Anti Ovarian Antibody Tips

डिम्बग्रंथि कैंसर के कारण, लक्षण, कारक, इलाज और बचाव

MBBS, MS - Obstetrics & Gynaecology
Gynaecologist,
डिम्बग्रंथि कैंसर के कारण, लक्षण, कारक, इलाज और बचाव
हर इंसान स्वस्थ जीवन जीने की चाहत रखता है। हालांकि, खानपान, रहन-सहन और पर्यावरणीय परिवर्तन की वजह से कई तरह की पनप जाती है। कई बार ये बीमारियां गंभीर रूप ले लेती हैं, जिससे इंसान की मौत तक हो जाती है, ऐसी ही एक बीमारी कैंसर भी है, जिसे खतरनाक बीमारियों में गिना जाता है। कई प्रकार के होते हैं। या यूं समझे कि मानव शरीर के इस अंग में कैंसर पनपता है, उसे उसी के नाम से जाना जाता है। ऐसा ही एक कैंसर है डिम्बग्रंथि कैंसर जिसे ओवेरियन कैंसर भी कहा जाता है।

आज अपने इस लेख के माध्यम से हम डिम्बग्रंथि कैंसर के विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर यह क्यों होता है और इससे बचाव कैसे किया जा सकता है। हालांकि इसके पहले यह जानते हैं कि आखिर यह डिम्बग्रंथि कैंसर कहते किसे हैं।

किसे कहते हैं डिम्बग्रंथि
डिम्बग्रंथि कैंसर को समझने से पहले यह जानना होगा कि डिम्बग्रंथि किसे कहते हैं। दरअसल यह अंडाशय प्रजनन ग्रंथियां हैं जो केवल महिलाओं में पाई जाती हैं। अंडाशय प्रजनन के लिए अंडे (ओवा) का उत्पादन करते हैं। अंडे अंडाशय से फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से गर्भाशय में जाते हैं जहां निषेचित अंडा भ्रूण में विकसित होता है। अंडाशय मादा हार्मोन एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन का मुख्य स्रोत भी हैं। गर्भाशय के प्रत्येक तरफ एक अंडाशय होता है।

क्या है डिम्बग्रंथि कैंसर?
दरअसल, डिम्बग्रंथि कैंसर महिलाओं को होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है। यह कैंसर अंडाशय में बनने वाला कोशिकाओं का विकास है। यह कोशिकाएं तेज गति में बढ़ती जाती हैं। साथ ही स्वस्थ शरीर के ऊतकों पर आक्रमण कर उन्हें नष्ट कर सकती हैं। ये कोशिकाएं विकसित होकर ट्यूमर का रूप ले लेती हैं और यही ट्यूमर कैंसर का कारक बनता है।

डिम्बग्रंथि कैंसर को पहले केवल अंडाशय में शुरू माना जाता था, लेकिन हाल के साक्ष्य बताते हैं कि कई डिम्बग्रंथि कैंसर वास्तव में फैलोपियन ट्यूब के अंत में कोशिकाओं में शुरू हो सकते हैं।

डिम्बग्रंथि कैंसर के प्रकार
डिम्बग्रंथि के जिस प्रकार की कोशिका में कैंसर की शुरुआत होती है, उसी के आधार पर डिम्बग्रंथि कैंसर को विभाजित किया गया है। प्रायः जांच के बाद यह पता चल पाता है कि आपको किस प्रकार का डिम्बग्रंथि कैंसर है। इसके साथ ही यह प्रकार ही डॉक्टर को यह निर्धारित करने में मदद करता है कि आपको किस तरह के उपचार की आवश्यकता है।

डिम्बग्रंथि के कैंसर निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-

एपिथेलियल (उपकला) डिम्बग्रंथि कैंसर
डिम्बग्रंथि का यह प्रकार सबसे आम है। इसमें कई उपप्रकार शामिल हैं, जिनमें सीरस कार्सिनोमा और श्लेष्मा कार्सिनोमा शामिल हैं।

स्ट्रोमल ट्यूमर
इन दुर्लभ ट्यूमर का आमतौर पर अन्य डिम्बग्रंथि कैंसर की तुलना में पहले चरण में निदान किया जाता है।

जर्म सेल ट्यूम
ये दुर्लभ डिम्बग्रंथि कैंसर कम उम्र में होते हैं।

डिम्बग्रंथि कैंसर का कारण
वैसे तो डिम्बग्रंथि कैंसर होने के कारण स्पष्ट नहीं हैं। हालांकि, डॉक्टर्स ने ऐसे कई कारकों की पहचान की है, जो डिम्बग्रंथि कैंसर की वजह बन सकते हैं। दरअसल, डिम्बग्रंथि कैंसर की शुरुआत तब होती है जब अंडाशय में या उसके पास की कोशिकाएं अपने डीएनए में परिवर्तन (म्यूटेशन) विकसित करती हैं। कोशिकाओं के डीएनए ही कोशिकाओं को निर्देश देते हैं कि क्या करना है।

यही डीएनए परिवर्तित कोशिकाओं को बढ़ने और खुद को तेजी से गुणा करने के लिए कहते हैं, जिससे कैंसर कोशिकाओं का ट्यूमर बन जाता है। जीवित ये कैंसर कोशिकाएँ आस-पास के ऊतकों पर आक्रमण कर सकते हैं और शरीर के अन्य भागों में फैलने (मेटास्टेसाइज़) के लिए एक प्रारंभिक ट्यूमर से अलग हो सकते हैं।

डिम्बग्रंथि कैंसर के लक्षण
वैसे तो जब डिम्बग्रंथि कैंसर किसी महिला के शरीर में पहली बार विकसित होता है, तो ऐसे कोई ख़ास लक्षण सामने नहीं आते हैं, जिससे इसकी पहचान की जा सके। वहीं जब डिम्बग्रंथि कैंसर के लक्षण होते हैं, तो उन्हें आमतौर पर अन्य, अधिक सामान्य स्थितियों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।

डिम्बग्रंथि के कैंसर के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

पेट फूलना या सूजन होना
खाते समय जल्दी पेट भरा हुआ महसूस होना
वजन घटना
PELVIK क्षेत्र में बेचैनी होना
थकान लगना
पीठ दर्द होना
आंत्र की आदतों में परिवर्तन होना, जैसे कि कब्ज
बार-बार पेशाब करने की आवश्यकता पड़ना
इन लोगों को ज्यादा होता है डिम्बग्रंथि कैंसर होने का खतरा

बड़ी उम्र- उम्र बढ़ने के साथ डिम्बग्रंथि कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। यह अक्सर पुराने वयस्कों में पाया जाता है।
वंशानुगत जीन परिवर्तन- कुछ प्रतिशत डिम्बग्रंथि कैंसर जीन परिवर्तन के कारण होता है जो बच्चों को माता-पिता से विरासत में मिलता है। डिम्बग्रंथि कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाले जीन में BRCA1 और BRCA2 शामिल हैं। ये जीन ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को भी बढ़ाते हैं।
लिंच सिंड्रोम से जुड़े जीन परिवर्तन और जीन BRIP1, RAD51C और RAD51D सहित कई अन्य जीन परिवर्तनों को डिम्बग्रंथि के कैंसर के जोखिम को बढ़ाने के लिए जाना जाता है।
डिम्बग्रंथि कैंसर का पारिवारिक इतिहास- अगर आपके किसी रक्त संबंधी में डिम्बग्रंथि कैंसर पाया गया है, तो आपको इस रोग का खतरा बढ़ सकता है।
अधिक वजन या मोटापा होना- अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होने से भी डिम्बग्रंथि के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
पोस्टमेनोपॉज़ल हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी- रजोनिवृत्ति के संकेतों और लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेने से डिम्बग्रंथि कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
मासिक धर्म शुरू और समाप्त होने की उम्र- कम उम्र में मासिक धर्म शुरू करना या बाद की उम्र में रजोनिवृत्ति शुरू करना, या दोनों, डिम्बग्रंथि कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
कभी गर्भवती न होना- यदि आप कभी गर्भवती नहीं हुई हैं, तो आपको डिम्बग्रंथि के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

डिम्बग्रंथि कैंसर के निदान के लिए किये जाने वाले टेस्ट
डिम्बग्रंथि के कैंसर के निदान के लिए निम्नलिखित टेस्ट किये जा सकते है:

पेल्विक जांच
पेल्विक जांच के दौरान डॉक्टर योनि में दस्ताने वाली उंगलियों को सम्मिलित करता है और साथ ही साथ पेट पर एक हाथ से दबाता है ताकि पेल्विक अंगों को महसूस किया जा सके। डॉक्टर आपके बाहरी जननांग, योनि और गर्भाशय ग्रीवा की भी जांच करते हैं। इससे डिम्बग्रंथि कैंसर की उपस्थिति का पता चल सकता है।

इमेजिंग परीक्षण
जांचकर्ता पेट और पेल्विक के अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन जैसे टेस्ट करते हैं, जिससे अंडाशय के आकार और संरचना को निर्धारित करने में मदद मिल सकती है। इससे भी डिम्बग्रंथि कैंसर की मौजूदगी का अनुमान लग सकता है।

रक्त परीक्षण
डॉक्टर ट्यूमर मार्करों के लिए आपके रक्त का परीक्षण भी कर सकता है जो डिम्बग्रंथि के कैंसर का संकेत देते हैं। उदाहरण के लिए, एक कैंसर एंटीजन (सीए) 125 परीक्षण एक प्रोटीन का पता लगा सकता है जो अक्सर डिम्बग्रंथि के कैंसर कोशिकाओं की सतह पर पाया जाता है।

ऑपरेशन
कभी-कभी डॉक्टर आपके निदान के बारे में निश्चित नहीं हो सकता है जब तक कि आप एक अंडाशय को हटाने के लिए सर्जरी नहीं करवाते हैं और कैंसर के लक्षणों के लिए इसका परीक्षण नहीं करते हैं।

आनुवंशिक परीक्षण
डॉक्टर डिम्बग्रंथि कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाले जीन परिवर्तनों को देखने के लिए आपके रक्त के नमूने का परीक्षण करने की सिफारिश कर सकता है। यह जानने के बाद कि आपके डीएनए में वंशानुगत परिवर्तन है, डॉक्टर को आपकी उपचार योजना के बारे में निर्णय लेने में मदद मिलती है।

आप अपने रक्त संबंधियों, जैसे अपने भाई-बहनों और अपने बच्चों के साथ जानकारी साझा करना चाह सकते हैं, क्योंकि उनमें भी वही जीन परिवर्तन होने का जोखिम हो सकता है।

डिम्बग्रंथि कैंसर के चरण
एक बार जब यह पुष्टि हो जाती है कि आपको डिम्बग्रंथि कैंसर है, तो डॉक्टर आपके परीक्षणों और प्रक्रियाओं की जानकारी का उपयोग करके आपके कैंसर को एक चरण निर्धारित करेगा। डिम्बग्रंथि के कैंसर के चरण 1 से 4 तक होते हैं, जिन्हें अक्सर रोमन अंकों I से IV के साथ दर्शाया जाता है। निम्नतम चरण इंगित करता है कि कैंसर अंडाशय तक ही सीमित है। चरण 4 तक, कैंसर शरीर के दूर के क्षेत्रों में फैल गया है।

डिम्बग्रंथि कैंसर से बचाव के तरीके
अभी तक डिम्बग्रंथि कैंसर का इलाज संभव नहीं हो सका हैं, लेकिन संभावित रूप से इसे रोकने के लिए कुछ तरीके आजमाएं जा सकते हैं। जो वास्तविक परिवर्तन को प्रभावित कर सकते हैं और कई जिंदगियां बचा सकते हैं।

20% डिम्बग्रंथि कैंसर एक आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण होता है। इसलिए जोखिम के साथ-साथ उत्परिवर्तन वाले लोगों के लिए रोगनिरोधी विकल्पों को जानना अनिवार्य है।
सबसे आम और घातक 70% डिम्बग्रंथि कैंसर फैलोपियन ट्यूब में शुरू होता है। अनुसंधान से पता चलता है कि हिस्टेरेक्टॉमी या ट्यूबल लिगेशन जैसी अन्य पेल्विक सर्जरी के माध्यम से फैलोपियन ट्यूब को हटाने और अंडाशय को बरकरार रखने से डिम्बग्रंथि कैंसर को रोकने में मदद मिल सकती है।
जन्म नियंत्रण की गोलियां डिम्बग्रंथि कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं। इसलिए सलाह लेने के बाद आप इन गोलियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। क्योंकि इन दवाओं के जोखिम भी हैं।
यदि आपका डिम्बग्रंथि कैंसर का पारिवारिक इतिहास है तो आपको अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। आपका डॉक्टर यह निर्धारित कर सकता है कि इससे आपको कैंसर का कितना जोखिम हो सकता है। डॉक्टर आपको आनुवंशिक परामर्शदाता के पास भी भेज सकता है जो यह तय करने में आपकी मदद कर सकते हैं कि क्या आनुवंशिक परीक्षण आपके लिए सही हो सकता है। यदि आपको पता चलता है कि आपके जीन में परिवर्तन है जो डिम्बग्रंथि के कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है, तो आप कैंसर को रोकने के लिए अपने अंडाशय को हटाने के लिए सर्जरी पर विचार कर सकते हैं।
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गर्भाशय कैंसर के कारण, लक्षण, कारक, इलाज और बचाव

M.D.Radiation Oncology
Oncologist, Bangalore
गर्भाशय कैंसर के कारण, लक्षण, कारक, इलाज और बचाव
कैंसर एक खतरनाक बीमारी है जिससे इंसान की मौत तक हो सकती है। हालांकि अगर इंसान पहले से ही अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहता है, तो वह कैंसर जैसी भयावह बीमारी से बच सकता है। कैंसर कई तरह के होते है। इसे हम यूं समझ सकते हैं कि शरीर के जिस अंग में कैंसर होता है, उसे उसी के नाम से जाना जाता है। इसी क्रम में आज हम आपको गर्भाशय कैंसर के विषय में विस्तार से बताएंगे। साथ ही इसके कारण, लक्षण और बचने के तरीकों के विषय के बारे में भी जानकारी देंगे। सबसे पहले जानते हैं कि यह गर्भाशय कैंसर होता क्या है।

क्या होता है गर्भाशय कैंसर
नाम से आप यह तो समझ गए होंगे कि गर्भाशय में होने वाले कैंसर को ही गर्भाशय कैंसर कहते हैं। लेकिन यह गर्भाशय क्या है, इसके बारे में हम बताते हैं। दरअसल, महिलाओं के शरीर में गर्भाशय वह स्थान होता है, जहां गर्भावस्था के दौरान बच्चा बढ़ता है। गर्भाशय कैंसर को यूटेराइन कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा इसे बच्चेदानी का कैंसर भी कहते हैं। इस प्रकार का कैंसर का खतरा ज्यादातर 60 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को होता है। हालांकि, इसके पहले भी यह कैंसर हो सकता है।

ध्यान रहे गर्भाशय कैंसर और गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर दोनों अलग-अलग प्रकार के कैंसर होते हैं।

गर्भाशय कैंसर होने के कारण
दरअसल, बढती उम्र के साथ महिलाओं के गर्भाशय की आंतरिक परत में मौजूद कोशिकाओं में आनुवंशिक बदलाव आने लगता है। इस वजह से कोशिकाएं असामान्य रूप से विभाजित हो जाती हैं और टूटने लगती हैं। इन्ही कोशिकाओं के असामन्य रूप से टूटने और बढ़ने के कारण गर्भाशय में ट्यूमर बनने लगता है। बाद में यही ट्यूमर कैंसर का रूप ले लेता है।हालांकि अभी यह साफ़ नहीं हो पाया है कि कोशिकाओं में यह बदलाव होता क्यों है।

गर्भाशय कैंसर के प्रकार
गर्भाशय कैंसर दो प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित हैं

गर्भाशय सार्कोमा
जब गर्भाशय की मांसपेशियों की परत यानी एंडोमेट्रियम या आसपास की उत्तकों में कैंसर होता है, तो उसे गर्भाशय सार्कोमा कहते हैं। इस प्रकार का कैंसर अधिक आक्रामक होता है और इसका इलाज भी कठिन होता है। हालांकि गर्भाशय कैंसर का यह प्रकार काफी दुर्लभ है।

एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा
गर्भाशय के भीतरी परत में होने वाले कैंसर को एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा के नाम से जाना जाता है। गर्भाशय में होने वाले लगभग सभी प्रकार के कैंसर इसी श्रेणी में आते हैं। इसका इलाज भी किया जा सकता है।

गर्भाशय कैंसर के जोखिम के कारक
वैसे तो गर्भाशय कैंसर के जोखिम के कई कारक हैं। उनमें से कई एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन के बीच संतुलन से संबंधित हैं। इन जोखिम कारकों में मोटापा, पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) नामक एक स्थिति या निर्विरोध एस्ट्रोजन लेना (प्रोजेस्टेरोन लिए बिना एस्ट्रोजन लेना) शामिल हैं। इसके अलावा कुछ अन्य जोखिम कारक निम्नलिखित हैं-

आयु
जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, गर्भाशय कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। अधिकांश गर्भाशय कैंसर 60 वर्ष की आयु के बाद होते हैं।

पशु वसा में उच्च आहार
उच्च वसा वाले आहार से गर्भाशय के कैंसर सहित कई तरह के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। वसायुक्त खाद्य पदार्थ भी कैलोरी में उच्च होते हैं, जो मोटापे का कारण बन सकते हैं। अतिरिक्त वजन एक गर्भाशय कैंसर जोखिम कारक है।

पारिवारिक इतिहास
कुछ माता-पिता वंशानुगत नॉनपोलिपोसिस कोलोरेक्टल कैंसर (HNPCC) के लिए आनुवंशिक परिवर्तन से गुजरते हैं। यह विरासत में मिली स्थिति कैंसर का कारक बन सकती है।

मधुमेह
यह रोग अक्सर मोटापे से संबंधित होता है, जो कैंसर के लिए एक जोखिम कारक है। लेकिन कुछ अध्ययन मधुमेह और गर्भाशय के कैंसर के बीच अधिक सीधा संबंध भी सुझाते हैं।

मोटापा (शरीर का अधिक वजन होना)
कुछ हार्मोन वसा ऊतक द्वारा एस्ट्रोजन में बदल जाते हैं, जिससे गर्भाशय कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। वसा ऊतक की मात्रा जितनी अधिक होगी, एस्ट्रोजन के स्तर पर उतना ही अधिक प्रभाव पड़ेगा।

डिम्बग्रंथि (ओवेरियन) रोग
जिन लोगों में कुछ डिम्बग्रंथि ट्यूमर होते हैं उनमें एस्ट्रोजन का स्तर उच्च और प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होता है। ये हार्मोन परिवर्तन गर्भाशय कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

प्रारंभिक माहवारी
यदि आपकी मासिक धर्म की अवधि 12 साल की उम्र से पहले शुरू हुई है, तो गर्भाशय के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपका गर्भाशय अधिक वर्षों तक एस्ट्रोजेन के संपर्क में रहता है।

देर से मेनोपॉज
इसी तरह अगर मेनोपॉज 50 की उम्र के बाद होता है तो भी खतरा बढ़ जाता है। आपका गर्भाशय लंबे समय तक एस्ट्रोजन के संपर्क में रहता है।

मासिक धर्म की लंबी अवधि
माहवारी शुरू होने या समाप्त होने के समय की तुलना में मासिक धर्म के वर्षों की संख्या आपकी उम्र से अधिक महत्वपूर्ण हो सकती है।

गर्भवती नहीं होना
एस्ट्रोजेन के बढ़ते जोखिम के कारण जो लोग गर्भवती नहीं हुए हैं उनमें जोखिम अधिक होता है।

गर्भाशय कैंसर के लक्षण
गर्भाशय के कैंसर के लक्षण कई स्थितियों के समान हो सकते हैं। यदि आपको असामान्य दर्द, रिसाव या रक्तस्राव दिखाई देता है, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जिससे इसका उचित और सटीक उपचार प्राप्त किया जा सके। गर्भाशय कैंसर के लक्षण निम्नलिखित हैं-

रजोनिवृत्ति से पहले मासिक धर्म के बीच योनि से खून बहना।
रजोनिवृत्ति के बाद योनि से रक्तस्राव या स्पॉटिंग, यहां तक कि थोड़ी मात्रा में।
पेट के निचले हिस्से में दर्द या पेट के ठीक नीचे श्रोणि में ऐंठन।
यदि आप रजोनिवृति के बाद हैं तो पतला सफेद या स्पष्ट योनि स्राव।
यदि आप 40 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, तो अत्यधिक लंबे समय तक, भारी या लगातार योनि से खून बह रहा है।
गर्भाशय कैंसर की जांच
यदि आपको अपने शरीर में गर्भाशय कैंसर के संभावित लक्षण नजर आएं तो अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ऐसे में वह कैंसर की मौजूदगी को पुख्ता करने के लिए कुछ विशेष प्रकार की जांच करेगा।

इमेजिंग परीक्षण:
सीटी स्कैन आपके शरीर के अंदर की विस्तृत तस्वीरों की एक श्रृंखला लेता है।

एमआरआई स्कैन छवियों को बनाने के लिए रेडियो तरंगों और एक शक्तिशाली चुंबक का उपयोग करते हैं।

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड आपके गर्भाशय की तस्वीरें लेने के लिए आपकी योनि मार्ग का प्रयोग किया जाता है। इसमें चिकनी, गोलाकार डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है।

अन्य परीक्षण:
एंडोमेट्रियल बायोप्सी: आपके गर्भाशय ग्रीवा (आपके गर्भाशय का मुखद्वार) और आपके गर्भाशय में एक पतली, लचीली ट्यूब के माध्यम से डॉक्टर एंडोमेट्रियम की एक छोटी राशि निकालता है।

हिस्टेरोस्कोपी: आपकी योनि और गर्भाशय ग्रीवा के माध्यम से आपके गर्भाशय तक पहुंचने के लिए एक हिस्टेरोस्कोप, एक लंबी पतली ट्यूब डाली जाती है। प्रकाश और कैमरे वाला यह संकीर्ण उपकरण आपके गर्भाशय की विस्तृत छवियां प्रदान करता है।

गर्भाशय कैंसर के चरण
गर्भाशय कैंसर की जांच से इस कैंसर के चरण के विषय में जानकारी मिलती है और इसी चरण के अनुसार डॉक्टर इस बीमारी का इलाज करता है। दरअसल, गर्भाशय कैंसर को चार चरणों में विभाजित किया गया है। जो कैंसर की स्थिति को दर्शाते हैं।

स्टेज-1
कैंसर आपके गर्भाशय से बाहर नहीं फैला है।

स्टेज-2
कैंसर आपके गर्भाशय ग्रीवा तक फैल गया है।

स्टेज-3
कैंसर आपकी योनि, अंडाशय और/या लिम्फ नोड्स में फैल गया है।

स्टेज-4
कैंसर आपके गर्भाशय से दूर आपके मूत्राशय या अन्य अंगों में फैल गया है।

गर्भाशय कैंसर का उपचार
वैसे तो अधिकांशतः देखा गया है कि गर्भाशय कैंसर से पीड़ित लोगों को सर्जरी की आवश्यकता होती है। हालांकि, आपकी विशेष उपचार योजना कैंसर के प्रकार और आपके समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। अन्य उपचारों में आप शामिल हो सकते हैं:

कीमोथेरेपी, जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए शक्तिशाली दवाओं का उपयोग करती है।
रेडिएशन थेरेपी, जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए लक्षित रेडिएशन किरणें भेजती है।
हार्मोन थेरेपी, जो कैंसर के इलाज के लिए हार्मोन देती है या उन्हें ब्लॉक करती है।
इम्यूनोथेरेपी, जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने में मदद करती है।
लक्षित चिकित्सा, जो विशिष्ट कैंसर कोशिकाओं को गुणा करने से रोकने के लिए दवाओं का उपयोग करती है।
शोधकर्ता गर्भाशय कैंसर के इलाज के लिए और अधिक तरीकों का अध्ययन करना जारी रखते हैं।
गर्भाशय कैंसर से बचाव के तरीके
वैसे तो गर्भाशय कैंसर को रोका नहीं जा सकता है। लेकिन इसके जोखिम को कम करने के लिए कुछ कदम उठा सकते हैं:

गर्भाशय कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। इसे नौ से 25 साल तक की युवतियां लगवा सकती हैं। गर्भाशय कैंसर से बचाव के लिए यह वैक्सीन 92 फीसद तक कारगर है। वैक्सीन लेने से पहले शारीरिक संपर्क नहीं बनाना है।
ब्लड शुगर को नियंत्रित करें।
ऐसा वजन बनाए रखें जो आपके लिए स्वस्थ हो।
असामान्य रक्तस्राव होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
मौखिक गर्भ निरोधकों का उपयोग करने के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। ये दवाएं गर्भाशय के कैंसर से कुछ सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं।
ताजे फलों और सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करें
रोजाना व्यायाम करें

Ovarian Cancer - Know Factors That Can Put You In Danger!

MBBS, MS - Obstetrics and Gynaecology, Fellowship in Gynae Oncology
Gynaecologist, Jaipur
Ovarian Cancer - Know Factors That Can Put You In Danger!
Are you concerned about being at the risk of having ovarian cancer? Ovarian cancer is a form of cancer that occurs in your ovaries. It leads to abnormal cells, which are capable of spreading to other parts of your body. The major symptoms of ovarian cancer that are experienced at later stages of the condition include pelvic pain, bloating, swelling and loss of appetite. There are several risk factors which increase your chance of developing ovarian cancer. The most important factors are as follows:

Age
Your chances of developing ovarian cancer increase with your age.
The condition is uncommon in women below the age of 40 and most cases of ovarian cancer are likely to occur in women after menopause.
Most cases of ovarian cancer are found in women who are above the age of 63.
Obesity
There is an association between obesity and the development of ovarian cancer. It has been observed that obese women are at a higher risk of getting ovarian cancer.
Reproductive history
Women who have been pregnant and completed their term before the age of 23 are at low risk of having ovarian cancer. The risk increases with each full-term pregnancy and women who have a full-term pregnancy after 35 are more likely to develop ovarian cancer.
Birth control
Women using birth control pills or oral contraceptives are at a lower risk of getting ovarian cancer.
The risk gets lowered only after using the pills for a period of 3 to 6 months. The longer you use the pills, the less risk you are at.
Fertility drugs
According to studies, the use of a certain fertility drug for a period of more than one year increases your chances of developing ovarian tumours and hence, ovarian cancer.
The risk is maximum in women who did not get pregnant while using the drug. These drugs increase the risk of ovarian tumours, which are called low malignant potential.
Infertile women are usually at a higher risk of being affected by ovarian cancer, even if they do not use fertility drugs.
Androgens
These are male hormones. A certain drug that is used for increasing your androgen levels is associated with higher chances of developing ovarian cancer. However, this is not yet confirmed and more research is currently being undertaken to find out how much androgens are responsible for causing ovarian cancer.
It is recommended for you to consult a doctor and undertake several tests and examinations. This will help in the proper diagnosis of your condition and regular screenings will help you to keep safe and know about any disruption in your ovaries that indicate ovarian cancer development.
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Ovarian Cancer - How To Identify It?

MBBS, M.D Obstetrics and Gynaecology, Diploma in Gynecological Endoscopic Surgery
Gynaecologist, Gurgaon
Ovarian Cancer - How To Identify It?
Ovarian Cancer, as the name suggests, is cancer that affects the ovaries. It leads to the abnormal growth of cells, which eventually spreads over to other parts of a woman s body, such as the stomach, uterus and vagina. The risk of ovarian cancer is greater in women who have experienced the process of ovulation many times in their lifetime. It also includes those women who attain menopause at a much later stage in their lives or those who start ovulation at an early age. The different types of tumors, which develop in ovarian cells are more often than not, benign or non-cancerous and do not spread beyond the ovaries.

Therefore, they can be easily treated by either removing a part or the whole of the ovary. But malign tumors have the ability to spread to other parts of the body and can prove to be fatal.

What are the causes of ovarian cancer

1. Family History: If someone in your close relation like mother, sister or daughter has developed ovarian cancer, then the risk of becoming susceptible to the disease also increases. If any of your close relatives have developed the disease earlier at a young age, then it s quite likely that it was due to some inherited faulty gene. BCRA1 and BCRA2 are known to be the faulty genes that are connected to ovarian cancer.

2. Age: You become more susceptible to developing ovarian cancer at a postmenopausal stage.

3. Hormone Replacement Therapy (HRT): Women who go for hormone replacement therapy put themselves at a greater risk of developing the disease. Nevertheless, if you stop undergoing the sessions of HRT, your risk of suffering from this fatal condition eventually decreases.

4. Obesity/overweight: This is also one of the important factors behind the increased risks of developing ovarian cancer. So, the more obese you are, greater is the risk involved.

What are the symptoms associated with ovarian cancer?

1. Symptoms at an initial stage include pelvic or abdominal pain, postmenopausal vaginal bleeding or irregular menstruation.

2. Loss of appetite or feeling full quickly

3. Other typical symptoms are diarrhea, constipation, nausea or changes in bowel movements.

4. Feeling of mass pressure at your lower back or pelvis

Treatment available for it

Treatment for ovarian cancer generally consists of a combination of surgery and chemotherapy:

1. Surgery: Treatment usually entails removal of the ovaries, uterus and fallopian tubes, including the surrounding lymph nodes as well as the fatty abdominal tissue, which often gets affected with ovarian cancer. This surgery may help you to retain the ability to conceive.

2. Chemotherapy: Chemotherapy is a procedure that follows surgery and is performed to destroy the remaining cancer cells, if any. Chemotherapy drugs are either inserted into your vein or directly into the abdominal cavity and if need be, into both.
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Ovarian Cancer - How To Handle It?

MBBS, MD(General Medicine), Fellowship Hemato - Oncology (Hemat-Oncology), DM(Medical Oncology), DNB(Medical Oncology)
Oncologist, Howrah
Ovarian Cancer - How To Handle It?
Ovarian cancer is referred to as the cancer of the ovaries. The ovaries are a component of the female reproductive system. There are two ovaries located on either side of the uterus in a woman's body. Ovaries which are the organs responsible for producing egg cells also produce the hormones estrogen and progesterone. Ovarian cancer is a type of cancer which often goes undetected until it has spread all the way to the pelvis and the abdomen. However, it is also very difficult to treat the condition in its later stages which is why diagnosing ovarian cancer quickly is quintessential.

Here is everything you need to know about ovarian cancer-

Symptoms

1. No symptoms at first
Usually, in its early stages, ovarian cancer does not cause any symptoms.

2. Abnormal bloating
Bloating is when your abdomen swells due to excess fluid or gas inside. Abnormal bloating is more frequently associated with irritable bowel syndrome or even constipation is a common symptom of ovarian cancer.

3. Feeling full quickly
This is also an associated symptom which has often been mistaken for constipation or irritable bowel syndrome.

4. Weight loss
This is one of the more common signs of ovarian cancer.

5. Discomfort in the pelvis area
This symptom occurs towards the later stages of ovarian cancer after it has already spread.

6. Constipation
Constipation is a symptom of ovarian cancer as well.

7. Frequent urination
This is yet another symptom which is a sign of ovarian cancer.
The symptoms of ovarian cancer are often mistaken with that of irritable bowel syndrome and constipation.

Causes

As with other forms of cancer, it is still very unclear what exactly causes ovarian cancer.

Treatment

1. Surgery
Surgery most commonly involves removing large parts of the female reproductive system which includes the ovaries, the fallopian tubes, the uterus as well as the lymph nodes. The surgeon will also try and remove as many cancer cells as possible from the abdomen and pelvic areas.

2. Chemotherapy
Chemotherapy is usually done after surgery. It is usually performed so that the rest of the cancer cells are killed off. Chemotherapy drugs can be injected directly into the vein, abdominal cavity or sometimes even both.
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Ovarian Cancer - Can Age Affect It?

DNB - Obstetrics & Gynecology, MBBS
Gynaecologist, Pune
Ovarian Cancer - Can Age Affect It?
The cancer of the ovaries is known as ovarian cancer. In women, there are two ovaries present on each side of the uterus. These ovaries are as big as an almond in size and produce egg also known as ova. They also secrete the hormones progesterone and estrogen.

Ovarian cancer goes undetected until it spreads to the abdomen and pelvis. When detected at this stage then it might be fatal and the treatment gets difficult. An early-stage ovarian cancer where the cancer is restricted in the ovaries is much easier to treat with high success rates.

Risk Factors of Ovarian Cancer

1. Age - With increasing age the risk of ovarian cancer is higher and is more common in women who are 60 and above. It is less common in women below 40 years of age and develops often after menopause.
Obesity Women who have a body mass index of 30 are at a risk of developing ovarian cancer.

2. History of Reproduction - It is believed that women who conceive before 26 and carry the full term have a lower risk of ovarian cancer. However, the risk is higher in those women who get pregnant after 35 or who do not have a full term pregnancy. Also, breastfeeding the baby lowers the risk.

3. Gene Mutation - Inherited gene mutation causes some percentage of ovarian cancer. These genes are called breast cancer genes 1 and 2 (BRCA1 and BRCA2). These were initially found in cases with breast cancer but also pose great risk for ovarian cancer. Also, gene mutation leading to Lynch syndrome plays an important role in increasing the risk of ovarian cancer.

4. Family History - If a woman's mother, sister or daughter is suffering from ovarian cancer then she is at a higher risk of developing the same. The risk also increases if someone from the father's side also has ovarian cancer.

5. Fertility Drugs - Drugs like clomiphene citrate, if used for more than a year can increase the risk of the cancer. The risk is even higher if a woman taking the drug does not get pregnant.

6. Hormone Therapy and Estrogen Therapy - Long term use and large doses of estrogen can cause an increased risk. However, if estrogen is used in combination with progesterone then the risk is less.

7. Age of menstruation and menopause - If menstruation starts before 12 and menopause occurs before 52 then there is a higher risk of getting the cancer.

8. Diet - A low fat vegetarian diet has less risk of the disease. Fresh fruit and vegetables should be included in diet along with pulses, rice, pasta, beans, cereals and breads.
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BRCA Testing - Know Utility Of It!

MS - General Surgery, MCH - Oncology , MBBS
Oncologist, Pune
BRCA Testing - Know Utility Of It!
The incidences of breast and ovarian cancer are on a rise. A shocking survey reveals in India that 48% of women with breast cancer are below the age of 50 years. The reason could be a lot of factors including lack of awareness and a delay in the diagnosis of the condition. When it comes to breast and ovarian cancer, a particular diagnostic test that has gained immense popularity over the last few years is the BRCA (BRCA1 and BRCA2) gene test. In this article, we will discuss facts related to the BRCA gene test, including its merits.

What are the BRCA genes?

The BRCA1 gene comes under the class of genes known as Tumor Suppressor Gene (antioncogene). As indicative of the name, these genes are responsible for suppressing the formation of tumors by regulating the cell division and growth, as it ensures that cell does not undergo rapid and abnormal division and proliferation. The BRCA genes also undergo mutations and modifications some of which may be harmful enough to cause cancer.

BRCA Gene Test
An early detection of breast and ovarian cancer often produces fruitful results in the successful treatment of the disorder. In the majority of the cases, genetic mutations or modifications act as a catalyst resulting in the abnormal multiplication of cells that eventually gives rise to cancer. The BRCA1 and 2 (Breast Cancer genes 1 and 2) genes play a significant role in breast and ovarian cancer. Mutation in either one of the genes (or at times both) makes a woman highly susceptible to developing breast and ovarian cancer at some point in their lives (depending on how harmful the mutation is).

The BRCA gene mutation is inherited and can be passed on to the subsequent generations making the situation even worse.
BRCA1 gene mutation may also make a person susceptible to incidences of colon and prostate cancer.
The BRCA gene test is basically a blood test that is carried out to find if there are any mutations (often inherited) in the BRCA1 or the BRCA2 gene.
Benefits of BRCA gene test

Women who have a family history of breast cancer or show signs of breast or ovarian cancer are often advised to undergo the BRCA gene test.
The gene test keeps a woman updated about their health status, thereby enabling them to carry out the necessary preventive measures or treatment to deal with the condition better.
In fact, every woman after the age of 20 should undergo the BRCA gene test.
However, there are instances (though rare) where a woman did develop breast cancer in spite of testing negative for the BRCA test indicating others gene mutations can also lead to breast cancer.
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Ovarian Cancer - What Can Affect It?

MBBS, MS - Obstetrics and Gynaecology, Fellowship in Minimal Lab Spine Surgery
Gynaecologist, Bangalore
Ovarian Cancer - What Can Affect It?
The cancer of the ovaries is known as ovarian cancer. In women, there are two ovaries present on each side of the uterus. These ovaries are as big as an almond in size and produce egg also known as ova. They also secrete the hormones progesterone and estrogen.

Ovarian cancer goes undetected until it spreads to the abdomen and pelvis. When detected at this stage then it might be fatal and the treatment gets difficult. An early-stage ovarian cancer where the cancer is restricted in the ovaries is much easier to treat with high success rates.

Risk Factors of Ovarian Cancer

1. Age - With increasing age the risk of ovarian cancer is higher and is more common in women who are 60 and above. It is less common in women below 40 years of age and develops often after menopause.

2. Obesity - Women who have a body mass index of 30 are at risk of developing ovarian cancer.

3. History of Reproduction - It is believed that women who conceive before 26 and carry the full term have a lower risk of ovarian cancer. However, the risk is higher in those women who get pregnant after 35 or who do not have a full term pregnancy. Also, breastfeeding the baby lowers the risk.

4. Gene Mutation - Inherited gene mutation causes some percentage of ovarian cancer. These genes are called breast cancer genes 1 and 2 (BRCA1 and BRCA2). These were initially found in cases with breast cancer but also pose a great risk for ovarian cancer. Also, gene mutation leading to Lynch syndrome plays an important role in increasing the risk of ovarian cancer.

5. Family History - If a woman's mother, sister or daughter is suffering from ovarian cancer then she is at a higher risk of developing the same. The risk also increases if someone from the father's side also has ovarian cancer.

6. Fertility Drugs - Drugs like clomiphene citrate, if used for more than a year can increase the risk of cancer. The risk is even higher if a woman taking the drug does not get pregnant.

7. Hormone Therapy and Estrogen Therapy - Long term use and large doses of estrogen can cause an increased risk. However, if estrogen is used in combination with progesterone then the risk is less.

8. Age of menstruation and menopause - If menstruation starts before 12 and menopause occurs before 52 then there is a higher risk of getting cancer.

9. Diet - A low fat vegetarian diet has less risk of the disease. Fresh fruit and vegetables should be included in diet along with pulses, rice, pasta, beans, cereals and breads.
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Ovarian Cancer - How To Diagnose It?

MBBS, MD - Obstetrics & Gynaecology
Gynaecologist, Delhi
Ovarian Cancer - How To Diagnose It?
Ovarian cancer occurs when there is a formation of tumor in the ovarian cells. This kind of cancer basically happens in the cells of the ovaries, which are responsible for the production of estrogen and progesterone the two female hormones. The ovaries themselves are the reproductive glands that produce and release eggs. When abnormal cells in these glands begin to grow and multiply, then a tumor begins to manifest, which leads to cancer. Let us find out more about ovarian cancer, including its early diagnosis.

Detecting Early Signs: The problem with this kind of cancer is that it produces vague symptoms at the beginning, which may be easy to dismiss. Yet, as per many medical reports, about 20% of the cases may be detected in the early stages, depending on the kind of cancer.

Symptoms and Early Signs: The earliest signs of this kind of cancer include bloating in the abdomen, as well as a feeling of excessive fullness after each and every meal. Many people tend to ignore such signs, but they must be reported to a doctor in case these signs are persistent and do not go away after a few days. Gradually, the patient will also show signs like lack of appetite and a failure to eat and retain food properly. An increase in the urge to urinate is also an early sign that must not be ignored.

Other Signs and Symptoms: As cancer progresses, other signs and symptoms of the condition include indigestion, unexplained fatigue, irregular menstrual cycles, pain during sexual intercourse and back pain as well as constipation. While these symptoms may occur due to a number of reasons, it is best to have the same checked by a doctor so that proper diagnosis may take place and cancer may be ruled out.

Diagnosis: For the earliest signs of the disease, the doctor will prescribe an ultrasound and an X-ray. These tests will help in creating an image of the internal organs that may have been affected. Also, CT and MRI scans will usually follow in such cases. Routine lab tests will also be conducted with the help of blood and urine samples.

Pap Smear: One of the best ways of early diagnosis is with the help of a regular Pap Smear test. This test is usually taken by extracting a sample from the vaginal area so that the doctor may study any growth or anomalies in the cervical and ovarian cells. One must have this test done on a regular basis after going through childbirth and even after reaching one s thirties, so that any change may be detected at the earliest. It is said that every woman must go through this test annually as a matter of priority.
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Ovarian Cancer - Who Are At Risks?

MBBS
IVF Specialist, Raipur
Ovarian Cancer - Who Are At Risks?
The cancer of the ovaries is known as ovarian cancer. In women, there are two ovaries present on each side of the uterus. These ovaries are as big as an almond in size and produce egg also known as ova. They also secrete the hormones progesterone and estrogen.

Ovarian cancer goes undetected until it spreads to the abdomen and pelvis. When detected at this stage then it might be fatal and the treatment gets difficult. An early-stage ovarian cancer where the cancer is restricted in the ovaries is much easier to treat with high success rates.

Risk Factors of Ovarian Cancer

1. Age - With increasing age the risk of ovarian cancer is higher and is more common in women who are 60 and above. It is less common in women below 40 years of age and develops often after menopause.

2. Obesity -Women who have a body mass index of 30 are at risk of developing ovarian cancer.

3. History of Reproduction - It is believed that women who conceive before 26 and carry the full term have a lower risk of ovarian cancer. However, the risk is higher in those women who get pregnant after 35 or who do not have a full term pregnancy. Also, breastfeeding the baby lowers the risk.

4. Gene Mutation - Inherited gene mutation causes some percentage of ovarian cancer. These genes are called breast cancer genes 1 and 2 (BRCA1 and BRCA2). These were initially found in cases with breast cancer but also pose a great risk for ovarian cancer. Also, gene mutation leading to Lynch syndrome plays an important role in increasing the risk of ovarian cancer.

5. Family History - If a woman's mother, sister or daughter is suffering from ovarian cancer then she is at a higher risk of developing the same. The risk also increases if someone from the father's side also has ovarian cancer.

6. Fertility Drugs - Drugs like clomiphene citrate, if used for more than a year can increase the risk of cancer. The risk is even higher if a woman taking the drug does not get pregnant.

7. Hormone Therapy and Estrogen Therapy - Long term use and large doses of estrogen can cause an increased risk. However, if estrogen is used in combination with progesterone then the risk is less.

8. Age of menstruation and menopause - If menstruation starts before 12 and menopause occurs before 52 then there is a higher risk of getting cancer.

9. Diet - A low-fat vegetarian diet has less risk of the disease. Fresh fruit and vegetables should be included in diet along with pulses, rice, pasta, beans, cereals and bread.
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