Glucose 6 Phosphate Dehydrogenase (G6PD Qualitative) Tips

Why Should We Continue To Monitor Glucose Levels In Body?

Dr. Ramneek Varma 90% (359 ratings)
MD-Internal Medicine , MBBS
General Physician, Delhi
Why Should We Continue To Monitor Glucose Levels In Body?

For people who need to keep an eye on their blood sugar level, a glucose meter is a handy thing to keep around. There are many different types of glucose meters available with continuous glucose monitor being one of them. Unlike other glucose monitoring devices that merely detect the amount of glucose present in your system, a continuous glucose monitoring device also detects trends and patterns thus, gives your doctor a more comprehensive picture of your condition.

A continuous glucose monitor is not available over the counter and will need to be prescribed by your doctor. It uses a tiny sensor that is placed under the skin of your abdomen to measure the glucose level in the fluid within your body. This insertion is quick and quite painless. The sensor has a transmitter that sends the information about your glucose levels to a small pager like device. The data collected can be seen in the form of readings every 1,5 or 10 minutes. If your sugar levels drop to an extremely low level to go up to a very high level, the monitor will sound and alarm to notify you.

The data collected by a continuous glucose monitor can also be downloaded to your smartphone, laptop or tablet. By looking at the readings over a period of time, you will be able to notice trends and patterns in your sugar levels. This data helps diabetic patients and their doctors to decide on a number of things such as:

  1. How much insulin is needed?
  2. What is the optimum dosage of medication required for you?
  3. What is the optimum number of meals needed per day?
  4. How much should you eat in every meal?
  5. What is the right exercise plan for you?

Diabetics who use an insulin pump can also link this to the continuous glucose monitor so that they do not need to manually program the pump. This is known as a sensor augmented pump. This device can also help record blood sugar levels as you sleep thus, detecting spikes and lows that would otherwise go undetected. It also helps understand the relationship between your diet as well as exercise and your blood sugar levels.

A continuous glucose monitor needs to be changed every 3 to 7 days. Also, it cannot be used to replace finger sticks or traditional home monitors. You may also need a little training on how to use the device correctly.

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Glucose Benefits, Sources and Side Effects in Hindi - ग्लूकोस के स्रोत, फायदे और नुकसान

Dr. Sanjeev Kumar Singh 92% (194 ratings)
Bachelor of Ayurveda, Medicine and Surgery (BAMS)
Ayurvedic Doctor, Lakhimpur Kheri
Glucose Benefits, Sources and Side Effects in Hindi - ग्लूकोस के स्रोत, फायदे और नुकसान

हमारी सभी गतिविधियों के लिए ऊर्जा की आवश्यकता है. यहाँ तक कि हमें चलने और साँस लेने के लिए भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है. हमारी दैनिक आवश्यकताओं के लिए आवश्यक ऊर्जा का स्रोत ग्लूकोज होता है. हमारे शरीर को ग्लूकोज हमारे आहार में खाए गए स्टार्च और शुगर से प्राप्त होता है. पाचन की प्रक्रिया के दौरान इंसुलिन की सहायता से स्टार्च और शुगर चीनी में टूट जाते हैं. तब ग्लूकोज कोशिकाओं की दीवार में प्रवेश करता है. अगर भोजन में अधिक मात्रा में शुगर होता है तो यह हमारे मांसपेशियों, लिवर और शरीर के अन्य भागों में जमा हो जाता है जो बाद में फैट के रूप में परिवर्तित हो जाता है.

ग्लूकोज के स्रोत - Srotra of Glucose in Hindi

चूंकि ग्लूकोज वजन बढ़ाने और कम करने दोनों तरीकों से काम करता है इसलिए ग्लूकोज को अपने आहार में शामिल करने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए. तो चलिए हम आपको बताते हैं कि किस तरह के ग्लूकोज आहार का आपको सेवन करना चाहिए. ताजे फल जैसे तरबूज, रास्पबेरी, अंगूर, ब्लूबेरी, नाशपाती और बेर आपको फाइबर, बहुत अधिक पानी और नेचुरल शुगर प्रदान करते हैं. अतः इन फाइबर युक्त फलों का सेवन करें. रिफाइंड अनाज के सेवन से बेहतर है कि आप साबूत अनाज का सेवन करें. ये आपको फाइबर और पोटेशियम, मैग्नीशियम और सेलेनियम प्रदान करते हैं. अनाज को रिफाइन करने से पोषक तत्व और फाइबर की मात्रा कम हो जाती है. वैसे तो सभी अनाज ग्लूकोज प्रदान करते हैं लेकिन साबुत अनाज अतिरिक्त लाभ प्रदान करते हैं. साबुत अनाज से बने आइटम जैसे ब्रेड आपको बाजार में मिल जाएंगी हैं.

फलियां प्रोटीन का समृद्ध स्रोत हैं और इनमें पोटेशियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम और फोलेट जैसे आवश्यक जैसे पोषक तत्व भी शामिल होते हैं. सेम, दाल और मटर में फाइबर (घुलनशील और अघुलनशील) प्रोटीन होते हैं और इसमें किसी भी प्रकार का कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है. ये अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में अधिक फायदेमंद होते हैं. फलियों में कोलेस्ट्रॉल और संतृप्त वसा नहीं होता है इसलिए हृदय रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है. संतृप्त वसा का सेवन सीमित करने के लिए हमें कम वसा वाले डेयरी उत्पादों का उपयोग करना चाहिए. कम वसा वाले डेयरी उत्पाद हमें कम कैलोरी के साथ विटामिन, खनिज, प्रोटीन, और कैल्शियम देते हैं. पर यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि आप जिस भी डेयरी उत्पाद का सेवन करते हैं उसमें चीनी की मात्रा ज्यादा नहीं होनी चाहिए.

ग्लूकोज के फायदे - Glucose ke Fayde in Hindi

रेशेदार भोजन यानि फाइबर युक्त आहार कुछ बीमारियों जैसे टाइप 2 मधुमेह और मोटापे से लड़ने में हमारी मदद करते हैं. फाइबर अपच और कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोगों को नियंत्रण में रखने में मदद करता है. फाइबर हम साबुत अनाज से प्राप्त कर सकते हैं. व्यायाम और उचित कैलोरी का सेवन कई बीमारियों जैसे टाइप 2 मधुमेह और हृदय संबंधी समस्याओं को रोकने में मदद करता है. कम वसा, कम कोलेस्ट्रॉल वाले कार्बोहाइड्रेट्स हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम कर सकते हैं.

हम में से कई लोग वजन बढ़ने के लिए ग्लूकोज को दोषी मानते हैं. लेकिन उचित तरीके से ग्लूकोज का सेवन आपके वजन को कम करने या नियंत्रित करने में मदद करता है. यदि आप सही तरह से अपने आहार में फल, सब्जियों और रेशेदार खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो यह आपका वजन कम करने में मदद करते हैं. ग्लूकोज में समृद्ध आहार वजन घटाने और मांसपेशियों को टोन करने में फायदेमंद है.

ग्लूकोज की अधिक मात्रा के नुकसान - Side Effects of Glucose in Hindi

अधिक मात्रा में ग्लूकोज के सेवन से शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ सकती है जिसके कारण मोटापा हो सकता है. पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज क सेवन नहीं करने से कुपोषण की समस्या हो सकती है. अधिक मात्रा में चीनी का सेवन हमारे स्वस्थ के लिए अच्छा नहीं होता है. यह हमरे वजन को बढ़ाने के साथ-साथ खराब पोषण प्रदान करते है और इसके सेवन से दातों की क्षय भी हो सकती है. इसलिए कैंडी, शुगर ड्रिंक, मिठाई के सेवन से बचें. ये आपको कैलोरी के सिवा कोई पोषण प्रदान नहीं करते हैं.

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किडनी के लिए ग्रीन टी - Green Tea for Kidney in Hindi

Dr. Sanjeev Kumar Singh 92% (194 ratings)
BAMS
Ayurvedic Doctor, Lakhimpur Kheri
किडनी के लिए ग्रीन टी - Green Tea for Kidney in Hindi

आजकल ग्रीन टी (Green Tea) न केवल अपने पोषक तत्वों के कारण लोगों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हो गई है, बल्कि यह डायबिटीज और हृदय रोग जैसी पुरानी परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता भी रखती है।

आश्चर्यजनक रूप से ग्रीन टी किडनी की बीमारी को बढ़ने से भी बचाती है। अगर ग्रीन टी का मामूली मात्रा में नियमित रूप से सेवन किया जाए तो यह किडनी की किसी भी समस्या से पीड़ित लोगों के लिए मददगार होती है।

ग्रीन टी के अर्क किडनी की समस्याओं को हल करने और किडनी की क्षति को रोकने के लिए जीवन विस्तार देने के लिए सिद्ध होते हैं। ग्रीन टी पीने के विभिन्न लाभ हैं जैसे कि एंटीऑक्सिडेंट, कैटेचिन, और ईसीजीसी जो किडनी से संबंधित समस्याओं पर लाभकारी प्रभाव दिखाने के लिए जाने जाते हैं।

क्या ग्रीन टी किडनी के लिए अच्छी होती है?

यह जांच की गई है कि ग्रीन टी एंटीऑक्सिडेंट के प्रभाव मुख्य रूप से ग्रीन टी में मौजूद पॉलीफेनोल हाइपरयूरिसीमिया को रोकती है जो क्रोनिक किडनी रोग और प्रीगलोमेरुलर धमनियों के लिए जिम्मेदार होते हैं। ग्रीन टी की मदद से किडनी रोग की प्रगति को भी रोक दिया जाता है क्योंकि यह जैग्ड1/नॉच1-स्टाट3 (jagged/Notch1-STAT3) मार्ग को सक्रिय करता है।

ग्रीन टी में उच्च स्तर का एपिगैलोकैटेचिन गैलेट भी होता है जो किडनी की पथरी के निर्माण में भी बाधा उत्पन्न करता है। किडनी की क्षति और अंत-चरण किडनी फेलियोर को रोकने के लिए डॉक्टर भी ग्रीन टी की सलाह देते हैं।

ग्रीन टी में ईसीजी (एपिक्टिन गैलेट) होता है। एक शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट किडनी को नुकसान से बचाता है। यह सूजन और कोशिका मृत्यु को भी कम करता है। इस प्रकार एंटी-कैंसर थेरेपी साबित होती है। ग्रीन टी मलेरिया संक्रमण के दौरान होने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव को भी रोकता है, जो खराब किडनी फंक्शन की ओर जाता है, जो मलेरिया के रोगियों में मृत्यु का सामान्य कारण होता है।

किडनी स्टोन्स के लिए ग्रीन टी: Green Tea for Kidney Stones in Hindi

  • ग्रीन टी किडनी की पथरी के लिए प्रभावी साबित हुई है और ग्रीन टी का अर्क इसके गठन को रोकने में मदद करता है। अगर आपके किडनी में पहले से ही पथरी(स्टोन) है तो भी ग्रीन टी सहायक होता है क्योंकि यह पथरी को बाहर निकालने में भी मदद करती है।
  • ग्रीन टी अर्क ही कैल्शियम ऑक्सालेट के साथ जुड़ती है और इस तरह क्रिस्टल को अलग-अलग आकार लेने में सक्षम बनाती है और साथ ही यह किडनी में पथरी बनने से रोकतीहै।
  • शोध के अनुसार, ग्रीन टी का अर्क कैल्शियम ऑक्सालेट फ्लैटर करता है और इस तरह से फ्लैट स्टोन का निर्माण होता है, जो मजबूत नहीं होते हैं और आसानी से टूट जाते हैं।

क्या डायलिसिस के मरीजों के लिए ग्रीन टी अच्छी होती है?

जैसा कि यह सर्वविदित है कि ग्रीन टी में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं और यदि 1 डिकैफ़िनेटेड ग्रीन टी कैप्सूल डायलिसिस से गुजरने वाले रोगी द्वारा लिया जाता है तो यह कई चीजों को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है जिसमें शामिल हैं:

  • यदि ग्रीन टी कैप्सूल 6 महीने तक नियमित रूप से सेवन किया जाए तो मददगार होता है। यह सूजन को कम करके काम करता है और ऑक्सीडेटिव तनाव को भी कम करता है।
  • ग्रीन टी भी एथेरोस्क्लेरोटिक डायलिसिस से गुजरने वाले रोगियों पर सकारात्मक प्रभाव दिखाती है।
  • ग्रीन टी किडनी की बीमारी से जुड़े कुछ चीजों को बेहतर बनाने में मदद करती है जिसमें ब्लड यूरिया नाइट्रोजन, यूरिक एसिड, क्रिएटिनिन लेवल और ग्लूकोज एक्सक्रीशन(glucose excretion) शामिल होता है।

किडनी पर ग्रीन टी के साइड इफेक्ट्स

ग्रीन टी संभवतः असुरक्षित हो सकती है यदि इसका सेवन दिन में 7-8 कप अधिक मात्रा में किया जाए क्योंकि इसमें कैफीन भी होता है, जो किडनी के रोगों के लिए अच्छा नहीं होता है लेकिन इसके बहुत कम उदाहरण होते हैं।

यदि ग्रीन टी को अधिक मात्रा में लिया जाता है तो यह एंटी-ऑक्सीडेंट एंजाइम और हीट-शॉक प्रोटीन की अभिव्यक्ति को कम करके किडनी के कार्य को बाधित कर सकता है। ऐसा ग्रीन टी में मौजूद पॉलीफेनोल्स की विषाक्तता के कारण होता है।

हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों को ग्रीन टी में कैफीन की मौजूदगी के कारण कम मात्रा में इसका सेवन करना चाहिए। यह किडनी की बीमारी के जोखिम की संभावना को बढ़ाता है और यहां तक ​​कि किडनी के कार्य दर को भी कम करता है। इस प्रकार ब्लड प्रेशर में अचानक वृद्धि होती है।

इसलिए, ग्रीन टी के कई संभावित लाभ हैं और किडनी की समस्याओं के दौरान भी इसका सेवन किया जा सकता है। लेकिन अगर आपको कोई संदेह है या आप किसी समस्या का सामना करते हैं तो आप अपने डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं और इसके बारे में अधिक जानकारी ले सकते हैं।

यदि आपके पास कोई चिंता या प्रश्न है, तो आप हमेशा किसी डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं और अपने प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर सकते हैं!

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Osteomalacia - 6 Factors That Can Cause It!

Dr. Nitin Bansal 87% (19 ratings)
MS - Orthopaedics
Orthopedic Doctor, Bathinda
Osteomalacia - 6 Factors That Can Cause It!

The weakening of the bones during the bone development or formation process is called Osteomalacia. Osteomalacia, when it occurs in children, is called Rickets. A lot of people confuse it with osteoporosis, which affects bones that have already been formed.

One’s bones need phosphorus and calcium to remain strong and healthy. However, the minerals get broken down by Vitamin D. Osteomalacia occurs when the body is lacking in Vitamin D, without which, bones become flexible and soft. The primary symptom of Osteomalacia is pain in the bones, generally experienced in the hips. The pain can also be felt in the arms, legs and the spine. As the disease progresses, the bones become weaker and the pain increases.

Causes of Osteomalacia

The primary cause behind Osteomalacia is the lack of Vitamin D. Vitamin D gets generated in the skin when it is exposed to the sun’s UV rays. Vitamin D can also be found in dairy products and fish. A lack of exposure to the sun and absence of Vitamin D-rich foods from the diet may lead to Osteomalacia. However, even if you are getting enough sun and Vitamin D in your food, there are other ways in which Vitamin D deficiency can occur:

  1. Some forms of cancer inhibit the absorption of Vitamin D
  2. Celiac disease can damage the lining of the intestine, preventing the absorption of Vitamin D.
  3. Liver disorders
  4. Kidney disorders
  5. A lack of phosphate in the diet can also lead to Osteomalacia
  6. Some drugs that are used to treat seizures can also cause Osteomalacia

Treatment of Osteomalacia

The treatment of Osteomalacia, if the disease is diagnosed early, is fairly simple. You just need to increase your consumption of Vitamin D. Your doctor may ask you to take Vitamin D supplements, increase the intake of the vitamin in your diet in the form of milk products and fish. Getting just the right amount of exposure to the sun is also important in this regard. Getting Vitamin D injected into the body is another way to make up for the deficiency in this vitamin in the body.

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Sugar - Know Harms Of It!

MBBS
General Physician, Hyderabad
Sugar - Know Harms Of It!

Sugar is the generic name that represents sweet-tasting, soluble carbohydrates, many of which are used in food. 

What Happens When Concentrated Sugar Enters the Body?
Sugar is a poison when concentrated because it causes swelling of joints, liver, and brain. Sugar will hamper the healing of your body, if you have an injury or chronic illness. Sugar acts as a source of energy for cancer cells and all infectious diseases. Sugar blocks the absorption of the nutrients you are eating, especially minerals being one of them.

Harmful Effects of Sugar on the Body

  1. It is a true silent killer: A study in 2008 linked excess fructose consumption to an increase in leptin resistance. Leptin is a hormone that tells you when you have had enough food. For some people, leptin simply does not work, leaving the person with no signal whatsoever that the body had enough food leading to over-consumption of food and consequently, obesity. As all this happens without symptoms or warning bells and you can’t quite figure out why you’ve gained weight in the past year “sugar” is labelled as SILENT KILLER.
  2. It can damage your heart: In 2013, the Journal of the American Heart Association displayed strong evidence that sugar can actually affect the pumping mechanism of your heart and could increase the risk for heart failure. A molecule from a sugar called glucose metabolite glucose 6-phosphate (G6P) is responsible for the changes in the muscle protein of the heart leading to heart failure.
  3. It promotes belly fat: Excess fructose intake (but not glucose intake) actually causes visceral fat cells to mature leading to a big belly and higher risk for heart disease and diabetes.
  4. It has toxic liver effects on the body: Fructose and glucose in excess can have a toxic effect on the liver as the metabolism of ethanol, the alcohol contained in alcoholic beverages, has similarities to the metabolic pathways like fructose.
  5. It saps brainpower: Study shows that excess sugar consumption was linked to deficiencies in memory and overall cognitive health.

Quick Facts!

  1. Your brain lights up with sugar just like it does with heroin or cocaine. Sugar is eight times more addictive than cocaine.
  2. Sugar has empty calories meaning you can consume a lot of it and feel full, but receive no nutritional value.
  3. It is certainly one of the leading causes of early death and chronic illnesses, including diabetes, obesity, and heart disease.
  4. Food companies try to hide sugars in their food by using other forms of sugar. This leads to addiction to their products (e.g. high-fructose corn syrup).
  5. Sugar in itself offers absolutely no nutritional value what so ever to the body. It is often coined with the term empty calories.
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Type 1 & Type 2 Diabetes - Know The Symptoms & Treatment Of It!

Dr. Sridhar Billa 89% (33 ratings)
MBBS, DNB
General Physician, Hyderabad
Type 1 & Type 2 Diabetes - Know The Symptoms & Treatment Of It!

There are a number of lifestyle ailments that plague people around the world. Cardiovascular diseases, high cholesterolhypertension and diabetes are just a few of them. Diabetes means your blood sugar level, called glucose, is too high. Blood glucose is the main kind of sugar found in your blood and is supposed to be your main source of energy. Glucose originates from the food that you eat and is additionally made in your liver and muscles. Your blood supplies glucose to the rest of your body's cells to use as a source of energy.

Your pancreas are situated between your stomach and spine. It assists with absorption of glucose from food and discharges a hormone called insulin, into your blood. Insulin helps your blood transport glucose to all your body's cells. In some cases your body doesn't make enough insulin or the insulin doesn't work the way it ought to. Glucose then stays in your blood and doesn't reach your cells.

The signs and symptoms of diabetes are as follows:

  1. Being extremely thirsty

  2. Urinating regularly

  3. Feeling hungry

  4. Feeling tired

  5. Getting thinner without attempting

  6. Wounds that mend gradually

  7. Dry, bothersome skin

  8. Feeling of pins and needles in your feet

  9. Losing sensation in your feet

  10. Hazy vision

Type 1 diabetes is found mostly in youngsters. In type 1 diabetes, your body does not make insulin or enough insulin because of the the body's vulnerable immune system. It protects you from contamination by getting rid of bacteria, infections, and other destructive substances.

Treatment for type 1 Diabetes:

  1. Taking regular injections of insulin

  2. Medicines as prescribed by the specialist

  3. Healthy food choices

  4. Being physically active

  5. Controlling your circulatory strain levels. Circulatory strain is the pressure of blood flow inside your veins.

  6. Controlling cholesterol levels

Type 2 diabetes can influence individuals at any age. It is known to affect moderately aged and elderly individuals. People who are overweight and inert are more prone to type 2 Diabetes.

Type 2 diabetes normally starts with insulin resistance, a condition that happens when fat, muscle and liver cells do not utilise insulin to supply glucose to the body's cells to draw energy. Accordingly, the body needs more insulin to help glucose enter the cells. At such an instance, the pancreas start producing more insulin. Over the long haul, the pancreas do not make enough insulin when glucose levels increase, for example, after meals. If your pancreas can no more make enough insulin, you should treat your type 2 diabetes.

Treatment for type 2 Diabetes:

  1. Utilising diabetes prescriptions

  2. Settling on solid food decisions

  3. Being physically active

  4. Controlling your circulatory strain levels

  5. Controlling your cholesterol levels

  6. Weight loss is the most important if you are overweight. Avoid junk food and sugar, exercise regularly and take medicines on-time. 

  7. Regular follow-up to a physician is important
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टाइफाइड का आयुर्वेदिक उपचार

Dt. Radhika 93% (473 ratings)
MBBS, M.Sc - Dietitics / Nutrition
Dietitian/Nutritionist, Delhi
टाइफाइड का आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद में तमाम रोगों का इलाज उपलब्ध है. आयुर्वेद से इलाज का एक अतिरिक्त फायदा ये है कि इससे सफल इलाज होकर सेहत तो ठीक होता ही है साथ में कई और आवाश्यक तत्व हमें मिल जाते हैं. थायराइड को अपनाना बहुत ही आसान और तरीके बहुत सरल हैं. थायराइड के इलाज के भी कई तरीके आयुर्वेद और घरेलु उपचारों में बताया गया है. इन तरीकों के कई फायदे हैं. सबसे बड़ा फायदा है कि ये आसानी से उपलब्ध है और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है. तो आइए जानें कि थायराइड के उपचार के लिए कौन-कौन से आयुर्वेदिक तरीके उपलब्ध हैं-

  • मुलेठी: थायराइड में थकान का अनुभव जल्दी ही होने लगता है. इस थकान को दूर करने में मुलेठी बहुत कारगर है. इसमें थायराइड ग्रंथि को संतुलित करने वाला और थकान को उर्जा में बदलने वाला तत्व पाया जाता है. और इस प्रकार मुलेठी से थायराइड में आपको लाभ मिलता है.
  • जूस: थायराइड के मरीजों को कुछ फलों जैसे कि संतरा, अंगूर का रस, नारियल पानी, चुकंदर, अन्नानास, गाजर, सेब, पत्तागोभी आदि का जूस लगातार कुछ दिनों तक देने से उन्हें आराम मिलता है. यदि आप इन फलों को कच्चा खाना चाहें तो कच्चा भी खा सकते हैं.
  • साबुत धनिया: थायराइड के बीमारी में साबुत धनिया भी बहुत काम आता है. इसके लिए एक ग्लास पानी में दो चम्मच साबुत धनिया रात में भिगोकर रख दें. सुबह इसे मसलकर तब तक उबालें जब तक कि पानी एक चौथाई न रह जाए. इसके बाद थोड़ा ठंडा होने पर इसे खाली पेट पी लें. और फिर पानी में नमक डालकर गरारे करें. लगातार इस उपचार को करने से थायराइड से निजत मिल सकता है.
  • साबुत अनाज: बुत अनाज से बने खाद्य पदार्थों का सेवन भी आपको थायराइड से दूर रखने में आपकी मदद करता है. क्योंकि साबुत अनाज में फाइबर, विटामिन्स और प्रोटीन आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. ये सभी मिलकर थायराइड को बढ़ने से रोकते हैं.
  • आटा: यराइड में राहत के लिए आटा भी काम आता है. इसके लिए 5 किलो आटे के साथ 1 किलो बाजरे का आटा और एक किलो जौ का आटा मिलाकर इससे बनी रोटियां खाने से आपको काफी हद तक थायराइड से निपटने में मदद मिलेगी.
  • गो-मूत्र: सुबह उठकर फ्रेश होने के बाद साफ़ कपड़े से गोमूत्र को छान लें. फिर इसे सुबह खली पेट लें. इसे लेने के डेढ़ घंटे तक आपको कुछ नहीं लेना है. इस दौरान ये ध्यान रखें कि आपको फास्ट फ़ूड और तैलीय भोजन से दूर रहना है. आप पायेंगे कि इससे भी थायराइड ठीक हो रहा है.
  • अदरक: सभी घरों में प्रयोग किया जाने वाला अदरक में मौजूद गुण आपको थायराइड से लड़ने में मदद करते हैं. अदरक में मैग्नीशियम और पोटैशियम ही वो तत्व हैं जो थायराइड से आपको मुक्ति दिलाते हैं. इसके आलावा अदरक में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण भी होता है जो कि थायराइड का प्रभाव कम करके उसे फंक्शनल बनाता है.

कुछ अन्य जड़ी-बूटी:
काला अखरोट, बाकोपा, निम्बी बाम, अश्वगंधा, इचिंसिया, मुलेठी, अदरक, गेहूं का ज्वारा आदि सभी जड़ी-बूटी थायराइड के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. लेकिन इनके उपयोग से पहले आपको किसी आयुर्वेद के डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए.

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गुड़ खाने से फायदे

Dr. Rajesh D. Patidar 90% (340 ratings)
ND(Diploma in Naturopath), bachelor Of Science in Nursing, Certificate Course in Community Health, Certificate in Basic Course on Diabetes Management
Yoga & Naturopathy Specialist, Mehsana

*गुड़ खाने से 18 फायदे*
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1- गुड़ खाने से नहीं होती गैस की दिक्कत l

2- खाना खाने के बाद अक्सर मीठा खाने का मन करता हैं।
इसके लिए सबसे बेहतर हैकि आप गुड़ खाएं।गुड़ का सेवन करने से आप हेल्दी रह सकते हैं

3 - पाचन क्रिया को सही रखना

4 - गुड़ शरीर का रक्त साफ करता है और मेटाबॉल्जिम ठीक करता है। रोज एक गिलास पानी या दूध के साथ गुड़ का सेवन पेट को ठंडक देता है। इससे गैस की दिक्कत नहीं होती।जिन लोगों को गैस की परेशानी है, वो रोज़ लंच या डिनर के बाद थोड़ा गुड़ ज़रुर खाएं.

5 - गुड़ आयरन का मुख्य स्रोत है।इसलिए यह एनीमिया के मरीज़ों के लिए बहुत फायदेमंद है।खासतौर पर महिलाओं के लिए इसका सेवन बहुत अधिक ज़रुर है.

6 - त्वचा के लिए, गुड़ ब्लड से खराब टॉक्सिन दूर करता है, जिससे त्वचा दमकती है और मुहांसे की समस्या नहीं होती है।

7 - गुड़ की तासीर गर्म है,इसलिए इसका सेवन जुकाम और कफ से आराम दिलाता है। जुकाम के दौरान अगर आप कच्चा गुड़ नहीं खाना चाहते हैं तो चाय या लड्डू में भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

8 - एनर्जी के लिए - बुहत ज़्यादा थकान और कमजोरी महसूस करने पर गुड़ का सेवन करने से आपका एनर्जी लेवल बढ़ जाता है।गुड़ जल्दी पच जाता है, इससे शुगर का स्तर भी नहीं बढ़ता. दिनभर काम करने के बाद जब भी आपको थकान हो, तुरंत गुड़ खाएं।

9 - गुड़ शरीर के टेंपरेचर को नियंत्रित रखता है।इसमें एंटी एलर्जिक तत्व हैं, इसलिए दमा के मरीज़ों के लिए इसका सेवन काफी फायदेमंद होता है।

10 - जोड़ों के दर्द में आराम-- रोज़ गुड़ के एक टुकड़े के साथ अदरक का सेवन करें, इससे जोड़ों के दर्द की दिक्कत नहीं होगी।

11- गुड़ के साथ पके चावल खाने से बैठा हुआ गला व आवाज खुल जाती है।

12 - गुड़ और काले तिल के लड्डू खानेसे सर्दी में अस्थमा की परेशानी नहीं होती है।

13 - जुकाम जम गया हो, तो गुड़ पिघलाकर उसकी पपड़ी बनाकर खिलाएं।

14 - गुड़ और घी मिलाकर खाने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

15 - भोजन के बाद गुड़ खा लेने से पेट में गैस नहीं बनती.

16 - पांच ग्राम सौंठ दस ग्राम गुड़ के साथ लेने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

17 - गुड़ का हलवा खाने से स्मरण शक्ति बढती है।

18 - पांच ग्राम गुड़ को इतने ही सरसों के तेल में मिलाकर खानेसे श्वास रोग से छुटकारा मिलता है।

अच्छी बातें, अच्छे लोगो, को अपने मित्रो, को अवश्य शेयर करे.

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आँवला

Dr. Vimal Kumar 92% (24 ratings)
Associate Bachelor in A A & H S, Diploma in Naturopathy & Yogic Science (DNYS)
Acupressurist, Muzaffarpur
आँवला

आंवला




आंवला के उपयोग -----

- आंवला मोतियाबिंद की परेशानी में फायदेमंद रहता है।

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- आंवला हमारी आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।

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- सुबह नाश्ते में आंवले का मुरब्बा खाने से आप स्वस्थ बने रह सकते हैं।

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- आंवला हमारे पाचन तन्त्र और हमारी किडनी को स्वस्थ रखता है।

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- आंवला अर्थराइटिस के दर्द को कम करने में भी सहायक होता है।

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- आंवला खाने से सर्दी, खांसी, जुकाम जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।

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- दिल को सेहतमंद रखने के लिए रोजा आंवला खाने की आदत डालें। इससे आपके दिल की मांसपेशियां मजबूत होंगी।

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- आंवला बालों को मजबूत बनाता है, इनकी जड़ों को मजबूत करता है और बालों का झडऩा भी काफी हद तक रोकता है।

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हँसने के पाँच फायदे

Dr. Vimal Kumar 92% (24 ratings)
Associate Bachelor in A A & H S, Diploma in Naturopathy & Yogic Science (DNYS)
Acupressurist, Muzaffarpur
हँसने के पाँच फायदे
हँसने के पाँच फायदे
आज की भाग दौङ भरी जिंदगी, ऊपर से काम का प्रेशर हममे में से कई लोगों को तो याद भी न होगा कि पिछली बार कब खिलखिला कर हँसे थे। जबकी हँसना हम सभी के लिये अति महत्वपूर्ण है किन्तु हम उसे नजर अंदाज कर देते हैं। मित्रों हँसने से हमारी जिंदगी किस तरह स्वस्थ एवं खुशनुमा हो सकती है उसी के बारे में थोङी सी जानकारी शेयर करने की कोशिश कर रही हूँ , पसन्द आए तो हँसियेगा जरूर. तो आइये जानते हैं हंसने के पाँच फायदे:

1) हंसने से हद्रय की एक्सरसाइज हो जाती है। रक्त का संचार अच्छीतरह होता है। हँसने पर शरीर से एंडोर्फिन रसायन निकलता है, ये द्रव्य ह्रदय को मजबूत बनाता है। हँसने से हार्ट-अटैक की संभावना कम हो जाती है।

2) एक रिसर्च के अनुसार ऑक्सीजन की उपस्थिती में कैंसर कोशिका और कई प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया एवं वायरस नष्ट हो जाते हैं। ऑक्सीजन हमें हँसने से अधिक मात्रा में मिलती है और शरीर का प्रतिरक्षातंत्र भी मजबूत हो जाता है।
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