Last Updated: Jan 10, 2023
महिलाएं अपने सेहत के बारे में सचेत रहें और वेल वीमेन चेक के लिए जाएं
हाल के आंकड़ों के अनुसार केवल 40% भारतीय महिलाएं प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप का विकल्प चुनती हैं. ज्यादातर महिलाएं सेल्फ मेडिकेशन पर निर्भर करती हैं और बड़ी बीमारीयों के लक्षण और सकेंत को अनदेखा करती है. अज्ञानता और उपेक्षा करने से जटिलता की ओर ले जाती है. यह महत्वपूर्ण है कि हर महिला अपने स्वास्थ्य और रोकथाम के महत्व को समझें. नीचे दिए गए कुछ पहलू हैं जिन्हें कभी भी महिलाओं को विचार करने और लागू करने की आवश्यकता पङ सकती है:
- हर 2 से 3 साल में शारीरिक परीक्षा.
- स्तन जांच- स्तन कैंसर के शुरुआती संकेतों की पहचान करने के लिए. मैमोग्राफी- 40 साल की उम्र के बाद हर 1 से 2 साल में करवाए.
- थायराइड के लिए स्क्रीनिंग नियमित अंतराल पर किया जाना चाहिए.
- मधुमेह के लिए स्क्रीनिंग - 45 साल की उम्र के हर 3 साल बाद.
- कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप के लिए स्क्रीनिंग - 35 साल की उम्र के हर 5 साल बाद दिल की बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए करवाएं.
- महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस के लिए स्क्रीनिंग करना चाहिए. बोन मिनरल डेंसिटी परीक्षण समस्याओं की पहचान करने में मदद करता है और फ्रैक्चर को रोकने के लिए उपचार शुरू किया जाना चाहिए.
- आंख से संबंधित समस्याओं को रोकने के लिए हर 1 साल के बाद आई परीक्षा आवश्यक है.
- पीएपी स्मीयर टेस्ट - 21 से 30 वर्ष की उम्र में महिलाओं को हर 3 साल में एक पेप स्मीयर टेस्ट से गुजरना चाहिए. गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जांच के लिए यह एक आवश्यक परीक्षण है. 30 साल की उम्र के बाद. पीएपी स्मीयर + एचपीवी परीक्षण हर 5 साल में किया जाना चाहिए.
- ओवेरियन कैंसर के लिए स्क्रीनिंग - ओवेरियन कैंसर के पारिवारिक इतिहास वाले मरीजों को योनि अल्ट्रासाउंड की सिफारिश की जाती है या किसी भी श्रोणि दर्द को इस परीक्षण से गुजरना चाहिए.
किसी भी असामान्यता के लिए परामर्श करें:
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि आप अपने शरीर में किसी भी असामान्यता का पता लगाते हैं तो यह आवश्यक है कि आप तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें. संकेतों और लक्षणों को अनदेखा या उपेक्षा करना मामलों को जटिल बना सकता है.
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