17 - Ketosteroids (24 Hour Urine) Tips

डिम्बग्रंथि कैंसर के कारण, लक्षण, कारक, इलाज और बचाव

MBBS, MS - Obstetrics & Gynaecology
Gynaecologist,
डिम्बग्रंथि कैंसर के कारण, लक्षण, कारक, इलाज और बचाव
हर इंसान स्वस्थ जीवन जीने की चाहत रखता है। हालांकि, खानपान, रहन-सहन और पर्यावरणीय परिवर्तन की वजह से कई तरह की पनप जाती है। कई बार ये बीमारियां गंभीर रूप ले लेती हैं, जिससे इंसान की मौत तक हो जाती है, ऐसी ही एक बीमारी कैंसर भी है, जिसे खतरनाक बीमारियों में गिना जाता है। कई प्रकार के होते हैं। या यूं समझे कि मानव शरीर के इस अंग में कैंसर पनपता है, उसे उसी के नाम से जाना जाता है। ऐसा ही एक कैंसर है डिम्बग्रंथि कैंसर जिसे ओवेरियन कैंसर भी कहा जाता है।

आज अपने इस लेख के माध्यम से हम डिम्बग्रंथि कैंसर के विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर यह क्यों होता है और इससे बचाव कैसे किया जा सकता है। हालांकि इसके पहले यह जानते हैं कि आखिर यह डिम्बग्रंथि कैंसर कहते किसे हैं।

किसे कहते हैं डिम्बग्रंथि
डिम्बग्रंथि कैंसर को समझने से पहले यह जानना होगा कि डिम्बग्रंथि किसे कहते हैं। दरअसल यह अंडाशय प्रजनन ग्रंथियां हैं जो केवल महिलाओं में पाई जाती हैं। अंडाशय प्रजनन के लिए अंडे (ओवा) का उत्पादन करते हैं। अंडे अंडाशय से फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से गर्भाशय में जाते हैं जहां निषेचित अंडा भ्रूण में विकसित होता है। अंडाशय मादा हार्मोन एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन का मुख्य स्रोत भी हैं। गर्भाशय के प्रत्येक तरफ एक अंडाशय होता है।

क्या है डिम्बग्रंथि कैंसर?
दरअसल, डिम्बग्रंथि कैंसर महिलाओं को होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है। यह कैंसर अंडाशय में बनने वाला कोशिकाओं का विकास है। यह कोशिकाएं तेज गति में बढ़ती जाती हैं। साथ ही स्वस्थ शरीर के ऊतकों पर आक्रमण कर उन्हें नष्ट कर सकती हैं। ये कोशिकाएं विकसित होकर ट्यूमर का रूप ले लेती हैं और यही ट्यूमर कैंसर का कारक बनता है।

डिम्बग्रंथि कैंसर को पहले केवल अंडाशय में शुरू माना जाता था, लेकिन हाल के साक्ष्य बताते हैं कि कई डिम्बग्रंथि कैंसर वास्तव में फैलोपियन ट्यूब के अंत में कोशिकाओं में शुरू हो सकते हैं।

डिम्बग्रंथि कैंसर के प्रकार
डिम्बग्रंथि के जिस प्रकार की कोशिका में कैंसर की शुरुआत होती है, उसी के आधार पर डिम्बग्रंथि कैंसर को विभाजित किया गया है। प्रायः जांच के बाद यह पता चल पाता है कि आपको किस प्रकार का डिम्बग्रंथि कैंसर है। इसके साथ ही यह प्रकार ही डॉक्टर को यह निर्धारित करने में मदद करता है कि आपको किस तरह के उपचार की आवश्यकता है।

डिम्बग्रंथि के कैंसर निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-

एपिथेलियल (उपकला) डिम्बग्रंथि कैंसर
डिम्बग्रंथि का यह प्रकार सबसे आम है। इसमें कई उपप्रकार शामिल हैं, जिनमें सीरस कार्सिनोमा और श्लेष्मा कार्सिनोमा शामिल हैं।

स्ट्रोमल ट्यूमर
इन दुर्लभ ट्यूमर का आमतौर पर अन्य डिम्बग्रंथि कैंसर की तुलना में पहले चरण में निदान किया जाता है।

जर्म सेल ट्यूम
ये दुर्लभ डिम्बग्रंथि कैंसर कम उम्र में होते हैं।

डिम्बग्रंथि कैंसर का कारण
वैसे तो डिम्बग्रंथि कैंसर होने के कारण स्पष्ट नहीं हैं। हालांकि, डॉक्टर्स ने ऐसे कई कारकों की पहचान की है, जो डिम्बग्रंथि कैंसर की वजह बन सकते हैं। दरअसल, डिम्बग्रंथि कैंसर की शुरुआत तब होती है जब अंडाशय में या उसके पास की कोशिकाएं अपने डीएनए में परिवर्तन (म्यूटेशन) विकसित करती हैं। कोशिकाओं के डीएनए ही कोशिकाओं को निर्देश देते हैं कि क्या करना है।

यही डीएनए परिवर्तित कोशिकाओं को बढ़ने और खुद को तेजी से गुणा करने के लिए कहते हैं, जिससे कैंसर कोशिकाओं का ट्यूमर बन जाता है। जीवित ये कैंसर कोशिकाएँ आस-पास के ऊतकों पर आक्रमण कर सकते हैं और शरीर के अन्य भागों में फैलने (मेटास्टेसाइज़) के लिए एक प्रारंभिक ट्यूमर से अलग हो सकते हैं।

डिम्बग्रंथि कैंसर के लक्षण
वैसे तो जब डिम्बग्रंथि कैंसर किसी महिला के शरीर में पहली बार विकसित होता है, तो ऐसे कोई ख़ास लक्षण सामने नहीं आते हैं, जिससे इसकी पहचान की जा सके। वहीं जब डिम्बग्रंथि कैंसर के लक्षण होते हैं, तो उन्हें आमतौर पर अन्य, अधिक सामान्य स्थितियों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।

डिम्बग्रंथि के कैंसर के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

पेट फूलना या सूजन होना
खाते समय जल्दी पेट भरा हुआ महसूस होना
वजन घटना
PELVIK क्षेत्र में बेचैनी होना
थकान लगना
पीठ दर्द होना
आंत्र की आदतों में परिवर्तन होना, जैसे कि कब्ज
बार-बार पेशाब करने की आवश्यकता पड़ना
इन लोगों को ज्यादा होता है डिम्बग्रंथि कैंसर होने का खतरा

बड़ी उम्र- उम्र बढ़ने के साथ डिम्बग्रंथि कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। यह अक्सर पुराने वयस्कों में पाया जाता है।
वंशानुगत जीन परिवर्तन- कुछ प्रतिशत डिम्बग्रंथि कैंसर जीन परिवर्तन के कारण होता है जो बच्चों को माता-पिता से विरासत में मिलता है। डिम्बग्रंथि कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाले जीन में BRCA1 और BRCA2 शामिल हैं। ये जीन ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को भी बढ़ाते हैं।
लिंच सिंड्रोम से जुड़े जीन परिवर्तन और जीन BRIP1, RAD51C और RAD51D सहित कई अन्य जीन परिवर्तनों को डिम्बग्रंथि के कैंसर के जोखिम को बढ़ाने के लिए जाना जाता है।
डिम्बग्रंथि कैंसर का पारिवारिक इतिहास- अगर आपके किसी रक्त संबंधी में डिम्बग्रंथि कैंसर पाया गया है, तो आपको इस रोग का खतरा बढ़ सकता है।
अधिक वजन या मोटापा होना- अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होने से भी डिम्बग्रंथि के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
पोस्टमेनोपॉज़ल हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी- रजोनिवृत्ति के संकेतों और लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेने से डिम्बग्रंथि कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
मासिक धर्म शुरू और समाप्त होने की उम्र- कम उम्र में मासिक धर्म शुरू करना या बाद की उम्र में रजोनिवृत्ति शुरू करना, या दोनों, डिम्बग्रंथि कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
कभी गर्भवती न होना- यदि आप कभी गर्भवती नहीं हुई हैं, तो आपको डिम्बग्रंथि के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

डिम्बग्रंथि कैंसर के निदान के लिए किये जाने वाले टेस्ट
डिम्बग्रंथि के कैंसर के निदान के लिए निम्नलिखित टेस्ट किये जा सकते है:

पेल्विक जांच
पेल्विक जांच के दौरान डॉक्टर योनि में दस्ताने वाली उंगलियों को सम्मिलित करता है और साथ ही साथ पेट पर एक हाथ से दबाता है ताकि पेल्विक अंगों को महसूस किया जा सके। डॉक्टर आपके बाहरी जननांग, योनि और गर्भाशय ग्रीवा की भी जांच करते हैं। इससे डिम्बग्रंथि कैंसर की उपस्थिति का पता चल सकता है।

इमेजिंग परीक्षण
जांचकर्ता पेट और पेल्विक के अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन जैसे टेस्ट करते हैं, जिससे अंडाशय के आकार और संरचना को निर्धारित करने में मदद मिल सकती है। इससे भी डिम्बग्रंथि कैंसर की मौजूदगी का अनुमान लग सकता है।

रक्त परीक्षण
डॉक्टर ट्यूमर मार्करों के लिए आपके रक्त का परीक्षण भी कर सकता है जो डिम्बग्रंथि के कैंसर का संकेत देते हैं। उदाहरण के लिए, एक कैंसर एंटीजन (सीए) 125 परीक्षण एक प्रोटीन का पता लगा सकता है जो अक्सर डिम्बग्रंथि के कैंसर कोशिकाओं की सतह पर पाया जाता है।

ऑपरेशन
कभी-कभी डॉक्टर आपके निदान के बारे में निश्चित नहीं हो सकता है जब तक कि आप एक अंडाशय को हटाने के लिए सर्जरी नहीं करवाते हैं और कैंसर के लक्षणों के लिए इसका परीक्षण नहीं करते हैं।

आनुवंशिक परीक्षण
डॉक्टर डिम्बग्रंथि कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाले जीन परिवर्तनों को देखने के लिए आपके रक्त के नमूने का परीक्षण करने की सिफारिश कर सकता है। यह जानने के बाद कि आपके डीएनए में वंशानुगत परिवर्तन है, डॉक्टर को आपकी उपचार योजना के बारे में निर्णय लेने में मदद मिलती है।

आप अपने रक्त संबंधियों, जैसे अपने भाई-बहनों और अपने बच्चों के साथ जानकारी साझा करना चाह सकते हैं, क्योंकि उनमें भी वही जीन परिवर्तन होने का जोखिम हो सकता है।

डिम्बग्रंथि कैंसर के चरण
एक बार जब यह पुष्टि हो जाती है कि आपको डिम्बग्रंथि कैंसर है, तो डॉक्टर आपके परीक्षणों और प्रक्रियाओं की जानकारी का उपयोग करके आपके कैंसर को एक चरण निर्धारित करेगा। डिम्बग्रंथि के कैंसर के चरण 1 से 4 तक होते हैं, जिन्हें अक्सर रोमन अंकों I से IV के साथ दर्शाया जाता है। निम्नतम चरण इंगित करता है कि कैंसर अंडाशय तक ही सीमित है। चरण 4 तक, कैंसर शरीर के दूर के क्षेत्रों में फैल गया है।

डिम्बग्रंथि कैंसर से बचाव के तरीके
अभी तक डिम्बग्रंथि कैंसर का इलाज संभव नहीं हो सका हैं, लेकिन संभावित रूप से इसे रोकने के लिए कुछ तरीके आजमाएं जा सकते हैं। जो वास्तविक परिवर्तन को प्रभावित कर सकते हैं और कई जिंदगियां बचा सकते हैं।

20% डिम्बग्रंथि कैंसर एक आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण होता है। इसलिए जोखिम के साथ-साथ उत्परिवर्तन वाले लोगों के लिए रोगनिरोधी विकल्पों को जानना अनिवार्य है।
सबसे आम और घातक 70% डिम्बग्रंथि कैंसर फैलोपियन ट्यूब में शुरू होता है। अनुसंधान से पता चलता है कि हिस्टेरेक्टॉमी या ट्यूबल लिगेशन जैसी अन्य पेल्विक सर्जरी के माध्यम से फैलोपियन ट्यूब को हटाने और अंडाशय को बरकरार रखने से डिम्बग्रंथि कैंसर को रोकने में मदद मिल सकती है।
जन्म नियंत्रण की गोलियां डिम्बग्रंथि कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं। इसलिए सलाह लेने के बाद आप इन गोलियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। क्योंकि इन दवाओं के जोखिम भी हैं।
यदि आपका डिम्बग्रंथि कैंसर का पारिवारिक इतिहास है तो आपको अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। आपका डॉक्टर यह निर्धारित कर सकता है कि इससे आपको कैंसर का कितना जोखिम हो सकता है। डॉक्टर आपको आनुवंशिक परामर्शदाता के पास भी भेज सकता है जो यह तय करने में आपकी मदद कर सकते हैं कि क्या आनुवंशिक परीक्षण आपके लिए सही हो सकता है। यदि आपको पता चलता है कि आपके जीन में परिवर्तन है जो डिम्बग्रंथि के कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है, तो आप कैंसर को रोकने के लिए अपने अंडाशय को हटाने के लिए सर्जरी पर विचार कर सकते हैं।
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गर्भाशय कैंसर के कारण, लक्षण, कारक, इलाज और बचाव

M.D.Radiation Oncology
Oncologist, Bangalore
गर्भाशय कैंसर के कारण, लक्षण, कारक, इलाज और बचाव
कैंसर एक खतरनाक बीमारी है जिससे इंसान की मौत तक हो सकती है। हालांकि अगर इंसान पहले से ही अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहता है, तो वह कैंसर जैसी भयावह बीमारी से बच सकता है। कैंसर कई तरह के होते है। इसे हम यूं समझ सकते हैं कि शरीर के जिस अंग में कैंसर होता है, उसे उसी के नाम से जाना जाता है। इसी क्रम में आज हम आपको गर्भाशय कैंसर के विषय में विस्तार से बताएंगे। साथ ही इसके कारण, लक्षण और बचने के तरीकों के विषय के बारे में भी जानकारी देंगे। सबसे पहले जानते हैं कि यह गर्भाशय कैंसर होता क्या है।

क्या होता है गर्भाशय कैंसर
नाम से आप यह तो समझ गए होंगे कि गर्भाशय में होने वाले कैंसर को ही गर्भाशय कैंसर कहते हैं। लेकिन यह गर्भाशय क्या है, इसके बारे में हम बताते हैं। दरअसल, महिलाओं के शरीर में गर्भाशय वह स्थान होता है, जहां गर्भावस्था के दौरान बच्चा बढ़ता है। गर्भाशय कैंसर को यूटेराइन कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा इसे बच्चेदानी का कैंसर भी कहते हैं। इस प्रकार का कैंसर का खतरा ज्यादातर 60 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को होता है। हालांकि, इसके पहले भी यह कैंसर हो सकता है।

ध्यान रहे गर्भाशय कैंसर और गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर दोनों अलग-अलग प्रकार के कैंसर होते हैं।

गर्भाशय कैंसर होने के कारण
दरअसल, बढती उम्र के साथ महिलाओं के गर्भाशय की आंतरिक परत में मौजूद कोशिकाओं में आनुवंशिक बदलाव आने लगता है। इस वजह से कोशिकाएं असामान्य रूप से विभाजित हो जाती हैं और टूटने लगती हैं। इन्ही कोशिकाओं के असामन्य रूप से टूटने और बढ़ने के कारण गर्भाशय में ट्यूमर बनने लगता है। बाद में यही ट्यूमर कैंसर का रूप ले लेता है।हालांकि अभी यह साफ़ नहीं हो पाया है कि कोशिकाओं में यह बदलाव होता क्यों है।

गर्भाशय कैंसर के प्रकार
गर्भाशय कैंसर दो प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित हैं

गर्भाशय सार्कोमा
जब गर्भाशय की मांसपेशियों की परत यानी एंडोमेट्रियम या आसपास की उत्तकों में कैंसर होता है, तो उसे गर्भाशय सार्कोमा कहते हैं। इस प्रकार का कैंसर अधिक आक्रामक होता है और इसका इलाज भी कठिन होता है। हालांकि गर्भाशय कैंसर का यह प्रकार काफी दुर्लभ है।

एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा
गर्भाशय के भीतरी परत में होने वाले कैंसर को एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा के नाम से जाना जाता है। गर्भाशय में होने वाले लगभग सभी प्रकार के कैंसर इसी श्रेणी में आते हैं। इसका इलाज भी किया जा सकता है।

गर्भाशय कैंसर के जोखिम के कारक
वैसे तो गर्भाशय कैंसर के जोखिम के कई कारक हैं। उनमें से कई एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन के बीच संतुलन से संबंधित हैं। इन जोखिम कारकों में मोटापा, पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) नामक एक स्थिति या निर्विरोध एस्ट्रोजन लेना (प्रोजेस्टेरोन लिए बिना एस्ट्रोजन लेना) शामिल हैं। इसके अलावा कुछ अन्य जोखिम कारक निम्नलिखित हैं-

आयु
जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, गर्भाशय कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। अधिकांश गर्भाशय कैंसर 60 वर्ष की आयु के बाद होते हैं।

पशु वसा में उच्च आहार
उच्च वसा वाले आहार से गर्भाशय के कैंसर सहित कई तरह के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। वसायुक्त खाद्य पदार्थ भी कैलोरी में उच्च होते हैं, जो मोटापे का कारण बन सकते हैं। अतिरिक्त वजन एक गर्भाशय कैंसर जोखिम कारक है।

पारिवारिक इतिहास
कुछ माता-पिता वंशानुगत नॉनपोलिपोसिस कोलोरेक्टल कैंसर (HNPCC) के लिए आनुवंशिक परिवर्तन से गुजरते हैं। यह विरासत में मिली स्थिति कैंसर का कारक बन सकती है।

मधुमेह
यह रोग अक्सर मोटापे से संबंधित होता है, जो कैंसर के लिए एक जोखिम कारक है। लेकिन कुछ अध्ययन मधुमेह और गर्भाशय के कैंसर के बीच अधिक सीधा संबंध भी सुझाते हैं।

मोटापा (शरीर का अधिक वजन होना)
कुछ हार्मोन वसा ऊतक द्वारा एस्ट्रोजन में बदल जाते हैं, जिससे गर्भाशय कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। वसा ऊतक की मात्रा जितनी अधिक होगी, एस्ट्रोजन के स्तर पर उतना ही अधिक प्रभाव पड़ेगा।

डिम्बग्रंथि (ओवेरियन) रोग
जिन लोगों में कुछ डिम्बग्रंथि ट्यूमर होते हैं उनमें एस्ट्रोजन का स्तर उच्च और प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होता है। ये हार्मोन परिवर्तन गर्भाशय कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

प्रारंभिक माहवारी
यदि आपकी मासिक धर्म की अवधि 12 साल की उम्र से पहले शुरू हुई है, तो गर्भाशय के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपका गर्भाशय अधिक वर्षों तक एस्ट्रोजेन के संपर्क में रहता है।

देर से मेनोपॉज
इसी तरह अगर मेनोपॉज 50 की उम्र के बाद होता है तो भी खतरा बढ़ जाता है। आपका गर्भाशय लंबे समय तक एस्ट्रोजन के संपर्क में रहता है।

मासिक धर्म की लंबी अवधि
माहवारी शुरू होने या समाप्त होने के समय की तुलना में मासिक धर्म के वर्षों की संख्या आपकी उम्र से अधिक महत्वपूर्ण हो सकती है।

गर्भवती नहीं होना
एस्ट्रोजेन के बढ़ते जोखिम के कारण जो लोग गर्भवती नहीं हुए हैं उनमें जोखिम अधिक होता है।

गर्भाशय कैंसर के लक्षण
गर्भाशय के कैंसर के लक्षण कई स्थितियों के समान हो सकते हैं। यदि आपको असामान्य दर्द, रिसाव या रक्तस्राव दिखाई देता है, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जिससे इसका उचित और सटीक उपचार प्राप्त किया जा सके। गर्भाशय कैंसर के लक्षण निम्नलिखित हैं-

रजोनिवृत्ति से पहले मासिक धर्म के बीच योनि से खून बहना।
रजोनिवृत्ति के बाद योनि से रक्तस्राव या स्पॉटिंग, यहां तक कि थोड़ी मात्रा में।
पेट के निचले हिस्से में दर्द या पेट के ठीक नीचे श्रोणि में ऐंठन।
यदि आप रजोनिवृति के बाद हैं तो पतला सफेद या स्पष्ट योनि स्राव।
यदि आप 40 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, तो अत्यधिक लंबे समय तक, भारी या लगातार योनि से खून बह रहा है।
गर्भाशय कैंसर की जांच
यदि आपको अपने शरीर में गर्भाशय कैंसर के संभावित लक्षण नजर आएं तो अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ऐसे में वह कैंसर की मौजूदगी को पुख्ता करने के लिए कुछ विशेष प्रकार की जांच करेगा।

इमेजिंग परीक्षण:
सीटी स्कैन आपके शरीर के अंदर की विस्तृत तस्वीरों की एक श्रृंखला लेता है।

एमआरआई स्कैन छवियों को बनाने के लिए रेडियो तरंगों और एक शक्तिशाली चुंबक का उपयोग करते हैं।

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड आपके गर्भाशय की तस्वीरें लेने के लिए आपकी योनि मार्ग का प्रयोग किया जाता है। इसमें चिकनी, गोलाकार डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है।

अन्य परीक्षण:
एंडोमेट्रियल बायोप्सी: आपके गर्भाशय ग्रीवा (आपके गर्भाशय का मुखद्वार) और आपके गर्भाशय में एक पतली, लचीली ट्यूब के माध्यम से डॉक्टर एंडोमेट्रियम की एक छोटी राशि निकालता है।

हिस्टेरोस्कोपी: आपकी योनि और गर्भाशय ग्रीवा के माध्यम से आपके गर्भाशय तक पहुंचने के लिए एक हिस्टेरोस्कोप, एक लंबी पतली ट्यूब डाली जाती है। प्रकाश और कैमरे वाला यह संकीर्ण उपकरण आपके गर्भाशय की विस्तृत छवियां प्रदान करता है।

गर्भाशय कैंसर के चरण
गर्भाशय कैंसर की जांच से इस कैंसर के चरण के विषय में जानकारी मिलती है और इसी चरण के अनुसार डॉक्टर इस बीमारी का इलाज करता है। दरअसल, गर्भाशय कैंसर को चार चरणों में विभाजित किया गया है। जो कैंसर की स्थिति को दर्शाते हैं।

स्टेज-1
कैंसर आपके गर्भाशय से बाहर नहीं फैला है।

स्टेज-2
कैंसर आपके गर्भाशय ग्रीवा तक फैल गया है।

स्टेज-3
कैंसर आपकी योनि, अंडाशय और/या लिम्फ नोड्स में फैल गया है।

स्टेज-4
कैंसर आपके गर्भाशय से दूर आपके मूत्राशय या अन्य अंगों में फैल गया है।

गर्भाशय कैंसर का उपचार
वैसे तो अधिकांशतः देखा गया है कि गर्भाशय कैंसर से पीड़ित लोगों को सर्जरी की आवश्यकता होती है। हालांकि, आपकी विशेष उपचार योजना कैंसर के प्रकार और आपके समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। अन्य उपचारों में आप शामिल हो सकते हैं:

कीमोथेरेपी, जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए शक्तिशाली दवाओं का उपयोग करती है।
रेडिएशन थेरेपी, जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए लक्षित रेडिएशन किरणें भेजती है।
हार्मोन थेरेपी, जो कैंसर के इलाज के लिए हार्मोन देती है या उन्हें ब्लॉक करती है।
इम्यूनोथेरेपी, जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने में मदद करती है।
लक्षित चिकित्सा, जो विशिष्ट कैंसर कोशिकाओं को गुणा करने से रोकने के लिए दवाओं का उपयोग करती है।
शोधकर्ता गर्भाशय कैंसर के इलाज के लिए और अधिक तरीकों का अध्ययन करना जारी रखते हैं।
गर्भाशय कैंसर से बचाव के तरीके
वैसे तो गर्भाशय कैंसर को रोका नहीं जा सकता है। लेकिन इसके जोखिम को कम करने के लिए कुछ कदम उठा सकते हैं:

गर्भाशय कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। इसे नौ से 25 साल तक की युवतियां लगवा सकती हैं। गर्भाशय कैंसर से बचाव के लिए यह वैक्सीन 92 फीसद तक कारगर है। वैक्सीन लेने से पहले शारीरिक संपर्क नहीं बनाना है।
ब्लड शुगर को नियंत्रित करें।
ऐसा वजन बनाए रखें जो आपके लिए स्वस्थ हो।
असामान्य रक्तस्राव होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
मौखिक गर्भ निरोधकों का उपयोग करने के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। ये दवाएं गर्भाशय के कैंसर से कुछ सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं।
ताजे फलों और सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करें
रोजाना व्यायाम करें

Hydronephrosis: Causes, Diagnosis, Treatment and Prevention

MBBS, DNB - General Surgery, DNB - Urology/Genito - Urinary Surgery
Urologist, Kochi
Hydronephrosis: Causes, Diagnosis, Treatment and Prevention




When there is swelling of one or two kidneys in the body. Inside kidney urine gets collected due to blockage of tubes. Urine stores inside when urine tubes block due to anatomical defect or stones get stuck inside. This can cause infection inside the kidney. The filtered water from the kidney is stopped by it and this whole swelling of the kidney is called hydronephrosis.

At any age this swelling called hydronephrosis can happen. Hydronephrosis is diagnosed when a child is at infancy stage or by prenatal ultrasound done to the baby inside the womb.

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Usually hydronephrosis do not have any symptoms, however there could be some sign that might tell something about hydronephrosis:

1) there will be pain at the back or side of the lower abdomen. It may sometimes go to the groin and pain will be heavy.

2) there will be signs like burning while urinating, or there will be pain while urinating. There may be a want of urinating but urine passage will be in small amounts.

3) there will be nausea and vomiting whenever there is pain.

4) sometimes there will be fever, not severe but usually happens when there is constant pain.

5) infants thrive much more than adults which can be lacking when there is pain.

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Causes:

When blood is filtered by kidney urine, it passes from the kidney into a tube known as ureter. From this tube it goes to the bladder where storage of urine happens and then by muscle contraction it goes out of the body. Nevertheless when this urine is stopped from passing down it causes infection and swelling that is where hydronephrosis developed.

Some common causes of hydronephrosis include:



Partial blockage of kidney system: there are two places where blockage happens: 1) there may be blockage at the meeting of kidney and ureter. These types of blockage are more common.



2) there may be blockage at the meeting of the ureter and bladder. These blockages are less type.



Vesicoureteral reflux: usually urine goes one way from kidney to bladder through ureter but sometimes there is backflow of urine from bladder to ureter to kidney. This causes difficulty in passing the urine and the kidney swells and causes hydronephrosis.


Kidney stones in the ureter or in the kidney may block the passage of urine, sometime there is disturbance of the muscle which controls the want to urinate can cause urine to retain and kidney swells up.



Diagnosis:

When we visit a health care provider he/she advises us to go to a doctor who specializes in dealing with the condition of the kidney. These doctors are called urologist and they will do your further diagnosis: ;

There are many tests for diagnosing hydronephrosis. Which are:



A blood test will be taken to know the filtering function of the kidney.


A urine test will be done to know the health of urine whether it is infected or more uric acid is coming through urine or any stones are there.


An ultrasound imaging is done of the kidney and bladder as well as of other structures. By this many majors can be seen. ;


A specialized x-ray of all structures of the urinary system with special dye to see any problem in other areas of systemic problem is due to its structure.


When there is no surety of stones in the kidney or blockage of it by something other, doctors advise to go for ct scan or mri. They are best to see any type of stones in the kidney.



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Treatment:

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All though sometimes problems resolve with medicines but sometimes surgery is needed to eliminate the underlying cause. Hydronephrosis can be treated:

1) there are mild to moderate hydronephrosis: where doctors advise you to wait and see that it may resolve by its own or through medicines. Sometime doctors may give antibiotic medicine to reduce the infection caused to kidney in hydronephrosis

2) when there is severe hydronephrosis: it interferes with the function of the kidney. Doctors advised surgery to remove any blockage in the urinary system. Doctors also fix if there is reflux of urine back to the kidney and treat the severe infection. Kidney stones are removed surgically or with laser.

Many times hydronephrosis happens only to one kidney while other ones remain functionable. This hydronephrosis can if left untreated in severe condition it can cause permanent damage to the kidney that is kidney failure.

Prevention:

We should be careful not to take in any food and make sure of our diet. Some more points arelike:



We should not consume food with high salt in it.


Non-veg items like meat and chicken should be avoided or limited.


Seed items should also be checked.


High consumption of protein should be avoided.


Alcohol consumption should be avoided.


Citric fruits should be taken in the diet.


Have an exercise daily.



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Conclusion:

Hydronephrosis is caused by blockage in the urinary system. Stones are the major cause of it and infection may occur in the urinary system. We should have the right diet and exercise to avoid this. For any query please visit the doctor and if possible use medicines or else surgery to eliminate the blockage.
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जानिये हाइड्रोनफ्रोसिस से जुड़ी कई जानकारियां

MBBS, MS-General Surgery, M. Ch.- urology
Urologist,
जानिये हाइड्रोनफ्रोसिस से जुड़ी कई जानकारियां
हमारे शरीर में दिल, गुर्दा, दिमाग की तरह कई तरह के भीतरी अंग होते हैं, जिनका अलग-अलग काम होता है। जब इन्ही अंगों की संरचना में कोई बदलाव आता है या उनके काम करने की क्षमता में कोई कमी आती है तो शरीर में रोग की उत्पत्ति होती है, जो विभिन्न प्रकार से जनजीवन को प्रभावित करता है।

शरीर में ऐसा ही एक अंग है किडनी, जिसका मुख्य कार्य खून को साफ़ करना और पानी व क्षार का संतुलन करके पेशाब का निर्माण करना है। लेकिन किन्ही कारणों से जब पेशाब बाहर नहीं निकल पाता और किडनी में जमा हो जाता है, तो किडनी में सूजन आ जाती है। इस सूजन को हाइड्रोनफ्रोसिस कहा जाता है।

हाइड्रोनफ्रोसिस के प्रकार
चूंकि हमारे शरीर में दो किडनी होती हैं, इसलिए हाइड्रोनफ्रोसिस भी दो तरह का होता है। पहला एकतरफा हाइड्रोनफ्रोसिस जिसका अर्थ है कि पेशाब के जमा होने की वजह से एक किडनी में सूजन आई है। वहीं, अगर पेशाब जमा होने की वजह से दोनों किडनी प्रभावित हुई हैं, तो यह द्विपक्षीय हाइड्रोनफ्रोसिस की श्रेणी में गिना जाएगा।

वैसे तो हाइड्रोनफ्रोसिस होने की कोई उम्र नहीं होती है, लेकिन अगर बच्चों को यह समस्या होती है तो उसका इलाज बचपन में ही किया जा सकता है। इसके अलावा बच्चे के जन्म से पूर्व प्रसवपूर्व अल्ट्रासाउंड के दौरान भी किया जा सकता है।

हाइड्रोनफ्रोसिस के लक्षण
हाइड्रोनफ्रोसिस होने के लक्षण में निम्न कारक शामिल हैं:-

बाजू और पीठ में दर्द जो पेट के निचले हिस्से या कमर तक जा सकता है
मूत्र संबंधी समस्याएं, जैसे कि पेशाब के साथ दर्द या पेशाब करने की तत्काल या बार-बार आवश्यकता महसूस होना
मतली और उल्टी
बुखार
हाइड्रोनफ्रोसिस के कारण
दरअसल, किडनी जिस पेशाब का निर्माण करती है वह एक ट्यूब के माध्यम से मूत्राशय में जाती है। इस ट्यूब को मूत्रवाहिनी कहा जाता है। मूत्राशय से यह पेशाब शरीर से बाहर निकलती है। लेकिन कभी कभी हम किसी काम में व्यस्त रहने की वजह से या अन्य कारणों से पेशाब को बाहर नहीं निकालते, जिसकी वजह से यह मूत्रवाहिनी या किडनी में ही रह जाता है। इसी वजह से हाइड्रोनफ्रोसिस विकसित हो सकता है।

हाइड्रोनफ्रोसिस के कुछ सामान्य कारणों में शामिल हैं:

मूत्र पथ में आंशिक रुकावट: मूत्र पथ की रुकावटें अक्सर वहां बनती हैं जहां गुर्दा मूत्रवाहिनी से मिलता है। इसके अलावा रुकावटें वहां भी हो सकती हैं जहां मूत्रवाहिनी मूत्राशय से मिलती है।
वेसिकुरेटेरल भाटा: वेसिकुरेटेरल भाटा तब होता है जब मूत्र मूत्राशय से मूत्रवाहिनी के माध्यम से किडनी में ऊपर की ओर बहता है। आमतौर पर, मूत्र मूत्रवाहिनी में केवल एक ही तरह से बहता है। गलत तरीके से पेशाब बहने से किडनी को ठीक से खाली होने में मुश्किल होती है और किडनी में सूजन आ जाती है।
हाइड्रोनफ्रोसिस के अन्य कारण: हाइड्रोनफ्रोसिस के होने के अन्य कारणों में किडनी की पथरी, पेट या श्रोणि में ट्यूमर और मूत्राशय की ओर जाने वाली नसों की समस्याएं शामिल हैं।
हाइड्रोनफ्रोसिस का पता लगाने के लिए किए जाने वाले टेस्ट
अगर आपका शरीर हाइड्रोनफ्रोसिस के किसी भी लक्षण से प्रभावित होता है तो आपो तुरंत ऐसे डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए, जो आपकी समस्या के निदान के लिए सभी स्थितियों का पता लगाने में माहिर है। हाइड्रोनफ्रोसिस की जांच के लिए डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट करवा सकते हैं:

किडनी के काम का मूल्यांकन करने के लिए ब्लड टेस्ट
संक्रमण या मूत्र पथरी के संकेतों की जांच के लिए मूत्र परीक्षण जो पेशाब के रुकावट का कारण बन सकता है
एक अल्ट्रासाउंड इमेजिंग परीक्षा, जिसके दौरान आपका डॉक्टर संभावित समस्याओं की पहचान करने के लिए किडनी, मूत्राशय और अन्य मूत्र संरचनाओं को देख सकता है
मूत्र पथ का एक विशेष एक्स-रे जो किडनी, मूत्रवाहिनी, मूत्राशय और मूत्रमार्ग को रेखांकित करने के लिए एक विशेष डाई का उपयोग करता है, पेशाब से पहले और पेशाब के दौरान छवियों को कैप्चर करता है
यदि आवश्यक हो, तो आपका डॉक्टर सीटी स्कैन या एमआरआई जैसी अतिरिक्त इमेजिंग टेस्ट की सिफारिश कर सकता है। इस तरह के टेस्ट को MAG3 स्कैन कहा जाता है जो किडनी में कार्य और जल निकासी का मूल्यांकन करता है।
हाइड्रोनफ्रोसिस का इलाज
हाइड्रोनफ्रोसिस के लिए उपचार उसके होने के पीछे के कारण पर निर्भर करता है। वैसे तो हाइड्रोनफ्रोसिस अक्सर अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि कभी-कभी सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ जाती है।

हल्के से मध्यम हाइड्रोनफ्रोसिस: पहले डॉक्टर यह देखने के लिए प्रतीक्षा करता है कि क्या आपका हाइड्रोनफ्रोसिस अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि इस दौरान डॉक्टर मूत्र पथ के संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए निवारक एंटीबायोटिक चिकित्सा की शुरुआत कर सकता है।
गंभीर हाइड्रोनफ्रोसिस: जब हाइड्रोनफ्रोसिस की वजह से किडनी को सही से काम करने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है या वेसिकुरेटेरल भाटा की स्थिति पैदा हो जाती है, तो ऐसे मामले में डॉक्टर सर्जरी का विकल्प चुन सकता है। हाइड्रोनफ्रोसिस के कारण को ठीक करने के लिए किडनी की पथरी को तोड़ने और साफ करने के लिए शॉक वेव लिथोट्रिप्सी की जा सकती है।
हाइड्रोनफ्रोसिस को बिना उपचार के छोड़ देना: गंभीर हाइड्रोनफ्रोसिस स्थायी किडनी की क्षति या विफलता का कारण बन सकता है। लेकिन हाइड्रोनफ्रोसिस आमतौर पर केवल एक किडनी को प्रभावित करता है और दूसरा किडनी दोनों के लिए काम कर सकता है।

8 Home Remedies to Naturally Lower Your Creatinine Levels

MD - Ayurveda
Ayurvedic Doctor, Bargarh
8 Home Remedies to Naturally Lower Your Creatinine Levels




Creatinine can be best defined as an organic compound that's produced as a waste product when your muscles are used. Apart from that, eating lots of protein can also generate small amounts of creatinine in the body. In other words, creatinine is a muscle waste product that the kidneys are responsible for removing from the body and is found in a person's blood and urine.

As we already know, creatinine is a waste product that's generated from muscle metabolism. It is then transported to your kidneys through the bloodstream, where it can be filtered out and eliminated through your urine. And if your kidneys aren't working properly, creatinine levels in your blood can rise, which can further lead to some serious health issues.

Your doctor or healthcare provider may check your blood and urine for creatinine as part of an evaluation of your kidney health. Furthermore, it should also be noted that the normal level of creatinine in your blood or urine usually depends on a number of factors, including your age, race, gender, and body size. Abnormal creatinine levels in your blood may be an indicator of a kidney disease.

Creatinine levels can also be increased due to a variety of other reasons, including:



Diabetes


Tumors


Infections such as hepatitis b and c, hiv, and syphilis (among others)


Systemic lupus erythematosus, also known as sle or just" lupus"



If high creatinine levels are found through a blood or urine test, the doctor will likely order additional tests to identify the cause.

If you have high creatinine levels in your blood, it's important to seek medical help so that you can create a treatment plan to address any health issues that may be causing damage to your kidney function. Along with your medicines and other treatments, ask your healthcare provider whether the following lifestyle changes are appropriate for you. If you're looking for ways to lower your creatinine levels naturally, here are eight home remedies that might help:

Reduce your intake of protein-rich foods

Studies have shown that consuming large amounts of protein can lead to an increase in creatinine levels, at least temporarily. In particular, cooked red meat can affect creatinine levels. The heat from cooking causes the creatine found in meat to produce creatinine.

People who eat a lot of red meat, dairy, or other protein-rich foods may have higher creatinine levels than those who eat less of these foods. If you eat a lot of red meat, try switching to more vegetable-based dishes. You could swap out your beef burgers for food items such as:



Vegetable patties


Hearty vegetable stew


Lentil soup



Make sure you're not dehydrated

Creatinine levels in the blood can also increase when a person is dehydrated, which can lead to symptoms such as a dry throat, dizziness, and fatigue. If severe, dehydration can put strain on the cardiovascular system and other organs, and in extreme cases, it can even be life-threatening. The best way to prevent or deal with dehydration is by drinking plenty of water or other healthy fluids.

However, for some people with kidney disease, fluid intake can be an issue. So, if that is the case with you as well, be sure to talk with your healthcare provider about how much water and other fluids you should drink daily, as well as the best time to drink them.

Apple cider vinegar is worth giving a try!

According to a study conducted in 2008, kidney stone formation may lead to a very small increase in serum creatinine levels (8). However, apple cider vinegar contains acetic acid, which may actually lower the risk of kidney stone formation.

Apart from that, apple cider vinegar has antimicrobial properties as well. This may help keep bacteria at bay, and it may also help prevent your blood creatinine levels from rising. However, there is a lack of scientific evidence to support these claims, but it is usually safe to consume apple cider vinegar in low or moderate quantities.

Avoid consuming foods with excess salt

Excess amounts of salt in our everyday meals can lead to high blood pressure, especially when consuming processed foods that often contain sodium and phosphorus additives. In recent studies, consuming foods high in these additives has also been linked to increased creatinine levels as well as other renal problems.

So, you must rather focus on eating whole, unprocessed foods and using healthy spices and herbs (rather than excess salt) to flavor your food when possible. By doing this, you will be keeping your kidneys healthy, which will eventually help regulate the creatinine levels in your blood.

Quit smoking without a second thought!

If you are a habitual smoker, you might notice an increase in your creatinine levels. This is a sign that smoking is gradually harming your kidneys, and it may even lead to complete kidney damage. In this case, one of the best things you can do to improve or maintain the health of your kidneys is to quit smoking as soon as possible.

Cigarette smoking is detrimental to one's health and can give rise to a number of health issues, including chronic kidney disease. That said, if you quit smoking, it can help you reduce your risk of developing high creatinine levels and other life-threatening kidney problems.

Avoid consuming too much alcohol (if you do)

Alcohol consumption can have mixed effects when it comes to kidney function. Some studies have suggested that moderate alcohol consumption may help reduce the risk of chronic kidney disease, while other studies have shown that alcohol consumption is associated with a higher risk of developing chronic kidney disease. ;

In other words, it is believed that excessive alcohol consumption can potentially lead to kidney damage, high blood pressure, and alcohol dependency, according to other studies.

All in all, we must understand and acknowledge the fact that too much of anything can be harmful. If you drink alcohol, it's best to consult with your healthcare provider about the safest levels for you specifically. This way, you can avoid any potential health risks associated with drinking.

Have you tried consuming bitter gourd to regulate your creatinine levels?

Bitter gourd is a nutrient-rich vegetable that contains high levels of minerals, vitamins, antioxidants, and fiber. Some people believe that bitter gourd can act as a natural diuretic, helping to improve blood circulation and kidney function. This can further help to regulate your creatinine levels as well.

Bitter gourd juice has many potential health benefits, but it's important not to consume too much. According to a recent study, the tolerable range is 4000 mg/kg. Any amount or dose that exceeds this limit may be nephrotoxic, or harmful to the kidneys.

Drinking chamomile tea can do wonders for your renal health

Chamomile tea has been shown to reduce elevated creatinine levels. To make the tea, you will have to add the chamomile herb (or tea leaves) to a cup of boiling water. Thereafter, you must let it steep for at least 10 to 15 minutes before you finally strain it. You also have the option to add a few drops of honey to your tea for a better or enhanced taste, if desired.

In fact, this tea can be amazing for your overall health! not only does it taste great, but it can also help lower your creatinine levels (as mentioned above). You can drink this great tea three to four times a day, so what's stopping you from giving it a try?

Conclusion:

We hope you enjoyed our article on how to lower creatinine levels naturally. There are many ways to naturally lower creatinine levels, and we hope that this article was able to provide you with some great ideas and inspiration when it comes to things you can start doing today. As always, if you have any questions, queries, or concerns about this subject, please feel absolutely free to contact us anytime; we would indeed love to hear from you!
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क्रिएटिनिन कम करने के 10 घरेलू उपचार

Bachelor of Ayurveda, Medicine and Surgery (BAMS), Diploma in Naturopathy & Yoga - NDDY
Ayurvedic Doctor, Ahmedabad
क्रिएटिनिन कम करने के 10 घरेलू उपचार
शरीर है जटिल मशीन
हमारा शरीर एक जटिल मशीन की तरह है जिसमें कई तरह के सिस्टम मौजूद हैं। एक रक्त संचार चलता है तो दूसरा शरीर से गंदगी बाहर निकालता है। आज हम शरीर से जहरीले कचरे को खत्म करने के लिए मौजूद तंत्र के बारे में विमर्श करेंगे।

इस तंत्र के विफल होने पर आपको उच्च क्रिएटिनिन लेवल जैसी जटिलताओं का अनुभव हो सकता है। ऐसी समस्या से गंभीर स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं।

क्या आपको पता है कि उचित क्रिएटिनिन स्तर क्या है और उसे संतुलित क्यों होना चाहिए। तो इस लेख में हम इसी पर चर्चा करेंगे कि क्रिएटिनिन के उच्च स्तर को घरेलू उपचार के माध्यम से आप कैसे संतुलित कर सकते हैं।

सारांश- शरीर एक जटिल मशीन है। इसमें ब्लड सर्कुलेशन के साथ टॉक्सिक निकालने का काम साथ चलता है। जब ये सिस्टम फेल होता है तो शरीर में किएटिनिन जैसा कचरा बढ़ने लगता है।

क्रिएटिनिन क्या है?
क्रिएटिन एक महत्वपूर्ण अणु है जो ऊर्जा के उत्पादन में मदद करता है। आपके शरीर का लगभग 2% क्रिएटिन क्रिएटिनिन में परिवर्तित हो जाता है। यह रक्तप्रवाह के माध्यम से आपके गुर्दे तक पहुँचाया जाता है।

गुर्दे अधिकांश क्रिएटिनिन को फ़िल्टर करते हैं और इसे मूत्र के माध्यम से आपके शरीर से निकाल देते हैं। मूत्र में क्रिएटिनिन का कम होना रक्त में अधिक क्रिएटिनिन का संकेत हो सकता है।

कुछ मामलों में यह चिंता का कारण हो सकता है। शरीर में अधिक क्रिएटिनिन होने से किडनी डैमेज होने का खतरा होता है। इसके अलावा हृदय संबंधी समस्याएं और सांस संबंधी रोग भी हो सकते हैं।

सारांश- किएटिनिन दरअसल क्रिएटिन से बनता है। सामान्य तौर पर गुर्दे किएटिनिन को फिल्टर कर पेशाब के रास्ते निकाल देते हैं। मूत्र में क्रिएटिनिन का कम होना रक्त में अधिक क्रिएटिनिन का खतरनाक संकेत हो सकता है।

घर बैठे कैसे कम करें क्रिएटिनिन
आइए जानते हैं कि कैसे घर बैठे आप कुछ आसान उपाय कर के क्रिएटिनिन के स्तर को कम कर सकते हैं।

सेब का सिरका
गुर्दे की पथरी बनने से सीरम क्रिएटिनिन का स्तर थोड़ा बढ़ सकता है। सेब के सिरके में एसिटिक एसिड होता है, जो किडनी स्टोन बनने के जोखिम को कम कर सकता है ।

इसके रोगाणुरोधी गुण जीवाणु संक्रमण को दूर करने में मदद कर सकते हैं और आपके रक्त में क्रिएटिनिन के स्तर को बढ़ने से रोक सकते हैं।

कैसे करें सेवन
इसके सेवन के लिए एक गिलास गर्म पानी में एक बड़ा चम्मच एप्पल साइडर विनेगर डालें और अच्छी तरह मिलाएँ। इस घोल में थोड़ा सा शहद मिलाएं। इस घोल को रोजाना एक बार पिएं, कोशिश करें कि इसके साथ उच्च कार्बोहाइड्रेट वाला आहार लें।

करेला
करेला विभिन्न खनिजों, विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट और फाइबर का एक समृद्ध स्रोत है। शोध बताते हैं कि यह एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में कार्य कर सकता है, रक्त परिसंचरण में सुधार करता है।

यही नहीं करेला आपके रक्त में क्रिएटिनिन के स्तर को स्वाभाविक रूप से कम करने में मदद करने के लिए आपके गुर्दे को टोन करता है।

कैसे करें सेवन
दिन में एक बार आधा कप करेले का जूस पिएं। हालांकि करेले या इसके जूस का अधिक मात्रा में सेवन न करें।

दालचीनी
दालचीनी को प्राकृतिक मूत्रवर्धक माना जाता है। कुछ का मानना है कि यह किडनी की फिल्ट्रेशन क्षमताओं में भी सुधार कर सकती है। दालचीनी शरीर के क्रिएटिनिन स्तर को नियंत्रित करती है।

कैसे करें सेवन
गर्म पानी या भोजन में आधा चम्मच दालचीनी मिलाएं और दिन में एक बार इसका सेवन करें।

कैमोमाइल चाय
कैमोमाइल चाय का सेवन उच्च क्रिएटिनिन स्तर को कम कर सकता है ।

कैसे करें सेवन
एक कप गर्म पानी में कैमोमाइल हर्ब डालें। इसे कम से कम 10 मिनट तक भीगने दें। अब इसे छान लें और थोड़ा सा शहद मिला लें। आप दिन में 3 से 4 बार कैमोमाइल चाय का सेवन कर सकते हैं।

ग्रीन टी
ग्रीन टी एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट है और इसमें मूत्रवर्धक गुण होते हैं। ग्रीन टी की मूत्रवर्धक प्रकृति आपके गुर्दे की फिल्ट्रेशन क्षमता में सुधार करने और मूत्र उत्पादन को बढ़ाने में मदद कर सकती है। इससे क्रिएटिनिन का स्तर कम होता है।

कैसे करें सेवन
लगभग 10 मिनट के लिए एक कप गर्म पानी में ग्रीन टी बैग को डुबो कर रखें। इसे कुछ देर के लिए ठंडा होने दें और इसमें थोड़ा सा शहद मिलाएं। आप दिन में 2 से 3 बार ग्रीन टी पी सकते हैं।

लहसुन
लहसुन एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट है और मूत्रवर्धक के रूप में भी काम करता है। यह आपके शरीर से जहरीले कचरे को बाहर निकालने में मदद करता है। साथ ही यह रक्त में क्रिएटिनिन के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है।

लहसुन प्लाज्मा आयरन के स्तर को भी बढ़ाता है और हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार करता है।

कैसे करें सेवन
आप 4 से 5 लहसुन की कली रोज़ चबा सकते हैं या आप अपने सलाद और अन्य खाद्य पदार्थों में कटे हुए लहसुन डाल सकते हैं। ऐसा आपको रोजाना 1 से 2 बार करना है।

अदरक
अदरक में फ्लेवोनोइड्स और इथेनॉल होते हैं जो एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों को प्रदर्शित करते हैं, जो आपके गुर्दे को क्षति और चोट से बचाने में मदद कर सकते हैं।

अदरक आपके शरीर में क्रिएटिनिन के स्तर को कम कर सकते हैं।

कैसे करें सेवन
एक कप गर्म पानी में एक इंच अदरक डालें और इसे कम से कम 10 मिनट तक भीगने दें। इसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर तुरंत सेवन करें। बेहतर लाभों के लिए आप इस अदरक की चाय को दिन में तीन बार पी सकते हैं।

क्रैनबेरी जूस
क्रैनबेरी में क्विनिक एसिड होता है जो आपकी किडनी में स्टोन बनने से बचाता है।

कैसे करें सेवन
दिन में एक बार एक मध्यम कप क्रैनबेरी जूस पिएं।

नारियल पानी
कच्चा नारियल पानी विटामिन सी का एक समृद्ध स्रोत है जो आपके क्रिएटिनिन के स्तर को कम कर सकता है और आपके गुर्दे को स्वस्थ और पथरी मुक्त रख सकता है।

कैसे करें सेवन
दिन में एक बार एक गिलास नारियल पानी पिएं। हालांकि एक दिन में 1 गिलास से ज्यादा नारियल पानी पीने से बचें। शोध बताते हैं कि यह आपके गुर्दे को प्रभावित कर सकता है।

जैतून का तेल
जैतून का तेल एंटी-यूरोलिथिक गतिविधियों को प्रदर्शित करता है जो गुर्दे की पथरी के गठन को रोकने में मदद कर सकता है। यह रक्त में क्रिएटिनिन के स्तर को भी कम कर सकता है।

कैसे करें सेवन
रोजाना एक बार अपने सलाद या पास्ता में एक बड़ा चम्मच जैतून का तेल मिलाएं। पर खाना बनाते समय जैतून के तेल को ज्यादा गर्म करने से बचें।
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Top 10 Doctors for PCOS In Mumbai

MBBS, MP shah
Gynaecologist, Mumbai




1. Dr. Ranjeeta khati

Https://www. Lybrate. Com/mumbai/doctor/dr-ranjeeta-khati-gynaecologist ;

Mbbs, dnb, obstetrics & gynecology, fellowship in reproductive medicine

21 years experience 500 at clinic



Dr. Ranjeeta khati is a leader in her field when it comes to the health of women. She has an mbbs from sri krishna medical college in muzaffarpur, bihar, and a dnb in obstetrics and gynecology from mother hospital (p) ltd in thrissur, kerala. She is an expert on women's health, including how to treat pcos, thanks to her years of experience and knowledge.
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Dr. Khati knows how complicated pcos can be and thinks that everyone should be able to get good care to help them deal with their symptoms and get the right treatment for their condition. Her method focuses on educating and empowering patients so that each woman can make decisions about her own health care that are best for her. Dr. Khati also gives complete care by giving patients access to expert specialists if they need more treatment.

2. Dr. Veena g. Shinde

Https://www. Lybrate. Com/mumbai/doctor/dr-veena-g-shinde-gynaecologist

Pg in assisted reproductive technology, md - obstetrics & gynaecology, dgo, mbbs

33 years experience 1000 at clinic 300 online

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Dr. Veena g. Shinde is a gynaecologist and obstetrician with more than 33 years of expertise and has earned a stellar reputation in her field. A large number of her patients, coworkers, and medical institutions have praised her for her commitment to individualised treatment and her history of success in treating pcos.


Lifestyle changes, hormone medication (metformin or oral contraceptives), weight reduction regimens, and surgery, if required, are all part of Dr. Shinde's multifaceted approach to treating polycystic ovary syndrome (pcos).

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To guarantee the best possible health results for her patients, she collaborates with endocrinologists, nutritionists, and other healthcare specialists, taking into consideration the patients' ages, current health conditions, and personal preferences in care.

3. Dr. Sonali tawde

Https://www. Lybrate. Com/mumbai/doctor/dr-sonali-n-tawde-gynaecologist

Mbbs, Ms. - obstetrics & gynaecology & fellowship in fertility, dnb - obstetrics & gynaecology, masters in reproductive medicine (uk)

19 years experience 700 at clinic 300 online

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Gynecologist and ivf expert Dr. Sonali tawde is highly competent. She holds a dnb in obstetrics and gynecology from the national board in new delhi and an Ms. In obstetrics and gynecology from the sir j. J. Group of hospitals byculla in mumbai. She specialises in treating pcos syndrome, infertility, and other problems with reproductive health.

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Dr. Tawde has over 19 years of expertise in gynaecology and reproductive health, and she uses cutting-edge methods including fertility treatments and minimally invasive operations for uterine fibroids and endometriosis to provide her patients the best care possible for their condition.

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Many customers who have chosen her services to successfully conceive or cure infertility concerns have trusted her because of her long-standing experience. She has received several honours, including the mogs Dr. Pramila bhatia young scientist award.

4. Dr. Nitin kochar

Https://www. Lybrate. Com/mumbai/doctor/dr-nitin-r-kochar-ayurveda

Bams, md - ayurveda, diploma in yoga

32 years experience 800 - 1000 at clinic

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Nitin kochar is well-known in the field of ayurvedic medicine and is a member of the national integrated medical association (nima). Due to the extensive training he has received, he is an authority in the treatment of severe conditions.

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As it has been shown that ayurvedic therapies may give relief from the symptoms associated with this illness, Dr. Kochar is of the opinion that pcos can be effectively treated without the need of expensive pharmaceuticals or nutritional supplements.

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Dr. Kochar's treatment approach for polycystic ovary syndrome (pcos) is built on the premise that modifying one's lifestyle and eating habits in accordance with one's body type is the most important step.

5. Dr. Jagdip shah

Https://www. Lybrate. Com/mumbai/doctor/dr-jagdip-shah-gynaecologist

Md - obstetrics & gynaecology, dgo, mbbs, mcps

41 years experience 1200 at clinic 500 online

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Living with pcos may be a difficult experience, therefore it's important to find the correct therapy. Dr. Jagdip shah, a gynaecologist, has a stellar reputation for offering comprehensive treatment to patients suffering with pcos.

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From kem hospital in mumbai, he earned his md in obstetrics and gynaecology, dgo, and mbbs. Dr. Shah, as an experienced expert, understands the physical and psychological effects of pcos and offers compassionate treatment that enables women to live full and productive lives.

He evaluates all aspects of a patient's medical history to determine the best approach for their specific needs, which may include medications or hormonal therapies such as insulin sensitizers, oral contraceptives, or metformin therapy to help reduce symptoms such as acne, excessive hair growth, or irregular periods.

6. Dr. Jayanti kamat

Https://www. Lybrate. Com/mumbai/doctor/dr-jayanti-kamat-gynaecologist ;

Mbbs, md - obstetrics & gynaecology, advanced infertility

29 years experience 800 at clinic 350 online



Dr. Jayanti kamat has 29 years of expertise in gynaecology and obstetrics. She is an extraordinarily devoted physician whose devotion to her patients and their treatment is unmatched. Multiple articles have been presented by her at the ob gy national conference. ;



Dr. Jayanti kamat offers complete treatment for all female problems, from basic concerns such as contraception to difficult medical procedures such as infertility treatments and caesarean sections, thanks to her extensive knowledge in the field.
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This extremely knowledgeable physician ensures that she employs evidence-based procedures to give her patients with the best possible diagnosis and treatment so that they may have maximum health and minimum suffering throughout their life.

7. Dr. Bhavini shah balakrishnan

Https://www. Lybrate. Com/mumbai/doctor/dr-bhavini-shah-balakrishnan-gynaecologist

Dnb (obstetrics and gynecology), dgo, mbbs ;

15 years experience 1000 - 1500 at clinic 500 online



Dr. Bhavini shah balakrishnan is an acclaimed doctor in the field of gynaecology and obstetrics. She has a dnb (obstetrics and gynecology) from masina hospital, mumbai, a dgo from nanavati hospital, mumbai, and an mbbs from the maharashtra university of health sciences, nashik. ;



Pcos impacts a woman's hormones and reproductive system. Dr. Bhavini is experienced in detecting pcos symptoms. Her therapies include dietary adjustments, stress management, exercise regimens, and drugs to promote fertility or control hormone imbalances.

8. Dr. Sudha mukul marwah

Https://www. Lybrate. Com/mumbai/doctor/dr-sudha-mukul-marwah-gynaecologist ;

Ms - ophthalmology, mbbs

42 years experience 600 at clinic 1000 online



The polycystic ovarian syndrome, or pcos, is a condition that affects the female reproductive system. It makes the ovaries produce a lot of male hormones, which might affect fertilisation, menstruation, and other bodily functions. Symptoms can vary from woman to woman, however they can include excessive body hair, obesity, acne, and irregular periods.


An proper diagnosis is crucial for pcos-affected women in order to guarantee that the right care is provided. Dr. Sudha mukul marwah is a gynecologist who specialises in the diagnosis and treatment of pcos, which is fortunate for individuals who suffer from this terrible condition. Her experience makes her a reliable source for identifying and treating this issue.

9. Dr. Vandana walvekar

Https://www. Lybrate. Com/mumbai/doctor/dr-vandana-walvekar-gynaecologist ;

Md

53 years experience 2000 at clinic 500 online

 

Dr. Vandana walvekar is a respected and renowned gynaecologist in the medical profession, having earned her md in 1969 at an college. Since then, she has made significant contributions to the healthcare industry. Dr. Walvekar has dedicated much of her professional career to studying the emotional and physical effects pcos may have on patients.


She believes that the physical signs of pcos, such as facial hair development, acne, weight gain, diabetes, infertility, and irregular menstrual periods, can create considerable psychological stress. Those suffering from pcos should seek medical guidance from an experienced physician, such as Dr. Walvekar, who understands how to best manage both their physical and mental health needs.

10. Dr. Girish dani

Https://www. Lybrate. Com/mumbai/doctor/dr-girish-dani-gynaecologist 

Md - obstetrtics & gynaecology, fcps, dgo, diploma of the faculty of family planning (dffp)

50 years experience 2000 at clinic 400 online

 

Dr. Girish dani is an extremely competent gynaecologist with a t. N. M. C.-awarded md in obstetrics and gynecology. His extensive spectrum of knowledge includes pcos therapy, which he has provided to patients for years. Patients who have received this specialist care attest to Dr. Dani's friendly clinical skills, his comprehensive assessment of their illness, and his application of the most effective treatment.

 

Each consultation begins with a review of the patient's medical history, followed by physical examinations to diagnose any underlying abnormalities or illnesses that may be causing infertility or other reproductive concerns. Then, he proposes a personalised course of action designed to assist the patient in achieving her desired outcome, be it conception or enhanced fertility.

Top 10 Doctors for PCOS in Bangalore

MBBS, MD - Obstetrics & Gynaecology, MRCOG, F.MAS, D.MAS, FICRS
Gynaecologist, Bangalore




Dr. Geeta komar



Https://www. Lybrate. Com/bangalore/doctor/dr-geeta-komar-gynaecologist

Md - obstetrtics & gynaecology, mbbs

23 years experience 400 - 800 at clinic 400 online

Symptoms of pcos often appear at the same time as a woman's first menstrual period. It's very uncommon for symptoms to manifest years after menstruation has begun. Dr. Geeta is a well-respected physician who has treated a number of patients with complex problems. She is an expert an ecologist and has treated hundreds of female patients in the local areas of bangalore ;

She has prior experience working as a consultant at yashomati hospital and a consultant at sakra world hospital. She has earned her prestigious education in the form of an md in obstetrics & gynaecology at gandhi medical college and an mbbs at karnataka university.

2. Dr. Niveditha s murthy

Https://www. Lybrate. Com/bangalore/doctor/dr-niveditha-srinivasamurthy-ayurveda ;

Bachelor of ayurveda, medicine and surgery (bams), mscp

13 years experience 200 at clinic 300 online

She is a well-known ayurvedic physician who has successfully assisted numerous patients with complex problems. She is an accomplished gynaecologist, expert in infertility, and dietitian/nutritionist.

The government ayurveda medical college in bangalore awarded her a bachelor of ayurveda, medicine, and surgery (bams), and kuvempu university in shimago awarded her a mscp. She previously worked as a chief physician at advik ayurveda consultant at sajjan ayurvedalaya, as well as a medical officer and panchakarma unit head at sri sri ayurveda panchakarma.

3. Dr. Shilpa apte

Https://www. Lybrate. Com/bangalore/doctor/dr-shilpa-apte-gynaecologist ;

Dgo, mbbs

27 years experience 650 at clinic 600 online

She is an expert physician who deals with problems of lack of menstruation and irregular menses which is a major problem in the patients of polycystic ovary disease. The same holds true for periods that last many days or are significantly longer than average. For instance, you may have fewer than nine periods in a given year. It's also possible that the intervals between cycles are more than 35 days. Conceiving a child may be difficult for you. The physician provides treatment for the same.

Dr. Shilpa has made a name for defining excellence by providing years of service with her remarkable work as a gynaecologist. Additionally, she is an experienced obstetrician. She excelled academically and received her dgo from maharashtra university of health sciences (muhs), nasik, and her mbbs from nagpur university. She is an accomplished member of bsog. ;

4. Dr. Neelima padmanaban

Https://www. Lybrate. Com/bangalore/doctor/dr-neelima-padmanaban-gynaecologist

Mbbs, dgo, dnb

24 years experience 400 at clinic 300 online

She is a talented and dedicated clinician, treating patients as a gynaecologist. She is particularly proficient as an obstetrician, a specialist in infertility, and an ultrasonologist. She was able to achieve academic success and obtain her mbbs from osmania medical college, hyderabad; her dgo from osmania medical college, hyderabad; and her dnb from the national board of examinations. ;

She is an experienced medical practitioner who treats patients with polycystic ovarian disease, which is characterised by a variety of symptoms such as infertility and irregular periods. The same is true for periods that are either significantly longer than normal or span a significant number of days.

5. Dr. Mamtha reddy y. V

Https://www. Lybrate. Com/bangalore/doctor/dr-mamtha-reddy-y-v-gynaecologist

Mbbs, Ms. - obstetrics and gynaecology, fellowship in minimal lab spine surgery

25 years experience 500 at clinic 600 online

She is a well-respected physician who has a distinguished educational background and a wealth of practical expertise in the medical field. She is among the most competent gynaecologists. Both an infertility specialist and an ivf (in vitro fertilisation) specialist, she specialises in helping couples conceive a child. ;

In addition to that, she has extensive education and experience working as both an obstetrician and an ultrasonologist. Because she has advanced degrees in the field of medicine, such as an mbbs from rajiv gandhi university of health science in bangalore and an Ms. In obstetrics and gynaecology from the same university, she is regarded as an authority in her field. Additionally, she has completed a fellowship in minimally invasive spine surgery (av hospital, bangalore).

6. Dr. Shashikumar j

Https://www. Lybrate. Com/davanagere/doctor/dr-shashikumar-general-physician

Ms - general surgery

7 years experience 200 - 300 at clinic 200 online

As a general practitioner, he has helped local residents overcome their health problems. He is an accomplished gynaecologist as well as an obstetrician. His Ms. In general surgery from mysore medical college, bangalore, demonstrates his excellent level of medical education. In the past, he has worked as a surgeon at the mysore medical college and research institute. ;

7. Dr. Rohini bv

Https://www. Lybrate. Com/bangalore/doctor/dr-rohini-bv-ayurveda

Bams, yic, dec

13 years experience 500 at clinic

She has treated a range of medical conditions for locals using her skills as an ayurvedic physician. She is well acknowledged for being a gynaecologist, health expert, and women's health specialist. Previously, she worked with ayushadyala as their ayurvedic consultant. She is currently an ayurvedic consultant at naturo cafe.

She has a dec from bangalore university and a bams from the ayurvedic medical college. Membership in the ayush unani and ayurvedic boards demonstrates the doctor's credibility. ;

8. Dr. Jayashri s

Https://www. Lybrate. Com/bangalore/doctor/dr-jayashri-s-gynaecologist-1 ;

Mbbs, Ms. - obstetrics and gynaecology

36 years experience 500 - 600 at clinic 350 online

She has helped many patients as a gynecologist and obstetrician. She has a lot of training being a gynecologist and experience as a doctor. She completed her postgraduate degree of master of science in obstetrics and gynecology and undergraduate degree of bachelor of medicine and bachelor of surgery at the mahatma gandhi memorial medical college in indore. 

She has attended various seminars and cme workshops for the bangalore society of obstetrics & gynaecology and the family planning association of india (fpai).

9. Dr. Anu joseph

Https://www. Lybrate. Com/bangalore/doctor/dr-anu-joseph-gynaecologist 

Mbbs, dnb (obstetrics and gynecology), fellowship in maternal and fetal medicine

20 years experience 400 - 600 at clinic 400 online

People who are overweight are more likely to experience severe pcos symptoms than people who maintain a healthy weight. Also, there is an abundance of the male hormone androgen. An androgen deficiency may result in a lack of facial and body hair, while an excess of this hormone may lead to thick, abundant hair. The medical term for this is hirsutism. Severe acne and male-pattern baldness are two side effects that could occur. 

The doctor provides treatment for such problems. She acquired her mbbs from the amrita institute of medical sciences and research centre and her dnb (obstetrics and gynecology) from the pushpagiri institute of medical sciences and research center. In addition to this, she has a fellowship in maternal and foetal medicine from rguhs. She has extensive knowledge in this sector. She was formerly a senior resident at the esi model hospital in paripalli, kollam, kerala.

10. Dr. Veena vidyasagar

Https://www. Lybrate. Com/bangalore/doctor/dr-veena-vidyasagar-gynaecologist 

Fellowship in minimal access surgery, Ms. - obstetrics and gynaecology, mbbs

45 years experience

Call doctor

She is a talented and dedicated clinician, treating patients as a gynaecologist. She is also an experienced obstetrician and women s health specialist. She has a lot of training being a gynecologist and experience as a doctor. She has done an Ms. In obstetrics and gynaecology and an mbbs, both from the jawaharlal nehru medical college, ajmer. 

 

There, at world laparoscopy hospital in gurgaon, she is a minimal access surgery fellow hearing hundreds of patients with her expertise in the field of gynecology. She is an expert member of the bangalore society of obstetrics and gynecology and a renowned speaker working in various seminars and workshops of the the national association for reproductive and child health in india (narchi).

 

Kidney Disease Signs: Is Frequent Urination Is One Of Them?

MBBS
General Physician, Fatehabad
Kidney Disease Signs: Is Frequent Urination Is One Of Them?
Most people have a bladder that can store urine until it is convenient to go to the toilet typically 4-8 times a day. Needing to rush to the bathroom more than 8 times a day or waking up in the middle of the night could mean you have been drinking too much fluid before going to bed. Technically, this condition is known as frequent urination.

However, frequent urination does not always happen when you drink up gallons of water. If you feel the urge to urinate frequently, especially at night, it could be a sign of a kidney disorder.

What causes you to urinate frequently?

When the filters in your kidney are damaged, your urge to urinate increases. Sometimes, this may signify an ;enlarged prostate or an ;infection in the urinary tract.



Urinary tract infections ;the bladder and the tube carrying urine from it and out of your body (urethra lining) becomes irritated and inflamed due to by-products of an infection. This urges you to empty your bladder more often. However, the amount of urine discharged decreases with every trip you make to the loo.


Enlarged prostate  an enlarged prostate presses against the urethra and obstructs urine flow. This causes the walls of the bladder to become inflamed. The bladder shrinks even when it consists of a tiny amount of urine, leading to frequent urination.



Other types of kidney disorders that may cause you to urinate frequently are



Anterior prolapse


Bladder stones


Interstitial cystitis


Urethral stricture



Signs indicating a kidney disease

Frequent urination resulting from a damaged kidney is often accompanied by other symptoms such as



Abdominal discomfort and pain


Losing control of your bladder


The unusual colour of the urine


Difficulty urinating tiny droplets oozing out



Many of the kidney diseases mentioned above could be serious. Therefore, it is imperative that you discuss the symptoms with your doctor and seek appropriate treatment to manage the condition.
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Warning Sings Of Kidney Rupturing

MBBS
General Physician, Fatehabad
Warning Sings Of Kidney Rupturing
Kidney rupture is usually caused by a traumatic injury or direct blow to the front or sides of the abdomen, or low-to-mid back that tears or damages the organ. This type of injury is usually common in sports activities such as rugby, football, gymnastics, boxing, and horseback riding.

Renal failure or kidney rupture occurs when the kidneys stop functioning suddenly. The organ is no longer able to eliminate waste products and maintain a balance between the salt, water, and electrolytes in the blood. As a result, the wastes and fluids start accumulating in your body, ultimately leading to a ruptured kidney.

What could possibly cause a kidney to rupture?

A kidney rupture or injury can result from any of the following reasons -



Low intake of fluid


Exertion or trauma


Loss of blood/transfusion


Exposure to harmful substances


Exposure to heavy metals or mercury vapours


Nephrotoxic drug ingestion



Symptoms to watch out for

If you suspect a kidney rupture, you should look out for the following symptoms -



Blood in the urine, commonly known as hematuria


Mild to severe pain in the right or left abdomen


Pain in the lower back


Muscle guarding


Fever


Abdominal pain, ;swelling and ;bruising


A decrease in the flow of urine


Internal bleeding ;signs - dizziness, decreased alertness, blurred vision, fatigue, vomiting, nausea, low blood pressure



The symptoms, if ignored for too long, can be fatal in the long run. Once you identify the signs of kidney rupture, do not hesitate to get yourself diagnosed for the same. Early diagnosis and treatment can help manage the symptoms and help you live a healthier life.
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