वास डेफेरेंस(शुक्रवाहिका) का चित्र | Vas Deferens Ki Image
वास डेफेरेंस (शुक्रवाहिका), पुरुष प्रजनन प्रणाली का हिस्सा हैं। दो वास डेफेरेंस (शुक्रवाहिका) को वासा डिफेरेंटिया कहा जाता है। वास डेफेरेंस को डक्टस डेफेरेंस या स्पर्म डक्ट भी कहा जाता है। यह लंबी मस्कुलर ट्यूब होती है जो एपिडीडिमिस से मूत्राशय के पीछे पेल्विक कैविटी में चलती है और इजैकुलेटरी डक्ट नामक स्ट्रक्चर के माध्यम से यूरेथ्रा से जुड़ती है। वास डेफेरेंस (शुक्रवाहिका), स्पेर्माटिक कॉर्ड से घिरे होते हैं और स्खलन से पहले परिपक्व शुक्राणु को मूत्रमार्ग तक पहुंचाते हैं।
वास डेफेरेंस (शुक्रवाहिका) स्क्रोटम में शुरू होता है, जो कि एक थैली जैसी होती है जिसमें टेस्टिकल्स होते हैं। उसके बाद, वास डेफेरेंस (शुक्रवाहिका) अंडकोष से होता हुआ आगे बढ़ता है। ऐसा तब तक होता है जब तक कि इजैकुलेटरी डक्ट बनाने के लिए, सेमिनल वेसिक्ल से जुड़ नहीं जाता। वास डेफेरेंस, या डक्टस डेफेरेंस, 30 सेंटीमीटर (लगभग 12 इंच) से 45 सेंटीमीटर (लगभग 18 इंच) लंबा हो सकता है। इसके कुछ हिस्से कॉइल के जैसे होते हैं, लेकिन अन्य भाग सीधे होते हैं। ट्यूब को फाइब्रोमस्कुलर के रूप में वर्णित किया गया है, जिसका अर्थ है कि यह रेशेदार टिश्यू और मांसपेशियों के टिश्यू से बनी है।
वास डेफेरेंस(शुक्रवाहिका) के अलग-अलग भाग
वास डेफेरेंस (शुक्रवाहिका) एक 45 सेमी लम्बा स्ट्रक्चर है जो टेस्टिस के पीछे और स्पेर्माटिक कॉर्ड में मीडियल के मध्य में पाई जाती है। यह सेमिनल वेसिक्ल से जुड़कर इजैकुलेटरी डक्ट बनाती है।
प्रारंभ में यह जटिल होता है, परन्तु जैसे जैसे ये आगे बढ़ता है वैसे-वैसे ये सीधे हो जाता है। टेस्टिस के शिखर पर पहुंचने पर, यह स्पेर्माटिक कॉर्ड के पीछे की ओर जाता है। यह गहरी इनगुइनल रिंग में शुक्राणु कॉर्ड से निकलने से पहले, इनगुइनल कैनाल को पार करता है। इसके बाद, यह एक्सटर्नल इलियाक आर्टरी के इन्फीरियर एपीगैस्ट्रिक आर्टरी के चारों ओर कर्व बनाता है। उसके बाद वास डेफेरेंस, इलियाक वेसल्स को कुछ पीछे और तिरछी दिशा में पार करता है।
उसके बाद लैसर पेल्विस में प्रवेश करने पर, यह मेडियली ट्रेवेर्सेस होता है, जहां यह रेट्रोपेरिटोनियल होता है और ऑब्लिटेरटेड अम्बिलिकल आर्टरी, ऑब्टूरेटर वेसल्स और नर्व्ज़ और वेसिकल वेसल्स के पीछे होता है। इसके बाद वास डेफेरेंस, ब्लैडर के पोस्टेरोलेट्रल दिशा में युरेटर तक जाता है, जिसके बाद यह फैलता है और एमपुला के रूप में जाना जाता है। इसके बाद, यह ब्लैडर की पोस्टीरियर सरफेस (पीछे की सतह) के बीच एक अग्रस्थ (एन्टेरोमेडिअल) दिशा में और सेमिबल वेसिक्ल के ऊपर से गुजरता है।
इजैकुलेटरी डक्ट बनाने वाले एंगल पर सेमिनल वेसिक्ल में शामिल होने से पहले वास डिफेरेंस, ब्लैडर के बेस पर नीचे और फिर एंटीरियर रूप से मलाशय से गुजरता है।
वास डेफेरेंस(शुक्रवाहिका) के कार्य | Vas Deferens Ke Kaam
वास डेफेरेंस का मुख्य कार्य है: एपिडीडिमिस से शुक्राणु (स्पेर्माटोज़ोआ) को इजैकुलेटरी डक्ट तक ले जाना। स्खलन के दौरान सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम, वास डेफेरेंस की मांसपेशियों की लेयर्स को इनरवेट करता है, जिससे वे शुक्राणु (स्पेर्माटोज़ोआ) को आगे बढ़ने में सहायता के लिए मजबूत पेरिस्टाल्टिक कॉन्ट्रैक्शंस उत्पन्न करते हैं। नतीजतन, वास डेफेरेंस शुक्राणुओं को मूत्रमार्ग तक पहुँचाता है इसलिए स्खलन के लिए तैयार करने में मदद करता है।
स्खलन के दौरान वास डेफेरेंस (शुक्रवाहिका) की दीवारों में चिकनी मांसपेशियां रिफ्लेक्सिव तरीके से सिकुड़ती हैं जिससे शुक्राणु आगे बढ़ते हैं। इसे पेरिस्टाल्सिस कहते हैं। शुक्राणुओं को वास डेफेरेंस से मूत्रमार्ग में पारित किया जाता है, जो आंशिक रूप से पुरुष सहायक ग्रंथियों जैसे प्रोस्टेट ग्रंथियों, सेमिनल वेसिक्ल और बल्बौरेथ्रल ग्रंथियों से स्राव के साथ मिश्रित होते हैं।
डक्टस डेफेरेंस को वास डेफेरेंस की आर्टरी के साथ प्रदान किया जाता है जो सुपीरियर या इन्फीरियर वेसिकल आर्टरी से निकलती है।
वास डेफेरेंस(शुक्रवाहिका) के रोग | Vas Deferens Ki Bimariya
कुछ संकेत और लक्षण जो आपके वैस डेफेरेंस को प्रभावित करने वाली स्थिति में हो सकते हैं, उनमें शामिल हैं:
- दर्द
- सूजन
- गांठ
- पेनिस से डिस्चार्ज होना
- अशुक्राणुता और बांझपन
- अवरोध: यह तब हो सकता है जब पेल्विस में आघात या गंभीर संक्रमण हो।
- वैसाइटिस: यह एक ऐसी स्थिति है जो तब होती है जब वास डिफेरेंस मोटी हो जाती है। ऐसा आमतौर पर शरीर के आस-पास के हिस्सों में संक्रमण और सूजन के कारण होता है। इस स्थिति के अन्य नाम हैं: डिफेरेंटाइटिस या फनिकुलिटिस।
- वास डेफेरेंस की जन्मजात अनुपस्थिति: कुछ पुरुष में यह स्थिति जन्म से ही होती है। यदि एक वास डेफेरेंस नहीं होता है तो उस स्थिति को, वास डेफेरेंस का कंजेनिटल युनीलेटरल एब्सेंस कहा जाता है। यदि दोनों तरफ ही वास डेफेरेंस मिसिंग है, तो ऐसी स्थिति को वास डेफेरेंस का कंजेनिटल बाईलेटरल एब्सेंस कहा जाता है। यह स्थिति सिस्टिक फाइब्रोसिस से संबंधित हो सकती है और बांझपन का कारण बन सकती है।
- ऑर्काइटिस: ऑर्काइटिस की समस्या के कारण, एक या दोनों अंडकोष(टेस्टिकल्स) में सूजन आ जाती है और दर्द होने लगता है। मम्प्स जैसे वायरल संक्रमण इस स्थिति के सबसे आम कारण हैं। अन्य कारणों में क्लैमाइडिया जैसे एसटीडी और यूटीआई जैसे बैक्टीरियल इन्फेक्शन्स शामिल हैं। ऑर्काइटिस के लक्षण आमतौर पर घर पर देखभाल के साथ समय के साथ सुधरते हैं। स्थिति शायद ही कभी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है, हालांकि अंडकोष सिकुड़ सकते हैं।
- टेस्टिकुलर कैंसर: टेस्टिकुलर कैंसर होना बहुत ही आम है, जो 15 से 35 वर्ष की आयु के पुरुषों को होता है। इसके सबसे आम लक्षण हैं: टेस्टिकल में दर्द रहित गांठ का होना। टेस्टिकुलर कैंसर जिसका जल्दी पता चल जाता है और इलाज हो जाता है, उसके ठीक होने की दर बहुत अच्छी होती है।
- टेस्टिकुलर टॉरशन: टेस्टिकुलर टॉरशन एक गंभीर स्थिति है। इस स्थिति में, टेस्टिकल (अंडकोष) मुड़ जाता है और उसमें ब्लड सप्लाई होना रुक जाती है। इस स्थिति में आपातकालीन देखभाल की आवश्यकता होती है। यदि रक्त की आपूर्ति जल्दी से (छह घंटे के भीतर) से शुरू नहीं होती है, तो टेस्टिकल को सर्जरी द्वारा हटाया जा सकता है।
- अनडिसेंडेड टेस्टिकल्स: गर्भावस्था के दौरान, एक पुरुष बच्चे के टेस्टिकल्स उसके एब्डोमिनल कैविटी में विकसित होते हैं। ज्यादातर मामलों में, वे जन्म से पहले स्क्रोटम में गिर जाते हैं। टेस्टिकल्स (अंडकोष) जो गिरते नहीं हैं उनके लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
- यौन संचारित संक्रमण: एक यौन संचारित संक्रमण एक गंभीर स्थिति होती है जो यौन संबंध बनाने के बाद विकसित हो सकती है। सामान्य एसटीआई लक्षण हैं: जननांग क्षेत्र के आसपास खुजली और जलन होना। अधिकांश एसटीआई उपचार संक्रमण का इलाज किया जा सकता है, लेकिन सभी प्रकार का नहीं। संक्रमण ठीक होने के बाद भी, फिर से एसटीआई हो सकता है।
- स्पर्मेटोसेल: स्पर्मेटोसेल एक सामान्य वृद्धि है जो टेस्टिकल(अंडकोष) के ठीक ऊपर या पीछे विकसित होती है। इसे टेस्टिकुलर या एपिडिडीमल सिस्ट भी कहा जाता है। स्पर्मेटोसेल सौम्य हैं (कैंसर नहीं)। हेल्थकेयर प्रदाता आमतौर पर केवल तभी उपचार की सलाह देते हैं जब एक बड़े स्पर्मेटोसेल से चोट पहुँचती है या उसके कारण परेशानी होती है।
वास डेफेरेंस(शुक्रवाहिका) की जांच | Vas Deferens Ke Test
- वीर्य विश्लेषण (सीमेन एनालिसिस): वास डेफेरेंस(शुक्रवाहिका) यदि पुरुषों में नहीं होती है तो उसका निदान करने के लिए, वीर्य विश्लेषण(सीमेन एनालिसिस) का उपयोग किया जाता है। जब किसी व्यक्ति के वीर्य के नमूने में शून्य शुक्राणु होते हैं, तो उस स्थिति को एजुस्पर्मिया कहा जाता है।
- अल्ट्रासाउंड: इस टेस्ट से लंबी, क्वाइल्ड ट्यूब दिख सकती है जो प्रत्येक अंडकोष के पीछे होती है और शुक्राणु (एपिडीडिमिस) एकत्र करती है। यह टेस्ट, वास डेफेरेंस(शुक्रवाहिका) को भी दिखा सकता है जो अंडकोष को प्रोस्टेट ग्रंथि से जोड़ता है। अल्ट्रासाउंड एक्स-रे या अन्य प्रकार के रेडिएशन का उपयोग नहीं करता है।
- एमआरआई: एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) स्कैन एक टेस्ट है जिसको करने के लिए एक बड़ी सी मैगनेट, रेडियो वेव्स और एक कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है जिससे शरीर के अंदर के स्ट्रक्चर्स की डिटेल्ड इमेजेज बनाई जा सके।
- बायोप्सी: एक बायोप्सी टेस्ट को करने के लिए शरीर में से कुछ सेल्स या टिश्यूज़, तरल पदार्थ या किसी अन्य वृद्धि को हटाया जाता है। इस सैंपल को शरीर के किसी भी हिस्से से लिया जा सकता है। इसके बाद, बायोप्सी को करने के लिए लैब में भेजा जाता है और माइक्रोस्कोप के नीचे देखा जाता है।
- स्क्रोटल अल्ट्रासोनोग्राफी: यह स्पर्मेटिक कॉर्ड में अन्य कॉर्ड जैसी संरचनाओं के अलावा वास डेफेरेंस को बता सकता है।
वास डेफेरेंस(शुक्रवाहिका) का इलाज | Vas Deferens Ki Bimariyon Ke Ilaaj
- क्रायोथेरेपी (जिसे क्रायोसर्जरी भी कहा जाता है): इस प्रक्रिया का उपयोग, कैंसर सेल्स को फ्रीज करके उन्हें मारने के लिए किया जाता है। इस तरह की प्रक्रिया के लिए स्पाइनल या एपिड्यूरल एनेस्थीसिया की आवश्यकता होती है।
- वास डिफरेंस के लिए कीमोथेरेपी: यह एक चिकित्सा पद्धति है जो शरीर में तेजी से डिवाइड होने वाले सेल्स को मारने के लिए कठोर रसायनों का उपयोग करती है। कीमोथेरेपी कैंसर के इलाज का सबसे आम प्रकार है क्योंकि कैंसर सेल्स, शरीर में अधिकांश सामान्य सेल्स की तुलना में अधिक तेजी से फैलते और बढ़ते हैं।
- पुरुष नसबंदी (वैसोलिगेशन): यह एक सर्जिकल उपचार है जिसका उपयोग पुरुष नसबंदी या स्थायी गर्भनिरोधक के लिए किया जा सकता है। सर्जरी के दौरान, पुरुष के वास डेफेरेंस (शुक्रवाहिका) को काट दिया जाता है और गांठ लगा दी जाती है या सील कर दिया जाता है, जो संक्रमण को भी रोक सकता है।
- वास डेफेरेंस(शुक्रवाहिका) के लिए ट्रांसयूरेथ्रल एंडोस्कोपिक सर्जरी: यह एक यूरोलॉजिकल ट्रीटमेंट एप्रोच है। एक प्रोस्टेट (टीयूआर-पी) का ट्रांसयूरेथ्रल एक्सिशन करना, वास डेफेरेंस(शुक्रवाहिका) के संक्रमण के लिए बहुत ही अच्छा उपचार है।
- फिजियोथेरेपी के साथ-साथ सिस्टमिक एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग: एंटीबायोटिक्स के रूप में जानी जाने वाली दवाओं का उपयोग, लोगों और जानवरों दोनों में किया जा सकता है। इनका दवाओं से बैक्टीरिया सम्बन्धी बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। इनके उपयोग से या तो कीटाणुओं से छुटकारा मिल जाता है या फिर ये दवाएं बैक्टीरिया को बढ़ने और गुणा नहीं करने देती।
- वास डिफरेंस के लिए लैप्रोस्कोपी: लैप्रोस्कोपिक सर्जरी सबसे उपयुक्त सर्जिकल उपचार प्रतीत होता है। इप्सिलेटरल रीनल एजेनेसिस से जुड़े वास डिफेरेंस सिस्ट के लिए, लैप्रोस्कोपिक एक्सिशन बेहद फायदेमंद है।
अपने आप को स्वस्थ रखने के साथ-साथ प्रजनन प्रणाली को स्वस्थ रखने में, निम्नलिखित उपायों से मदद मिल सकती है:
- स्वस्थ वजन बनाये रखें
- हाइड्रेटेड रहें और विभिन्न प्रकार के स्वस्थ खाद्य पदार्थों का सेवन करें
- नियमित रूप से व्यायाम करें
- धूम्रपान या तम्बाकू उत्पादों का उपयोग न करें
- सुरक्षित सेक्स करें
- यदि आप खेलों में भाग लेते हैं तो सुरक्षात्मक उपकरण पहनें
- जानें कि यौन अंग स्वस्थ होने पर कैसे दिखते और महसूस होते हैं। यदि आप कोई परिवर्तन देखते हैं, तो डॉक्टर से मिलें
वास डेफेरेंस(शुक्रवाहिका) की बीमारियों के लिए दवाइयां | Vas Deferens ki Bimariyo ke liye Dawaiyan
- वास डेफेरेंस के लिए अल्फा ब्लॉकर्स: वास डेफेरेंस को डाइलेट करने के लिए, आमतौर पर अल्फा ब्लॉकर्स का उपयोग किया जाता है। प्राज़ोसिन, टेराज़ोसिन, डोक्साज़ोसिन, अल्फूज़ोसिन, सिलोडोसीन और टेम्सुलोसिन इसके कुछ उदाहरण हैं।
- वास डेफेरेंस के लिए न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स: न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स, स्वस्थ शुक्राणु की मात्रा और गुणवत्ता, साथ ही समग्र पुरुष प्रजनन क्षमता को बढ़ावा देते हैं। इसके कुछ उदाहरण हैं: लाइकोपीन, सेलेनियम, विटामिन ई, विटामिन ए, विटामिन सी, जिंक और लेसिथिन।
- वास डेफेरेंस में जकड़न के लिए मसल रिलैक्सेंट्स: ये K+ चैनलों की गतिविधि को बदलकर, चिकनी मांसपेशियों को रिलैक्स करते हैं। उदाहरण के लिए, टेस्टोस्टेरोन और एण्ड्रोजन।
- वास डेफेरेंस के लिए एंटीबायोटिक्स: वे कीटाणुओं को मारते हैं या बैक्टीरिया को पनपने और उनको मल्टीप्लाई होने से रोकते हैं। कुछ दवाओं के उदाहरण हैं: एम्पीसिलीन सोडियम, टिसारसिलिन डाइसोडियम, पेनिसिलिन प्रोकेन, ट्राइमेथोप्रिम सल्फा, नियोमाइसिन सल्फेट, जेंटामाइसिन और एमिकैसीन सल्फेट, सिप्रोफ्लोक्सासिन।
- वास डेफेरेंस के लिए कीमोथेराप्यूटिक एजेंट: कीमोथेरेपी दवाओं का उपयोग सर्जरी से पहले और मेटास्टैटिक वास डेफेरेंस एडेनोकार्सिनोमा में सहायक उपचार के रूप में किया जा सकता है। इसके उदाहरण हैं: विन्क्रिस्टाइन, एक्टिनोमाइसिन डी, साइक्लोफॉस्फेमाईड, डॉक्सोरूबिसिन, फॉस्फामाइड और एटोपोसाइड।
- वास डेफेरेंस के लिए एंटीवायरल एजेंट: एंटीवायरल दवाएं हानिकारक वायरस के खिलाफ शरीर की रक्षा में सहायता करती हैं। दवाएं लक्षणों की गंभीरता को कम कर सकती हैं और वायरस के कारण होने वाले संक्रमण की अवधि को भी कम कर सकती हैं। उदाहरण हैं: लामिवुडाइन, ज़िडोवुडिन, टेनोफोविर, नेविरापिन और अबेकाविर।