलाज करने पर इस संक्रमण के दोबारा लौटने का खतरा होता है । वहीं सर्जरी के माध्यम से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।
ट्रेकोमा में पोस्टऑपरेटिव देखभाल इलाज का एक महत्वपूर्ण पहलू है। फॉलोअप विज़िट आदर्श रूप से पहले पोस्टऑपरेटिव डे पर होनी चाहिए।इसमें आंख से पैच हटाया जाता है।इसके बाद 8-14 दिनों के बाद टांके हटाने के लिए चिकित्सक आपको बुला सकते हैं।सर्जरी के 3 महीने बाद सर्जरी की रिकवरी देखने के लिए जांच की जाती है और फिर छह महीने बाद चिकित्सक चेकअप के लिए रोगी को बुलाते हैं।
सर्जरी के बाद एक आँख पैच लगाया जाना चाहिए और सोते समय किसी प्रकार की चोट से बचने के लिए पैच को रात भर लगा रहना चाहिए। अगले पैच हटने के बाद घाव को बैंडेज और सैलीन से साफ किया जाना चाहिए और सर्जरी के क्षेत्र की जांच की जानी चाहिए। यदि रोगी पहले पोस्टऑपरेटिव डे फॉलो-
अप विज़िट में भाग लेने में सक्षम नहीं है, तो उसे घर पर निम्नलिखित करने की सलाह दी जानी चाहिए:
ट्रेकोमा दुनिया भर में बड़ी तादाद में अंधेपन के प्रमुख कारणों में से एक है। वर्ष 2020 तक इसके उन्मूलन का डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य केवल आंशिक रूप से पूरा किया गया है। शुरुआती चरणों में सरल एंटीबायोटिक चिकित्सा, बड़े पैमाने पर एंटीबायोटिक कार्यक्रम और पुनर्निर्माण सर्जरी से रोगियों को बेहतर ढंग से ठीक करने और प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है