Glucose 6 Phosphate Dehydrogenase (G6PD Qualitative) Tips

कोलेस्ट्रोल कम ऐसे करें

Dr. Ashish Sharma 90% (498 ratings)
M.Sc - Psychology, PGDEMS, Bachelor of Ayurveda, Medicine and Surgery (BAMS)
Ayurveda, Delhi
कोलेस्ट्रोल कम ऐसे करें

कोलेस्ट्रोल, एक ऐसी समस्या है जो अब आम बनती जा रही है। कोलेस्ट्रोल कम करने का अर्थ है हृदय रोग का सही उपचार।, कोलेस्ट्रोल को कम करने के कुछ घरेलू उपचार यहाँ दिए जा रहे हैं-
- कच्ची लहसुन रोज सुबह खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रोल कम होता है।
- रोज 50 ग्राम कच्चा ग्वारपाठा खाली पेट खाने से खून में कोलेस्ट्रोल कम हो जाता है।
- अंकुरित दालें भी खानी आरंभ करें।
- सोयाबीन का तेल अवश्य प्रयोग करें यह भी उपचार है।
- लहसुन, प्याज, इसके रस उपयोगी हैं।
- नींबू, आंवला जैसे भी ठीक लगे, प्रतिदिन लें।
- शराब या कोई नशा मत करें, बचें।
- इसबगोल के बीजों का तेल आधा चम्मच दिन में दो बार।
- दूध पीते हैं तो उसमे जरा सी दालचीनी) डाल दो, कोलेस्ट्रोल कण्ट्रोल होगा।
- रात के समय धनिया के दो चम्मच एक गिलास पानी में भिगो दें। प्रात: हिलाकर पानी पी लें। धनिया भी चबाकर निगल जाएं
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थायरॉइड की गाइड लाइन

Dr. Ashish Sharma 90% (498 ratings)
M.Sc - Psychology, PGDEMS, Bachelor of Ayurveda, Medicine and Surgery (BAMS)
Ayurveda, Delhi
थायरॉइड की गाइड लाइन




गले में मौजूद थायरॉइड ग्रंथि से संबंधित समस्या इन दिनों आम है। खासकर महिलाएं इसकी शिकार ज्यादा हैं। इससे निकलने वाले हॉर्मोन थायरॉक्सिन के सामान्य से कम या ज्यादा स्त्रावित होने पर कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। जैसे वजन का कम या ज्यादा होना, बालों का झड़ना, त्वचा का रूखापन, कभी कब्ज व कभी दस्त, त्वचा का ठंडा व गर्म रहना, भूख ज्यादा लगना या खत्म हो जाना आदि। अगर आप भी हाइपर या हाइपो थायरॉइडिज्म के शिकार हैं तो कुछ घरेलू नुस्खों और शारीरिक व्यायाम से इस समस्या से काफी हद तक छुटकारा पा सकते हैं।

खाने के लिए

सिघांड़ा : यह कैल्शियम से लेकर आयोडीन तक की कमी को पूरा करता है और थॉयरॉक्सिन को नियंत्रित करता है। इसे चटनी, ज्यूस, सेककर, अचार, सब्जी, रोटी, खीर, हलवा, कच्चा व सिका हुआ आदि किसी भी रूप में खाया जा सकता है।

अनानास : गले के रोगों में अनानास का प्रयोग बहुत अच्छा रहता है। इसका प्रयोग चटनी, मुरब्बा, सलाद, ज्यूस, रायता के रूप में किया जाता हैै। इस बीमारी में आई सूजन को भी यह मिटाने में मदद करता है।

प्याज : गले का जमा कफ निकालने से लेकर खांसी, जुकाम, गला बैठना जैसे रोगों में प्याज की सब्जी, सलाद का प्रयोग लाभकारी है।
कमलककड़ी और कमल गट्टा : कमल की लकड़ी और बीज कैल्शियम और आयोडीन का प्रचुर स्त्रोत हैं।

गले की क्रियाएं

गर्दन को सांस छोड़ते हुए नीचे लाना, सांस लेकर पीछे ले जाना और इसी तरह दाईं और बाईं तरफ लाकर गोल-गोल घुमाना।
उज्जयी प्राणायाम : जीभ को अंदर से मोड़कर तालू पर लगाएं और गले को आवाज प्रभाव देते हुए नाक से सांस खीचें। ऎसा पांच से 10 बार करें।

योगासन

सर्वांगासन : सर्वांगासन थायरॉइड क्रिया के लिए बहुत लाभकारी है। जमीन पर पीठ केवल लेटकर दोनों पैरों को ऊपर उठाकर कुछ समय के लिए रोकना है।

सिंहासन : कागासन स्थिति में बैठ कर सिंह की तरह दहाड़ करके आवाज करें।

गले की लपेट

गले पर हल्का सा तेल लगाकर गीला कपड़ा बांधें और उसके ऊपर मफलर या कोई ऊनी कपड़ा बांधें।
परहेज : इस बीमारी में सोयाबीन ओर केला का सेवन निषेध है।
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केले के उपयोग :

Dr. Ashish Sharma 90% (498 ratings)
M.Sc - Psychology, PGDEMS, Bachelor of Ayurveda, Medicine and Surgery (BAMS)
Ayurveda, Delhi
केले के उपयोग :


* पके केले को मंद आंच में पकाकर नमक,काली मिर्च मिलाकर दमा के रोगी को खिलाने से लाभ होता है।
* जिन स्त्रियों को श्वेत प्रदर की शिकायत हो,उन्हें पका हुआ एक केला पांच ग्राम घी के साथ कुछ दिन सेवन करने से लाभ होता है।
* बार-बार पेशाब लग रही हो तो बार-बार केला खाना चाहिए।
* टायफायड बुखार उतरने के बाद छोटी इलायची के चूर्ण के साथ रोगी को पका केला खिलाना चाहिए। इससे बुखार से आई दुर्बलता दूर हो जाती है।
* पीलिया रोग में रोगी को कम से कम चार पके केले नित्य खाने चाहिए तथा कच्चे केले की सब्जी का सेवन भी करना चाहिए।
* पेट में जलन हो तो पका केला खाएं।
* आधा कप गाय के दही में एक केला तथा छोटी इलायची का चूर्ण मिलाकर दिन में दो-तीन बार चाटने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
*पका केला शहद के साथ प्रातःकाल सेवन करने से हृदय बलवान बनता है,दिल की धड़कन तथा दिल के दर्द में लाभ होता है।
* पके केले के लगातार सेवन से सूखी खांसी,गले की खराश तथा गुर्दों की कमज़ोरी दूर हो जाती है।
* पका केला कृमिनाशक है। इसके सेवन से रक्त की खराबी दूर होकर त्वचा के रोग नष्ट हो जाते हैं।
* दाद,खाज,खुजली में पके केले में नींबू का रस मिलाकर मरहम बनाकर लगाएं।
* जलने पर पके केले का गूदा मरहम की तरह लगाने से जलन शांत होगी तथा फफोले नहीं पड़ेंगे।
* पके केले के गूदे में आटा मिलाकर पानी के साथ गूंथ लें। इसे गरम करके सूजन वाले हिस्से पर बांधने से सूजन दूर हो जाएगी।
* चोट पर केले का छिलका बांधने से आराम मिलता है। घाव पर केले का पानी लगाकर पट्टी बांधने से घाव जल्दी भर जाता है।
* जो बच्चा मिट्टी खाता हो,उसे पांच ग्राम शहद के साथ एक केला प्रतिदिन खिलाएँ। इससे पेट की मिट्टी बाहर आ जाएगी तथा बच्चे की मिट्टी खाने की आदत छूट जाएगी।
* बच्चा कांच की गोली,सिक्का आदि निगल जाए,तो उसे केला खिलाना चाहिए।
* केले को दिन में ही खाना चाहिए क्योंकि गरमी में यह जल्दी पचता है। रात में खाया केला जल्दी हजम नहीं होता।
* खाली पेट केला नहीं खाना चाहिए। खाने के बाद या भोजन के साथ ही इसे खाएं।
* केला खाकर पानी न पिएं बल्कि दूध या छोटी इलायची खाने से केला जल्दी हज़म हो जाएगा
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How To Be Fit & Active?

Dt. Ritika Dua 90% (203 ratings)
BSc-Diet & Nutrition, M.Sc-Diet & Nutrition
Dietitian/Nutritionist, Delhi
How To Be Fit & Active?

How To Be Fit & Active?

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बाजरा

Dt. Archna Gupta 90% (989 ratings)
PG Diploma in Nutrition & Dietetics, M.Sc.in Food & Nutrition
Dietitian/Nutritionist, Ghaziabad

बाजरा 

  • बाजरा खाइये, हड्डियों के रोग नई होंगे .
  • बाजरे की रोटी का स्वाद जितना अच्छा है, उससे अधिक उसमे गुड़ भी है
  • बाजरे की रोटी खाने वाले को हड्डियों में कैल्शियम की कमी से पैदा होने वाला रोग ऑस्टिओपोरोसिस और खून की कमी यानि अनीमीआ नहीं होता
  • बाजरे लिवर से सम्बंधित रोगो को भी काम करता है
  • गेहू और चावल के मुकाबले बाजरे में ऊर्जा कई गुना है
  • बाजरे में भरपूर कैल्शियम होता यही और जो हड्डियों के लिए रामबाण औषधि है, उधर आयरन भी बाजरे में इतना अधिक होता है की खून की कमी से होने वाले रोग नहीं होते सकते

खासतौर पैर गैभवति महिलाओ को  कैल्शियम की गोलिया खाने के स्थान पैर रोज बाजरे की दो रोटी खाना चाहिए

  • वरिष्ट चिकित्साधिकारी मेजर डॉ. बी. पी. सिंह के सेना ने सिक्किम में तैनाती के दौरान जब गर्भवती महिलाओँ को कैल्शियम और आयरन की जगह बाजरे की रोटी और खिचड़ी दी जाती थी इससे उनके बचो को जन्म से लेकर पांच साल की उम्रतक केल्सिक्म  और आयरन की कमी से होने वाले रोग नहीं होते
  • इतना ही नई बाजरे का सेवन करने वाली महिलाओ में प्रसव पीड़ा में असामान्य पीड़ा के मामले भी न के बराबर पाए गए
  • डॉक्टर तो बाजरे के गुणों से इतने प्रभावित है की ऐसे अनाजों में वज्र की उपाधि देने में जुट गए है
  • बाजरे का किसी भी रूप में सेवन लाभकारी है
  • उच्च रक्तचाप , ह्रदय की कमजोरी , अस्थमा से ग्रस्त लोगो तथा दूध पिलाने वाली माताओ में दूध की कमी के लिए यह टॉनिक का कार्य करता है
  • यदि बाजरे का नियमित रूप से सेवन किया जाय तो यह कुपोषण, क्षरण सम्बन्धी रोग और असमय वृद्ध होने की प्रक्रियाओ को दूर करता है
  • रागी की खपत से शरीर प्राकृतिक रूप से शांत होता है यह एंग्जायटी, डिप्रेशन और नींद आने की बीमारियों में फायदेमंद होता है
  • यह माइग्रेन के लिए भी लाभदायक है
  • इसमें लेसिथिन और मिथियोनिन नामक एमिनो अम्ल होते है जो अतिरिक्त वसा को हटा कर कोलेस्ट्रॉल की मात्रा  को काम करते है
  • बाजरे में उपस्थित रसायन पाचन की प्रक्रिया को धीमा करते है
  • डायबिटीज़ में यह रक्त में शक्कर की मात्रा को नियंत्रित करने में सहायक होता है

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इशारों को समझना जरुरी

Dr. B K Kashyap 89% (126 ratings)
Bachelor of Ayurveda, Medicine and Surgery (BAMS)
Sexologist, Allahabad
इशारों को समझना जरुरी

ये यूनिवर्सली अक्सेप्टेड सच है कि महिलाओं को समझना मुश्किल है। महिलाएं जो वैसे तो हमेशा बातें करती रहती हैं, लेकिन जब अपनी भावनाएं और इनर फ़ीलिंग व्यक्त करने की बात होती है तो शब्दों से की जगह नॉन वर्बल कम्यूनिकेशन यानी इशारों का इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में मर्दों के लिए इस मिस्ट्री को समझना कई बार मुश्किल हो जाता है। ऐसे में महिलाओं की बॉडी लैंग्वेज के कुछ साइन को जानना जरुरी है जो ये बताते हैं कि इस वक्त वो मूड में हैं और सेक्स के लिए तैयार हैं। 

1. बांहों के इशारे- अगर अपने पार्टनर को आगोश में लेने की बजाए महिलाएं अपनी बांहों को अपने शरीर के बिल्कुल करीब रख लेती हैं, तो मर्दों को समझना चाहिए कि उनकी पार्टनर के मन में कुछ चल रहा है। इसके अलावा अगर महिलाओं का हाथ उनके सिर पर, आपके सिर पर या आपके चेस्ट पर है तो ये भी इस बात का संकेत है कि वो आपके साथ कंफ़र्टेबल महसूस कर रही है और खुद को रोकना नहीं चाहती। 

2. तेज़ी से सांस लेना- इस इशारे का बनावटी होना मुश्किल है। क्योंकि जब शरीर उत्तेजित होता है तो सांसे अपने आप तेज़ होने लगती हैं। जब शरीर ऑर्गेज़म के लिए तैयार हो रहा है तो दिल की धड़कन तेज हो जाती है और शरीर में ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ने से सांसे तेज़ हो जाती हैं। ये भी इस बात का संकेत है कि वो आपके प्यार के लिए तैयार है। 

3. पार्टनर के करीब आना- जब आपकी पार्टनर आपको प्यार से अपने आगोश में लेने की कोशिश करे और नजदीकियां बढ़ाए तो ये भी इस बात का संकेत है कि वो आपको इन्वाइट कर रही है। इसके अलावा अपने पंजों को मोड़ना भी एक अच्छा संकेत है। 

4. तालमेल बिठाना- अच्छे सेक्स का एक सीक्रिट ये भी है कि ये बेहद समकालिक यानी सिंक्रनाइज़्ड होता है। इसलिए अगर आपकी पार्टनर आपके मूव्स को मैच कर रही हैं और आपके साथ तालमेल बिठा रही हैं तो आगे बढ़ने के लिए इससे बेहतर और कोई समय नहीं हो सकता। 

हालांकि ये जरुरी नहीं कि ये सभी बातें सभी महिलाओं पर लागू हो। हर इंसान एक दूसरे से अलग होता है। जरुरत सिर्फ इस बात की है कि अपने पार्टनर पर ध्यान दें और उनकी बॉडी लैंग्वेज को समझें।

सियाटिका

BHMS
Homeopathy Doctor, Kanpur
सियाटिका

अधिकांशतः अनियमित जीवनशैली तथा उठने-बैठने के गलत तरीकों के कारण नसों में ज्यादा दर्द होता है खासकर कमर से लेकर पैर की नसों तक। साइटिका एक ऐसा ही दर्द है। दरअसल साइटिका खुद में बीमारी नहीं बल्कि बीमारियों के लक्षण हैं। इसका इलाज बेड रेस्ट, व्यायाम और दवाइयां है, लेकिन कई मामलों में सर्जरी भी करनी पड़ जाती है। ऐसे लोग जो टेबल या कंप्यूटर पर घंटों बैठ कर काम करते हैं, उन्हें यह दर्द ज्यादा परेशान करता है। इससे उनकी नसों में तनाव उत्पन्न होता है। इसका प्रमुख लक्षण तब सामने आता है जब पीठ और पैर में दर्द होने लगे। यह दर्द ऐंठन या अकड़न के कारण भी हो सकता है।

जब नसों के फाइबर इससे प्रभावित होते हैं तो पैर की उँगलियों को हिलाना भी कठिन होता है। अपने पैरों को उठाने में भी तकलीफ होती है। यह रोग अगर गंभीर हो जाए तो खड़े रहना और चलना मुश्किल हो जाता है।
साइटिका के दर्द के बारें में किए गए शोधों से पता चला है कि इस दर्द के उपचार का सबसे उपयुक्त तरीका है व्यायाम। खासकर वे व्यायाम जिनमें शरीर को आगे की ओर खींचना होता है, क्योंकि इस प्रक्रिया द्वारा आप प्रभावित तंत्रिका जड़ों पर दबाव पड़ता है और आप राहत महसूस करते हैं। बहुत सारे पीठ के ऐसे व्यायाम हैं जिन्हें करने से आपको साइटिका के दर्द से राहत मिलेगी।

दर्द से निजात पाने के लिए बढ़ती उम्र में रीढ़ को लचीला बनाए रखने के लिए योग और व्यायाम का अभ्यास जरूरी है। साइटिका के दर्द से मुक्ति के प्रमुख योगासन है- भुजंगासन, मकरासन, मत्स्यासन, क्रीडासन, वायुमुद्रा और वज्रासन। वज्रासन एकमात्र ऐसा आसन हैं जिसमें आप अपनी रीढ़ की हड्डी के निजले हिस्से पर ध्यान आसानी से केन्द्रित कर सकते हैं। इसके अलावा इस समय इन बातों का भी ध्यान रखें-
1. अधिक दर्द के समय काम न करके आराम करें।
2. ऊँची एड़ी की चप्पल न पहने।
3. ज्यादा मुलायम गद्दों पर न सोएं।
4. गर्म पानी की थैली से सिकाई करें।
5. आगे झुकने से बचें।
6. कोई भारी सामान नहीं उठाएं।
7. वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करें।
नियमित फिजियोथेरेपी, सही मुद्रा में रहना, कसरत और सिंकाई सबकुछ डॉक्टर की देखरेख में होना चाहिए। 
8. सियाटिका में होम्योपैथिकउपचार बेहद कारगर होता है 

 डॉक्टरों का मानना है कि अगर उपर्युक्त बातों पर ध्यान दिया जाए, तो छह से बारह हफ्तों में इस दर्द से पूर्णतः राहत मिल जाती हैं।

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गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण

Dr. B K Kashyap 89% (126 ratings)
Bachelor of Ayurveda, Medicine and Surgery (BAMS)
Sexologist, Allahabad
गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण

गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण

 

अगर आपने अभी हाल हीं में बिना गर्भनिरोधक या बिना कन्डोम के सम्भोग किया है, तो आप गर्भवती हो सकती हैं. आपमें आने वाले कुछ बदलाव आपको यह बता देंगे कि गर्भ ठहरा है या नहीं. अगर आप अपनी इच्छा से गर्भवती हुई हैं, तो यह आपके लिए एक अच्छी खबर है. गर्भवती होने पर एक स्त्री के शरीर, मन और Mood में कई बदलाव आने लगते हैं. तो आइए जानते हैं क्या हैं, गर्भवती होने के लक्षण.

वैसे Period असमान्य अवस्था में भी बंद हो सकता है. लेकिन अगर आप पूरी तरह स्वस्थ्य हैं और आपका मासिक स्राव बंद हो गया है, तो यह आपके गर्भवती होने का एक लक्षण है.

  • कुछ स्त्रियाँ जब गर्भवती हो जाती है, तो उनके स्तनों से दूध का रिसाव शुरू हो जाता है. स्तनों से दूध का रिसाव होना भी गर्भ ठहरने का एक लक्षण है. स्तन भारी हो जाते हैं, और साथ हीं थोड़े बड़े भी हो जाते हैं.
  • गर्भ ठहरने पर निपल्स चौड़े और थोड़े बड़े हो जाते हैं. और स्तन भी बड़े होने लगते हैं. निपल्स का रंग गाढ़ा होने लगता है. स्तनों में सूजन महसूस होने लगता है, उन्हें हल्का सा भी दबाने पर दर्द होने लगता है.
  • गर्भधारण करने के बाद गर्भावस्था के शुरूआती 3 महीनों में सेक्स करने की इच्छा बढ़ जाती है. इस दौरान सेक्स किया जा सकता है, लेकिन कुछ सावधानियों के साथ.
  • खट्टे या चकदार चीजें खाने की बहुत ज्यादा इच्छा होना. हमेशा कुछ न कुछ खाने की इच्छा होना.
  • गर्भवस्था के पहले तीन महीने में बार-बार पेशाब जाना भी, गर्भ ठहरने का एक लक्षण है.
  • थोड़ा-बहुत काम करने पर भी बहुत ज्यादा थकान, या ज्यादा अनावश्यक चिड़चिड़ापन आना भी गर्भावस्था में एक सामान्य बात है.
  • खानपान में बिना किसी बड़े बदलाव के उल्टी या बदहजमी होना भी गर्भ ठहरने का एक लक्षण है.
  • गर्भाशय में ऐथन और पेट में उसी प्रकार की पीड़ा जैसा Periods के दौरान होता है. दर्द तो ठीक है, लेकिन योनी से अगर खून आए तो आपको डॉक्टर से जरुर मिलना चाहिए.
  • Period में ज्यादा रक्त आना भी गर्भवती होने का लक्षण है.गर्भवस्था में आपको विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. और कुछ खास चीजों का पालन करना चाहिए. और इस बात कि पूरी जानकारी जुटानी चाहिए कि आपके खानपान से लेकर आपके विचारों तक का आपने होने वाले बच्चे पर कैसा प्रभाव पड़ेगा.

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शर्बत बनाये घर पर

Dr. Amarjit Singh Jassi 88% (256 ratings)
Bachelor of Ayurveda, Medicine and Surgery (BAMS)
Ayurvedic Doctor, Delhi
शर्बत बनाये घर पर

शर्बत बनाये घर पर ।

ग्रीष्म ऋतु की उष्णता को नष्ट करने और बार-बार लगने वाली प्यास को शांत करने के लिए गुणकारी शर्बतों का ही सेवन किया जाना चाहिए। शर्बत बाजार से भी खरीदे जा सकते हैं और घर पर भी बनाए जा सकते हैं। इन शर्बतों में मुख्य रूप से अनार का शर्बत है। अनार पित्त प्रकोप, अरूचि, अतिसार, पेचिश, खांसी, नेत्रदास, छाती की जलन और व्याकुलता दूर करता है।
१. वेदाना अनार से शर्बत --
अनार खाने और उसका रस पीने से शरीर को बहुत शीतलता मिलती है। अनार का शर्बत ग्रीष्म ऋतु की उष्णता को नष्ट करके प्यास की उग्रता को भी शांत करता है। इससे थकावट का भी निवारण होता है। यह दीपन-पाचन भी होता है और पाचनक्रिया को तीव्र करता है।
इसके लिए एक किलो अनार के रस को देर तक आग पर पकाकर गाढ़ा़ बनाते हैं। जब आधा रस शेष रह जाता है, उसमें 500 ग्राम जल और 2 किलो चीनी मिलाकर आग पर पकाएं। जब शर्बत बन जाए, तो आग से उतार कर शीतल हो जाने पर कपडे़ से छानकर कांच की बोतलों में भर कर रखें। इस शर्बत में खाने वाला तरल गुलाबी रंग ओर अनार का ऐशन्स भी मिलाया जा सकता है। 30 से 50 ग्राम अनार के शर्बत में जल मिलाकर सेवन करने से शरीर को शीतलता मिलती है।
२. अनन्नास का शर्बत -
यह मूत्रल, कृमिघ्न और पित्तशामक है। इसके सेवन से रक्त विकार तथा सूर्य की गर्मी से उत्पन्न होने वाले दोष दूर होते हैं। यह लू लगने तथा अन्य गर्मी से उत्पन्न रोगों को मिटाता है। अनन्नास में पेप्सिन नामक पाचक तत्व होता है। अनन्नास के शर्बत से ग्रीष्म ऋतु में लू के प्रकोप से सुरक्षा होती हैं।
अनन्नास का शर्बत बनाने के लिए अनन्नास का रस 500 ग्राम मात्रा में लेकर एक किलो चीनी लेकर आग पर पकाएं। शराब बनाते समय अदरक का 200 ग्राम रस मिलाते हें। एक तार की चाशनी बनने पर शर्बत को आग से उतार कर ठण्डा होने पर 10 ग्राम पिसा हुआ काला नमक और काली मिर्च का 10 ग्राम चूर्ण मिलाकर छानकर बोतलों में भरकर रखें। इस शर्बत में 20 ग्राम साइट्रिक अम्ल मिलाने से शर्बत कई महीने तक फ्रिज में सुरक्षित रख सकते है।
३. फालसे के शर्बत -
पके फालसे पाक में मधुर, शीतल, पोष्टिक और हृदय के लिए उपयोगी होते है। पित्त, दाह, रक्त विकार, ज्वर, क्षय और वायु मिटाते है।
इस शर्बत से यकृत की उष्णता नष्ट होती है। ग्रीष्मऋतु में फालसे का शर्बत प्यास और उष्णता को शांत करता है। वमन और अतिसार को मिटाता है। फालसे का शर्बत स्वादिष्ट और शीतवीर्य होता है। मानसिक तनाव व शरीर की बैचेनी का निवारण करता है। इस शर्बत से मल व मूत्र का शोधन होता है।
फालसे का शर्बत बनाने के लिए फालसे का रस 500 ग्राम मात्रा में लेकर उसमें 500 ग्राम चीनी मिलाकर आग पर पकाएं।जब एक तार की चाशनी बन जाए, तो उसमें 10 ग्राम काला नमक और 10 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर, कपड़े से छानकर बोतलों में भरकर रखें। शर्बत में गुलाब या केवड़े का अर्क मिला देने से शर्बत की सुगन्ध अधिक बढ़ जाती है।फालसे का शर्बत मस्तिष्क व हृदय को शक्ति देता है। उदर शूल और पित्त की विकृत्ति भी नष्ट होती है। रक्तस्त्राव भी बंद होता है। फालसे के शर्बत से विटामिन ‘सी‘ ओर कैरोटिन भी मिलता है।
४.गुलाब का शर्बत--
गुलाब के फूल, लघु, मधुर, रोचक, मधुर विपाक, शीतवीर्य और हृदय को हितकारी होते है। यह मस्तिष्क दौर्बल्य को दूर करते हें। 
गुलाब का जल एक किलो और चीनी ढाई किलो आग पर पका कर रखें। आग में पकाते समय थोड़ा सा साइट्रिक अम्ल (नीबू का सत) भी मिला लें। इस शर्बत को छानकर खाने वाला गुलाबी तरल रंग भी मिलाया जा सकता है। गुलाब की सुगन्ध मिलाने से शर्बत अधिक सुगन्धित हो जाता हैं।
20 ग्राम से 50 ग्राम तक शर्बत जल मिलाकर दिन में कई बार सेवन कर सकते है। इस शर्बत से ग्रीष्म ऋतु में प्यास की अधिकता नष्ट होती है। शरीर की उष्णता नष्ट होने से पसीने कम आते है। शरीर की थकावट, ग्लानि, भ्रम, मन की अस्थिरता और मूत्र की जलन मिटती है। गुलाब का शर्बत सेवन करने से ग्रीष्मऋतु में नेत्रों की जलन ओर लालिमा नष्ट होती है।

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पालक है सबसे अच्छा

Dr. Sanjeev Kumar 91% (449 ratings)
MD - Paediatrics, MBBS
Pediatrician, Faridabad
पालक है सबसे अच्छा

पालक है सबसे अच्छा:

  • दृष्टि सुधारने में मदद करता है | 
  • रोगों से लड़ता है |
  • प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है |
  • पालक फाइबर में उच्च है, तो यह आपको पूर्ण और पाचन में मदद करता है।
  • कैंसर को रोकने में मदद करता है |
  • यह विरोधी भड़काऊ है |
  • उच्च रक्तचाप को कम करता है |
  • स्वस्थ, चमकदार त्वचा को बढ़ावा देता है |
  • हड्डियों को मजबूत करता है |
  • मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र समारोह में मदद करता है |
  • पालक, कोलोरी में कम लेकिन पोषक तत्वों में उच्च है ।

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