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Overview

Free Light Chains (Kappa & Lambda) Test

Free Light Chains (Kappa & Lambda) Test

This test Free light chains (or) Serum Free light chain assay (or) Freelite is performed on a patient to look out for the signs of antibodies called immunoglobins in his/her blood. Immunoglobulins are antibodies made by white blood cells called plasma cells to help protect you against infection and illness. Light chains, also called Bence Jones proteins, make up part of the structure of immunoglobulins. The light chains attach themselves to the heavy chains and are then called bound light chains. This test is used to help diagnose a type of cancer called multiple myeloma. It may also be used to diagnose other conditions affecting the cells in your bone marrow.

No special preparation is required for these tests, Wearing a short sleeve or sleeveless shirt or T-shirt will be helpful for the technicians to draw blood from the veins. Inform your doctor if you are on any medications or have any underlying medical conditions or allergies before undergoing this test. Your doctor depending on your condition will give specific instructions.

This test is used to help diagnose a type of cancer called multiple myeloma. It may also be used to diagnose other conditions affecting the cells in your bone marrow. If the patient has any of these symptoms such as Pain in their bones, Increased protein seen in their blood results, Anemia, Hypercalcemia, Kidney problems, Skin rash, Nerve damage, and Vasculitis. They must definitely take this test in order to know whether they are suffering from multiple myeloma or not. Normal results would be: Kappa Free light chains: 3.3 -19.4 mg/L Lambada Free light chains: 5.71 – 26.3 mg/L Ratio of Kapada to Lambada: 0.26 :1.65. If the results are either higher or Lower than this then the patient has multiple myeloma.

For the blood to be drawn, at first the area is cleansed with an antiseptic and tourniquet is placed around the upper arm for pressure. A needle is inserted into the vein and blood is drawn and collected in a vial.

Now, the tourniquet is removed and the patient is provided with cotton balls to prevent further bleeding. However, if this test is to be undertaken for an infant, blood is drawn from the heel by pricking it with a lancet.

Type Gender Age-Group Value
Kappa Free Light Chain
Unisex
All age groups
0.33-1.94 mg/dl
Lambda Free Light Chain
Unisex
All age groups
0.57-2.63 mg/dl
Average price range of the test is between Rs.3000 to Rs.7150 depending on the factors of city, quality and availablity.

Table of Content

What is Free Light Chains (Kappa & Lambda) Test?
Preparation for Free Light Chains (Kappa & Lambda) Test
Uses of Free Light Chains (Kappa & Lambda) Test
Procedure for Free Light Chains (Kappa & Lambda) Test
Normal values for Free Light Chains (Kappa & Lambda) Test
Price for Free Light Chains (Kappa & Lambda) Test
Lybrate Gaurantee
Lybrate Gaurantee

Popular Questions & Answers

What are the possible causes of serious and continuous hiccup? Give me some possible remedies dear doctors.

MBBS
General Physician, Durg
What are the possible causes of serious and continuous hiccup? Give me some possible remedies dear doctors.
If irritation start in stomach causes of infection in digestion hyperacidity hepatitis A gall bladder stone and more. Treatment depending on cause .you can take cap tzoy one cap one time a day, syp acivay 2 tsf 2 tims a day after meal.
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I had unprotected sex on 24th july and my period is due on 1st of august but I am still not feeling any period pain and my stomach is bloating feeling discomfort and changes in vagina. please suggest.

BHMS, MD - Homeopathy
Homeopathy Doctor, Vellore
I had unprotected sex on 24th july and my period is due on 1st of august but I am still not feeling any period pain a...
Dear lybrate-user! Wait for 10-15 days more and confirm the pregnancy. Sometimes the periods may delay after sexual contact.
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I an nit age 38 m from meerut up, am a alcoholic from 3.4 years .I can't be admit in any rehab. Pls suggest me how can I get rid of alcohol completely, please suggest ant nisha multi kendra or any other option. But should be available in my home city. Meerut (U.P)

Doctor of Medicine
General Physician, Surat
Remembered the first day when you first have the alcohol Why did not you ask how to drink the alcohol, now why to ask just, leave it like that only without asking to anybody, when you have gut to take this then you must be having the same gut for leaving it or not to take the alcohol, you are not going to die if you stop this but of course you will be no more if keep it continue.
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Popular Health Tips

स्तन (ब्रेस्ट) साइज़ बढ़ाने के घरेलू उपाय - How To Increase Breast Size Naturally in Hindi

MBBS, M.Sc - Dietitics / Nutrition
Dietitian/Nutritionist, Delhi
स्तन (ब्रेस्ट) साइज़ बढ़ाने के घरेलू उपाय - How To Increase Breast Size Naturally in Hindi

अगर आप किसी पुरूष से पूछे की उन्हें महिला के अंदर ऐसा क्या दिखता है, जिसे देखकर वह आकर्षित होते है? हो सकता अधिकांश पुरूषों का जवाब हो कि वह महिलाओं के स्तन देखकर आकर्षित और उत्तेजित हो जाते है. अगर महिलाओं की भी बात करें, रिसर्च के अनुसार जिन स्त्रीयों के स्तन या आसान भाषा में ब्रेस्ट का साइज़ छोटा होता है, वह खुद को भी कम आकर्षित पाती है. जिस कारण बहुत सी महिलाएं कई तरह के उपचार या पुश-अप ब्रा की भी मदद लेती है. जबकि कुछ महिलाएं स्तन बढ़ाने की दवा (breast badhane ke liye medicine) का भी प्रयोग करती है. इस लेख में हम स्तन को बड़ा कैसे करे (How to Increase Breast Size in Hindi) के बारे में जानेगे। लेकिन इससे पहले यह जानना जरूरी है कि महिलाओं में छोटे स्तन होने के क्या कारण हो सकते है.

छोटे स्तन होने के कारण - Reasons of Having Small Breasts in Hindi

ब्रेस्ट साइज बढ़ाने का तरीका - Breast Size Badhane ke Gharelu Nuskhe in Hindi

इन कुछ कारणों के चलते कुछ महिलाएं खुद को आकर्षक और सुंदर महसूस नही कर पाती है. जिस कारण उनके अंदर आत्मविश्वास की कमी देखने को मिलती है. लेकिन स्तन का आकार बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय किए जा सकते है. जिससे न केवल लटके हुए महिलाएं स्तन बढ़ाने की दवा3 हो जाते है बल्कि उनके साइज़ में भी वृद्धि देखने को मिलती है. वैसे ही कुछ महिलाएं स्तन बढ़ाने की दवा5 या आसान भाषा में कहें तो प्राकृतिक स्तन बढ़ाने के नुस्खे इस प्रकार है.

ब्रेस्ट साइज बढ़ाने के तेल - Breast Increase Oils in Hindi

मसाज करने का फायदा यह होता है कि इससे स्तनों में खून का प्रवाह बेहतर होता है. जिससे ब्रेस्ट की मस्ल मजबूत होती है. इसे करने के लिए हल्के हाथों से अपनी ब्रेस्ट की मसाज की जा सकती है. जिसमें आप निम्न दिए गए तेलों जैसे:

  1. जैतून तेल से मसाज़ - तेल को थोड़ा गुनगुना करें और दिन में दो बार कम से कम बीस मिनट के लिए अपने स्तनों की मसाज करें.
  2. तिल के तेल का उपयोग - इसे भी गुनगुना कर, कम से कम 60 दिनों तक लगाए. इसका असर उसके बाद दिखना शुरू होगा.
  3. मेथी का लाभ - वैसे तो मेथी के बहुत से लाभ होते है. साथ ही इसका प्रयोग लगभग हर भारतीय रसोई में किया जाता है. इसके लिए सबसे पहले इसके पाउडर को कुछ बूँद पानी में मिलाकर पेस्ट तैयार करें और उस पेस्ट से दिन में कम से कम दो बार अपने स्तनों की मसाज करें. इसे कम से कम 15 मिनट के लिए लगाए रखें और फिर धो लें. इसे आयुर्वेदिक उपचारों में काफी प्रयोग किया जाता है.
  4. केला - वैसे तो केला कई तरह के रोगों के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है. उसमें से एक है स्तनों का साइज़ बढ़ाना, जिसके लिए केला बहुत ही उपयोगी साबित होता है क्योंकि यह फैट से पूर्ण होता है और स्तन फैट ही होते है.
  5. मूली - वैसे तो रात को मूली भिगोकर सुबह इसका सेवन करने से मधुमेह रोगियों को लाभ मिलता है. लेकिन स्तनों की वृद्धि के लिए भी यह काफी उपयोगी है. स्तन का साइज बढ़ाने के लिए नियमित रूप से इसे अपने आहार में शामिल करें.

ब्रेस्ट साइज बढ़ाने के लिए व्यायाम - Exercise to Increase Breast Size in Hindi

स्तन बढ़ाने के उपाय की बात करें, तो आप कुछ एक्सरसाइज करके भी अपनी ब्रेस्ट की साइज ठीक कर सकती है. यह कुछ चुनिंदा एक्सरसाइज है जिन्हें करने से अच्छा रिजल्ट देखने को मिलता है. इसके लिए आप

  • पुश-अप
  • वाल प्रेस
  • डम्बल प्रेस
  • फ्लाई
  • कॉस केबल
  • पुलओवर आदि एक्सरसाइज को जिम में जाकर कर सकती हैं.

कुछ योग जैसे

  • भुजंगासन
  • उष्ट्रासन
  • वृक्षासन
  • गोमुखासन करने से भी स्तन वृद्धि में बेहतर रिजल्ट देखने को मिलते है. इन एक्सरसाइज और योग से न केवल छाती की मांसपेशियां मजबूत होती है. साथ ही इससे स्तन का आकार भी बढ़ता है.

ब्रेस्ट साइज बढ़ाने के लिए आहार - Diet to Increase Breast Size in Hindi

शहद और प्याज - यह दोनों ही काफी तरह के रोगों के इलाज में लाभ देते है. वैसे ही हम स्तन को बड़ा कैसे करे1 और हम स्तन को बड़ा कैसे करे3 मिलाकर स्तनों की मसाज करने से, ब्रेस्ट का साइज बढ़ता है. इसे आसानी से घर में उपलब्ध होने वाली प्राकृतिक स्तन बढ़ाने की दवा भी कहा जा सकता है.

स्तन बढ़ाने के लिए डाइट में भी बदलाव किए जा सकते है जैसे -

  • फलों का सेवन - अपनी डाइट में फलों का सेवन करना ना भूलें. इसके लिए सेब, बेरी, पीच आदि फलों का सेवन जरूर करें.
  • हरी सब्जियाँ - पालक, गाजर, मटर जैसी हरी सब्जियों का सेवन नियमित रूप से करें.
  • ड्राई फ्रूट्स - काजू, पिस्ता और अखरोट सही मात्रा में लें.
  • पोषक तत्व - हम स्तन को बड़ा कैसे करे5, हर्बल टी आदि का सेवन करें.

ब्रेस्ट बढ़ाने के घरेलू उपाय - Home Remedies to Increase Breast Size in Hindi

लेकिन ध्यान रहें कि हर नुस्खा आपको सूट ही करें इसलिए ऑब्जर्व करें, अगर सूट न करे तो छोड़ दे और सूट करता हो तो फिर आप इसका उपयोग करते रहें. असर जरूर होगा और हां ब्रेस्ट साइज बढ़ाना एक रात या दो चार दिन का काम नहीं है. इसका असर नजर आने में समय लगता है, इसलिए धैर्य के साथ नुस्खों को खुदपर आजमाएं. नतीजा अपने समय पर खुद ब खुद सामने आएगा. तो आइये जानते हैं ब्रेस्ट साइज बढ़ाने वाले नुस्खों को.

  1. पोषित आहार

    कोई भी नुस्खा तब तक असर नही दिखा पाएगा जब तक आप सही डाइट नहीं लेंगे. ध्यान रखें उन महिलाओं के ऊपर ये नुस्खे ज्यादा असर नहीं दिखा पायेंगे जो बहुत दुबली हैं और ठीक से खाती पीती नहीं. अगर आप छोटे स्तनों को लेकर परेशान हैं, तो सबसे पहले अपनी डाइट ठीक करें. अपने खाने में दूध, बादाम, अखरोट हेल्दी डाइट को शामिल करें.

  2. कच्चे आम

    कच्चे आम की गुठली निकाल कर गूदे को पीसकर लेप बनाएं. इस लेप को स्तनों पर लगाए और जब लेप सूख जाए तो उसे धो लें. धोते वक्त बहुत ठंडे पानी का इस्तेमाल न करें, पानी या तो हल्का गुनगुना हो या फिर सामान्य तासीर वाला. इस उपाय को अन्य उपायों के साथ लंबे समय तक ट्राई करती रहें. इससे न केवल साइज बढ़ाने में मदद मिलती है बल्कि जिन महिलाओं के स्तन ढीले होते हैं उनमें कसावट भी आती है.

  3. सोयाबीन

    स्तनों का आकार नहीं बढ़ने की एक बड़ी अहम वजह, बॉडी में एस्ट्रोजन के लेवल में कमी को भी माना जाता है. यह ब्रेस्ट का साइज बढ़ाने के लिए जरूरी होता है. इसलिए आप सोयाबीन खाना शुरू कर दें. इसे खाने से बॉडी में एस्ट्रोजन लेवल बढ़ता है. दूसरी बात सोयाबीन में प्रोटीन भी खूब होता है. ऐसे में आप बेफिक्र सोयाबीन खाएं.

  4. दूध

    दूध अपने आप में कंप्लीट फूड होता है, लेकिन अक्सर हम देखते हैं कि महिलाएं दूध का कम ही इस्तेमाल करती हैं. ये जरूरी नहीं है कि जो महिलाएं दूध नहीं पीतिं उनके स्तन छोटें ही हों पर हां, जिन महिलाओं की ब्रेस्ट का साइज छोटा है उनके लिए दूध जरूर फायदेमंद है. दूध में प्रोटीन और फैट दोनों होते हैं दोनों ही ब्रेस्ट का साइज बढ़ाने में मदद करते हैं. स्तनों में खाली मसल्स नहीं होते उनमें फैट भी होता है जो दूध में मिलता है.

  5. पपीता

    पपीता केवल पेट को ही ठीक नहीं रखता, यह पेट के साथ चेहरे और ब्रेस्ट को भी सुडौल बनाने के काम आता है. पपीते और दूध के कंबाइन डाइट को ब्रेस्ट का साइज बढ़ाने के लिए बेस्ट टिप्स के तौर पर माना जाता है.

  6. मेथी के बीज

    मेथी का बीज हमारे लिए कई मामलों में मददगार है. सबसे ज्यादा हम इसे अपनी रसोई में खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए प्रयोग करते है. शायद आपको ये बात मालूम नही होगी कि ये ब्रेस्ट का साइज बढ़ाने के लिए भी एक कारगर इलाज है. मेथी शरीर में एस्ट्रोजन के लेवल को बढ़ाता है. रात को एक चम्मच मेथी के दाने भिगो कर रख दें, सुबह उन्हें चबाकर खाएं और पानी पी लें. साथ ही भीगे हुए मेथी के बीजों को पीसकर उसका पेस्ट बनाकर ब्रेस्ट पर लगाए और सूखने के बाद धो लें. आप इसके तेल की मालिश भी कर सकती हैं.

  7. अलसी के बीज

    ब्रेस्ट साइज बढ़ाने में अलसी के बीज भी बहुत अच्छा काम करते हैं. आप इन्हें सीधे खा सकती हैं या गेहूं में पिसवा सकती हैं. इनके बीजों की चटनी भी बनती है. आप इसका तेल सलाद आदि पर डालकर खा सकती हैं और अलसी के तेल से ब्रेस्ट की मसाज भी की जा सकती है. यकीन मानिए यह सस्ता होने के साथ ही सबसे कारगर नुस्खा है.

ब्रेस्ट साइज़ कितना होना चाहिए - Breast Size Kitna Hona Chahiye

यह एक से दूसरी महिला पर उनकी कद-काठी, वजन और वह खुद को किस तरह से देखना पसंद करेंगी, इसपर निर्भर करता है. साथ ही उन्हें अपनी ब्रेस्ट का कितना साइज़ ठीक लगता है या वह कितने स्तन वृद्धि चाहती है आदि पहलूओं को नज़र में रखकर वह खुद फैसला ले सकती है कि उनके स्तन का आकार कितना होना चाहिए.

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How To Reduce Breast Size in hindi - ब्रैस्ट कम करने के उपाय

MBBS, M.Sc - Dietitics / Nutrition
Dietitian/Nutritionist, Delhi
How To Reduce Breast Size in hindi - ब्रैस्ट कम करने के उपाय

इतिहास इस बात का गवाह है कि समाज में सुंदरता की हमेशा होड़ रही है। इसे पाने में दिखाने में और खुद में अपने आपको परफेक्ट फील करने में। वैसे तो महिला का हर अंग पुरुषों के लिए आकर्षण और कामुकता का हिस्सा रहा है पर सारी दुनिया के पुरुष अगर सबसे ज्यादा बदन के किसी हिस्से पर अट्रैक्ट होते हैं तो वह है ब्रेस्ट यानि स्तन। हर महिला को यह पसंद होता है कि पुरूष उनपर फ़िदा और ऐसा ही हो इसके लिए महिलाएं हमेशा कोशिश करती हैं कि उनके ब्रेस्ट का साइज बड़ा हो, ब्रेस्ट में कसावट हो, सही आकार में हो इत्यादि। पर ये चाहत और कोशिशें तब उलटी पड़ जाती हैं, जब ब्रेस्ट का साइज जरूरत से ज्यादा बड़ा हो। न सिर्फ ये दिखने में भद्दा लगता है, बल्कि उस महिला के तकलीफ का भी सबब बन जाता है। कुछ महिलाएं सुंदर कपड़े और शर्ट पहनना चाहती हैं, पर उनका ब्रेस्ट सही आकार में ना होने के कारण उनको ऐसा करने में तकलीफ होती है। कई बार जरूरत से ज्यादा बड़े ब्रेस्ट होने से महिलाओं को कपड़े सही फिट नहीं आते।

ऐसे में कई महिलाएं अपनी ब्रेस्ट साइज को कम करना चाहती है। पर नही कर पाती जिसके कई कारण होजैसे वे वह हिचकिचाती है किसी से कहने मे की लोग क्या सोचेंगे। कुछ महिलाएं यह सोच कर भी पीछे हट जाती है कि, आपरेशन करके ब्रेस्ट साइज कम करना काफी महंगा होता है वगैरा वगैरा। पर वह यह नही जानती की ब्रेस्ट के साइज को नैचुरली भी कम किया जा सकता है। जी तो आज हम जानेंगे नैचुरली अपने ब्रेस्ट कम करने के नुस्खे जो बेहद आसान भी हैं और असरदार भी।

Breast Size Ko Kaise Kam Kare in Hindi - ब्रैस्ट कम करने के उपाय

  1. नियमित व्यायाम
    ब्रेस्ट बहुत से फैटी टिशू से मिलकर बना होता है, जिनको कम करके महिलाएं अपने ब्रेस्ट के आकार को कम कर सकती हैं। इसके लिए सही व्यायाम करना बहोत जरूरी होता है। शरीर की चर्बी काम करके ब्रेस्ट का आकार कम किया जा सकता है। यह करने के लिए दौड़ लगाना, साइकलिंग करना, सीढि़यां चढ़ने व उतारने से कैलोरी बर्न होती है। इसके अलावा नियमित रूप से पुश-अप एक्सर्साइज, जौगिंग तथा चेस्ट फ्लाइ जैसे व्यायाम करना फायदे मंद होता है, पर ध्यान रहे जब भी आप व्यायाम करें तो स्पोर्ट्स ब्रा जरूर पहने। क्योंकि हम जैसे-जैसे मूवमेंट करते हैं, ब्रेस्ट भी वैसे ही मूवमेंट करते हैं, इसलिए बिना सही सपोर्ट के व्यायाम करने से स्तनों में दर्द हो सकता है। साथ ही इसके लिगामेंट को भी नुकसान पहुंच सकता है और त्वचा ढीली पड़ सकती है।
  2. योग
    अपने बेस्ट के आकार को कम करने के लिए आप योग का सहारा ले सकती हैं। इसके लिए नियमित रूप से अर्द्ध चक्रासन मुद्रा बेहद मददगार साबित होती है।
  3. अंडे का उपयोग
    स्तन का आकार कम करने के लिए अंडे की सफेदी भी सहायक होती है। यह आपके स्तनों को सुडौल बनाती है तथा छाती के भाग में कसावट लाकर स्तनों को छोटा करने में मदद करती है। एक अंडे के सफ़ेद भाग को फेंटकर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को अपने स्तनों के नीचे लगाएं और इसे आधे घंटे के लिए छोड़ दें। आधे घंटे के बाद एक गिलास में प्याज का रस लें और उससे अंडे की सफेदी लगी जगह को धो लें। इस प्रक्रिया का प्रयोग कुछ हफ़्तों तक रोजाना करने से आपके स्तन को कम कियांज सकता है।
  4. ग्रीन टी
    ग्रीन टी वज़न घटाने में काफी लाभदायक है और इसका प्रयोग स्तनों का आकार घटाने में भी किया जा सकता है। ग्रीन टी में कथेचिंस मौजूद होते हैं जो शरीर की कैलोरी घटा के शरीर की चर्बी कम करती है और आपका वज़न घटाती हैं। ग्रीन टी स्तनों के कैंसर के खतरे को भी काफी कम करती है। 1 चम्मच ग्रीन टी के पत्तों को एक कप गर्म पानी में मिलाकर इसे कुछ मिनटों तक ढककर रखें और फिर इस मिश्रण को छान कर इसमें थोड़ा शहद मिलाकर हर रोज़ कुछ महीनों तक 3 से 4 कप ग्रीन टी का सेवन करने से आपको जरूर फर्क नजर आएगा।
  5. नीम और हल्दी
    नीम और हल्दी स्तनपान के दौरान स्तनों में हुई जलन और सूजन दूर करने में काफी कारगर साबित होती है क्योंकि इन पदार्थों में जलन कम करने के गुण हैं। इनका प्रयोग करने से आपके स्तनों का आकार अपने आप ही कम हो जाता है। यह करने के लिए आप 4 कप पानी में 10 मिनट तक मुट्ठीभर नीम की पत्तियों को उबालें और फिर इन्हें छान लें। इन्हें अच्छे से मिलाकर इसमें 2 चम्मच हल्दी और थोड़ा सा शहद डालकर इस पानी को कुछ महीनों तक रोजाना पीने से काफी हद तक ब्रेस्ट का आकार कम हो जाता है।
  6. मसाज
    मसाज एक कारगर तरीका है वज़न घटाने का और इससे आपके स्तनों का आकार भी काफी कम हो सकता है। स्तनों पर मसाज करते समय दोनों स्तनों को बराबर समय देकर स्तनों पर गर्म जैतून का तेल या नारियल का तेल लगाएं और इस प्रक्रिया के लिए अपने बीच की ऊँगली और अनामिका उंगली का इस्तेमाल करके अपने स्तनों पर गोल आकर में व नीचे से ऊपर जाने की मुद्रा में करीब 10 मिनट तक मसाज करें। इस प्रक्रिया को नियमित रूप से कम से कम 3 महीने तक हर रोज़ दिन में 2 बार करने से स्तनों के आकार में फर्क दिखने लगेगा।
     

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Epidurals - Know The Benefits & Disadvantages!

MBBS, MD - Anaesthesiology, FIPM, Fellowship in palliative medicine, certificate in interventional pain management, Multidisciplinary pain management course
Pain Management Specialist, Pune
Epidurals - Know The Benefits & Disadvantages!

Modern women want to have it all, in personal and professional life. They want to experience the joy of motherhood but not the pain associated with normal delivery. For such women, epidural analgesia during labour is a blessing. Epidural analgesia/anaesthesia is given to pregnant women during childbirth. Epidural painkillers stop the pain signals transmitted nerves from uterus. This stops the pain sensation of labour. For epidural analgesia, a catheter (small tube) is inserted into the epidural space in the spinal cord. It is through this tube that the drugs (painkillers) reach the desired nerves. 

Types of Epidurals: 

Epidurals can be 

  1. Injection with top-ups: Once given, epidurals help to relieve the pain that arises due to contractions. When the epidural starts to wear off, top-ups or refills are used. The refills can last for 1-2 hours. 
  2. Combined Spinal Epidural: Compared to the regular epidurals, the combined spinal epidurals are powerful, quick, and more effective. Here too, epidural painkillers are made to pass through the catheter, once the first injection wears off. It is also known as Walking Epidural. 
  3. Continuous infusion (patient-controlled epidural analgesia): Here, the other end of the epidural catheter is attached to a pump. This pump continuously infuses the painkillers into your back. For an effective response, top-ups may be used. Many hospitals allow patients to control the pump. 

Merits and demerits of having an epidural--

Merits: 

  1. Epidurals make the delivery smooth and hassle free. 
  2. Epidurals are relatively safe as only a small fraction of the medicine reaches the baby. 
  3. Women stay fully awake and experience no pain during the cervix dilation. This enables them to push the baby out with more energy.
  4. Depending on the requirement, the dosage of epidurals can be adjusted. 
  5. Epidurals help to lower the cases of C-section delivery. 

Demerits: 
Though epidurals make childbirth easy, one cannot overlook its demerits. 

  1. Infections can sometimes occur. 
  2. Sometimes epidural analgesia can have a patchy effect, causing some pain to persist. 
  3. Though rare, epidural can result in nerve damage. 
  4. Epidurals bring about a fall in blood pressure. At times, this can be risky for the baby. 
  5. Nausea, headache, itchiness, backache, soreness are the common side effects of epidurals. 
  6. Epidurals relax a woman, thereby reducing their urge to push the baby out. 

Thus, they may take longer than usual to push the baby. If you wish to discuss about any specific problem, you can consult a Pain Management Specialist.

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Cervical Spondylosis (Arthritis of the Neck) - Know Its Treatment!!

BPTh/BPT, MPT - Orthopedic Physiotherapy
Physiotherapist, Gurgaon
Cervical Spondylosis (Arthritis of the Neck) - Know Its Treatment!!

Cervical spondylosis is fast becoming the bane of modern life. An age-related wear and tear problem affecting the spinal discs in your neck, cervical spondylosis is increasingly affecting the young because of the use of cell phones, laptops and the like.

Cervical spondylosis is a general term used to define shrinkage of discs in between vertebrae in the neck region. Along with disc degeneration, bony projections also form in the area and are called bone spurs.
Other causes of cervical spondylosis are dehydrated discs. Discs are thick, pad-like cushions in between vertebrae that act as shock absorbers. They are made of a gel- like material that can dry over time. This causes the spinal vertebrae to rub together causing pain. The discs also crack which allows the internal gel-like material to spill out and impinge on spinal nerves causing symptoms.

There is a narrowing of the space required by the spinal cord and nerves that emanate in the upper spine to go to various parts of the body. Pinching of these nerves can cause alarming symptoms like:

  1. Numbness and weakness in your arms, hands, legs and feet
  2. Lack of coordination and difficulty in walking
  3. Loss of bladder or bowel movement
  4. Stiffness and pain in neck

Treatment and management
Usually, cervical spondylosis doesn’t cause any symptoms. But when you start experiencing pain, stiffness and weakness of muscles, it’s best to go to a doctor who will diagnose the problem and then treat it.
Treatment for cervical spondylosis depends on the severity of your symptoms. Its goal is to get rid of pain, allow you to carry on your daily activities and prevent any permanent damage to your spinal cord and nerves.

Medicines

  1. Anti-inflammatory drugs are prescribed to reduce pain and inflammation. Example Ibuprofen.
  2. Corticosteroids are oral medications to get rid of the severe pain. If these don’t work, your doctor can suggest steroid injections.
  3. Muscle relaxants medicines relax the muscles in the upper part of the spine and help in curing neck pain and stiffness
  4. Anti-seizure medications are also prescribed to dull the pain of damaged nerves in the spine. These include epilepsy medications, such as gabapentin and pregabalin.

Physiotherapy

  1. Non surgical treatments are usually very effective in treating cervical spondylosis and surgery is usually not required. Physiotherapy is a bulwark for patients as it helps manage the condition very well.
  2. Neck exercises that help stretch and strengthen muscles in your neck and shoulders can help manage debilitating symptoms of cervical spondylosis.
  3. Few patients also benefit from traction, which can help provide more space for nerve roots within the spine.

Surgery

  1. Surgery is the last resort for treating cervical spondylosis.
  2. It is suggested when non-surgical treatments fail and the pain and neurological signs such as weakness in your arms or legs get worse.
  3. It is done to create more room for your spinal cord and nerve roots.

Cervical spondylosis surgery typically involves removing:

  1. Herniated disk
  2. Bone spurs
  3. Part of a vertebra. 

If you wish to discuss about any specific problem, you can consult a Physiotherapist.

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