बाजरा
खासतौर पैर गैभवति महिलाओ को कैल्शियम की गोलिया खाने के स्थान पैर रोज बाजरे की दो रोटी खाना चाहिए
ये यूनिवर्सली अक्सेप्टेड सच है कि महिलाओं को समझना मुश्किल है। महिलाएं जो वैसे तो हमेशा बातें करती रहती हैं, लेकिन जब अपनी भावनाएं और इनर फ़ीलिंग व्यक्त करने की बात होती है तो शब्दों से की जगह नॉन वर्बल कम्यूनिकेशन यानी इशारों का इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में मर्दों के लिए इस मिस्ट्री को समझना कई बार मुश्किल हो जाता है। ऐसे में महिलाओं की बॉडी लैंग्वेज के कुछ साइन को जानना जरुरी है जो ये बताते हैं कि इस वक्त वो मूड में हैं और सेक्स के लिए तैयार हैं।
1. बांहों के इशारे- अगर अपने पार्टनर को आगोश में लेने की बजाए महिलाएं अपनी बांहों को अपने शरीर के बिल्कुल करीब रख लेती हैं, तो मर्दों को समझना चाहिए कि उनकी पार्टनर के मन में कुछ चल रहा है। इसके अलावा अगर महिलाओं का हाथ उनके सिर पर, आपके सिर पर या आपके चेस्ट पर है तो ये भी इस बात का संकेत है कि वो आपके साथ कंफ़र्टेबल महसूस कर रही है और खुद को रोकना नहीं चाहती।
2. तेज़ी से सांस लेना- इस इशारे का बनावटी होना मुश्किल है। क्योंकि जब शरीर उत्तेजित होता है तो सांसे अपने आप तेज़ होने लगती हैं। जब शरीर ऑर्गेज़म के लिए तैयार हो रहा है तो दिल की धड़कन तेज हो जाती है और शरीर में ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ने से सांसे तेज़ हो जाती हैं। ये भी इस बात का संकेत है कि वो आपके प्यार के लिए तैयार है।
3. पार्टनर के करीब आना- जब आपकी पार्टनर आपको प्यार से अपने आगोश में लेने की कोशिश करे और नजदीकियां बढ़ाए तो ये भी इस बात का संकेत है कि वो आपको इन्वाइट कर रही है। इसके अलावा अपने पंजों को मोड़ना भी एक अच्छा संकेत है।
4. तालमेल बिठाना- अच्छे सेक्स का एक सीक्रिट ये भी है कि ये बेहद समकालिक यानी सिंक्रनाइज़्ड होता है। इसलिए अगर आपकी पार्टनर आपके मूव्स को मैच कर रही हैं और आपके साथ तालमेल बिठा रही हैं तो आगे बढ़ने के लिए इससे बेहतर और कोई समय नहीं हो सकता।
हालांकि ये जरुरी नहीं कि ये सभी बातें सभी महिलाओं पर लागू हो। हर इंसान एक दूसरे से अलग होता है। जरुरत सिर्फ इस बात की है कि अपने पार्टनर पर ध्यान दें और उनकी बॉडी लैंग्वेज को समझें।
अधिकांशतः अनियमित जीवनशैली तथा उठने-बैठने के गलत तरीकों के कारण नसों में ज्यादा दर्द होता है खासकर कमर से लेकर पैर की नसों तक। साइटिका एक ऐसा ही दर्द है। दरअसल साइटिका खुद में बीमारी नहीं बल्कि बीमारियों के लक्षण हैं। इसका इलाज बेड रेस्ट, व्यायाम और दवाइयां है, लेकिन कई मामलों में सर्जरी भी करनी पड़ जाती है। ऐसे लोग जो टेबल या कंप्यूटर पर घंटों बैठ कर काम करते हैं, उन्हें यह दर्द ज्यादा परेशान करता है। इससे उनकी नसों में तनाव उत्पन्न होता है। इसका प्रमुख लक्षण तब सामने आता है जब पीठ और पैर में दर्द होने लगे। यह दर्द ऐंठन या अकड़न के कारण भी हो सकता है।
जब नसों के फाइबर इससे प्रभावित होते हैं तो पैर की उँगलियों को हिलाना भी कठिन होता है। अपने पैरों को उठाने में भी तकलीफ होती है। यह रोग अगर गंभीर हो जाए तो खड़े रहना और चलना मुश्किल हो जाता है।
साइटिका के दर्द के बारें में किए गए शोधों से पता चला है कि इस दर्द के उपचार का सबसे उपयुक्त तरीका है व्यायाम। खासकर वे व्यायाम जिनमें शरीर को आगे की ओर खींचना होता है, क्योंकि इस प्रक्रिया द्वारा आप प्रभावित तंत्रिका जड़ों पर दबाव पड़ता है और आप राहत महसूस करते हैं। बहुत सारे पीठ के ऐसे व्यायाम हैं जिन्हें करने से आपको साइटिका के दर्द से राहत मिलेगी।
दर्द से निजात पाने के लिए बढ़ती उम्र में रीढ़ को लचीला बनाए रखने के लिए योग और व्यायाम का अभ्यास जरूरी है। साइटिका के दर्द से मुक्ति के प्रमुख योगासन है- भुजंगासन, मकरासन, मत्स्यासन, क्रीडासन, वायुमुद्रा और वज्रासन। वज्रासन एकमात्र ऐसा आसन हैं जिसमें आप अपनी रीढ़ की हड्डी के निजले हिस्से पर ध्यान आसानी से केन्द्रित कर सकते हैं। इसके अलावा इस समय इन बातों का भी ध्यान रखें-
1. अधिक दर्द के समय काम न करके आराम करें।
2. ऊँची एड़ी की चप्पल न पहने।
3. ज्यादा मुलायम गद्दों पर न सोएं।
4. गर्म पानी की थैली से सिकाई करें।
5. आगे झुकने से बचें।
6. कोई भारी सामान नहीं उठाएं।
7. वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करें।
नियमित फिजियोथेरेपी, सही मुद्रा में रहना, कसरत और सिंकाई सबकुछ डॉक्टर की देखरेख में होना चाहिए।
8. सियाटिका में होम्योपैथिकउपचार बेहद कारगर होता है
डॉक्टरों का मानना है कि अगर उपर्युक्त बातों पर ध्यान दिया जाए, तो छह से बारह हफ्तों में इस दर्द से पूर्णतः राहत मिल जाती हैं।
गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण
अगर आपने अभी हाल हीं में बिना गर्भनिरोधक या बिना कन्डोम के सम्भोग किया है, तो आप गर्भवती हो सकती हैं. आपमें आने वाले कुछ बदलाव आपको यह बता देंगे कि गर्भ ठहरा है या नहीं. अगर आप अपनी इच्छा से गर्भवती हुई हैं, तो यह आपके लिए एक अच्छी खबर है. गर्भवती होने पर एक स्त्री के शरीर, मन और Mood में कई बदलाव आने लगते हैं. तो आइए जानते हैं क्या हैं, गर्भवती होने के लक्षण.
वैसे Period असमान्य अवस्था में भी बंद हो सकता है. लेकिन अगर आप पूरी तरह स्वस्थ्य हैं और आपका मासिक स्राव बंद हो गया है, तो यह आपके गर्भवती होने का एक लक्षण है.
शर्बत बनाये घर पर ।
ग्रीष्म ऋतु की उष्णता को नष्ट करने और बार-बार लगने वाली प्यास को शांत करने के लिए गुणकारी शर्बतों का ही सेवन किया जाना चाहिए। शर्बत बाजार से भी खरीदे जा सकते हैं और घर पर भी बनाए जा सकते हैं। इन शर्बतों में मुख्य रूप से अनार का शर्बत है। अनार पित्त प्रकोप, अरूचि, अतिसार, पेचिश, खांसी, नेत्रदास, छाती की जलन और व्याकुलता दूर करता है।
१. वेदाना अनार से शर्बत --
अनार खाने और उसका रस पीने से शरीर को बहुत शीतलता मिलती है। अनार का शर्बत ग्रीष्म ऋतु की उष्णता को नष्ट करके प्यास की उग्रता को भी शांत करता है। इससे थकावट का भी निवारण होता है। यह दीपन-पाचन भी होता है और पाचनक्रिया को तीव्र करता है।
इसके लिए एक किलो अनार के रस को देर तक आग पर पकाकर गाढ़ा़ बनाते हैं। जब आधा रस शेष रह जाता है, उसमें 500 ग्राम जल और 2 किलो चीनी मिलाकर आग पर पकाएं। जब शर्बत बन जाए, तो आग से उतार कर शीतल हो जाने पर कपडे़ से छानकर कांच की बोतलों में भर कर रखें। इस शर्बत में खाने वाला तरल गुलाबी रंग ओर अनार का ऐशन्स भी मिलाया जा सकता है। 30 से 50 ग्राम अनार के शर्बत में जल मिलाकर सेवन करने से शरीर को शीतलता मिलती है।
२. अनन्नास का शर्बत -
यह मूत्रल, कृमिघ्न और पित्तशामक है। इसके सेवन से रक्त विकार तथा सूर्य की गर्मी से उत्पन्न होने वाले दोष दूर होते हैं। यह लू लगने तथा अन्य गर्मी से उत्पन्न रोगों को मिटाता है। अनन्नास में पेप्सिन नामक पाचक तत्व होता है। अनन्नास के शर्बत से ग्रीष्म ऋतु में लू के प्रकोप से सुरक्षा होती हैं।
अनन्नास का शर्बत बनाने के लिए अनन्नास का रस 500 ग्राम मात्रा में लेकर एक किलो चीनी लेकर आग पर पकाएं। शराब बनाते समय अदरक का 200 ग्राम रस मिलाते हें। एक तार की चाशनी बनने पर शर्बत को आग से उतार कर ठण्डा होने पर 10 ग्राम पिसा हुआ काला नमक और काली मिर्च का 10 ग्राम चूर्ण मिलाकर छानकर बोतलों में भरकर रखें। इस शर्बत में 20 ग्राम साइट्रिक अम्ल मिलाने से शर्बत कई महीने तक फ्रिज में सुरक्षित रख सकते है।
३. फालसे के शर्बत -
पके फालसे पाक में मधुर, शीतल, पोष्टिक और हृदय के लिए उपयोगी होते है। पित्त, दाह, रक्त विकार, ज्वर, क्षय और वायु मिटाते है।
इस शर्बत से यकृत की उष्णता नष्ट होती है। ग्रीष्मऋतु में फालसे का शर्बत प्यास और उष्णता को शांत करता है। वमन और अतिसार को मिटाता है। फालसे का शर्बत स्वादिष्ट और शीतवीर्य होता है। मानसिक तनाव व शरीर की बैचेनी का निवारण करता है। इस शर्बत से मल व मूत्र का शोधन होता है।
फालसे का शर्बत बनाने के लिए फालसे का रस 500 ग्राम मात्रा में लेकर उसमें 500 ग्राम चीनी मिलाकर आग पर पकाएं।जब एक तार की चाशनी बन जाए, तो उसमें 10 ग्राम काला नमक और 10 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर, कपड़े से छानकर बोतलों में भरकर रखें। शर्बत में गुलाब या केवड़े का अर्क मिला देने से शर्बत की सुगन्ध अधिक बढ़ जाती है।फालसे का शर्बत मस्तिष्क व हृदय को शक्ति देता है। उदर शूल और पित्त की विकृत्ति भी नष्ट होती है। रक्तस्त्राव भी बंद होता है। फालसे के शर्बत से विटामिन ‘सी‘ ओर कैरोटिन भी मिलता है।
४.गुलाब का शर्बत--
गुलाब के फूल, लघु, मधुर, रोचक, मधुर विपाक, शीतवीर्य और हृदय को हितकारी होते है। यह मस्तिष्क दौर्बल्य को दूर करते हें।
गुलाब का जल एक किलो और चीनी ढाई किलो आग पर पका कर रखें। आग में पकाते समय थोड़ा सा साइट्रिक अम्ल (नीबू का सत) भी मिला लें। इस शर्बत को छानकर खाने वाला गुलाबी तरल रंग भी मिलाया जा सकता है। गुलाब की सुगन्ध मिलाने से शर्बत अधिक सुगन्धित हो जाता हैं।
20 ग्राम से 50 ग्राम तक शर्बत जल मिलाकर दिन में कई बार सेवन कर सकते है। इस शर्बत से ग्रीष्म ऋतु में प्यास की अधिकता नष्ट होती है। शरीर की उष्णता नष्ट होने से पसीने कम आते है। शरीर की थकावट, ग्लानि, भ्रम, मन की अस्थिरता और मूत्र की जलन मिटती है। गुलाब का शर्बत सेवन करने से ग्रीष्मऋतु में नेत्रों की जलन ओर लालिमा नष्ट होती है।
पालक है सबसे अच्छा: