अवलोकन

Last Updated: Jul 07, 2023

यूटेरिन फाइब्रॉएड क्या होता है? लक्षण, कारण, परहेज और इलाज

यूटेरिन फाइब्रॉएड के बारे में यूटेरिन फाईब्रॉएड के प्रकार लक्षण कारण इलाज घरेलू उपचार इलाज की लागत निष्कर्ष

यूटेरिन फाइब्रॉएड क्या होता है? । About Uterine fibroids

यूटेरिन फाइब्रॉएड क्या होता है? । About Uterine fibroids

यूटरीन फाइब्रॉएड गर्भाशय की एक कैंसर रहित ग्रोथ होती है जो अक्सर बच्चे के जन्म के वर्षों के दौरान दिखाई देती हैं। इसे लियोमायोमास या मायोमा भी कहा जाता है। यूटेरिन यानी गर्भाशय फाइब्रॉएड गर्भाशय कैंसर के जोखिम से जुड़े नहीं है। यह कभी भी कैंसर में विकसित नहीं होता है।

फाइब्रॉएड का आकार एक बेहद छोटे बीज से लेकर बड़े आकार के गोले तक हो सकता है। यह गर्भाशय को विकृत और बड़ा कर सकता है। हालांकि फाइब्रॉएड एक से ज्यादा हो सकते हैं। गंभीर स्थिति में फाइब्रॉएड इतने बड़े हो जाते हैं की यह रिब केज यानी पसलियों तक पहुंच जाते हैं। इससे पीड़ित महिला का वजन बढ़ने लगता है।

कई महिलाओं को अपने जीवन में कभी न कभी गर्भाशय फाइब्रॉएड होता है। लेकिन उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। न ही इसके कोई लक्षण दिखते हैं। हालांकि डॉक्टर पैल्विक परीक्षा या प्रसवपूर्व अल्ट्रासाउंड के दौरान फाइब्रॉएड का पता लगा सकते हैं।

यूटेरिन फाईब्रॉएड के प्रकार । Types of Uterine fibroids

यूटेरिन फाईब्रॉएड के प्रकार । Types of Uterine fibroids

यूटरीन फाइब्रॉएड को मुख्यतः चार अलग अलग प्रकार में वर्गीकृत किया जाता है। यह वर्गीकरण गर्भाशय की दीवार के भीतर उनकी स्थिति पर आधारित है। यूटरीन फाइब्रॉए़ड के चार प्रकार हैं

  • सबसेरोसल फाइब्रॉएड
  • सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड
  • इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड
  • पेडुंक्युलेटेड फाइब्रॉएड
  • सबसेरोसल फाइब्रॉएड: सबसेरोसल फाइब्रॉएड गर्भाशय की बाहरी परत या सेरोसा के पास स्थित होते हैं। दरअसल ये गर्भाशय के बाहर की ओर अधिक बढ़ते हैं। छोटे सबसेरोसल फाइब्रॉएड में महत्वपूर्ण लक्षण होने की संभावना कम होती है। छोटे स्पर्शोन्मुख सबसेरोसल फाइब्रॉएड को आमतौर पर किसी भी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है और केवल नियमित अल्ट्रासाउंड के साथ निगरानी की जा सकती है। बड़े फाइब्रॉएड रोगसूचक बन सकते हैं।
  • सबसेरोसल फाइब्रॉएड के विशिष्ट लक्षणों में गर्भाशय के बड़े आकार के कारण पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग, होना और आस-पास के अंगों पर दबाव के लक्षण जैसे बारा-बार पेशाब आना, मल त्यागने में परेशानी या कब्ज की शिकायत होना शामिल हैं।

  • सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड: सबम्यूकोस फाइब्रॉएड गर्भाशय की आंतरिक परत या म्यूकोसा की ओर बढ़ते हैं और गर्भाशय गुहा में फैल जाते हैं। वे छोटे आकार में होते हैं और रोगसूचक हो सकते हैं। इसका मुख्य लक्षण भारी और अनियमित ब्लीडिंग होता है। सबम्यूकोस फाइब्रॉएड किसी भी गर्भवती महिला को दो तरह से प्रभावित कर सकता है। पहले तो ये गर्भवती होने में अड़चन पैदा करते हैं और अगर गर्भ धारण हो भी जाए तो इनकी वजह से गर्भपात होना आम समस्या हो सकती है।
  • सबम्यूकोस फाइब्रॉएड को हिस्टेरोस्कोपी के माध्यम से हटाया जा सकता है। यह एक बेहद कम काटं छांट वाली विधि है। इस तरह के फाइब्रॉएड को हटाने का फैसला जल्द किया जाना चाहिए। जैसे ही इसकी डायगनोसिस हो इसको हटाने का फैसला ले लिया जाना चाहिए।

  • इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड: इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड मुख्य रूप से गर्भाशय की मांसपेशी या मायोमेट्रियम के अंदर स्थित होते हैं। वे सबसरस फाइब्रॉएड की तरह व्यवहार करते हैं। इसके लक्षणों में भारी ब्लीडिंग या लंबे समय तक पीरियड्स होना, पीरियड्स के बीच में ब्लीडिंग, दबाव वाले लक्षण, बांझपन और गर्भपात होना शामिल हैं।
  • पेडुंक्युलेटेड फाइब्रॉएड: पेडुंक्युलेटेड फाइब्रॉएड को ऊपर के प्रकारों से अलग नहीं माना जाता है, लेकिन सबसेरल या सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड की भिन्नता है। वे यूटरस की दीवारों के बाहर, बाहर (सबसेरोसल) या गर्भाशय के अंदर (सबम्यूकोसल) एक डंठल पर उगते हैं। पेडुंक्युलेटेड सबसेरोसल फाइब्रॉएड जब छोटे होते हैं तो इनके लक्षण आमतौर पर बहुत हल्के होते हैं। जबकि पेडुंक्युलेटेड सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड, के लक्षण तीव्र होते हैं और अक्सर बांझपन का कारण बनते हैं।

यूटेरिन फाईब्रॉएड के लक्षण । Symptoms of uterine fibroids

फाइब्रॉएड से पीड़ित कई महिलाओं में कोई लक्षण नहीं होते हैं। जिन महिलाओं में लक्षण दिखते हैं वो लक्षण फाइब्रॉएड के स्थान, आकार और संख्या से प्रभावित हो सकते हैं। जिन महिलाओं में लक्षण होते हैं, उनमें गर्भाशय फाइब्रॉएड के सबसे आम लक्षणों में निम्न शामिल हैं:

  • पेट के निचले हिस्से या कमर में भारीपन
  • पीरियड्स के दौरान ऐंठन भरा तेज दर्द
  • पीरियड्स खत्म होने के बाद बीच में अचानक ब्लीडिंग
  • सेक्स करने में दर्द
  • बार-बार यूरिन का प्रेशर महसूस होना
  • पीरिड्स में भारी ब्लीडिंग
  • एक सप्ताह से अधिक समय तक पीरियड्स
  • मूत्राशय खाली करने में कठिनाई
  • कब्ज
  • पीठ दर्द या पैर दर्द

यूटेरिन फाईब्रॉएड के कारण । Causes of Uterine fibroids

यूटेरिन फाइब्रॉएड के सटीक कारणों का अब तक पता नहीं चला है, लेकिन शोध और क्लीनिक ​​अनुभव के आधार यह निम्न कारणों से हो सकता है:

  • आनुवंशिक परिवर्तन: कई बार यूटरस की मांसपेशियों की कोशिकाओं में जेनेटिक परिवर्तन होते हैं जिनकी वजह से फाइब्रॉएड बन जाते हैं।
  • हार्मोन: प्रत्येक पीरियड्स में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन, दो हार्मोन यूटरसर की लाइनिंग के विकास को प्रोत्साहित करते हैं। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे फाइब्रॉएड के विकास को बढ़ावा मिल सकता है।गर्भाशयकी सामान्य मांसपेशियों की कोशिकाओं की तुलना में फाइब्रॉएड अधिक एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन रिसेप्टर्स होते हैं। मेनोपॉज के बाद हार्मोन के उत्पादन में कमी के कारण फाइब्रॉएड सिकुड़ने लगते हैं।
  • अन्य कारक: ऐसे पदार्थ जो टिश्यू को बनाए रखने में मदद करते हैं, जैसे इंसुलिन की वृद्धि फाइब्रॉएड के विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
  • एक्स्ट्रासेल्युलर मैट्रिक्स (ईसीएम): ईसीएम वह सामग्री है जो कोशिकाओं को ईंटों के बीच मोर्टार की तरह एक साथ चिपका देती है। फाइब्रॉएड में ईसीएम बढ़ जाता है और उन्हें रेशेदार बना देता है। ईसीएम वृद्धि कारकों को भी संग्रहीत करता है और कोशिकाओं में स्वयं जैविक परिवर्तन का कारण बनता है। डॉक्टरों का मानना ​​है कि गर्भाशय फाइब्रॉएड गर्भाशय के चिकने पेशीय ऊतक (मायोमेट्रियम) में एक स्टेम सेल से विकसित होता है। एक एकल कोशिका बार-बार विभाजित होती है, अंततः आस-पास के ऊतक से अलग एक फर्म, रबड़ जैसा द्रव्यमान बनाती है।
  • गर्भाशय फाइब्रॉएड का विकास: गर्भाशय फाइब्रॉएड के विकास पैटर्न अलग-अलग होते हैं। वे धीरे-धीरे या तेजी से बढ़ सकते हैं, या वे एक ही आकार के रह सकते हैं। कुछ फाइब्रॉएड ग्रोथ स्पर्ट से गुजरते हैं, और कुछ अपने आप सिकुड़ सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान मौजूद कई फाइब्रॉएड गर्भावस्था के बाद सिकुड़ जाते हैं या गायब हो जाते हैं। दरअसल गर्भावस्था समाप्त होने के बाद गर्भाशय अपने सामान्य आकार में वापस आ जाता है।

यूटेरिन फाइब्रॉएड का इलाज । Uterine fibroids Treatment

यूटेरिन फाइब्रॉएड का इलाज उसके लक्षण, गंभीरता और होने वाले एरिया के आधार पर किया जाता है। इसे निम्न तरीकों से ठीक किया जा सकता है:

दवाएं

गर्भाशय फाइब्रॉएड इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में निम्न शामिल हैं:

  • ओटीसी दवाएं: इबुप्रोफेन जैसी ओवर-द-काउंटर दवाएं फाइब्रॉएड के कारण होने वाले पेट और पीठ के निचले हिस्से में दर्द जैसे लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकती हैं।
  • हार्मोनल बर्थ कंट्रोल पिल्स: बर्थ कंट्रोल पिल्स रेशेदार विकास की संभावना को कम करने के लिए किसी के हार्मोनल स्तर को विनियमित करने में मदद कर सकती हैं।
  • आयरन सप्लीमेंट: यदि आपको भारी रक्तस्राव का अनुभव होता है, तो आयरन सप्लीमेंट लेने से एनीमिया को रोकने में मदद मिल सकती है।
  • गोनैडोट्रोपिन-रिलीज़िंग हार्मोन (GnRH) एगोनिस्ट: ये दवाएं अस्थायी परिणाम प्रदान करती हैं और उन्हें हटाने से पहले फाइब्रॉएड को सिकोड़ने के लिए उपयोग की जाती हैं।

गैर-इनवेसिव प्रक्रिया

गर्भाशय फाइब्रॉएड के लिए एक गैर-इनवेसिव उपचार विकल्प जो आपके गर्भाशय को सुरक्षित रखता है, किसी चीरे की आवश्यकता नहीं होती है और यह एक आउट पेशेंट के आधार पर किया जाता है।

एमआरआई स्कैनर के अंदर जब पीड़ित होती हैं तो इस तरह का इलाज किया जाता है। इसमें छवियां डॉक्टर को गर्भाशय फाइब्रॉएड का सटीक स्थान देती हैं। जब फाइब्रॉएड के स्थान को लक्षित किया जाता है, तो अल्ट्रासाउंड ट्रांसड्यूसर रेशेदार ऊतक के छोटे क्षेत्रों को गर्म करने और नष्ट करने के लिए ध्वनि तरंगों (सोनिकेशन) को फाइब्रॉएड में केंद्रित करता है।

न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रियाएं

कुछ प्रक्रियाएं गर्भाशय फाइब्रॉएड को वास्तव में सर्जरी के माध्यम से हटाए बिना नष्ट कर सकती हैं। इनमें सम्मिलित हैं:

  • यूटेरिन आर्टेरी एम्बोलिज़ेशन: इस प्रक्रिया में एम्बोलिक एजेंट को गर्भाशय की आपूर्ति करने वाली धमनियों में इंजेक्ट किया जाता है, जिससे फाइब्रॉएड में रक्त का प्रवाह बंद हो जाता है, जिससे वे सिकुड़ जाते हैं और मर जाते हैं।
  • लेप्रोस्कोपिक या रोबोटिक मायोमेक्टोमी: मायोमेक्टॉमी में सर्जन, गर्भाशय को छोड़कर फाइब्रॉएड को हटा देता है। यदि फाइब्रॉएड कम संख्या में हैं, तो डॉक्टर लेप्रोस्कोपिक या रोबोटिक प्रक्रिया का विकल्प चुन सकते हैं। बड़े फाइब्रॉएड को छोटे चीरों के माध्यम से टुकड़ों में तोड़कर (मॉर्सेलेशन) हटाया जा सकता है।
  • हिस्टेरोस्कोपिक मायोमेक्टोमी: सर्जन योनि और गर्भाशय ग्रीवा के माध्यम से गर्भाशय में डाले गए उपकरणों का उपयोग करके फाइब्रॉएड को निकालता है।

सर्जरी

  • एबडॉमिनल मायोमेक्टोमी: बहुत बड़े या बहुत गहरे फाइब्रॉएड को हटाने के लिए डॉक्टर पेट की ओपन सर्जरी कर सकते हैं।
  • हिस्टेरेक्टॉमी: यह सर्जरी गर्भाशय को हटा देती है। यह गर्भाशय फाइब्रॉएड के लिए एकमात्र स्थायी समाधान है।

यूटेरिन फाईब्रॉएड होने पर क्या खाना चाहिए? What to eat if you have uterine fibroids?

जैविक खाद्य पदार्थ अपने खाने में जैविक खाद्य पदार्थों को शामिल कर फाइब्रॉएड पर अंकुश लगा सकते हैं।

  • हाई फाइबर फूड: हाई फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ, जिसमें ब्रोकोली जैसी क्रूस वाली सब्जियां शामिल हैं। ये आपकी भूख को कम कर सकते हैं। इनका सेवन करने से आप कम मात्रा में भोजन करेंगे जिससे आपको वजन कम करने में मदद मिलेगी। वजन कम करने से फाइब्रॉएड के लक्षणों पर अंकुश लग सकता है।
  • हरे पत्तेदार सब्जियां: बीटा-कैरोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे गाजर और शकरकंद प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इनसे फाइब्रॉएड का विकास भी प्रभावित होता है।
  • सिट्रस फ्रूट्स: सेब और संतरे की तरह साइट्रस फ्रूट्स से भी बहुत राहत मिलती है। अध्ययनों से पता चलता है कि जो महिलाएं प्रतिदिन दो या दो से अधिक खट्टे फल खाती हैं, उनमें फाइब्रॉएड का खतरा कम होता है।
  • फ्राइब्रस सप्लीमेंट्स: पूरक फाइबर से भरपूर खाना किसी के भी आकार को कम करने या बनाए रखने में भी मदद कर सकते हैं। विटेक्स, फिश ऑयल और बी-कॉम्प्लेक्स कुछ ऐसे सप्लीमेंट्स हैं जिन्हें बेहतर हार्मोन संतुलन बनाने के लिए जाना जाता है।
  • मछली के तेल: ममछली के तेल (या ठंडे पानी की मछली) में फैटी एसिड सूजन से लड़ने में मदद कर सकता है जो फाइब्रॉएड के विकास को रोकने में योगदान कर सकता है।
  • उच्च आयरन युक्त भोजन: हरी पत्तेदार सब्जियां और फलियां फाइब्रॉएड्स को रोकने में बेहतर भूमिका निभाती हैं। इसके अतिरिक्त, अलसी का बीज और साबुत अनाज भी फाइब्रॉएड्स की रोकथाम में अहम हैं। आहार में नए पूरक शुरू करने से पहले चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

यूटेरिन फाइब्रॉएड होने पर क्या नहीं खाना चाहिए? What not to eat if you have uterine fibroids?

  • हाई फैट प्रोसेस्ड मीट: पारंपरिक डेयरी में उच्च स्तर के स्टेरॉयड, हार्मोन और अन्य रसायन हो सकते हैं जो मोटापे को बढ़ावा देते हैं।
  • हाई फैट वाले डेयरी उत्पाद: अत्यधिक नमकीनी खाद्य पदार्थ लीवर पर बुरा असर डालते हैं। लिवर पर असर पड़ने से शरीर से विषाक्त पदार्थों को हटाने और हार्मोन को संतुलित करने में बाधा उत्पन्न होती है।
  • ज्यादा नमक वाले फूड: अत्यधिक नमकीनी खाद्य पदार्थ लीवर पर बुरा असर डालते हैं। लिवर पर असर पड़ने से शरीर से विषाक्त पदार्थों को हटाने और हार्मोन को संतुलित करने में बाधा उत्पन्न होती है।
  • रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट: सफेद खाद्य पदार्थ जैसे पास्ता, सफेद ब्रेड, सफेद चावल, केक और कुकीज़ एस्ट्रोजन के स्तर को बदलने के लिए जाने जाते हैं, जिससे फाइब्रॉएड का आकार बढ़ जाता है। डिब्बाबंद अनाज, आलू के चिप्स और कॉर्न सिरप वाली कोई भी चीज़ भी समस्या पैदा कर सकती है। इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है और शरीर में अधिक इंसुलिन का उत्पादन होता है।
  • मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी): एमएसजी युक्त खाद्य पदार्थ से मोटापा और वजन बढ़ता है। मोटापा फाइब्रॉएड के जोखिम को बढ़ा सकता है। इनमें फाइटोएस्ट्रोजेन होता है। ये ऐसे यौगिक हैं जो शरीर में एस्ट्रोजन की तरह काम करते हैं। हाई एस्ट्रोजन का स्तर फाइब्रॉएड के विकास को बढ़ावा देता है।
  • कैफीन: बहुत अधिक कैफीन आपके लीवर पर अतिरिक्त तनाव डालता है, इससे हार्मोन असंतुलन बढ़ता है।

यूटेरिन फाईब्रॉइड होने पर क्या करे ? What to do if you have uterine fibroids

खाने की प्लेट को ताजे फल और सब्जियों से लोड करें- सेब, टमाटर जैसे फल और ब्रोकोली और गोभी जैसी क्रूस वाली सब्जियां खाने से फाइब्रॉएड विकसित होने का खतरा कम हो सकता है। और, स्वस्थ विकल्प जैसे कि जैविक फल और सब्जियां और साबुत अनाज वाले खाद्य पदार्थ खाने से आपके लक्षणों को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।

रक्तचाप पर नज़र बनाकर रखें- फाइब्रॉएड और उच्च रक्तचाप के बीच एक मजबूत संबंध दिखाया है। आहार, जीवनशैली या दवा के साथ अपने रक्तचाप को प्रबंधित करने के तरीके के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।

तनाव को बाय-बाय- फाइब्रॉएड पर तनाव के प्रभाव पर चल रहे शोद के अध्ययनों से पता चलता है कि दोनों जुड़े हो सकते हैं। तनाव को मैनेज करने में मदद करने के लिए योग, मालिश और ताई ची जैसी विश्राम तकनीकों का प्रयास करें। कुछ महिलाओं को लगता है कि एक्यूपंक्चर जैसी वैकल्पिक चिकित्सा भी उनके मासिक धर्म के दर्द को दूर करने में मदद कर सकती है।

आराम को तरजीह दें- यदि फाइब्रॉएड के कारण दर्दनाक माहवारी हो रही हो , तो लेटने की कोशिश करें और अपने पैरों को तकिये से ऊपर उठाएं। या अपनी तरफ लेट जाएं और अपनी पीठ से दबाव हटाने के लिए अपने घुटनों को अपनी छाती में लाएं।

विटामिन डी है कारगर- कुछ शोध सुझाव देते हैं कि विटामिन डी जैसे पूरक फाइब्रॉएड के लिए आपके जोखिम को कम करने में सहायक हो सकते हैं।

अपने डाक्टर खुद ना बनें- कोई भी सप्लीमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।

यूटेरिन फाईब्रॉइड होने पर क्या ना करे ? What not to do if you have uterine fibroids

नो प्रोसेस्ड फूड- प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ जैसे रेड मीट और उच्च वसा वाले डेयरी से भरा आहार न खाएं। इन खाद्य पदार्थों को खाने से फाइब्रॉएड खराब हो सकते हैं।

शराब और कैफीन को ना- शराब और कैफीन युक्त पेय या खाने जैसे काफी, चाय आदि का सेवन करने से फाइब्रॉएड की स्थिति और ज्यादा बिगड़ सकती है।

वर्कआउट को न छोड़ें- जिन महिलाओं ने अधिक व्यायाम किया जैसे प्रति सप्ताह लगभग 7 घंटे दौड़ना, नृत्य करना या चलना जैसी गतिविधियाँ,उनमें फाइब्रॉएड विकसित होने की संभावना सबसे कम थी। व्यायाम से ब्लड प्रेशर भी मैनेज होता है जिससे इस समस्या में भी राहत मिलती है।

चीनी की अति ना करें- उच्च चीनी आहार खाने से फाइब्रॉएड के उच्च जोखिम से जोड़ा जा सकता है। ऐसे में चीनी को मैनेज करने और कंट्रोल करना जरुरी है

धूम्रपान न करें- विशेषज्ञों का मानना ​​है कि धूम्रपान आपके मासिक धर्म के दर्द को बढ़ा सकता है क्योंकि यह आपके प्लेविक एरिया को मिलने वाली ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है।

कुछ भी ट्राइ ना करने लगें- कुछ वैकल्पिक चिकित्सा चिकित्सक गर्भावस्था का समर्थन करने और पीएमएस का इलाज करने के लिए रास्पबेरी पत्ती चाय जैसे पूरक की सलाह देते हैं। यही चाय फाइब्रॉएड के लिए उपयुक्त नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि चाय शरीर पर एस्ट्रोजन जैसा प्रभाव डाल सकती है और आपकी समस्या को और भी बदतर बना सकती है।

यूटेरिन फाईब्रॉइड को घर पर ठीक कैसे करे I Home Remedy for Uterine Fibroid Treatment

ग्रीन टी
नियमित रूप से ग्रीन टी पीने से फाइब्रॉइड की समस्या में बड़ी राहत पाई जा सकती है। इसका कारण है कि ग्रीन टी में एपीगेलोकैटेचिन गैलेट नाम का एलीमेंट पाया जाता है जो फाइब्रॉइड कोशिकाओं की वृद्धि को समाप्त करता है। इसके अलावा ग्रीन टी में सूजन प्रतिरोध का भी गुण है जिससे फाइब्रॉएड का साइज भी कम किया जा सकता है।

दूध
महिलाएं अगर दिन में तीन या चार तरह के डेयरी प्रोडक्ट का सेवन करते हैं तो उनमें सामान्य महिलाओं की तुलना में फाइब्रॉएड होने की आंशका करीब 30 प्रतिशत तक कम पाई जाती है। डेयरी उत्पाद में पाया जाने वाला कैल्शियम फाइब्राइ़ड सेल के प्रसार को कम करने में मदद करता है।

लहसुन
लहसुन में प्राकृतिक रुप से एंटीऑक्सीडेंट के साथ ही एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों का भंडार पाया जाता है। इससे ट्यूमर और गर्भाशय फाइब्रॉएड के विकास को रोका जा सकता है। महिलाएं अगर रोजाना तीन से पांच लहसुन की लौंग खा लें तो काफी फायदा हो सकता है। इसे दूध के साथ भी लिया जा सकता है।

आंवला
लहसुन की तरह ही आवंले में भी एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसी वजह से आंवला फाइब्रॉइड और इसके लक्षणों के उपचार के लिए बहुत कारगर है। यह इसका प्राकृतिक इलाज तक कहा जाता है। इसे एक चम्मच आवंला पाउडर और एक चम्मच शहद के पेस्ट के तौर पर हर रोज खाली पेट लेने से फायदा होता है।

बरडॉक रूट
बरडॉक रूट को लिवर के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। यह लिवर की ताकत बढ़ाता है और इससे मेटाबॉलिज्म बढ़ता है। इससे फाइब्रॉएड का विकास रुक जाता है। इसमें पाया जाना वाला रसायन लिगनेन आर्कटिगेनिन फाइब्रॉइड का साइज भी घटा सकता है।

एप्‍पल साइडर सिरका
सेब का सिरका यानी एप्पल साइडर सिरका शरीर से टॉक्सिन्स को हटाकर और फैट लॉस को बढ़ावा देता है। इसे फाइब्रॉएड में काफी असरदार माना जाता है।

सिंहपर्णी
लिवर जब कमजोर होता है तो शरीर में अधिक हार्मोंन बनता है। इससे फाइब्रॉएड की दिक्कत हो जाती है। सिंहपर्णी को इस समस्या के सबसे बेहतरीन इलाज में से एक माना जाता है। यह लिवर के टाक्सिन्स को खत्म करती है। इससे फ्राइब्राइड्स की समस्या भी समाप्त हो जाती है।

यूटेरिन फाईब्रॉइड के इलाज की लागत I Cost of Uterine Fibroids Treatment

भारत में यूटरीन फाइब्रॉएड की सर्जरी का खर्च 55 हजार रुपए से शुरु होकर सवा लाख रुपए तक होती है। यह कई तरह के कारकों, किस डाक्टर से आप इलाज करा रहे हैं इस पर निर्भर है।

निष्कर्ष I Conclusion

यूटरीन फाइब्रॉएड गर्भाशय की ऐसी ग्रोथ होती है जो गैर-कैंसरीय होती हैं। यहअक्सर बच्चे के जन्म के वर्षों के दौरान दिखाई देती हैं। यह चार प्रकार के होते हैं जो इनके होने की जगह पर निर्भर करती हैं। इसमें पीरिड्स में भारी ब्लीडिंग,मासिक धर्म एक सप्ताह से अधिक समय तक चलते हैं,पैल्विक दबाव या दर्द जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ता है। इसका कारण अनुवांशिक परिवर्तन, हार्मोन असंतुलन, खाने पीने में लापरवाही हो सकती है। कई बार इसमें कुछ भी नहीं करना होता पर स्थिति गंभीर हो तो दवा और सर्जरी की जाती है। सर्जरी से इसमें पूरी राहत मिलती है।

Frequently Asked Questions (FAQs)

  • यूटेराइन फाइब्रॉएड गर्भावस्था को प्रभावित कर सकता है या नहीं भी कर सकता है या बांझपन का कारण बन सकता है। सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड जैसी स्थितियों में जहां वृद्धि यूटेराइन गुहा में होती है, व्यक्ति को गर्भपात का अनुभव होने का अधिक खतरा होता है।
  • आम तौर पर, यूटेराइन फाइब्रॉएड कैंसर नहीं होते हैं और कोई लक्षण नहीं दिखाते हैं। यूटेराइन फाइब्रॉएड के 1000 में से 1 से भी कम मामले कैंसर में विकसित होते हैं।
  • कुछ मामलों में, कैविटी की पिछली सतह पर मौजूद बड़े यूटेराइन फाइब्रॉएड मांसपेशियों और तंत्रिकाओं पर दबाव डालते हैं, जिससे पीठ दर्द होता है। इसके अलावा, श्रोणि क्षेत्र में मांसपेशियों और नसों के संपीड़न से पीठ दर्द बढ़ जाता है।
  • जब बड़े यूटेराइन फाइब्रॉएड मांसपेशियों, नसों और श्रोणि क्षेत्र (मूत्राशय या आंत्र) के आसपास के अंगों पर दबाव डालते हैं, तो व्यक्ति को पेशाब या पाचन समस्याओं में वृद्धि का अनुभव हो सकता है।
  • यूटेराइन फाइब्रॉएड मासिक धर्म में ऐंठन, पेट में दर्द, पीठ के निचले हिस्से की समस्या और मासिक धर्म चक्र में व्यवधान जैसे कई लक्षण पैदा करता है।
  • आमतौर पर, रजोनिवृत्ति के बाद हार्मोन के स्तर के स्थिर होने से यूटेराइन फाइब्रॉएड सिकुड़ जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में, कैंसरयुक्त यूटेराइन फाइब्रॉएड की तरह, वे बढ़ते रहते हैं। इसका कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन नियमित रूप से स्थिति की निगरानी करने से आगे की जटिलताओं को रोकने में मदद मिल सकती है।
  • यूटेराइन फाइब्रॉएड वाली महिलाओं को डिम्बग्रंथि और स्तन फाइब्रॉएड जैसे अन्य फाइब्रॉएड का सामना करने का अधिक जोखिम होता है। स्तन फाइब्रॉएड मासिक धर्म से पहले स्तन कोमलता और दर्द का कारण बनता है लेकिन इसमें सच्चे फाइब्रॉएड ट्यूमर नहीं होते हैं।
  • पैल्विक क्षेत्र के करीब एक अंग आंत्र पर बड़े यूटेराइन फाइब्रॉएड को दबाने से बार-बार पेशाब आ सकता है।
  • डॉक्टर यूटेराइन फाइब्रॉएड को सिकोड़ने के लिए दवाएं और एक समग्र योजना लिखते हैं। हालांकि, ज्यादातर मामलों में इसकी आवश्यकता नहीं होती है। आपका डॉक्टर आपके लिए सर्वोत्तम उपचार योजना पर चर्चा करता है और निर्धारित करता है और फाइब्रॉएड को कम करने में आपकी सहायता करता है।
  • असामान्य योनि से रक्तस्राव और मासिक धर्म चक्र में व्यवधान यूटेराइन फाइब्रॉएड के कुछ सामान्य प्रभाव हैं। आप मासिक धर्म और भारी रक्त प्रवाह के बीच रक्तस्राव भी देख सकते हैं।
  • फाइब्रॉएड से पाचन संबंधी समस्याएं और सूजन हो सकती है जिससे वजन बढ़ सकता है। यूटेराइन फाइब्रॉएड का मुख्य कारण हार्मोनल असंतुलन है जो वजन बढ़ने की संभावना को और बढ़ा देता है।
लोकप्रिय प्रश्न और उत्तर

I am 23 now. I am going to getting married within few months. have tiny ovarian cysts. My uterus is normal. Now I am taking ovral l tablet. Is it affect my pregnancy.

MBBS, MS - Obstetrics & Gynaecology
Gynaecologist, Jaipur
Dear user, I have read your issue and come to know that you want to start ovral l ocp, start from 5 th day of periods at fixed time daily for 21 days stop and restart again from 5 th day,

Age 50. Premenopausal. Vagina feels like pricking feeling. H/o ovarian simple cyst successfully treated with homeopathy. Negligible size uterine fibroid, decreased with homeopathy. Treatment still on.)

MD - Obstetrtics & Gynaecology, FCPS, DGO, Diploma of the Faculty of Family Planning (DFFP)
Gynaecologist, Mumbai
Most of the medical problems need personally taking detailed medical history and examination with the need for reports sometimes so meet concerned doctor- gynecologist.
2 people found this helpful

Sir I am 29 years old and have pcod with submecosal uterine fibroid of 3.5x3.9x2. 5 cm measurement. I am currently taking cystohit m and duoluton l. But after 6 months of treatment size is not reducing. What should I do.

MBBS, Diploma in Advanced Obstetrics and Gynaecological Ultrasound
Gynaecologist, Hyderabad
If it is not causing any problem wait andsee ,if it is causing problems like excessive bleeding andpain abdomen u can remove fibroid only by muon myomectomy
लोकप्रिय स्वास्थ्य टिप्स

Uterine Fibroids - Types & Diagnosis Of It!

MBBS, MD - Obstetrics & Gynaecology, Diploma in Reproductive Medicine & Embryology, Fellowship in Gynaecology Endoscopy, certificate of achievement in aesthetic and functional gynecology 2018
Gynaecologist, Raipur
Uterine Fibroids - Types & Diagnosis Of It!
Uterine fibroids are benign tumours that develop within the uterus during a woman s reproductive years when the levels of oestrogen hormone are high. These are usually seen developing between 16-50 years of age and affect nearly 30% of all women b...
3989 people found this helpful

Premature Ovarian Failure - Know More!

MBBS, DNB - Obs & Gynae, Diploma In Reproductive Medicine (Germany), Fellowship In Laparoscopy, Fellowship in Reproductive Medicine & ART, Hysteroscopy advanced traraining training
IVF Specialist, Delhi
Premature Ovarian Failure - Know More!
Premature ovarian failure or POF refers to the loss of normal functioning of the ovaries before the age of 40. Since the ovaries do not produce sufficient amounts of oestrogen hormone or release ova regularly, the condition often leads to infertil...
2605 people found this helpful

Ovarian Hyper-Stimulation Syndrome (OHSS) - How Does IVF Cause It?

MBBS Bachelor of Medicine and Bachelor of Surgery, DNB - Obstetrics & Gynecology, DGO
IVF Specialist, Delhi
Ovarian Hyper-Stimulation Syndrome (OHSS) - How Does IVF Cause It?
Ovarian Hyper Stimulation Syndrome is noticed in women who are administered hormone medicines through injections. These medicines trigger the development of eggs in the woman s ovaries. This condition can be a side effect of IVF. It causes the ova...
4930 people found this helpful

International Women's Health Day - Ways To Take Care Of Yourself!

MBBS, Diploma in Gynecology and Obstetrics
Gynaecologist, Motihari
International Women's Health Day - Ways To Take Care Of Yourself!
As a woman, your body undergoes constant changes during the reproductive years and thereafter. Some of these changes can result in gynaecological problems if you don t pay attention to your health. These illnesses are mostly caused by hormonal imb...
4827 people found this helpful

Menstrual Problems - Know Reasons Behind It!

MBBS, MS - Obstetrics and Gynaecology, DNB (Obstetrics and Gynecology)
Gynaecologist, Raipur
Menstrual Problems - Know Reasons Behind It!
Menstrual disorders are caused by a variety of factors and affect every woman in a different manner. In most cases, it manifests itself in the form of fluctuations in menstrual flow and irregularity in the monthly cycle. Certain disorders are not ...
5076 people found this helpful
Content Details
Written By
MBBS,MS Obstetrics & Gynaecology
Gynaecology
Play video
Hysteroscopy & Laparoscopy
Laparoscopy and hysteroscopy are two of the most common procedures to either diagnose a woman s infertility or correct problems that cause infertility and miscarriage. Hysteroscopy can be helpful in the evaluation of infertility, recurrent miscarr...
Play video
Menorrhagia - All You Need To Know!
Menorrhagia is heavy or prolonged menstrual bleeding. Many women have this type of abnormal uterine bleeding. It can be related to a number of conditions including problems with the uterus, hormone problems, or other conditions.
Play video
Know More About Infertility
Hello, Today we are going to discuss what exactly is infertility and what are the causes behind it? and basically in today's topic we are going to discuss the causes in women which are responsible for her being infertile or we call it subfertile. ...
Play video
Endometriosis - A Brief On This
Hello everyone, I am Dr. Anu Sidana, obstetrician and Gynecologist, Aastha Medicare. Today I am going to speak about endometriosis. What is endometriosis? it is a painful disorder in which the cyclical period it becomes painful, tissue that involv...
Play video
Myths And Facts About IVF
Hi, I am Dr. Garima Sharma, Gynaecologist. Today I will talk about the myths and facts of IVF. I will cover certain topics. What exactly is the IVF? Who requires IVF? Are there any side-effects associated with it? What are the success rates? Is th...
Having issues? Consult a doctor for medical advice